अ1
हिंदी वर्णमाला का स्वर वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह निम्नतर, मध्य, अगोलित और ह्रस्व स्वर है। कुछ स्थितियों में इसका उच्चारण 'ह' वर्ण से पूर्व [ह्रस्व 'ऐ']
भी होता है, जैसे- 'कहना' में। 'वह' में इसका उच्चारण [ह्रस्व 'ओ'] भी है।
अ2
[पूर्वप्रत्य.] हिंदी में पूर्वप्रत्यय के रूप में बहुप्रयुक्त वर्ण। पूर्वप्रत्यय के रूप में प्रयुक्त होकर प्रायः मूल शब्द के अर्थ का नकारात्मक अथवा विपरीत
अर्थ देता है, जैसे- अप्रिय, अन्याय, अनीति आदि। अन्यत्र मूल शब्द के भाव के पूर्ण न होने की स्थिति दर्शाता है, जैसे- अदृश्य, अकर्म। पूर्वप्रत्यय 'अ' की एक
अन्य विशेषता यह भी है कि वह मूल शब्द के भाव के आधिक्य को सूचित करता है, जैसे- अघोर आदि।
अँकड़ी
[सं-स्त्री.] फल तोड़ने का बाँस जिसके सिरे पर छोटी लकड़ी बँधी होती है; टेढ़ी और नुकीली कटिया; बाँस की लग्गी।
अँकना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. किसी वस्तु या पदार्थ के आकार या मूल्य का अनुमान लगाया जाना; आँका जाना; कूता जाना; नाप-जोख होना 2. लिखा जाना; दर्ज होना 3. अंकित होना;
चित्रित होना 4. किसी श्रेणी विशेष में गिना जाना; मूल्यांकन होना। [क्रि-स.] 1. मूल्य आँकना 2. व्यय का अनुमान करना या निर्धारित करना 3. नाप-जोख करना 4.
लिखना; दर्ज करना 5. किसी को श्रेणी विशेष में गिनना; मूल्यांकन करना।
अँकवाई
[सं-स्त्री.] 1. अँकवाने की क्रिया या भाव; अँकाई; आकलन 2. अँकवाने का पारिश्रमिक या मज़दूरी।
अँकवाना
[क्रि-स.] 1. आँकने का काम दूसरे से कराना; नाप-जोख कराना; अँकाना 2. जाँच कराना 3. मूल्य या दर निश्चित करवाना 4. किसी से चित्रण कराना 5. चिह्नित कराना।
अँकाई
[सं-स्त्री.] 1. आँकने की क्रिया या भाव; अंकन; आकलन 2. अटकल; कूत 3. आँकने का पारिश्रमिक 4. नाप-जोख।
अँकुड़ा
[सं-पु.] 1. लोहे का बना हुआ एक टेढ़ा काँटा जिससे कोई चीज़ फँसाकर निकालते या टाँगते हैं 2. टेढ़ी कटिया; (हुक) 3. जलयानों का लंगर; (एंकर) 4. बुनकरों का एक औज़ार
5. पशुओं के पेट में होने वाली मरोड़; ऐंठन।
अँकुराना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. अँकुर निकलना, जैसे- भीगे चने अँकुरा गए हैं 2. अँखुआना; उगना।
अँकोर
[सं-पु.] 1. गले लगाने की क्रिया या भाव; आलिंगन 2. अँकवार; गोद 3. भेंट; नज़र; उपहार 4. रिश्वत; उत्कोच।
अँकोरना
[क्रि-स.] 1. आलिंगन करना; गले लगाना 2. गोद या झोली में लेना 3. रिश्वत देना 4. भूनना; गरम करना।
अँखिया
[सं-स्त्री.] 1. आँख; नेत्र 2. बरतनों पर कुछ लिखने या नक्काशी करने की कलम।
अँखुआ
[सं-पु.] 1. अंकुर; अंकुरण बिंदु 2. कल्ला; डाभ।
अँखुआना
[क्रि-अ.] 1. बीज, गुठली या गन्ने की पोत में से अखुँआ या अंकुर निकलना; अँकुराना; कल्ला फूटना 2. उठना; उगना; निकलना।
अँगड़ाई
[सं-स्त्री.] 1. जम्हाई लेते हुए शरीर को तानना; हाथ उठाकर शरीर को मोड़ना-तोड़ना; थकान दूर करने की शारीरिक क्रिया; अंग-विक्षेपण 2. {ला-अ.} परिवर्तन की
आकांक्षा के लिए तत्पर होना या क्रियाशील होना; सुप्तावस्था को त्यागना, जैसे- भाषण सुनकर जनता का उत्साह अँगड़ाई लेने लगा। [मु.] -तोड़ना : कुछ
काम न करना; निठल्ला रहना। -लेना : सक्रिय या गतिमान होना।
अँगड़ाना
[क्रि-अ.] अँगड़ाई लेना।
अँगना
(सं.) [सं-पु.] 1. घर के भीतर का खुला स्थान जो ऊपर से छाया न हो; सहन 2. चौक; अजिर 3. घर 4. आँगन; परिसर; प्रांगण।
अँगरखा
(सं.) [सं-पु.] एक परंपरागत मरदाना पहनावा जो लंबी बाँहों वाला और ढीला-ढाला होता है; एक प्रकार की अचकन; अंगा; चपकन।
अँगिया
[सं-स्त्री.] स्त्रियों द्वारा वक्ष पर पहना जाने वाला एक वस्त्र विशेष; कंचुकी; चोली; (ब्रा)।
अँगीठा
(सं.) [सं-पु.] आग जलाने की बड़ी अँगीठी; सिगड़ी; अंगारिका।
अँगीठी
(सं.) [सं-स्त्री.] आग जलाने का मिट्टी या लोहे का बना चूल्हे जैसा पात्र; बोरसी; सिगड़ी; अंगारिका।
अँगुली
(सं.) [सं-स्त्री.] हाथ या पैर की उँगली; अंगुलि; अँगुलिका।
अँगूठा
(सं.) [सं-पु.] 1. हाथ-पैर की पाँचों उँगलियों में सबसे पहली और मोटी उँगली 2. अंगुष्ठ; ठोंसा। [मु.] -दिखाना : किसी चीज़ को देने से मना करना;
अभिमानपूर्वक इनकार करना।
अँगूठाछाप
[वि.] दस्तख़त की जगह अँगूठा लगाने वाला; निरक्षर; अनपढ़; अँगूठाटेक।
अँगूठी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. हाथ की उँगलियों में पहनने का एक आभूषण; मुद्रिका; मुंदरी; (रिंग) 2. उँगलियों में पहनने का छल्ला।
अँगोछना
[क्रि-स.] 1. कपड़े से शरीर पोंछना 2. अँगोछे से देह पोंछना।
अँगोछा
[सं-पु.] शरीर या हाथ-मुँह पोंछने का वस्त्र; गमछा; तौलिया; (नैपकिन)।
अँगोछी
[सं-स्त्री.] 1. शरीर या हाथ-मुँह पोंछने का छोटा अँगोछा; हाथ-मुँह पोंछने का छोटा वस्त्र; साफ़ी 2. छोटी धोती।
अँगौरिया
[सं-पु.] मज़दूरी के बदले हल-बैल लेकर खेती करने वाला हलवाहा या किसान।
अँग्रेज़
[सं-पु.] इंग्लैंड का रहने वाला।
अँग्रेज़ियत
[सं-स्त्री.] 1. अँग्रेज़ों की तहज़ीब या व्यवहार; अँग्रेज़ जैसा चाल-चलन 2. अँग्रेज़ों की तरह का पहनावा या वेशभूषा।
अँग्रेज़ी
[सं-स्त्री.] अँग्रेज़ी भाषा; (इंग्लिश)। [वि.] अँग्रेज़ों से संबंधित; अँग्रेज़ी भाषा का।
अँग्रेज़ीदाँ
[सं-पु.] 1. अँग्रेज़ी भाषा का जानकार 2. अँग्रेज़ी रंग-ढंग से रहने वाला।
अँजुली
[सं-स्त्री.] दोनों हथेलियों को ऊपर की ओर जोड़ने से बनने वाला गड्ढा जिसमें पानी या कोई वस्तु भरकर दी जाती है; करसंपुट; चुल्लू; ओक; अंजुरी; अंजलि।
अँजोरना1
[क्रि-स.] 1. दीया आदि जलाना; घर में प्रकाश करना 2. स्वच्छ करना।
अँजोरना2
[क्रि-स.] 1. अंजलि में भरना या लेना 2. निकाल लेना; ले लेना 3. छीन लेना 4. समेट लेना।
अँजोरा
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रकाश; उजाला 2. प्रभात; उषाकाल 3. चंद्रिका; ज्योत्स्ना; चाँदनी 4. अँजोरी।
अँटना
[क्रि-अ.] 1. किसी वस्तु या पात्र के अंदर भर जाना; समाना; ठीक बैठना; ठीक नाप या माप का होना; यथेष्ट होना; पर्याप्त होना; पूरा पड़ना, जैसे- इस बक्स में सामान
अँट गया है 2. उपयोग से समाप्त होना; खप जाना।
अँटाना
[क्रि-स.] 1. पहले से नियत सीमित स्थान में गुंजाइश निकाल कर कोई चीज़ भरना या घुसाना 2. कोई चीज़ किसी समूह में इस तरह बाँटना कि कोई वंचित न रह जाए 3. इस तरह
कार्य करना कि कोई वस्तु पर्याप्त हो जाए।
अँटिया
[सं-स्त्री.] 1. पुआल, घास या पतली लकड़ियों का गट्ठर या छोटी-छोटी पुलियाँ; (बंडल) 2. दातूनों आदि का मुट्ठा।
अँटियाना
[क्रि-स.] 1. दो उँगलियों के बीच के स्थान में छिपाना; गायब करना; अदृश्य करना 2. अंटी में रखना या लेना 3. लपेटना; बाँधना 4. घास का गट्ठर बाँधना।
अँड़ुआ
[सं-पु.] बधिया या नपुंसक न किया गया बैल (साँड़) या अन्य जानवर।
अँतड़ी
(सं.) [सं-स्त्री.] प्राणियों के पेट की वह लंबी नली जिसमें उसके द्वारा खाई गई वस्तुओं का चयापचय होता है; आँत; ताँत। [मु.] -टटोलना : किसी के
मन की बात जानने का प्रयास करना। अँतड़ियाँ जलना : भूख से बेचैन होना। अँतड़ियाँ जलाना : किसी लक्ष्य के लिए कठोर श्रम या त्याग
करना।
अँदरसा
[सं-पु.] पिसे हुए भीगे चावलों से बनी एक मिठाई; अनरसा।
अँधियारा
(सं.) [सं-पु.] 1. अंधकार; अँधेरा 2. कोहरा; धुंध 3. {ला-अ.} अज्ञान; अराजकता। [वि.] 1. अंधकारपूर्ण 2. धुँधला 3. सुनसान और उदास।
अँधियारी
[सं-स्त्री.] 1. अँधेरी; अंधकार भरी 2. शिकारी जंतुओं अथवा घोड़ों की आँख पर बाँधने की पट्टी।
अँधेरा
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रकाश या उजाले के न होने की स्थिति या भाव; अंधकार; तमस; तिमिर 2. धुँधलापन 3. धुंध; कुहासा 4. {ला-अ.} निराशा; उदासी। [वि.] प्रकाशहीन;
अंधकारपूर्ण। [मु.] -होना : बुरा समय आना; कुछ समझ में न आना; जड़ हो जाना। -छा जाना : बहुत अंधकार होना; जीवन संकटग्रस्त
होना। अँधेरे घर का उजाला : किसी घर की प्रतिष्ठा; इकलौती संतान; बहुत सुंदर। अँधेरे मुँह : उजाला होते ही; भोर होते ही;
सुबह-सुबह। अँधेरे में टटोलना : अनजान जगह में कुछ मालूम करने की कोशिश करना; व्यर्थ कोशिश करना। अँधेरे में रखना : वास्तविक
बात या तथ्य को न कहना; कुछ छुपा लेना; अनभिज्ञ रखना। अँधेरे में तीर चलाना : अनुमान से कोई काम करना; अँधेरे में कुछ खोजना या टटोलना; तुक्का
मारना।
अँधेरा-उजाला
[सं-पु.] 1. दिन और रात के संधिकाल की स्थिति 2. रंगीन और सफ़ेद कागज़ों को ख़ास तरीक़े से लपेट कर बनाया गया एक खिलौना 3. {ला-अ.} जीवन का सुख और दुख;
उत्थान-पतन 4. भाग्यचक्र।
अँधेरा घुप्प
[सं-पु.] घोर अंधकार; जहाँ कुछ दिखाई न देता हो।
अँधेरा पक्ष
(सं.) [सं-पु.] कृष्ण पक्ष; हर माह में पूर्णिमा के बाद वाले दिन से अमावस्या तक के पंद्रह दिन।
अँधौटी
[सं-स्त्री.] घोड़े, बैलों आदि पशुओं की आँखों में बाँधा जाने वाला कपड़ा, परदा या पट्टी।
अँबिया
[सं-स्त्री.] 1. छोटा और कच्चा आम; आम्र 2. टिकोरा; अमिया।
अँबुआ
[सं-पु.] 1. आम का वृक्ष और फल 2. अँबिया।
अंक
(सं.) [सं-पु.] 1. शून्य से नौ तक की संख्या के सूचक चिह्न; (नंबर), जैसे- 1, 2, 3 आदि 2. संख्या; अदद 3. चिह्न; निशान; छाप 4. रूपक का एक प्रकार 5. नियत
समयांतराल पर प्रकाशित होने वाली पत्र-पत्रिकाओं की प्रति; संस्करण 6. नाटक का खंड या सर्ग 7. गोद; क्रोड़ 8. धारावाही किस्त 9. बाहों का घेरा; बगल। [मु.] -भरना : आलिंगन करना; गले लगना।
अंकक
(सं.) [सं-पु.] 1. चिह्न लगाने वाला 2. हिसाब लिखने वाला; आँकने वाला; मूल्य निरूपक 3. गिनती करने वाला; गणक 4. चिह्न या निशान लगाने का यंत्र।
अंकगणित
(सं.) [सं-पु.] 1. अंकों से बनी संख्याओं का अभिकलन करने वाली गणित की एक शाखा 2. संख्याओं का जोड़-घटाव, गुणा-भाग करने वाली विद्या; (अरिथमैटिक) 3. संख्याओं का
हिसाब 4. अंकतंत्र।
अंकगत
(सं.) [वि.] 1. अंक या गोद में लिया हुआ; आलिंगित 2. अंक में स्थित 3. पकड़ में आया हुआ 4. (नाटक के) अंक से संबंधित।
अंकधारण
(सं.) [सं-पु.] 1. शरीर पर धार्मिक चिह्न दगवाने की क्रिया 2. त्वचा पर गरम धातु से चक्र, त्रिशूल, शंख आदि छपवाना।
अंकन
(सं.) [सं-पु.] 1. रूपरेखा बनाना; खाका खींचना; चित्रण 2. चिह्न बनाने की क्रिया या भाव 3. लिखना या अंकित करना 4. शरीर पर विभिन्न प्रकार के गोदने उकेरना 5.
गिनती करना; गणना 6. चित्रांकन; उत्कीर्णन 7. मूल्यांकन।
अंकनपद्धति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अंकन का ढंग या प्रणाली 2. लिखने या दर्ज करने की पद्धति।
अंकनी
[सं-स्त्री.] 1. लेखनी; कलम 2. तूलिका; (ब्रश)।
अंकपत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. परीक्षा में प्राप्त अंकों की तालिका या विवरण-पत्र; प्राप्तांक-पत्र 2. अंक-सूची; (मार्क्सशीट)।
अंकपाश
(सं.) [सं-पु.] 1. आलिंगन की एक मुद्रा; बाँहों की गिरफ़्त; बाँहों का घेरा 2. गणित की एक क्रिया।
अंकमुख
(सं.) [सं-पु.] नाटक का आरंभिक भाग जिसमें कथानक संक्षेप में दिया जाता है; नाट्य आरंभ।
अंकयोग
(सं.) [सं-पु.] कुल प्राप्त अंकों का योग; (एग्रीगेट मार्क्स)।
अंकल
(इं.) [सं-पु.] 1. चाचा, मामा, फूफा आदि के संबोधन के लिए प्रयुक्त अँग्रेज़ी शब्द 2. माता-पिता के किसी परिचित-अपरिचित पुरुष के लिए सम्मानजनक संबोधन।
अंकविद्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अंकगणित 2. फलित ज्योतिष में अंकों से भविष्य बताने का शास्त्र।
अंकशायिनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बगल में या गोद में सोने वाली स्त्री 2. हमबिस्तर होने वाली स्त्री 3. पत्नी।
अंकशायी
(सं.) [सं-पु.] 1. अंक या बगल में सोने वाला 2. हमबिस्तर होने वाला पुरुष 3. पति।
अंकशास्त्र
(सं.) [सं-पु.] आँकड़े तैयार करने का विज्ञान; सांख्यिकी; (स्टेटिस्टिक्स; न्यूमरोलॉजी)।
अंकातर
(सं.) [सं-पु.] 1. नाटक में अंक परिवर्तन 2. दो अंकों के बीच का कथ्य।
अंकावतार
(सं.) [सं-पु.] नाटक में किसी अंक का वह भाग जिसमें अगले अंक की अभिनेय सामग्री का संकेत रहता है; एक नाट्य पद्धति जिसमें किसी अंक के अंत में कोई पात्र अगले
अंक की घटनाओं की सूचना देता है।
अंकास्य
(सं.) [सं-पु.] रूपक या नाटक का वह दृश्य जिसमें एक अंक की समाप्ति पर अगले अंक की शुरुआत की सूचना पात्रों द्वारा दी जाए।
अंकित
(सं.) [वि.] 1. चिह्नित; लिखित 2. चित्रित; मुद्रित 3. उत्कीर्ण; खुदा हुआ।
अंकितक
(सं.) [सं-पु.] कागज़ का वह छोटा टुकड़ा जिसपर किसी वस्तु, व्यक्ति आदि का नाम, पता, विवरण आदि लिखा हो; (लेबल)।
अंकित मूल्य
(सं.) [सं-पु.] 1. वस्तु का वह मूल्य जो उस पर अंकित रहता है; (फ़ेस वैल्यू) 2. किसी परिसंपत्ति का लेखे में प्रदर्शित मूल्य; खाता मूल्य; (बुक वैल्यू)।
अंकीकरण
(सं.) [सं-पु.] किसी वस्तु पर अंक डालना या लगाना।
अंकीय
(सं.) [वि.] 1. अंक संबंधी 2. अंक का 3. संख्यावाचक; (न्यूमेरिक)।
अंकुर
(सं.) [सं-पु.] 1. बीज, गुठली आदि में से निकलने वाला नया डंठल या अँखुआ; कल्ला; डाभ 2. कोंपल; पल्लव 3. कली; किसलय 4. बीजांकुर 5. {ला-अ.} किसी वस्तु या कार्य
का आरंभिक रूप; विकाससूचक चिह्न।
अंकुरण
(सं.) [सं-पु.] 1. अंकुर निकलना; बीज का अंकुरित होना; अँकुराना; (जरमिनेशन) 2. {ला-अ.} उत्पन्न होना; उद्भव; आरंभ 3. उद्गम; प्रस्फुरण 4. स्फुटन।
अंकुरित
(सं.) [वि.] 1. जिसका अंकुर निकल आया हो 2. अँखुआया हुआ; अंकुरयुक्त 2. {ला-अ.} प्रस्फुटित; आरंभ 4. {ला-अ.} उत्पन्न; उद्भूत। [मु.] -होना :
उत्पन्न या प्रस्फुटित होना; अंकुर के रूप में निकलना।
अंकुरित यौवना
(सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) वह नायिका जिसका यौवनकाल आरंभ हो रहा हो; किशोरी।
अंकुश
(सं.) [सं-पु.] 1. लोहे का दो नोक वाला भालेनुमा औज़ार जो हाथी पर काबू करने के लिए महावत इस्तेमाल करता है; गजबाँक 2. नियंत्रण; रोक; प्रतिबंध 3. नियामक वस्तु
4. किसी व्यक्ति या संस्था को मनमानी करने से रोकने के लिए तथा दायित्व निर्वाह के लिए उसके अधिकारों या शक्तियों का नियामक 5. दबाव। [मु.] -रखना : स्वतंत्रता न देना।
अंकुशकृमि
(सं.) [सं-पु.] कँटियों की तरह के मुँहवाले कीड़े जो मनुष्य की आँतों में पैदा होते हैं; (हुकवर्म)।
अंकुशित
(सं.) [वि.] 1. जिसपर अंकुश लगा हो; अंकुश द्वारा नियंत्रित 2. अंकुश द्वारा चलाया हुआ 3. {ला-अ.} ऐसा व्यक्ति जिसपर नियंत्रण लगाया गया हो; शासित; नियंत्रित।
अंकुसी
[सं-स्त्री.] 1. हुक; लोहे की टेढ़ी कील; लग्गी का काँटा 2. फँसाने वाला लकड़ी या लोहे का छोटा औज़ार जो लग्गी के सिरे पर बाँधा जाता है 3. लोहे की मुड़ी हुई
छड़ जो भट्ठी की राख झाड़ने के काम आती है 4. नारियल की गरी निकालने का छोटा औज़ार।
अंकेक्षक
(सं.) [सं-पु.] लेखा परीक्षक; लेखा, हिसाब या आय-व्यय के आँकड़ों की जाँच करने वाला अधिकारी; (ऑडिटर)।
अंकेक्षण
(सं.) [सं-पु.] लेखा परीक्षण; हिसाब-किताब या आय-व्यय के आँकड़ों की जाँच; (ऑडिट)।
अंकेक्षित लेखा
(सं.) [सं-पु.] वह लेखा या हिसाब जिसकी लेखा परीक्षक द्वारा जाँच हो गई हो।
अंक्य
(सं.) [वि.] 1. जिसका अंकन हो सकता हो; अंकनीय 2. अंकित करने योग्य; दागने योग्य 3. जिसका अंकन किया जाना हो। [सं-पु.] अंक या गोद में रखकर बजाया जाने वाला
वाद्य; पखावज; मृदंग।
अंग
(सं.) [सं-पु.] शरीर का कोई भाग, जैसे- हाथ, पैर आदि 2. साधन; हिस्सा 3. कार्य का भाग या अंश, जैसे-आँकड़े जुटाना शोधकार्य का एक आवश्यक अंग है 4. अवयव 5. किसी
संस्था या संगठन का विभाग, जैसे- भाषा-केंद्र, पुस्तकालय आदि विश्वविद्यालय के ही अंग हैं 6. पक्ष; आयाम; पार्श्व; तरफ़ 7. नाटक की पाँच संधियों में से एक।
[मु.] -उभरना : यौवन प्रारंभ होना; जवानी के लक्षण प्रकट होना। -टूटना : शरीर में पीड़ा होना; बहुत थकान होना। -लगना : शरीर से छू जाना; आलिंगन करना। -लगाना : गले लगाना; पास बुलाना। -न समाना : पुलकित या बहुत ख़ुश
होना; हुलसना। -अंग खिलना : पूरे शरीर या हाव-भाव से प्रसन्नता व्यक्त होना। -अंग टूटना : शरीर के सभी जोड़ों में दर्द होना। -ढकना : गुप्तांग छिपाना। -तोड़ मेहनत करना : बहुत मेहनत करना।
अंगघात
(सं.) [सं-पु.] एक जटिल रोग जिसमें शरीर का दायाँ या बायाँ हिस्सा निष्क्रिय या सुन्न हो जाता है; पक्षाघात; लकवा; फ़ालिज; (पैरालिसिस)।
अंगचालन
(सं.) [सं-पु.] शरीर को चलाना; हाथ-पैर हिलाना-डुलाना।
अंगच्छेद
(सं.) [सं-पु.] शरीर के किसी अंग को काटने की क्रिया या भाव; विच्छेदन; अंगच्छेदन।
अंगज
(सं.) [वि.] 1. देह से उत्पन्न, अंगजात 2. वैध (संतान)। [सं-पु.] 1. बेटा; पुत्र 2. कामवासना, क्रोध आदि मानसिक विकार 3. रोम 4. रक्त 5. पसीना 6. कामदेव 7.
(साहित्य) नायिका के सात्विक विकारों में से तीन- हाव, भाव और हेला।
अंगजा
(सं.) [सं-स्त्री.] बेटी; पुत्री। [वि.] जो शरीर से उत्पन्न हुई हो।
अंगड़-खंगड़
[वि.] 1. टूटा-फूटा; बचा-खुचा 2. बेकार; निरर्थक; रद्दी; अनुपयोगी (सामान) 3. बिखरा और अस्त-व्यस्त 4. विकृत।
अंग-तरंग
(सं.) [वि.] 1. जिससे मिलकर ख़ुशी मिलती हो 2. घनिष्ठ; आत्मीय।
अंगत्राण
(सं.) [सं-पु.] 1. अंग की रक्षा करने वाला आवरण; बख़्तर; कवच; वर्म 2. वस्त्र।
अंगद
(सं.) [सं-पु.] 1. (रामायण) राजा बालि का एक वीर पुत्र; राम की सेना का सेनापति 2. बाज़ूबंद नामक आभूषण।
अंगदान
(सं.) [सं-पु.] जीवित रहते हुए अथवा मरने के बाद उपयोग में आने लायक नेत्र या गुर्दा आदि अंगों का दूसरे ज़रूरतमंदों को किया जाने वाला दान।
अंगदेश
(सं.) [सं-पु.] आधुनिक बिहार राज्य के एक क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन जनपद।
अंगद्वार
(सं.) [सं-पु.] शरीर के नौ छिद्र- मुँह, दो नासिका, दो कान, दो नेत्र, गुदा और लिंग या योनि।
अंगद्वीप
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) छह द्वीपों में से एक।
अंगना
[सं-स्त्री.] 1. सुंदर अंगों वाली स्त्री; रूपवती युवती 3. प्रायः शब्दों में उत्तरपद के रूप में प्रयुक्त होने वाला शब्द, जैसे- वीरांगना, नृत्यांगना आदि।
अंगनाई
[सं-स्त्री.] मकान के भीतर का जनानख़ाने वाला आँगन; चौक।
अंगन्यास
(सं.) [सं-पु.] 1. शरीर या अंगों को विशेष स्थिति में रखना; शरीर मुद्रा 2. पूजा-अर्चना अथवा मंत्रोच्चारण करते हुए विभिन्न अंगों को पवित्र करने की धारणा से
किया जाने वाला स्पर्श।
अंग-प्रत्यंग
(सं.) [सं-पु.] शरीर का हर एक अंग।
अंगबद्ध
(सं.) [वि.] 1. अपने प्रिय के साथ आलिंगन में बँधा हुआ; आलिंगनबद्ध 2. किसी संगठन या संस्था के साथ जुड़ा हुआ; संबद्ध; (अफ़िलिएटेड)।
अंगभंग
(सं.) [सं-पु.] दंड देने के लिए या क्रोधावेश में शरीर के किसी अंग को भंग या खंडित किया जाना; किसी अंग को काट दिया जाना।
अंगभंगिमा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अंग संचालन द्वारा भावों की अभिव्यक्ति; हाव-भाव; अंग-भंगी; अदा 2. किसी को आकर्षित करने के लिए विभिन्न अंगों की मोहक चेष्टाएँ।
अंगभंगी
(सं.) [सं-स्त्री.] स्त्री या पुरुष की मनोहर आंगिक चेष्टाएँ; अदा; नाज़-नखरा।
अंगभू
(सं.) [सं-पु.] 1. कामदेव 2. पुत्र। [वि.] शरीर या देह से उत्पन्न।
अंगभूत
(सं.) [वि.] 1. अंतर्गत; समाविष्ट; समाहित 2. अंगस्वरूप 3. आधिकारिक या प्रशासनिक रूप से जुड़ा हुआ; संबद्ध।
अंगमर्दक
(सं.) [सं-पु.] 1. शरीर की मालिश करने वाला 2. शरीर दबाने वाला।
अंगमर्दन
(सं.) [सं-पु.] शरीर के अंगों को मलने या दबाने की क्रिया; मालिश; (मसाज)।
अंगमर्ष
(सं.) [सं-पु.] गठिया रोग।
अंगयष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] सुघड़ आकृति।
अंगरक्षक
(सं.) [सं-पु.] पदासीन राजनेताओं, बड़े ओहदेदारों या संपन्न-प्रभावशाली लोगों की रक्षा पर तैनात व्यक्ति या सिपाही; (बॉडीगार्ड)।
अंगराग
(सं.) [सं-पु.] 1. शरीर पर लगाने का उबटन, सुगंधित लेप; अंगलेप 2. शरीर को सजाने की सामग्री; प्रसाधन 3. पराग।
अंगराज
(सं.) [सं-पु.] (महाभारत) अंगदेश का राजा कर्ण।
अंगविक्षेप
(सं.) [सं-पु.] 1. अंगों को हिलाने-डुलाने की क्रिया; शारीरिक चेष्टा 2. बोलने, गाने जैसी क्रियाओं के दौरान हाथ-सिर आदि अंगों का हिलाना; अंग मटकाना; नृत्य;
नाच 3. कलाबाज़ी।
अंगविद्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. शरीर के अंगों की रचना तथा हथेली आदि देखकर जीवन की शुभाशुभ घटनाओं को जानने की विद्या; प्रश्नकर्ता की अंगभंगिमा को देखकर शुभाशुभ
विचारने वाली विद्या 2. सामुद्रिक विद्या; सामुद्रिक शास्त्र।
अंगविभ्रम
(सं.) [सं-पु.] अंगभ्रांति; एक ख़ास तरह का रोग जिसमें शरीर के किसी अंग के संबंध में कोई और अंग होने का भ्रम होता है।
अंगसंग
(सं.) [सं-पु.] संभोग; मैथुन; रतिक्रीड़ा।
अंगसेवक
(सं.) [सं-पु.] निजी सेवा-टहल में लगा हुआ नौकर; चाकर।
अंगहीन
(सं.) [वि.] 1. किसी ख़ास अंग से रहित; विकलांग; लँगड़ा; लूला 2. साधनहीन। [सं.पु.] अनंग; कामदेव।
अंगा
[सं-पु.] अँगरखा; चपकन।
अंगांगिभाव
[सं-पु.] 1. अंग (शरीर) और उसके उपांगों का संबंध 2. मुख्य और गौण का संबंध 3. पूर्ण और उसके किसी हिस्से का संबंध।
अंगाकड़ी
(सं.) [सं-स्त्री.] अंगारों पर सेक कर बनाई जाने वाली बाटी या लिट्टी।
अंगाधिप
(सं.) [सं-पु.] 1. अंगदेश का राजा; अंगाधीश; अंगराज 2. राजा कर्ण 3. जो ग्रह किसी लग्न का स्वामी होता है।
अंगाधीश
(सं.) [सं-पु.] 1. अंग देश का राजा; अंगराज।
अंगार
(सं.) [सं-पु.] 1. दहकता हुआ कोयला या लकड़ी का टुकड़ा; अंगारा 2. लाल रंग। [वि.] 1 जलते कोयले के समान लाल रंग का 2. लाल; रक्तिम। [मु.] -उगलना : अत्यंत क्रुद्ध होकर अपशब्द कहना। -बरसना : अत्यंत तेज़ गरमी होना।
अंगारक
(सं.) [सं-पु.] 1. जलता हुआ कोयला आदि 2. मंगल ग्रह; मंगलवार 3. भृंगराज; भांगरा; कटसरैया नामक पेड़ 4. कार्बन नामक रासायनिक तत्व।
अंगारपुष्प
(सं.) [सं-पु.] अंगारों की तरह लाल रंग के पुष्प वाला हिंगोष्ठ का पेड़; इंगुदी।
अंगारमंजरी
(सं.) [सं-स्त्री.] लाल पुष्प वाला पौधा; करौंदा।
अंगारमणि
(सं.) [सं-पु.] लाल या रक्तिम वर्ण का रत्न; मूँगा; विद्रुम।
अंगारमती
(सं.) [सं-स्त्री.] हाथ की उँगलियों में होने वाला गलका रोग।
अंगारा
[सं-पु.] 1. लकड़ी या कोयले का जलता, दहकता हुआ टुकड़ा 2. अग्निखंड; आग 3. शोला; शरारा। [वि.] तपा या दहकता हुआ; तप्त; गरम। [मु.]अंगारों पर चलना : बहुत जोखिम का काम करना। अंगारों से खेलना : दुस्साहस या जोखिम भरे काम करना। अंगारों पर लोटना : बहुत कष्ट उठाना। अंगारे बरसाना : बहुत गुस्सा होना।
अंगाराश्म
(सं.) [सं-पु.] कड़े पत्थर का कोयला; (ऐंथ्रासाइट)।
अंगारिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अँगीठी; सिगड़ी 2. ईख की पत्तियाँ 3. किंशुक या पलाश की कली।
अंगारिणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अँगीठी; सिगड़ी 2. संध्याकाल में सूर्य की लालिमा से युक्त दिशा।
अंगारित
(सं.) [वि.] अंगारों पर दग्ध किया हुआ; भूना हुआ; जलाया हुआ। [सं-पु.] किंशुक या पलाश की कली।
अंगारी
[सं-स्त्री.] 1. चिनगारी; छोटा अंगारा 2. अँगीठी 3. अंगारों पर तैयार की जाने वाली बाटी; लिट्टी। [वि.] तपाया हुआ; तप्त।
अंगिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्त्रियों के पहनने की अँगिया; कंचुकी; चोली; (ब्लाउज़) 2. बिहार के एक क्षेत्र विशेष की बोली।
अंगिरस
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) परशुराम के अवतार में विष्णु का एक शत्रु।
अंगिरा
(सं.) [सं-पु.] 1. एक ऋषि जो ब्रह्मा के दस मानसपुत्रों में से एक माने जाते हैं, सप्तर्षियों में से एक ऋषि; अंगिर 2. बृहस्पति 3. अंगिरस 4. अथर्ववेद के
प्रणेता।
अंगी
(सं.) [सं-पु.] 1. शरीर; देह 2 नाटक आदि का प्रधान पात्र या नायक 3. नाटक या काव्य का प्रधान रस। [वि.] 1. शरीरधारी; देहयुक्त; अंगोंवाला; अवयवयुक्त 2. प्रमुख
या प्रधान 3. अंशी।
अंगीकरण
(सं.) [सं-पु.] 1. अपने ऊपर लेने की क्रिया या भाव; अंगीकार या स्वीकार करना; अपनाना 2. स्वीकृति; आदान; मंज़ूरी; राज़ी होना 3. संबद्धता 4. प्रतिज्ञा; वादा।
अंगीकार
(सं.) [सं-पु.] 1. स्वीकृति; मंजूरी; ग्रहण करना 3. अपने ऊपर लेना 4. ज़िम्मेदारी उठाना।
अंगीकार्य
(सं.) [वि.] 1. अंगीकार या स्वीकार करने योग्य 2. जो स्वीकार होने वाला हो 3. न्यायसंगत; उचित; वाजिब।
अंगीकृत
(सं.) [वि.] 1. जिसको अंगीकार किया गया हो; अंगीभूत; अपनाया हुआ; गृहीत; स्वीकृत 2. संबद्ध।
अंगीभूत
(सं.) [वि.] 1. स्वीकृति प्रदान किया हुआ; सम्मिलित, शामिल 2. अंगीकृत।
अंगीय
(सं.) [वि.] 1. अंग संबंधी; शरीर संबंधी; दैहिक 2. अंगदेश संबंधी।
अंगुल
(सं.) [सं-पु.] 1. हाथ या पैर की उँगली; अंगुलि 2. लंबाई की एक छोटी माप 3. आठ जौ की चौड़ाई के बराबर नाप 3. उँगली की चौड़ाई भर की दूरी; बित्ते का बारहवाँ भाग।
अंगुलांक
(सं.) [सं-पु.] हाथ की उँगली या उँगलियों के निशान; (फ़िंगरप्रिंट)।
अंगुलास्थि
(सं.) [सं-स्त्री.] हाथ या पैर की उँगलियों की हड्डी।
अंगुलि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. हाथ या पैर की उँगली; अंगुलिका 2. हाथी की सूँड़ का अग्रभाग।
अंगुलिका
(सं.) [सं-स्त्री.] हाथ या पैर की उँगली; अंगुलि।
अंगुलिछाप
[सं-स्त्री.] उँगलियों के अग्रभाग की छाप जो पहचान के लिए ली जाती है; अंगुलांक; (फ़िंगर प्रिंट)।
अंगुलितोरण
(सं.) [सं-पु.] साधु-संतों द्वारा माथे पर बनाया जाने वाला चंदन का अर्धचंद्राकार चिह्न।
अंगुलित्र
(सं.) [सं-पु.] 1. तार से बना हुआ एक छल्ला जिसे उँगली में पहन कर सितार, वीणा आदि वाद्य यंत्र बजाए जाते हैं; मिज़राब 2. अंगुश्ताना; अँगुलित्राण।
अंगुलित्राण
(सं.) [सं-पु.] 1. खास चमड़े से बना दस्ताना जो बाण चलाने में रगड़ से बचने के लिए उँगलियों में पहना जाता है 2. अंगुश्ताना; दस्ताना।
अंगुलिमाल
(सं.) [सं-पु.] महात्मा बुद्धकालीन एक दस्यु जो लोगों को मारकर उनकी उँगलियों की माला बनाकर पहनता था तथा जिसने महात्मा बुद्ध के ज्ञान से प्रभावित होकर हिंसा
छोड़कर बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया था।
अंगुलिमुद्रा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. उँगली की छाप 2. नाम खुदी हुई अँगूठी 3. मुहर या सील का काम देने वाली अँगूठी।
अंगुली
(सं.) [सं-स्त्री.] दे. उँगली।
अंगुश्त
(फ़ा.) [सं-पु.] उँगली।
अंगुश्ताना
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. लोहे या पीतल की बनी हुई टोपी जो सिलाई के समय रगड़ से बचने के लिए उँगली में पहनी जाती है; अंगुलित्र 2. तीरंदाज़ी के समय उँगली पर पहनने के
लिए हड्डी या सींग की बनी अँगूठी।
अंगुष्ठ
(सं.) [सं-पु.] हाथ या पैर का अँगूठा।
अंगूर
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक मीठा और पौष्टिक छोटे आकार का फल या उसकी लता; द्राक्षा; दाख 2. मधुरसा। [मु.] -खट्टे होना : मनचाही वस्तु के प्राप्त न
होने पर अपनी कमी उजागर न करते हुए कोई और बहाना करना।
अंगूरी
(फ़ा.) [वि.] 1. अंगूर से बना हुआ 2. अंगूर के रंग का 3. अंगूर की लता की तरह। [सं-स्त्री.] 1. अंगूर की तरह का हलका हरा रंग 2. शराब।
अंगेज़
(फ़ा.) [पर-प्रत्य.] 1. उत्पन्न या उत्तेजित करने वाला; भड़काने वाला 2. प्रेरणादायी 3. किसी स्थिति या भाव को उत्पन्न करने वाला या उभारने वाला, जैसे-
हैरतअंगेज़।
अंगोच्छेदन
(सं.) [सं-पु.] शल्यक्रिया द्वारा किसी अंग को काटकर निकालना; विच्छेदन; (ऐप्यूटैशन)।
अंचल
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी बड़े क्षेत्र का वह हिस्सा जो अपनी पृथक विशेषताएँ रखता हो; जनपद; प्रांत 2. तट; किनारा 3. साड़ी या चुनरी का वह छोर जो छाती या पेट पर
रहता है 4. किसी वस्त्र का छोर 5. कोना।
अंचित
(सं.) [वि.] 1. झुका या मुड़ा हुआ; टेढ़ा; वक्राकार 2. घुँघराला (बाल) 3. गूँथा हुआ 4. सिला हुआ 5. सुंदर; सुडौल; व्यवस्थित 6. पूजित; अर्चित।
अंजन
(सं.) [सं-पु.] 1. काजल; सुरमा 3. स्याही 4. नीलगिरि पर्वत।
अंजनक
(सं.) [सं-पु.] 1. सुरमा; काजल 2. रसांजन।
अंजनगिरि
(सं.) [सं-पु.] नीलगिरि के पर्वत।
अंजनशलाका
(सं.) [सं-स्त्री.] सुरमा या अंजन लगाने की सलाई।
अंजनहारी
[सं-स्त्री.] 1. आँख की पलक पर होने वाली फुंसी; गुहेरी; बिलनी 3. एक प्रकार का कीड़ा जिसे भृंगी भी कहते हैं।
अंजना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (रामायण) हनुमान की माता का नाम; अंजनी 2. व्यंजना वृत्ति 3. गुहेरी 4. स्त्री।
अंजनानंदन
(सं.) [सं-पु.] अंजना या अंजनी के पुत्र हनुमान।
अंजनी
(सं.) [सं-स्त्री.] हनुमान की माता का नाम, अंजना।
अंजर-पंजर
[सं-पु.] 1. शरीर का ढाँचा; ठठरी; कंकाल 2. हड्डी-पसली। [मु.] -ढीला होना : थकावट के कारण शरीर का शिथिल होना।
अंजलि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दोनों हथेलियों को ऊपर की ओर जोड़कर बनने वाला गड्ढा; अँजुरी; करसंपुट 2. अंजलि भर वस्तु 3. अर्घ्य 4. उपहार।
अंजलिबद्ध
(सं.) [वि.] 1. करबद्ध 2. जो अंजलि या हाथ जोड़े हुए हो।
अंजली
(सं.) [सं-स्त्री.] दे. अंजलि।
अंजाम
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. परिणाम; नतीजा; फल 2. अंत; समाप्ति। [मु.] -तक पहुँचाना : पूरा करना या समाप्ति तक ले जाना।
अंजित
(सं.) [वि.] 1. जिसमें अंजन लगाया गया हो; अंजनयुक्त 2. {ला-अ.} जिसकी पूजा या आराधना की गई हो; आराधित।
अंजीर
(अ.) [सं-पु.] 1. गूलर की जाति का एक प्रसिद्ध वृक्ष; (फ़िग) 2. उक्त वृक्ष का फल।
अंजुम
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. सितारे; तारे 2. नज़्म का बहुवचन रूप।
अंजुमन
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. सभा; संस्था 2. मजलिस; महफ़िल।
अंट-शंट
[सं-पु.] 1. अनर्गल प्रलाप; बकवास 2. बदतमीज़ी; अशोभन बातें 3. अप्रासंगिक; क्रमहीन।
अंटा
[सं-पु.] 1. बड़ी गोली; मोटा कंचा 2. बड़ी कौड़ी 3. सूत या रेशम का लच्छा।
अंटाचित
[वि.] 1. पीठ के बल चित 2. पूरी तरह पराजित 3. मदहोश; बेसुध 4. स्तब्ध 5. बर्बाद 6. बेकार।
अंटी
[सं-स्त्री.] 1. दो उँगलियों के बीच की जगह 2. धोती की कमर के ऊपर की लपेट 3. टेंट 4. गाँठ 5. अटेरन 6. सूत या रेशम की लच्छी 7. कुश्ती का एक दाँव 8. {ला-अ.} मन
की गाँठ 9. छोटी वाली बाली 10. बिगाड़। [मु.] -ढीली करना : जेब से पैसे निकालना। -मारना : चालाकी से कोई चीज़ दबा या छिपा
लेना।
अंटीबाज़
[वि.] दगाबाज़; फ़रेबी; धूर्त; जुआरी; ठग।
अंठी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी गीली चीज़ की बँधी हुई गाँठ या जमा हुआ थक्का 2. गुठली; बीज 3. गिलटी 4. घुंडी।
अंड
(सं.) [सं-पु.] 1. अंडा 2. फोता; अंडकोश 3. वीर्य; शुक्राणु 3. ब्रह्मांड; परमाणु।
अंडकोश
(सं.) [सं-पु.] 1. नर प्राणी में शुक्राणु पैदा करने वाला अंग; वृषण; फोता 2. ब्रह्मांड; विश्व।
अंडग्रंथि
(सं.) [सं-स्त्री.] अंडकोश की वह ग्रंथि जिसमें से शुक्राणु निकलते हैं।
अंडज
(सं.) [सं-पु.] अंडे से उत्पन्न होने वाले प्राणी, जैसे- पक्षी, साँप आदि।
अंडजा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कस्तूरी 2. मादा पक्षी।
अंडबंड
[वि.] 1. बेकार; निरर्थक; सारहीन; ऊटपटांग; भद्दा 2. अप्रासंगिक 3. बेतहाशा। [सं-पु.] 1. बेसिर-पैर की बात; बकवास 2. गाली-गलौज।
अंडर
(इं.) [क्रि.वि.] 1. नीचे; नीचे की तरफ़; तल में 2. घट कर या कमतर 3. अधीनता में।
अंडरग्राउंड
(इं.) [वि.] 1. भूमि के नीचे का 2. भूमिगत; गुप्त, जैसे- जेल से फ़रार होकर आंदोलनकारी अंडरग्राउंड हो गए।
अंडरग्रैजुएट
(इं.) [वि.] 1. स्नातक उपाधि के लिए अध्ययनरत 2. पूर्वस्नातक।
अंडरलाइन
(इं.) [क्रि-स.] किसी लिखी हुई बात का महत्व दिखाने के लिए उसके नीचे लकीर खींचकर रेखांकित करना।
अंडरवर्ल्ड
(इं.) [सं-पु.] 1. अपराधियों और माफ़ियाओं की दुनिया या समाज; अपराध जगत; संगठित अपराध जगत 2. अधोलोक।
अंडरवियर
(इं.) [सं-पु.] 1. अधोवस्त्र के नीचे पहनने के कपड़े, जैसे- जाँघिया, कच्छा 2. अंतर्वस्त्र; अंतर्परिधान।
अंडरस्टैंडिंग
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. बुद्धि; समझ 2. सहमति; आपसदारी; सामंजस्य; तालमेल; आपसी समझ।
अंडवृद्धि
(सं.) [सं-स्त्री.] पुरुषों में अंडकोश या फोता बढ़ने का रोग; (हाइड्रोसील)।
अंडा
[सं-पु.] 1. वह गोलाकार पिंड या खोल जिसके अंदर से मछली, मुर्गी, साँप आदि के बच्चे निकलते हैं 2. भ्रूण की आरंभिक अवस्था 3. शून्य। [मु.] अंडे सेना : वह क्रिया जिसके तहत मुर्गी या अन्य कोई पक्षी एक निश्चित अवधि तक अंडे पर बैठकर उसे अपने बदन की गरमी प्रदान करते हैं जिससे अंडे
में से बच्चा निकलता है; चुपचाप घर में बैठे रहना; कुछ न करना; निठल्ला बैठे रहना।
अंडाकार
(सं.) [वि.] अंडे के आकार का; लंब-गोल आकृति वाला।
अंडाकृति
(सं.) [सं-स्त्री.] अंडे की आकृति। [वि.] अंडे की आकृतिवाला।
अंडाणु
(सं.) [सं-पु.] वह कोशिका जिससे जीव का भ्रूण बनता है; डिंब; स्त्री-बीज; बीजाणु; (ओवम)।
अंडाशय
(सं.) [सं-पु.] मादा प्राणी में अंड अथवा डिंब विकसित होने की जगह; (ओवरी)।
अंडी
[सं-पु.] 1. एरंड का पेड़ 2. एरंड का बीज 3. मोटा रेशम।
अंतः
(सं.) [पूर्वप्रत्य.] 1. तत्सम शब्दों के साथ प्रयुक्त होकर शब्द से द्योतित वस्तु, भाव या क्रिया के अंदर का या मध्य का होने का अर्थ देता है, जैसे- अंतःश्वसन
अर्थात श्वास अंदर खींचना 2. यह प्रत्यय कहीं विसर्ग रूप 'अंतः' के साथ प्रयुक्त होता है, (जैसे- अंतःकरण) और कहीं 'अंतर' (अंतर्ज्ञान), अंतश् (अंतश्चेतना) या
अतंस् (अंतस्सार) के रूप में।
अंतःकथा
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी कथा में सांकेतित या वर्णित कोई अन्य कथा या घटना; अंतर्कथा।
अंतःकरण
(सं.) [सं-पु.] 1. अच्छे-बुरे का विवेक करने वाली भीतरी इंद्रिय या चेतना; अंतरात्मा 2. शरीर में विचार, ज्ञान या सुख-दुख के अनुभव का साधन; हृदय; मन; चित्त 3.
चार वृत्तियों (मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार) का समेकित रूप।
अंतःकरणीय
(सं.) [वि.] 1. अंतःकरण से संबंधित 2. मनोविज्ञानीय।
अंतःकोण
(सं.) [सं-पु.] 1. भीतरी कोण (रेखागणित) 2. त्रिभुज या बहुभुज के अंदर का कोण।
अंतःक्रिया
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. भीतर ही भीतर चलने वाली क्रिया; अंतर्क्रिया 2. (धर्म) मन को पवित्र बनाने वाला कर्म 3. (रसायन) निश्चित ताप-दबाव के अंतर्गत तत्वों के
मेल से होने वाली रासायनिक क्रिया-प्रतिक्रिया 4. परस्पर संवाद या क्रिया।
अंतःक्षिप्त
(सं.) [वि.] 1. बीच में व्यतिक्रम से आया हुआ 2. जिसका शरीर में अंतःक्षेप हुआ हो; सुई द्वारा जो अंदर प्रविष्ट कराया गया हो; (इंजेक्टेड)।
अंतःक्षेत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. अंदर का स्थान या क्षेत्र 2. घिरा हुआ स्थान।
अंतःक्षेत्रक
(सं.) [वि.] दो या अधिक क्षेत्रों को परस्पर काटने वाला अथवा काटने से बना।
अंतःक्षेप
(सं.) [सं-पु.] सुई लगाना; सुई द्वारा शरीर के अंदर दवा आदि प्रविष्ट कराने की क्रिया।
अंतःक्षेपण
(सं.) [सं-पु.] 1. अंदर फेंकना 2. सुई लगाने की क्रिया; (इंजेक्शन)।
अंतःचक्षु
(सं.) [सं-पु.] अंतर्चक्षु; भीतरी आँख; मन की आँख; अंतर्दृष्टि।
अंतःपत्रित
(सं.) [वि.] (फ़ाइल या पुस्तक आदि) जिसके पन्नों के मध्य में संशोधन-परिवर्धन अथवा टिप्पणी आदि के लिए कोरे कागज़ लगे हों।
अंतःपरायण
(सं.) [वि.] अंतःकरण के निर्णय को मानने वाला; विवेकशील; नीतिवान; ईमानदार।
अंतःपरिधान
(सं.) [सं-पु.] शरीर पर धारण किए गए बाहरी परिधान के अंदर सबसे नीचे पहनने के वस्त्र, जैसे- जाँघिया, बनियान आदि; अंतर्वस्त्र (अंडरवियर)।
अंतःपरिधि
(सं.) [सं-स्त्री.] परिधि के भीतर का स्थान; दायरे के भीतर का खाली स्थान या स्पेस।
अंतःपुर
(सं.) [सं-पु.] 1. महल या घर का वह भाग जो स्त्रियों के निवास के लिए निश्चित हो; जनानख़ाना; रनिवास; हरम 2. शयनकक्ष।
अंतःप्रकृति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मूल स्वभाव; आत्मिक अभिरुचि; 2. मन; हृदय।
अंतःप्रजनन
(सं.) [सं-पु.] 1. एक ही नस्ल के पशुओं में प्रजनन; सजातीय प्रजनन; (इनब्रीडिंग) 2. निकट संबंध वाले पौधों या प्राणियों के बीच जैविक प्रजनन।
अंतःप्रज्ञ
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जिसे तत्व या ब्रह्म का ज्ञान हो; प्रज्ञावान 2. आत्मज्ञानी; तत्वदर्शी; विवेकवान व्यक्ति।
अंतःप्रज्ञा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मनुष्य को अपने अंतर्मन, बाह्य जगत, जीवन के शाश्वत सत्यों और दूसरे के मन का स्वतः होने वाला प्रत्यक्ष ज्ञान; (इनट्यूशन) 2. आत्मज्ञान;
तत्वदर्शन।
अंतःप्रतिरोध
(सं.) [सं-पु.] 1. शारीरिक संरचना के अंदर की रोग-प्रतिरोधी क्षमता 2. मनोविश्लेषण में अचेतन को चेतन में आने से रोकने वाली शक्तियों का नाम 3. किसी संस्था या
संगठन के अंदर से उठने वाला विरोधी स्वर।
अंतःप्रवाह
(सं.) [सं-पु.] अंदर ही अंदर बहने वाली धारा; अंतर्धारा।
अंतःप्रवृत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] आंतरिक प्रवृत्ति; अंदर का रुझान; मूल स्वभाव।
अंतःप्रांतीय
(सं.) [वि.] 1. किसी प्रांत या प्रदेश के अंदर का; अंतःप्रादेशिक 2. किसी प्रांत के अंदर के किसी भाग से संबंध रखने वाला।
अंतःप्रादेशिक
(सं.) [वि.] 1. किसी प्रदेश विशेष के भीतर स्थित 2. प्रदेश के भीतरी भाग से संबंधित 3. दो या दो से अधिक प्रांतों से संबंध रखने वाला; अंतःप्रांतीय।
अंतःप्रेरणा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मन की स्वाभाविक प्रेरणा; सहज प्रेरणा; अंतःप्रज्ञा 3. अंतरात्मा की आवाज़ 3. कला-साहित्य आदि की रचना के लिए प्रेरित करने वाली आंतरिक
वृत्ति।
अंतःशिरा
(सं.) [सं-स्त्री.] शरीर में रक्तवाहिनी शिरा या शिराओं का जाल।
अंतःशुद्धि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अंतःकरण की शुद्धि; हृदय को निर्मल करने की क्रिया 2. चित्त की शुद्धि 3. आंतरिक शुद्धि; चित्त या मन को विकारमुक्त करना।
अंतःश्वसन
(सं.) [सं-पु.] साँस अंदर खींचने की क्रिया; फेफडे में वायु भरना।
अंतःसंचार
(सं.) [सं-पु.] 1. एक से अधिक स्थानों अथवा देशों आदि में परस्पर संपर्क करने की क्रिया या भाव; (इंटरकम्यूनिकेशन) 2. दो संस्थाओं का पारस्परिक समाचार आदि का
आदान-प्रदान।
अंतःसंबंध
(सं.) [सं-पु.] दे. अंतस्संबंध।
अंतःसत्व
(सं.) [वि.] जो अंदर से शक्तिशाली हो; जिसके अंदर शक्ति हो। [सं-पु.] 1. एक प्रकार का वृक्ष; भिलावा 2. भिलावा का फल।
अंतःसत्वा
(सं.) [सं-स्त्री.] गर्भवती स्त्री।
अंतःसलिला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह नदी जिसकी धारा भूमि के अंदर ही अंदर बहती है और ऊपर दिखाई नहीं देती; सरस्वती नदी 2. {ला-अ.} हृदय में उठने वाला उत्साह या उमंग का
भाव; भावविह्वलता।
अंतःसाक्ष्य
(सं.) [सं-पु.] अंदर ही मिलने वाला साक्ष्य या प्रमाण; आंतरिक प्रमाण 2. किसी वस्तु के संबद्ध तथ्यों के बारे में स्वयं उसके अंदर से ही निकलने वाला साक्ष्य या
प्रमाण।
अंतःसार
(सं.) [सं-पु.] 1. अंतरात्मा 2. भीतरी तत्व 3. अहंकार, मन और बुद्धि का योग। [वि.] भारी; प्रबल; बलवान; दृढ़।
अंतःस्फुरण
(सं.) [सं-पु.] बिना चिंतन या तर्क के मन में अनायास उठने वाली बात; स्वतःस्फूर्त बात।
अंत
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी बात या कार्य की अंतिम अवस्था; अवसान; समाप्ति; खात्मा 2. वह स्थान जहाँ कोई वस्तु समाप्त होती है; सिरा; छोर; सीमा 3. परिणाम; फल 4.
नाश; मृत्यु 5. समाप्ति; पराकाष्ठा 6. कथा फलागम 7. उपसंहार; समापन। [मु.] -करना : समाप्त या विनष्ट करना। -पाना : किसी बात
या तथ्य का मर्म जानना। [मु.] -होना : मर या मिट जाना।
अंतक
(सं.) [सं-पु.] 1. मौत; मृत्यु; काल 2. शिव; यमराज। [वि.] 1. अंत करने वाला 2. समाप्त करने वाला।
अंतकाल
(सं.) [सं-पु.] 1. अंतिम समय; आख़िरी वक्त 2. आसन्न मृत्यु के क्षण; मरने की घड़ी; मरणबेला 3. समाप्ति और नाश का समय।
अंतक्रिया
(सं.) [सं-स्त्री.] मृतक का अंतिम संस्कार; अंत्येष्टि; मृतक-क्रिया।
अंतगति
(सं.) [सं-स्त्री.] मरण; मृत्यु। [वि.] 1. अंत को प्राप्त होने वाला 2. नाशवान; नष्ट होने वाला।
अंतगामी
(सं.) [वि.] 1. अंत या समाप्ति तक जाने वाला 2. नष्ट होने वाला; नाशवान; मृत्यु तक पहुँचने वाला 3. अंतगति।
अंतज
(सं.) [वि.] सबसे अंत में उत्पन्न होने वाला।
अंततः
(सं.) [अव्य.] और अंत में; सब उपाय चूक जाने पर; अंततोगत्वा; आख़िरकार, जैसे- अंततः उसे पुस्तक मिल ही गई।
अंततोगत्वा
(सं.) [अव्य.] अंतत; आख़िरकार; कुल मिलाकर; निष्कर्षतः।
अंतभेदी
(सं.) [सं-पु.] युद्ध में एक तरह का व्यूह।
अंतर1
(सं.) [सं-पु.] 1. फ़र्क; भिन्नता; भेदभाव 2. किन्हीं दो स्थानों के बीच का फ़ासला; स्थान संबंधी दूरी 3. (गणित) शेष; बचा हुआ 4. समय संबंधी दूरी; अवकाश 6.
अंतःकरण; हृदय; मन 5. बीच; भीतर का भाग 6. (गणित) दो अंकों में एक का दूसरी से अधिकता का परिणाम। [वि.] 1. आसन्न; निकट 2. भीतर का; आंतरिक 3. भिन्न; दूसरा 4.
परस्पर। [परप्रत्य.] भिन्न; अन्य; 'दूसरा' के अर्थमें प्रयुक्त, जैसे- देशांतर, कालांतर।
अंतर2
(सं.) [परप्रत्य.] इंग्लिश 'इंटर' के समान विभिन्न इकाइयों के बीच के पारस्परिक संबंधों का द्योतन करता है, जैसे- अंतरजातीय (एक से अधिक जातियों के बीच);
अंतरराष्ट्रीय (एकाधिक राष्ट्रों के मध्य)।
अंतरंग
(सं.) [वि.] 1. पूरी तरह व्यक्तिगत; निजी; (पर्सनल) 2. अभिन्न 3. आंतरिक; आपसी; करीबी; अंदरूनी 3. आत्मीय; अत्यंत निकट का; प्रिय; घनिष्ठ; ख़ास 4. गोपनीय 5.
पारिवारिक। [सं-पु.] 1. शरीर के आंतरिक अंग 2. आत्मीय जन; स्वजन।
अंतरंगता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अंतरंग होने की अवस्था या भाव; अभिन्नता 2. नज़दीकी; आत्मीयता; घनिष्ठता; निकटता; प्रगाढ़ता।
अंतरंगी
(सं.) [सं-पु.] 1. जिससे बहुत घनिष्ठता हो; आत्मीय जन 2. जिससे निजी बातें कही जा सकती हों। [वि.] 1. आंतरिक; भीतरी 2. अतिप्रिय; घनिष्ठ।
अंतर-अयन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी तीर्थ स्थान के अंदर पड़ने वाले मुख्य देवस्थलों की यात्रा 2. किसी तीर्थ की परिक्रमा।
अंतरक
(सं.) [सं-पु.] अपनी चल-अचल संपत्ति किसी और के नाम करने वाला; अंतरण करने वाला; (ट्रांसफ़रर)। [वि.] 1. अंतर करने वाला 2. फ़ासला पैदा करने वाला; दूरी बढ़ाने
वाला।
अंतरकालीन
(सं.) [वि.] बीच का; दौरान का।
अंतरजातीय
(सं.) [वि.] दो या अधिक जातियों के बीच होने या पाया जाने वाला या उनसे संबंधित, जैसे- अंतरजातीय विवाह।
अंतरज्ञ
(सं.) [वि.] 1. अंदरूनी जानकारी रखने वाला; भेद या रहस्य जानने वाला; रहस्यज्ञ 2. अंतर या हृदय की बात समझने वाला 3. वह आत्मीय व्यक्ति जिससे हृदय की बात साझा
की जाती हो।
अंतरण
(सं.) [सं-पु.] 1. दान, विक्रय आदि के ज़रिए संपत्ति के स्वामित्व का दूसरे के पास जाना या हस्तांतरण किया जाना 2. किसी कर्मचारी-अधिकारी का एक जगह से दूसरी जगह
तबादला या स्थानांतरण; (ट्रांसफ़र) 3. धन या रकम का एक खाते या मद से दूसरे खाते या मद में डाला जाना; (ट्रांसफ़रेंस)।
अंतरणकर्ता
(सं.) [सं-पु.] अंतरण करने वाला।
अंतरणपत्र
(सं.) [सं-पु.] अंतरण के लिए आदेश से संबंधित या उसके प्रमाणस्वरूप जारी किया जाने वाला कागज़; (ट्रांसफ़र डीड)।
अंतरणीय
(सं.) [वि.] 1. जिसे दूसरे को प्रदान किया जा सके; जिसका अंतरण हो सके; हस्तांतरणीय 2. जिसे दूसरी जगह पर भेजा जा सके; स्थानांतरणीय; (ट्रांसफ़रेबल)।
अंतरतम
(सं.) [वि.] 1. पूर्ण रूप से आंतरिक; भीतरी; सर्वाधिक अंदरूनी 2. सबसे घनिष्ठ; आत्मीय; अतिविश्वस्त। [सं-पु.] 1. सबसे अंदर वाला भाग 2. हृदय का आंतरिक स्थल 3.
हृदय; मन।
अंतरदर्शी
(सं.) [वि.] 1. अंदर का हाल जान लेने वाला 2. आत्मनिरीक्षक। [सं-पु.] गहरा चिंतक या दार्शनिक; लेखक।
अंतरदेशीय
(सं.) [वि.] 1. दो या अधिक देशों या स्थानों के बीच होने या पाया जाने वाला या उनसे संबंधित 2. एक देश से दूसरे देश में संप्रेषित होने वाला।
अंतरपट
(सं.) [सं-पु.] 1. दो वस्तुओं या व्यक्तियों के मध्य स्थित परदा जो भिन्नता सूचक हो 2. विवाह के समय वर और वधू के बीच आड़ करने वाला परदा 3. {ला-अ.} मन पर पड़ा
हुआ अज्ञान का परदा।
अंतरपुरुष
(सं.) [सं-पु.] 1. अंतःकरण में स्थित जीव को प्रेरित करने वाला ईश्वर 2. आत्मा।
अंतरप्रादेशिक
(सं.) [वि.] 1. दो या अधिक प्रदेशों से संबंधित 2. दो या अधिक प्रदेशों में होने वाला 3. अंतरराज्यीय; अंतरप्रांतीय; (इंटरस्टेट)।
अंतरभिमुखी
(सं.) [वि.] 1. जो अपने में ही खोया रहता हो 2. आत्मकेंद्रित; अंतर्मनस्क।
अंतरराष्ट्रीय
(सं.) [वि.] 1. संसार के विभिन्न राष्ट्रों से संबद्ध; विश्वस्तरीय; (इंटरनैशनल) 2. दो या अधिक राष्ट्रों के पारस्परिक व्यवहार से संबंधित।
अंतरवयव
(सं.) [सं-पु.] 1. भीतर के अवयव 2. शरीर के आंतरिक या भीतरी अंग।
अंतरशायी
(सं.) [वि.] भीतर स्थित; अंदर रहने वाला। [सं-पु.] चित्त या अंतर में स्थित; जीवात्मा।
अंतरस्थ
(सं.) [वि.] 1. भीतर या अंतर्मन में स्थित; आंतरिक 2. मध्य में रहने वाला 3. हृदय में रहने वाला।
अंतरा
(सं.) [सं-स्त्री.] मुखड़े को छोड़कर गीत का शेष भाग; गीत की टेक से अगली पंक्तियाँ; गीत के चरण। [क्रि.वि.] 1. बीच-बीच में; यदा-कदा 2. पारस्परिक रूप से 3.
प्रसंगतः।
अंतरात्मक
(सं.) [वि.] 1. अंतर संबंधी 2. अंतर या भेद का सूचक 3. भेद पर आधारित; भेदात्मक।
अंतरात्मा
(सं.) [सं-पु.] 1. अंतःकरण; अंतर्मन 2. प्राणी की आत्मा; जीवात्मा।
अंतराय
(सं.) [सं-पु.] 1. बाधा; विघ्न; अड़चन; रोड़ा 2. ओट 3. मन की एकाग्रता में उत्पन्न होने वाला विघ्न।
अंतरायण
(सं.) सं-पु.] 1. किसी व्यक्ति को उसके घर में ही कैद करके रखना; नज़रबंदी 2. युद्धरत देशों के सैनिकों और जहाज़ों को तटस्थ देशों की सीमा में निरस्त्रीकरण करके
प्रवेश से रोका जाना।
अंतराल
(सं.) [सं-पु.] 1. फ़ासला; दूरी 2. लंबाई; विस्तार 3. मध्यवर्ती स्थान या काल 4. बीच या भीतर का भाग 5. मध्यांतर; मध्यावकाश (इंटरवल)।
अंतरावधि
(सं.) [सं-स्त्री.] बीच की अवधि या समय; मध्यांतर; दो घटनाओं के बीच का समय।
अंतरावयव
(सं.) [सं-पु.] 1. शरीर के भीतरी अंग 2. किसी वस्तु का आंतरिक भाग।
अंतरावरोधित
(सं.) [वि.] जिसे चलने या जाने के समय बीच में ही पकड़ या रोक लिया गया हो; बीच में रोका या पकड़ा गया; (इंटरसेप्टेड)।
अंतरावर्त
(सं.) [वि.] 1. वृत्त के बीच 2. जो किसी घेरे या वृत्त के अंदर हो।
अंतरिक्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. पृथ्वी और अन्य ग्रहों के चारों ओर का स्थान 2. आकाश; खगोलमंडल; (स्पेस) 3. शून्य।
अंतरिक्ष-किरण
(सं.) [सं-स्त्री.] अंतरिक्ष से आने वाली एक प्रकार की किरण जिसकी भेदन क्षमता अधिक होती है।
अंतरिक्षचारी
(सं.) [सं-पु.] पक्षी। [वि.] आकाश में संचरण करने वाला; नभचर; खेचर।
अंतरिक्षज्ञ
(सं.) [सं-पु.] अंतरिक्ष के ग्रहों-उपग्रहों के संबंध में अनुसंधान करने वाला; अंतरिक्ष विज्ञानी; (कॉज़्मालॉजिस्ट)।
अंतरिक्षयात्री
(सं.) [सं-पु.] रॉकेट आदि की सहायता से अंतरिक्ष की खोजी यात्राएँ करने वाला; (ऐस्ट्रोनॉट)।
अंतरिक्ष-विज्ञान
(सं.) [सं-पु.] वह विज्ञान जो अंतरिक्ष में स्थित ग्रहों-उपग्रहों का वैज्ञानिक अध्ययन करता है; (कॉज़्मॉलॉजी)।
अंतरिक्षिकी
(सं.) [सं-स्त्री.] अंतरिक्ष विज्ञान; अंतरिक्षशास्त्र।
अंतरिक्षीय
(सं.) [वि.] अंतरिक्ष का; अंतरिक्ष से संबंधित; खगोलीय; ब्रह्मांडीय।
अंतरित
(सं.) [वि.] किसी एक व्यक्ति से दूसरे को अंतरण किया हुआ; स्थानांतरित; (ट्रांसफ़र्ड)।
अंतरितक
(सं.) [सं-पु.] वह जो अपनी संपत्ति और उससे संबंधित अधिकार आदि दूसरे के हाथ में दे या सौंपे; अंतरक; (ट्रांसफ़रर)।
अंतरिती
(सं.) [सं-पु.] दूसरे की संपत्ति तथा उससे संबंधित अधिकार प्राप्त करने वाला; वह जिसके पक्ष में अंतरण हो; (ट्रांसफ़री)।
अंतरिम
(सं.) [वि.] 1. मध्यवर्ती; दरमियानी; बीच का; स्थानापन्न 2. अंतिम निर्णय से पहले की (व्यवस्था); कामचलाऊ 3. अंतराकालीन; अल्पकालीन 4. तदर्थ; कुछ दिनों का 5.
अँग्रेज़ी शब्द 'इंटरिम' से ध्वनि साम्य के आधार पर गढ़ा गया समानार्थी शब्द।
अंतरीप
(सं.) [सं-पु.] 1. द्वीप; टापू 2. ऐसा भूखंड जिसके तीन ओर समुद्र हो; (केप)।
अंतरीय
(सं.) [सं-पु.] अंदर पहनने का ख़ास कपड़ा; अंतर्वस्त्र; (अंडरवियर); अँतरौटा। [वि.] भीतर का।
अंतर्कथा
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी प्रसंग में सांकेतित या अंतर्निहित कोई अन्य कथा, घटना या बात।
अंतर्कलह
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी एक पक्ष या समूह के लोगों में ही कलह या विवाद 2. शत्रुओं की बजाय आपस में ही झगड़ने की क्रिया या भाव।
अंतर्गत
(सं.) [वि.] 1. अंदर समाया हुआ; समाविष्ट; सम्मिलित; शामिल; (इनक्लुडिड) 2. किसी के अंग के रूप में उसमें शामिल 3. अधीन।
अंतर्गति
(सं.) [सं-स्त्री.] भावना; मन की वृत्ति।
अंतर्गिरि
(सं.) [सं-पु.] 1. पर्वत का आंतरिक भाग 2. हिमालय का वह अंदरूनी हिस्सा जिसमें 18-20 हजार फुट से अधिक ऊँची चोटियाँ हैं (गौरीशंकर, धवलगिरि, नंगा पर्वत आदि का
समूह)।
अंतर्गुट
(सं.) [सं-पु.] किसी बड़े समूह या संगठन के अंतर्गत छोटा गुट या मंडली। [वि.] दो या अधिक छोटे गुटों के बीच का।
अंतर्ग्रथित
(सं.) [वि.] 1. भीतर से गुँथा हुआ; अंदर से संबद्ध किया हुआ 2. परस्पर ग्रंथित; परस्पर संबद्ध।
अंतर्जगत
(सं.) [सं-पु.] 1. आंतरिक जगत 2. अंदर या चित्त का संसार; मनोजगत।
अंतर्जात
(सं.) [वि.] 1. भीतरी भाग से उत्पन्न होने वाला 2. अपने आप पैदा होने वाला।
अंतर्ज्ञान
(सं.) [सं-पु.] 1. अंतर्बोध; मन में होने वाला ज्ञान; स्वतः स्फुरित ज्ञान; (इनट्यूशन) 2. आत्मज्ञान; अंतःकरण की चेतना 3. सहज ज्ञान; मन में आने वाला
सहज-स्वाभाविक ज्ञान जिससे कोई बात अनायास समझ में आ जाती है।
अंतर्ज्योति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. भीतर का प्रकाश; भीतर की चेतना 2. आध्यात्मिक प्रकाश या आलोक। [वि.] जिसकी आत्मा प्रकाशमान हो; जो अंदर से चैतन्य हो।
अंतर्ज्वाला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मन के भीतर की आग; प्रचंड भावावेग 2. आंतरिक ज्वाला 3. हृदय की आग; क्रोध 4. शोक; चिंता; संताप 5. यंत्रणा जो अग्नि के समान कष्ट देती है।
अंतर्दर्शन
(सं.) [सं-पु.] 1. मन की परख; भीतरी निगाह 2. आत्मसाक्षात्कार; आत्मनिरीक्षण 3. अंतःकरण में ईश्वरानुभूति।
अंतर्दशा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मानसिक स्थिति; मनोवृत्ति; (मूड) 2. अंदरूनी हालत 2. (ज्योतिष) महादशा के अंतर्गत प्रत्येक ग्रह का भोग काल या आधिपत्य काल।
अंतर्दशाह
(सं.) [सं-पु.] ऐसे कृत्य जो किसी मृत आत्मा की सद्गति के लिए मृत्यु के दस दिन तक किए जाते हैं; धार्मिक कृत्य।
अंतर्दाह
(सं.) [सं-पु.] मन की जलन; संताप, दुख; आंतरिक बेचैनी; अंतर्ज्वाला।
अंतर्दृष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ज्ञानचक्षु; अंतःज्ञान; प्रज्ञा; अंतर्बोध; किसी बात को देखने-परखने की आंतरिक शक्ति 2. किसी बात या समस्या की तह में जाने वाली दृष्टि 3.
अंतश्चेतना।
अंतर्देशीय
(सं.) [वि.] 1. किसी देश के अंदर का; राष्ट्रीय 2. देश के आंतरिक भाग से संबंधित, जैसे- अंतर्देशीय सम्मेलन। [सं-पु.] डाक द्वारा भेजा जाने वाला ऐसा लिफ़ाफ़ा
जिसके अंदर कोई कागज़ आदि नहीं रखा जा सकता तथा जो देश विशेष के अंदर ही भेजा जा सकता है।
अंतर्द्वंद्व
(सं.) [सं-पु.] 1. ऊहापोह; कशमकश; मानसिक संघर्ष; अंदर ही अंदर चलने वाला द्वंद्व; दुविधा; परस्पर विरोधी भावों का संघर्ष।
अंतर्द्वार
(सं.) [सं-पु.] घर का भीतरी या गुप्त द्वार; चोर दरवाज़ा।
अंतर्धान
(सं.) [सं-पु.] अचानक छिप जाने की क्रिया; तिरोभाव। [वि.] 1. अदृश्य या लुप्त; गायब 2. अप्रत्यक्ष; अव्यक्त।
अंतर्धारा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. समुद्र, नदी आदि में जल के ऊपरी तल से नीचे बहने वाली धारा जो ऊपर से नहीं दिखती 2. किसी वर्ग या समाज में अंदर-अंदर ही चलने वाली
प्रवृत्ति, धारणा या विचार जिसका ऊपर से साफ़-साफ़ पता न चलता हो; (अंडरकरेंट)।
अंतर्नाद
(सं.) [सं-पु.] 1. अंतरात्मा की पुकार; हृदय की आवाज़ 2. समाधि में सुनाई देने वाली ध्वनि; अनाहत नाद।
अंतर्निष्ठ
(सं.) [वि.] 1. जो किसी वस्तु या व्यक्ति का मूलभूत और स्थायी अंग हो और उससे अलग न किया जा सकता हो, जैसे- सर्वजन हिताय भावना भारतीय दर्शन में अंतर्निष्ठ है;
अंतर्निहित।
अंतर्निहित
(सं.) [वि.] 1. समाविष्ट, सन्निहित; अंतर्स्थापित; जो भीतर स्थित हो 2. व्यंजनार्थक, जैसे- कुछ कविताओं में गहन वेदना भाव अंतर्निहित है।
अंतर्पटी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. परदा 2. वह चित्र पट्टिका या कैनवास जिसपर प्रायः नदी, झरना, पर्वत आदि के दृश्य अंकित होते हैं; (बैकड्रॉप)।
अंतर्पत्रण
(सं.) [सं-पु.] फ़ाइल आदि के पृष्ठों के बीच में सादे कागज़ लगाना जिससे बीच में कुछ लिखा या जोड़ा जा सके; (इंटरलीविंग)।
अंतर्बोध
(सं.) [सं-पु.] 1. आत्मबोध; अंतर्दर्शन; आत्मज्ञान; ज्ञानदृष्टि 2. जेहन; प्रज्ञा 3. समझबूझ; बोधक्षमता।
अंतर्भाव
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी का दूसरे में पूरी तरह विलय हो जाना 2. किसी के अंतर्गत होने या करने की अवस्थिति; शामिल या समाविष्ट करने या होने की क्रिया; एक वस्तु
में दूसरी के अंतर्निहित होने का भाव 3. आंतरिक भाव; मनोभाव।
अंतर्भावना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अंतःकरण की भावना 2. मन ही मन किया जाने वाला चिंतन।
अंतर्भूत
(सं.) [वि.] 1. अंदर स्थित; भीतर समाया हुआ; समाविष्ट 2. अंतर्गत।
अंतर्भूमि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पृथ्वी का भीतरी भाग; अंतर्क्षेत्र; भूगर्भ 2. मनोभूमि; मानसिक स्थिति 3. पृष्ठभूमि।
अंतर्भेद
(सं.) [सं-पु.] 1. आपसी विवाद; झगड़ा 2. पारस्परिक मतभेद।
अंतर्भेदी
(सं.) [वि.] 1. मर्म तक पहुँचने वाला 2. अंदर का भेद लेने वाला; भेदिया।
अंतर्भौम
(सं.) [वि.] 1. ज़मीन या पृथ्वी के अंदर का 2. भूगर्भ में स्थित; भूगर्भीय; (सबटरेनियन)।
अंतर्मन
(सं.) [सं-पु.] 1. मन की भीतरी चेतना; अंतःकरण 2. अचेतन मन।
अंतर्मनस्क
(सं.) [वि.] 1. जो अपने में ही खोया हुआ हो; आत्मलीन 2. अतंर्मुखी 3. आत्मकेंद्रित।
अंतर्मना
(सं.) [वि.] 1. अपने विचारों में ही डूबा हुआ; अंतर्मनस्क; विचारमग्न रहने वाला 2. एकांतप्रिय 3. उदास; चिंताकुल 4. आत्मकेंद्रित 5. अंतर्मुखी।
अंतर्मल
(सं.) [सं-पु.] 1. भीतर का मैल या गंदगी; कलुष 2. मन में आने वाले दूषित विचार 3. चित्त के विकार।
अंतर्मुखी
(सं.) [वि.] 1. भीतर की ओर जाने वाला 2. जो खुलकर लोगों से मिलता-जुलता न हो; शर्मीला 3. अपने विचार व्यक्त न करने वाला; मन की बात न कहने वाला 4. आत्मलीन;
अंतर्लीन 5. आत्मकेंद्रित; (इंट्रोवर्ट)।
अंतर्याम
(सं.) [सं-पु.] 1. अंतःकरण या मन की भाव दशा 2. मानसिक योग; ध्यान।
अंतर्यामिता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अंतर्यामी होने का भाव या गुण 2. औरों के मन की बात को बिना उनके कहे जान लेने की शक्ति।
अंतर्यामी
(सं.) [सं-पु.] 1. अंतःकरण में स्थित जीव को प्रेरित करने वाला; ईश्वर। [वि.] हृदय की बात जानने वाला।
अंतर्योग
(सं.) [सं-पु.] 1. गहराई से किया जाने वाला चिंतन-मनन 2. मानसिक योग 3. ध्यान; एकाग्रता।
अंतर्रति
(सं.) [सं-स्त्री.] आत्मरति; स्वयं अपने ऊपर मुग्ध होने का भाव।
अंतर्लंब
(सं.) [सं-पु.] 1. (रेखागणित) त्रिभुज के किसी शीर्ष से सामने वाली आधार-रेखा पर त्रिभुज के परिक्षेत्र के भीतर ही डाला गया लंब; लंब रेखा 2. बहुभुज के दो
शीर्षों को मिलाने वाली रेखा पर किसी तीसरे शीर्ष से बहुभुज परिक्षेत्र के अंतर्गत डाला गया लंब (ज्यामिति)।
अंतर्लापिका
(सं.) [सं-स्त्री.] ऐसी पहेली जिसका उत्तर उसकी पद-योजना में ही निहित हो।
अंतर्लीन
(सं.) [वि.] 1. आत्मलीन; अपने में मगन रहने वाला; ख़यालों में खोया रहने वाला 2. भीतर छिपा हुआ 3. अंतर्मनस्क; ध्यानमग्न; तल्लीन, जैसे- विचारों में अंतर्लीन।
अंतर्वर्ती
(सं.) [वि.] 1. अंदर पाया जाने वाला 2. भीतर रहने वाला; आंतरिक 3. अंतर्व्यापी 4. एक अवस्था से दूसरी अवस्था में परिवर्तन से उत्पन्न; संक्रांति का; (इमेनेंट
ट्रांजिशनल)।
अंतर्वस्तु
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी पुस्तक आदि में जो वर्णित या लिखित हो; अंतःसार 2. किसी कृति का कथ्य या विषय-वस्तु 3. किसी पात्र, पेटी आदि के अंदर रखी हुई
सामग्री; (कंटेंट्स) 4. मूल विषय।
अंतर्वस्त्र
(सं.) [सं-पु.] बाहरी पोशाक के नीचे पहने हुए भीतरी कपड़े; अंतर्परिधान, जैसे- कच्छा, बनियान, समीज आदि; (अंडरवियर)।
अंतर्वाणिज्य
(सं.) [सं-पु.] किसी देश के अंदर या उसकी सीमा के भीतर होने वाला वाणिज्य-व्यापार; आभ्यंतर व्यापार; (इंटरनल ट्रेड)।
अंतर्वाणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आत्मा की आवाज़ 2. हृदय या चित्त का भाव संसार।
अंतर्वासी
(सं.) [सं-पु.] 1. अंदर रहने वाला व्यक्ति 2. गुप्त स्थान पर रहने वाला व्यक्ति 3. {ला-अ.} अंतःकरण में वास करने वाला, जैसे- ईश्वर या आत्मा।
अंतर्वाहिनी
(सं.) [सं-स्त्री.] भीतर बहने वाली धारा; अंतःसलिला।
अंतर्विकार
(सं.) [सं-पु.] 1. मन का कोई विकार या दोष; मानसिक विकार 2. शरीर का स्वाभाविक धर्म; शारीरिक आवेग, जैसे- भूख, प्यास आदि 3. मानसिक अनुभूति।
अंतर्विरोध
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी कार्य या बात में एक ही समय में परस्पर विरोधी स्वर या स्थितियाँ; मतवैभिन्य 2. भीतरी विरोध; आंतरिक द्वंद्व।
अंतर्विवाह
(सं.) [सं-पु.] 1. समाज निर्धारित समूह के अंतर्गत होने वाला विवाह 2. अपनी जाति या कुटुंब के अंदर ही किया जाने वाला विवाह।
अंतर्विष्ट
(सं.) [वि.] अंदर मिलाया हुआ या अंदर शामिल किया हुआ; किसी वस्तु में जोड़ा गया; सन्निविष्ट; अंतर्वेशित; (इनक्लूडिड)।
अंतर्वृत्त
(सं.) [सं-पु.] (ज्यामिति) किसी आकृति या त्रिभुज के अंदर खींचा गया वृत्त जो उसकी समस्त भुजाओं को स्पर्श करता हो; (इनसर्किल)।
अंतर्वेग
(सं.) [सं-पु.] 1. अशांति, चिंता आदि भावनाओं का वेग 2. शरीर में बना रहने वाला बुख़ार।
अंतर्वेद
(सं.) [सं-पु.] 1. दो नदियों के बीच का पाट; दोआब 2. गंगा और यमुना के बीच का प्रदेश; ब्रह्मावर्त्त; उत्तर भारत।
अंतर्वेदना
(सं.) [सं-स्त्री.] हृदय की वेदना; अंतर्व्यथा; मानसिक व्यथा।
अंतर्वेशन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु या समूह के भीतर उसी तरह की कोई वस्तु बाहर से लाकर रखना; सम्मिलित करने का कार्य; (इनक्लूज़न) 2. अंदर छिपाना या रखना 3. (पुस्तक
आदि में) मूल लेखक से भिन्न लेखक द्वारा बाद में अतिरिक्त भाग जोड़ना 4. प्रक्षिप्त अंश; प्रक्षेप।
अंतर्वेशित
(सं.) [वि.] 1. अंदर छिपाया हुआ; अंदर रखा हुआ 2. जिसे शामिल किया गया हो।
अंतर्व्याप्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अंदर का फैलाव; अंतःप्रसार 2. पहुँच; पैठ।
अंतर्हित
(सं.) [वि.] 1. अंदर समाहित; निहित 2. गूढ़ 3. जो अदृश्य हो; अंतर्धान; गायब 4. खोया हुआ 5. (कविता आदि) जिसके अर्थ में व्यंजना हो।
अंतवेला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अंतिम समय; अंतकाल 2. मृत्यु का समय।
अंतश्चेतना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आंतरिक चेतना; अंतर्ज्ञान; अंतर्बोध 2. अंतरात्मा।
अंतस्
(सं.) [अव्य.] 1. 'अंतर्' का सामासिक रूप 2. भीतर; बीच में; मध्य 3. मन; मानस।
अंतस्तल
(सं.) [सं-पु.] 1. हृदयस्थल 2. अचेतन या सुप्त मन।
अंतस्ताप
(सं.) [सं-पु.] मनस्ताप; अंदर का क्लेश; संताप।
अंतस्थ
(सं.) [वि.] 1. भीतर रहने वाला 2. भीतर से संबंधित 3. मन में होने या रहने वाला; हृदयस्थ; अंतःकरण में स्थित। [सं-पु.] 1. हिंदी में व्यंजन वर्णों की एक कोटि
जिसमें य्, र्, ल्, व् आते हैं 2. स्वर और व्यंजन के बीच की ध्वनि।
अंतस्थ ध्वनियाँ
संस्कृत में 'य्, र्, ल्, व्' को अंतस्थ ध्वनियाँ कहा गया है।
अंतस्थ राज्य
(सं.) [सं-पु.] दो बड़े राज्यों के बीच पड़ने वाला वह राज्य जिसे लेकर उन दोनों के बीच संघर्ष की आशंका नगण्य हो; अंतराल राज्य; मध्यवर्ती राज्य; (बफ़र स्टेट)।
अंतस्थल
(सं.) [सं-पु.] 1. हृदय या मन का आंतरिक भाग 2. अंतःकरण; मानस 3. अचेतन या सुप्त मन।
अंतस्नान
(सं.) [सं-पु.] यज्ञ की समाप्ति पर किया जाने वाला स्नान।
अंतस्सलिला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. लोकमान्यता के अनुसार धरती के अंदर ही अंदर बहने वाली एक नदी या धारा; अंतःसलिला 2. सरस्वती नदी 3. {ला-अ.} चेतना या भावना की अंतर्धारा।
अंतस्सार
(सं.) [सं-पु.] दे. अंतःसार।
अंतहीन
(सं.) [वि.] 1. जिसका अंत न हो 2. जिसकी सीमा न हो; असीम; सीमाहीन; निस्सीम, जैसे- अतंहीन आकाश 3. अगणनीय; अनंत।
अंतिक
(सं.) [सं-पु.] 1. पड़ोस 2. सामीप्य; निकटता 3. वह जो पड़ोस में रहता हो। [वि.] 1. पास या समीप रहने वाला; नज़दीकी 2. अंत तक जाने या पहुँचने वाला।
अंतिम
(सं.) [वि.] 1. आख़िरी; अंत का; (फ़ाइनल) 2. पूर्णता के ठीक पूर्व की अवस्थावाला 3. निर्धारित 4. सीमावर्ती 5. परम 6. नितांत 7. किनारे वाला। [मु.] -घड़ियाँ गिनना : अंत या मृत्यु के निकट होना।
अंतिमोत्तर
(सं.) [वि.] अंतिम के बाद का; जो अंत के उपरांत हो।
अंतेवासी
(सं.) [सं-पु.] 1. छात्रावास में रहने वाला; गुरुकुल का विद्यार्थी 2. किसी कारखाने या कार्यालय में आगे चलकर नौकरी पाने की आशा में प्रशिक्षु के रूप में काम
करने वाला; (अप्रेंटिस)। [वि.] समीप रहने वाला; नज़दीकी।
अंतोन्मुखी
(सं.) [वि.] 1. अंत की ओर अग्रसर 2. मृत्यु की ओर जाने वाला।
अंत्य
(सं.) [वि.] 1. अंतिम; आख़िरी 2. सबसे नीचे या पीछे का; बाद का। [सं-पु.] 1. शब्द का अंतिम वर्ण 2. अंतिम नक्षत्र 3. अंतिम लग्न 4. अंतिम चंद्रमास; फाल्गुन।
अंत्यकर्म
(सं.) [सं-पु.] अंत्येष्टि; दाहकर्म।
अंत्यशेष
(सं.) [सं-पु.] वह रकम या धन जो किसी खाते आदि को बंद करने के बाद बचे; (बैलेंस)।
अंत्याक्षर
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी शब्द या पद का अंतिम अक्षर 2. किसी कविता में चरण का अंतिम अक्षर 3. हिंदी वर्णमाला का अंतिम अक्षर 'ह'।
अंत्याक्षरी
(सं.) [सं-स्त्री.] कविता वाचन या गीत गायन का एक खेल जिसमें एक व्यक्ति द्वारा पढ़ी गई कविता या गाए गए गीत के अंतिम अक्षर से ही शुरू हुई कोई कविता या गीत
अगला प्रतिभागी या व्यक्ति पढ़ता है।
अंत्यानुप्रास
(सं.) [सं-पु.] 1. शब्दालंकार नामक अनुप्रास का एक भेद, जहाँ पदांत में एक ही स्वर और एक ही व्यंजन की आवृत्ति होती है, जैसे- ...सोय,...होय 2. तुक।
अंत्याश्रम
(सं.) [सं-पु.] हिंदू परंपरा के अनुसार मानव जीवन के चार आश्रमों- ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास में से अंतिम 2. संन्यास आश्रम।
अंत्याश्रमी
(सं.) [वि.] अंतिम आश्रम (संन्यासाश्रम) में जीवन यापन करने वाला। [सं-पु.] संन्यासी।
अंत्येष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] मृतक का अंतिम संस्कार; दाहकर्म; मृतककर्म।
अंत्येष्टिगृह
(सं.) [सं-पु.] ऐसा स्थान जहाँ शव की अंत्येष्टि-क्रिया या दाहकर्म किया जाता है; श्मशान; शवदाहगृह।
अंत्योदय
(सं.) [सं-पु.] आर्थिक रूप से कमज़ोर और पिछड़े वर्गों का उदय या विकास करने की क्रिया या भाव।
अंत्र
(सं.) [सं-पु.] आँत; अँतड़ी।
अंत्रदाह
(सं.) [सं-पु.] आँतों में होने वाली जलन; अंत्रप्रदाह।
अंत्रप्रदाह
(सं.) [सं-पु.] आँतों में होने वाली जलन; अंत्रदाह।
अंदर
(फ़ा.) [अव्य.] 1. अंतर्गत; भीतर; भीतरी भाग में 2. किसी क्षेत्र या भवन आदि का अंदरूनी भाग 3. दरमियान; बीच में 4. गहराई में। [मु.] -करना :
पुलिस द्वारा किसी को पकड़ कर जेल में डालना। -होना : हवालात में बंद होना।
अंदरूनी
(फ़ा.) [वि.] 1. जो अंदर स्थित हो; भीतरी; आंतरिक 2. अंतर्क्षेत्रीय 3. गोपनीय।
अंदलीब
(अ.) [सं-स्त्री.] बुलबुल नामक चिड़िया।
अंदाज़
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. अनुमान; अटकल; कयास; तख़मीना 3. अदा; मोहक ढंग; नाज़-नखरा 4. मान; नाप-जोख 5. ढंग; ढब; तौर-तरीका, जैसे- अंदाज़ेबयाँ 6. हाव-भाव; कोमल
चेष्टाएँ। [पर-प्रत्य.] फेंकने वाला; निशाना लगाने वाला, जैसे-तीरंदाज़, गोलंदाज़।
अंदाज़न
(फ़ा.) [क्रि.वि.] 1. अंदाज़ या अनुमान से 2. करीब-करीब; प्रायः, लगभग।
अंदाज़ा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. अनुमान; अटकल; अंदाज़; तख़मीना 2. उद्भावना; कल्पना 3. ख़याल; धारणा।
अंदाज़ेबयाँ
(फ़ा.) [सं-पु.] बयान करने का अंदाज़; अभिव्यक्ति कौशल।
अंदु
(सं.) [सं-पु.] 1. पायल; नूपुर 2. हाथी के पैर में बाँधने की ज़ंजीर।
अंदुक
(सं.) [सं-पु.] 1. दरवाज़े की साँकल 2. नुपूर; पायल।
अंदेश
(फ़ा.) [वि.] 1. चिंता या ध्यान सूचक 2. विचारशील; सोचने वाला 3. शब्द जो प्रायः यौगिक शब्दों के अंत में प्रयोग किया जाता है, जैसे-दूरअंदेश।
अंदेशा
(फ़ा) [सं-पु.] 1. शक; संदेह; संशय; खटका 2. अविश्वास; आशंका; भय; खतरा 3. दुविधा; असमंजस 4. पूर्वाभास 5. जोखिम; हानि।
अंध
(सं.) [वि.] 1. जिसे दिखाई न देता हो; अंधा; नेत्रहीन 2. {ला-अ.} अचेत; उन्मत्त; अराजक; मतांध 3. {ला-अ.} विचारहीन; बुद्धिहीन 4. जो बिना सोचे-समझे किया गया हो,
जैसे- अंधभक्ति, अंधश्रद्धा। [सं-पु.] 1. अंधा व्यक्ति 2. अंधकार 3. {ला-अ.} अज्ञान; 4. चमगादड़; उल्लू।
अंधक
(सं.) [वि.] जो दृष्टिहीन हो; अंधा। [सं-पु.] 1. शिव द्वारा मारा गया एक दैत्य 2. यादवों का एक पूर्वज।
अंधकार
(सं.) [सं-पु.] 1. जहाँ बिल्कुल भी प्रकाश न हो; अँधेरा; अँधियारा; तिमिर; तम 2. तामस; कलुष 3. {ला-अ.} निराशा; हताशा; अज्ञान। [मु.] -नज़र आना : कोई उपाय न सूझना; निराशापूर्ण हालात में फँसना। -दूर होना : ज्ञान या बुद्धि प्राप्त होना।
अंधकार युग
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी राज्य या क्षेत्र के बौद्धिक रूप से पिछड़ा होने की अवस्था या भाव 2. ऐसा युग जिसके सामाजिक विकास या इतिहास का प्रमाण न मिलता हो 3. ऐसा
युग जिसे इतिहास में पतनशील करार दिया गया हो।
अंधकाराच्छन्न
(सं.) [वि.] अंधकार से आच्छादित; अंधकारपूर्ण; अंधकार से घिरा हुआ।
अंधकारावृत्त
(सं.) [वि.] अंधकार या अँधेरे से आवृत्त या ढका हुआ; तिमिराछन्न; अंधकारपूर्ण।
अंधकूप
(सं.) [सं-पु.] 1. अंधा कुआँ; वह स्थान जहाँ घनघोर अँधेरा हो 2. (पुराण) एक प्रकार का नरक 3. {ला-अ.} मूर्खता का माहौल। [मु.] -में डालना :
किसी का अहित करना; किसी संकट में फँसाना।
अंधखोपडी
[वि.] नितांत बेवकूफ़; वज्र मूर्ख; जड़बुद्धि।
अंधगति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी अंधे मनुष्य की तरह की गति; अंधत्व की अवस्था जैसी दुर्दशा 2. किंकर्तव्यविमूढ़ता की स्थिति; पशोपेश।
अंधड़
[सं-पु.] 1. बहुत वेग के साथ चलने वाली धूल भरी आँधी 2. ऐसी आँधी जिससे वातावरण में अँधेरा और धूल छा जाए।
अंधता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अंधापन 2. {ला-अ.} अनदेखी; उपेक्षा 3. मूर्खता।
अंधत्व
(सं.) [सं-पु.] अंधापन; अंधता।
अंधपरंपरा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऐसी परंपरा जिसका वर्तमान समय में समाज पर दुष्प्रभाव पड़ता हो 2. तर्कहीन परंपरा; रूढ़ि; कुरीति 3. बिना सोचे-समझे पुराने रीति-रिवाजों या
प्रथाओं का अंधानुकरण; अंधविश्वास 4. {ला-अ.} भेड़िया धँसान।
अंधबिंदु
(सं.) [सं-पु.] आँख के अंदरूनी पर्दे का अप्रकाशग्राही बिंदु या स्थल।
अंधभक्त
(सं.) [सं-पु.] आँख मूँदकर किसी पर श्रद्धा रखने वाला व्यक्ति; ऐसा भक्त जो किसी विरोधी तर्क को न सुने; अंधविश्वासी।
अंधभक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऐसी भक्ति जिसमें तर्क या सत्य का स्थान न हो; निराधार आस्था 2. अज्ञानतावश की जाने वाली भक्ति; अंधश्रद्धा 3. मतांधता।
अंधराष्ट्रवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. राष्ट्रवाद का वह रूप जिसमें केवल अपने राष्ट्र के हित की मानसिकता निहित होती है 2. रूमानी राष्ट्रवाद; कट्टर राष्ट्रवाद 3. अपनी जातीय पहचान
के श्रेष्ठताभाव या नस्लवाद से प्रभावित राष्ट्रवाद।
अंधराष्ट्रवादी
(सं.) [वि.] 1. केवल अपने राष्ट्र या देश का भला सोचने वाला; कट्टर राष्ट्रवादी 2. जातीयता के श्रेष्ठताभाव के साथ राष्ट्रवाद का समर्थन करने वाला 3.
अंधदेशभक्त।
अंधविश्वास
(सं.) [सं-पु.] 1. धार्मिक आस्था का एक विचारहीन या तर्कहीन रूप; विचाररहित या विवेकशून्य विश्वास 2. परंपरागत रीति-रिवाज को बिना किसी आधार के स्वीकार करने की
अवस्था; (सुपर्स्टिशन) 3. तर्कहीन बातों या घटनाओं पर अमूमन पिछड़ेपन या धार्मिक कट्टरता की वजह से होने वाला विश्वास; अंधसमर्थन 4. वहम; शकुन-अपशकुन में
विश्वास 5. तंत्रमंत्र में विश्वास।
अंधविश्वासी
(सं.) [वि.] 1. बिना किसी आधार के किसी बात पर विश्वास करने वाला; विवेकशून्य होकर किसी बात को मानने वाला; अंधश्रद्धालु; अंधसमर्थक 2. किसी धर्म या
धर्माचार्यों के उपदेशों या किसी राजनीतिक सिद्धांत के प्रति बगैर उसके सही या गलत होने का चिंतन-मनन किए उसे अमल में लाने वाला; अंधसमर्थक 3. अंधविश्वासपूर्ण।
अंधश्रद्धा
(सं.) [सं-पु.] 1. बिना कुछ सोच-विचार किए केवल अंधविश्वास के कारण की जाने वाली श्रद्धा; विचाररहित या विवेकशून्य श्रद्धा 2. अंधविश्वास; अज्ञान।
अंधसमर्थक
(सं.) [वि.] 1. जो आँख मूँदकर किसी का समर्थन करे; जो बिना सोचे-विचारे किसी को सही ठहराए 2. अंधश्रद्धालु; अंधविश्वासी; अंधानुगामी 3. विचारहीन; अज्ञानी
अंधा
(सं.) [वि.] 1. नेत्रहीन; दृष्टिहीन; दृष्टिबाधित; जिसे बिलकुल दिखाई न पड़े 2. जिसके भीतर कुछ भी दिखाई न दे; प्रकाशहीन, जैसे- अंधाकुआँ 3. {ला-अ.} बिना
सोचे-समझे कार्य करने वाला; विचारहीन; तर्कहीन 4. जिसमें कोई विशिष्ट तत्व न रह गया हो, जैसे- अंधा दिया, अंधा शीशा 5. अंधविश्वासी; मतांध; अंधानुगामी। [मु.] -बनना : जान-बूझकर किसी बात पर ध्यान न देना, आसपास की गतिविधियों से जानबूझकर अनभिज्ञ बने रहना। -बनाना : बुरी तरह या
मूर्ख बनाकर धोखा देना। अंधे की लकड़ी या लाठी : असमर्थ का एकमात्र सहारा। अंधे के आगे रोना : किसी उदासीन व्यक्ति से अपनी
व्यथा कहना। अंधे के हाथ बटेर लगना : किसी अयोग्य व्यक्ति को महत्वपूर्ण वस्तु या पद प्राप्त हो जाना। अंधों में काना राजा होना : गुणहीनों के समाज में थोड़े गुण वाले को श्रेष्ठ समझा जाना।
अंधाकुप्प
[सं-पु.] हवाई हमले होने या आशंका होने पर बत्तियों को बुझा दिया जाना या उस स्थान को इस तरह से ढक देना जिससे रोशनी दिखाई न पड़े; (ब्लैक आउट)।
अंधाधुंध
(सं.) [क्रि.वि.] 1. बिना रोक-टोक के; बेहिसाब; विवेकहीन होकर 2. लगातार; बेतहाशा, जैसे- जंगलों की अंधाधुंध कटाई। [वि.] बहुत सारा; बहुत अधिक, जैसे- अंधाधुंध
ख़र्च।
अंधानुकरण
(सं.) [सं-पु.] 1. आँख मूँदकर किसी के पीछे चलना; बिना सोचे-विचारे किसी का अनुकरण करना 2. किसी रीति-रिवाज या प्रथा का अनुकरण; अंधी नकल 3. {ला-अ.} भेड़चाल।
अंधानुकृत
(सं.) [वि.] अंधानुकरण किया हुआ; बिना सोचे-समझे नकल किया हुआ।
अंधानुकृति
(सं.) [सं-स्त्री.] बिना सोचे-समझे किया गया अनुकरण; नकल; अंधानुकरण।
अंधानुगमन
(सं.) [सं-पु.] 1. विचार किए बिना किसी के पीछे लगे रहने की प्रवृत्ति; विचारहीनता; अनुकरण; भेड़चाल।
अंधानुगामी
(सं.) [सं-पु.] 1. अंधानुगमन करने वाला व्यक्ति 2. बिना विचार के कार्य करने वाला व्यक्ति।
अंधानुयायी
(सं.) [वि.] 1. अंधानुकरण करने वाला 2. बिना सोचे-विचारे किसी का अनुसरण करने वाला 3. जड़; मूर्ख; अज्ञानी।
अंधानुरक्त
(सं.) [वि.] 1. बिना विचार किए भक्ति करने वाला; अंधश्रद्धालु; अंधानुगामी 2. अंधविश्वासी; अज्ञानी 3. किसी से घोर अनुरक्ति या प्रेम करने वाला; अंधप्रेमी;
दीवाना।
अंधानुरक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विचारहीन होकर किया जाने वाला अनुराग या आसक्ति 2. अंधश्रद्धा; अंधविश्वास 3. ज्ञानहीन भक्ति 4. तर्कहीनता।
अंधानुसरण
(सं.) [सं-पु.] आँख मूँदकर किसी की इच्छा या उसके कहने के मुताबिक किया जाने वाला काम; बिना सोचे-विचारे किसी की बात मानना।
अंधापन
(सं.) [सं-पु.] 1. अंधा होने की अवस्था या भाव; नेत्रहीनता; दृष्टि का अभाव 2. {ला-अ.} अज्ञानता; मूर्खता।
अंधेर
(सं.) [सं-पु.] 1. अँधेरा; अंधकार 2. अनीति; अन्याय; ज़्यादती; अशांति; नियम-व्यवस्था का अभाव। [मु.] -करना : अन्याय या बेईमानी करना। -छाना : अव्यवस्था फैलना; भ्रष्ट शासन होना। -मचना : अन्यायपूर्ण और भ्रष्ट शासन होना। -मचाना : मनमाना
व्यवहार करना; गड़बड़ी करना।
अंधेरखाता
[सं-पु.] 1. गलत तरह से किया गया लेखा-जोखा 2. गड़बड़; अव्यवस्था; कुशासन 3. मनमाना आचरण।
अंधेरगर्दी
[सं-स्त्री.] 1. मनमानी हरकतें; अराजकता; बेईमानी 2. बदइंतज़ामी; अव्यवस्था 3. अंधेरखाता।
अंधेर नगरी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऐसा स्थान जहाँ भ्रष्टाचार और अव्यवस्था फैली हुई हो; धाँधली और बेईमानी का स्थान 2. शोषणकारी राज्य; अराजक राज्य; कुशासन 3. ऐसा राज्य
जहाँ भ्रष्ट और मूर्ख नेताओं का शासन हो 4. भारतेंदु हरिश्चंद्र का मशहूर नाटक।
अंध्र
(सं.) [सं-पु.] 1. बहेलिया 2. एक प्राचीन श्रमिक जाति 3. मगध का एक राजवंश 4. दक्षिण भारत का एक प्रदेश; आँध्र।
अंपायर
(इं.) [सं-पु.] मध्यस्थ; मैदान में खेल का संचालक या निर्णायक।
अंब
(सं.) [सं-पु.] 1. आँख; नेत्र 2. जल 3. आम-फल; आम-वृक्ष 4. माता।
अंबर1
(सं.) [सं-पु.] 1. आकाश 2. शून्य 3. ओढ़नी; परिधान; वस्त्र 4. {ला-अ.} परिधि; घेरा।
अंबर2
(अ.) [सं-पु.] ह्वेल मछली के मुख से निकलने वाला एक सुगंधित पदार्थ जो दवाओं के काम आता है।
अंबरचर
(सं.) [वि.] आकाश में विचरण करने वाला; आकाश में उड़ने वाला; नभचर। [सं-पु.] 1. अंबर या आकाश में विचरण करने वाले जीव; खग; पक्षी; परिंदा 2. {ला-अ.} कल्पनाशील
व्यक्ति।
अंबरचारी
(सं.) [वि.] आकाश में उड़ने वाला [सं-पु.] 1. पक्षी; चिड़िया 2. पतंग 3. आकाशीय ग्रह या उपग्रह।
अंबरपुष्प
(सं.) [सं-पु.] 1. आकाश का फूल; आकाशकुसुम 2. {ला-अ.} असंभव काम या बात।
अंबरमणि
(सं.) [सं-पु.] सूर्य; प्रभाकर।
अंबरस्थली
(सं.) [सं-स्त्री.] पृथ्वी; धरती।
अंबरांत
(सं.) [सं-पु.] 1. वस्त्र का सिरा या किनारा 2. आकाश और पृथ्वी का संधिस्थल; क्षितिज।
अंबरीष
(सं.) [सं-पु.] 1. आकाश का स्वामी अर्थात सूर्य 2. आँवला 3. (पुराण) अयोध्या के एक सूर्यवंशी राजा 4. मिट्टी का बरतन जिसमें दाना भूना जाता है; भाड़।
अंबष्ठ
(सं.) [सं-पु.] 1. लाहौर और उसके आसपास अवस्थित एक प्राचीन जनपद और उसके निवासी 2. कायस्थों में एक कुलनाम या सरनेम 3. महावत।
अंबष्ठा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अंबष्ठ जाति की स्त्री 2. ब्राह्मी लता।
अंबा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. माता 2. (महाभारत) काशी नरेश इंद्रद्युम्न की सबसे बड़ी कन्या 3. (पुराण) पार्वती; दुर्गा।
अंबापाली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आम के रस को धूप में सुखाकर बनाया गया पापड़ जैसा खाद्य; अमावट 2. अमरस।
अंबार
(फ़ा.) [सं-पु.] किसी वस्तु या अनाज का ऊँचा ढेर; राशि; भंडार।
अंबारी
(इं) [सं-स्त्री.] हाथी की पीठ पर बैठने का मंडपनुमा हौदा 2. मकान का मंडप की तरह का छज्जा।
अंबाला
(सं.) [सं-स्त्री.] माता; जननी। [सं-पु.] हरियाणा राज्य का एक ज़िला व उसका मुख्यालय।
अंबालिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. माता 2. (महाभारत) काशी नरेश इंद्रद्युम्न की सबसे छोटी कन्या।
अंबिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. माता 2. (महाभारत) काशी नरेश इंद्रद्युम्न की मझली कन्या 3. पार्वती; दुर्गा।
अंबिकेय
(सं.) [सं-पु.] 1. (महाभारत) अंबा का पुत्र अर्थात धृतराष्ट्र 2. कार्तिकेय; स्कंद।
अंबु
(सं.) [सं-पु.]. 1. जल; नीर 2. रक्त में मौजूद जलीय तत्व 3. जन्म-कुंडली में चौथा स्थान 4. एक छंद।
अंबुज
(सं.) [सं-पु.]. 1. जल में या जल से उत्पन्न होने वाले जीव 2. कमल; जलज 3. शंख; सीप 4. बेंत 5. कपूर 6. सारस पक्षी। [वि.] जल से उत्पन्न; जल का।
अंबुजा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. जल में उत्पन्न होने वाली अर्थात कमलिनी 2. कुमुदनी 3. एक रागिनी 4. (पुराण) लक्ष्मी का एक नाम।
अंबुजाक्ष
(सं.) [वि.] कमल के समान आँखोंवाला; कमलनयन।
अंबुद
(सं.) [सं-पु.] 1. अंबु या जल देने वाला अर्थात बादल; मेघ 2. नागरमोथा नामक वनस्पति। [वि.] जल देने वाला।
अंबुधर
(सं.) [सं-पु.]. 1. बादल; मेघ 2. वह जो जल धारण करता हो; जलधर।
अंबुधि
(सं.) [सं-पु.] 1. समुद्र; सागर; जलधि 2. जल रखने का पात्र, जैसे- घड़ा, मटका आदि। [वि.] जिसमें जल हो।
अंबुनाथ
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) जल का स्वामी; वरुण 2. (पुराण) वर्षा का स्वामी अर्थात इंद्र।
अंबुनिधि
(सं.) [सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ अपार जल संचित हो 2. समुद्र; सागर।
अंबुप
(सं.) [सं-पु.] 1. समुद्र 2. वरुण।
अंबुपति
(सं.) [सं-पु.] 1. समुद्र; जलधि 2. वरुण।
अंबुरूह
(सं.) [सं-पु.] 1. कमल 2. कुमुद।
अंबुवाह
(सं.) [सं-पु.] बादल, अंबुवाही।
अंबुवाहिनी
(सं.) [सं-स्त्री.] जल ढोने वाली स्त्री।
अंबुशायी
(सं.) [सं-पु.] विष्णु; नारायण।
अंबोज
(सं.) [सं-पु.] लाल रंग के कमल का फूल।
अंभ
(सं.) [सं-पु.] 1. पानी; जल 2. सागर; समुद्र 3. पितर; पितृलोक।
अंभसार
(सं.) [सं-पु.] मोती।
अंभोज
(सं.) [सं-पु.] 1. कमल 2. कपूर 3. चंद्रमा 4. शंख 5. सारस। [वि.] जल में या जल से उत्पन्न होने वाला।
अंभोरूह
(सं.) [सं-पु.] 1. कमल 2. सारस।
अंश
(सं.) [सं-पु.] 1. भाग; खंड; हिस्सा; छोटा टुकड़ा; (पार्ट; पोर्शन) 2. वृत्त की परिधि का 360वाँ भाग 3. (अंकगणित) भिन्न की रेखा के ऊपर का अंक; भाज्य अंक 4. किसी
कंपनी के स्वामित्व में हिस्सा; (शेयर)।
अंशक
(सं.) [सं-पु.] 1. खंड; भाग 2. स्कंध; कंधा 3. जिसके पास कंपनी आदि के अंश या शेयर हों; अंशधारी 4. दिन। [वि.] 1. बाँटने वाला; विभाजक 2. हिस्सा पाने वाला;
हिस्सेदार।
अंशकालिक
(सं.) [वि.] 1. पूरे समय के थोड़े से ही भाग से संबधित 2. ऐसी नौकरी जहाँ पूरे समय काम करने की बजाय थोड़े समय काम करने के लिए ही रखा जाता है 3. कुछ या थोड़े समय
के लिए किया जानेवाला, जैसे- वह कॉलेज से छूटने के बाद अंशकालिक काम करता है; (पार्टटाइम)।
अंशतः
(सं.) [क्रि.वि.] आंशिक रूप से; कुछ हद तक; कुछ अंश तक।
अंशदाता
(सं.) [सं-पु.] 1. अंशदान करने वाला; सहयोगी; अंशदायी 2. जो औरों के साथ काम या ख़र्च में अपना भी हिस्सा देता है।
अंशदान
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी सार्वजनिक या सामूहिक कोष या निधि में नियमित रूप से दिया जाने वाला आर्थिक सहयोग या दान 2. आपदा आदि के समय या किसी अन्य राष्ट्रीय
कार्य में व्यक्ति द्वारा दिया जाने वाला धन 3. सहकर्म; योगदान 4. दान दी जाने वाली राशि; अवदान; दत्तांश; चंदा; (कॉन्ट्रिब्यूशन)।
अंशदेय
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी कोष आदि में दिया जाने वाला दान; चंदा; अंशदान 2. नियमित अवधि में जमा की जाने वाली धनराशि; सावधिक देय।
अंशधर
(सं.) [सं-पु.] 1. बराबर का अंश या भाग देने वाला; हिस्सेदार; साझेदार 2. कंपनी आदि के कुछ अंशों को ख़रीदने वाला अंशधारी; (शेयरहोल्डर)।
अंशधारक
(सं.) [सं-पु.] किसी कंपनी या कारोबार में लगी पूँजी के कुछ हिस्से या अंश का स्वामी; साझेदार; अंशधारी; (शेयरहोल्डर)।
अंशधारी
(सं.) [सं-पु.] किसी कंपनी या कारोबार में लगी पूँजी के कुछ हिस्से या अंश का स्वामी; साझेदार; अंशधारक; शेयरधारक; (शेयरहोल्डर)।
अंशन
(सं.) [सं-पु.] 1. अंश या भाग में विभाजित करना; विभाजन 2. पूर्ण संख्या या इकाई को टुकड़ों या खंडों में विभाजित करना। 3. अंशों को चिह्नित करना।
अंशपत्र
(सं.) [सं-पु.] वह पत्र जिसमें कंपनी के शेयरधारकों के व्यक्तिगत हिस्से का ब्योरा हो; शेयरपत्र।
अंशभागी
(सं.) [वि.] 1. अंश या हिस्सा पाने वाला 2. साझेदार; (शेयरहोल्डर)।
अंशमात्र
(सं.) [वि.] छोटा हिस्सा भर; लेशमात्र।
अंशमापन
(सं.) [सं-पु.] किसी चीज़ या यंत्र के अंशों को मापने की क्रिया या भाव।
अंशशोधन
(सं.) [सं-पु.] (भौतिकविज्ञान) किसी यंत्र के पाठ्य या सूचक अंकों की प्रामाणिकता एवं शुद्धता की जाँच तथा उसमें किया जाने वाला शोधन; (कैलिब्रेशन)।
अंशांक
(सं.) [सं-पु.] (गणित) किसी मान के विभिन्न अंशों की सूचक संख्याओं में से कोई एक; (डिग्री)।
अंशांकन
(सं.) [सं-पु.] थर्मामीटर जैसे किसी उपकरण पर अंकित मापन-इकाइयाँ।
अंशांकित
(सं.) [वि.] 1. जिसका अंशांकन हुआ हो 2. क्रम से अंकित किया हुआ; क्रम से लगाया हुआ 3. जिसपर मापने के लिए चिह्न बने हों।
अंशांश
(सं.) [वि.] 1. अंश का अंश 2. जो किसी अंश का अंग या भाग हो।
अंशापन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु के अंशों का वितरण करना या बाँटना 2. किसी वस्तु के आवश्यकतानुसार अलग-अलग अंश या विभाग करना; अंशों का विभाजन करना,
(अपॉर्शनमेंट)।
अंशावतार
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) वह अवतार जिसमें ईश्वर या देवता विशेष की कला पूर्णतः अवतरित न हुई हो।
अंशिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अंश रूप में दी हुई राशि 2. एक बँधी हुई नियमित राशि।
अंशित
(सं.) [वि.] 1. जो अंशों में विभाजित हो; खंड-खंड 2. जो अनेक भागों में हो 3. चिह्नित किया हुआ।
अंशी
(सं.) [वि.] 1. भागीदार; हिस्सेदार 2. कई अंशों या अवयवों वाला; अवयवी 3. किसी व्यापारिक संस्था या निगम आदि की संपत्ति का साझेदार; शेयरधारक।
अंशीय
(सं.) [वि.] अंश अर्थात हिस्से से संबद्ध; अंश से संबंधित; आंशिक।
अंशु
(सं.) [सं-पु.] 1. किरण; रश्मि; प्रभा 2. सूर्य की किरण; धूप 3. सूत; डोरा 4. बहुत छोटा भाग या अंश; सूक्ष्मांश 5. छोर; सिरा 6. चमक 7. नोक।
अंशुक
(सं.) [सं-पु.] 1. वस्त्र; कपड़ा 2. दुपट्टा; उत्तरीय 3. चादर; ओढ़नी 4. रेशमी और महीन सफ़ेद कपड़ा 5. मंद प्रकाश।
अंशुधर
(सं.) [सं-पु.] सूर्य; अंशुपति; अंशुमान।
अंशुनाभि
(सं.) [सं-स्त्री.] वह बिंदु जिसपर किरणें एकत्र होकर मिलें।
अंशुपति
(सं.) [सं-पु.] सूर्य, अंशुमान।
अंशुमान
(सं.) [सं-पु.] 1. चंद्रमा 2. सूर्य। [वि.] 1. अंशु या किरणों से युक्त; प्रभावान 3. तंतुमय; रोएँदार 4. नोकदार।
अंशुमाला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सूर्य की किरणों का समूह 2. सूर्य और चंद्रमा के चारों ओर का वलय या घेरा 3. सूर्यमंडल; चंद्रमंडल।
अंशुमाली
(सं.) [सं-पु.] सूर्य; रवि; दिनकर।
अंशुल
(सं.) [वि.] जिससे किरणें निकलती हों; प्रभायुक्त; चमकदार।
अंसकूट
(सं.) [सं-पु.] बैलों या ऊँट के कंधों का कूबड़।
अंसल
(सं.) [वि.] 1. हृष्टपुष्ट, तगड़ा 2. मज़बूत कंधोंवाला 3. कंधे से संबंधित।
अंसार
(अ.) [सं-पु.] 1. सहायक, मददगार 2. इस्लामिक मान्यता के अनुसार वे मदीनावासी जिन्होंने हज़रत मुहम्मद और उनके साथियों की सहायता की थी।
अंसारी
(अ.) [वि.] 1. हज़रत मुहम्मद के सहायक अंसारों के वंशज 2. मुसलमानों में एक प्रकार का कुलनाम या सरनेम।
अकंटक
(सं.) [वि.] 1. बिना काँटे का, निर्विघ्न 2. {ला-अ.} शत्रुरहित 3. {ला-अ.} जिसमें बाधा न हो।
अकंप
(सं.) [वि.] जो काँपता न हो; कंपन रहित; ठहरा हुआ; स्थिर।
अकंपन
(सं.) [सं-पु.] 1. कंपन का अभाव; स्थिरता 2. दृढ़ता। [वि.] 1. दृढ़; कठोर 2. कंप रहित।
अकंपित
(सं.) [वि.] जो काँपता न हो; कंपनहीन; स्थिर।
अकंप्य
(सं.) [वि.] 1. जिसे कंपित करना कठिन हो; जो कँपाया न जा सके 2. दृढ़; स्थिर; अटल।
अकड़
[सं-स्त्री.] 1. अकड़ने की क्रिया या भाव; ऐंठ; तनाव 2. घमंड; अहंकार; दर्प; हेकड़ी 3. ठंड आदि के कारण अंगों में होने वाली अकड़ाहट; कड़ापन; तनाव 4. स्वाभिमान;
गर्व 5. ज़िद; हठ; ढिठाई 6. हिमाकत। [मु.] -जाना : ज़िद या हठ पर अड़ जाना; सूखकर कड़ा हो जाना। -दिखाना : अभिमान प्रदर्शित
करना।
अकड़न
[सं-स्त्री.] 1. शरीर या अंगों में होने वाली अकड़; अकड़ाहट; ऐंठन 2. अड़ियलपन; ढिठाई।
अकड़ना
[क्रि-अ.] 1. ऐंठना; तनना; तन कर चलना 2. गरूर में रहना; घमंड करना 3. धृष्टता करना 4. सूख कर कड़ा होना 5. सरदी आदि के कारण ठिठुरना।
अकड़-फ़ों
[सं-स्त्री.] गर्व से भरी चाल; अकड़ जताने वाली चेष्टा या भाव-भंगिमा; हेकड़ी; गरूर।
अकड़बाज़
[वि.] 1. अकड़ कर चलने वाला; घमंडी; मगरूर; हेकड़ीबाज़; अकड़ू 2. अहंकारी; दंभी; अड़ियल।
अकड़बाज़ी
[सं-स्त्री.] बात-बात में अकड़ दिखाने की क्रिया या भाव; मगरूरियत, हेकड़ीबाज़ी; अकड़; ऐंठ; अड़ियलपन; दंभ।
अकड़ाव
[सं-पु.] 1. अकड़ने की क्रिया या भाव; अकड़ाहट 2. खिंचाव; तनाव; ऐंठन।
अकड़ू
[वि.] अकड़ने वाला; हेकड़ीबाज़; अकड़बाज़; अकड़ैत।
अकथ
(सं.) [वि.] 1. जो कहने योग्य न हो 2. जो कहा न जा सके; अकथनीय 3. जो कहा न गया हो।
अकथनीय
(सं.) [वि.] 1. अकथ्य; अकथ; जो कहने योग्य न हो; गोपनीय 2. जिसकी अभिव्यंजना न हो सकती हो; अवर्णनीय; अद्भुत।
अकथित
(सं.) [वि.] 1. जिसे कहा न गया हो; जिसकी अभिव्यक्ति न हुई हो; अनुच्चरित 2. गुप्त; छुपा हुआ।
अकथ्य
(सं.) [वि.] 1. जो कहा न जा सकता हो; जो कहने लायक न हो; अकथ; अकथनीय 2. कहने की सामर्थ्य के बाहर; वर्णनातीत।
अकधक
[सं-स्त्री.] 1. डर; भय 2. सोच-विचार; असमंजस; दुविधा 3. खटका; आशंका।
अकबक
[सं-स्त्री.] 1. बकवास; अंडबंड या निरर्थक बात; अनर्गल प्रलाप 2. चिंता; घबराहट।
अकबकाना
[क्रि-अ.] 1. अंडबंड बातें करना; प्रलाप करना 2. भरमाना, सकपकाना।
अकबर
(अ.) [वि.] महान; बहुत बड़ा; श्रेष्ठ। [सं-पु.] प्रसिद्ध मुगल सम्राट जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर (1542-1605 ई.) जिसने भारत में विशाल साम्राज्य स्थापित किया था।
अकबरी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार की फलाहारी मिठाई 2. एक प्रकार की नक्काशी जो प्रायः लकड़ियों पर की जाती है। [वि.] अकबर या उसके साम्राज्य से संबंधित; अकबर का।
अकरणीय
(सं.) [वि.] 1. जो करने योग्य न हो; अकृत्य 2. अविधेय; अनुचित; अनैतिक।
अकरी
[सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का पौधा 2. महँगी (वस्तु); जिसे ख़रीदना कठिन हो 3. हल में लगाया जाने वाला पोले बाँस का टुकड़ा जिसमें कीप लगाकर गेहूँ, जौ आदि बोते
हैं।
अकरुण
(सं.) [वि.] जिसमें करुणा न हो; निर्दयी; कठोर स्वभाव का; निर्मम; निष्ठुर।
अकर्ण
(सं.) [वि.] 1. जिसके कान न हों; बहरा 2. जिसके कान काफी छोटे हों 3. (नाव) जिसमें पतवार न हो। [सं-पु.] सर्प; साँप।
अकर्तव्य
(सं.) [वि.] जो करने योग्य न हो; अनुचित; अकरणीय।
अकर्ता
(सं.) [वि.] 1. जो कुछ काम न करता हो 2. जो किसी काम में लगा न हो; सब कर्मों से अलग; निर्लिप्त 3. प्रयासहीन। [सं-पु.] 1. कर्मों से निर्लिप्त व्यक्ति 2.
परमपुरुष; ईश्वर।
अकर्तृक
(सं.) [वि.] 1. जिसका कोई करने वाला न हो 2. जिसका रचयिता न हो; अपौरुषेय।
अकर्म
(सं.) [सं-पु.] 1. कर्म का अभाव; अकरण; कर्महीनता; निष्क्रियता 2. बुरा कर्म; न करने लायक काम।
अकर्मक
(सं.) [वि.] 1. बिना कर्म का 2. जिसके लिए कर्म की अपेक्षा न हो 3. (ऐसी क्रिया) जिसे किसी कर्म की अपेक्षा न हो।
अकर्मकता
(सं.) [सं-स्त्री.] क्रियापद के अकर्मक होने की अवस्था या भाव।
अकर्मण्य
(सं.) [वि.] 1. आलसी; निठल्ला; निकम्मा; कामचोर 2. प्रयासहीन; प्रारब्धवादी; भाग्यवादी।
अकर्मण्यता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अकर्मण्य होने की स्थिति या भाव 2. निकम्मापन; निठल्लापन; आलस 3. निरुत्साह।
अकर्मी
(सं.) [वि.] 1. काम न करने वाला; काम से जी चुराने वाला 2. बुरा कर्म करने वाला; पापी; दुष्कर्मी 3. अपराधी; दोषी।
अकलंक
(सं.) [वि.] 1. कलंक रहित; बेदाग; निर्दोष; निष्कलंक 2. निर्मल; शुद्ध।
अकल
(सं.) [वि.] 1. जिसमें कल (अंग या अवयव) न हों; अवयवरहित; अंशरहित 2. जो कलाओं या भागों में विभक्त न हो; पूर्ण; अखंड 3. जिसकी गणना संभव न हो।
अकलखुरा
(सं.+फ़ा.) [वि.] 1. अकेला खाने वाला; मतलबी; स्वार्थी 2. सबसे अलग-थलग रहने वाला।
अकलदाढ़
(अ.+सं.) [सं-स्त्री.] 1. युवावस्था में दंतावली के दोनों सिरों पर निकलने वाले दाँत 2. लोकमान्यता के अनुसार अकलदाढ़ को अक्ल या समझदारी आने का सूचक माना जाता
है।
अकलबीर
[सं-पु.] एक पौधा जिसकी जड़ रेशम पर रंग चढ़ाने के काम आती है।
अकलित
(सं.) [वि.] 1. नाम मात्र का 2. जिसकी गणना ही न हुई हो।
अकलुष
(सं.) [वि.] जिसमें कोई कलुषता या दोष न हो; निर्मल हृदय; स्वच्छ; मलहीन; निर्दोष; निष्पाप।
अकल्प
(सं.) [वि.] 1. जिसकी तुलना न हो सके; अतुलनीय 2. अनियंत्रित; असंयत 3. कमज़ोर; दुर्बल; अक्षम।
अकल्पनीय
(सं.) [वि.] 1. जिसकी कल्पना न की जा सके; कल्पनातीत 2. असंभव 3. चमत्कारपूर्ण; आश्चर्यजनक।
अकल्पित
(सं.) [वि.] 1. जिसकी कल्पना भी न की गई हो; जिसके बारे में सोचा तक न गया हो; अविचारित 2. जो कल्पित न होकर यथार्थ हो, वास्तविक।
अकल्मष
(सं.) [वि.] 1. निर्दोष 2. शुद्ध 3. निष्कंलक; बेदाग़ 3. परिपूर्ण।
अकल्याण
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जो संकट में डालता हो; अहित; अमंगल 2. अनर्थ; अनिष्ट 3. अशुभ; अभद्र।
अकल्याणकारी
(सं.) [वि.] 1. जिससे हानि या कष्ट की संभावना हो; अमंगलकारी; अनिष्टकारी 2. दुर्भाग्यप्रद।
अकविता
(सं.) [सं-स्त्री.] पूर्व साहित्यिक मानकों को अस्वीकार कर चलने वाली नए रूप-प्रारूप की हिंदी कविता जो 'नई कविता' के बाद शुरू हुई।
अकशेरुकी
(सं.) [सं-पु.] बिना रीढ़ वाले जंतु; प्राणी जिसमें मेरुदंड न हो, जैसे- घोंघा आदि।
अकस
(सं.) [सं-पु.] 1. मन में होने वाला दुर्भाव या वैर; मनमुटाव 2. शत्रुता; द्वेष 3. अकड़; ऐंठ।
अकसर
(फ़ा.) [क्रि.वि.] प्रायः; अधिकतर; बहुधा; अमूमन; बारंबार।
अकसीर
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. साधारण धातु से सोना बनाने वाला रसायन; कीमिया 2. रोग-विशेष के लिए अचूक औषधि। [वि.] बहुत गुणकारी; अचूक।
अकस्मात
(सं.) [क्रि.वि.] 1. अचानक; एकदम से; एकाएक; औचक; सहसा 2. संयोगवश।
अकहानी
[सं-स्त्री.] हिंदी में नई कहानी के बाद का एक कथा-आंदोलन या कहानी की धारा जिसमें कहानी के प्रचलित ढाँचे या पारंपरिक तत्वों का निषेध किया गया।
अकांड
(सं.) [वि.] 1. बिना शाखा या तने का; शाखारहित (वृक्ष) 2. अचानक या असमय होने वाला; आकस्मिक 3. अनपेक्षित। [क्रि.वि.] अकस्मात; अचानक; अकारण ही; सहसा।
अकाउंट
(इं.) [सं-पु.] 1. जमा खाता; बैंक खाता; लेखा 2. हिसाब-किताब; लेखा-जोखा 2. महत्व 3. वजह; कारण 4. व्याख्या; वृतांत; विवरण।
अकाउंटेंट
(इं.) [सं-पु.] लेखाकार; लेखापाल; हिसाब रखने वाला; मुनीम।
अकाज
(सं.) [सं-पु.] 1. कार्य का न होना; कार्य की हानि 2. हर्ज़; नुकसान 2. विघ्न 3. गलत काम। [क्रि.वि.] बेकार ही; बेवजह; निष्प्रयोजन।
अकाजी
(सं.) [वि.] 1. अकाज करने वाला; जिसकी वजह से किसी काम का नुकसान हो जाए 2. निकम्मा; बिना काम-काज का।
अकाट्य
(सं.) [वि.] 1. जो काटा न जा सके; जिसकी कोई काट न हो 2. अत्यंत दृढ़; मज़बूत; कठोर 3. (तर्क, विचार, बात आदि) जिसका तर्क या तथ्य से खंडन न किया जा सके;
अखंडनीय; अटूट।
अकादमिक
[वि.] 1. शिक्षा संबंधी; उच्च शैक्षिक; विद्यालयीन 2. अकादमी से संबंधित; विद्यापीठीय 3. पुस्तकीय 4. विद्वतापूर्ण; प्राध्यापकीय 5. कोरा सैद्धांतिक; शास्त्रीय;
जिसमें व्यावहारिकता न हो।
अकादमी
[सं-स्त्री.] 1. ज्ञान-विज्ञान की उच्च शैक्षणिक संस्था, जैसे- विश्वविद्यालय; महाविद्यालय; गुरुकुल 2. किसी विषय विशेष के अध्ययन-अध्यापन का विद्यापीठ 3.
साहित्य, कला, विज्ञान आदि की उन्नति के लिए गठित कोई संस्था या परिषद; (अकैडमी)।
अकाम
(सं.) [वि.] 1. निष्काम; कामनारहित 2. अनिच्छुक; इच्छाशून्य 3. उदासीन। [क्रि.वि.] बिना काम के; बेमतलब; निष्प्रयोजन; बेकार ही। [सं-पु.] अनुचित काम।
अकाय
(सं.) [वि.] 1. जो बिना शरीर या काया के हो; कायारहित; देहरहित 2. आकार और रूप से रहित; निराकार 3. शरीर धारण न करने वाला; अजन्मा। [सं-पु.] परमात्मा।
अकार
(सं.) [सं-पु.] 1. 'अ' स्वर वर्ण 2. 'अ' की उच्चारण ध्वनि।
अकारज
(सं.) [सं-पु.] कार्य की हानि; काम का नुकसान।
अकारण
(सं.) [क्रि.वि.] बिना कारण के; बेमतलब; यूँ ही। [वि.] 1. जिसका कोई कारण न हो 2. जिसका कोई प्रयोजन न हो; निष्प्रयोजन; निरुद्देश्य।
अकारथ
(सं.) [वि.] 1. व्यर्थ; बेकार; निष्फल; निरर्थक; जिसमें लाभ न हो 2. अनुपयोगी। [क्रि.वि.] व्यर्थ ही; बेकार; यों ही। [मु.] -होना : व्यर्थ
होना।
अकारांत
(सं.) [वि.] (शब्द या पद) जिसके अंत में 'अ' वर्ण हो, जैसे- कल, जन, वश आदि।
अकारादि
(सं.) [वि.] (शब्द या पद) जो 'अ' वर्ण से शुरू होते हों, जैसे- अनुपम, अविराम, अनुराग आदि 2. (क्रम) जो अ, आ, इ, ई इत्यादि वर्णों के अनुसार हों; (ऐल्फ़ाबेटिकल)।
अकारादि क्रम
(सं.) [सं-पु.] देवनागरी वर्णमाला के अनुसार आरंभ होने वाला शब्दों का क्रम।
अकार्बनिक
[वि.] जिसमें कार्बन तत्व न हो; (इनऑर्गैनिक)।
अकार्य
(सं.) [सं-पु.] 1. बुरा या अनुचित कार्य 2. अपराध; दुष्कर्म। [वि.] न करने योग्य; अकर्म; अनुचित।
अकार्यकारी
(सं.) [वि.] 1. कर्तव्य का पालन न करने वाला 2. बुरा काम करने वाला 3. अनधिकृत कार्य करने वाला।
अकाल
(सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा समय जब अनाज आदि की कमी के कारण लोग भूखों मरने लगें; बुरा समय; दुष्काल; दुर्भिक्ष 2. सूखा पड़ना; अनावृष्टि 3. कुअवसर, असमय 4. काल के
परे 5. {ला-अ.} किसी वस्तु की भारी कमी। [वि.] 1. जिसका समय नहीं हुआ हो; असामयिक, जैसे-अकाल मृत्यु 2. जिसकी मृत्यु न होती हो 3. जिसपर काल का प्रभाव न पड़ता
हो; कालातीत। [मु.] -पड़ना : कमी हो जाना; दुर्लभ होना।
अकालकुसुम
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी वृक्ष या पौधे पर नियत समय से पहले या बाद में आया हुआ फूल; बेमौसम का फूल 2. {ला-अ.} बेमौसम की चीज़।
अकालपक्व
(सं.) [वि.] 1. समय से पहले या बाद में पकने वाला 2. बिना मौसम के पकने वाला (फल, अनाज आदि)।
अकालपीड़ित
(सं.) [वि.] 1. जो अकाल से त्रस्त या पीड़ित हो; अकालग्रस्त 2. अकाल से नुकसान उठाने वाला।
अकालपुरुष
(सं.) [सं-पु.] 1. परमेश्वर; परम ब्रह्म; ईश्वर 2. कालातीत पुरुष 3. सिख धर्म में स्मरण किया जाने वाला एक नाम।
अकालमृत्यु
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दुर्घटना या बीमारी आदि में होने वाली असामयिक मौत 2. उम्र से पहले होने वाली मृत्यु।
अकालवृद्ध
(सं.) [वि.] 1. समय से पहले बूढ़ा हो जाने वाला 2. कम आयु में ही वृद्धों जैसा व्यवहार करने वाला।
अकालवृष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] नियत समय से पहले या बाद में होने वाली वर्षा; बेमौसम की वर्षा।
अकालिक
(सं.) [वि.] 1. जो समय के अनुसार न हो; असामयिक 2. जो अवसर के अनुरूप न हो।
अकाली
(सं.) [सं-पु.] 1. केशधारी सिखों का एक धार्मिक संप्रदाय 2. उक्त संप्रदाय का सदस्य।
अकालोत्पन्न
(सं.) [वि.] 1. जो समय से पहले पैदा हुआ हो; असमय जन्मा; अकालजात 2. अर्धविकसित।
अकासी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. चील नामक पक्षी 2. ताड़ का रस; ताड़ी; नीरा।
अकिंचन
(सं.) [वि.] 1. अतिनिर्धन; दरिद्र; कंगाल; दिवालिया 2. अपरिग्रही 3. नगण्य; मामूली; महत्वहीन 4. परावलंबी 5. गुमनाम। [सं-पु.] 1. अत्यंत दरिद्र व्यक्ति;
महत्वहीन व्यक्ति 2. अपरिग्रही व्यक्ति 3. भिखारी।
अकिंचनता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. निर्धनता; परम दरिद्रता; दिवाला 2. परिग्रह का त्याग 3. नगण्यता; महत्वहीनता 4. गुमनामी 5. दीनता।
अकिंचनवाद
(सं.) [सं-पु.] वह वाद या मामला जिसमें वादी अपने को दिवालिया घोषित करे और सरकार से वाद चलाने तक का ख़र्च माँगे।
अकिंचित
(सं.) [वि.] 1. जिसकी कोई गिनती न हो; नगण्य 2. तुच्छ; दरिद्र।
अकिंचित्कर
(सं.) [वि.] 1. जो किसी कार्य के लायक न हो 2. निरर्थक; बेकार; तुच्छ 3. जिसका कोई परिणाम या प्रभाव न हो।
अकीक
(अ.) [सं-पु.] एक कीमती पत्थर जो लाल या श्वेताभ पीला होता है और जिसमें औषधीय गुण भी होते हैं; गोमेद।
अकीदत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. सम्मान; श्रद्धा; आस्था 2. पूजा 3. निष्ठा; भरोसा; विश्वास।
अकीदतमंद
(अ.) [वि.] 1. पूजा-पाठ करने वाला 2. श्रद्धालु 3. सेवाभावी।
अकीदा
(अ.) [सं-पु.] 1. विश्वास; श्रद्धा 2. धार्मिक विश्वास।
अकीर्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बदनामी; अपयश 2. गुमनामी।
अकीर्तिकर
(सं.) [वि.] 1. अपयश देने वाला; बदनामी कराने वाला 2. निंदनीय 3. प्रतिष्ठा ख़तम करने वाला।
अकील
(अ.) [वि.] 1. बुद्धिमान; मेधावी; अक्लमंद 2. श्रेष्ठतम।
अकुंचनीय
(सं.) [वि.] जो सिकुड़ता न हो; जो संकुचित न होता हो।
अकुत्सित
(सं.) [वि.] 1. जो कुत्सित या विकृत न हो 2. निर्मल 3. अनिंदनीय; जो बुरा न हो।
अकुप्य
(सं.) [सं-पु.] 1. अच्छी धातु 2. सोना-चाँदी।
अकुलाना
[क्रि-अ.] 1. परेशान होना; आकुल होना; बेचैन होना; विह्वल होना 2. घबड़ाना; डरना; काँपना।
अकुलाहट
[सं-स्त्री.] 1. अधीरता; व्याकुलता; बेचैनी 2. घबराहट 3. व्यग्रता; छटपटाहट।
अकुशल
(सं.) [वि.] 1. जो किसी काम में कुशल न हो; अनाड़ी; काम में कच्चा; अप्रशिक्षित; नौसिखिया; अनुभवहीन; (अनस्किल्ड) 2. जहाँ कुशल-मंगल न हो; संकटग्रस्त। [सं-पु.]
संकट, अनिष्ट; अहित।
अकुशलता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अकुशल होने की अवस्था या भाव; दुख; विपत्ति 2. अनिपुणता; अनाड़ीपन।
अकूट
(सं.) [वि.] 1. जिसमें कपट न हो; जो धोखा न दे; छलरहित 2. अचूक; अमोघ 3. जो खोटा न हो (सिक्का) 4. खरा; शुद्ध; सच्चा; (जेनुइन) 5. जो अच्छी नस्ल का हो 6.
प्रामाणिक; वास्तविक।
अकूत
[वि.] जिसका आकलन करना मुश्किल हो; अगणनीय; अपरिमित; अथाह; अत्यधिक; अपार; अनुमान से परे।
अकूपार
(सं.) [वि.] 1. जिसका परिणाम अच्छा हो 2. अपार; असीम। [सं-पु.] 1. समुद्र 2. कछुआ 3. (पुराण) पृथ्वी का भार वहन करने वाला महाकच्छप 4. बड़ी और भारी चट्टान;
पत्थर।
अकूल
(सं.) [वि.] 1. जिसका कोई कूल या किनारा न हो; तटहीन; जिसका कोई ओर-छोर न हो 2. जिसकी कोई सीमा या अंत न हो; अनंत; असीम।
अकृच्छ
(सं.) [सं-पु.] आसानी; सुगमता; सरलता। [वि.] 1. दुख का अभाव; क्लेशरहित 2. आसान; सरल; सुगम; सहज।
अकृत
(सं.) [वि.] 1. न किया हुआ 2. जो ठीक से संपन्न न हुआ हो; आधा-अधूरा; अविकसित 3. किए हुए का बिगड़ा रूप 4. जिसे किसी ने बनाया न हो; अकृत्रिम; प्राकृतिक 5.
जिसने कभी कुछ सार्थक न किया हो 6. निरस्त; मंसूख; रद्द। [सं-पु.] अधूरा काम; न किया हुआ काम।
अकृतज्ञ
(सं.) [वि.] जो आभार न मानता हो; किए हुए उपकार को न मानने वाला; कृतघ्न; अहसानफ़रामोश।
अकृतात्मा
(सं.) [वि.] 1. अज्ञानी 2. असंस्कृत 3. ऐसा साधक जिसे अभी ईश्वर के अस्तित्व की अनुभूति न हुई हो।
अकृतार्थ
(सं.) [वि.] जो कृतार्थ न हुआ हो; जिसका मनोरथ सफल न हुआ हो; विफल; असफल।
अकृति
(सं.) [वि.] 1. काम न करने योग्य; निकम्मा; अकर्मण्य; प्रयासहीन 2. अकुशल; अनाड़ी 3. असफल।
अकृत्त
(सं.) [वि.] 1. जो कटा न हो 2. जिसकी काट-छाँट या कतर-ब्योंत न हुई हो।
अकृत्य
(सं.) [वि.] जो करने योग्य न हो; अकरणीय। [सं-पु.] अपराध; दुष्कर्म।
अकृत्यकारी
(सं.) [सं-पु.] दुष्कर्म करने वाला; कुकर्मी; अपराधी; (क्रिमिनल)।
अकृत्रिम
(सं.) [वि.] स्वाभाविक; प्राकृतिक; जो बनावटी न हो; असली; सच्चा; वास्तविक; मौलिक।
अकृत्स्न
(सं.) [वि.] जो पूरा न हुआ हो; अधूरा; अपूर्ण।
अकृपण
(सं.) [वि.] जो कृपण अथवा कंजूस न हो; ख़र्च करने वाला; उदार; दानशील।
अकृपा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनुग्रह या कृपा का न होना 2. नाराज़गी 3. क्रोध।
अकृषिक
(सं.) [वि.] जो कृषि से संबंध न रखता हो; कृषीतर (नॉन-ऐग्रिकल्चरल)।
अकृषित
(सं.) [वि.] 1. जो जोता-बोया न गया हो; (खेत); अनजुता; (अन-कल्टिवेटेड) 2. वन्य; प्रकृति प्रदत्त।
अकृष्ट
(सं.) [वि.] 1. जिसमें जुताई न हुई हो; अनजुता; अकृषित (अनाज) 2. प्रकृत; वन्य।
अकृष्ण
(सं.) [वि.] 1. जो काला न हो 2. उजला; उज्ज्वल 3. शुद्ध; निर्मल।
अकेतन
(सं.) [वि.] 1. जिसका घर न हो; बेघर; अनिकेतन 2. ख़ानाबदोश; यायावर।
अकेतु
(सं.) [वि.] 1. आकृति रहित 2. जिसकी पहचान न हो सके।
अकेला
(सं.) [वि.] 1. एकाकी; जो किसी के साथ न हो; जिसके साथ कोई न हो 2. केवल एक; एकमात्र; जिसकी तरह का कोई दूसरा न हो; अद्वितीय 3. अविवाहित 4. विधुर 5. जिसे किसी
का सहयोग प्राप्त न हो 6. परित्यक्त 7. पृथक 8. बेजोड़; अनोखा। [सं-पु.] एकांत या निर्जन स्थान।
अकेलापन
(सं.) [सं-पु.] 1. अकेला होने की स्थिति या भाव; एकाकीपन 2. एकांत 3. वैयक्तिकता।
अकैया
(सं.) [सं-पु.] सामान ढोने या लादने का थैला; झोला।
अकोट
(सं.) [सं-पु.] 1. सुपारी फल 2. सुपारी का पेड़। [वि.] 1. अनगणित; करोड़ों 2. बहुत अधिक।
अकोविद
(सं.) [वि.] 1. जो कोविद अर्थात विद्वान न हो; जो अक्लमंद न हो 2. अज्ञानी; अनाड़ी 3. बेवकूफ़; मूर्ख 4. अनुभवहीन।
अकौआ
[सं-पु.] 1. आक का पौधा; मदार 2. गले के अंदर की घंटी; काकल।
अकौटिल्य
(सं.) [वि.] जो कुटिल अर्थात टेढ़ा न हो; कुटिलता-रहित; सरलता।
अक्कास
(अ.) [सं-पु.] अक्स उतारने वाला; चित्रकार; (फ़ोटोग्राफ़र)।
अक्कासी
(अ.) [सं-स्त्री.] अक्स उतारने की कला या पेशा; चित्रांकन; (फ़ोटोग्राफ़ी)।
अक्खड़
[वि.] 1. कठोर स्वभाववाला 2. कटुभाषी; कलहप्रिय; धृष्ट; लड़ाका 3. अपनी बात पर अड़ा रहने वाला; मूर्ख; जड़ 4. अशिष्ट; उद्धत; उजड्ड 5. दो टूक कहने वाला;
स्पष्टवादी, निडर; निर्भय।
अक्खड़पन
[सं-पु.] 1. अक्खड़ होने की अवस्था या भाव 2. मूर्खता; उजड्डपन 3. विनम्रता का अभाव 4. धृष्टता 5. स्पष्टवादिता; निडरता।
अक्टूबर
(इं.) [सं-पु.] अँग्रेज़ी कैलेंडर का दसवाँ महीना जो सितंबर और नवंबर के बीच में पड़ता है।
अक्त
(सं.) [वि.] 1. अंजन से युक्त (आँखोंवाला) 2. सामासिक पद में प्रयुक्त होकर युक्त, सहित आदि अर्थ देता है, जैसे- विषाक्त 3. जो किसी से मिला हो; जो किसी के साथ
लगा हो 4. लिप्त; छिपा हुआ 5. व्याप्त 5. पोता या रँगा हुआ।
अक्रम
(सं.) [वि.] 1. बिना क्रम का; जो क्रम में न रखा गया हो; अव्यवस्थित 2. गतिहीन; निश्चल। [सं-पु.] 1. अव्यवस्था 2. क्रमहीनता 3. गतिहीनता।
अक्रमातिशयोक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) अतिशयोक्ति अलंकार का एक भेद जिसमें कार्य और कारण का एक साथ होना दर्शाया जाता है अर्थात कार्य के आरंभ होते ही कार्य के
पूरे होने का उल्लेख होता है।
अक्रमिक
(सं.) [वि.] जो क्रम से न हो; क्रमहीन; अव्यवस्थित; बेतरतीब।
अक्रांत
(सं.) [वि.] 1. जो किसी से न हारा हो; अपराजित 2. सबसे आगे का; जिससे आगे निकलना कठिन हो 3. जो दबाया न गया हो।
अक्रिय
(सं.) [वि.] 1. जो क्रिया या कर्म न करता हो; क्रियाहीन; कर्मशून्य 2. काहिल; निकम्मा; निष्क्रिय 3. चेष्टारहित; प्रयासरहित 4. (रसायनविज्ञान) जो सरलता से
रासायनिक अभिक्रिया न करता हो, जैसे- अक्रिय गैसें (हीलियम, आर्गन, नियान आदि)।
अक्रियमाण
(सं.) [वि.] 1. जो कार्य रूप में न हो रहा हो 2. जो अपनी क्रिया या कार्य न कर रहा हो; (इनऑपरेटिव)।
अक्रिया
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अक्रिय होने की अवस्था या भाव 2. कर्तव्यहीनता 3. कर्महीनता; निष्क्रियता; क्रियाहीनता 4. अनुचित कर्म; दुष्कर्म 5. अप्रयास; अकर्म।
अक्रीत
(सं.) [वि.] 1. जिसे क्रय न किया गया हो; न ख़रीदा हुआ 2. उधार लिया हुआ।
अक्रूर
(सं.) [वि.] 1. जो क्रूर न हो; अहिंसक 2. दयालु; कोमल चित्तवाला 3. सज्जन; सभ्य। [सं-पु.] (पुराण) कृष्ण के चाचा का नाम।
अक्रोध
(सं.) [सं-पु.] 1. क्रोध का न होना; क्रोध का पूर्ण अभाव 2. सहिष्णुता का भाव।
अक्ल
(अ.) [सं-पु.] 1. बुद्धि; समझ 2. चतुराई; होशियारी। [मु.] -का अंधा : मूर्ख; जिसमें समझ न हो। -का दुश्मन : मूर्ख; बेवकूफ़ी
के काम करने वाला। -के पीछे लट्ठ लिए फिरना : लगातार मूर्खतापूर्ण कार्य करते रहना। -गुम हो जाना : कुछ समझ में न आना। -चरने जाना : बुद्धि का काम न करना। -ठिकाने लगाना : किसी को उसके स्तर का बोध कराना। -पर पत्थर पड़ना :
बुद्धि का काम न करना। -लगाना : तरकीब या युक्ति सोचना। -सठिया जाना : साठ वर्ष का होने पर बुद्धि का ह्रास होना।
अक्लम
(सं.) [सं-पु.] क्लांति या थकावट का न होना। [वि.] जिसे थकावट न होती हो।
अक्लमंद
(अ.) [वि.] 1. समझदार; बुद्धिमान 2. चतुर; होशियार 3. दूरदर्शी; विवेकी।
अक्लमंदी
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. अक्लमंद होने की अवस्था या भाव; बुद्धिमत्ता; समझदारी 2. चतुराई; होशियारी 3. दूरदर्शिता 4. वैचारिकता।
अक्लांत
(सं.) [वि.] जो थका न हो; क्लांतिरहित; विश्रांत।
अक्लिष्ट
(सं.) [वि.] 1. जो क्लिष्ट या कठिन न हो; आसान; सरल 2. अक्लांत; क्लेशरहित 3. बोध्य; पठनीय (पुस्तक या लेख आदि) 4. जो अशांत या उद्विग्न न हो; अनुद्विग्न 5.
सुलझा हुआ।
अक्ली
(अ.) [वि.] 1. अक्ल या बुद्धि से संबंधित; अक्लदार; अक्लयोग्य 2. तर्कसिद्ध; वाजिब; उचित; ठीक।
अक्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. पहिया; चक्र 2. गाड़ी का वह मोटा डंडा जिसके चारों तरफ़ पहिया घूमता है; पहिए का धूरा; चूल; कीला; अक्षदंड; (ऐक्सल; ऐक्सिस) 3. वह कल्पित या
मानी हुई रेखा जिसपर कोई ठोस वस्तु घूमती है, जैसे- पृथ्वी के दो धुरियों को मिलाने वाली सीधी रेखा जिसपर पृथ्वी घूमती हुई मानी जाती है 4. धरती की धुरी 5.
भूमध्यरेखा के उत्तर या दक्षिण के किसी स्थान का गोलीय अंतर 6. चौसर; पासों का खेल; जुआ 7. सोलह माशे की एक तौल 8. एक सौ चार अंगुल का एक पैमाना 9. आँख 10.
तराजू का डंडा 11. कानून।
अक्षकर्ण
(सं.) [सं-पु.] (रेखा.) समकोण त्रिभुज की सबसे लंबी भुजा; समकोण के सामने वाली भुजा; कर्णभुजा।
अक्षकाम
(सं.) [वि.] जुआ खेलने का शौकीन, द्यूतप्रेमी।
अक्षकुशल
(सं.) [वि.] जुआ खेलने में होशियार; द्यूतप्रवीण।
अक्षकूट
(सं.) [सं-पु.] आँख की पुतली।
अक्षक्रीड़ा
(सं.) [सं-स्त्री.] पासों से खेला जाने वाला खेल; चौसर; जुआ।
अक्षज
(सं.) [वि.] अक्ष से उत्पन्न या बना हुआ। [सं-पु.] 1. प्रत्यक्ष ज्ञान 2. वज्र 3. हीरा।
अक्षत
(सं.) [वि.] 1. जो क्षत या खंडित न हुआ हो; जो टूटा-फूटा न हो; अभंजित; समूचा; साबुत; सर्वांग; संपूर्ण 2. जो क्षत या जख़्मी न हुआ हो; अनाहंत। [सं-पु.] 1.
अखंडित और कच्चा चावल 2. भिगोया हुआ साबुत चावल जिसका उपयोग पूजा, अभिषेक आदि कर्मकांडों में होता है; अच्छत 3. धान का लावा 4. जौ नामक खाद्यान्न 5. कल्याण।
अक्षतयोनि
(सं.) [वि.] (युवती) जिसका कौमार्य भंग न हुआ हो; कुँवारी; कुमारी; कौमार्यवती; (वर्जिन)।
अक्षतयौवना
(सं.) [वि.] 1. जिसका यौवन अक्षत हो 2. (युवती) जिसने कभी संभोग न किया हो।
अक्षतवीर्य
(सं.) [वि.] (पुरुष) जिसने संभोग न किया हो; जिसका वीर्य स्खलित न हुआ हो 2. ब्रह्मचारी; अच्युतवीर्य। [सं-पु.] 1. नपुंसक 2. क्षय का अभाव।
अक्षता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह युवती जिसने संभोग न किया हो 2. वह स्त्री जिसने विवाह के बाद भी संभोग न किया हो 3. कुमारी; अक्षतयोनि।
अक्षदंड
(सं.) [सं-पु.] 1. पहिए की धुरी; धुरीदंड 2. कीला।
अक्षदर्शक
(सं.) [सं-पु.] जुए के खेल का निरीक्षक; जुआघर का मालिक।
अक्षधर
(सं.) [वि.] धुरे को धारण करने वाला; जिसपर कोई अक्ष टिका हो। [सं-पु.] 1. गाड़ी का पहिया 2. बैल।
अक्षधुर
(सं.) [सं-पु.] पहिए का धुरा; (ऐक्सल)।
अक्षपटल
(सं.) [सं-पु.] 1. न्यायालय का भवन 2. मुकदमे के कागज़ात रखने का स्थान।
अक्षपाद
(सं.) [सं-पु.] 1. तर्क या शास्त्र का विशेषज्ञ; तार्किक; नैयायिक 2. गौतम ऋषि जो न्यायशास्त्र के प्रवर्तक माने जाते हैं।
अक्षबंध
(सं.) [सं-पु.] 1. दृष्टि बाँध देने की विद्या; नज़रबंदी 2. नज़र बाँधने का काम।
अक्षम
(सं.) [वि.] 1. क्षमतारहित; असहिष्णु 2. अयोग्य; अशक्त; असहाय; कमज़ोर; असमर्थ; (इनकेपेबल) 3. बेकस; बेकार 4. सामर्थ्यहीन; विकलांग; पंगु 5. कंगाल; दरिद्र।
अक्षमता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अक्षम होने की अवस्था या भाव; अशक्तता; असमर्थता 2. ईर्ष्या; जलन 3. अयोग्यता।
अक्षमापक
(सं.) [सं-पु.] ग्रह-नक्षत्र देखने वाला एक यंत्र; (टेलीस्कोप)।
अक्षमाला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वर्णमाला 2. जपमाला; रुद्राक्ष की माला; सुमिरनी 3. वशिष्ठ की पत्नी; अरुंधती।
अक्षमाली
(सं.) [सं-पु.] 1. रुद्राक्ष की माला धारण करने वाला 2. शिव का एक नाम।
अक्षम्य
(सं.) [वि.] 1. जो क्षमा के योग्य न हो; अक्षंतव्य 2. अनुचित; अन्यायपूर्ण।
अक्षय
(सं.) [वि.] 1. जिसका क्षय या विघटन न हो; अविनाशी; क्षयरहित 2. अनंत 3. अपरिवर्तनीय; शाश्वत 4. चिरयुवा। [सं-पु.] ब्रह्म।
अक्षयतृतीया
(सं.) [सं-स्त्री.] वैशाख शुक्ल तृतीया; अक्षय तीज।
अक्षयधाम
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) वह स्थान या धाम जहाँ जन्म-मरण का चक्र समाप्त हो जाता है; बैकुंठ; मोक्षलोक।
अक्षयनवमी
(सं.) [सं-स्त्री.] कार्तिक शुक्ल नवमी।
अक्षयनिधि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऐसी संपत्ति या निधि जिसका नाश न हो; वह भंडार जो कभी समाप्त न हो; अक्षयकोश 2. स्थायी दान या निधि 2. {ला-अ.} यश; कीर्ति; पुण्य।
अक्षयपद
(सं.) [सं-पु.] 1. कभी नष्ट न होने वाला दिव्य स्थान; अक्षयधाम 2. बैकुंठ; मोक्ष; मुक्ति।
अक्षयपात्र
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) वह कल्पित पात्र जिसमें अन्न या भोजन सामग्री समाप्त नहीं होती है। [वि.] कभी न खाली होने वाला; मनचाही वस्तुएँ देने वाला (पात्र)।
अक्षयलोक
(सं.) [सं-पु.] 1. सुरम्य स्थान; उपवन; मोक्ष का स्थान 2. (पुराण) स्वर्ग नामक स्थान।
अक्षयवट
(सं.) [सं-पु.] प्रयाग और गया में स्थित बरगद के वृक्ष जिनके बारे में मिथकीय धारणा है कि प्रलय में भी उनका नाश नहीं हुआ, न आगे कभी होगा।
अक्षयी
(सं.) [वि.] जिसका क्षय या नाश न हो; अक्षय; अविनाशी; शाश्वत।
अक्षय्य
(सं.) [वि.] 1. किसी भी तरह जिसका क्षय या नाश न किया जा सके; अनश्वर 2. अखंडित।
अक्षर
(सं.) [सं-पु.] 1. शब्द या शब्दांश जिसमें केवल एक स्वर हो 2. वह ध्वनि इकाई जिसका उच्चारण श्वास के एक झटके में होता है; (सिलेबल)। [वि.] 1. जिसका नाश न हो;
अविनाशी 2. स्थिर; अच्युत; नित्य।
अक्षरअंतराल
[सं-पु.] 1. कंपोज़िंग करते समय अक्षरों के बीच स्पेस डालना 2. छपे अक्षरों के मध्य का रिक्त स्थान।
अक्षरक्रम
(सं.) [सं-पु.] 1. (नामों आदि की सूची में) शब्दों के आरंभिक अक्षरों का वर्णमाला के अनुसार क्रम; अकारादि क्रम; वर्णक्रम; (ऐल्फ़ाबेटिकल ऑर्डर)।
अक्षरजीवी
(सं.) [सं-पु.] 1. लेखन कार्य से जीविका चलाने वाला; लेखक 2. व्यावसायिक लेखक 3. प्रतिलिपिक; नकलनवीस 4. लिपिक।
अक्षरज्ञान
(सं.) [सं-पु.] साक्षरता; लिखने-पढ़ने की योग्यता।
अक्षरता
(सं.) [सं-स्त्री.] अक्षर या अविनाशी होने की अवस्था या भाव; शाश्वतता; अमरता।
अक्षरधाम
(सं.) [सं-पु.] 1. ब्रह्मलोक 2. मोक्ष।
अक्षरमाला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी भाषा में ध्वनि संकेतों या लिपि चिह्नों का समूह 2. अक्षरों या वर्णों का समूह; वर्णमाला।
अक्षरयोजक
(सं.) [सं-पु.] लिखित सामग्री को मुद्रणाक्षरों में संयोजित करने वाला; (टाइपसेटर; कंपोज़िटर)।
अक्षरयोजन
(सं.) [सं-पु.] किसी विवरण अथवा पांडुलिपि की छपाई हेतु मुद्रणाक्षरों में संयोजित करना; (कंपोज़िंग; टाइपसेटिंग)।
अक्षरशः
(सं.) [अव्य.] 1. (वाक्य या लेख में) एक-एक अक्षर पर ज़ोर देते हुए; एक-एक अक्षर का ध्यान या अनुकरण करते हुए; हर्फ़-ब-हर्फ़ 2. पूर्णतया; ब्यौरेवार; ज्यों का
त्यों; यथावत।
अक्षरांतरण
(सं.) [सं-पु.] 1. अक्षरों का परस्पर स्थानांतरण 2. शब्द में किसी वर्ण या अक्षर का इधर-उधर हो जाना, जैसे- चाकू को काचू, मतलब का मतबल।
अक्षराकृति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अक्षरों की बनावट; लिपि 2. अक्षरों और लिपि की शैली या डिज़ाइन; (फ़ॉन्ट)।
अक्षरात्मक
(सं.) [वि.] 1. अक्षर संबंधी, अक्षर का 2. अक्षरों से बना हुआ।
अक्षरारंभ
(सं.) [सं-पु.] 1. पहली बार अक्षरों या भाषा का ज्ञान कराना 2. विद्या ग्रहण आरंभ का एक संस्कार 2. पुराने समय में बच्चे के अक्षरज्ञान या शिक्षा का आरंभ करने
पर होने वाला आयोजन।
अक्षरार्थ
(सं.) [सं-पु.] 1. शब्द के प्रत्येक अक्षर का अर्थ 2. शब्दार्थ; शब्दों का अर्थ 3. भावार्थ से भिन्न संकुचित अर्थ।
अक्षरी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. शब्दों के अक्षरों का सटीक और सार्थक क्रम 2. वर्तनी; हिज्जे; (स्पेलिंग) 3. किसी शब्द का उतना ध्वनि समूह जो एक झटके में बोला जाए;
(सिलेबल)।
अक्षरेखा
(सं.) [सं-स्त्री.] वह सीधी रेखा जो किसी गोले के केंद्र से उसके तल के किसी बिंदु तक सीधी पहुँचती है; धुरी की रेखा; अक्षांश रेखा।
अक्षरौटी
[सं-स्त्री.] 1. वर्णमाला 2. लिखाई की पद्धति; लिपि का ढंग।
अक्षहीन
(सं.) [वि.] 1. अंधा; नेत्रहीन 2. धुरीविहीन।
अक्षांतर
(सं.) [सं-पु.] 1. अक्षांश 2. भूमध्य रेखा से दूरी।
अक्षांति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अशांति 2. ईर्ष्या; असहनशीलता; अधीरता।
अक्षांश
(सं.) [सं-पु.] 1. भूमध्यरेखा से उत्तर ध्रुव या दक्षिण ध्रुव की ओर कोणीय दूरी या अंतर; अक्षांतर 2. अक्षांतर रेखा; (लैटिट्यूड लाइन) 3. पृथ्वी की सतह पर स्थित
किसी बिंदु या स्थान की उसके केंद्र से नापी गई कोणीय दूरी।
अक्षांशवृत्त
(सं.) [सं-पु.] पृथ्वी पर किसी स्थान से गुज़रने वाला एक काल्पनिक वृत्त जो भूमध्य रेखा के समांतर होता है; अक्षांश रेखा।
अक्षि
(सं.) [सं-स्त्री.] आँख; नेत्र।
अक्षित
(सं.) [वि.] 1. जिसे चोट न लगी हो 2. जिसका क्षय न हुआ हो। [सं-पु.] जल।
अक्षिति
(सं.) [सं-स्त्री.] नश्वरता। [वि.] जिसका नाश या क्षय न हो।
अक्षिविक्षेप
(सं.) [सं-पु.] नेत्रों का भाव विशेष के साथ संचालन; कटाक्ष; चितवन।
अक्षिसाक्षी
(सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा साक्षी जिसने कोई घटना अपनी आँखों से देखी हो 2. चश्मदीद गवाह।
अक्षीण
(सं.) [वि.] 1. जो क्षीण अर्थात दुर्बल न हो 2. जो क्षीण न हुआ हो; जो घटा न हो 3. मोटा; हृष्ट-पुष्ट; तगड़ा।
अक्षीय
(सं.) [वि.] 1. अक्ष से संबंध रखने वाला 2. किसी वस्तु के भीतरी भाग से संबंधित।
अक्षीव
(सं.) [सं-पु.] 1. समुद्री नमक 2. सहजन का वृक्ष। [वि.] जो मतवाला न हो; अमत्त।
अक्षुण्ण
(सं.) [वि.] 1. क्षीण न होने वाला; सदैव बना रहने वाला; शाश्वत; स्थायी 2. अटूट; अखंड 3. समय के प्रभाव से जिसका महत्व कम न हो।
अक्षुद्र
(सं.) [वि.] जो ओछा या तुच्छ न हो। [सं-पु.] शिव।
अक्षुब्ध
(सं.) [वि.] जो क्षुब्ध न हो; क्षोभरहित; शांत; उत्तेजनाहीन।
अक्षेत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. क्षेत्र का अभाव 2. ऐसी भूमि जिसमें खेती न हो सकती हो। [वि.] जो क्षेत्र बनने के लिए उपयुक्त न हो।
अक्षेम
(सं.) [सं-पु.] 1. क्षेम; कुशल या मंगल का अभाव 2. कल्याण का अभाव 3. अमंगल।
अक्षेमकर
(सं.) [वि.] 1. असुरक्षित 2. अशुभ और हानिकर 3. अमंगलकर।
अक्षोभ
(सं.) [वि.] 1. जिसमें क्षोभ न हो; शांत; गंभीर; धीर 2. जो घबराया हुआ न हो।
अक्षोभ्य
(सं.) [वि.] 1. जिसमें क्षोभ उत्पन्न न किया जा सके 2. जो कभी क्षुब्ध या उद्विग्न न होता हो 3. शांत; धीर।
अक्षौहिणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सेना की एक बड़ी इकाई 2. (महाभारत) अत्यंत विशाल तथा चतुरंगिणी सेना जिसमें 109350 पैदल, 65610 घोड़े, 21870 रथ और 21870 हाथी होते थे; वह
सेना जिसमें अनेक हाथी, घोड़े, रथ और पैदल सिपाही हों।
अक्स
(अ.) [सं-पु.] 1. छाया; प्रतिबिंब, परछाईं 2. तस्वीर, चित्र 3. {ला-अ.} किसी के मन में छिपा द्वेषभाव। [मु.] -उतारना : किसी का चित्र बनाना;
फ़ोटो खींचना।
अक्सीर
(अ.) [वि.] 1. अपना गुण या प्रभाव दिखाने वाला 2. अत्यंत उपयोगी; लाभप्रद। [सं-पु.] 1. (मिथक) वह रस जो किसी भी धातु को सोने या चाँदी में बदल देता है; कीमिया;
रसायन 2. सब रोगों के उपचार की दवा।
अखंड
(सं.) [वि.] 1. जिसके खंड न हों; संपूर्ण; साबुत; मुकम्मल 2. अविराम; निरंतर; सविस्तार 3. अविभाज्य; अविभक्त 4. असीम।
अखंडता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अखंड होने की अवस्था या भाव; संपूर्णता 2. एकता 3. निरंतरता।
अखंडनीय
(सं.) [वि.] 1. जिसके खंड या टुकड़े न किए जा सकें; अविभाज्य; अटूट 2. दृढ़; मज़बूत 3. जिसका खंडन न हो सकता हो; जो गलत या झूठ सिद्ध न किया जा सके; अकाट्य 4.
तर्कपूर्ण; प्रमाणसिद्ध।
अखंडपाठ
(सं.) [सं-पु.] 1. निरंतर या बिना रुके चलने वाला पाठ 2. अनुष्ठानपूर्वक चलने वाला चौबीस घंटे का पाठ।
अखंडित
(सं.) [वि.] 1. जिसका खंडन न हुआ हो; अभग्न 2. पूरा; संपूर्ण 3. जिसे गलत करार न दिया गया हो; जिसका प्रतिकार न हुआ हो 4. निरंतर; अविराम।
अखंड्य
(सं.) [वि.] 1. जो खंडित न होता हो; अखंडनीय; अविभाज्य; अटूट; दृढ़ 2. जिसका खंडन न किया जा सके; प्रमाणसिद्ध 3. तर्कपूर्ण।
अखड़ैत
[सं-पु.] 1. अखाड़े में व्यायाम करने वाला; पहलवान 2. मल्ल 3. अखाड़ों में कौशल दिखाने वाला; कुश्तीबाज़ 4. {ला-अ.} बलवान; शक्तिशाली।
अखनी
(अ.) [सं-स्त्री.] उबले हुए मांस का रसा; शोरबा; (सूप)।
अख़बार
(अ.) [सं-पु.] 1. दैनिक रूप से प्रकाशित होने वाला समाचारपत्र; ख़बरनामा; (न्यूज़पेपर) 2. 'ख़बर' का बहुवचन।
अख़बारनवीस
(अ.+फ़ा) [सं-पु.] अख़बार में लिखने वाला; समाचार लेखक; पत्रकार।
अख़बारनवीसी
(अ+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. अख़बार में ख़बर देने का काम; समाचार-पत्र प्रकाशन का कार्य; पत्रकारिता 2. पत्र-पत्रिका का संपादन।
अख़बारी
(अ.) [वि.] 1. अख़बार संबंधी; अख़बार का 2. समाचार-पत्र में प्रकाशित; अखबार से संदर्भित 3. पत्रकारिता संबंधी।
अखरना
[क्रि-अ.] 1. बहुत बुरा लगना; कष्टकर लगना; अप्रिय लगना 2. खलना; कचोटना 3. दुखदायी होना।
अखरावट
[सं-स्त्री.] 1. वर्णमाला 2. लिखने का ढंग; लिखावट 3. वह पद्य या कार्यक्रम जिसकी पंक्तियों का आरंभ वर्णमाला के अक्षरों के क्रम में होता है 4. जायसी द्वारा
रचित एक काव्यग्रंथ।
अखरोट
(सं.) [सं-पु.] एक पर्वतीय वृक्ष तथा उसका फल जिसकी गिनती मेवों में होती है; अक्षरोट; चौमगज़ा; (वॉलनट)।
अखरौटी
[वि.] 1. अखरोट संबंधी 2. अखरोट के रंग का।
अखर्व
(सं.) [वि.] 1. जो खर्व या छोटा न हो; लंबा 2. नष्ट न होने वाला।
अख़लाक
(अ.) [सं-पु.] 1. सदाचार; शिष्टाचार; शील 2. ढंग; आदत 3. मुरव्वत 4. नीति।
अखाड़ा
(सं.) [सं-पु.] 1. कुश्ती लड़ने और कसरत करने का स्थान; व्यायामशाला 2. किसी धार्मिक मत या संप्रदाय विशेष के साधुओं की मंडली, जैसे- नागा साधुओं का अखाड़ा 3.
साधुओं के रहने की जगह; मठ 4. {ला-अ.} किसी विशेष प्रकार के लोगों का जमाव या अड्डा; जमघट 5. आँगन; परिसर 6. सभा; दरबार 7. करतब दिखाने वालों या गाने-बजाने
वालों की जमात 8. वैचारिक बहस-मुबाहिसे का केंद्र, जैसे- प्रगतिशील कवियों का अखाड़ा 9. हुनर का कौशल दिखाने का स्थान; रंगशाला। [मु.] -जमना :
कहीं पर इकट्ठा होना; देखने या खेलने वालों की भीड़ होना। अखाड़े में उतरना : मुकाबला करने के लिए सामने आना।
अखाड़िया
[वि.] 1. कुश्ती के अखाड़ों में कौशल दिखाने वाला 2. पहलवान; मल्ल 3. अपने विषय का बड़ा ज्ञाता या विद्वान।
अखाड़ेबाज़
(हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. अखाड़े में कुश्ती लड़ने वाला; पहलवानी का शौकीन; अखाड़िया 2. भीड़ बनाकर रहने वाला; दलबंदी करने में रुचि लेने वाला; गुटबाज़ 3. बहस और
तर्क-वितर्क करने की आदतवाला 4. झगड़ा करने वाला; झगड़ालू।
अखाड़ेबाज़ी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. अखाड़ेबाज़ होने की अवस्था या भाव; कुश्ती और पहलवानी करने का शौक; दंगल 2. अखाड़ा या समूह बनाकर की जाने वाली मौज़-मस्ती 3.
प्रतिद्वंद्विता; गुटबाज़ी 4. राजनीतिक संघर्ष 5. झगड़ा-बखेड़ा।
अखात
(सं.) [सं-पु.] 1. बिना खुदाई किए बना हुआ बड़ा तालाब; प्राकृतिक झील या जलाशय 2. तीन ओर से स्थल से घिरा समुद्र; उपसागर; खाड़ी 3. किसी मंदिर के सामने का छोटा
ताल।
अखाद्य
(सं.) [वि.] 1. जो खाए जाने के योग्य न हो; जिसे खाना उचित न हो (भोजन) 2. जो खाया न जा सके (पदार्थ); अभक्ष्य।
अखिल
(सं.) [वि.] 1. सारा; संपूर्ण; समस्त, जैसे- अखिल भारतीय, अखिल विश्व 2. अखंड 3. खेती योग्य (भूमि) 3. जो खिला न हो, अनखिला।
अखिलदेशीय
(सं.) [वि.] संपूर्ण देश का; पूरे राष्ट्र का।
अखिलेश
(सं.) [सं-पु.] 1. अखिल या संपूर्ण विश्व में व्याप्त परमात्मा; विश्वेश 2. सबका मालिक; परमेश्वर।
अखिलेश्वर
(सं.) [सं-पु.] 1. सब का स्वामी; विश्वेश; अखिलेश 2. परमात्मा, परमेश्वर।
अखुटना
[क्रि-अ.] 1. समाप्त न होना; कम न पड़ना 2. लड़खड़ाना।
अखोर
[वि.] 1. जो खाने लायक न हो; अखाद्य 2. निकम्मा; बुरा। [सं-पु.] 1. कूड़ा-करकट; घास-पात 2. ख़राब घास या चारा 3. बेकार चीज़।
अखौटा
[सं-पु.] 1. चक्की के बीच की खूँटी; कील 2. कुएँ की गरारी का डंडा।
अख़्तर
(अ.) [सं-पु.] 1. तारा; सितारा 2. ध्वज; झंडा।
अख़्तियार
(अ.) [सं-पु.] 1. इख़्तियार; अधिकार; स्वामित्व 2. वश 3. सामर्थ्य 4. सत्ता; हुकूमत।
अख्यात
(सं.) [वि.] 1. जो ख्यात या प्रसिद्ध न हो; अज्ञात; अपरिचित 3. निंदित; बदनाम 3. जो कहा न गया हो।
अख्याति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अख्यात या अप्रसिद्ध होने की स्थिति या भाव 2. अपरिचय; गुमनामी 3. निंदा; अपकीर्ति; अपमान।
अगंड
(सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा धड़ जिसके हाथ-पैर न हों 2. हाथ-पैर विहीन धड़।
अगज
(सं.) [वि.] 1. पर्वत से उत्पन्न 2. पहाड़ी 3. पर्वत पर होने वाला। [सं-पु.] शिलाजीत।
अगड़धत
[वि.] 1. बढ़ा-चढ़ा 2. लंबा-तगड़ा; ऊँचे डील-डौल वाला।
अगड़-बगड़
[वि.] 1. ऊटपटाँग; ऊलजलूल; बे-सिर पैर का 2. बेकार; व्यर्थ का 3. क्रमविहीन।
अगड़म-बगड़म
[वि.] ऊटपटाँग; बेमतलब का। [सं-पु.] फालतू सामान।
अगड़ा
[वि.] 1. आगे का; आगे बढ़ा हुआ; आगे स्थित 2. 'पिछड़ा' का विपर्याय 3. जो आर्थिक दृष्टि से अन्य लोगों से उन्नत हो, जैसे- अगड़ा या अभिजात्य समाज। [सं-पु.] अनाज
की बाली जिसके दाने झाड़ लिए गए हों।
अगण
(सं.) [सं-पु.] 1. अशुभ और बुरा गण 2. (छंदशास्त्र) किसी पद्य के आरंभ में चार निषिद्ध गण- जगण, तगण, रगण और सगण।
अगणनीय
(सं.) [वि.] 1. जिसकी गणना न की जा सके; अगण्य 2. जो गणना के योग्य न हो।
अगणित
(सं.) [वि.] जिसे गिना न जा सके; अनगिनत; असंख्य।
अगण्य
(सं.) [वि.] 1. जिसे गिना न जा सकता हो 2. जो किसी गिनती या महत्व का न हो; सामान्य; तुच्छ 3. जिसे गिनना संभव न हो; बेशुमार; असंख्य; बेहिसाब।
अगति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बुरी गति; दुर्गति; दुरवस्था 2. गतिहीनता; स्थिरता; ठहराव 3. मृत्यु के बाद संस्कार आदि न होना। [वि.] 1. जिसमें गति न हो; अचल; स्थिर 2.
जिसके पास तक पहुँचा न जा सके; अगम्य 3. निरुपाय; उपायरहित 4. बेसहारा; अवलंबहीन।
अगतिक
(सं.) [वि.] 1. जिसकी कहीं गति या ठिकाना न हो 2. निराश्रय; असहाय 3. जिसके लिए कोई उपाय न रह गया हो; निरुपाय 4. जिसकी मरने के बाद अंत्येष्टि क्रिया न हुई हो।
अगत्या
(सं.) [क्रि.वि.] 1. आगे से; भविष्य में 2. लाचार होकर; असहाय होकर 3. कोई गति या उपाय न रह जाने की स्थिति में 4. अचानक; सहसा; अकस्मात।
अगद
(सं.) [वि.] 1. गद या रोग-रहित; स्वस्थ; निरोग 2. निष्कंटक। [सं-पु.] 1. दवा; औषधि 2. स्वास्थ्य; आरोग्य।
अगम
(सं.) [वि.] 1. जहाँ कोई पहुँच न सके; दुर्गम 2. {ला-अ.} जिसे समझना कठिन हो; दुर्बोध 3. अपार; दुर्लंघ्य 4. बहुत गंभीर या गहरा; अथाह 5. अभेद्य 6. असीम।
अगमनीया
(सं.) [वि.] 1. जिसके साथ गमन करना वर्जित हो 2. जिसके साथ संभोग या मैथुन करना विधिक या शास्त्रीय दृष्टि से वर्जित हो।
अगम्य
(सं.) [वि.] 1. जहाँ पहुँचना बहुत कठिन हो; दुर्गम 2. पहुँच से परे 3. जिसका पार न पाया जा सके; अपार 4. जिसे जाना न जा सकता हो; दुर्बोध 5. जो विचार से परे हो
6. बहुत गंभीर या गहरा; अथाह 7. असीम।
अगम्या
(सं.) [वि.] जिसके साथ संभोग निषिद्ध हो।
अगम्यागमन
(सं.) [सं-पु.] अगम्या (जिससे सहवास निषिद्ध हो) स्त्री से सहवास करना।
अगर1
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का सुगंधित वृक्ष; अगरु; ऊद।
अगर2
(फ़ा.) [यो.] यदि; जो।
अगरचे
(फ़ा.) [यो.] यद्यपि; हालाँकि; यदि; गोया कि।
अगरबत्ती
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अगर की लकड़ी के चूरे से बनाई जाने वाली बत्ती जो सुगंध के लिए जलाई जाती है 2. सुगंधित तत्वों से निर्मित बत्ती जो पतले सींकों में मसाला
लपेटकर तैयार की जाती है।
अगर-मगर
(फ़ा+हिं.) [सं-स्त्री.] 1. दुविधा 2. असमंजस। [मु.] -करना : आनाकानी या टालमटोल करना; बहाना बनाना।
अगरी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. लकड़ी या लोहे का छोटा डंडा जो किवाड़ के पल्ले में लगाया जाता है; ब्योंड़ा; अर्गला 2. बुरी बात; अनुचित बात 3. ढिठाई।
अगर्व
(सं.) [वि.] 1. जिसमें गर्व या अभिमान न हो; अहंकार रहित 2. गर्वहीन।
अगल-बगल
(फ़ा.) [क्रि.वि.] 1. आसपास; चारों ओर तथा निकटवर्ती; सन्निकट 2. इधर-उधर 3. दाएँ-बाएँ दोनों तरफ़।
अगला
(सं.) [वि.] 1. सबसे आगे का; पहला; सामने का; पहले का 2. आगे आने वाला; आगामी; अग्र 3. किसी के बाद आने वाला; (नेक्स्ट) 4. प्रस्तुत के बाद वाला 5. अपर या दूसरा
(कार्य या दायित्व आदि में) 6. भविष्य में होने वाला; आगामी 7. पहले या पूर्व का।
अगल्मा
(इता.) [सं-स्त्री.] 1. (पुरातत्व) प्राचीन यूनानी देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द 2. चित्रों, विशेषकर व्यक्ति-चित्रों के लिए भी
प्रयुक्त होने वाला शब्द।
अगवा
(अ.) [वि.] जो बहकाकर या बलपूर्वक अधिकार में लेकर भगाया गया हो; अपहृत।
अगवाड़ा
[सं-पु.] 1. आगे का हिस्सा; आगे फैली जगह 2. घर के आगे की भूमि 3. पिछवाड़ा का विपरीत।
अगवान
[सं-पु.] 1. वह जो आगे बढ़कर अगवानी या स्वागत करता है 2. अगवानी 3. (परंपरा) कन्या पक्ष के वे लोग जो आगे बढ़कर बरात का स्वागत करते हैं।
अगवानी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आगे चलकर किसी विशिष्ट अतिथि का स्वागत करना 2. आगे जाकर मिलना 3. आने वाले के सत्कार के लिए आगे बढ़ना 4. नायकत्व।
अगस्त
(इं.) [सं-पु.] अँग्रेज़ी काल गणना के अनुसार कैलेंडर का आठवाँ महीना; जुलाई और सितंबर के बीच का महीना।
अगस्त्य
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) एक प्रसिद्ध और ज्ञानी ऋषि 2. एक प्रसिद्ध चमकीला तारा 3. (पुराण) शिव का एक नाम 4. अगस्त नामक वृक्ष।
अगहन
[सं-पु.] 1. अग्रहायण या मार्गशीर्ष मास; कार्तिक मास से अगला महीना 2. हेमंत ऋतु का पहला महीना।
अगहनी
(सं.) [वि.] 1. अगहन के महीने में होने वाला, जैसे- अगहनी धान 2. अगहन संबंधी; अगहन का।
अगाऊ
[वि.] 1. आगे का; अगला 2. जो किसी काम के लिए पहले दिया जाए 3. पेशगी; अग्रिम; (ऐडवांस)।
अगाड़ी
[क्रि.वि.] 1. सामने; समक्ष 2. आगे 3. भविष्य में 4. बाद में 5. पूर्व; पहले। [सं-पु.] सामने या आगे का भाग।
अगाध
(सं.) [वि.] 1. जिसकी गहराई का पता लगाना बहुत कठिन हो; अतल, जैसे- अगाध समुद्र 2. जिसकी थाह न पाई जा सके; अथाह 3. {ला-अ.} जिसकी गंभीरता या गहनता का पता न चल
सके; जिसे समझना असंभव या कठिन हो; दुर्बोध 4. असीम।
अगिया
(सं.) [वि.] 1. आग की तरह जलता या दहकता हुआ 2. आग की-सी जलन उत्पन्न करने वाला।
अगियाना
[क्रि-अ.] 1. आग से जलने की पीड़ा होना; जलन होना 2. {ला-अ.} बहुत अधिक क्रोध में आना। [क्रि-स.] 1. आग लगाना; जलन उत्पन्न करना 2. पकाना; तपाना 3. {ला-अ.} बहुत
अधिक क्रोधित करना।
अगिया बैताल
(सं.) [सं-पु.] 1. (मिथक) उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के दो बैतालों में से एक जो मुँह से आग उगलता था 2. {व्यं-अ.} अत्यंत क्रोधी व्यक्ति; हानि पहुँचाने वाला
व्यक्ति।
अगियार
[सं-पु.] जो बहुत देर तक जलता रह सकता हो; ज्वलनशील।
अगियारी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार की पवित्र अग्नि 2. आग में सुगंधित द्रव्य डालकर की जाने वाली पूजा 3. अग्नि से संबंधित वस्तु या पदार्थ 4. धूप या सुगंधित
द्रव्य अग्नि में डालने की विधि 5. दहकता हुआ कंडा जिसपर सुगंधित पदार्थ या घी डाला जाता है।
अगुआ
[सं-पु.] 1. दूसरों के आगे चलने वाला; अग्रणी; मुखिया; नेता; (लीडर) 2. किसी कार्य को करने में सबसे आगे रहने वाला 3. शादी-ब्याह तय करवाने वाला; शादी में
बिचौलिए की भूमिका निभाने वाला 4. दूसरों को सलाह देने वाला 5. पथ-प्रदर्शक; मार्ग बताने वाला।
अगुआई
[सं-स्त्री.] 1. किसी कार्य या उद्देश्य में अगुवा होने की क्रिया या भाव; अग्रता 2. नेतृत्व; मार्गदर्शन; पथप्रदर्शन 3. प्रतिनिधित्व 3. शादी-ब्याह तय करवाने
का काम या ज़िम्मेदारी।
अगुआना
(सं.) [क्रि-स.] 1. अगुआ बनाना या निश्चित करना; नेतृत्व करवाना 2. नेता चुनना 3. पथप्रदर्शन करवाना। [क्रि-अ.] आगे होना; बढ़ना।
अगुण
(सं.) [वि.] 1. गुणों से रहित; जिसमें योग्यता न हो 2. निर्गुण 3. अप्रशिक्षित; गुणविहीन; मूर्ख। [सं-पु.] 1. अवगुण 2. दोष।
अगुणी
(सं.) [वि.] 1. जो गुणों से रहित हो; गुणहीन; अगुण 2. अयोग्य 3. मूर्ख।
अगुराई
[सं-स्त्री.] 1. अगोरने का काम; निगरानी; रखवाली 2. उक्त कार्य का पारिश्रमिक।
अगुरु
(सं.) [वि.] 1. जो भारी न हो; हलका 2. जिसने गुरु से उपदेश या शिक्षा न पाई हो 3. (छंदशास्त्र) मात्रा या वर्ण जो लघु हो।
अगुवा
[सं-पु.] दे. अगुआ।
अगुवाई
(सं.) [सं-स्त्री.] दे. अगुआई।
अगूढ़
(सं.) [वि.] 1. जो गूढ़ या छिपा न हो; प्रकट 2. सरल, सहज और स्पष्ट।
अगूढ़व्यंग्य
(सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) गुणीभूत व्यंग्य का एक भेद जिसमें वाच्यार्थ की तरह व्यंग्यार्थ भी स्पष्टता से लक्षित होता है, इसलिए साधारणजन भी इसे आसानी से
समझ लेते हैं।
अगूढ़व्यंग्या लक्षणा
(सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) आचार्यों द्वारा मान्य लक्षणा का वह भेद जिसमें व्यंग्यरूप अर्थ को काव्य मर्मज्ञ और सामान्य काव्यप्रेमी दोनों सहज ही ग्रहण
कर लेते हैं।
अगेय
(सं.) [वि.] 1. जिसे गाया न जा सके; जिसका वर्णन न हो सके 2. जो गाए जाने के योग्य न हो।
अगेह
(सं.) [वि.] 1. जिसका कोई घर न हो; गृहविहीन; बेघर 2. जिसका घर-बार नष्ट हो चुका हो।
अगोचर
(सं.) [वि.] 1. न दिखाई देने वाला; अदृश्य 2. इंद्रियों से जिसका ज्ञान संभव न हो; इंद्रियातीत 3. ईश्वर या ब्रह्म के लिए परिकल्पित विशेषताओं में से एक।
अगोर
[सं-पु.] 1. रखवाली 2. पहरेदारी।
अगोरदार
(हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. अगोरने या रक्षा करने वाला व्यक्ति 2. देखभाल करने वाला व्यक्ति 3. पहरेदार।
अगोरना
[क्रि-स.] 1. पहरा देना; रखवाली करना 2. प्रतीक्षा करना; राह देखना।
अगोरा
[सं-पु.] 1. जनसभा स्थल 2. प्राचीन यूनानी नगरों के वे स्थल जहाँ जनसभाओं का आयोजन होता था। मुख्यतः मंडी या बाज़ार के लिए भी इस शब्द का प्रयोग होता था।
अगोलित
ध्वनियों के उच्चारण करते समय होठों के गोल न होने की अवस्था।
अगौला
[सं-पु.] 1. ऊख या गन्ने का अगला भाग जिसमें पत्तियाँ होती हैं 2. नई फ़सल की पहली आँटी।
अग्नि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आग 2. प्रकाश 3. उष्णता; गरमी 4. जठराग्नि 5. अग्निकर्म; शव आदि जलाने की क्रिया 6. पंच महाभूतों में से तेज तत्व 7. वैद्यकी में तीन
अग्नियाँ- भौमाग्नि (काष्ठादि से उत्पन्न); दिव्याग्नि (उल्का, बिजली आदि) और जठराग्नि (उदर में उत्पन्न)।
अग्निकर्म
(सं.) [सं-पु.] 1. मृत व्यक्ति का जलाया जाना; शवदाह; अग्नि-दाह; दाह-संस्कार 2. हवन 3. गरम लोहे से दागना।
अग्निकांड
(सं.) [सं-पु.] 1. आग लगने या आगजनी की घटना 2. आग लगने से जान-माल का नुकसान।
अग्निकुंड
(सं.) [सं-पु.] 1. आग प्रज्वलित करने का गहरा स्थान 2. हवनकुंड।
अग्निकोण
(सं.) [सं-पु.] 1. पूर्व और दक्षिण दिशाओं के बीच का कोना 2. दक्षिण-पूर्व दिशा।
अग्निगर्भ
(सं.) [वि.] जिसके अंदर आग हो या जिससे आग पैदा हो।
अग्निगर्भा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पृथ्वी 2. शमी वृक्ष 3. महाज्योतिष्मती लता।
अग्निचक्र
(सं.) [सं-पु.] (हठयोग) शरीर के भीतर के छह चक्रों में से एक।
अग्निज
(सं.) [वि.] 1. अग्नि से पैदा हुआ; अग्नि से उत्पन्न 2. अग्निदीपक 3. अग्नि या उसके ताप से होने या बनने वाला 4. पाचन शक्ति बढ़ाने वाला।
अग्निदाता
(सं.) [सं-पु.] 1. आग देने वाला व्यक्ति 2. मृतक का दाह-संस्कार करने वाला व्यक्ति।
अग्निदान
(सं.) [सं-पु.] 1. चिता में आग देना या आग लगाना 2. दाह-संस्कार करना।
अग्निदाह
(सं.) [सं-पु.] 1. जलाना 2. मुर्दा जलाना; शवदाह।
अग्निदीपक
(सं.) [वि.] 1. जिससे भोजन पचाने वाली पेट की आग बढ़ती है 2. पाचन-शक्ति या भूख बढ़ाने वाला।
अग्निदीपन
(सं.) [सं-पु.] 1. पाचन शक्ति को तीव्र करने की क्रिया या भाव 2. पाचन शक्ति को बढ़ाने का उपचार; औषधि।
अग्निपरीक्षा
(सं.) [सं-पु.] 1. (मिथक) अपनी पवित्रता को प्रमाणित करने के लिए अग्नि में उतरना 2. {ला-अ.} स्वयं को निर्दोष व सच्चा सिद्ध करने की क्रिया या भाव 3. कठोर
परीक्षा।
अग्निपूजक
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जो आग की पूजा करता हो 2. पारसी।
अग्निबाण
(सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा बाण जिससे अग्नि की ज्वाला निकले 2. एक तरह की आतिशबाज़ी।
अग्निभीति
(सं.) [सं-स्त्री.] एक रोग जिसमें रोगी को आग से बहुत भय लगता है।
अग्निमय
(सं.) [वि.] 1. क्रोध (अग्नि) से आपूरित; अत्यधिक क्रोधित 2. तेजवान।
अग्निमांद्य
(सं.) [सं-पु.] मंदाग्नि; जठराग्नि का मंद पड़ जाना; भूख मर जाना; हाज़मे की ख़राबी।
अग्निवर्धक
(सं.) [वि.] 1. पाचन शक्ति बढ़ाने वाला 2. भूख बढ़ाने वाला।
अग्निवर्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आग या जलती हुई वस्तुओं की वर्षा 2. अत्यधिक गोलीबारी होना।
अग्निशमन
(सं.) [सं-पु.] आग बुझाना।
अग्निशामक
(सं.) [वि.] 1. आग का शमन करने वाला 2. आग बुझाने वाला।
अग्निशाला
(सं.) [सं-स्त्री.] वह जगह या स्थान जहाँ यज्ञ की अग्नि स्थापित की जाए।
अग्निशिखा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अग्नि की लपट; लौ; ज्वाला 2. कलियारी नामक एक पौधा।
अग्निसंस्कार
(सं.) [सं-पु.] 1. मृतक का जलाया जाना; दाह-संस्कार 2. परीक्षा या शुद्धि के लिए किसी वस्तु का तपाया या जलाया जाना।
अग्निसह
(सं.) [वि.] 1. जिसे आग अपने प्रभाव से नष्ट न कर सकती हो 2. अग्नि का ताप सहन करने में सक्षम; (फ़ायर प्रूफ़)।
अग्निसेवन
(सं.) [सं-पु.] 1. आग तापना 2. ठंड भगाने या जाड़ा दूर करने के लिए आग के पास बैठना।
अग्निस्फुलिंग
(सं.) [सं-पु.] आग से निकलने वाली चिनगारी।
अग्निहोत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. वैदिक मंत्रों के साथ अग्नि में आहुति देना 2. ऐसा विशेष होम जो प्रतिदिन किया जाता है तथा उसकी अग्नि को बुझने नहीं दिया जाता 3. हिंदू विवाह
में अग्नि को साक्षी मान कर हवन करना।
अग्निहोत्री
(सं.) [वि.] अग्निहोत्र करने वाला। [सं-पु.] ब्राह्मणों में एक कुलनाम या सरनेम।
अग्न्यस्त्र
(सं.) [सं-पु.] 1. आग्नेय अस्त्र 2. मंत्र प्रेरित बाण जिससे आग निकलती हो 3. अग्नि चलित अस्त्र।
अग्न्याधान
(सं.) [सं-पु.] 1. आग की स्थापना करना 2. आग जलाना या सुलगाना 3. अग्निहोत्र।
अग्न्यायुध
(सं.) [सं-पु.] 1. आग्नेय अस्त्र 2. ऐसा आयुध या हथियार जो अग्नि चलित हो या जिसको चलाने पर आग निकलती हो।
अग्न्याशय
(सं.) [सं-पु.] 1. शरीर का वह अंग जिससे इंसुलिन नामक हार्मोन स्रावित होता है 2. जठराग्नि का स्थान; (पैंक्रिअस्)।
अग्र
(सं.) [वि.] 1. अगला; आगे का; पहला 2. शीर्षस्थ।
अग्रगण्य
(सं.) [वि.] 1. गणना में पहले आने वाला; मुख्य 2. श्रेष्ठ।
अग्रगति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. तेज़ गति; धावक को आगे-आगे रखने वाली गति 2. तेज़ विकास।
अग्रगमन
(सं.) [सं-पु.] अग्रगामी होने की क्रिया या भाव; जीवन में आगे-आगे रहना।
अग्रगामी
(सं.) [वि.] 1. आगे रहने या चलने वाला 2. श्रेष्ठ 3. आधुनिकतावादी; प्रगतिवादी। [सं-पु.] 1. अगुआ 2. नायक।
अग्रज
(सं.) [सं-पु.] पहले जन्म लेने वाला; बड़ा भाई।
अग्रजा
(सं.) [सं-स्त्री.] बड़ी बहन।
अग्रणी
(सं.) [वि.] 1. जो आगे रहता हो; अग्रगामी 2. श्रेष्ठ; उत्तम।
अग्रणीत
(सं.) [वि.] आगे लाया हुआ।
अग्रतः
(सं.) [क्रि.वि.] 1. आगे; सबसे पहले 2. पहले से; आगे से।
अग्रता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. क्रम, समय, महत्व आदि के विचार से अग्र होने की अवस्था 2. प्रमुखता; महत्ता।
अग्रतालव्य
वे ध्वनियाँ जो कठोर तालु के अग्र भाग से उच्चारित होती हैं, जैसे- 'ट्, ठ्, ड्, ढ्, ण्'।
अग्रदान
(सं.) [सं-पु.] 1. कोई चीज़ उचित या उपयुक्त समय से पहले दे देना 2. पेशगी; अग्रिम; (ऐडवांस)।
अग्रदूत
(सं.) [सं-पु.] 1. पहले पहुँचकर किसी के आने की सूचना देने वाला; संदेशवाहक 2. मार्गदर्शक 3. {ला-अ.} किसी बात या कार्य का आरंभ करने वाला; प्रवर्तनकर्ता।
अग्रदृष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] आगे की बात जान लेने या सोच लेने की प्रतिभा; (फ़ोरसाइट)।
अग्रनयन
(सं.) [सं-पु.] आगे ले जाना।
अग्रपूजा
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी की औरों से पहले की जाने वाली पूजा।
अग्रभाग
(सं.) [सं-पु.] 1. आगे का हिस्सा 2. मुखड़ा 3. श्रेष्ठ भाग; मुख्य भाग 4. सिरा; नोंक।
अग्रलेख
(सं.) [सं-पु.] संपादकीय लेख; किसी पत्र-पत्रिका के संपादक की मुख्य नियमित टिप्पणी या आलेख।
अग्रवर्ती
(सं.) [वि.] 1. सबसे आगे रहने वाला 2. अगला; अगुआ 3. प्रधान; प्रसिद्ध 4. पूर्ववर्ती।
अग्रवाल
[सं-पु.] वैश्य समाज में एक कुलनाम या सरनेम।
अग्रशः
(सं.) [क्रि.वि.] 1. आगे या पहले से 2. आगे-आगे।
अग्रसर
(सं.) [वि.] 1. आगे बढ़ता हुआ 2. आगे रहने वाला 3. उत्थानशील; विकासशील; उदीयमान। [सं-पु.] अपने कार्य के प्रति अधिक निष्ठावान व प्रगतिशील व्यक्ति।
अग्रसरण
(सं.) [सं-पु.] 1. अग्र या आगे की ओर जाना; प्रगति; विकास 2. आगे की तरफ़ बढ़ाना; उन्नयन 3. किसी आवेदन-पत्र आदि को अपने से वरिष्ठ अधिकारी के पास स्वीकृति,
आदेश आदि के लिए भेजना।
अग्रसारण
(सं.) [सं-पु.] 1. आगे की ओर बढ़ाना 2. किसी का निवेदन या प्रार्थना उचित आज्ञा के लिए बड़े अधिकारी के पास भेजना; (फ़ॉरवर्डिंग)।
अग्रसारित
(सं.) [वि.] 1. आगे बढ़ाया हुआ 2. किसी का निवेदन बड़े अधिकारी के पास भेजा हुआ; (फ़ॉरवर्डिड)।
अग्रसोची
(सं.) [वि.] 1. आगे या भविष्य की बातों के बारे में पहले से ही विचार करने वाला 2. दूरदर्शी।
अग्रहायण
(सं.) [सं-पु.] 1. कार्तिक के बाद और पूस से पहले का महीना 2. अगहन।
अग्रहीत
(सं.) [वि.] 1. जिसे ग्रहण या स्वीकार न किया गया हो 2. अस्वीकृत।
अग्रांचल
(सं.) [वि.] सामने का; (फ़्रंटल)।
अग्रांतर
(सं.) [वि.] आगे का; (फ़ॉरवर्ड)।
अग्रानीत
(सं.) [वि.] 1. आगे लाया गया 2. जिसे आगे ले जाया गया हो। [सं-पु.] अगले पृष्ठ पर ले जाया गया अंकन।
अग्राभिसारी
(सं.) [वि.] आगे की ओर बढ़ता हुआ।
अग्राम्य
(सं.) [वि.] 1. जो ग्रामीण अर्थात देहाती न हो 2. नगर का 3. शिष्ट।
अग्राशन
(सं.) [सं-पु.] 1. भोजन का वह अंश जो देवता आदि के लिए पहले निकाला जाता है 2. भोजन की शुरुआत में गाय के खाने के लिए निकाला गया अन्न; गौग्रास।
अग्रासन
(सं.) [सं-पु.] 1. सम्मान का आसन या स्थान 2. किसी मान्य व्यक्ति को दिया गया उच्चासन।
अग्राह्य
(सं.) [वि.] 1. ग्रहण न करने योग्य; जो अपनाने के लायक न हो 2. जो मान्य या स्वीकृत न हो; अस्वीकार्य; निषिद्ध 3. जो खाने के योग्य न हो।
अग्राह्यता
(सं.) [सं-स्त्री.] ग्राह्य न होने की अवस्था या भाव; अस्वीकार्यता।
अग्रिम
(सं.) [वि.] 1. पहला; अगला; आगामी 2. पेशगी 3. श्रेष्ठ; उत्तम।
अग्रेषण
(सं.) [सं-पु.] 1. आगे भेजना या लाना 2. अग्रप्रेषण 3. माल या वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजना।
अघ
(सं.) [वि.] 1. पापी 2. दुष्ट; नीच 3. ख़राब। [सं-पु.] 1. पाप 2. विपत्ति; दुख 3. दुष्कर्म।
अघट1
[वि.] 1. न घटने वाला; कम न होने वाला 2. जो घटे नहीं 3. एकरस; सदा एक सा रहने वाला।
अघट2
(सं.) [वि.] 1. जो घटित न हो; न होने वाला 2. दुर्घट; कठिन।
अघटन
(सं.) [सं-पु.] 1. घटित न होने की क्रिया या भाव 2. घटित न होना।
अघटित
(सं.) [वि.] 1. जो घटा न हो; जो पहले न हुआ हो; अभूतपूर्व 2. एकदम नया या अनोखा।
अघन
(सं.) [वि.] 1. जो घन अर्थात ठोस न हो 2. जो पतला हो 3. जो घन के आकार का न हो।
अघभोजी
(सं.) [वि.] 1. पाप कर्मों की कमाई खाने वाला 2. अधर्मी।
अघमर्षण
(सं.) [सं-पु.] (लोकमान्यता) पापों के नाश के लिए छिड़का जाने वाला जल। [वि.] पाप नाशक।
अघाट
[सं-पु.] 1. वह भूमि जिसे बेचने का अधिकार उसके स्वामी को न हो 2. वह घाट जो ठीक न हो।
अघातक
(सं.) [वि.] जो घातक न हो।
अघाती
(सं.) [वि.] 1. घात न करने वाला 2. प्रहार न करने वाला 3. अघातक।
अघाना
[क्रि-अ.] 1. जी भर जाना; किसी वस्तु या पदार्थ को छक कर ग्रहण करना और संतुष्ट होना; तृप्त हो जाना 2. किसी कार्य से उकता जाना।
अघारि
(सं.) [सं-पु.] 1. पापों का शत्रु; पापनाशक 2. (पुराण) अघ नामक दैत्य को मारने वाले अर्थात श्रीकृष्ण।
अघाव
[सं-पु.] 1. अघाने की क्रिया या भाव 2. पूर्ण तृप्ति 3. जी ऊबने का भाव।
अघासुर
(सं.) [सं-पु.] 1. (महाभारत) एक असुर जो कंस का सेनापति था और जिसे श्रीकृष्ण ने मारा था 2. अघ नामक दैत्य।
अघियाना
[क्रि-अ.] 1. तृप्त करना 2. बहुत परेशान करना।
अघी
(सं.) [वि.] 1. अघ अथवा पाप करने वाला 2. पातकी; पापी।
अघुलनशील
[वि.] 1. जो किसी द्रव में घुलता न हो 2. अघुलनीय।
अघोर
(सं.) [सं-पु.] 1. शिव का एक रूप 2. शिव की उपासना करने वाला एक पंथ। [वि.] जो घोर या भयानक न हो।
अघोरपंथ
[सं-पु.] अघोरियों का पंथ या संप्रदाय।
अघोरपंथी
(सं.) [सं-पु.] 1. अघोरपंथ का अनुयायी 2. अघोरी; औघड़। [वि.] अघोर पंथ से संबंधित।
अघोरी
(सं.) [सं-पु.] 1. औघड़ 2. अघोर पंथ को मानने वाला। [वि.] त्याज्य वस्तुओं का सेवन करने वाला।
अघोष
जिन ध्वनियों के उच्चारण में श्वासनलिका से आती हुई श्वासवायु से स्वरतंत्रियों में कंपन न हो, जैसे- (हिंदी व्यंजन) 'क्, ख्, च्, छ्, ट्, ठ्, त्, थ्, प्, फ्,
श्, ष्, स्, ह्'। 'ह्' सघोष भी होता है।
अघोषित
(सं.) [वि.] 1. जिसकी घोषणा न की गई हो 2. जिसको अभिव्यक्त न किया गया हो; अविज्ञापित।
अघ्राणता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सूँघने की शक्ति का अभाव 2. अघ्राण होने की स्थिति या भाव।
अघ्रेय
(सं.) [वि.] 1. जो घ्रेय अर्थात सूँघने योग्य न हो 2. जिसे सूँघा न जा सके।
अचंचल
(सं.) [वि.] 1. जो चंचल न हो; स्थिर 2. गंभीर; शांत; सौम्य।
अचंड
(सं.) [वि.] 1. जो चंड या उग्र न हो 2. जो क्रोधी स्वभाव का न हो; शांत; सौम्य।
अचंभा
[सं-पु.] आश्चर्य; अचरज।
अचंभित
(सं.) [वि.] जिसे अचंभा हुआ हो; आश्चर्यचकित; विस्मित।
अचक
(सं.) [सं-पु.] आश्चर्य; विस्मय। [वि.] 1. अधिक से अधिक 2. भरपूर; बहुत अधिक।
अचकचाना
[क्रि-अ.] 1. संकोच या दुविधा में पड़ जाना 2. भय आदि से अचानक काँप उठना 3. विस्मित होना; भौचक्का होना; चौंक उठना।
अचकचाहट
[सं-स्त्री.] भौचक होने की स्थिति; विस्मय।
अचकन
[सं-स्त्री.] अँगरखे की तरह का एक लंबा पहनावा।
अचक्षु
(सं.) [वि.] जिसके चक्षु या आँख न हो; नेत्रहीन; अंधा।
अचगरी
[सं-स्त्री.] 1. अचगर अर्थात दुष्ट या पाजी होने की क्रिया या भाव 2. शरारत; दुष्टता 3. उत्पात; नटखटपन 4. छेड़छाड़।
अचपल
(सं.) [वि.] 1. जिसमें चंचलता, चपलता न हो 2. धीर; गंभीर; शांत; स्थिर।
अचर
(सं.) [वि.] अचल; स्थावर; जड़। [सं-पु.] 1. स्थावर पदार्थ या प्राणी 2. स्थिर राशियाँ- वृष, वृश्चिक, सिंह और कुंभ।
अचरज
(सं.) [सं-पु.] 1. आश्चर्य; विस्मय 2. चकित कर देने वाली कोई बात या वस्तु 3. अचंभा।
अचल
(सं.) [वि.] 1. स्थिर; गतिहीन 2. चिरस्थायी; शाश्वत 3. अपरिवर्तनशील; अटल; अडिग। [सं-पु.] 1. पहाड़ 2. कील 3. खूँटी 4. ब्रह्म 5. शिव।
अचल संपत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्थायी संपत्ति 2. वह संपत्ति जिसे अपने स्थान से हटाया न जा सके, जैसे- खेत, घर आदि; गैरमनकूला ज़ायदाद।
अचलसुता
(सं.) [सं-स्त्री.] (पुराण) पार्वती का एक नाम।
अचला
(सं.) [वि.] जो न चले; ठहरी हुई; स्थिर। [सं-स्त्री.] पृथ्वी।
अचाक्षुष
(सं.) [वि.] 1. जो आँखों से दिखाई न देता हो; अदृश्य 2. इंद्रियातीत।
अचातुर्य
(सं.) [सं-पु.] 1. चतुर न होने की अवस्था या भाव 2. अनाड़ीपन; अकुशलता 3. निपुणता या कुशलता का अभाव 4. होशियारी का अभाव; सरलता।
अचानक
(सं.) [अव्य.] सहसा; एकाएक।
अचार
[सं-पु.] एक चटपटा भारतीय व्यंजन जो किसी कच्ची तरकारी या कच्चे फलों को कई प्रकार के मसालों तथा तेल या सिरके में मिलाकर तैयार किया जाता है। [मु.] -डालना : किसी वस्तु को उपयोग में न लेना; निष्प्रयोजन रखे रहना।
अचारी1
(सं.) [वि.] 1. वह जो धार्मिक आचार-विचार का ध्यान रखता हो और उसका पालन करता हो 2. आचारवान।
अचारी2
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] आम का बना हुआ एक प्रकार का अचार।
अचालक
(सं.) [वि.] 1. जिसमें से विद्युत प्रवाहित नहीं होती 2. जिसमें विद्युत का संचार न हो; (नॉन-कंडक्टर)।
अचिंत
(सं.) [वि.] 1. जिसे कोई चिंता न हो 2. चिंता रहित; निश्चिंत 3. जो चिंतनीय न हो; अचिंत्य।
अचिंतनीय
(सं.) [वि.] 1. जिसकी कल्पना या चिंतन न हो सके; जो ध्यान में न आ सके 2. दुर्बोध; अज्ञेय।
अचिंतित
(सं.) [वि.] 1. जो सोचा-विचारा न गया हो; अविचारित 2. जो चिंतित न हो; निश्चिंत 3. उपेक्षित।
अचिंत्य
(सं.) [वि.] 1. जिसका चिंतन न किया जा सके 2. कल्पनातीत 3. जिसका अनुमान न लगाया जा सके, अकूत।
अचिंत्यभेदाभेदवाद
(सं.) [सं-पु.] महाप्रभु चैतन्य द्वारा प्रवर्तित एक दार्शनिक मतवाद जिसके अनुसार ईश्वर और जीव तथा ईश्वर और जगत के बीच का भेदाभेद संबंध तर्कतः असंगत और
व्याघातक है, किंतु ईश्वरभूत शक्तिमान और जीवजगतभूत शक्ति दोनों अचिंत्य हैं इसलिए उनमें व्याघात नहीं है।
अचिकित्स्य
(सं.) [वि.] 1. जिसकी चिकित्सा न हो सके 2. जो चिकित्सा से स्वस्थ या ठीक न हो सके 3. असाध्य; (इंक्योरेबल)।
अचित
(सं.) [वि.] 1. जड़ 2. अचेतन; चेतना रहित।
अचित्त
(सं.) [वि.] 1. जिसे ज्ञान न हो 2. बुद्धिरहित; अज्ञ 3. चेतना रहित; अचेत।
अचित्र
(सं.) [वि.] 1. जिसका कोई चित्र या रूप न हो 2. चित्र या चित्रों से रहित 3. जो आकारहीन हो।
अचिर
(सं.) [वि.] 1. जो स्थायी न हो 2. जो पुराना न हो; नया 3. ताज़ा; हाल का 4. जो तत्काल या तुरंत होने वाला हो 5. थोड़ा; अल्प। [क्रि.वि.] 1. शीघ्र; जल्दी 2. तुरंत;
उसी समय।
अचीर
(सं.) [वि.] 1. जिसके शरीर पर चीर या वस्त्र न हो 2. वस्त्रविहीन; नंगा।
अचूक
(सं.) [वि.] 1. जो अपने लक्ष्य से न चूके 2. सटीक 3. बिना चूक या भूल किए 4. निश्चित, पक्का।
अचेत
(सं.) [वि.] 1. जड़ 2. असावधान 3. जिसमें चेतना न हो 4. प्राणहीन 5. बेहोश।
अचेतन
(सं.) [वि.] 1. बेहोश; बेसुध 2. निर्जीव 3. अज्ञानी 4. चेतना-रहित 5. चेतना की तीन मनोवैज्ञानिक अवस्थाओं में से एक। [सं-पु.] जड़ पदार्थ।
अचेतनक
(सं.) [सं-पु.] अचेतन या बेहोश करने वाली औषधि। [वि.] अचेत या बेहोश रहने वाला।
अचेतनीकरण
(सं.) [सं-पु.] चिकित्सा में अचेत करने की क्रिया या भाव; (एनीसथेसिस)।
अचेतावस्था
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बेहोशी की हालत 2. बेसुधी 3. चेतनाशून्य।
अचेष्ट
(सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई चेष्टा या गति न हो; निश्चल 2. जो हिलता-डुलता न हो 3. संज्ञारहित; बेहोश 4. {ला-अ.} प्रयासहीन; उदासीन।
अचेष्टित
(सं.) [वि.] जिसके लिए कोई चेष्टा या प्रयत्न न किया गया हो।
अचैतन्य
(सं.) [वि.] 1. जिसमें चेतना या चैतन्य न हो 2. बेहोश; मूर्छित। [सं-पु.] 1. चेतना का अभाव 2. बेहोशी; जड़ता।
अच्छा
(सं.) [वि.] 1. बढ़िया; सुंदर; उम्दा 2. ठीक; उत्तम 4. स्वस्थ; निरोग। [मु.] -कर देना : निरोग या स्वस्थ कर देना। अच्छे दिन आना : ज़िंदगी में समृद्धि या ख़ुशहाली के दिन आना।
अच्छाई
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अच्छा होने का भाव या गुण 2. विशेषता; ख़ूबी 3. सुंदरता 4. लाभ या फ़ायदा।
अच्छा-ख़ासा
(सं.) [वि.] 1. ठीक-ठाक 2. भला-चंगा 3. पर्याप्त।
अच्छापन
[सं-पु.] 1. अच्छे होने की अवस्था या भाव 2. श्रेष्ठता; अच्छाई।
अच्छिद्र
(सं.) [वि.] 1. जिसमें छेद न हो; छिद्ररहित 2. जिसमें कोई त्रुटि या दोष न हो; निर्दोष। [सं-पु.] 1. निर्दोष कार्य 2. अक्षुण्ण अवस्था।
अच्छेद्य
(सं.) [वि.] 1. जिसे छेदा या भेदा न जा सके 2. जो छेदे जाने के योग्य या उपयुक्त न हो।
अच्युत
(सं.) [सं-पु.] 1. विष्णु और उनके अवतारों का नाम 2. जैनों के एक देवता। [वि.] 1. अपने स्थान से न हटने या गिरने वाला; अटल 2. जिसका नाश न हो; शाश्वत 3. जिसने
भूल या गलती न की हो।
अच्युतवास
(सं.) [सं-पु.] 1. वट वृक्ष 2. अश्वत्थ वृक्ष।
अच्युतांगज
(सं.) [सं-पु.] 1. कामदेव 2. मन्मथ।
अच्युतानंद
(सं.) [वि.] 1. जो सदा आनंद में रहता हो 2. वह जो सदा प्रसन्न रहे।
अछिन्न
(सं.) [वि.] 1. जो छिन्न या तोड़ा-फोड़ा न गया हो; अविभक्त 2. जिसे विभाजित न किया गया हो; अविभाज्य 3. अखंडित; समूचा 4. जिसका क्रम न टूटे; अटूट।
अछूता
[वि.] 1. जिसे छुआ न गया हो; जिसका कभी उपयोग न हुआ हो 2. जिसके संबंध में अभी तक विचार न किया गया हो 3. उपेक्षित 4. कोरा; नया 5. शुद्ध 6. अप्रभावित।
अछूतोद्धार
[सं-पु.] 1. अछूतों या अस्पृश्य जातियों के उद्धार का काम, प्रयत्न या भाव 2. मानवमात्र में बंधुत्व और समानता के लिए होने वाला काम।
अछेद्य
(सं.) [वि.] 1. जो छेदा न जा सके 2. जो तोड़ा या खंडित न किया जा सके 3. अखंडनीय।
अछोर
[वि.] 1. जिसका कोई ओर-छोर न हो; असीम 2. बहुत अधिक विस्तृत या लंबा-चौड़ा।
अछोह
[वि.] 1. जिसमें छोह या प्रेम न हो 2. निष्ठुर; निर्दय। [सं-पु.] 1. छोह का अभाव 2. उदासीनता।
अज
(सं.) [वि.] 1. अनादिकाल से विद्यमान 2. अजन्मा। [सं-पु.] 1. ब्रह्मा 2. विष्णु 3. शिव 4. ईश्वर 5. जीवात्मा 6. सूर्य या अग्नि का रथ 7. राजा दशरथ के पिता का
नाम 8. कामदेव 9. चंद्रमा 10. भेड़ 11. बकरा 12. माया 13. मेष राशि 14. एक प्रकार का धान्य।
अजगर
(सं.) [सं-पु.] 1. एक बहुत बड़ा एवं मोटा साँप जो प्राणियों को निगल जाता है 2. {ला-अ.} आततायी 3. {ला-अ.} निठल्ला; आलसी।
अजगरी
(सं.) [वि.] अजगर संबंधी। [सं-स्त्री.] अजगर जैसी प्रवृत्ति।
अजगव
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) शिव का धनुष; पिनाक।
अज़गैबी
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. रहस्यपूर्ण; अलौकिक 2. आकाश से या आकस्मिक रूप से आने या होने वाला; आकस्मिक 3. दैवी।
अजड़
(सं.) [वि.] 1. जो जड़ न हो; चेतन 2. जो मूर्ख न हो; बुद्धिमान।
अजन
(अ.) [वि.] 1. जन से रहित; जनहीन 2. निर्जन। [सं-पु.] जो अच्छा आदमी न हो; बुरा या नीच आदमी।
अजनतंत्रीय
(सं.) [वि.] जो जनतांत्रिक न हो; गैरलोकतांत्रिक।
अजनबी
[सं-पु.] 1. जिससे पहले से परिचय न हो; अपरिचित 2. नवागत 3. पराया।
अजनबीपन
[सं-पु.] 1. अपरिचय की स्थिति 2. अलग-थलग पड़े होने की दशा या भाव (एलियनेशन)।
अजन्मा
(सं.) [वि.] 1. जिसने जन्म न लिया हो; जिसका जन्म न हुआ हो 2. बिना जन्म लिए ही जो अस्तित्व में आया हो 3. जो जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो।
अजन्य
(सं.) [वि.] 1. जो उत्पादन के योग्य न हो 2. अजननीय 3. जो मानवता के प्रतिकूल हो।
अजपा
(सं.) [वि.] 1. जिसका जप न किया जाए 2. बिना आवाज़ के जपा हुआ 3. जप न करने वाला। [सं-पु.] मंत्र जपने का एक प्रकार जिसमें बिना उच्चारण के मन ही मन जाप किया
जाता है।
अजब
(अ.) [वि.] आश्चर्यजनक; विचित्र; अनोखा; अद्भुत; विलक्षण।
अज़मत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. बड़प्पन; बुजुर्गी 2. गौरव 3. महत्ता 4. चमत्कार।
अज़मानतीय
[वि.] 1. जिसकी ज़मानत न हो सके 2. जिसमें ज़मानत न मिलती हो।
अजमुख
(सं.) [सं-पु.] दक्ष प्रजापति का एक नाम। [वि.] जिसका मुँह बकरे जैसा हो।
अजय
(सं.) [वि.] जिसे जीता न जा सके; अजेय। [सं-पु.] 1. 'जय' का विलोम 2. हार; पराजय।
अजया
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. भाँग नामक पौधा 2. माया।
अजर
(सं.) [वि.] 1. जिसे जरा या बुढ़ापा न आए; जो सदैव ज्यों का त्यों बना रहे। [सं-पु.] 1. परब्रह्म 2. देवता।
अजर-अमर
(सं.) [वि.] अनश्वर; जो न कभी बूढ़ा हो और जिसका नाश या क्षय न हो; जिसकी कभी मृत्यु न हो।
अजलित
(सं.) [वि.] जो बिना जल के हो; जलरहित।
अजवायन
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का पौधा जिसके बीज औषधि और मसाले में इस्तेमाल होते हैं 2. उक्त पौधे के बीज।
अजस्र
(सं.) [वि.] अविच्छिन्न; निरंतर चलने वाला। [क्रि.वि.] अविच्छिन्न रूप से; लगातार; सतत।
अज़हर
(अ.) [वि.] 1. ज़ाहिर; प्रकट 2. उज्ज्वल; प्रकाशवान 3. बहुत अधिक स्पष्ट।
अजा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बकरी 2. शक्ति; दुर्गा 3. एक पौधा। [वि.] 1. जिसने जन्म न लिया हो या जिसका जन्म न हुआ हो 2. जो उत्पन्न न की गई हो; जन्मरहित।
अजात1
(सं.) [वि.] 1. जिसका जन्म न हुआ हो; अनुत्पन्न; जन्मरहित; अजन्मा 2. जो जन्म के बंधन से मुक्त हो।
अजात2
[वि.] 1. जिसकी कोई जाति न हो 2. जो जाति से निकाल दिया गया हो 3. जाति प्रथा के अनुसार निम्न जाति का।
अजातशत्रु
(सं.) [वि.] जिसका कोई शत्रु या दुश्मन पैदा न हुआ हो; शत्रुविहीन। [सं-पु.] बुद्ध के समकालीन एक मगध नरेश।
अजाति
(सं.) [वि.] 1. जाति से निकाला हुआ 2. जिसकी कोई जाति न हो 3. पंक्तिच्युत।
अज़ादार
(अ.+फ़ा) [सं-पु.] 1. किसी के मरने पर शोक या मातम मनाने वाला 2. मुहर्रम में इमाम हुसैन का मातम मनाने वाला।
अज़ादारी
(अ.+फ़ा) [सं-स्त्री.] 1. किसी के मरने पर मातम या शोक मनाना 2. मुहर्रम में इमाम हुसैन का मातम मनाना; ताज़ियादारी।
अजान
[वि.] 1. अनजान; न जानने वाला 2. जिसे कोई न जानता हो 3. जिसे ज्ञान या बोध न हो, अबोध। [सं-पु.] अनभिज्ञता; अज्ञान।
अज़ान
(अ.) [सं-स्त्री.] सामूहिक रूप से नमाज़ अदा करने के लिए मस्जिद से होने वाली पुकार या बुलावा।
अजाना
[सं-पु.] वह जिसे कोई जानता न हो। [वि.] जिसकी जानकारी न हुई हो; अज्ञात।
अजानी
[वि.] बिना जानी हुई; अनजानी।
अजाने
[क्रि.वि.] अनजाने में; बिना जाने।
अज़ाब
(अ.) [वि.] 1. तकलीफ़; कष्ट; दुख 2. विपत्ति; संकट 3. दुष्कर्म; पाप 4. झंझट; बखेड़ा।
अजायब
(अ.) [सं-पु.] 1. अद्भुत 2. 'अजब' का बहुवचन 3. अजीब या विचित्र बातों तथा वस्तुओं का वर्ग अथवा समूह।
अजायबघर
(अ.+हिं) [सं-पु.] 1. संग्रहालय; (म्यूज़ियम) 2. वह स्थान जहाँ अजीब या विलक्षण वस्तुओं का संग्रह तथा प्रदर्शन किया जाता है।
अजित
(सं.) [वि.] 1. जिसे जीता न जा सके 2. जिसपर किसी ने विजय न पाई हो।
अजितेंद्रिय
(सं.) [वि.] 1. जिसने अपनी इंद्रियों को वश में न किया हो 2. असंयमी; इंद्रिय-लोलुप।
अजिन
(सं.) [सं-पु.] 1. खाल; चर्म 2. मृगछाला 3. धौंकनी।
अजिया
[वि.] 1. जो संबंध के विचार से आजा (दादा) के पद का हो 2. आजी (दादी) संबंधी, जैसे- अजिया सास।
अजिर
(सं.) [सं-पु.] 1. आँगन; सहन 2. हवा; वायु 3. मैदान; खुला स्थान 4. शरीर 5. मेंढक। [वि.] 1. तेज़; तीव्र 3. चपल; चंचल।
अजिल्द
[वि.] बिना जिल्द का (ग्रंथ, पुस्तक आदि)।
अजी
[अव्य.] संबोधन "ए जी/ऐ जी" का संक्षिप्त रूप।
अज़ीज़
(अ.) [वि.] 1. प्यारा; प्रिय; 2. स्वजन; रिश्तेदार; संबंधी 3. रुचिकर। [सं-पु.] 1. निकट सबंधी 2. मिस्र के पुराने बादशाहों की उपाधि।
अज़ीज़ाना
(अ.+फ़ा.) [वि.] प्रेमपूर्ण; स्नेहमय; आत्मीय।
अजीब
(अ.) [वि.] 1. विचित्र; आश्चर्यजनक 2. विलक्षण; अनोखा; अनूठा 3. अनुपम; निराला; अद्वितीय; बेमिसाल।
अजीबोगरीब
(अ.) [वि.] 1. अनोखा; अद्भुत 2. आश्चर्यजनक; विचित्र 3. अप्रत्याशित।
अज़ीम
(अ.) [वि.] 1. बड़ा और विशालकाय 2. वृद्ध और पूज्य।
अजीर्ण
(सं.) [सं-पु.] 1. बदहज़मी; अपच 2. अतिशयता; अतिरेक 3. अक्षुण्ण। [वि.] 1. जो जर्जर या बूढ़ा न हो 2. जो जीर्ण या पुराना न हो।
अजीव
(सं.) [सं-पु.] 1. जड़ पदार्थ 2. जीव तत्व से रहित या भिन्न। [वि.] 1. जिसमें जीवन या जीवनी-शक्ति न हो; निर्जीव 2. बिना प्राण का; मृत 3. अचेतन।
अजूबा
(अ.) [सं-पु.] अनोखी; विचित्र; आश्चर्य में डालने वाली चीज़।
अजेंडा
(इं.) [सं-पु.] 1. कार्यसूची 2. किसी सभा या मीटिंग में जिन मुद्दों पर विचार किया जाना हो उनकी सूची।
अजेय
(सं.) [वि.] जिसे जीता न जा सके; अतिशक्तिशाली; बाहुबली।
अजेयता
(सं.) [सं-स्त्री.] अजेय होने या न जीते जा सकने का गुण।
अजैव
(सं.) [वि.] 1. जिसका जीव से संबंध न हो 2. जो जीवन से युक्त न हो; (इनऑर्गेनिक)।
अजोड़
[वि.] 1. जो जोड़ा न जा सके 2. जिसका कोई जोड़ न हो।
अज्ञ
(सं.) [वि.] न जानने वाला; अज्ञानी; जिसे ज्ञान या समझ न हो।
अज्ञात
(सं.) [वि.] जो ज्ञात न हो; जिसके बारे में पता न हो।
अज्ञातक
(सं.) [वि.] अप्रसिद्ध।
अज्ञातचर्या
(सं.) [सं-स्त्री.] अज्ञातवास।
अज्ञातनाम
(सं.) [वि.] 1. जिसका नाम विदित या मालूम न हो 2. अप्रसिद्ध; अविख्यात।
अज्ञातयौवना
(सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) मुग्धा नायिका का एक भेद; वह नायिका जिसे अपने यौवन के आगमन का ज्ञान या भान न हो।
अज्ञातलोक
(सं.) [वि.] जिस लोक के बारे में कुछ जानकारी न हो; रहस्यमय।
अज्ञातवास
(सं.) [सं-पु.] 1. ऐसे स्थान में रहना जिसका कोई पता न पा सके 2. सब की दृष्टि से छिपकर रहना।
अज्ञान
(सं.) [सं-पु.] 1. ज्ञान का अभाव 2. जानकारी या सूचना का न होना 3. मिथ्याज्ञान; अविद्या।
अज्ञानता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ज्ञान न होने की अवस्था या भाव 2. किसी बात से परिचित न होने का भाव 3. मिथ्याज्ञान 4. मूर्खता; नासमझी।
अज्ञानी
(सं.) [वि.] 1. जिसे ज्ञान न हो 2. नासमझ; मूर्ख; बेवकूफ़।
अज्ञेय
(सं.) [वि.] जो जाना न जा सके। [सं-पु.] हिंदी की प्रयोगवादी कविता के प्रमुख प्रवर्तक सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन का साहित्यिक उपनाम।
अज्ञेयवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. एक सिद्धांत जिसमें मान्यता है कि दृश्य जगत से परे जो कुछ है; वह जाना नहीं जा सकता 2. (ऐग्नॉस्टिसिज़म)।
अट
[सं-स्त्री.] 1. शर्त 2. प्रतिबंध 3. बाधा; रुकावट।
अटक
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. संकोच; हिचक 2. ऐसी स्थिति जिसमें आगे न बढ़ा जा सके; अड़चन; रुकावट।
अटकना
[क्रि-अ.] 1. फँस जाना 2. रुक जाना 3. बोलने में अवरोध होना।
अटकल
(सं.) [सं-स्त्री.] अनुमान; अंदाज़; तुक्का। [मु.] -लड़ाना : अनुमान लगाना।
अटकलपच्चू
[सं-पु.] जो महज अनुमान या अंदाज़ के आधार पर बात करता हो। [वि.] केवल अटकल या अनुमान से सोचा या कहा हुआ।
अटकलबाज़ी
[सं-स्त्री.] अनुमान लगाने की क्रिया या भाव।
अटका
[सं-पु.] 1. बाधा; कठिनाई 2. जगन्नाथ जी को चढ़ाया हुआ भात या दक्षिणा 3. कठिनाई; बाधा; अटक 4. कमी। [मु.] -रहना : किसी काम या बात का रुका
रहना; ठहरना।
अटकाऊ
[वि.] 1. अटकाने वाला 2. बाधा या रुकावट डालने वाला; बाधक।
अटकाना
[क्रि-स.] 1. फँसाना; टिकाना 2. लटकाना; अवरुद्ध करना 3. अड़ंगा या बाधा उत्पन्न करना 4. किसी कार्य को पूर्ण होने से रोकना।
अटकाव
[सं-पु.] 1. फँसाव; उलझाव 2. विलंब 3. रोक; रुकावट 4. बाधा; अड़चन।
अटन
(सं.) [सं-पु.] 1. घूमने-फिरने की क्रिया या भाव 2. यात्रा; सफ़र; भ्रमण।
अटना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. पूरा पड़ना; काफ़ी होना 2. घूमना; फिरना 3. यात्रा करना; भ्रमण करना।
अटपटा
[वि.] 1. विचित्र; ऊटपटाँग 2. असहज; अस्वाभाविक।
अटपटाना
[क्रि-अ.] 1. अटकना 2. लड़खड़ाना 3. संकोच करना; घबराना।
अटपटी
[सं-स्त्री.] 1. विचित्र; अजीब 2. नियम और रीति विरुद्ध।
अटर्नी
(इं.) [सं-पु.] वकील; अधिवक्ता; नियमानुसार अधिकार प्राप्त अधिवक्ता; अदालत में वादी या प्रतिवादी का प्रतिनिधित्व करने वाला।
अटल
[वि.] 1. दृढ़; दृढ़निश्चयी 2. पक्का; निश्चित; अवश्यंभावी 3. अचल; स्थिर।
अटलांतक
(इं.) [सं-पु.] 1. अफ्रीका, यूरोप के पश्चिमी तट से अमेरिका के पूर्वी तट तक विस्तृत महासमुद्र; (अटलैंटिक)।
अटवी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. जंगल; वन 2. मैदान।
अटा
[सं-स्त्री.] 1. अटारी 2. भ्रमण करने की क्रिया, भाव या वृत्ति; पर्यटन; संन्यासियों की घूमने की आदत।
अटाटूट
(सं.) [वि.] 1. बहुत अधिक 2. ऊँचा या भारी। [क्रि.वि.] 1. बिलकुल 2. एकदम से।
अटारी
[सं-स्त्री.] 1. घर के ऊपर वाला कमरा; कोठा 2. दो या अधिक मंज़िलों वाला मकान; अट्टालिका।
अटार्नी
(इं.) [सं-पु.] न्यायवादी।
अटाला
(सं.) [सं-पु.] 1. सामान; असबाब 2. ढेर; राशि; अंबार 3. कसाइयों की बस्ती 4. मुहल्ला।
अटित
(सं.) [वि.] 1. घुमावदार 2. (नगर) जिसमें बहुत से अटारी या बहुमंजिला मकान हों।
अटूट
(सं.) [वि.] 1. न टूटने वाला; अखंडित 2. अनवरत 3. पक्का; दृढ़।
अटेंड
(इं.) [सं-पु.] 1. उपस्थित होना 2. शामिल होना 3. देख-भाल करना; सेवा करना।
अटेंशन
(इं.) [सं-पु.] ध्यान। [क्रि.वि.] सावधान; सतर्क।
अटेरन
[सं-पु.] 1. सूत की आँटी या लच्छी बनाने का लकड़ी का यंत्र 2. नए घोड़ों को दौड़ने का अभ्यास कराने हेतु उन्हें एक गोले में चक्कर लगवाना 3. कुश्ती का एक दाँव।
अटेरना
[क्रि-स.] अटेरन से सूत की आँटी बनाना।
अटेस्ट
(इं.) [सं-पु.] सत्यापन; अभिप्रमाणन।
अटैक
(इं.) [सं-पु.] 1. हमला; आक्रमण 2. आघात; प्रहार 3. किसी बात या कार्य पर सख़्त आपत्ति या आलोचना।
अटैची
(इं.) [सं-स्त्री.] छोटा सूटकेस; कपड़ा आदि रखने की पेटी; छोटा बक्सा; (ब्रीफ़केस)। [सं-पु.] संबद्ध कर्मचारी; सहचारी; (अताशे)।
अटैच्ड
(इं.) [वि.] 1. जुड़ा हुआ; संबद्ध 2. नत्थी।
अट्ट
(सं.) [सं-पु.] 1. अटारी; कोठा 2. बड़ा मकान; भवन 3. बाज़ार; हाट 4. भात 5. रेशमी वस्त्र। [वि.] 1. ऊँचा; उच्च 2. अधिक 3. शुष्क; सूखा 4. निरंतर।
अट्टक
(सं.) [सं-पु.] 1. कोठा 2. ऊँचा मकान; महल; प्रासाद 3. अटारी।
अट्टसट्ट
[वि.] 1. ऊटपटाँग; अंडबंड; व्यर्थ; निरर्थक। [सं-पु.] निरर्थक बात।
अट्टहास
(सं.) [सं-पु.] ज़ोर की हँसी; ठहाका।
अट्टालिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अटारी; कोठा; महल 2. किसी ऊँची इमारत का सबसे ऊपरी कक्ष।
अट्टी
[सं-स्त्री.] 1. अटेरन पर लपेटा हुआ सूत या ऊन 2. लच्छा; पूला।
अट्ठा
(सं.) [सं-पु.] 1. आठ का समूह 2. आठ बूटियोंवाला ताश का पत्ता 2. आठ कौड़ियों का समूह।
अट्ठाईस
(सं.) [वि.] संख्या '28' का सूचक।
अट्ठावन
(सं.) [वि.] संख्या '58' का सूचक।
अठ
(सं.) आठ का संक्षिप्त रूप जो यौगिक शब्दों के आरंभ में लगता है, जैसे- अठमासा; अठवारा।
अठखेली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. शोखी; चुलबुलापन; चपलता 2. आनंदक्रीड़ा; किलोल 3. अल्हड़पन; मस्ती और ठसक भरी चाल 4. मौज-मस्ती में की गई छेड़छाड़। [मु.] अठखेलियाँ करना : किलोल करना; इतराकर नाज़ के साथ चलना।
अठगुना
[वि.] किसी चीज़ या भाव की प्रदत्त मात्रा और उसे आठ बार दोहराए जाने से बने योग वाला।
अठन्नी
[सं-स्त्री.] 1. रुपए का आधा भाग 2. आठ आने या पचास पैसे का सिक्का।
अठमासा
(सं.) [वि.] 1. जो आठ महीने का हो 2. जो गर्भ से आठ महीने में उत्पन्न हुआ हो। [सं-पु.] 1. सीमांत संस्कार 2. वह खेत जिसमें आषाढ़ से माघ तक फ़सल रहती है।
अठलाना
[क्रि-अ.] 1. ऐंठ दिखलाना; इतराना 2. नखरा करना; चोचला करना 3. मस्ती दिखाना; मदोन्मत्त होना 4. जान-बूझकर अनजान बनना।
अठवारा
[सं-पु.] आठ दिन का समय।
अठहत्तर
(सं.) [वि.] संख्या '78' का सूचक।
अठान
[सं-पु.] 1. अनुचित हठ ठानने की क्रिया या भाव 2. दुराग्रह 3. झगड़ा 4. वैर; शत्रुता 5. शरारत; पाजीपन।
अठानवे
(सं.) [वि.] संख्या '98' का सूचक।
अठाना
[क्रि-अ.] 1. अनुचित हठ ठानना 2. सताना; पीड़ित करना; तंग या परेशान करना।
अठारह
[वि.] संख्या '18' का सूचक।
अठारहवाँ
[वि.] क्रमिक रूप से अठारह के स्थान पर चिह्नित।
अठासी
(सं.) [वि.] संख्या '88' का सूचक।
अड़
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अड़ने की क्रिया या भाव; रुकावट 2. नाका; बाँध 3. हठ; जिद। [मु.] -जाना : किसी बात की ज़िद या हठ पकड़ लेना।
अड़ंगा
[सं-पु.] 1. बाधा; रुकावट; अड़चन; अवरोध; अटकाव 2. कुश्ती का एक पेंच। [मु.] -डालना : कार्य में अड़चन डालना।
अड़ंगेबाज़
(हिं+फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह जो दूसरों के कामों में अड़ंगा लगाया करता हो 2. बाधक; रुकावट डालने वाला व्यक्ति।
अड़ंगेबाज़ी
(हिं+फ़ा.) [सं-स्त्री.] अड़ंगा लगाने की क्रिया या भाव 2. अवरोध या रुकावट डालने की क्रिया।
अडंड
(सं.) [वि.] 1. जिसे दंड न दिया जा सके 2. जो दंडनीय न हो; अदंड्य 3. जिसे कर या टैक्स न देना पड़ता हो।
अडग
[वि.] आगे कदम या डग न बढ़ाने वाला; स्थिर; अडिग।
अड़गड़ा
[सं-पु.] 1. बैल-गाड़ियों आदि के ठहरने का स्थान 2. घोड़ों, बैलों आदि के बिकने का स्थान।
अड़चन
[सं-स्त्री.] 1. बाधा; रुकावट; विघ्न 2. कठिनाई; मुश्किल।
अड़तल
[सं-स्त्री.] 1. दुराग्रही; हठी 2. आड़; ओट 3. शरण 4. बहाना।
अड़तालीस
[वि.] संख्या '48' का सूचक।
अड़तीस
[वि.] संख्या '38' का सूचक।
अड़न
[सं-स्त्री.] 1. अड़ने की क्रिया या भाव 2. हठ; ज़िद 3. खड़े होने या बैठने की स्थिति।
अड़ना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. ज़िद करना; हठ करना; टस से मस न होना 2. किसी वस्तु आदि का दरवाज़े आदि में अटक जाना; बाधित होना 3. मुकाबला करना; झेलना 4. किसी स्थान या
बात पर अवरोध बन कर खड़े हो जाना।
अड़बल
[वि.] 1. हठी; ज़िद्दी 2. अड़ियल।
अड़सठ
(सं.) [वि.] संख्या '68' का सूचक।
अड़हुल
[सं-पु.] एक लाल खूबसूरत फूल; गुड़हल; देवीफूल; जवाकुसुम।
अड़ान
[सं-पु.] 1. अड़ने की अवस्था या भाव 2. अड़ने, ठहरने या रुकने का स्थान 3. पड़ाव।
अड़ाना
[क्रि-स.] 1. टिकाना; ठहराना; रोकना; अटकाना 2. टेकना; डाट लगाना 3. उलझाना; बाधा या विघ्न उपस्थित करना 4. ठूसना; भरना। [सं-पु.] 1. एक प्रकार का राग 2. वह
लकड़ी जिससे कोई वस्तु टिकाते हैं; डाट; चाँड़।
अड़ार
(सं.) [सं-पु.] 1. राशि; ढेर; समूह 2. लकड़ी या ईंधन की दुकान 3. तट; किनारा। [वि.] टेढ़ा; तिरछा।
अडिग
[वि.] 1. अपने स्थान से न डिगने या हटने वाला 2. अटल; अचल 3. धीर; संकल्पशील 4. अपनी प्रतिज्ञा से पीछे न हटने वाला।
अडिगता
[सं-स्त्री.] 1. दृढ़ता 2. बरकरारी; कायम रहने का भाव 3. ज़िद्दीपन 4. कट्टरता।
अड़ियल
[वि.] 1. अकड़ू; कार्य के बीच में रुकने या अड़ने वाला; अडंगेबाज़ 2. अनुदार; कठोर 3. {ला-अ.} दुराग्रही; रूढ़िवादी; तर्कहीन।
अड़ियलपन
[सं-पु.] 1. अड़ियल होने की अवस्था या भाव 2. घमंड; अक्खड़ता; अकड़ूपन; झक्कीपन।
अड़ी
[सं-स्त्री.] 1. ऐसी स्थिति जिसमें आगे बढ़ना कठिन हो 2. रुकावट; बाधा 3. हठ; ज़िद 4. ज़रूरत का वक्त; कठिन समय; अड़चन की स्थिति।
अडीठ
[वि.] 1. जो दिखाई न दे; अदृश्य 2. गुप्त; छिपा हुआ 3. जो कभी दिखाई न दिया हो।
अड़ूसा
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का पौधा 2. उक्त पौधे के पुष्प जो कफ़ से संबंधित रोगों, जैसे- खाँसी और दमा (अस्थमा) की औषधि बनाने के काम में आते हैं।
अडोल
(सं.) [वि.] 1. स्थिर; जड़ 2. पक्का 3. गतिहीन 4. अविचल।
अड़ोस-पड़ोस
[सं-पु.] 1. अपने घर के आस-पास के घर, भवन आदि 2. मुहल्ला।
अड्डा
(सं.) [सं-पु.] 1. वाहन रुकने का स्थान, (स्टेशन), जैसे- बस अड्डा, हवाई अड्डा 2. मिलने-जुलने और समय गुज़ारने का स्थान 3. चोरों, जुआरियों आदि तमाम धंधे करने
वालों के मिलने की जगह 4. डेरा 5. चौपाल 6. चौकी 7. चिड़ियों के बैठने के लिए आड़ी लकड़ी या छड़; छतरी 7. जुलाहे का करघा 8. जाली काढ़ने का चौखटा; कढ़ाई का
फ़्रेम। [मु.] -जमना : कुछ व्यक्तियों का किसी मकसद के लिए एक स्थान पर इकट्ठा होना।
अड्डी
[सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का बरमा; लकड़ी में छेद करने वाला औज़ार 2. जूते का किनारा; एड़ी 3. लकड़ी का एक चौखटा।
अड्डेबाज़
[सं-पु.] 1. बैठकबाज़; जमावड़ा लगाने वाला 2. मिलनसार।
अड्डेबाज़ी
[सं-स्त्री.] बैठकबाज़ी; जमावड़ा।
अढ़तिया
[सं-पु.] 1. आढ़त का काम करने वाला; माल ख़रीद कर ग्राहकों और महाजनों को भेजने और उनका माल मँगा कर बेचने वाला दुकानदार 2. मध्यवर्ती व्यापारी; दलाल; (एजेंट)।
अढ़ाई
[वि.] ढाई; दो और आधा। [मु.] -चावल की खिचड़ी अलग पकाना : सभी की अपनी-अपनी राय अलग-अलग होना।
अढ़िया
[सं-स्त्री.] काठ, पत्थर या टिन का छोटा पात्र जिसमें मज़दूर गारा, चूना आदि ढोते हैं; तसला।
अणिमा
(सं.) [सं-स्त्री.] (हठयोग) अष्ट सिद्धियों में पहली सिद्धि जिसे प्राप्त करने पर योगी पुरुष किसी को दिखाई नहीं देता।
अणी
(सं.) [सं-स्त्री.] नोक; धार। [अव्य.] स्त्रियों में प्रचलित संबोधन का शब्द; अरी।
अणु
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी तत्व या यौगिक आदि का वह अत्यंत छोटा रूप जिसमें उसके सभी संयोजक अंश मौजूद हों; (मॉलिक्यूल) 2. अंश; कण; घटक; सूक्ष्म मात्रा 3. रजकण।
अणुजीव
(सं.) [सं-पु.] प्राणी या वनस्पति जगत का बहुत ही छोटा जीव जो सिर्फ़ सूक्ष्मदर्शी यंत्र से ही देखा जा सकता है।
अणुबम
(सं.+इं.) [सं-पु.] नाभिकीय विखंडन पर आधारित एक प्रकार का बम जो विस्फ़ोट के द्वारा व्यापक जनसंहार करता है; (ऐटम बॉम्ब)।
अणुमात्र
(सं.) [वि.] बहुत थोड़ा; रंचमात्र; लेशमात्र; अणु भर।
अणुवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. वह दर्शन या सिद्धांत जिसमें जीव या आत्मा को अणु माना गया है 2. वैशेषिक दर्शन।
अणुवादी
(सं.) [सं-पु.] वल्लभाचार्य का अनुयायी वैष्णव। [वि.] अणुवाद के सिद्धांत को मानने वाला या अनुयायी।
अणुवीक्षण
(सं.) [सं-पु.] 1. सूक्ष्म वस्तुओं या बातों को जानने या देखने की क्रिया या भाव 2. छिद्रान्वेषण।
अणुशक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आणविक शक्ति; आणविक ऊर्जा; परमाणु शक्ति या ऊर्जा 2. ऊर्जा का अद्यतन, वैकल्पिक स्रोत।
अतंद्र
(सं.) [वि.] 1. जो तंद्रा में न हो; तंद्रारहित 2. सचेष्ट; जागरूक 3. उद्यमी; प्रयत्नशील।
अतंद्री
(सं.) [वि.] 1. जिसे निद्रा या तंद्रा न आती हो; निद्रारहित 2. सदैव जाग्रत; जागरूक; सचेत।
अतंरालीय
(सं.) [वि.] 1. जिसमें अंतराल हो; अवकाशवाला 2. दूरी पर स्थित 3. अंतरिम; मध्यमीय; जो माध्यमिक अवस्था में हो।
अतः
(सं.) [अव्य.] 1. इस कारण; इस वजह से; इसलिए 2. इसकी अपेक्षा; इससे 3. अब से 4. आगे।
अतएव
(सं.) [अव्य.] 1. इसलिए; अतः 2. इस वजह से; इस कारण से।
अतथ्य
(सं.) [वि.] 1. जिसमें तथ्य या सच्चाई न हो; तथ्यरहित 2. असत्य; अवास्तविक 3. अयथार्थ; गलत। [सं-पु.] तथ्य या सच्चाई का अभाव।
अतनु
(सं.) [वि.] 1. जो बिना तन या शरीर का हो; शरीर-रहित; देहरहित 2. जो दुबला-पतला न हो। [सं-पु.] कामदेव।
अतप
(सं.) [वि.] 1. जिसमें ताप या गरमी न हो; शीतल; न तपने वाला 2. जो तपस्या या तप न करता हो 3. निठल्ला। [सं-पु.] 1. तपस्या की अवहेलना करने वाला व्यक्ति 2. वह
व्यक्ति जो तपस्वी न हो।
अतर
[सं-पु.] इत्र; फूल का सत; सुगंधित द्रव्य; (परफ़्यूम)।
अतरवन
(सं.) [सं-पु.] 1. छज्जा छाने के लिए निर्मित पत्थर की पटिया 2. एक प्रकार की घास या मूँज जो खपरों के नीचे फैलाई जाती है।
अतरसों
(सं.) [अव्य.] 1. बीते हुए परसों से एक दिन पहले का दिन 2. आने वाले परसों से एक दिन बाद का दिन।
अतर्क
(सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई तर्क न हो; तर्करहित 2. असंगत। [सं-पु.] तर्क का अभाव; तर्कहीनता।
अतर्कपूर्ण
(सं.) [वि.] 1. बेतुका; बेमतलब 2. तर्कहीन 3. आधारहीन; निराधार।
अतर्कित
(सं.) [वि.] 1. जिसका पहले से कोई अनुमान या तर्क न किया गया हो 2. अनसोचा 3. अचानक; आकस्मिक।
अतर्क्य
(सं.) [वि.] जिसपर कोई तर्क न किया जा सके; अकाट्य।
अतल
(सं.) [सं-पु.] सात पातालों में दूसरा पाताल। [वि.] 1. जिसका तल न हो; तलरहित 2. जिसकी गहराई की थाह न हो; अथाह।
अतलस्पर्शी
(सं.) [वि.] 1. जिसके तल या गहराई तक पहुँचा न जा सके 2. बहुत गहरा; अथाह।
अतलांत
(सं.) [वि.] जिसके तल का अंत न हो; अत्यधिक गहरा; अथाह; असीम गहरा।
अता-पता
[सं-पु.] पता-ठिकाना। [मु.] -न होना : किसी को पता-ठिकाना न मालूम होना; अस्तित्व न होना।
अतारांकित
(सं.) [वि.] जिसमें तारा का चिह्न न लगा हो; गैरतारांकित।
अतार्किक
(सं.) [वि.] जो तर्क पर आधारित न हो; तर्कविहीन; अतर्क्य।
अति
(सं.) [अव्य.] अतिरेक का भाव; अतिशयता; अधिकता।
अतिकथ
(सं.) [वि.] 1. बहुत बढ़ा-चढ़ाकर कहा हुआ 2. अविश्वसनीय। [सं-पु.] बहुत बढ़ा-चढ़ाकर कही हुई बात।
अतिकथन
(सं.) [सं-पु.] अतिरंजित कथन; अत्युक्ति।
अतिकथा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अतिरंजित बात; बढ़ा-चढ़ाकर कही गई बात 2. अतिरंजित कहानी 3. निरर्थक बात; बकवाद; फालतू बात।
अतिकर
(सं.) [सं-पु.] अतिरिक्त कर या टैक्स; अधिकर।
अतिकरुण
(सं.) [वि.] अत्यंत कारुणिक; अत्यंत दयनीय।
अतिकांत
(सं.) [वि.] 1. बहुत अधिक सुंदर 2. कांतिशील 3. अधिक प्यारा।
अतिकामी
(सं.) [वि.] जिसमें अधिक काम-वासना हो।
अतिकाय
(सं.) [वि.] 1. भारी डील-डौलवाला 2. विशालकाय।
अतिकाल
(सं.) [सं-पु.] 1. देर; विलंब 2. कुसमय 3. किसी कार्य के नियत समय के बीतने का समय।
अतिकृत
(सं.) [वि.] 1. जिसको करने में मर्यादा का उल्लंघन या अतिक्रमण किया गया हो 2. सीमा से अधिक किया गया।
अतिक्रम
(सं.) [सं-पु.] 1. सीमा से आगे बढ़ना 2. नियम या मर्यादा का उल्लंघन 3. विपरीत व्यवहार 4. लाँघना।
अतिक्रमण
(सं.) [सं-पु.] सीमा का उल्लंघन; हद से आगे जाना; अनधिकृत कब्ज़ा; (इनक्रोचमेंट)।
अतिक्रमित
(सं.) [वि.] 1. जिसका अतिक्रमण हुआ हो 2. जिसका उल्लंघन किया गया हो।
अतिक्रांत
(सं.) [वि.] 1. जिसके क्रम का उल्लंघन किया गया हो 2. बीता हुआ; अतीत; गत।
अतिक्रामक
(सं.) [सं-पु.] 1. अपने अधिकार और सीमा का उल्लंघन करने वाला व्यक्ति 2. दूसरे के अधिकारों आदि में हस्तक्षेप करने वाला।
अतिगत
(सं.) [वि.] 1. अति को पहुँचा हुआ 2. अत्यधिक; बहुत अधिक 3. सीमा या हद तक पहुँचा हुआ।
अतिगति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. उत्तम गति 2. मोक्ष; मुक्ति।
अतिग्रह
(सं.) [वि.] 1. जो ग्रहण न किया जा सके 2. दुर्बोध। [सं-पु.] 1. बहुत ग्रहण करने वाला व्यक्ति 2. सही ज्ञान 3. ज्ञानेंद्रियों का विषय।
अतिचर
(सं.) [वि.] 1. बहुत परिवर्तनशील 2. क्षणिक।
अतिचार
(सं.) [सं-पु.] 1. अपने अधिकार और अधिकृत सीमाक्षेत्र से बाहर जाकर दूसरे के अधिकार में दख़लंदाज़ी 2. अतिक्रमण 3. मर्यादा का उल्लंघन।
अतिचारी
(सं.) [वि.] 1. वह जो अतिचार अथवा अतिक्रमण करता हो 2. सीमा का अनुचित रूप से उल्लंघन करने वाला।
अतिजागर
(सं.) [वि.] 1. जो सदा जागता रहता हो; जागरूक; बहुत अधिक जानने वाला।
अतिजीवी
(सं.) [वि.] 1. औरों की अपेक्षा अधिक जीने वाला 2. अन्य व्यक्तियों, जातियों-प्रजातियों आदि के समाप्त होने के बाद भी बचा रहने वाला।
अतितरण
(सं.) [सं-पु.] 1. पार करना 2. पराजित करना; पराभूत करना; हराना।
अतितृष्णा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अधिक तृष्णा या प्यास 2. अत्यंत लालच या लोभ 3. अत्यधिक वासना।
अतिथि
(सं.) [सं-पु.] बाहर से आने वाला आगंतुक; मेहमान; अभ्यागत।
अतिथिगृह
(सं.) [सं-पु.] वह भवन जो अतिथियों के ठहरने के लिए नियत हो; अतिथिशाला; (गेस्ट हाउस)।
अतिथित्व
(सं.) [सं-पु.] अतिथि होने का भाव।
अतिथिधर्म
(सं.) [सं-पु.] 1. उचित रूप से अतिथि की सेवा या सत्कार करने की क्रिया या भाव 2. अतिथि की सेवा।
अतिथिशाला
(सं.) [सं-स्त्री.] अतिथिगृह; (गेस्ट हाउस)।
अतिथि-सत्कार
(सं.) [सं-पु.] 1. अतिथि का सत्कार 2. अभ्यागत की सेवा-सुश्रूषा।
अतिदर्शी
(सं.) [वि.] 1. दूरदर्शी 2. जो अधिक दूर तक देखता हो; जो आगे की बात सोचता हो।
अतिदान
(सं.) [सं-पु.] 1. सर्वोत्तम वस्तु का दान 2. बहुत अधिक दान या उदारता।
अतिदिष्ट
(सं.) [वि.] 1. निर्दिष्ट विषय के अलावा और विषयों पर भी लागू होने वाला (नियम) 2. जिसका अतिदेशन हुआ हो 3. आरोपित 3. अपनी सीमा, अवधि से आगे बढ़ाया हुआ;
(इक्सटेंडेड)।
अतिदुर्गत
(सं.) [वि.] 1. जिसकी दुर्गति की गई हो 2. जिसकी स्थिति बहुत ख़राब हो।
अतिदुसह
(सं.) [वि.] जो असहनीय हो; असह्य।
अतिदेश
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रस्तुत विषय का अतिक्रमण करके दूसरे विषय पर जाना 2. किसी कार्य या बात की सीमा या अवधि आगे बढ़ाने की क्रिया या भाव; विस्तारण (इक्स्टेंशन)
3. कई भिन्न या विरोधी बातों में कुछ विशेष तत्वों की पाई जाने वाली समानता।
अतिदेशन
(सं.) [सं-पु.] अतिदेश करने की क्रिया या भाव।
अतिद्रुत
(सं.) [वि.] द्रुत गतिवाला; तेज़ गतिवाला; बहुत तेज़।
अतिनिद्र
(सं.) [वि.] जो बहुत सोता हो; सदैव सोता रहने वाला; जिसे बहुत नींद आती हो।
अतिपतन
(सं.) [सं-पु.] 1. सीमा का उल्लंघन; अतिक्रमण 2. अत्यधिक ह्रास या विनाश की स्थिति।
अतिपतित
(सं.) [वि.] ऐसा व्यक्ति या स्थिति जिसका अत्यधिक पतन हुआ हो।
अतिपथ
(सं.) [सं-पु.] 1. उत्तम मार्ग 2. बड़ा और श्रेष्ठ मार्ग।
अतिपन्न
(सं.) [वि.] 1. (समय) बीता या गुज़रा हुआ 2. अतिक्रांत 3. भूला या छूटा हुआ।
अतिपरोक्ष
(सं.) [वि.] 1. जो बहुत परोक्ष या अप्रत्यक्ष हो 2. अदृश्य; अप्रकट।
अतिपात
(सं.) [सं-पु.] 1. अनजाने में होने वाली नित्य प्रायः की जीवहिंसा; हिंसा 2. अव्यवस्था 3. नियम या मर्यादा का उल्लंघन।
अतिप्रश्न
(सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा प्रश्न जिसके पूछने से मर्यादा का अतिक्रमण हो 2. तर्कहीन प्रश्न 3. अनावश्यक प्रश्न 4. न पूछने योग्य प्रश्न।
अतिप्रसंग
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. घना या घनिष्ठ संबंध 2. धृष्टता 3. किसी नियम का अति विस्तार।
अतिप्राकृत
(सं.) [वि.] 1. दैवी; दिव्य; अलौकिक 2. असाधारण।
अतिभार
(सं.) [सं-पु.] 1. अधिक बोझ, वज़न या भार 2. (साहित्य) अर्थ की दृष्टि से वाक्य के बोझिल होने की अवस्था या भाव।
अतिभोग
(सं.) [सं-पु.] 1. नियत समय के बाद भी अथवा बहुत दिनों से किसी वस्तु या संपत्ति का उपभोग करते चले जाना 2. किसी वस्तु या संपत्ति का दीर्घकालीन उपभोग।
अतिमर्त्य
(सं.) [वि.] 1. मृत्यु लोक से परे का; पारलौकिक 2. जो इस लोक से संबंधित न हो; अलौकिक।
अतिमर्श
(सं.) [सं-पु.] 1. बहुत नज़दीक का संबंध 2. निकट का नाता 3. अत्यधिक संपर्क।
अतिमा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अति या चरम सीमा तक पहुँचने की अवस्था, गुण या भाव 2. बहुत अधिकता; अत्यधिक 3. दिव्यता; अलौकिकता।
अतिमात्र
(सं.) [वि.] नियत या उचित मात्रा से अधिक; अत्यधिक; बहुत ज़्यादा; बहुत अधिक।
अतिमान
(सं.) [सं-पु.] 1. अत्यधिक घमंड 2. अधिक अहंकार 3. अधिक ज़िद या हठ।
अतिमानव
(सं.) [सं-पु.] ऐसा मनुष्य जिसमें अलौकिक गुण हों; (सुपरमैन)।
अतिमानवी
(सं.) [वि.] मनुष्योचित से कहीं ज़्यादा; जो (घटनाएँ, गुण या क्रिया-कलाप) मानव के लिए असंभव प्रतीत हो।
अतिमानस
(सं.) [सं-पु.] मन या बुद्धि से परे वस्तु या जगत। [वि.] 1. जो मन से परे हो 2. जिस तक बुद्धि की पहुँच न हो।
अतिमित
(सं.) [वि.] 1. जो नापा न जा सकता हो; अपरिमित 2. जो नापने से परे हो 3. शुष्क।
अतियथार्थवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. फ्रांस में जन्मा एक कला-आंदोलन जो स्वतंत्रता और प्रेम पर बल देता है और व्यक्तित्व के अंतर्विरोधों के चित्रण को महत्वपूर्ण मानता है 2.
यथार्थ की अभिव्यक्ति में अति या आधिक्य करना।
अतियथार्थवादी
(सं.) [वि.] 1. यथार्थ की अति करके बताने वाला 2. अतियथार्थवाद को मानने वाला।
अतियोग
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी मिश्रण आदि में कोई वस्तु या चीज़ आवश्यकता से अधिक मिलाना 2. अतिशयता।
अतिरंजन
(सं.) [सं-पु.] बढ़-चढ़ा कर कोई बात कहना; अत्युक्ति; अतिशयोक्ति।
अतिरंजना
(सं.) [सं-स्त्री.] अतिरंजन; अतिशयोक्ति।
अतिरंजित
(सं.) [वि.] बहुत बढ़ा-चढ़ा कर कहा हुआ; अतिशयोक्तिपूर्ण।
अतिरक्तचाप
(सं.) [सं-पु.] शरीर की धमनियों में रक्त प्रवाह की गति का तेज़ होना; (हाई ब्लड प्रेशर)।
अतिराष्ट्रीयता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अत्यधिक या उत्कट राष्ट्रप्रेम 2. उग्र राष्ट्रवाद; (शोविनिज़म)।
अतिरिक्त
(सं.) [वि.] 1. बढ़ा हुआ; नियत से अधिक; (एक्स्ट्रा) 2. फ़ाज़िल 3. भिन्न 4. अद्वितीय 5. जो आवश्यकतानुसार जोड़ा या बढ़ाया गया हो; (ऐडिशनल)। [क्रि.वि.] अलावा;
सिवाय।
अतिरूप
(सं.) [वि.] 1. बहुत सुंदर रूपवाला 2. अत्यधिक सुंदर 3. रूप से परे; आकृतिहीन।
अतिरेक
(सं.) [सं-पु.] 1. आवश्यकता से अधिक होने की अवस्था, गुण या भाव 2. आधिक्य; बढ़ोत्तरी; ज़रूरत से ज़्यादा होना या करना 3. अतिशयता; बहुतायत 4. हद पार करके कुछ करने
की क्रिया 5. व्यर्थ की वृद्धि या विस्तार; (ऐग्रेवेशन)।
अतिरोग
(सं.) [सं-पु.] 1. बड़ा रोग 2. क्षयरोग; राजयक्ष्मा।
अतिलंघन
(सं.) [सं-पु.] 1. सीमा या मर्यादा का अधिक अतिक्रमण या उल्लंघन 2. दीर्घ उपवास।
अतिवक्ता
(सं.) [वि.] 1. बहुत बकबक करने वाला 2. अधिक बोलने वाला; बकवादी।
अतिवर्तन
(सं.) [सं-पु.] 1. बहुत अधिक आगे बढ़ने की क्रिया या भाव 2. मात्रा से अधिक प्रयोग करना।
अतिवर्ती
(सं.) [वि.] 1. बहुत आगे बढ़ा हुआ 2. पार करने वाला।
अतिवात
(सं.) [सं-पु.] 1. तेज़ चलने वाली वायु का उग्र रूप 2. हवा या वायु का प्रचंड रूप।
अतिवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी विषय में औचित्य की सीमा या मर्यादा से बहुत आगे बढ़ जाने का सिद्धांत जो आतुरता, उग्रता आदि का सूचक है; (एक्सट्रीमिज़म)।
अतिवादी
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जो अतिवाद के सिद्धांत को मानता है और उसके अनुसार चलता है 2. अतिवाद संबंधी; (एक्सट्रीमिस्ट) 3. किसी बात या कार्य में अति करने वाला।
अतिवाह
(सं.) [सं-पु.] 1. आत्मा का एक शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर में जाना; परलोकवास 2. फालतू पानी निकालने की नाली; पानी निकालने का मार्ग।
अतिवाहन
(सं.) [सं-पु.] 1. व्यतीत करना 2. अत्यधिक मेहनत या परिश्रम करना 3. भेजना।
अतिविस्तार
(सं.) [सं-पु.] 1. बहुत अधिक फैलाव 2. व्यापकता।
अतिवृष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बहुत अधिक वर्षा जो खेतों आदि के लिए अनिष्टकारी सिद्ध हो; धन-जन की हानि करने वाली भीषण बारिश 2. मूसलाधार वर्षा; अत्यधिक वर्षा होने की
स्थिति।
अतिव्यय
(सं.) [सं-पु.] ज़रूरत से ज़्यादा ख़र्च; फ़िजूलख़र्ची; अपव्यय।
अतिव्ययी
(सं.) [वि.] अपव्ययी; फ़िजूलख़र्च या ज़रूरत से ज़्यादा ख़र्च करने वाला।
अतिव्यापी
(सं.) [वि.] 1. अतिरिक्त रूप से व्याप्त 2. जो प्रतिपादित करना है उसकी सीमाओं या नियम से अधिक 3. जिसमें अतिव्याप्ति दोष हो।
अतिव्याप्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रतिपाद्य की सीमा या नियम से अधिक हो जाना 2. (तर्कशास्त्र और साहित्य) किसी कथन या लक्षण में अपेक्षा से इतर किसी अतिरिक्त वस्तु का भी
आ जाना।
अतिव्याप्ति दोष
(सं.) [सं-पु.] 1. उद्देश्य या नियम से अधिक होना 2. लक्षण के तीन दोषों में से एक; जहाँ लक्षण में लक्ष्य के अतिरिक्त अन्य वस्तु भी समाविष्ट हो जाए।
अतिशय
(सं.) [वि.] आवश्यकता से बहुत अधिक; अत्यधिक। [सं-पु.] आधिक्य; प्रचुरता 2. एक अर्थालंकार जिसमें किसी वस्तु की संभावना या असंभावना को लगातार बढ़ते दिखाया जाता
है।
अतिशयीकरण
(सं.) [सं-पु.] 1. अतिशय रूप देने की क्रिया 2. बढ़ा-चढ़ाकर दिया गया स्पष्टीकरण 3. परम अधिकता का भाव।
अतिशयोक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बढ़ा-चढ़ाकर कही गई बात; (इगज़ैजरेशन) 2. अतिरंजना; अत्युक्ति; चमत्कारोक्ति 3. (काव्यशास्त्र) एक अर्थालंकार जिसमें किसी की प्रशंसा या
निंदा में बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बातें की जाती हैं।
अतिशायन
(सं.) [सं-पु.] 1. अधिक या प्रचुर होने की स्थिति 2. श्रेष्ठता; प्रधानता।
अतिशायी
(सं.) [वि.] 1. जो आगे बढ़ गया हो; आगे बढ़ा हुआ 2. अतिशयतावाला 3. प्रधान 4. श्रेष्ठ।
अतिशीतन
(सं.) [सं-पु.] आवश्यकता या ज़रूरत से ज़्यादा ठंडा या शीतल करना; (ओवरकूलिंग)।
अतिशेष
(सं.) [वि.] 1. बचा हुआ (अंश) 2. बाकी (रोकड़) 3. बहुत कम या अल्प मात्रा में बचा हुआ।
अतिसंधान
(सं.) [सं-पु.] 1. अतिक्रमण; सीमा की मर्यादा को पार करना 2. उचित या ठीक लक्ष्य से और आगे बढ़कर निशाना लगाना; (ओवर हिटिंग) 3. छल; धोखा।
अतिसंधि
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी को शक्ति या सामर्थ्य से अधिक सहायता देने की प्रतिज्ञा।
अतिसंधित
(सं.) [वि.] जो अतिसंधि के कारण छला गया हो 2. सामर्थ्य से अधिक सहायता देने के कारण जो स्वयं वंचित हो गया हो।
अतिसंध्या
(सं.) [सं-स्त्री.] सूर्योदय के ठीक पहले और सूर्यास्त के ठीक बाद का समय।
अतिसर
(सं.) [वि.] 1. अपनी चाल या गति से तेज़ चलने वाला 2. सबसे तेज़ चलने वाला 3. आगे बढ़ जाने वाला। [सं-पु.] प्रयत्न; प्रयास।
अतिसर्पण
(सं.) [सं-पु.] 1. तेज़ या तीव्र गति 2. तेज़ी से चलना 3. गर्भाशय में शिशु का आगे की ओर तेज़ी से सरकना।
अतिसार
(सं.) [सं-पु.] आँव; पेचिश; दस्त।
अतिसारी
(सं.) [वि.] 1. जिसे अतिसार रोग हुआ हो; अतिसार रोग से पीड़ित 2. अतिसार रोग से संबंधित।
अतिसूक्ष्म
(सं.) [वि.] अत्यंत सूक्ष्म; बहुत ही छोटा; (माइक्रोस्कोपिक)।
अतिसौरभ
(सं.) [वि.] अत्यधिक सुगंधवाला। [सं-पु.] अत्यधिक सुगंध।
अतिस्थूल
(सं.) [वि.] 1. जो शरीर से बहुत मोटा हो 2. {ला-अ.} अत्यंत मूर्ख; मोटी बुद्धिवाला।
अतिस्पर्श
(सं.) [वि.] 1. कृपण; कंजूस 2. कमीना; नीच।
अतिस्वन
(सं.) [वि.] वह जिसकी गति ध्वनि की गति (738 मील प्रति घंटा) से अधिक हो; पराध्वनिक; (सुपरसॉनिक)।
अतिहत
(सं.) [वि.] 1. जो पूर्णतः नष्ट किया गया हो 2. स्थिर; अचल; दृढ़ता से जमाया हुआ।
अतिहसित
(सं.) [सं-पु.] 1. ज़ोर की हँसी 2. (नाट्यशास्त्र) हास के छह भेदों में से एक।
अतींद्रिय
(सं.) [वि.] 1. इंद्रियातीत; इंद्रियों से परे का (बोध) 2. इंद्रियों की पहुँच से बाहर; अगोचर। [सं-पु.] आत्मा।
अतीक
(अ.) [वि.] 1. पुरातन; कदीम 2. आज़ाद; बंधनमुक्त 3. गिरामी; श्रेष्ठ।
अतीत
(सं.) [वि.] 1. बीता हुआ; गुज़रा हुआ 2. भूतकाल; व्यतीत। [सं-पु.] बीता हुआ समय।
अतीतगत
(सं.) [वि.] 1. व्यतीत; बीता हुआ 2. पुराना; प्राचीन 3. गुज़रा हुआ।
अतीतजीवी
(सं.) [वि.] 1. अतीत में जीने वाला; अतीतग्रस्त 2. वर्तमान परिस्थिति से अपने को काटकर विगत की स्मृतियों में लीन रहने वाला।
अतीतोन्मुख
(सं.) [वि.] 1. जिसकी दृष्टि या प्रवृत्ति अतीत की ओर हो; अतीतमुखी 2. अतीत को अपना आधार बनाने वाला।
अतीतोन्मुखी
(सं.) [वि.] 1. अतीत की ओर देखने वाला 2. अतीत की ओर मुँह किए हुए; अतीत में जीने वाला 3. अतीतोन्मुख।
अतीव
(सं.) [वि.] बहुत अधिक; अत्यंत, जैसे- आपसे मिलकर अतीव प्रसन्नता हुई।
अतीस
(सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का जंगली पौधा जिसकी जड़ दवाई के काम आती है; अतिविषा।
अतुंग
(सं.) [वि.] 1. जो तुंग अर्थात ऊँचा न हो 2. जो बहुत छोटा हो; ठिगना; छोटे कदवाला।
अतुंद
(सं.) [वि.] 1. जो मोटी तोंदवाला या मोटा न हो 2. छरहरा; दुबला-पतला।
अतुकांत
(सं.) [वि.] 1. जिस (कविता) में तुक न मिलाई गई हो; जिस (कविता) में अंत्यानुप्रास न हो 2. छंदमुक्त (कविता) 3. हिंदी में नई कविता के अंतर्गत एक खास शैली।
अतुल
(सं.) [वि.] 1. जिसकी तुलना न हो सके; अतुलनीय 2. जिसे तौला-मापा न जा सके 3. असीम; अमित 4. अत्यधिक।
अतुलनीय
(सं.) [वि.] 1. जिसकी तुलना न की जा सके 2. अनुपमेय 3. बेजोड़; अतुल्य।
अतुलित
(सं.) [वि.] 1. बिना तौला हुआ 2. अपरिमित; बे-अंदाज़; अपार; बहुत अधिक 3. असंख्य 4. अद्वितीय; अनुपम; बेजोड़।
अतुल्य
(सं.) [वि.] अतुलनीय।
अतुष
(सं.) [वि.] 1. बिना छिलकेवाला (अनाज) 2. बिना भूसीवाला (अन्न)।
अतुष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अतृप्ति 2. अप्रसन्नता 3. असंतोष।
अतृप्त
(सं.) [वि.] 1. जिसकी भूख या इच्छाएँ पूरी न हुई हों 2. जो तृप्त अर्थात् संतुष्ट न हो; जिसका मन न भरा हो 3. जिसकी प्यास न बुझ पाई हो; प्यासा 4. अप्रसन्न;
नाख़ुश 5. अपूर्णकाम।
अतृप्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. तृप्ति का अभाव 2. संतुष्ट न होने की अवस्था या भाव 3. असंतुष्टि; असंतोष 4. अप्रसन्नता।
अत्तार
(अ.) [सं-पु.] 1. इत्र या सुगंधित तेल बनाने और बेचने वाला 2. गंधी 3. यूनानी दवाएँ बनाने और बेचने वाला।
अत्यंत
(सं.) [वि.] 1. अत्यधिक; बहुत अधिक, जैसे- अत्यंत स्नेह 2. बेहद 3. नितांत 4. आवश्यकता से अधिक। [अव्य.] अत्यधिक, जैसे- अत्यंत प्रखर बुद्धि।
अत्यंतातिशयोक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) अतिशयोक्ति अलंकार का एक भेद, जहाँ कारण से पहले ही कार्य के होने का कथन होता है।
अत्यंताभाव
(सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा अभाव जो नित्य और स्थायी हो 2. अस्तित्व की परम शून्यता 3. ऐसी बात जो कभी संभव न हो, जैसे- आकाशकुसुम।
अत्यधिक
(सं.) [वि.] प्रचुर; ज़रूरत से ज़्यादा; बहुत ही अधिक।
अत्यय
(सं.) [सं-पु.] 1. मौत; मृत्यु 2. अभाव 3. नाश 4. क्षीण 5. सीमा का अतिक्रमण करना 6. बुराई 7. संकट 8. दंड; सज़ा।
अत्यल्प
(सं.) [वि.] बहुत थोड़ा; बहुत ही कम; अति न्यून, जैसे- इस रसायन की अत्यल्प मात्रा भी घातक हो सकती है।
अत्याचार
(सं.) [सं-पु.] 1. ज़ुल्म 2. दुराचार 3. अन्याय 4. किसी के प्रति बलपूर्वक किया जाने वाला अनुचित व्यवहार।
अत्याचारी
(सं.) [वि.] अत्याचार करने वाला; ज़ुल्म ढाने वाला; ज़्यादती करने वाला; अन्यायी।
अत्याज्य
(सं.) [वि.] 1. जिसका त्याग न किया जा सके 2. जिसे त्यागना या छोड़ना उचित या ठीक न हो; न छोड़ने योग्य।
अत्याधुनिक
(सं.) [वि.] नितांत आधुनिक; आधुनिकतम; अत्यधिक नवीन; अभी हाल का।
अत्याय
(सं.) [सं-पु.] 1. सीमा, मर्यादा, नियम आदि का उल्लंघन या अतिक्रमण; मर्यादाभंग 2. बहुत अधिक लाभ।
अत्यावश्यक
(सं.) [वि.] 1. जो अत्यंत आवश्यक हो 2. बहुत ज़रूरी; (मोस्ट इमपॉरटंट), जैसे- इस लाल फ़ाइल में अत्यावश्यक दस्तावेज़ हैं।
अत्याहार
(सं.) [सं-पु.] 1. आहार का अत्यधिक सेवन; बहुत अधिक या ज़्यादा भोजन करना 2. पेटूपन।
अत्याहारी
(सं.) [वि.] बहुत अधिक खाने वाला; जो बहुत अधिक भोजन या आहार करता हो; पेटू।
अत्युक्त
(सं.) [वि.] 1. बढ़ा-चढ़ाकर कहा हुआ 2. अत्युक्तिपूर्ण।
अत्युक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बढ़ा-चढ़ा कर कही गई बात; अतिशयोक्ति; (इगज़ैजरेशन) 2. एक अलंकार जहाँ शूरता, उदारता आदि गुणों का अतिशय वर्णन होता है।
अत्युग्र
(सं.) [वि.] 1. अति उग्र; सामान्य से अधिक तीखा या तेज़; बहुत विकट; अतिप्रचंड 2. बहुत अधिक क्रोधी। [सं-पु.] हींग, तेज़ गंधवाला द्रव्य।
अत्युच्च
(सं.) [वि.] बहुत ही ऊँचा; अति उच्च।
अत्युत्तम
(सं.) [वि.] 1. बहुत उत्कृष्ट और सुंदर 2. सबसे उत्तम और बढ़िया; सर्वश्रेष्ठ।
अत्युत्पादन
(सं.) [सं-पु.] अति उत्पादन; देश या समाज में खपत या उपयोग से अधिक उत्पादन होना; (ओवर-प्रोडक्शन)।
अत्युत्साह
(सं.) [सं-पु.] अति उत्साह; बहुत अधिक उत्साह की अवस्था।
अत्यूह
(सं.) [सं-पु.] 1. मन में बहुत अधिक होने वाला ऊहापोह या सोच-विचार 2. जिस पक्षी की आवाज़ बहुत तेज़ हो; मोर 3. हरसिंगार नामक झाड़; उक्त झाड़ के पुष्प जो शरद
ऋतु में खिलते हैं।
अत्र
(सं.) [अव्य.] 1. यहाँ से; इस जगह से 2. इस अवस्था से।
अत्रभवान
(सं.) [वि.] बहुत अधिक महान या श्रेष्ठ। [सं-पु.] महान व्यक्तियों के लिए संबोधन।
अत्रस्त
(सं.) [वि.] 1. जिसे कोई दुख या त्रास न हो 2. भयरहित; निडर 3. अत्रास।
अत्रास
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. जिसे कोई दुख या त्रास न हो 2. भयरहित; निडर 3. अत्रस्त।
अत्रि
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) सप्तऋषियों में से एक ऋषि का नाम 2. सप्तऋषि मंडल का एक तारा।
अथ
(सं.) [अव्य.] 1. कथन, लेख आदि के आरंभ में आने वाला मंगल सूचक शब्द 2. आरंभ; शुरुआत 3. अनंतर।
अथक
(सं.) [वि.] 1. न थकने वाला; अश्रांत 2. बिना थके लगातार किया जाने वाला, जैसे- अथक परिश्रम।
अथर्व
(सं.) [सं-पु.] 1. चार वेदों में से एक 2. चौथा वेद जिसके मंत्रद्रष्टा ऋषि भृगु थे 3. उक्त वेद के मंत्र।
अथर्वण
(सं.) [सं-पु.] 1. अथर्ववेद 2. शिव; महादेव।
अथवा
(सं.) [अव्य.] एक योजक शब्द जिसका प्रयोग तब किया जाता है जब कई शब्दों या पदों में किसी एक को चुनना हो; या; वा; किंवा, जैसे- निबंध, कहानी अथवा कविता।
अथाई
(सं.) [सं-पु.] 1. घर के साथ सामने बना चबूतरा जहाँ लोग बैठते हैं; ओटला 2. बैठक 3. मंडली; जमावड़ा।
अथाह
(सं.) [वि.] 1. अत्यंत गहरा; जिसकी थाह न ली जा सके या जिसकी गहराई न नापी जा सके, जैसे- समुद्र की अथाह जलराशि 2. अपार; अगाध, जैसे- अथाह संपत्ति 3. जिसका
अनुमान न लगाया जा सके, जैसे- अथाह दुख।
अथॉरिटी
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. प्राधिकार; आदेश देने और उसका पालन कराने का अधिकार 2. अधिकृत जानकार 3. कुछ करने का अधिकार या अनुमति 4. पारंगत व्यक्ति 5. (किसी विषय
का) विशेषज्ञ, जैसे- वे प्रागैतिहासिक युग पर अथॉरिटी हैं।
अदंडनीय
(सं.) [वि.] 1. वह (व्यक्ति या कार्य) जो दंड के योग्य न हो; अदंड्य 2. दंड से मुक्त; जिसे दंड न दिया जा सके।
अदंत
(सं.) [वि.] 1. बिना दाँत का; दंतहीन 2. जिसके अभी दाँत न निकले हों; दुधमुहाँ। [सं-पु.] जोंक।
अदक्ष
(सं.) [वि.] जो किसी कार्य के लिए प्रशिक्षित, दक्ष या निपुण न हो, जैसे- कारखानों के अंदर अदक्ष कारीगरों को नौकरी नहीं मिलती।
अदग्ध
(सं.) [वि.] 1. जो दग्ध या जला न हो 2. जिस मृत देह का विधिपूर्वक दाह-संस्कार न हुआ हो।
अदत्त
(सं.) [वि.] 1. बिना दिया हुआ; जिसे दिया न गया हो 2. जो दान नियम या विधि के अनुसार न हो 3. जिसका मूल्य या कर आदि चुकता न किया गया हो 4. दान न देने वाला;
कृपण; कंजूस। [सं-पु.] वह दान जिसे रद्द कर दिया हो।
अदत्ता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह कन्या जिसका अभी विवाह में कन्यादान न हुआ हो 2. अविवाहिता; कुँवारी या कुमारी कन्या।
अदद
(अ.) [सं-पु.] 1. संख्या; अंक; गिनती 2. संख्या का चिह्न या संकेत 3. तादाद की गिनती के लिए शब्द, जैसे- छह अदद चौकियाँ, दो अदद तख़्त आदि।
अदन
(अ.) [सं-पु.] 1. बागे अदन; ईसाइयों या यहूदियों के अनुसार स्वर्ग का उपवन या बगीचा जिसमें ईश्वर ने सबसे पहले आदम और हौआ को रखा था 2. अरब सागर में एक बंदरगाह।
अदना
(अ.) [वि.] छोटा-सा; तुच्छ; साधारण, जैसे- एक अदना-सा आदमी भी बहुत कुछ कर सकता है।
अदब
(अ.) [सं-पु.] 1. शिष्टाचार; शिष्टाचार की मर्यादा 2. बड़ों का आदर-सम्मान; उनके प्रति विनीत व्यवहार 3. साहित्य 4. कायदा; नियम 5. प्रज्ञा; विवेक।
अदबदाकर
[क्रि.वि.] 1. ख़्वामख़्वाह; हठपूर्वक 2. हड़बड़ा कर।
अदबदाना
[क्रि-अ.] 1. घबरा जाना; व्याकुल या विकल हो जाना 2. आतुर हो जाना।
अदबनवाज़
(अ.+फ़ा) [वि.] साहित्य या अदब के कदरदान; साहित्यप्रेमी।
अदबी
(अ.) [वि.] 1. साहित्य संबंधी 2. साहित्यिक।
अदम
(अ.) [सं-पु.] 1. परलोक; वह लोक जहाँ मनुष्य मृत्यु के बाद जाता है 2. अभाव; अनस्तित्व; न होने की स्थिति।
अदमतामील
(अ.) [सं-स्त्री.] न्यायालय आदि के द्वारा भेजे गए समन की तामील न होना।
अदमपैरवी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. पैरवी का अभाव 2. किसी मुकदमें आदि में पैरवी का न होना।
अदममौज़ूदगी
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. (अदालत में सुनवाई पर) मौज़ूदगी न होना 2. अनुपस्थिति; गैरहाज़िरी।
अदम्य
(सं.) [वि.] 1. जिसका दमन न हो सके; जो दबाया न जा सके, जैसे- अदम्य उत्साह 2. प्रचंड, उग्र।
अदरक
[सं-पु.] एक वनस्पति जिसकी जड़ की विशिष्ट गंधवाली चरपरी गाँठें दवा, अचार, चटनी आदि बनाने में प्रयुक्त होती हैं।
अदराना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. बहुत आदर पाने से शेखी पर चढ़ना 2. इतराना। [क्रि-स.] आदर देकर शेखी पर चढ़ाना; घमंडी बनाना।
अदर्शन
(सं.) [सं-पु.] 1. दर्शन न होना; दिखाई न देना 2. उपेक्षा 3. विनाश; लोप। [वि.] गुप्त; अदृश्य।
अदर्शनीय
(सं.) [वि.] 1. जो दर्शन के योग्य न हो; न देखने लायक; भद्दा; कुरूप 2. बुरा; अशुभ।
अदल1
(सं.) [वि.] बिना दल या पत्ते का। [सं-पु.] एक पौधा।
अदल2
(अ.) [सं-पु.] न्याय; इनसाफ़।
अदलनीय
(सं.) [वि.] 1. जिसे दला या कुचला न जा सके 2. जो दलने के योग्य न हो।
अदल-बदल
[सं-स्त्री.] 1. विनिमय; अदला-बदली 2. हेर-फेर 3. परिवर्तन।
अदला-बदली
(अ.) [सं-स्त्री.] दे. अदल-बदल।
अदलीय
(सं.) [वि.] 1. जो किसी दल में न हो; बिना दलवाला 2. निर्दलीय; तटस्थ।
अदहन
[सं-पु.] 1. चावल या दाल बनाने के लिए आग पर पहले से चढ़ाया हुआ पानी 2. खौलता हुआ पानी।
अदा1
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. हाव-भाव 2. नाज़ो-अंदाज़ 3. तौर-तरीके।
अदा2
(अ.) [सं-पु.] 1. (ऋण) चुकाना; (ली हुई रकम) लौटाना; बेबाक, जैसे- यह कर्ज़ मैं अदा कर चुका हूँ। [मु.] -करना : पालन करना; पूरा करना।
अदाकार
(फ़ा.) [सं-पु.] कलाकार; अभिनेता; अभिनेत्री; नट; नटी।
अदाकारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] अभिनय; कलाकार द्वारा भूमिका निभाना; कलाकारी।
अदाता
(सं.) [वि.] 1. जो दाता न हो; जिसे किसी का कुछ न देना हो 2. कृपण; कंजूस।
अदायगी
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. अदा करना या होना; भुगतान 2. नाटक या फ़िल्म में भूमिका या रोल का निर्वाह।
अदायाद
(सं.) [वि.] 1. जो सगोत्र न हो 2. जो उत्तराधिकार न प्राप्त कर सके 3. (ऐसा व्यक्ति) जिसकी संपत्ति का कोई (सगोत्री न होने के कारण) वारिस न हो।
अदालत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. न्यायालय; कचहरी 2. न्यायाधीश या जज के लिए भी प्रयुक्त, जैसे- अदालत यह जानना चाहेगी...।
अदालती
(अ.) [वि.] 1. अदालत से संबंधित, जैसे- अदालती कार्रवाई 2. कानूनी।
अदालती विज्ञापन
(अ.+सं.) [सं-पु.] न्यायालय की सूचना, निर्देश आदि से संबंधित विज्ञापन या इश्तहार।
अदावत
(अ.) [सं-स्त्री.] शत्रुता; दुश्मनी; वैर भाव, जैसे- इस झगड़े का कारण पुरानी अदावत थी।
अदावती
(अ.) [वि.] 1. अदावत करने या रखने वाला 2. वैरी; शत्रु 3. अदावत संबंधी 4. शत्रुतापूर्ण।
अदाह्य
(सं.) [वि.] 1. जिसे जलाया न जा सकता हो 2. जो जल न सके 3. जिसे जलाना उचित और तर्क संगत न हो 4. आत्मा का एक विशेषण या लक्षण।
अदिति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. असीम होने की अवस्था या भाव; असीमता 2. पृथ्वी 3. प्रकृति 4. (पुराण) दक्ष प्रजापति की कन्या जिनसे देवताओं का जन्म हुआ था 5. निर्धनता;
गरीबी 6. बहुतायत; प्राचुर्य।
अदिन
(सं.) [सं-पु.] 1. बुरा दिन 2. कुसमय 3. संकटकाल 4. अभाग्य।
अदिवान
[सं-स्त्री.] 1. रस्सी से बुनी हुई चारपाई के पैताने की तरफ़ बाँधी जाने वाली रस्सी जो पूरी बुनावट को तान कर रखती है; अदवाइन 2. पैताना।
अदीखा
[वि.] 1. जो दिखाई न दिया हो 2. जो देखा न गया हो।
अदीन
(सं.) [वि.] 1. जो दीन न हो; दीनता-रहित; स्वाभिमानी; न झुकने वाला 2. निडर 3. उदार 4. प्रचंड; उग्र 5. समर्थ।
अदीपित
(सं.) [वि.] जहाँ प्रकाश न किया गया हो; अंधेरा, जैसे- घर का अदीपित कोना।
अदीप्त
(सं.) [वि.] 1. जिसमें दीप्ति या प्रकाश न हो 2. अंधकारपूर्ण।
अदीब
(अ.) [सं-पु.] साहित्यकार; लेखक।
अदूर
(सं.) [सं-पु.] सामीप्य। [अव्य.] निकट, पास।
अदूरदर्शिता
(सं.) [सं-स्त्री.] अदूरदर्शी होने का भाव।
अदूरदर्शितापूर्ण
(सं.) [वि.] 1. परिणाम विचारे बिना किया गया (कार्य या बात); अदूरदर्शिता से भरा 2. अविवेकपूर्ण।
अदूरदर्शी
(सं.) [वि.] 1. जो भविष्य में अपने कार्यों के होने वाले परिणामों के बारे में न सोचता हो 2. अविचारी; नासमझ; अविवेकी 3. अदूरदर्शितापूर्ण।
अदूषण
(सं.) [वि.] 1. जिसमें किसी प्रकार का दूषण न हो; निर्दोष 2. शुद्ध; निर्मल।
अदूषित
(सं.) [वि.] 1. जो दूषित या अशुद्ध न हो; शुद्ध 2. अविकृत 3. निर्दोष।
अदृप्त
(सं.) [वि.] 1. जिसमें दर्प का भाव न हो 2. अभिमानरहित; निरभिमान 3. सौम्य; सहज।
अदृश्य
(सं.) [वि.] 1. जो दिखाई न पड़े; अगोचर, जैसे- मानो एक अदृश्य शक्ति उसे आगे धकेल रही थी 2. अंतर्धान; अलोप; ओझल; गायब; गुम, जैसे- देखते-देखते वह गुबार अदृश्य
हो गया।
अदृश्यदर्शन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी अतींद्रिय शक्ति के कारण अदृश्य वस्तुओं का दिखाई देना 2. अतींद्रिय तथा अभौतिक वस्तुओं का दर्शन।
अदृश्यफल
(सं.) [सं-पु.] 1. मनुष्य के किए गए अच्छे-बुरे कर्मों का फल जो अभी अज्ञात है पर भविष्य में मिलेगा 2. भाग्य।
अदृष्ट
(सं.) [वि.] 1. न देखा हुआ 2. अंतर्धान; ग़ायब; लुप्त। [सं-पु.] 1. भाग्य 2. पूर्वजन्म के कर्मों का फल 3. जल और अग्नि आदि से उत्पन्न विपत्ति।
अदृष्टपूर्व
(सं.) [वि.] 1. जैसा और जो पहले कभी न देखा गया हो 2. अनोखा; विलक्षण; अदभुत।
अदृष्टवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा सिद्धांत जिसकी मान्यतानुसार पाप-पुण्य आदि का फल परलोक में मिलता है 2. नियतिवाद; भाग्यवाद।
अदृष्टार्थ
(सं.) [वि.] 1. जिसका ज्ञान इंद्रियों द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता हो 2. आध्यात्मिक या गूढ़ अर्थ रखने वाला।
अदेखा
(सं.) [वि.] 1. अदृश्य; छिपा हुआ; गुप्त 2. जो अभी तक देखा न गया हो; अदृष्ट।
अदेय
(सं.) [वि.] 1. विधि, न्याय और नीति के अनुसार जो दिया न जा सके 2. जो दिए जाने के योग्य या उपयुक्त न हो।
अदेह
(सं.) [वि.] बिना देह या शरीर का; देहरहित; विदेह। [सं-पु.] कामदेव; अनंग।
अदोष
(सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई दोष न हो; दोषरहित 2. निर्दोष; निरपराध।
अद्धा
[सं-पु.] 1. किसी वस्तु का आधा भाग; आधी नाप या तौल 2. आधी बोतल शराब का पैक या छोटी बोतल 3. रसीद का आधा भाग जो देने वाले के पास रह जाता है; मुसन्ना 4. चार
मात्राओं का एक ताल 5. आधी ईंट का टुकड़ा 6. किसी वस्तु का आधा भाग 7. एक बैल की छोटी गाड़ी।
अद्धी
[सं-स्त्री.] 1. पुराने जमाने में प्रचलित सिक्के; दमड़ी का आधा; पैसे का सोलहवाँ भाग 2. बारीक मलमल का कपड़ा।
अद्भुत
(सं.) [वि.] आश्चर्यजनक; विचित्र; अनोखा; विलक्षण।
अद्भुतरस
(सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) काव्य के नौ रसों में से एक जो आश्चर्य से उत्पन्न होता है और जिसका स्थायी भाव विस्मय है।
अद्भुतोपमा
(सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) उपमा अलंकार का वह भेद जिसमें उपमान के ऐसे गुणों का उल्लेख होता है जिनका उपमेय में होना कभी संभव न हो।
अद्य
(सं.) [सं-पु.] 1. वह दिन जो बीत रहा है; आज का दिन 2. वर्तमान समय। [क्रि.वि.] अब; इस समय।
अद्यतन
(सं.) [वि.] 1. आज का; आज से सबंधित 2. ताज़ा; चालू 3. नवीनतम विचारों और मान्यताओं के अनुकूल; (अप-टू-डेट)।
अद्यावधि
(सं.) [क्रि.वि.] 1. आज तक 2. अभी तक; इस समय तक।
अद्रि
(सं.) [सं-पु.] 1. पहाड़; पर्वत 2. पत्थर 3. सूर्य 4. पेड़ 5. बादल; मेघ 6. वज्र।
अद्वय
(सं.) [सं-पु.] 1. अद्वैत; द्वैत का न होना 2. बुद्ध के नामों में से एक। [वि.] अकेला; अद्वितीय; विलक्षण।
अद्वितीय
(सं.) [वि.] 1. जिसके समान कोई दूसरा न हो; बेजोड़; अनुपम 2. विलक्षण; अनोखा; अद्भुत 3. अकेला।
अद्वैत
(सं.) [वि.] 1. जिसमें द्वैत या भेद का अभाव हो 2. जीव-ब्रह्म या जड़ चेतन की एकता का सिद्धांत 3. अद्वैतवाद संबंधी।
अद्वैतवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. भारतीय दर्शन का वह सिद्धांत जिसमें मात्र ब्रह्म को परमार्थिक सत्ता माना जाता है और जीव-जगत की सत्ता अवास्तविक या असत्य मानी जाती है;
वेदांत 2. पाश्चात्य दर्शन का यह सिद्धांत कि पूरी सृष्टि एक ही मूल तत्व से विकसित हुई है।
अद्वैतवादी
(सं.) [वि.] अद्वैतवाद के सिद्धांत को मानने वाला।
अध
(सं.) [पूर्वप्रत्य.] आधा का संक्षिप्त रूप जो उसे यौगिक पदों के आरंभ में लगने पर प्राप्त होता है, जैसे- अधखुला; अधमरा आदि। [अव्य.] नीचे; तल।
अधः
(सं.) [पूर्वप्रत्य.] समस्त पदों में संज्ञा या विशेषण के पहले जुड़कर उनमें 'नीचे' का भाव जोड़ता है, जैसे- अधःपतन।
अधःस्वस्तिक
(सं.) [सं-पु.] 1. पृथ्वी का वह कल्पित बिंदु जो देखने वाले के पैरों के ठीक नीचे माना जाता है; अधोबिंदु 2. 'ख-स्वस्तिक' का उलटा।
अधकचरा
[वि.] 1. अधूरा 2. अधूरी जानकारी रखने वाला; अकुशल 3. आधा कूटा या पीसा हुआ; दरदरा।
अधकपारी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आधे सिर का दर्द 2. आधा-सीसी नामक रोग; सूर्यावर्त।
अधकरी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. महसूल; मालगुज़ारी या किराए की आधी किस्त 2. कर आदि को दो भागों में चुकाने की रीति।
अधकहा
[वि.] 1. जो आधा ही कहा गया हो (कथन) 2. जो पूरा या स्पष्ट रूप से न कहा गया हो।
अधखिला
[वि.] आधा खिला हुआ; अर्धप्रस्फुटित; अर्धविकसित, जैसे- अधखिला फूल।
अधखुला
(सं.) [वि.] आधा खुला हुआ; अर्धोन्मीलित, जैसे- अधखुला दरवाज़ा।
अधगीला
[वि.] आधा गीला-आधा सूखा; हलका गीला।
अधजगा
[वि.] आधा जगा हुआ; जो अर्धनिद्रित अवस्था में हो।
अधजला
(सं.) [वि.] आधा जला हुआ।
अधनंगा
[वि.] अर्धनग्न।
अधन्ना
[सं-पु.] आधे आने का सिक्का जो पहले प्रचलित था।
अधन्नी
[सं-स्त्री.] आधे आने का निकल धातु का चौकोर पुराना सिक्का।
अधपका
[वि.] 1. जो फल आधा पका हो और आधा कच्चा हो 2. पकाए जा रहे खाने में जो अभी पूरी तरह से पका न हो, जैसे- अधपका आम, अधपकी दाल।
अधपगला
[वि.] आधा पागल; लगभग मूर्ख।
अधपेट
[क्रि.वि.] 1. बिना पेट भरे 2. आधा भूखा, जैसे- रेल पकड़ने की जल्दी में वह अधपेट खाकर ही उठ गया।
अधबीच
[सं-पु.] 1. मँझधार 2. मध्य में; बीच रास्ते में, जैसे- बस ख़राब हो जाने के कारण मुझे अधबीच में ही उतर जाना पड़ा।
अधबुझी
[वि.] 1. आधी बुझी हुई 2. आधी सुलगती हुई, जैसे- फ़ुटपाथ पर पड़ी अधबुझी सिगरेट से धुआँ उठ रहा था।
अधभीगा
(सं.) [वि.] आधा भीगा हुआ; अधगीला।
अधम
(सं.) [वि.] 1. नीच; निकृष्ट 2. दुष्ट; बदमाश 3. पापी; दुराचारी।
अधमता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. नीचता; घटियापन 2. खोटापन 3. नीचा या दुष्ट कृत्य; पापाचार।
अधमरा
(सं.) [वि.] 1. लगभग मरने की स्थिति में पहुँचा हुआ; मृतप्राय 2. बुरी तरह ज़ख्मी 3. {ला-अ.} थकान या चिंता से शरीर और मन की ऐसी अवस्था जिसमें जीवन शक्ति बेहद
क्षीण हो जाती है, जैसे- थकान से अधमरा; चिंता से अधमरा।
अधमा-नायिका
(सं.) [सं-स्त्री.] (नाट्यशास्त्र) ऐसी नायिका जो प्रिय के हित करने पर भी अहितकारी रवैया ही अपनाती है।
अधमुँदी
[वि.] 1. आधी बंद 2. आधी ढँकी 3. आधी खुली, जैसे- अधमुँदी आँखें।
अधमैला
(सं.) [वि.] जो न पूरी तरह मैला हो न पूरी तरह स्वच्छ।
अधर
(सं.) [सं-पु.] 1. नीचे का होंठ 2. शून्य; अंतरिक्ष 3. शरीर का निचला भाग। [वि.] 1. बिना आधार का 2. नीचे का 3. पराजित 4. घटिया। [मु.] -में लटकना या झूलना : अनिश्चय और प्रतीक्षा की अवस्था में रहना।
अधरपान
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रेमी या प्रेमिका के होंठों को कुछ देर तक चूमते रहने की क्रिया 2. प्रिय के होंठों को चूमना और उनका रस पान करना।
अधराधर
(सं.) [सं-पु.] नीचे का होंठ।
अधरोष्ठ
(सं.) [सं-पु.] अधर तथा ओष्ठ क्रमशः नीचे और ऊपर के होंठ।
अधर्म
(सं.) [सं-पु.] 1. धर्म या शास्त्र के निर्देशों के विरुद्ध कार्य 2. पाप; कुकर्म; दुराचार।
अधर्मी
(सं.) [सं-पु.] 1. जिसका कोई धर्म न हों; धर्मभ्रष्ट; पापी 2. नास्तिक 3. विधर्मी।
अधलिखा
[वि.] 1. आधा लिखा या अधूरा (लेख), जैसे- अधलिखा उपन्यास, अधलिखा पत्र आदि 2. जिस कागज़ के थोड़े ही भाग में कुछ लिखा हुआ हो।
अधलेटा
(सं.) [वि.] आधे लेटे हुए होने की अवस्था; लेटने की वह स्थिति जिसमें शरीर का कुछ भाग उठा हुआ हो।
अधारिया
(सं.) [सं-पु.] बैलगाड़ी में गाड़ीवान के बैठने का स्थान।
अधारी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आधार; सहारा; आश्रय 2. यात्रा के समय सामान रखने का झोला 3. काठ का बना एक ढाँचा जिसे साधु लोग बैठने के समय सहारे के लिए बाँह के नीचे
रखते हैं; टेवकी।
अधार्मिक
(सं.) [वि.] 1. जो धार्मिक या धर्म से संबद्ध न हो 2. धर्म से संबंध न रखने वाला 3. धर्म को न मानने वाला; धर्म-विरुद्ध 4. अधर्मी।
अधि
(सं.) [उप.] संस्कृत का उपसर्ग जो तत्सम शब्दों के पहले जुड़कर मुख्य या प्रधान (अधिपति), संबंधित या विषयक (अध्यात्म), ऊपर या उच्च (अधिराज); अधिक या अतिरिक्त
(अधितिथि), निकटता (अधितट) आदि अर्थों का द्योतन करता है।
अधिक
(सं.) [वि.] 1. ज़्यादा; बहुत 2. सामान्य या आपेक्षित से बढ़ा हुआ 3. अतिरिक्त; फ़ाज़िल 4. असामान्य; असाधारण 5. गौण।
अधिकतम
(सं.) [वि.] सबसे अधिक; सर्वाधिक; सबसे ज़्यादा।
अधिकतर
(सं.) [वि.] तुलनात्मक रूप से ज़्यादा; और अधिक। [क्रि.वि.] ज़्यादातर; बहुत करके।
अधिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] बहुतायत; प्रचुरता; अधिक मात्रा या संख्या।
अधिकपद
(सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) शब्द-दोष का एक भेद, जहाँ वाक्य में अविवक्षितार्थ अर्थात् अनावश्यक पद का प्रयोग किया गया हो।
अधिकमास
(सं.) [सं-पु.] मलमास; अधिमास; लौंद का महीना; हर तीसरे साल बढ़ने वाला चंद्रमास यानी शुक्ल पक्ष की पहली तिथि अर्थात प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक ऐसा समय
जिसमें संक्रांति नहीं पड़ती।
अधिकर
(सं.) [सं-पु.] 1. साधारण से अतिरिक्त वह विशेष कर जो अधिक आय वाले लोगों पर लगाया जाता है 2. अधिशुल्क; (सुपर टैक्स)।
अधिकरण
(सं.) [सं-पु.] 1. (सप्तमी कारक; में, पर) व्याकरण में वे परसर्ग जो संज्ञा या सर्वनाम के साथ लगकर उस स्थान का बोध कराते हैं जहाँ क्रिया हो, जैसे- बालक नदी
में नहा रहा है 2. विशिष्ट उद्देश्य हेतु नियुक्त किया गया कोई न्यायालय; (ट्राइब्यूनल) 3. अधिष्ठान 4. आधार; आश्रय 5. प्रकरण; अध्याय; शीर्षक 6. दावा 7.
प्राधान्य।
अधिकांश
(सं.) [सं-पु.] अधिकतम हिस्सा; अधिक से अधिक मात्रा।
अधिकांशतः
(सं.) [अव्य.] 1. अधिकतर 2. प्रायः; अक्सर।
अधिकाधिक
(सं.) [वि.] अधिक से अधिक; ज़्यादा से ज़्यादा, जैसे- रैली में अधिकाधिक संख्या में आइए।
अधिकार
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी को अपने पद, योग्यता, कानून आदि के आधार पर मिली हुई शक्ति; हक; इख़्तियार; स्वत्व 2. किसी वस्तु, संपत्ति आदि पर किया हुआ या मिला हुआ
कब्ज़ा, जैसे- शिवाज़ी की सेना ने अंततः सिंहगढ़ पर अधिकार कर लिया 3. प्रभुत्व; हुकूमत, जैसे- मुक्ति के पहले गोवा पर पुर्तगालियों का अधिकार था 4. ज्ञान, जैसे-
पंडितजी का अपने विषय पर पूरा अधिकार है 5. पात्रता, जैसे- पहले स्त्रियों को वेद पढ़ने का अधिकार नहीं था।
अधिकार-क्षेत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. न्यायाधीश, सरकारी अफ़सरों आदि के अधिकारों की सीमा; वह क्षेत्र जिसमें वे अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं 2. अधिक्षेत्र; (डोमिनिअन)।
अधिकारपत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. अधिकृत किए जाने का आदेशपत्र 2. शासन द्वारा प्राप्त अधिकारों का सूचक पत्र।
अधिकार-लिप्सा
(सं.) [सं-स्त्री.] अधिकार की अदम्य लालसा।
अधिकारातीत
(सं.) [वि.] अधिकार-क्षेत्र से बाहर का।
अधिकाराधीन
(सं.) [वि.] जो अधिकार-क्षेत्र के अंतर्गत हो।
अधिकारिक
(सं.) [वि.] 1. किसी अधिकारी के द्वारा या अधिकारपूर्वक कहा या किया हुआ 2. अधिकारयुक्त; अधिकारपूर्ण।
अधिकारी
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी चल-अचल संपत्ति पर या व्यक्ति पर अधिकार करने वाला अर्थात् स्वामी; मालिक; (ऑथॉरटी) 2. हकदार; दावेदार 3. उच्च पद पर नियुक्त वह व्यक्ति
जिसके नियंत्रण एवं मार्गदर्शन में उसके अधीनस्थ कर्मचारी कार्य करते हैं; अफ़सर; (ऑफ़िसर) 4. शासक 5. विषय का पूर्ण ज्ञाता। [वि.] किसी सुविधा या अधिकार के
सर्वथा योग्य।
अधिकारीतंत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. अधिकारियों का तंत्र 2. नौकरशाही।
अधिकृत
(सं.) [वि.] 1. जिसपर किसी का अधिकार हो गया हो 2. जो किसी के अधिकार में हो 3. जिसको कोई काम करने का अधिकार दिया गया हो; (ऑथराइज़्ड) 4. जिसे कोई काम करने का
अधिकार हो।
अधिकृत करना
(सं.) [क्रि-स.] 1. किसी चीज़ को अधिकार में लेना 2. किसी को कार्य-विशेष के लिए अधिकार देना या योग्य ठहराना; (ऑथॉराइज़)।
अधिक्रय
(सं.) [सं-पु.] बहुत अधिक मात्रा में किसी वस्तु की ख़रीद।
अधिक्रांत
(सं.) [वि.] वे संस्थाएँ या संस्थान जिन्हें उनके पूर्व राज्य, प्रशासन या किसी अन्य प्रधिकारी द्वारा अपने अधिकार में ले लिया गया हो; जिन्हें हटा दिया या भंग
कर दिया गया हो।
अधिक्षेत्र
(सं.) [सं-पु.] अधिकार-क्षेत्र।
अधिगत
(सं.) [वि.] 1. पाया हुआ; प्राप्त 2. जाना हुआ 3. अर्जित किया हुआ 4. सीखा हुआ।
अधिगम
(सं.) [सं-पु.] 1. उन्नति करना; ऊपर पहुँचना 2. हासिल करना 3. लगन और परिश्रम से शिक्षा आदि में कोई योग्यता या विशेषता अर्जित करने की क्रिया 4. किसी वाद की
पूरी सुनवाई और तथ्यों के आकलन के बाद न्यायालय या न्यायाधीश द्वारा निकाला हुआ निष्कर्ष; (फाइंडिंग)।
अधिगमन
(सं.) [सं-पु.] किसी वाक्य की वह व्याख्या जो उसकी पद योजना के आधार पर की जाए; अध्ययन; (रीडिंग)।
अधिगृहीत
(सं.) [वि.] 1. जिसका अधिग्रहण किया गया हो 2. ज़बरदस्ती अपने अधिकार में लिया गया।
अधिग्रहण
(सं.) [सं-पु.] सरकार द्वारा किसी संपत्ति या संस्थान को अपने अधिकार में ले लेना; कब्ज़ा।
अधिग्राहक
(सं.) [सं-पु.] वैध उपाय से अधिग्रहण करने वाला; (एक्वायरर)।
अधित्यका
(सं.) [सं-स्त्री.] पहाड़ के ऊपर की समतल भूमि; ऊँचा पहाड़ी मैदान; (टेबललैंड)।
अधिदेय
(सं.) [सं-पु.] कर्मचारी को किसी अतिरिक्त कार्य के लिए वेतन के अलावा दी जाने वाली रकम, जैसे- यात्रा व्यय, भोजन व्यय आदि; भत्ता; (अलाउंस)।
अधिदेवता
(सं.) [सं-पु.] 1. इष्टदेवता 2. कुलदेवता।
अधिनायक
(सं.) [सं-पु.] 1. सरदार; मुखिया 2. सर्वप्रधान और पूर्ण अधिकार प्राप्त शासक या अधिकारी; (डिक्टेटर)।
अधिनायकतंत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. अधिनायक के अधीन चलने वाला शासन-प्रबंध 2. वह राज्य जिसके सब काम केवल अधिनायक या तानाशाह की आज्ञा से होते हैं; तानाशाही; (डिक्टेटरशिप)।
अधिनियम
(सं.) [सं-पु.] वैधानिक रूप से बनाया गया नियम या कानून; (ऐक्ट)।
अधिनिर्णय
(सं.) [सं-पु.] 1. आधिकारिक निर्णय 2. न्यायाधीश या पंच का निर्णय।
अधिप
(सं.) [सं-पु.] 1. स्वामी; मालिक 2. शासक; राजा 3. नायक 4. प्रधान अधिकारी 5. अधिपति 6. समस्त शब्दों के उत्तरपद के रूप में शासक का अर्थ देने वाला, जैसे-
राज्याधिप, अमराधिप आदि।
अधिपति
(सं.) [सं-पु.] 1. जिसका आधिपत्य हो; स्वामी 2. शासक।
अधिपत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी को कोई काम करने का अधिकार या आज्ञा देने वाला पत्र 2. किसी का माल ज़ब्त करने या पकड़ने के लिए न्यायालय की लिखित आज्ञा; (वॉरन्ट)।
अधिभार
(सं.) [सं-पु.] विशेष परिस्थितियों में या विशेष कार्यों के लिए लगाया गया अतिरिक्त कर; अधिकर; अधिशुल्क; (सरचार्ज)।
अधिभूत
(सं.) [सं-पु.] 1. ब्रह्म तथा माया 2. सृष्टि से संबंधित सभी पदार्थ। [वि.] भूत संबंधी।
अधिमत
(सं.) [सं-पु.] 1. अधिकतर लोगों का फ़ैसला 2. अदालत या पंचायत में जहाँ दो से अधिक लोगों को निर्णय देना हो; बहुमत के आधार पर लिया गया निर्णायक फ़ैसला 3. चुनाव
में जनता का फ़ैसला।
अधिमान
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी व्यक्ति का वह आदर या मान जो अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा उसे श्रेष्ठ समझकर दिया जाता है 2. वरीयता।
अधिमान्य
(सं.) [वि.] जो अधिमान के योग्य हो; वरीय; (प्रेफ़रेबल)।
अधिमास
(सं.) [सं-पु.] अधिकमास।
अधिमुद्रण
(सं.) [सं-पु.] 1. अधिक छापना 2. किसी ग्रंथ या सामयिक पत्र-पत्रिका का बहुत अधिक मात्रा में छापा जाना।
अधिमूल्य
(सं.) [सं-पु.] किसी वस्तु का अधिक मूल्य जो विशेष परिस्थितियों में लिया जाए।
अधिया
[सं-पु.] खेती में ज़मीन के मालिक और जोतने-बोने वाले के बीच आधे की हिस्सेदारी या साझेदारी; बटाईदारी; बंदोबस्त का वह प्रावधान जिसमें उपज का आधा ज़मीन के मालिक
को और आधा खेत जोतने-बोने वाले को मिलता है।
अधियार
[सं-पु.] 1. किसी ज़ायदाद या संपत्ति का आधा हिस्सा 2. आधे हिस्से का मालिक 3. वह आसामी या ज़मींदार जो गाँव के हिस्से या जोत में आधे का मालिक हो।
अधियारी
[सं-स्त्री.] 1. किसी ज़ायदाद या संपत्ति में आधी हिस्सेदारी 2. किसी की भूमि का दो हिस्सों में दो स्थानों पर बँटा होना।
अधियुक्त
(सं.) [वि.] वेतन या मज़दूरी पर काम करने वाला; नियोजित; (एंपलॉयड)।
अधियुक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. जीविका निर्वाह के लिए कार्य में लगे रहना 2. आजीविका के लिए काम करने की अवस्था या भाव; (एंपलॉयमेंट)।
अधियोक्ता
(सं.) [सं-पु.] मालिक; नियोजक।
अधियोजक
(सं.) [सं-पु.] 1. नियोजक; मालिक; अधियोक्ता 2. किसी भी कर्मस्थली पर वेतन देकर कर्मियों को नियुक्त करने वाला; नियोक्ता; (एंप्लॉयर)।
अधिरथ
(सं.) [सं-पु.] 1. रथ हाँकने वाला; सारथी; गाड़ीवान 2. बड़ा रथ।
अधिराज
(सं.) [सं-पु.] 1. सम्राट 2. महाराज; बादशाह।
अधिरूढ़
(सं.) [वि.] 1. किसी पर चढ़ा हुआ 2. बढ़ा हुआ।
अधिरोप
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी पर अपराध का आरोप; अभियोग या दोष लगाया जाना; (चार्ज) 2. अपराध के दंड के रूप में तय की गई राशि।
अधिरोपण
(सं.) [सं-पु.] 1. कर, जुर्माना आदि लगना या लगाना 2. अभियोग या दोष लगाया जाना।
अधिरोपित
(सं.) [वि.] 1. जिसपर अपराध आदि का अधिरोप हुआ हो 2. (अपराध) जिसका अधिरोप किया गया हो; (चार्ज़्ड)।
अधिरोह
(सं.) [सं-पु.] ऊपर चढ़ना; आरोहण; चढ़ाव।
अधिरोहण
(सं.) [सं-पु.] 1. ऊपर चढ़ना; आरोहण 2. सवार होना 3. धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाना।
अधिलाभ
(सं.) [सं-पु.] अतिरिक्त या विशिष्ट रूप से होने वाला अधिक लाभ; (बोनस)।
अधिलाभांश
(सं.) [सं-पु.] अधिलाभ का वह अंश जो संस्थान के कर्मचारियों या शेयरधारकों को सामान्य लाभांश के अतिरिक्त मिलता है; (बोनस)।
अधिवक्ता
(सं.) [सं-पु.] 1. न्यायालय में वादी या प्रतिवादी का मत आधिकारिक रूप से रखने वाला कानूनविद्; (ऐडवोकेट) 2. किसी पक्ष के समर्थन में दलीलें पेश करने वाला;
वकील।
अधिवर्ग
(सं.) [सं-पु.] उच्चवर्ग; ऊँचा-वर्ग; (सुपर क्लास)।
अधिवर्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. अधिमास या मलमास वाला वर्ष 2. वह वर्ष जिसमें फरवरी का महीना 29 दिनों का होता है; (लीप इयर)।
अधिवास
(सं.) [सं-पु.] 1. वास स्थान; बस्ती 2. धरना 3. देर तक ठहरना 4. दूसरे के घर जाकर रहना 5. नागरिकता 6. सुगंधि 7. सुगंधित उबटन आदि का उपयोग 8. (हिंदू) विवाह के
पूर्व हल्दी-तेल आदि लगाने की रीति 9. यज्ञ या मंदिर में स्थापना के पहले मूर्ति को पवित्र जल में रखना।
अधिवासन
(सं.) [सं-पु.] 1. सुगंधित करना 2. मूर्ति की आरंभिक प्रतिष्ठा 3. देवमूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा करने की एक रीति जिसमें मूर्ति को चंदन आदि लगाकर रातभर पानी में
रखते हैं।
अधिवासित
(सं.) [वि.] 1. जिसका अधिवासन किया गया हो 2. सुगंधित किया हुआ 3. जिसकी प्राण-प्रतिष्ठा हो चुकी हो।
अधिवासी
(सं.) [सं-पु.] 1. निवासी; रहने वाला 2. दूसरे देश में जाकर बसा हुआ; (डोमिसाइल्ड)। [वि.] सुगंध फैलाने वाला।
अधिवेशन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी आधिकारिक सभा या समिति का सम्मेलन; बैठक; (सेशन) 2. जलसा; आयोजन।
अधिशासी
(सं.) [वि.] 1. प्रधान अधिकारी या कार्यकारी प्रशासक से संबंधित; (एक्ज़ीक्यूटिव) 2. नियंत्रक।
अधिशुल्क
(सं.) [सं-पु.] निश्चित रकम से अतिरिक्त शुल्क या मूल्य; (सुपरचार्ज)।
अधिशोषण
(सं.) [सं-पु.] (रसायन विज्ञान) वह क्रिया जिसमें ठोस की सतह पर गैसों या घुलनशील पदार्थों के कण चिपक जाते हैं।
अधिष्ठाता
(सं.) [सं-पु.] 1. देखभाल करने वाला 2. मुखिया 3. अध्यक्ष 4. ईश्वर 5. नियामक 6. संकायाध्यक्ष; (डीन)।
अधिष्ठात्री
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. निर्मात्री देवी या शक्ति 2. माता 3. अध्यक्षा 4. जिस महिला के हाथ में किसी कार्य का भार हो; मुखिया।
अधिष्ठान
(सं.) [सं-पु.] 1. आधिकारिक रूप से रहने का स्थान; वास स्थान 2. आधार 3. आश्रय 4. संस्था; संस्थान; (एस्टैब्लिशमेंट) 5. राजसत्ता 6. मुनाफे के लिए धन का निवेश;
(इनवेस्टमेंट) 7. किसी पदार्थ पर कुछ और होने का भ्रम, जैसे- रस्सी को साँप समझना।
अधिष्ठित
(सं.) [सं-पु.] 1. स्थापित 2. स्थित 3. अधिकृत 4. लाभ के लिए निवेशित (धन)।
अधिसंख्य
(सं.) [वि.] संख्या में अधिक; ज़्यादातर।
अधिसंख्यक
(सं.) [वि.] संख्या या आबादी में जो अधिक हो, बहुसंख्यक। [सं-पु.] अधिक आबादी वाला समुदाय; (मजॉरटी)।
अधिसूचना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अधिकृत सूचना 2. विज्ञप्ति 3. प्रशासनिक सूचना; सरकारी गजट में छपी हुई सूचना 4. विशेष सूचना; (नोटिफ़िकेशन)।
अधिस्वर
(सं.) [सं-पु.] 1. बहुत अधिक या ऊँचा स्वर उत्पन्न करने की क्रिया या भाव; (ओवरटोन) 2. अभिप्राय; अव्यक्त अर्थ; गूढ़ार्थ, जैसे- आप उनके वक्तव्य के राजनीतिक
अधिस्वर समझ गए होंगे।
अधिहरण
(सं.) [सं-पु.] 1. अधिकारपूर्वक हरण करना 2. ज़ब्त करना; (कनफ़िस्केशन)।
अधीक्षक
(सं.) [सं-पु.] प्रशासन का अधिकारी; निरीक्षक; (सुपरिनटेंडेंट)।
अधीक्षण
(सं.) [सं-पु.] अधीनस्थ कर्मचारियों के काम को देखना-परखना; अधीक्षक का काम; (सुपरविज़न)।
अधीत
(सं.) [वि.] 1. पढ़ा हुआ; पठित 2. शिक्षित; जिसने किसी विषय का अध्ययन कर लिया हो 3. जिस विषय का अध्ययन हुआ हो।
अधीन
(सं.) [वि.] 1. मातहत 2. आश्रित 3. अवलंबित 4. विवश; लाचार।
अधीनता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मातहती 2. परवशता; विवशता 3. दीनता; लाचारी।
अधीनस्थ
(सं.) [वि.] जो अधीन हो; मातहत; (सबॉर्डिनेट)।
अधीनस्थ न्यायालय
(सं.) [सं-पु.] किसी बड़े या उच्च न्यायालय के अधीन रहने वाला उससे छोटा न्यायालय; (सबॉर्डिनेट कोर्ट)।
अधीनीकरण
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी को अपने अधीन करना 2. अपने अधिकार में लाना; (सबजुगेशन)।
अधीर
(सं.) [वि.] 1. धैर्यहीन; उतावला; आतुर 2. उद्विग्न; परेशान; बेचैन; व्याकुल; विह्वल 3. अस्थिरचित्त; चंचल 4. असंतुष्ट।
अधीरता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. व्याकुलता; बेचैनी 2. आतुरता 3. अधैर्य; बेसब्री।
अधीरा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (काव्यशास्त्र) वह नायिका जो नायक में नारीविलास सूचक चिह्न देखने से अधीर होकर प्रत्यक्ष कोप करे 2. प्रौढ़ा तथा मध्या नायिकाओं का एक
भेद 3. बिजली।
अधीश
(सं.) [सं-पु.] 1. स्वामी; मालिक 2. भूपति; राजा।
अधीश्वर
(सं.) [सं-पु.] अधीश; स्वामी।
अधुना
(सं.) [क्रि.वि.] 1. संप्रति 2. आजकल; इन दिनों 3. वर्तमान समय में।
अधुनातन
(सं.) [वि.] 1. वर्तमान काल का 2. बिलकुल नवीन; (लेटेस्ट) 3. सनातन का उलटा।
अधूम
(सं.) [वि.] धुएँ से रहित; निर्धूम (अग्नि)।
अधूरा
(सं.) [वि.] 1. अपूर्ण; जो पूरा न हुआ हो 2. अधबना; अर्धनिर्मित।
अधूरापन
[सं-पु.] 1. अधूरा या अपूर्ण होने की अवस्था या भाव; अपूर्णता 2. असमाप्ति 3. अस्पष्टता 4. अपरिपूर्णता।
अधेड़
[वि.] जिसकी आधी उम्र बीत गई हो; ढलती उम्रवाला; अधबूढ़ा।
अधेला
[सं-पु.] आधा पैसा; पैसे की आधी कीमत वाला सिक्का; धेला (पुरानी मुद्रा का सिक्का)।
अधैर्य
(सं.) [सं-पु.] 1. धैर्य का न होना; अधीरता 2. आतुरता 3. व्याकुलता; बेचैनी।
अधोगति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अवनति; पतन; अधःपतन 2. दुर्गति; दुर्दशा 3. गिरावट 4. नरक जाना।
अधोगमन
(सं.) [सं-पु.] 1. नीचे जाना 2. पतन; अवनति 3. दुर्दशा; दुर्गति 4. मृत्यु।
अधोगामी
(सं.) [वि.] 1. नीचे जाने वाला 2. अवनति की ओर जाने वाला।
अधोग्रसनी
(सं.) [सं-स्त्री.] गले का अधो भाग अर्थात नीचे का भाग।
अधोतर
(सं.) [सं-पु.] दुहरी बुनावट का एक प्रकार का देशी कपड़ा।
अधोबिंदु
(सं.) [सं-पु.] 1. बहुकल्पित बिंदु जो व्यक्ति के पैर के ठीक नीचे माना जाता है 2. न्यूनतम बिंदु; सबसे नीचे का छोर या धरातल।
अधोभाग
(सं.) [सं-पु.] 1. नीचे का भाग 2. शरीर का कमर से नीचे का हिस्सा।
अधोभूमि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. नीची भूमि 2. भूमि या ज़मीन के ऊपरी स्तर के नीचे वाला स्तर या भाग; (सब-सॉइल)।
अधोमंडल
(सं.) [सं-पु.] पृथ्वी से साढ़े सात मील तक ऊँचा वायुमंडल (बादल, बिजली आदि इसी मंडल में होते हैं); (स्ट्रैटस्फ़ियर)।
अधोमार्ग
(सं.) [सं-पु.] 1. नीचे का रास्ता 2. सुरंग का मार्ग 3. मल त्याग करने की इंद्रिय; गुदा 4. पतन का रास्ता।
अधोमुख
(सं.) [वि.] 1. उलटा; औंधा 2. जिसका मुँह नीचे की ओर हो। [क्रि.वि.] औंधे मुँह; मुँह के बल।
अधोरेखा
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी शब्द या वाक्य के नीचे खींची गई रेखा; (अंडरलाइन)।
अधोरेखांकित
(सं.) [वि.] अधोरेखित; नीचे लाइन खींचकर इंगित किया हुआ; (अंडरलाइंड)।
अधोलोक
(सं.) [सं-पु.] 1. नीचे का लोक 2. पाताल लोक।
अधोवर्ती
(सं.) [वि.] 1. नीचे की ओर होने या रहने वाला 2. निम्नकोटि का।
अधोवस्त्र
(सं.) [सं-पु.] 1. शरीर के निचले हिस्से में पहना जाने वाला वस्त्र, जैसे- धोती, लुंगी, पैंट, पायजामा, सलवार आदि 2. अंदर पहना जाने वाला वस्त्र, जैसे-
अंडरवियर, कच्छा, लंगोट, साया आदि।
अधोवायु
(सं.) [सं-पु.] 1. अपान वायु 2. गुदा की वायु; पाद।
अधोहस्ताक्षरी
(सं.) [सं-पु.] 1. नीचे हस्ताक्षर या दस्तख़त करने वाला 2. आवेदनकर्ता; अपीलकर्ता; अधिकृत आदेशकर्ता जिसके हस्ताक्षर से आदेश जारी होता है।
अधौड़ी
[सं-स्त्री.] 1. चमड़े का सिझाया हुआ आधा टुकड़ा 2. मोटा कपड़ा 3. उदर; पेट 4. शरीर का निचला आधा अंग।
अध्यक्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. संस्था, सभा आदि का प्रधान या मुखिया; (चेयरपर्सन) 2. मुख्य अधिकारी 3. नियामक 4. स्वामी 5. लोकसभा का स्पीकर।
अध्यक्षता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सदारत 2. अध्यक्ष होने की अवस्था या कार्यभार।
अध्यक्षीय
(सं.) [वि.] 1. अध्यक्ष संबंधी; अध्यक्ष का 2. अध्यक्ष के अधिकारक्षेत्र का 3. सदारती।
अध्यग्नि
(सं.) [सं-पु.] अग्नि को साक्षी मानकर कन्या को दिया जाने वाला धन; स्त्रीधन।
अध्ययन
(सं.) [सं-पु.] 1. पठन-पाठन 2. किसी विषय की गहनता से पढ़ाई; (स्टडी)।
अध्ययनकक्ष
(सं.) [सं-पु.] पढ़ाई करने का कमरा; (स्टडी रूम)।
अध्ययनवृत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अध्ययन करने की प्रवृत्ति; पढ़ने-लिखने की अभिरुचि 2. अध्ययन के लिए मिलने वाली आर्थिक सहायता; छात्र-वृत्ति; (स्कॉलरशिप)।
अध्ययनशिविर
(सं.) [सं-पु.] किसी ख़ास तरह के अध्ययन के लिए आयोजित शिविर या कैंप।
अध्ययनशील
(सं.) [वि.] अध्ययन में प्रवृत्त; पढ़ने-लिखने में रुचि रखने वाला।
अध्ययनशीलता
(सं.) [सं-स्त्री.] अध्ययन की प्रवृत्ति; पढ़ने-लिखने की अभिरुचि।
अध्यर्थ
(सं.) [सं-पु.] वह वस्तु जिसपर अधिकार जतलाया जाए या दावा किया जाए; (क्लेम)।
अध्यवसाय
(सं.) [सं-पु.] 1. उद्यम; उद्योग; यत्न 2. घोर परिश्रम; किसी काम में लगातार परिश्रम के साथ लगे रहना 3. लगन; उत्साह 4. निश्चय।
अध्यवसायी
(सं.) [वि.] उद्यमशील; किसी काम में उत्साह और मेहनत से लगातार लगा रहने वाला; अपने काम के प्रति लगनशील।
अध्यांतरिक काव्य
(सं.) [सं-पु.] स्वात्मनिष्ठ (सब्जेक्टिव) काव्य; जिस काव्य में कवि केवल अपनी मनोदशाओं, भावों और विचारों का चित्रण करता है।
अध्यात्म
(सं.) [सं-पु.] आत्मा और ब्रह्म के विषय में चिंतन-मनन। [वि.] 1. आत्मा तथा परमात्मा से सरोकार रखने वाला 2. आत्मा और परमात्मा के पारस्परिक संबंध के विषय में
किया जाने वाला दार्शनिक चिंतन।
अध्यात्मवाद
(सं.) [सं-पु.] वह सिद्धांत या वाद जो आत्मा, परमात्मा, दिव्य शक्तियों आदि की सत्ता एवं स्वरूप का प्रतिपादन करता है।
अध्यात्मवादी
(सं.) [वि.] अध्यात्म के सिद्धांतों या अध्यात्मवाद का अनुयायी; लोक-परलोक और आत्मा-परमात्मा के संबंधों का आस्थावान विचारक; ईश्वरवादी।
अध्यात्मिक
(सं.) [वि.] अध्यात्म से संबंधित।
अध्यादेश
(सं.) [सं-पु.] किसी विशेष स्थिति से निपटने के लिए राज्य के प्रधान शासक द्वारा जारी किया गया आदेश या आज्ञा; (आर्डिनेंस)।
अध्यापक
(सं.) [सं-पु.] 1. शिक्षक; गुरु; आचार्य; ज्ञानदाता; पथप्रदर्शक 2. मास्टर; (टीचर)।
अध्यापकी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अध्यापक का पद 2. पढ़ाने का काम; अध्यापन 3. शिक्षण।
अध्यापन
(सं.) [सं-पु.] पढ़ाने का कार्य; शिक्षण।
अध्यापिका
(सं.) [सं-स्त्री.] शिक्षिका; पढ़ाने या शिक्षण कार्य करने वाली महिला; गुरु; आचार्या; (टीचर)।
अध्याय
(सं.) [सं-पु.] 1. ग्रंथ का खंड अथवा विभाग 2. पाठ; (चैप्टर) 3. प्रकरण।
अध्यायी
(सं.) [वि.] 1. अध्याय (प्रकरण; चैप्टर) से संबंधित; अध्याय में समाहित 2. अध्ययन में संलग्न रहने वाला। [सं-पु.] छात्र; विद्यार्थी; अध्येता।
अध्यायीकरण
(सं.) [सं-पु.] लिखित सामग्री को अध्यायों में बाँटना तथा व्यवस्थित करना; (चैप्टराइज़ेशन)।
अध्यारूढ़
(सं.) [वि.] 1. किसी पर चढ़ा हुआ; आरूढ़ 2. किसी की तुलना में श्रेष्ठ 3. बहुत अधिक।
अध्यारोप
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी पर ज़बरदस्ती कुछ (सिद्धांत, मत आदि) लादना 2. निराधार कल्पना 3. वेदांत में कोई कल्पना, धारणा या सिद्धांत।
अध्यारोपण
(सं.) [सं-पु.] 1. एक वस्तु के गुण-धर्म का भ्रमवश दूसरी वस्तु में आरोप करना 2. कलंक या दोष लगाना 3. अध्यास 4. मिथ्या ज्ञान।
अध्यास
(सं.) [सं-पु.] 1. मिथ्या या झूठा ज्ञान 2. कुछ का कुछ दिखाई देना 3. धोखा; भ्रम; (इल्यूज़न)।
अध्यासन
(सं.) [सं-पु.] 1. बैठना; उपवेशन 2. आरोपण 3. स्थान; आसन।
अध्याहार
(सं.) [सं-पु.] 1. तर्क-वितर्क; विचार; बहस 2. वाक्य के किसी आवश्यक शब्द का लोप 3. अस्पष्ट वाक्य को दूसरे शब्दों में स्पष्ट करने की क्रिया।
अध्याहृत
(सं.) [वि.] 1. जोड़ा हुआ 2. (आशय) जो किसी वाक्य से अनुमान की सहायता से निकाला गया हो; अनुमानित। [सं-पु.] विवाह से पूर्व गर्भ से पैदा हुआ पुत्र।
अध्येतव्य
(सं.) [वि.] 1. अध्ययन करने के लिए उपयुक्त 2. पढ़ने योग्य।
अध्येता
(सं.) [सं-पु.] 1. अध्ययन करने वाला; अध्ययनकर्ता 2. पाठक 3. शिक्षार्थी।
अध्येय
(सं.) [वि.] 1. अध्ययन किए जाने योग्य 2. जिसका अध्ययन किया जाना हो।
अध्वर
(सं.) [सं-पु.] 1. आकाश 2. यज्ञ 3. वायु; हवा। [वि.] 1. सीधा; सरल 2. अकुटिल 3. अचंचल; स्थिर; टिकाऊ।
अध्वर्यु
(सं.) [सं-पु.] 1. यजुर्वेद में बतलाए गए कर्म करने वाला ऋत्विक 2. यज्ञ में यजुर्वेद का मंत्र पढ़ने वाला व्यक्ति।
अनंग
(सं.) [सं-पु.] 1. देहरहित 2. आकृतिविहीन। [सं-पु.] 1. कामदेव 2. मन 3. आकाश।
अनंगना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. शरीर की सुधि छोड़ना 2. सुध-बुध भूलना।
अनंगारि
(सं.) [सं-पु.] 1. कामदेव के शत्रु 2. शिव।
अनंगी
(सं.) [सं-पु.] 1. कामदेव 2. ईश्वर; भगवान। [वि.] बिना देह का; अंग-रहित।
अनंजन
(सं.) [वि.] 1. निष्कलंक; निर्दोष 2. संबंध-रहित; निर्विकार 3. परमब्रह्म।
अनंत
(सं.) [वि.] 1. अपार 2. जिसका कोई अन्त न हो 3. असीम 4. अक्षय 5. अविनाशी 6. बहुत अधिक; बहुत बड़ा। [सं-पु.] 1. विष्णु; कृष्ण, शंकर, शेषनाग, लक्ष्मण 2. आकाश;
शून्य 3. ब्रह्म 4. बाँह पर पहनने वाला एक आभूषण।
अनंतगति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनंत प्रवाह 2. नित्य गति 3. ऐसी गति जिसकी कोई सीमा; अंत या छोर न हो।
अनंतचतुर्दशी
(सं.) [सं-स्त्री.] भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी; जिस दिन हिंदू स्त्रियाँ अनंत भगवान का व्रत रखती हैं।
अनंतजीवन
(सं.) [सं-पु.] अनश्वर जीवन; अमरता; अनश्वरता।
अनंतपद
(सं.) [सं-पु.] मोक्ष; अमरपद।
अनंतमूल
(सं.) [सं-पु.] 1. एक औषधीय पौधा 2. उक्त पौधे से निर्मित सारिवा नामक रक्त शोधक औषधि।
अनंतर
(सं.) [अव्य.] 1. बाद में; उपरांत; पीछे 2. लगातार; निरंतर; अनवरत।
अनंता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पृथ्वी 2. पार्वती 3. रेशमी धागों का बना हुआ एक प्रकार का आभूषण जो अनंत चतुर्दशी को दाहिनी भुजा में बाँधा जाता है 4. अनंतमूल; अमलकी;
दूब।
अनंती
(सं.) [सं-स्त्री.] अनंत या अंतहीन होने की अवस्था या भाव; (इन्फिनिटी)।
अनंद
(सं.) [सं-पु.] 1. एक वर्णवृत्त 2. आनंद न होना 3. आनंद का अभाव। [वि.] आनंदरहित, प्रसन्नतारहित।
अनंबर
(सं.) [वि.] 1. अंबर-रहित 2. जिसके पास वस्त्र न हो; वस्त्रहीन 3. जिसने वस्त्र न पहने हों; नंगा; दिगंबर।
अनंश
(सं.) [वि.] 1. जिसका कोई अंश या हिस्सा न हो 2. जो पैत्रिक संपत्ति पाने का अधिकारी न हो।
अन
(सं.) [पूर्वप्रत्य.] एक प्रत्यय जो तद्भव शब्दों के पहले लगकर उनके भाव में परिवर्तन कर देता है, जैसे- अनगिनत, अनगढ़, अनपढ़ आदि।
अनकंप
(सं.) [वि.] 1. जिसमें कंपन न हो 2. दृढ़; पक्का 3. स्थिर। [सं-पु.] कंपन न होने की अवस्था; स्थिरता।
अनकहा
(सं.) [वि.] 1. अनुक्त; जो कहा न गया हो; अव्यक्त; अकथित 2. सर्वथा नवीन; मौलिक।
अनकही
[सं-स्त्री.] कुछ न कहने की अवस्था या भाव। [वि.] 1. जो पहले कभी न कही गई हो 2. न कहने योग्य।
अनकिया
[वि.] 1. जो काम किया न गया हो 2. किए हुए को पलटकर पूर्वस्थिति में लाया हुआ।
अनक्षर
(सं.) [वि.] 1. जो कहने योग्य न हो 2. जिसे अक्षरों का ज्ञान न हो; निरक्षर 3. मूर्ख 4. गूँगा। [सं-पु.] गाली; दुर्वचन।
अनख
(सं.) [सं-पु.] 1. कोप; क्रोध 2. ईर्ष्या 3. ग्लानि; खिन्नता। [वि.] बिना नख का।
अनखा
[सं-पु.] 1. काजल की बिंदी 2. डिठौना।
अनखिला
[वि.] जो खिला न हो।
अनखी
(सं.) [वि.] 1. जिसके नख या नाखून न हों 2. जो जल्दी रुष्ट हो जाए; क्रोधी।
अनगढ़
[वि.] 1. बिना गढ़ा हुआ 2. मौलिक; प्राकृतिक; स्वाभाविक 3. बेढंगा; बेडौल; भद्दा 4. उजड्ड; असंस्कृत 5. टेढ़ा-मेढ़ा।
अनगिनत
(सं.) [वि.] 1. असंख्य; जिसकी गिनती न की जा सके 2. बेहिसाब।
अनगिना
[वि.] 1. जो गिना न गया हो 2. बहुत अधिक; अन-गिनत।
अनघ
(सं.) [वि.] 1. अघ या पाप से रहित; निष्पाप 2. दोषरहित; पवित्र 3. निरापद 4. सुंदर 5. शोकरहित। [सं-पु.] 1. वह जो पाप न हो; पुण्य 2. विष्णु 3. शिव।
अनचखा
[वि.] 1. जो चखा न गया हो; जिसके स्वाद का पता न हो 2. ताज़ा।
अनचाहा
[वि.] जिसे चाहा न गया हो; अनिच्छित; अप्रिय।
अनचीन्हा
[वि.] 1. अपरिचित 2. अज्ञात।
अनछिपा
[वि.] जो छिपा न हो; प्रकट; स्पष्ट।
अनछुआ
(सं.) [वि.] 1. जो छुआ न गया हो; अछूता 2. मौलिक; सर्वथा नवीन।
अनजनमा
[वि.] 1. जो जन्मा न हो; अज, जैसे- ईश्वर 2. जिसका अभी जन्म न हुआ हो।
अनजान
(सं.) [वि.] 1. जिसके बारे में जानकारी न हो; अपरिचित 2. जिसे जानकारी न हो; अनभिज्ञ 3. निश्छल; भोला [सं-पु.] अज्ञानावस्था।
अनजाना
(सं.) [वि.] जिसके बारे में कोई जानकारी न हो; अपरिचित; अजनबी।
अनट
(सं.) [सं-पु.] 1. अत्याचार 2. उपद्रव 3. असत्य; झूठ।
अनडीठ
[वि.] 1. जिसे देखा न गया हो 2. अभूतपूर्व 3. अनोखा।
अनत
(सं.) [वि.] 1. न झुकने वाला; जो झुका न हो 2. सीधा 3. अनम्र; दृढ़।
अनति
(सं.) [वि.] 1. जो अति न हो; कम; थोड़ा 2. कुछ। [सं-स्त्री.] 1. न झुकने की क्रिया या भाव 2. विनम्रता का अभाव 3. घमंड; अहंकार।
अनथक
[क्रि.वि.] बिना थके; लगातार।
अनथका
[वि.] जो थका न हो।
अनथाहा
[वि.] 1. जिसकी थाह न लगे 2. बहुत गहरा।
अनदेखा
(सं.) [वि.] 1. जिसे कभी देखा न गया हो 2. जिसे देखा न जाए; जिसकी ओर ध्यान न दिया जाय; उपेक्षित। [सं-पु.] उपेक्षा; अनदेखी।
अनदेखी
[सं-स्त्री.] 1. किसी कार्य को होते हुए देखकर भी न देखने का भान करना 2. कार्य का श्रेय न देने के लिए उपेक्षा दिखलाना।
अनद्यतन
(सं.) [वि.] 1. जो अद्यतन न हो 2. जो आज के दिन से संबद्ध न हो 3. दिनातीत; पुराना।
अनधिक
(सं.) [वि.] 1. जो अधिक न हो 2. सब तरह से ठीक और पूरा 3. सीमा रहित।
अनधिकार
(सं.) [वि.] 1. बिना अधिकार का; अधिकार-रहित 2. पात्रता; योग्यता या क्षमता विहीन। [सं-पु.] 1. अधिकृत न होना 2. अधिकार, पात्रता, योग्यता, क्षमता आदि का अभाव।
अनधिकारचेष्टा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1.जहाँ अधिकार न हो वहाँ भी घुसने, सलाह देने या काम करने की चेष्टा 2. जो काम आता न हो उसे करने का प्रयत्न करना।
अनधिकारप्रवेश
(सं.) [सं-पु.] 1. बिना अधिकार के घुस जाना 2. दख़लंदाज़ी 3. घुसपैठ।
अनधिकारी
(सं.) [वि.] 1. जिसे अधिकार न हो 2. जो किसी विषय का अधिकारी या विशेषज्ञ न हो 3. अयोग्य।
अनधिकृत
(सं.) [वि.] 1. जो अधिकृत न हो; जिसे अधिकार न दिया गया हो 2. जिसकी योग्यता या पात्रता संदिग्ध हो; जिसे मान्यता प्राप्त न हो; (अनऑथराइज़्ड)।
अनधिकृत बस्ती
[सं-स्त्री.] 1. ऐसी आवासीय कॉलोनी जो सरकारी या गैरसरकारी ज़मीन पर बिना वैध अनुमति के बनाई गई हो 2. ऐसे आवास जिन पर रहने वालों का कानूनी अधिकार न हो।
अनधिगत
(सं.) [वि.] 1. जो जाना हुआ न हो; अज्ञात 2. जिसपर विचार न किया गया हो।
अननुकूल
(सं.) [वि.] 1. जो अनुकूल न हो 2. जो अपने को अनुकूल न बना सके।
अननुभूत
(सं.) [वि.] 1. जो अनुभूत न हो 2. जिसका पहले कभी अनुभव न हुआ हो।
अननुरूप
(सं.) [वि.] 1. जो किसी से मेल न खाता हो; अनुरूप का उलटा 2. जो किसी की मर्यादा के अनुकूल या उपयुक्त न हो।
अनन्नास
[सं-पु.] एक खट्टा-मीठा फल; (पाइनऐपल)।
अनन्य
(सं.) [वि.] 1. एकनिष्ठ 2. एकमात्र 3. अविभक्त 4. अद्वितीय 5. अभिन्न 6. एकाश्रयी।
अनन्यता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अभिन्नता 2. अद्वितीयता 3. एकनिष्ठता 4. एकाश्रयिता।
अनन्यपूर्वा
(सं.) [सं-स्त्री.] कुमारिका; कुमारी; कन्या।
अनन्यभाव
(सं.) [सं-पु.] 1. एकनिष्ठा 2. एकनिष्ठ साधना। [वि.] जिसकी भक्ति या भाव केवल एक ही के प्रति हो।
अनन्यमना
(सं.) [वि.] अपने में मगन रहने वाला; आत्मलीन; दत्तचित्त।
अनन्य समाचार
(सं.) [सं-पु.] केवल एक पत्र या पत्रिका में प्रकाशनार्थ भेजा गया समाचार या लेख; (एक्सक्लूसिव न्यूज़)।
अनन्याधिकार
(सं.) [सं-पु.] एकाधिकार।
अनन्वय
(सं.) [सं-पु.] 1. अन्वय संबंध का अभाव; जहाँ अन्वय न हो 2. अर्थालंकार का एक भेद, जहाँ उपमेय स्वयं ही अपना उपमान होता है।
अनन्वित
(सं.) [वि.] जिसका अन्वय न हुआ हो।
अनपढ़
(सं.) [वि.] 1. जो पढ़ा- लिखा न हो; अशिक्षित 2. निरक्षर 3. मूर्ख; गँवार।
अनपत्य
(सं.) [वि.] 1. जिसे संतान न हो, संतानहीन; निस्संतान 2. जिसका कोई उत्तराधिकारी न हो।
अनपहचाना
(सं.) [सं-पु.] 1. जिससे पूर्व पहचान न हो; अपरिचित; अनजान 2. अजनबी।
अनपेक्ष
(सं.) [वि.] 1. जिसे किसी से कोई भी अपेक्षा न हो 2. जिसे किसी की परवाह न हो 3. निष्पक्ष 4. स्वतंत्र 5. असंबद्ध।
अनपेक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] अपेक्षा का अभाव।
अनपेक्षित
(सं.) [वि.] 1. जिसकी अपेक्षा न की गई हो या न की जाए 2. अयाचित; बिना माँगा हुआ।
अनबन
[सं-स्त्री.] 1. मनमुटाव; मनोमालिन्य 2. झगड़ा; बिगाड़।
अनबिधा
[वि.] 1. बिना बेधा या छेदा हुआ 2. जो बेधा न गया हो।
अनबूझ
[वि.] 1. जिसे बूझा या समझा न जा सके; अबूझ 2. रहस्यमय 3. निर्बुद्धि; नासमझ; बुद्धिहीन 4. अबोध।
अनबूड़ा
[वि.] 1. जो डूबा न हो 2. {ला-अ.} जो बात की गहराई में न पैठा हो।
अनबोला
[सं-पु.] 1. अबोला; बातचीत बंद होने की स्थिति; संवादहीनता। [वि.] बेज़बान; न बोलने वाला; मूक।
अनब्याही
[वि.] जिसका विवाह न हुआ हो; कुँवारी।
अनभला
[सं-पु.] 1. बुराई 2. अहित। [वि.] 1. बुरा; ख़राब 2. निंदनीय।
अनभिज्ञ
(सं.) [वि.] जो किसी बात को जानता न हो; अनजान; नावाक़िफ़।
अनभिज्ञता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गैरजानकारी; अज्ञान 2. अपरिचय 3. अनजानपन 4. अनाड़ीपन।
अनभिज्ञेय
(सं.) [वि.] 1. जिसका पता न लगाया जा सकता हो 2. जिसकी जानकारी प्राप्त न की जा सकती हो।
अनभेदी
[वि.] 1. जो भेद या रहस्य न जाने 2. पराया।
अनभ्यस्त
(सं.) [वि.] 1. जिसे किसी बात का अभ्यास न हो; अकुशल 2. जो किसी चीज़ का आदी न हो।
अनभ्र
(सं.) [वि.] अभ्र अर्थात् बादल रहित (आकाश) 2. स्वच्छ, निर्मल (आकाश)।
अनमना
(सं.) [वि.] 1. अन्यमनस्क; उदासीन 2. बेमन का; बेपरवाह 3. सुस्त; खिन्न।
अनमनापन
[सं-पु.] 1. उदासी 2. उदासीनता 3. खिन्नता 4. सुस्ती 5. अन्यमनस्कता।
अनमाँगा
[वि.] जो न माँगा गया हो, बिन माँगा, अयाचित।
अनमिल
(सं.) [वि.] 1. बेजोड़; बेमेल 2. जो घुला-मिला न हो।
अनमेल
[वि.] 1. बेमेल; जिसका मेल न हो; विजातीय; बेजोड़ 2. जिसमें मेल-मिलावट न हो; विशुद्ध; खालिस।
अनमोल
(सं.) [वि.] 1. जिसका कोई मूल्य न आँका जा सके; अमूल्य 2. कीमती; मूल्यवान।
अनम्य
(सं.) [वि.] जो नमनीय या लचीला न हो; जिसे लचकाया न जा सके; जिसे मोड़ा या झुकाया न जा सके।
अनम्र
(सं.) [वि.] 1. जिसमें नम्रता न हो; नम्रतारहित 2. अविनीत 3. उद्दंड।
अनय
(सं.) [सं-पु.] 1. नय या नीति का अभाव 2. अमंगल 3. अन्याय; अनीति 4. कुप्रबंध 5. विपत्ति 6. निंदनीय आचरण।
अनयमति
(सं.) [वि.] अन्यायी।
अनरस
[सं-पु.] 1. रस का अभाव; रसहीनता 2. रुखाई; शुष्कता 3. दुख; निरानंद 4. मनोमालिन्य 5. रसविहीन काव्य।
अनरसा
[सं-पु.] चावल से बना एक पकवान; अँदरसा। [वि.] 1. बिना रस का; रसहीन 2. अनमना 3. रोगी; बीमार।
अनरीति
[सं-स्त्री.] 1. रीति या नियम विरुद्ध आचरण या व्यवहार 2. कुरीति; बुरी रीति या प्रथा 3. अनीति।
अनरूप
[वि.] 1. कुरूप; भद्दा 2. असमान; असदृश 3. जिसका कोई रूप न हो; अरूप।
अनर्गल
(सं.) [वि.] 1. निरर्थक; व्यर्थ का 2. अप्रासंगिक 3. बकवास; जिसपर कोई रोक-टोक न हो।
अनर्गलता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनर्गल होने की अवस्था या भाव 2. अनर्गल बात, व्यवहार आदि।
अनर्घ
(सं.) [वि.] 1. जिसका अर्घ या मूल्य न हो 2. कीमती; बहुमूल्य 3. उचित या नियत दर या भाव से कम या अधिक।
अनर्घ्य
(सं.) [वि.] 1. जिसका मूल्य न हो, अमूल्य 2. कम मूल्य दिए दाने के योग्य 3. पूजा के अयोग्य 4. सर्वाधिक सम्मान्य।
अनर्जक
(सं.) [वि.] जो कमाता न हो 2. जो कमाया या अर्जित न किया गया हो, जैसे- आयु।
अनर्जित
(सं.) [वि.] 1. जो अर्जित न किया गया हो 2. जो कमाया न गया हो, (अनअर्न्ड)।
अनर्थ
(सं.) [वि.] 1. बुरा; अशुभ 2. उलटा-पुल्टा; अर्थहीन। [सं-पु.] 1. नितांत आपत्तिजनक बात 2. विपत्ति 3. अनिष्ट 4. उलटा अर्थ। [मु.] -कर देना :
ऐसा काम करना जिसका परिणाम भयावह हो या हो सकता हो।
अनर्थक
(सं.) [वि.] 1. जिसका कोई अर्थ न हो; निरर्थक 2. निष्प्रयोजन 3. अहितकर।
अनर्थकारी
(सं.) [वि.] 1. अनिष्टकारी; अहितकर 2. अनर्थ करने वाला 3. उत्पाती; उपद्रवी।
अनर्थापद
(सं.) [सं-पु.] अनर्थ होने की संभावना या आशंका।
अनर्ह
(सं.) [वि.] 1. अपात्र; अयोग्य; अनुपयुक्त 2. जो दंड या पुरस्कार का पात्र न हो 3. अपर्याप्त।
अनल
(सं.) [सं-पु.] 1. अग्नि; आग 2. पाचनशक्ति 3. पाचन-रस 4. अग्नि के अधिष्ठाता देवता 5. विष्णु 6. वासुदेव 7. पचासवाँ संवत्सर।
अनलंकृत
(सं.) [वि.] जिसे अलंकृत न किया गया हो; सादगीपूर्ण; जिसे सजाया न गया हो; जिसे आभूषण आदि न पहनाए गए हों।
अनलस
(सं.) [वि.] 1. आलस्य-रहित 2. फ़ुरतीला 3. चैतन्य।
अनलहक
(अ.) [सं-स्त्री.] "मैं ही ख़ुदा हूँ"- ईरान के मशहूर सूफ़ी संत मंसूर बिन अल-हल्लाज की वह उक्ति जिसके लिए उसे सूली पर चढ़ा दिया गया।
अनलेखा
[वि.] 1. जिसका लेखा या हिसाब न हो सके 2. असंख्य; अनगिनत।
अनल्प
(सं.) [वि.] 1. जो अल्प या थोड़ा न हो 2. बहुत; अधिक; ज़्यादा 3. यथेष्ट।
अनवकाश
(सं.) [सं-पु.] अवकाश का न होना; अवकाश का अभाव; फ़ुरसत न होना। [वि.] जिसे अवकाश या छुट्टी न हो।
अनवगत
(सं.) [वि.] 1. जो जाना न गया हो; अज्ञात; जो अवगत न हो 2. अनजाना।
अनवट
(सं.) [सं-पु.] बैलों की आँखों पर बाँधा जाने वाला एक कपड़ा। [सं-स्त्री.] स्त्रियों के पैर में पहना जाने वाला एक प्रकार का छल्ला।
अनवद्य
(सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई दोष न निकाला जा सके 2. निर्दोष; दोषरहित।
अनवधान
(सं.) [सं-पु.] 1. अवधान अर्थात् मनोयोग का अभाव 2. ध्यान भटकने की स्थिति। [वि.] 1. जिसमें कोई व्यवधान न हो; बाधाहीन 2. असावधान।
अनवधानता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अवधान का अभाव; असावधानी 2. लापरवाही।
अनवय
(सं.) [सं-पु.] 1. वंश; कुल; ख़ानदान 2. दो वस्तुओं या संदर्भों या शब्दों का आपसी संबंध या उनमें होने वाली अनुरूपता या अनुक्रमता 3. अन्वय।
अनवरत
(सं.) [वि.] बिना रुके; अविराम। [क्रि.वि.] लगातार।
अनवरुद्ध
(सं.) [वि.] बिना अवरोध के; निर्विघ्न; बेरोकटोक।
अनवरोध
(सं.) [सं-पु.] 1. अवरोध का अभाव 2. रुकावट या बाधा का न होना; मुक्त।
अनवसर
(सं.) [सं-पु.] 1. गलत अवसर 2. कुअवसर; कुसमय; बे-मौका।
अनवस्था
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ठीक अवस्था या स्थिति का न होना 2. अव्यवस्था 3. अधीरता; आतुरता।
अनवस्थिति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अस्थिरता 2. चंचलता 3. अधीरता 4. आधारहीनता 5. अवलंबशून्यता 6. (योगशास्त्र) समाधि प्राप्त हो जाने पर भी चित्त का स्थिर न होना।
अनवाँसना
[क्रि-स.] नऐ कपड़े, बरतन आदि का पहली बार प्रयोग या व्यवहार में लाना
अनवाँसी
(सं.) [सं-स्त्री.] भूमि की एक माप; एक विस्वे का चार सौवाँ भाग।
अनवाद
[सं-पु.] 1. व्यर्थ का (अकारण, बेमतलब) वादविवाद; फालतू बातचीत 2. कटु वचन; कठोर बात।
अनविच्छिन्न
(सं.) [वि.] 1. जो विच्छिन्न या विखंडित न हो; अखंडित 2. संयुक्त; जुड़ा हुआ 3. जिसका क्रम बीच में न टूटे।
अनवीकृत
(सं.) [सं-पु.]. एक प्रकार का अर्थ-दोष, जहाँ सिर्फ़ पिष्टपेषण होता है; कोई विलक्षणता नहीं होती।
अनवेक्ष
(सं.) [वि.] 1. असावधान; लापरवाह 2. उदासीन 3. ध्यान न देने योग्य (विषय)।
अनवेक्षण
(सं.) [सं-पु.] 1. ध्यान न देने की अवस्था या भाव 2. लापरवाही 3. उदासीनता 4. अनदेखी।
अनवेक्षणीय
(सं.) [वि.] 1. जिसपर ध्यान देना या संज्ञान लेना आवश्यक न हो; (नानकागनिज़ेबल)।
अनवेक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] ऐसा सामान्य अपराध या ऐसी अनुचित बात पर ध्यान न देना जिसपर विधि के अनुसार संज्ञान लिया जा सकता हो; (नान-कागनिज़ेंस)।
अनशन
(सं.) [सं-पु.]. 1. आहार त्याग; उपवास 2. भूख-हड़ताल।
अनश्वर
(सं.) [वि.] 1. जिसका कभी नाश न हो; अविनाशी; नित्य 2. शाश्वत; सनातन 3. ध्रुव; स्थिर; अटल।
अनसुना
(सं.) [वि.] जो सुना न गया हो; अनसुनी करना-ध्यान न देना; उपेक्षा करना।
अनसुनी
[सं-स्त्री.] किसी बात की उपेक्षा; ध्यान न देने का भाव। [मु.] -करना या कर जाना : (किसी की प्रार्थना, विनती, बात आदि पर) ध्यान ही न देना।
अनसुलझा
[वि.] 1. जो सुलझा न हो; जिस वस्तु की उलझन को दूर न किया गया हो 2. जिसे सुलझाया न गया हो।
अनसुलझी
[वि.] 1. जो सुलझी न हो; जो सुलझाई न जा सकी हो; उलझी हुई 2. जिस समस्या का समाधान न किया गया हो उसका विशेषण।
अनसूय
(सं.) [वि.] 1. असूया या ईर्ष्या-द्वेष से रहित 2. दूसरे के दोषों पर ध्यान न देने वाला।
अनसूया
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. नुकताचीनी या छिद्रान्वेषण न करना; दूसरों के अवगुणों की तरफ़ ध्यान न देना 2. ईर्ष्या-जलन का न होना 3. अत्रि ऋषि की पत्नी 4. दक्ष की एक
कन्या।
अनसोची
[वि.] 1. जिसके बारे में पहले से सोचा न गया हो; जिसका पहले से गुमान न हो 2. अचानक आ उपस्थित होने वाली; अप्रत्याशित।
अनस्तित्व
(सं.) [सं-पु.] 1. अस्तित्व का अभाव; अस्तित्वहीनता 2. अविद्यमानता; गैरमौजूदगी।
अनहंकार
(सं.) [सं-पु.] अहंकार का अभाव। [वि.] अहंकार से रहित।
अनहद
[सं-पु.] 1. अनाहत या सीमातीत 2. स्थान-प्रयत्न (जैसे- जिह्वा, तालु, दंत, वर्त्स आदि) से परे; (हठयोग) समाधि की स्थिति में सुनाई पड़ने वाला नाद (ध्वनि)।
अनहद्दी
(सं.) [वि.] अनहद; नादवाला।
अनहित
[सं-पु.] 1. हित का अभाव 2. अहित; अपकार 3. अशुभ। [वि.] 1. अहितकारी 2. शत्रु।
अनहितू
[वि.] 1. अनहित चाहने वाला 2. अशुभ-चिंतक; बैरी।
अनहोना
[वि.] 1. सहसा न होने वाला 2. अलौकिक 3. जैसा पहले कभी घटित न हुआ हो।
अनहोनी
(सं.) [वि.] 1. न होने वाली; असंभव 2. अलौकिक। [सं-स्त्री.] अनहोनी बात। {ला-अ.} अति दुखद घटना जो नहीं होनी चाहिए थी।
अनाउंसर
(अं.) [सं-पु.] रेडियो पर या मंच पर कार्यक्रमों तथा सूचनाओं की उद्घोषणा करने वाला; उद्घोषक।
अनाकर्षक
(सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई आकर्षण न हो 2. अरुचिकर; अप्रिय 3. भद्दा; बदशक्ल; बदसूरत।
अनाकार
(सं.) [वि.] 1. जिसका कोई आकार न हो 2. निराकार 3. ईश्वर का एक विशेषण।
अनाकृत
(सं.) [वि.] 1. जो रोका न गया हो; अनिवारित 2. जिसके प्रति सावधानी न बरती गई हो; जिसकी देखभाल न की गई हो।
अनाक्रमण
(सं.) [सं-पु.] 1. आक्रमण न करना; किसी देश पर आक्रमण न करना 2. आक्रमण का अभाव।
अनागत
(सं.) [वि.] 1. न आया हुआ; अनुपस्थित; अप्रस्तुत 2. भावी; होनहार 3. अपरिचित; अज्ञात 4. अनादि 5. अद्भुत; विलक्षण। [क्रि.वि.] अचानक; सहसा। [सं-पु.] 1. संगीत
शास्त्र के अनुसार एक ताल 2. आगे आने वाला समय; भविष्यत्काल।
अनाग्रह
(सं.) [सं-पु.] आग्रहहीनता।
अनाग्रही
(सं.) [वि.] आग्रहहीन।
अनाचरण
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी कार्य का आचरण न करना 2. जो करना हो वह न करना 3. करने का काम छोड़ देना।
अनाचार
(सं.) [सं-पु.] 1. दुराचार; कदाचार; ख़राब आचरण; दुर्व्यवहार; कुत्सित कार्य 2. बुराई 3. अभद्रता।
अनाचारी
(सं.) [वि.] 1. दुराचारी; कदाचारी 2. मर्यादाहीन; दुश्चरित्र 3. अभद्र।
अनाच्छादन
(सं.) [सं-पु.] 1. ढक्कन-छाजन को हटा देना 2. ढँके-छिपे को खोल देना 3. आवरण, परदेदारी या किसी भी तरह की गोपनीयता को छिन्न-भिन्न कर देना 4. संरक्षण-आश्रय को
हटा लेना।
अनाज
[सं-पु.] अन्न, जैसे- गेहूँ, चावल, दाल आदि।
अनाजी
[वि.] 1. जो अनाज से बना हो 2. जिसमें अनाज का अंश हो।
अनाड़ी
[वि.] 1. अकुशल; अयोग्य 2. नासमझ; नादान; अबोध 3. कमअक्ल; मंदबुद्धि 4. नौसिखिया।
अनाड़ीपन
[सं-पु.] 1. सरल चित्त या अनुभवहीन होने की अवस्था; अबोधता 2. नौसिखियापन 3. अकुशलता; अयोग्यता 4. कमअक़्ली।
अनाढ्य
(सं.) [वि.] असम्पन्न; निर्धन; रंक; तंगहाल; तंगदस्त।
अनातंक
(सं.) [सं-पु.] 1. आतंक का अभाव 2. आतंक या डर का न होना।
अनात्म
(सं.) [सं-पु.] 1. जड़ पदार्थ 2. देह। [वि.] 1. चैतन्य या आत्मा से रहित; जड़ 2. भौतिक 3. शारीरिक 4. आत्मनियंत्रण से रहित।
अनात्मभाव
(सं.) [सं-पु.] आत्मकेंद्रिकता से मुक्त होने का भाव।
अनात्मवाद
(सं.) [सं-पु.] आत्मा की अस्वीकृति का सिद्धांत; जड़वाद।
अनात्मीय
(सं.) [वि.] 1. जो आत्मीय न हो; गैर 2. जिसके स्वभाव में परायापन हो।
अनाथ
(सं.) [वि.] 1. जिसके माँ-बाप न हों 2. जिसका कोई संरक्षक न हो 3. निराश्रित 4. असहाय 5. दीन।
अनाथालय
(सं.) [सं-पु.] अनाथ बच्चों के लिए बना आवास।
अनाथाश्रम
(सं.) [सं-पु.] अनाथालय।
अनादर
(सं.) [सं-पु.] अपमान; निरादर; असम्मान; बेकद्री; बेइज़्ज़ती।
अनादरण
(सं.) [सं-पु.] 1. अपमान या अनादर करने की क्रिया या भाव 2. बैंक द्वारा बगैर भुगतान किए हुए चेक वापस करना; (डिसऑनर)।
अनादरपूर्ण
(सं.) [वि.] 1. अपमान या असम्मान से भरा 2. तिरस्कारपूर्ण।
अनादरसूचक
(सं.) [वि.] अपमानजनक; जिससे असम्मान का संकेत मिले।
अनादि
(सं.) [वि.] 1. जिसका प्रारंभ न हो; आदि रहित 2. नित्य 3. परमेश्वर का एक विशेषण, अजन्मा।
अनादिकाल
(सं.) [सं-पु.] इतना प्राचीन समय जिसके आरंभ का अनुमान न लगाया जा सके।
अनादित्व
(सं.) [सं-पु.] 1. नित्यता; शाश्वतता 2. ईश्वरत्व।
अनादृत
(सं.) [वि.] 1. जिसका अनादर या तिरस्कार हुआ हो; तिरस्कृत 2. जिसे सम्मान या आदर न मिलता हो।
अनाधिकार
(सं.) [सं-पु.] अधिकार का अभाव। [वि.] 1. अधिकाररहित 2. अयोग्यतापूर्ण।
अनानुपूर्व्य
(सं.) [सं-पु.] नियत क्रम में न आना।
अनाप-शनाप
[सं-पु.] बकवास; अंडबंड; ऊल-जुलूल बात; निरर्थक बातें। [मु.] -कहना : उलटी-सीधी बात कहना; गाली देना।
अनाप्त
(सं.) [वि.] 1. जो प्राप्त(आप्त) न हो; अप्राप्त; अलब्ध 2. जो सामने उपस्थित या घटित न हुआ हो 3. असत्य 4. अनाड़ी; अकुशल।
अनाम
(सं.) [सं-पु.] अर्श; बवासीर। [वि.] 1. जिसका नाम या ख्याति न हो; अप्रसिद्ध 2. गुप्त।
अनामय
(सं.) [सं-पु.] 1. स्वास्थ्य, तंदुरुस्ती 2. कुशलक्षेम। [वि.] 1. आमय या रोग से रहित, निरोग 2. दोष-रहित, निर्दोष 3. अच्छा, उत्तम।
अनामिक साक्षात्कार
(सं.) [सं-पु.] वह साक्षात्कार जिसमें साक्षात्कार देने वाले का नाम नहीं छापा जाता है।
अनामिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मध्यमा और कनिष्ठा उँगलियों के बीच की उँगली 2. नामहीन स्त्री।
अनायत
(सं.) [वि.] 1. जो बँधा हुआ न हो, निर्बाध, अनियंत्रित 2. जो अलग न हो; मिला हुआ।
अनायास
(सं.) [क्रि.वि.] 1. बिना कोशिश के; बिना मेहनत के 2. आसानी से 3. स्वतः।
अनार
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक दानेदार फल जो बहुत पौष्टिक माना जाता है; दाडिम; बेदाना 2. एक प्रकार की आतिशबाज़ी।
अनारदाना
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. खट्टे अनार का सुखाया हुआ दाना 2. राम-दाना 3. एक प्रकार की मिठाई।
अनारी
(फ़ा.) [वि.] 1. अनार संबंधी; अनार का 2. अनार के रंग का 3. चमकीला (लाल)।
अनार्जव
(सं.) [सं-पु.] 1. ऋजुता या आर्जव (सीधापन) का अभाव 2. बेईमानी; (डिस्ऑनेस्टी) 3. रोग। [वि.] 1. जो सीधा या ऋजु न हो 2. बेईमान 3. कुटिल।
अनार्तव
(सं.) [सं-पु.] स्त्रियों में मासिक धर्म या रजोधर्म का अवरोध या रुकावट। [वि.] 1. अनरितु 2. असामयिक।
अनार्थिक
(सं.) [वि.] 1. आर्थिक मामलों से भिन्न क्षेत्र का 2. अनर्थ करने या होने से संबंधित।
अनार्य
(सं.) [सं-पु.] जो आर्य न हो; म्लेच्छ। [वि.] 1. अप्रतिष्ठित 2. असभ्य 3. आर्येतर जाति या इलाके से संबंधित।
अनार्यता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनार्य होने की अवस्था या भाव 2. असभ्यता; अशिष्टता।
अनावरण
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी मूर्ति या भवन आदि का आवरण या परदा हटाना 2. उद्घाटन; शुभारंभ।
अनावर्तक
(सं.) [वि.] 1. जो (कार्य) बार-बार न किया जाए 2. किसी मद का कुल व्यय एक ही बार कर दिया जाए, उसका आवर्तन न हो; (नॉन-रेकरिंग)।
अनावर्ती
(सं.) [वि.] अनावर्तक।
अनावश्यक
(सं.) [वि.] 1. जिसकी आवश्यकता न हो; गैरज़रूरी 2. बेमतलब; व्यर्थ 3. फालतू।
अनावासिक
(सं.) [वि.] 1. जो किसी स्थान पर स्थायी रूप से बसा हुआ न हो, बल्कि कुछ दिनों के लिए आकर बस गया हो; अनिवासी; (नॉन-रेजीडेंट) 2. जहाँ वास की व्यवस्था न हो।
अनाविल
(सं.) [वि.] 1. स्वच्छ; निर्मल 2. अपंकिल; जो कीचड़ लगा न हो 3. स्वास्थ्यकर।
अनावृत
(सं.) [वि.] 1. जो ढँका न हो; खुला हुआ 2. नग्न 3. जिसका अनावरण हुआ हो; बेपरदा।
अनावृत्त
(सं.) [वि.] 1. जिसकी आवृत्ति न हुई हो; जो दोहराया न गया हो 2. जो लौटा न हो।
अनावृष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वर्षा का अभाव; अवर्षण; सूखा 2. अकाल।
अनावेशित
(सं.) [वि.] 1. जिसमें आवेश न हो 2. जिसे आवेशित न किया गया हो; (अनचार्जड) 3. {ला-अ.} उत्साहहीन; मंद।
अनाश्रमी
(सं.) [वि.] 1. जिसका कोई आश्रम न हो 2. गार्हस्थ्य आश्रमों से रहित या अलग 3. आश्रम धर्म का पालन न करने वाला; भ्रष्ट; पतित।
अनाश्रित
(सं.) [वि.] 1. जिसका कोई सहारा न हो; आश्रयरहित 2. निरवलंब; बे-सहारा 3. जो दूसरे पर आश्रित न हो; स्वाधीन।
अनासक्त
(सं.) [वि.] 1. आसक्तिरहित; जिसे सांसारिक सुखों से लगाव न हो; निर्लिप्त 2. उदासीन 3. वीतराग।
अनासक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आसक्ति या अनुराग न होना 2. अलग या उदासीन होना 3. अलगाव; (डिटैचमेंट)।
अनासिर
(अ.) [सं-पु.] पंचभूत- आग, पानी, हवा, मिट्टी और आकाश।
अनासीन
(सं.) [वि.] 1. जो आसीन या बैठा हुआ न हो 2. अपने आसन, स्थान या पद से हटाया हुआ; (अनसीटेड)।
अनास्था
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आस्था का अभाव; किसी की क्षमता पर विश्वास न होना 2. अश्रद्धा 3. अनादर।
अनास्थावादी
(सं.) [वि.] 1. अनास्थावाद से संबंधित 2. अनास्थावाद में विश्वास रखने वाला।
अनास्वादित
(सं.) [वि.] 1. जिसका स्वाद न लिया गया हो, जिसे चखा न गया हो 2. जिसे किसी ने भोगा न हो।
अनाहत
(सं.) [वि.] 1. जो आहत न हो; आघातरहित 2. जो आघात से उत्पन्न न हुआ हो 3. कोरा, बेदाग 4. हठयोग में परिकल्पित शरीर के छह चक्रों में से एक जिसका स्थान हृदय
बताया गया है।
अनाहतचक्र
(सं.) [सं-पु.] हठयोग के मुताबिक शरीर के छह चक्रों में से एक जो हृदय में अवस्थित होता है।
अनाहत नाद
(सं.) [सं-पु.] हठयोग योगियों को सुनाई देने वाली एक आंतरिक ध्वनि।
अनाहरण
(सं.) [सं-पु.] हरण; चोरी या लूट-खसोट की क्रिया का निरस्त किया जाना।
अनाहार
(सं.) [सं-पु.] 1. आहार का त्याग 2. भोजन न करना। [वि.] जिसने कुछ खाया न हो; निराहार।
अनाहारी
(सं.) [वि.] 1. जिसने भोजन न किया हो 2. निराहारी।
अनाहूत
(सं.) [वि.] जिसे निमंत्रित (आहूत) न किया गया हो; बुलाया न गया हो; अनामंत्रित।
अनिंदित
(सं.) [वि.] 1. जो निंदित या बदनाम न हो 2. निष्कलुष; निर्दोष 3. उदात्त 4. उत्तम।
अनिंद्य
(सं.) [वि.] 1. जो निंदा के योग्य न हो 2. निर्दोष; निष्कलुष 3. सुंदर 4. उदात्त।
अनिकेत
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जिसका कोई नियत घर या वास-स्थान न हो; संन्यासी 2. ख़ानाबदोश। [वि.] गृहहीन, जिसके पास घर न हो; जो घर में न बसता हो।
अनिच्छा
(सं.) [सं-स्त्री.] इच्छा का अभाव; मरज़ी का न होना; मन न करना।
अनिच्छापूर्वक
(सं.) [क्रि.वि.] बेमन से; रुचि न लेते हुए; बिना चाहत के।
अनिच्छित
(सं.) [वि.] 1. जिसकी चाह या इच्छा न की गई हो; अनचाहा 2. अच्छा या रुचिकर न लगने वाला।
अनिच्छुक
(सं.) [वि.] इच्छारहित; जिसकी रुचि न हो; किसी कार्य में प्रवृत्त होने का मन न हो; जिसका मन ना चाहता हो।
अनिजक
(सं.) [वि.] 1. जो अपना न हो 2. दूसरे से संबंधित; दूसरे का; पराया।
अनित्य
(सं.) [वि.] 1. जो नित्य (शाश्वत) न हो; अस्थिर 2. क्षणभंगुर 3. नश्वर।
अनित्यता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अस्थिरता; अस्थायित्व 2. क्षणभंगुरता 3. नश्वरता।
अनिद्र
(सं.) [सं-पु.] अनिद्रा नामक रोग जिसमें नींद नहीं आती है। [वि.] 1. जिसे नींद न आती हो; उनींदा 2. जागता हुआ।
अनिद्रा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. नींद न आने का रोग 2. नींद उड़ने का भाव; बेचैनी; घबराहट।
अनिद्रित
(सं.) [वि.] 1. जो सोया हुआ न हो 2. जागा हुआ।
अनिपात
(सं.) [सं-पु.] 1. निपात का अभाव; न गिरना; अपतन 2. जीवन का बना रहना।
अनिपुण
(सं.) [वि.] जो किसी कार्य में निपुण न हो, अकुशल; अदक्ष।
अनिबंध
(सं.) [वि.] 1. जिसके लिए कोई बंधन न हो; बंधन-रहित 2. स्वतंत्र।
अनिबद्ध
(सं.) [वि.] जो संबद्ध न हो; असंबद्ध।
अनिबद्ध प्रलाप
(सं.) [सं-पु.] 1. बे-सिर-पैर की बात; बिना मतलब की बात 2. व्यर्थ की चर्चा।
अनिमंत्रित
(सं.) [वि.] जिसे बुलाया न गया हो; जिसका निमंत्रण न किया गया हो।
अनिमित्त
(सं.) [वि.] अकारण। [सं-पु.] किसी कारण का न होना। [अव्य.] बिना किसी कारण के।
अनिमित्तक
(सं.) [सं-स्त्री.] व्यर्थ; निष्प्रयोजन; बेमतलब।
अनिमेष
(सं.) [वि.] 1. स्थिरदृष्टि 2. जागरूक 3. खुला; विकसित। [क्रि.वि.] निर्निमेष; बिना पलक झपकाए; बिना पलक गिराए हुए; अपलक; एकटक।
अनियंत्रित
(सं.) [वि.] 1. नियंत्रणविहीन; बेकाबू 2. स्वतंत्र; उन्मुक्त 3. निरंकुश।
अनियत
(सं.) [वि.] 1. अनिश्चित; जो तय न किया गया हो 2. अस्थिर 3. जो बँधा हुआ न हो 4. आकस्मिक 5. असाधारण 6. असीम।
अनियतता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनियत होने का भाव; अनिश्चय 2. अनियमितता 3. अस्थिरता 4. आकस्मिकता 5. निस्सीमता।
अनियम
(सं.) [सं-पु.] 1. नियम और व्यवस्था का अभाव 2. अव्यवस्था; बेकायदगी।
अनियमित
(सं.) [वि.] 1. जो नियम के अनुकूल न हो 2. जो कार्य व्यवस्थानुसार न चले 3. विधि व्यवस्था का अनुसरण न होना।
अनियमितता
(सं.) [सं-स्त्री.] नियमित न होने का भाव; नियम का उल्लंघन।
अनिरुद्ध
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) कृष्ण के पौत्र और प्रद्युम्न के पुत्र 2. जासूस; गुप्तचर 3. शिव। [वि.] 1. जो निरुद्ध या रुका हुआ न हो 2. स्वेच्छाचारी 3. जिसे रोका
न गया हो।
अनिर्णय
(सं.) [सं-पु.]. 1. असमंजस; दुविधा 2. निर्णयहीनता।
अनिर्णयता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनिर्णय की स्थिति; अनिर्णय की मुद्रा 2. असमंजस की स्थिति; दुविधाग्रस्तता।
अनिर्णयात्मक
(सं.) [वि.] 1. अनिर्णय से संबंधित 2. जिसपर निर्णय के आसार न हों।
अनिर्णीत
(सं.) [वि.] जिसपर निर्णय न हुआ हो; जो तय न हुआ हो; अनिश्चित।
अनिर्दिष्ट
(सं.) [वि.] 1. जिसका निर्देश न किया गया हो; न बताया हुआ 2. जिसके विषय में स्पष्ट आदेश न हो; अनादिष्ट।
अनिर्वचनीय
(सं.) [वि.] 1. निर्वचन के अयोग्य; अव्याख्येय 2. जिसके लक्षण न बताये जा सकें 3. अवर्णनीय; अकथनीय।
अनिर्वाचित
(सं.) [वि.] जिसे चुना न गया हो; मनोनीत।
अनिर्वाच्य
(सं.) [वि.] 1. जिसका निर्वचन या कथन न हो सके; अकथनीय 2. जिसे बताया न जा सके 3. जो चुनाव के योग्य न हो।
अनिर्वाण
(सं.) [वि.] 1. जो मोक्ष को प्राप्त न हुआ हो, जिसका अंत न हुआ हो 2. न बुझा हुआ 3. अप्रक्षालित।
अनिर्वाप्य
(सं.) [वि.] 1. जो बुझाया न जा सके 2. जिसका शमन न हो सके।
अनिल
(सं.) [सं-पु.] 1. हवा; वायु; पवन 2. स्वाति नक्षत्र 3. शरीर का वायु तत्व 4. वातरोग।
अनिवर्चनीय
(सं.) [वि.] जो बताया न जा सके; जिसे व्यक्त न किया जा सके।
अनिवार्य
(सं.) वि. 1. जिसके बिना काम न चल सके 2. जिसका निवारण न हो सके; (इसेंशियल) 3. नितांत आवश्यक; (कंपल्सरी) 4. अवश्यंभावी।
अनिवार्यतः
(सं.) [क्रि.वि.] अनिवार्य रूप से।
अनिवार्यता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अत्यावश्यकता 2. टाला न जा सकने के हालात।
अनिवार्येतर
(सं.) [वि.] 1. अनिवार्य से भिन्न या इतर 2. (नॉन-एसेंशियल)।
अनिवासी
(सं.) [वि.] 1. जो किसी स्थान-विशेष का बाशिंदा न हो; जो किसी स्थान-विशेष पर निवास न करता हो, जैसे- देश से बाहर रहने वाले अनिवासी भारतीय कहलाते है 2. बाहरी;
(नानरेज़िडेंट; एन.आर.)।
अनिश्चय
(सं.) [सं-पु.] 1. निश्चय न होने की स्थिति 2. संदेह 3. असमंजस; दुविधा।
अनिश्चयात्मक
(सं.) [वि.] अनिर्णय या अनिश्चय के लक्षणवाला; जिसके निर्णय के आसार न हों।
अनिश्चित
(सं.) [वि.] जो निश्चित या तय न हो; जो पक्का न हो।
अनिष्ट
(सं.) [सं-पु.] 1. अमंगल 2. अहित 3. हानि 4. विपत्ति। [वि.] 1. जो इष्ट न हो 2. अशुभ 3. अवांछित 4. हानिकर 5. बुरा।
अनिष्टकर
(सं.) [वि.] अनिष्ट करने वाला; अहितकर; हानिकर।
अनिष्टकारक
(सं.) [वि.] अनिष्टकर।
अनिष्पत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. निष्पत्ति का अभाव; अपूर्णता 2. पूरा; समाप्त या सिद्ध न होना।
अनिष्पन्न
(सं.) [वि.] 1. जो निष्पन्न न हुआ हो 2. अपूर्ण या असमाप्त।
अनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी चीज़ का पतला सिरा; नोक 2. कोर 3. चुभने वाली बात 4. ग्लानि 5. सेना 6. समूह 7. कुसमय।
अनीक1
(सं.) [सं-पु.] 1. फ़ौज; सेना 2. झुंड; समूह 3. युद्ध 4. किनारा; तट।
अनीक2
[वि.] 1. जो अच्छा न हो 2. ख़राब; बुरा 3. त्याज्य।
अनीकिनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सेना 2. अक्षौहिणी का दसवाँ भाग या अंश जिसमें 2187 हाथी, 5661 घोड़े और 10935 पैदल होते थे 3. समूह; झुंड 4. कमलिनी।
अनीति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. जो नीति के विरुद्ध हो; अन्याय; बेइंसाफ़ी 2. अत्याचार 3. अनैतिकता 5. अनुचित व्यवहार।
अनीमिया
(इं.) [सं-पु.] 1. खून में रक्त (लाल) कोशिकाओं की कमी 2. रक्ताल्पता।
अनीलन
(इं.) [सं-पु.] 1. शीशे, धातु आदि को कठोर बनाने के लिए उसे पहले अत्यधिक तपाना या जलाना फिर ठंडा कर देना 2. (अनीलिंग)।
अनीश
(सं.) [वि.] 1. जिसका कोई स्वामी या ईश न हो 2. ईश्वर-रहित 3. अनाथ; दीन।
अनीशा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दीनता की अवस्था 2. निरीह अवस्था।
अनीश्वर
(सं.) [वि.] 1. ईश्वर को न मानने वाला; नास्तिक 2. जिसके ऊपर कोई न हो 3. असमर्थ।
अनीश्वरवाद
(सं.) [सं-पु.] ईश्वर का अस्तित्व न मानने का दर्शन; नास्तिक मत।
अनीश्वरवादी
(सं.) [वि.] नास्तिक मत का अनुयायी; ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास न करने वाला।
अनीस
(अ.) [सं-पु.] दोस्त; सखा; मित्र।
अनीह
(सं.) [वि.] 1. जिसे कोई इच्छा या चाह न हो; निस्पृह 2. इच्छा-रहित 3. लापरवाह; असावधान 4. माया-मोह से रहित; निर्लिप्त।
अनीहा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ईहा अर्थात इच्छा का अभाव 2. निरपेक्षता; उदासीनता 3. वासना; अनुराग आदि का अभाव।
अनु
(सं.) [पूर्वप्रत्य.] (व्याकरण) शब्दों के पहले लगने वाला प्रत्यय जो समान (अनुरूप), पीछे (अनुचर), साथ (अनुपान), प्रत्येक (अनुदिन), बारंबार (अनुशीलन), हीन,
गौण, ओर आदि अर्थों का द्योतन करता है।
अनुकंपा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. करूणामय कृपा; अनुग्रह 2. दया 3. हमदर्दी; (कंपैशन)।
अनुक
(सं.) [वि.] 1. कामुक; लोलुप 2. सहायक 3. आश्रित।
अनुकथन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी कथन के पश्चात् होने वाली बातचीत (कथन) 2. वर्णन 3. बातचीत; बहस; चर्चा।
अनुकरण
(सं.) [सं-पु.] 1. नकल 2. देखादेखी 3. किसी की विशेषताओं को अपने आचरण में ढालना।
अनुकरणशील
(सं.) [वि.] अनुकरण की प्रवृत्तिवाला; देखादेखी करने वाला; नकलची।
अनुकरणीय
(सं.) [वि.] 1. अनुकरण करने योग्य 2. नकल करने योग्य 3. पीछे चलने योग्य; अनुगमनीय।
अनुकर्ता
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जो किसी का अनुकरण करता हो; अभिनेता 2. नकल करने वाला।
अनुकलन
(सं.) [सं-पु.] 1. गिनती करना; गणन; गणितीय क्रिया करना 2. हिसाब लगाना।
अनुकल्प
(सं.) [सं-पु.] 1. विकल्प 2. मुख्य वस्तु न मिलने पर अन्य वस्तु का प्रयोग; स्थानापन्न 3. गौण विधान।
अनुकाम
(सं.) [वि.] 1. जो इच्छा के अनुकूल हो; इच्छानुकूल 2. रुचिकर; कामनावाला 3. आसक्त; कामुक।
अनुकारक
(सं.) [वि.] 1. किसी की ज्यों की त्यों (हूबहू) नकल करने वाला; (इमीटेटर) 2. नकलची।
अनुकीर्तन
(सं.) [सं-पु.] 1. गुणगान; बखान 2. कथन।
अनुकूल
(सं.) [सं-पु.] अनुग्रह; कृपा। [वि.] 1. मुआफ़िक; जो मेल खाता हो 2. प्रसन्न। [क्रि.वि.] की ओर; अभिमुख।
अनुकूलक
(सं.) [सं-पु.] 1. अनुकूल बनाने वाला; अपने रंग-ढंग में ढालने वाला 2. अनुकूल या उपयुक्त स्थितियाँ पैदा करने वाला।
अनुकूलतम
(सं.) [वि.] 1. सर्वाधिक अनुकूल 2. सर्वाधिक अपनाने योग्य 3. सर्वाधिक प्रिय।
अनुकूलता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. उपयुक्तता 2. मुआफ़िकत 3. तालमेल।
अनुकूलन
(सं.) [सं-पु.] 1. काट-छाँट कर उपयुक्त बनाना (एडैप्टेशन) 2. किसी कार्य के पहले पृष्ठभूमि तैयार करना, जैसे- निबंधकार अपने कथ्य-संप्रेषण के पहले पाठक के मन का
अनुकूलन करता है 3. नियंत्रित करना, जैसे- वातानुकूलन।
अनुकूलनीय
(सं.) [वि.] 1. अनुकूल बनाने के योग्य; अपने रंग-ढंग में ढालने योग्य 2. तालमेल बैठाने लायक।
अनुकूला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दंती वृक्ष 2. एक वर्णवृत्त।
अनुकूलित
(सं.) [वि.] जिसे अनुकूल कर लिया या बना लिया गया हो।
अनुकृत
(सं.) [वि.] 1. जिसका अनुकरण किया गया हो 2. नकल किया हुआ; नकली।
अनुकृति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी रचना की हूबहू नकल; (इमिटेशन) 2. देखादेखी।
अनुक्त
(सं.) [वि.] 1. जो उक्त अर्थात कहा हुआ न हो 2. बिना कहा हुआ; अकथित।
अनुक्रम
(सं.) [सं-पु.] 1. क्रमबद्धता; सिलसिला; (सक्सेशन) 2. पुस्तक के भीतर पहले पन्ने पर अंकित रचनाओं, लेखों आदि की सूची; विषय-सूची।
अनुक्रमण
(सं.) [सं-पु.] 1. क्रम से आगे बढ़ना; अनुगमन 2. क्रम में लगाना; सूचीबद्ध करना।
अनुक्रमणिका
(सं.) [सं-स्त्री.] पुस्तक के अंत में अकारादि क्रम से दी जाने वाली शब्दों या विषयों की सूची; (इंडेक्स)।
अनुक्रमणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. शब्दसूची 2. विषयसूची, अध्यायों या प्रकरणों का सिलसिला।
अनुक्रमांक
(सं.) [सं-पु.] 1. क्रमवार सूची में निर्धारित संख्या 2. उचित और निश्चित क्रम में आने वाला कोई अंक; (रोलनंबर)।
अनुक्रमिक
(सं.) [वि.] 1. क्रमिक तौर से शामिल 2. अनुक्रम के मुताबिक; विषयसूची के अंतर्गत।
अनुक्रांत
(सं.) [वि.] 1. जिसका उल्लंघन किया गया हो 2. क्रमपूर्वक किया गया 3. पठित।
अनुक्रिया
(सं.) [सं-स्त्री.] प्रतिक्रिया; कार्य के बाद का असर; (रिस्पॉन्स)।
अनुक्षण
(सं.) [क्रि.वि.] 1. प्रतिक्षण; अनवरत; लगातार; निरंतर 2. सदैव; सर्वदा; नित्य।
अनुख्यान
(सं.) [सं-पु.] 1. पता करना या लगाना 2. भेद या रहस्य खोलना।
अनुगत
(सं.) [वि.] 1. अनुयायी; पीछे चलने वाला; अनुसरण करने वाला 2. आज्ञाकारी 3. आश्रित 4. अनुकूल। [सं-पु.] अनुचर; सेवक।
अनुगम
(सं.) [सं-पु.] तर्कशास्त्र में कोई बात सिद्ध करने के लिए अनेक तत्वों और तथ्यों के आधार पर दिया जाने वाला परिणाम।
अनुगमन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी के पीछे चलना; अनुसरण 2. नकल; अनुकरण 3. समान आचरण 4. विधवा स्त्री का पति के साथ जल मरना 5. अर्थबोध।
अनुगामिता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनुगामी होने की क्रिया या भाव 2. अनुगमन।
अनुगामिनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनुगमन करने वाली; पीछे चलने वाली 2. आज्ञाकारिणी।
अनुगामी
(सं.) [वि.] 1. अनुगमन करने वाला; पीछे चलने वाला; अनुयायी 2. आज्ञाकारी।
अनुगामी समाचार
(सं.) [सं-पु.] किसी प्रकाशित समाचार का क्रमशः विकसित होने वाला आगे का विवरण; (फॉलो-अप)।
अनुगुण
(सं.) [वि.] 1. समान गुणोंवाला 2. अनुकूल; अनुगत। [सं-पु.] अर्थालंकार का एक भेद, जहाँ किसी वस्तु में पहले से मौजूद गुण का किसी अन्य वस्तु के संसर्ग में आने
पर बढ़ना दिखाया जाता है।
अनुगूँज
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रतिध्वनि 2. टकरा कर लौटने वाली ध्वनि 3. देर तक बरकरार रहने वाली ध्वनि।
अनुगृहीत
(सं.) [वि.] जिसे किसी का अनुग्रह प्राप्त हो; उपकृत; अहसानमंद।
अनुग्रह
(सं.) [सं-पु.] 1. कृपा; प्रसाद 2. ईश्वरीय कृपा 3. राज्य की कृपा से प्राप्त सहायता या सुविधा।
अनुग्रहपूर्वक
(सं.) [क्रि.वि.] 1. कृपापूर्वक 2. रियायत के तौर पर 3. अनुग्रह करते हुए।
अनुग्रहशील
(सं.) [वि.] 1. कृपालु; अनुग्रही 2. ख़याल रखने वाला।
अनुग्रहांक
(सं.) [सं-पु.] 1. वे अंक, जो पात्रता न होते हुए भी सिर्फ़ उत्तीर्ण करने के लिए कृपा पूर्वक छात्र को प्रदान किए जाते हैं; (ग्रेस मार्क्स)।
अनुग्रही
(सं.) [वि.] अनुग्रहशील; अनुग्रह प्राप्त।
अनुग्राहक
(सं.) [वि.] अनुग्रह करने वाला; उपकार करने वाला; कृपालु; दयावान।
अनुचर
(सं.) [सं-पु.] 1. नौकर; दास 2. आज्ञाकारी 3. अनुयायी; पीछे चलने वाला 4. साथी।
अनुचिंतन
(सं.) [सं-पु.] 1. सोच-विचार 2. बीती या भूली बात को फिर से स्मरण करना 3. चिंता।
अनुचित
(सं.) [वि.] 1. जो उचित न हो; नामुनासिब; बेजा 2. बुरा।
अनुचितार्थ
(सं.) [सं-पु.] शब्द-दोष का एक भेद, जहाँ कोई पद अनुचित अर्थ का बोध कराए।
अनुच्चरित
(सं.) [वि.] 1. जिसका उच्चारण न हुआ हो 2. जिस वर्ण का उच्चारण बोलने में न होता हो।
अनुच्चारणीय
(सं.) [वि.] 1. जिसका उच्चारण न हो सके; जिसका उच्चारण बहुत मुश्किल हो 2. जिसका उच्चारण वर्जित हो।
अनुच्चारित
(सं.) [वि.] जिसका उच्चारण न किया गया हो; जो न कहा गया हो।
अनुच्छेद
(सं.) [सं-पु.] 1. कट जाने पर भी अलग या नष्ट न होना 2. किसी साहित्यिक रचना,पुस्तक आदि के किसी प्रकरण के अंतर्गत वह विशिष्ट विभाग जिसमें किसी एक विषय या उसके
किसी अंगों की मीमांसा या विवेचना होती है; प्रस्तर; (पैराग्राफ़) 3. किसी नियम अधिनियम आदि का वह अंश जिसमें किसी नियम तथा उसके प्रतिबंधों का उल्लेख होता है
(आर्टिकल)।
अनुज
(सं.) [सं-पु.] बाद में पैदा होने वाला; छोटा भाई।
अनुजवधू
(सं.) [सं-स्त्री.] छोटे भाई की पत्नी।
अनुजीवी
(सं.) [वि.] पराधीन; परतंत्र; परावलंबी; आश्रित। [सं-पु.] सेवक।
अनुज्ञप्त
(सं.) [वि.] 1. (कार्य) जिसके लिए स्वीकृति या अनुज्ञा मिल चुकी हो 2. (व्यक्ति) जिसे अनुज्ञा मिल चुकी हो; (अलाउड)।
अनुज्ञप्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आज्ञा; स्वीकृति; अनुमोदन 2. व्यापार आदि करने का अनुज्ञापत्र; (लाइसेंस)।
अनुज्ञा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनुमति; स्वीकृति 2. आज्ञा; (सैंक्शन, परमिशन) 3. एक तरह का काव्यालंकार जिसमें अच्छे गुण की लालसा में दोषयुक्त वस्तु की भी इच्छा की
जाती है।
अनुज्ञापत्र
(सं.) [सं-पु.] ऐसा पत्र जिसमें किसी को किसी सक्षम अधिकारी से कोई कार्य करने या कुछ लेने की अनुज्ञा या स्वीकृति मिली हो; (परमिट)।
अनुज्ञापन
(सं.) [सं-पु.] 1. अनुज्ञा देने की क्रिया या भाव; अनुमति देना 2. क्षमा करना 3. बतलाना।
अनुतप्त
(सं.) [वि.] पछताने वाला; पश्चातापी; अनुशोची; अफ़सोस करने वाला।
अनुताप
(सं.) [सं-पु.] 1. पछतावा; पश्चाताप 2. दुख 3. जलन; ताप।
अनुतापी
(सं.) [वि.] पश्चाताप करने वाला; अनुतप्त।
अनुतोष
(सं.) [सं-पु.] 1. वह धन आदि जो किसी को प्रसन्न या तुष्ट करने के लिए दिया जाए 2. किसी काम से होने वाला संतोष 3. आनुतोषिक; (ग्रैटिफ़िकेशन)।
अनुतोषण
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी काम में संतुष्ट होने की क्रिया या भाव 2. किसी को कुछ देकर अपने अनुकूल करना।
अनुत्तम
(सं.) [वि.] जो उत्तम न हो।
अनुत्तर
(सं.) [सं-पु.] 1. उत्तर या जवाब न मिलना 2. जैन देवताओं का एक वर्ग। [वि.] निरुत्तर।
अनुत्तरदायी
(सं.) [सं-पु.] 1. जो उत्तरदायी न हो; गैरज़िम्मेदार 2. जो उत्तरदायित्व की परवाह न करे; (इरिस्पॉन्सिबल)।
अनुत्तरित
(सं.) [वि.] जिसका उत्तर न दिया गया हो; जिसका ज़वाब या हल न मिला हो।
अनुत्ताप
(सं.) [सं-पु.] बौद्ध मतानुसार दस क्लेशों में से एक।
अनुत्तीर्ण
(सं.) [वि.] जो किसी परीक्षा में उत्तीर्ण न हुआ हो; (फ़ेल)।
अनुत्पादक
(सं.) [वि.] 1. जो कोई उत्पादन न कर सके 2. व्यर्थ का उद्यम वाला (काम या प्रयास)।
अनुत्सवी
(सं.) [वि.] उत्सवहीन; ठंडी प्रकृति का; ठंडे मिज़ाज का। [सं-पु.] ठंडे मिज़ाज का व्यक्ति।
अनुत्सुक
(सं.) [वि.] जो उत्सुक न हो; उदासीन; निर्लिप्त।
अनुदत्त
(सं.) [वि.] 1. स्वीकृत 2. अनुदान के रूप में दिया गया; माफ़ किया हुआ 3. लौटाया गया।
अनुदर
(सं.) [वि.] 1. जिसकी कमर अत्यंत क्षीण या पतली हो; पतली कमरवाला 2. दुबल-पतला; क्षीण।
अनुदाता
(सं.) [सं-पु.] अनुदान देने वाला; आर्थिक मदद देने वाला।
अनुदात्त
(सं.) [सं-पु.] 1. नीचा स्वर; स्वर के तीन भेदों में से एक। [वि.] 1. जो श्रेष्ठ या महान न हो 2. अनुदार 3. अप्रिय 4. नीचे स्वर में उच्चरित।
अनुदान
(सं.) [सं-पु.] सरकार से मिलने वाली वित्तीय सहायता राशि; आर्थिक मदद।
अनुदार
(सं.) [वि.] 1. जो उदार न हो 2. कठोर 3. संकीर्ण 4. कंजूस; कृपण।
अनुदारता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. संकीर्णता 2. कृपणता; कंजूसी 3. उदारता का अभाव।
अनुदारवादी
(सं.) [वि.] 1. जो उदारवादी न हो; रूढ़िवादी 2. रूढ़िवादी दल से संबद्ध 3. संकीर्ण मानसिकतावाला।
अनुदित
(सं.) [वि.] 1. जो कहा न गया हो; अकथित 2. जो कहने योग्य न हो; अकथनीय 3. जिसका उदय न हुआ हो।
अनुदिन
(सं.) [क्रि.वि.] प्रतिदिन; हर रोज़।
अनुदिष्ट
(सं.) [वि.] 1. जिसे अनुदेश किया गया हो 2. जिसे बतलाया या कहा गया हो।
अनुदृष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी वस्तु का ऐसा दृश्य या रूप जिसमें दूर से देखने पर उसके सब अंग अपने ठीक अनुपात में और एक दूसरे से उचित दूरी पर दिखाई दें;
(पर्सपेक्टिव)।
अनुदेश
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी कार्य की विशेष विधि समझाना; शिक्षा 2. निर्देश; हिदायत 3. संकेत।
अनुदेशक
(सं.) [सं-पु.] 1. अनुदेश या निर्देश देने वाला 2. सीख देने वाला 2. कार्य विधि को समझाने वाला; इशारा करने वाला।
अनुद्धत
(सं.) [वि.] 1. जो उद्धत या उच्छृंखल न हो 2. सौम्य; विनीत; सरल।
अनुद्यत
(सं.) [वि.] 1. जो किसी कार्य के लिए उद्यत या तैयार न हो 2. जो कार्य में तत्पर न हो।
अनुधर्मक
(सं.) [वि.] जो आकृति, गुण, स्वभाव आदि के विचार से किसी के सदृश या समान हो।
अनुधर्मता
(सं.) [सं-स्त्री.] अनुधर्मक होने का भाव या दशा।
अनुधावन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी के पीछे चलना; दौड़ना 2. अनुसरण करना 3. नकल; अनुकरण 4. किसी चीज़ की खोज या अनुसंधान।
अनुध्वनि
(सं.) [सं-स्त्री.] अनुगूँज; प्रतिध्वनि।
अनुनय
(सं.) [सं-पु.] 1. विनय 2. प्रार्थना 3. ख़ुशामद; चिरौरी।
अनुनाद
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रतिध्वनि 2. गूँज; गुंजार 3. ज़ोर की आवाज़।
अनुनादित
(सं.) [वि.] 1. जिसकी गूँज हुई हो 2. जिसमें गूँज हो 3. प्रतिध्वनित।
अनुनादी
(सं.) [वि.] 1. प्रतिध्वनि करने वाला 2. प्रतिध्वनिमूलक 3. गुंजायमान; गूँज पैदा करने वाला।
अनुनासिक
(सं.) [वि.] 1. जिस वर्ण या अक्षर के उच्चारण में वायु मुँह और नाक से निकले, जैसे- न, ण, म आदि 2. नासिका संबंधी।
अनुनासिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. जिन शब्दों के उच्चारण में फेंफड़ों से आती हवा मुँह के साथ नाक से भी निकलती है, हिंदी में यह विशेषता चंद्रबिंदु द्वारा दर्शाई जाती है,
जैसे- अँ 2. अनुनासिक होने की अवस्था या भाव।
अनुनीत
(सं.) [वि.] 1. जिसके विषय में अनुनय किया जाए; प्रार्थित 2. अनुशासित 3. शांत किया हुआ 4. समादृत।
अनुपजाऊ
(सं.) [वि.] 1. जो उपजाऊ न हो 2. अनुर्वर; बंजर।
अनुपत्र
(सं.) [सं-पु.] पौधों के डंठल के साथ निकलने वाला छोटा पत्ता; कोंपल।
अनुपम
(सं.) [वि.] 1. जिसकी कोई उपमा न हो 2. अनूठा, बेजोड़ 3. अतुलनीय; (यूनीक)।
अनुपमा
(सं.) [वि.] जिसकी उपमा न दी जा सकती हो; अनुपम; अतुलनीय। [सं-स्त्री.] अनिंद्य सुंदरी; बेहद ख़ूबसूरत स्त्री।
अनुपयुक्त
(सं.) [वि.] 1. जो उपयुक्त न हो; जो ठीक या काम का न हो 2. अयोग्य 3. अनुचित।
अनुपयुक्तता
(सं.) [सं-स्त्री.] योग्य (उपयुक्त) न होने की दशा या अवस्था; अयोग्यता।
अनुपयोग
(सं.) [सं-पु.] उपयोग या काम में न लाना।
अनुपयोगिता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. उपयोगिता का न होना 2. निरर्थकता 3. लाभदायक न होना।
अनुपयोगी
(सं.) [वि.] 1. जो उपयोगी न हो; जो काम का न हो 2. व्यर्थ का; फालतू।
अनुपलब्ध
(सं.) [वि.] 1. जो उपलब्ध न हो 2. न मिला हुआ 3. अप्राप्त 4. अज्ञात।
अनुपस्थित
(सं.) [वि.] जो उपस्थित न हो; गैरहाज़िर; (ऐब्सेंट)।
अनुपस्थिति
(सं.) [सं-स्त्री.] गैरहाज़िरी; गैरमौज़ूदगी; अविद्यमानता; (ऐब्सेंस)।
अनुपात
(सं.) [सं-पु.] 1. एक वस्तु का दूसरी वस्तु से सापेक्षिक संबंध 2. त्रैराशिक; गणित की क्रिया 3. मान, माप आदि की तुलना के विचार से परस्पर संबंध या अपेक्षा;
तुलनात्मक स्थिति; (प्रोपोर्शन)।
अनुपाती
(सं.) [वि.] 1. जो ठीक अनुपात में हो 2. जो उचित मात्रा में हो 3. अनुपात संबंधी; आनुपातिक।
अनुपान
(सं.) [सं-पु.] औषधि के आगे या पीछे सेवन की जाने वाली वस्तु।
अनुपाय
(सं.) [वि.] जिसके पास कोई उपाय न हो; जिसके लिए कोई मार्ग या उपाय न रह गया हो।
अनुपालन
(सं.) [सं-पु.] 1. रक्षण 2. आज्ञा का ठीक से पालन; (ऑब्ज़र्वेंस) 3. आदेश पर अमल; क्रियान्वयन 4. किसी आदेश या पत्र को ठीक स्थान पर पहुँचाने का काम; तामील;
(सर्विस)।
अनुपूरक
(सं.) [वि.] अभाव, कमी या त्रुटि आदि की पूर्ति के लिए जोड़ा, बढ़ाया या लगाया गया (अंश); (सप्लिमेंटरी)।
अनुपूरण
(सं.) [सं-पु.] कमी, अभाव या त्रुटि आदि की पूर्ति करने के लिए बाद में बढ़ाया गया या जोड़ा गया तत्व; (सप्लिमेंट)।
अनुप्रमाणन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु या बात की सत्यता को प्रमाणित करना 2. प्रमाणीकरण 3. तसदीक करना; (अटेस्टेशन)।
अनुप्रमाणित
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. जिसका अनुप्रमाणन हुआ हो 2. तसदीक किया हुआ; (अटेस्टेड)।
अनुप्रयुक्त समाजशास्त्र
(सं.) [सं-पु.] प्रायोगिक या व्यावहारिक समाजशास्त्र; (अप्लायड सोशियोलॉज़ी)।
अनुप्रयोग
(सं.) [सं-पु.] किसी सिद्धांत या अनुशासन का व्यावहारिक प्रयोग; (एप्लिकेशन)।
अनुप्रयोजन
(सं.) [सं-पु.] 1. अनुप्रयोग करने की क्रिया या भाव; अनुप्रयोग करना 2. आवृत्ति; फिर से अमल में लाना।
अनुप्रस्थ
(सं.) [वि.] चौड़ाई के बल; चौड़ाई के मुताबिक; आड़ा; (लैटिट्यूडिनल)।
अनुप्रस्थता
(सं.) [सं-स्त्री.] चौड़ाई की काट; चौड़ाई की काट वाली सतह; अनुप्रस्थ-काट।
अनुप्राणन
(सं.) [सं-पु.] 1. प्राण संचार करना; प्राण डालना 2. जीवन का संचार करना 3. उत्साह; प्रेरणा देना 4. स्फुरण; प्रेरण।
अनुप्राणित
(सं.) [वि.] 1. जिसमें जीवन का संचार किया गया हो 2. प्रेरित; प्रेरणा प्राप्त।
अनुप्रापण
(सं.) [सं-पु.] 1. वसूली करने की क्रिया या भाव; वसूली 2. कर, दंड आदि के रूप में धन उगाहना; (कलेक्शन)।
अनुप्राप्त
(सं.) [वि.] 1. जिसका अनुप्रापण हुआ हो 2. उगाहा या इकट्ठा किया हुआ 3. वसूला हुआ।
अनुप्राप्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धन उगाहने या इकट्ठा करने की क्रिया या भाव 2. वसूली 3. लाभ।
अनुप्राशन
(सं.) [सं-पु.] भोजन; खाना।
अनुप्रास
(सं.) [सं-पु.] 1. शब्दालंकार का एक भेद जिसमें किसी ख़ास वर्ण की अथवा किसी ख़ास वर्ग के वर्णों की आवृत्ति होती है 2. वर्ण-साम्य; वर्णवृत्ति; वर्ण मैत्री।
अनुप्रेरित
(सं.) [वि.] जो किसी प्रेरणा से प्रेरित हो; जिसे प्रेरित किया गया हो।
अनुबंध
(सं.) [सं-पु.] 1. संबंध (को-रिलेशन) 2. सिलसिला 3. समझौता; करार; (एग्रिमेंट) 4. प्रकरण 5. आरंभ 6. फल; नतीजा 7. उद्देश्य; नीयत 8. बंधन 9. (इंगेजमेंट)।
अनुबंध-पत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. वह पत्र जिसमें किसी अनुबंध की शर्तें लिखी हों 2. इकरारनामा; (एग्रिमेंट)।
अनुबंधित
(सं.) [वि.] अनुबद्ध; अनुबंध किया हुआ।
अनुबद्ध
(सं.) [वि.] लगाव रखने वाला; जुड़ा हुआ; संबद्ध; (एग्रीड)।
अनुबोध
(सं.) [सं-पु.] 1. स्मरण 2. पाठ के बाद होने वाला स्मरण।
अनुबोधक
(सं.) [वि.] 1. अनुबोध करने वाला; अनुबोध कराने वाला 2. आलोक-पत्र।
अनुबोधन
(सं.) [सं-पु.] विषय या बात स्मरण कराने की क्रिया या भाव।
अनुभव
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रत्यक्ष ज्ञान 2. संवेदन 3. प्रयोग-परीक्षण से प्राप्त ज्ञान 4. व्यवहार से उपलब्ध संज्ञान 5. तज़ुर्बा; अहसास; (एक्सपीरिएंस)।
अनुभवप्रसूत
(सं.) [वि.] अनुभव से उत्पन्न; अनुभव से ज्ञात।
अनुभववाद
(सं.) [सं-पु.] एक सिद्धांत जिसके अनुसार मानव में ज्ञान की उत्पत्ति जन्मजात नहीं, बल्कि जीवनानुभवों तथा परीक्षणों से होती है; (इंपरिसिज़म)।
अनुभवशील
(सं.) [वि.] 1. प्रत्यक्षज्ञान और व्यवहार में प्रवृत्त 2. संवेदनशील।
अनुभवशून्य
(सं.) [वि.] 1. अनुभवहीन; जिसे जीवन का कोई ख़ास व्यावहारिक ज्ञान न हो 2. अबोध 3. संवेदनहीन।
अनुभवसमृद्ध
(सं.) [वि.] 1. अत्यधिक अनुभवी 2. पूर्ण अनुभवी 3. जिसके पास बहुत अनुभव हो।
अनुभवसिद्ध
(सं.) [सं-स्त्री.] जो अनुभव से प्रमाणित हो; जो व्यवहार से परीक्षित हो।
अनुभवहीन
(सं.) [वि.] 1. जिसे कोई अनुभव न हो 2. नादान।
अनुभवहीनता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनुभवशून्यता; अनुभव आदि का न होना 2. संवेदनहीनता।
अनुभवी
(सं.) [वि.] अनुभवसंपन्न; तज़ुर्बेकार।
अनुभाग
(सं.) [सं-पु.] वर्ग; अनुखंड; उपखंड; (सेक्शन)।
अनुभागीय
(सं.) [वि.] 1. अनुभाग संबंधी 2. किसी उपविभाग या अंश से संबंधित।
अनुभाजन
(सं.) [सं-पु.] 1. वह क्रिया जिसमें कोई चीज़ या वस्तु लोगों को उनकी आवश्यकता अनुसार उनके अंश या हिस्से के आधार पर दे दी जाती है; (रैशनिंग)।
अनुभाव
(सं.) [सं-पु.] 1. महिमा 2. बड़ाई 3. प्रभाव 4. दृढ़विश्वास 5. (काव्यशास्त्र) किसी रस की अनुभूति होने पर विशिष्ट मानसिक और शारीरिक व्यापार का होना 6. किसी
वस्तु, व्यक्ति आदि में विशेष रूप से पाए जाने वाले लक्षण या गुण।
अनुभावी
(सं.) [वि.] 1. जिसमें अनुभव कराने की शक्ति हो 2. साक्षी जिसने सारी घटना अपनी आँखों से देखी हो; अक्षिसाक्षी; (आई विटनेस)।
अनुभाव्य
(सं.) [वि.] 1 जिसका अनुभव किया जा सकता हो या किया जाने को हो; जो अनुभव के योग्य हो 2. प्रशंसा या बड़ाई के योग्य 3. (गुण या लक्षण) जो किसी में विशेष रूप से
पाया जा सकता हो।
अनुभूत
(सं.) [वि.] जिसका अनुभव किया गया हो; अनुभवसिद्ध; परीक्षित।
अनुभूति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अहसास; संवेदना; अनुभव 2. न्याय-शास्त्र के अनुसार अनुमिति, उपमिति, शब्दबोध और प्रत्यक्ष द्वारा प्राप्त ज्ञान।
अनुभूतिगम्य
(सं.) [वि.] जिसका अहसास किया जा सके; जिसे अनुभूति से जाना जा सके।
अनुभूतिजन्य
(सं.) [वि.] 1. अनुभूति से उत्पन्न होने वाला 2. निजी अनुभवों से उत्पन्न।
अनुभूयमान
(सं.) [वि.] जिसका ज्ञान अनुभूति से प्राप्त हुआ हो।
अनुमत
(सं.) [सं-पु.] 1. आज्ञा 2. सहमति 3. अनुमति 4. प्रेम। [वि.] 1. जिसे अनुमति या स्वीकृति मिल चुकी हो 2. सम्मत 3. मनोरम 4. प्रिय; रुचिर।
अनुमति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी कार्य को करने की इजाज़त; स्वीकृति; (एस्सेंट) 2. अनुज्ञा; (परमिशन)।
अनुमतिपत्र
(सं.) [सं-पु.] स्वीकृतिपत्र; आदेशपत्र; हुक्मनामा।
अनुमरण
(सं.) [सं-पु.] स्त्री का पति के शव के साथ जलकर मर जाना; स्त्री का सती होना।
अनुमान
(सं.) [सं-पु.] 1. अंदाज़ा; अटकल 2. प्रत्यक्ष से अप्रत्यक्ष का ज्ञान, जैसे- धुएँ से आग का ज्ञान 3. भावना; विचार 4. न्यायशास्त्र के माने हुए चार प्रमाणों में
से एक 5. (काव्यशास्त्र) अलंकार का एक भेद।
अनुमानतः
(सं.) [क्रि.वि.] अनुमान के तौर पर; अनुमान से।
अनुमानित
(सं.) [वि.] 1. अनुमान लगाया हुआ 2. लगभग; तकरीबन; अंदाज़न; (एस्टिमेटिड)।
अनुमिति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनुमान; अंदाज़ा 2. अनुमान द्वारा हासिल ज्ञान।
अनुमितिवाद
(सं.) [सं-पु.] रससूत्र की व्याख्या के संदर्भ में शंकुक का मत जिसके अनुसार तमाम कारक तत्वों के प्रयत्नपूर्वक अर्जन के बाद अनुमान के बल पर स्थायीभाव का
अनुकरण किया जाता है और वह अनुकर्ता में प्रतीयमान होता है।
अनुमेय
(सं.) [वि.] अनुमान करने योग्य; जिसे अनुमान से जाना जा सके।
अनुमोद
(सं.) [सं-पु.] 1. अनुमोदन; प्रसन्नता प्रकट करना 2. सहानुभूतिजन्य प्रसन्नता 3. समर्थन 4. सहमति प्रकट करना 5. किसी के मत या सुझाव को ठीक समझकर अपनी स्वीकृति
देना; (अप्रूवल)।
अनुमोदक
(सं.) [सं-पु.] 1. अनुमोदन करने वाला व्यक्ति 2. समर्थन करने वाला व्यक्ति।
अनुमोदन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी के मत या कार्य पर सहमति प्रकट करना 2. समर्थन 3. संस्तुति; (एप्रूवल)।
अनुमोदनीय
(सं.) [वि.] 1. अनुमोदन के योग्य 2. सहमति या समर्थन के योग्य।
अनुमोदित
(सं.) [वि.] 1. संस्तुत 2. समर्थित 3. सम्मति-प्राप्त।
अनुयाचक
(सं.) [सं-पु.] अनुयाचन करने वाला व्यक्ति; (कन्वेसर)।
अनुयाचन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी को समझा-बुझाकर, अनुरोधपूर्वक अपने अनुकूल करते हुए कोई काम कराने के लिए कहना; (कन्वेसिंग)।
अनुयान
(सं.) [सं-पु.] 1. वह यान जिसे कोई दूसरा यान खींचता हो; (ट्रेलर) 2. किसी के पीछे चलना; अनुगमन।
अनुयायी
(सं.) [सं-पु.] 1. अनुसरण करने वाला; अनुचर; चेला; शिष्य 2. किसी सिद्धांत के आदर्शों का अनुगामी; (फॉलोअर)।
अनुयोक्ता
(सं.) [सं-पु.] 1. अनुयोग या पूछताछ करने वाला 2. अनुशिक्षक; (ट्यूटर)।
अनुयोग
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रश्न करना; पूछना (क्वेश्चन) 2. संदेह दूर करने के लिए या सत्यता की जाँच करने के लिए किया गया प्रश्न; पूछताछ (क्वैरी) 3. डाँट-फटकार;
भर्त्सना।
अनुरंजक
(सं.) [वि.] 1. अनुरंजन, प्रसन्न या संतुष्ट करने वाला 2. मन बहलाने वाला।
अनुरंजन
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रसन्नता या संतुष्टि 2. रंग से युक्त करना; रँगना 3. अनुराग; प्रीति 4. आसक्ति; मन-बहलाव।
अनुरंजित
(सं.) [वि.] 1. जिसका अनुरंजन किया गया हो 2. जिसका दिल बहलाया गया हो 3. अनुरक्त।
अनुरक्त
(सं.) [वि.] 1. अनुरागयुक्त; प्रेमी 2. आसक्त 3. प्रसन्न 4. लाल।
अनुरक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आसक्ति; अति अनुराग 2. प्रेम; (अफ़ेक्शन)।
अनुरक्षक
(सं.) [सं-पु.] 1. सुरक्षा प्रदान करने वाला 2. किसी की रक्षा हेतु साथ-साथ चलने वाला; सुरक्षा कमांडो।
अनुरक्षण
(सं.) [सं-पु.] सुरक्षा प्रदान करने की क्रिया; (मेंटेनेंस)।
अनुरणन
(सं.) [सं-पु.] 1. गूँज; किसी चीज़ के बोलने या बजने की ध्वनि, जैसे- घंटी की ध्वनि 2. कथन की व्यंजना 3. संगीत शास्त्र में, स्वर का वह मुख्य स्वरूप जो नाद या
शब्द की लहरों के क्रम से उत्पन्न होकर कुछ देर में लीन या समाप्त हो जाता है।
अनुराग
(सं.) [सं-पु.] 1. आसक्ति 2. प्रेम 3. लगाव; सौहार्द।
अनुरागी
(सं.) [वि.] 1. अनुराग करने वाला; प्रेमी 2. भक्त 3. आसक्त।
अनुराध
(सं.) [सं-पु.] 1. विनय; विनती 2. याचना; प्रार्थना।
अनुराधा
(सं.) [सं-स्त्री.] (ज्योतिष) सत्ताईस नक्षत्रों में सत्रहवाँ नक्षत्र।
अनुरूप
(सं.) [वि.] 1. सदृश; समरूप 2. अनुसार; मुताबिक 2. अनुकूल।
अनुरूपक
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जो किसी वस्तु के अनुरूप या अनुकरण पर बना हो 2. मूर्ति; प्रतिमा 3. समान या मिलती-जुलती वस्तु।
अनुरूपता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी के अनुरूप होने की अवस्था या भाव 2. समानता; सादृश्य 3. अनुकूलता 4. उपयुक्तता।
अनुरेखन
(सं.) [सं-पु.] किसी रेखाचित्र पर पारदर्शी कागज़ रख कर नीचे के रेखाचित्र की अनुकृति बनाने की क्रिया; (ट्रेसिंग)।
अनुरोदन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए रोना 2. संवेदना प्रकट करना।
अनुरोध
(सं.) [सं-पु.] 1. विशेष आग्रह; निवेदन 2. विनय; विनती; प्रार्थना।
अनुरोधपूर्ण
(सं.) [वि.] आग्रहपूर्ण; विनययुक्त।
अनुर्वर
(सं.) [वि.] जो उर्वर या उपजाऊ न हो; बंजर; ऊसर।
अनुर्वरीकरण
(सं.) [सं-पु.] बंजर बनाना; अप्राकृतिक खाद-कीटनाशक आदि के प्रयोग से ज़मीन की उर्वराशक्ति को नष्ट करना।
अनुलंब
(सं.) [सं-पु.] 1. मानसिक अनिश्चितता की अवस्था जिसमें किसी चीज़ का निश्चय न हुआ हो, पर अभी होने को हो; (सस्पेंस)।
अनुलंबन
(सं.) [सं-पु.] 1. विलंबन 2. अस्थायी रूप से किसी को कार्य करने से रोकना 3. मुअत्तल करना; (सस्पेंशन)।
अनुलग्न
(सं.) [वि.] 1. संलग्न; नत्थी 2. किसी के साथ लगा, मिला या जुड़ा हुआ; (अटैच्ड; एनक्लोज़्ड)।
अनुलग्नक
(सं.) [सं-पु.] संलग्नक; संलग्न सामग्री।
अनुलब्धि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. उपलब्धि; प्राप्ति; हासिल 2. कमाई; अर्जन।
अनुलाप
(सं.) [सं-पु.] 1. कही हुई बात फिर से कहना या दुहराना 2. पुनरुक्ति; दोहराव।
अनुलाभ
(सं.) [सं-पु.] मुनाफ़ा; फ़ायदा; लाभ।
अनुलिखित
(सं.) [वि.] 1. अनुलेख के रूप में लाया हुआ; नकल किया हुआ 2. औपचारिक कागज़ात पर सहमति सूचक हस्ताक्षर सहित; (एंडोर्स्ड)
अनुलिपि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रतिलिपि; किसी आलेख वगैरह की हू-ब-हू नकल 2. दूसरी प्रति।
अनुलेख
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रतिलिपि; नकल 2. औपचारिक कागज़ात पर अपनी सहमति अंकित कर उसका दायित्व स्वयं पर लेना; (एंडोर्समेंट)।
अनुलेखन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी घटना या कार्य का लेख तैयार करना 2. प्रतिलिपि; नकल तैयार करना।
अनुलेपन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी के ऊपर लेप लगाना या चढ़ाना 2. शरीर में सुगंधित लेप लगाना 3. लीपने का कार्य।
अनुलोम
(सं.) [वि.] 1. ऊँचे से नीचे की ओर उतरने वाला; अवरोही 2. यथाक्रम 3. अविलोम। [सं-पु.] 1. ऊपर से नीचे उतरने का क्रम; अवरोह 2. संगीत में सुरों का उतार या
अवरोह।
अनुल्लंघन
(सं.) [सं-पु.] 1. उल्लंघन न करना 2. अवहेलना न करना।
अनुल्लंघनीय
(सं.) [वि.] जिसके उल्लंघन की सख़्त मनाही हो; जिसका अनुपालन अनिवार्य हो।
अनुल्लिखित
(सं.) [वि.] 1. जिसका उल्लेख न हुआ हो 2. जो अभी तक कहा न गया हो।
अनुवंश
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी वंश का परंपरागत इतिहास; वंशवृत्त; वंशतालिका 2. वंशवृक्ष 3. वंश-परंपरा।
अनुवचन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी की बात को दुहराना या फिर से कहना 2. किसी बात का आशय स्पष्ट करना; व्याख्या; अर्थापन 3. अध्याय; प्रकरण 4. खंड; भाग; हिस्सा।
अनुवर्तन
(सं.) [सं-पु.] 1. अनुसरण; अनुगमन 2. समानता; उपयुक्तता 3. आज्ञा-पालन 4. परिणाम; नतीजा।
अनुवर्ती
(सं.) [वि.] 1. अनुगामी; अनुयायी; अनुसरण करने वाला 2. आज्ञाकारी 3. बाद में आने वाला 4. उपयुक्त 5. समान।
अनुवाक
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी ग्रंथ विशेषतः वेदों का कोई अध्याय या प्रकरण 2. ग्रंथ का खंड या विभाग 3. कही हुई बात को दोहराना।
अनुवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. भाषांतर; रूपांतर; तरजुमा 2. पुनः कथन; दुहराव; पुनरुक्ति 3. एक भाषा में लिखी हुई बात को दूसरी भाषा में लिखने का कार्य।
अनुवादक
(सं.) [सं-पु.] 1. अनुवाद करने वाला 2. एक भाषा में कही गई बात को दूसरी भाषा में कहने या संप्रेषित करने वाला।
अनुवादकीय
(सं.) [सं-पु.] अनुवादक का वक्तव्य। [वि.] अनुवाद संबंधी।
अनुवादित
(सं.) [वि.] अनूदित; रूपांतरित; भाषांतर किया हुआ; भाषांतरित।
अनुवाद्य
(सं.) [वि.] 1. अनुवाद करने योग्य; अनूद्य 2. जिसका अनुवाद होना हो; अनुवाद के लिए पेश।
अनुविष्ट
(सं.) [वि.] 1. जो जानकारी अभिलेख के रूप में या सूचीबद्ध करने के लिए उपयुक्त स्थान पर लिख ली गई हो 2. लेखा पुस्तिका या रजिस्टर पर चढ़ाया या लिखा हुआ;
(एंटर्ड)।
अनुवीक्षण
(सं.) [सं-पु.] 1. सूक्ष्म निरीक्षण 2. जाँच-परख 3. गौर से देखना 4. देखरेख।
अनुवृत्त
(सं.) [वि.] 1. जिसका अनुकरण या अनुसरण किया गया हो 2. अनुसरण या आज्ञपालन करने वाला 3. सच्चरित्र 4. अतीत संबंधी। [सं-पु.] वह जिसे अनुवृत्ति मिलती हो;
अनुवृत्ति (पेंशन) पाने वाला; (पेंशनर)।
अनुवृत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक बार कही या पढ़ी हुई चीज़ फिर से दोहराना; आवृत्ति 2. अनुसरण वृत्ति या वेतन का वह प्रकार जो कर्मचारी के भरण पोषण के लिए मिलता है;
(पेंशन)।
अनुवृत्तिक
(सं.) [वि.] 1. अनुवृत्ति का; अनुवृत्ति संबंधी 2. जिसके लिए अनुवृत्ति मिलती हो; (पेंशनेबल)।
अनुवृत्तिधारी
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जिसे अनुवृत्ति मिलती हो 2. पेंशन पाने वाला व्यक्ति; (पेंशनर)।
अनुव्रजन
(सं.) [सं-पु.] 1. आज्ञापालन 2. विदा करते समय मेहमान के साथ कुछ दूर तक जाना।
अनुव्रत
(सं.) [वि.] 1. विश्वास भाजन 2. निर्धारित कर्तव्य का समुचित रूप से पालन करने वाला; श्रद्धा करने वाला। [सं-पु.] एक प्रकार का जैन साधु।
अनुशंसा
(सं.) [सं-स्त्री.] संस्तुति; सिफ़ारिश; (रिक्मेंडेशन)।
अनुशंसात्मक
(सं.) [वि.] सिफ़ारिशी; संस्तुतिपरक।
अनुशंसित
(सं.) [वि.] जिसकी अनुशंसा या सिफ़ारिश की गई हो; (रिक्मेंडेड)।
अनुशय
(सं.) [सं-पु.] 1. पुरानी लड़ाई; रंजिश 2. झगड़ा; विवाद 3. काम से मिलने वाली छुट्टी 4. आज्ञा या कार्य को रद्द करना; (रिवोकेशन)।
अनुशयाना
(सं.) [सं-स्त्री.] (साहित्य) वह परकीया नायिका जो अपने प्रिय के मिलन स्थल के नष्ट हो जाने या अपने प्रिय के मिलने के स्थान पर न पहुँचने से दुखी हो।
अनुशासक
(सं.) [वि.] 1. अनुशासन करने वाला; अनुशासन में रखने वाला 2. प्रशासक 3. उपदेश या शिक्षा देने वाला।
अनुशासन
(सं.) [सं-पु.] 1. नियमबद्ध आचरण; नियमों का अनुपालन; (डिसिप्लिन) 2. नियंत्रण; शासन 3. आदेश 4. शिक्षण 4. किसी विषय का निरूपण।
अनुशासनहीन
(सं.) [वि.] 1. नियम और मर्यादा का पालन न करने वाला 2. उच्छृंखल; अराजक 3. लापरवाह; मनमौजी।
अनुशासनिक
(सं.) [वि.] 1. अनुशासन संबंधी 2. जो अनुशासन के रूप में हो; (डिसिप्लिनरी)।
अनुशासित
(सं.) [वि.] 1. मर्यादित 2. नियंत्रित 3. अनुशासनबद्ध; (डिसिप्लिंड)।
अनुशिक्षण
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रशिक्षण 2. अभ्यास।
अनुशीर्षक
(सं.) [सं-पु.] पत्र-पत्रिकाओं में समाचारों या आलेखों में मुख्य शीर्षक के नीचे का अथवा बीच में दिया गया छोटा शीर्षक।
अनुशीलन
(सं.) [सं-पु.] 1. चिंतन; मनन 2. मंथन 3. गंभीरतापूर्वक सतत अभ्यास 4. नियमित गहन अध्ययन।
अनुशीलनकर्ता
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जो अनुशीलन करता हो 2. मनन, चिंतन करने वाला व्यक्ति।
अनुश्रुत
(सं.) [वि.] 1. जिसे बहुत दिनों से लोग सुनते आ रहे हों 2. परंपरा से सुना गया; (लीजेंडरी)।
अनुश्रुति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. परंपरा से चली आ रही कोई कथा या बात 2. अनुश्रव 3. कथा; उक्ति; (लीजेंड)।
अनुषंग
(सं.) [सं-पु.] 1. संबंध; लगाव 2. कोई शब्द जिसका दूसरे शब्द के साथ अथवा कारण और कार्य का संबंध हो 3. प्रसंग से संबद्ध अवश्यंभावी परिणाम 4. न्यायशास्त्र के
अनुसार उपनय और निगमन में सर्वनाम आदि के द्वारा संबंध-स्थापन।
अनुषंगी
(सं.) [वि.] 1. किसी कार्य, विषय या तथ्य के बाद सहायक या संबद्ध रूप में होने वाला 2. किसी कार्य से निकलने वाला अनिवार्य परिणाम 3. संबंधी 4. आसक्त 5. सहायक।
अनुषक्त
(सं.) [वि.] 1. संलग्न; साथ लगा हुआ 2. संबद्ध; जुड़ा हुआ।
अनुष्टुप
(सं.) [सं-पु.] बत्तीस अक्षरों का एक प्रसिद्ध छंद जिसके प्रत्येक चरण में आठ वर्ण होते हैं।
अनुष्ठान
(सं.) [सं-पु.] 1. अभीष्ट प्राप्ति के लिए संकल्पित मांगलिक कर्मकांड; सुफल और सफलता के लिए देवी-देवता का आराधन 2. धार्मिक कृत्य; यज्ञ 3. कोई कार्य करना 4.
कार्यारंभ।
अनुष्ठानिक
(सं.) [वि.] 1. अनुष्ठान या यज्ञ से संबंधित 2. अनुष्ठानपरक; अनुष्ठान की तरह का।
अनुसंधान
(सं.) [सं-पु.] 1. निश्चित उद्देश्य की प्राप्ति हेतु तथ्यों को एकत्र करके निष्कर्ष की खोज; अन्वेषण 2. प्रयत्न 3. जाँच-पड़ताल; (इन्वेस्टिगेशन)।
अनुसंधि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गुप्त परामर्श (मंत्रणा) या संधि 2. कुचक्र; षड्यंत्र 3. तलाश; अनुसंधान।
अनुसंधित्सु
(सं.) [वि.] 1. अनुसंधान करने वाला 2. शोधार्थी।
अनुसरण
(सं.) [सं-पु.] 1. पीछे चलना; अनुगमन 2. अनुकरण 3. अनुकूल आचरण।
अनुसार
(सं.) [सं-पु.] 1. अनुसरण 2. किसी के सदृश। [वि.] मुताबिक; अनुकूल; अनुरूप।
अनुसूचक
(सं.) [वि.] निर्धारित नियमों की सूचना देने वाला।
अनुसूचन
(सं.) [सं-पु.] नियमावली की सूचना जारी करना।
अनुसूचित
(सं.) [वि.] 1. अनुसूची में लाया हुआ; अनुसूची में शामिल 2. जिसे अनुसूची में शामिल या निर्दिष्ट किया गया हो (जैसे- जातियाँ, भाषाएँ)।
अनुसूची
(सं.) [सं-स्त्री.] पीछे जोड़ी गई सूची; परिशिष्ट के रूप में व्यवस्थित सूची जिसमें विवरण, नियमावली आदि दी गई हो; (शेड्यूल)।
अनुसेवा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी चीज़ का औज़ार या संसाधन के रूप में इस्तेमाल 2. आदी होना।
अनुसेवी
(सं.) [वि.] 1. किसी चीज़ का संसाधन के रूप में इस्तेमाल करने वाला 2. आदी; आदतन करने वाला; अभ्यासवश कोई कार्य करने वाला।
अनुस्मरण
(सं.) [सं-पु.] 1. भूली हुई बातों को फिर से याद करना 2. बार-बार स्मरण 3. याददाश्त से टटोल कर कुछ निकालना; (रिकलेक्शन)।
अनुस्मृति
(सं.) [सं-स्त्री.] वह स्मृति या स्मरण जो अपेक्षाकृत अधिक प्रिय हो।
अनुस्यूत
(सं.) [वि.] 1. गूँथा या पिरोया हुआ 2. सिला हुआ 3. क्रमबद्ध 4. परस्पर मिला हुआ।
अनुस्वार
(सं.) [सं-पु.] 1. स्वर के बाद उच्चरित होने वाला एक नासिक्य व्यंजन या वर्ण जिसका चिह्न है (ं), जैसे- कं 2. हिंदी में वर्ण के ऊपर की बिंदी जो नासिक्य व्यंजन
या अनुनासिकता की सूचक होती है।
अनुहर्ता
(सं.) [सं-पु.] नकल उतारने वाला व्यक्ति।
अनुहार
(सं.) [वि.] 1. समान; सदृश; तुल्य 2. अनुकूल; अनुसार। [सं-स्त्री.] 1. प्रकार; भेद 2. चेहरे की बनावट; मुखारी 3. नकल; प्रतिकृति 4. सादृश्य।
अनूठा
[वि.] 1. अद्भुत; अनोखा 2. विलक्षण 3. सुंदर।
अनूठापन
(सं.) [सं-पु.] 1. अनोखापन 2. विरलता 3. अपूर्व सुंदरता 4. अद्भुत या चकित करने वाली ख़ासियत।
अनूढ़ा
(सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) परकीया नायिका का एक भेद; अविवाहित अवस्था में ही किसी पुरुष से प्रेम करने वाली स्त्री।
अनूदित
(सं.) [वि.] 1. अनुवाद किया हुआ; तरजुमा किया हुआ 2. कथ्य या भाव का भाषांतरण।
अनूद्य
(सं.) [वि.] अनुवाद करने योग्य; अनुवाद्य।
अनूप
(सं.) [वि.] 1. उपमा रहित; बेजोड़; अनुपम 2. अति सुंदर। [सं-पु.] 1. जलप्राय स्थान या देश 2. दलदल 3. तालाब 4. मेंढक 5. नदी का किनारा।
अनृत
(सं.) [सं-पु.] मिथ्या; असत्य; झूठ। [वि.] 1. झूठा 2. उलटा 3. अन्यथा।
अनेक
(सं.) [वि.] एक से अधिक (संख्यावाची); कई; बहुत।
अनेकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक से अधिक होने का भाव; बहुत्व; बहुलता 2. विविधता।
अनेकत्व
(सं.) [सं-पु.] 1. अनेकता; बहुतायत; अधिकता; बहुलता 2. विविधता 3. विभिन्नता।
अनेकविध
(सं.) [वि.] कई प्रकार का; तरह-तरह का। [क्रि.वि.] कई प्रकार से; नाना प्रकार से।
अनेकांत
(सं.) [वि.] 1. जहाँ एकांत न हो 2. अनिश्चित; बदलने वाला; जिसके बारे में कोई एक पक्का मत न हो 3. जिसके अंत में अनेक हों।
अनेकांतवाद
(सं.) [सं-पु.] जैन दर्शन का स्यादवाद, जिसके अनुसार सत्य तक पहुँचने के कई मार्ग हो सकते हैं।
अनेकांश
(सं.) [सं-पु.] कई सारे अंश; प्रदत्त संख्या में से अधिकतर।
अनेकानेक
(सं.) [वि.] असंख्य; कई सारे; बहुत सारे।
अनेकार्थक
(सं.) [वि.] 1. अनेक अर्थों वाला 2. जिसके अनेक अर्थ हों 3. विविधार्थक।
अनेकार्थता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनेक अर्थ होने की अवस्था और गुण-धर्म; बहुअर्थता 2. श्लिष्टता।
अनैकांतिक
(सं.) [वि.] अस्थिर।
अनैक्य
(सं.) [सं-पु.] 1. एकता या एका का न होना 2. अनेकता; बहुलता 3. फूट; मतभेद।
अनैच्छिक
(सं.) [वि.] अनिच्छा से किया गया; जिसके पीछे स्वयं की इच्छा न हो।
अनैठ
[सं-पु.] 1. बाज़ार न लगने का दिन 2. वह दिन जिसमें पैठ या बाज़ार न लगता हो।
अनैतिक
(सं.) [वि.] 1. जो नीति के विरुद्ध हो; जो नैतिक न हो 2. अनुचित; अवांछित 3. सदाचार के विरुद्ध; (इमॉरल)।
अनैतिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनैतिक होने की अवस्था या भाव; मर्यादाहीनता 2. आचरणविहीनता 3. नैतिकता के मानों से रहित होना; (इमॉरैलिटी)।
अनैतिहासिक
(सं.) [वि.] 1. जो इतिहास में न आया हो; जो इतिहास से सिद्ध न हो 2. जो इतिहास में घटित न हुआ हो; काल्पनिक (कथा)।
अनैसर्गिक
(सं.) [वि.] 1. निसर्ग या प्रकृति के विरुद्ध; अप्राकृतिक 2. अस्वाभाविक; (अननैचुरल)।
अनोखा
(सं.) [वि.] 1. जिसे पहले कभी न देखा हो; अनपेक्षित; विचित्र 2. विलक्षण; अद्भुत 3. अनूठा 4. सुंदर।
अनोखापन
[सं-पु.] 1. अनूठापन 2. विलक्षणता 3. विचित्रता।
अनौचित्य
(सं.) [सं-पु.] 1. औचित्य की कमी या अभाव 2. किसी चीज़ का अनुचित, नामुनासिब या आपत्तिजनक होना।
अनौपचारिक
(सं.) [वि.] 1. जो औपचारिक न हो; सहज; जो बनावटी न हो; जो बद्ध नियमों से शासित न हो 2. आत्मीय; (इनफ़ॉर्मल)।
अनौपचारिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सहजता 2. बेतकल्लुफ़ी 3. आत्मीयता।
अन्न
(सं.) [सं-पु.] 1. अनाज; शस्य 2. अनाज से बना भोजन। [मु.] -जल छोड़ देना या त्याग देना : भोजन-पानी ग्रहण न करना।
अन्नकूट
(सं.) [सं-पु.] 1. मिठाई या भात का ढेर 2. कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को होने वाला एक उत्सव या त्योहार जिसमें अन्न से बने पकवान देवता को चढ़ाए जाते हैं।
अन्नचोर
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जो अनाज छिपाकर रखे और बाज़ार में मँहगे भाव से बेचे 2. अन्न की कालाबाज़ारी करने वाला व्यक्ति।
अन्न-जल
(सं.) [सं-पु.] 1. भोजन; भोज्य-सामग्री 2. आजीविका 3. किसी स्थान पर निवास का सूचक, जैसे- यहाँ से हमारा अन्न-जल उठ गया।
अन्नदाता
(सं.) [सं-पु.] 1. भरण-पोषण करने वाला व्यक्ति; स्वामी 2. {अ-अ.} मालिक या राजा के लिए संबोधन।
अन्नदोष
(सं.) [सं-पु.] 1. अन्न खाने से होने वाला दोष या विकार 2. निषिद्ध या वर्जित क्षेत्र या व्यक्ति का अन्न खाने से होने वाला दोष।
अन्नपूर्णा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अन्न की अधिष्ठात्री देवी 2. दुर्गा का एक रूप 3. (पुराण) शिव की पत्नी जो सबको भोजन देने वाली मानी जाती हैं 4. सबके आहार का ध्यान रखने
वाली और प्रेम से खिलाने वाली गृहिणी।
अन्नप्राशन
(सं.) [सं-पु.] हिंदुओं में एक संस्कार जिसमें छोटे बच्चे के मुख में पहले-पहल अन्न दिया जाता है।
अन्नभंडार
(सं.) [सं-पु.] 1. अन्न का ढेर; अन्न का पहाड़ 2. अन्न का स्टॉक 3. सरकारी गोदाम में रखा अन्न का स्टॉक।
अन्नमयकोश
(सं.) [सं-पु.] 1. स्थूल शरीर, जो वेदांत में आत्मा को ढकने या आवृत्त करने वाले पाँच कोशों में से एक माना जाता है 2. उक्त स्थूल शरीर माता-पिता के खाए हुए
अन्न और उससे बने रज-वीर्य से बनता है।
अन्नसत्र
(सं.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ पका हुआ भोजन गरीबों में वितरित किया जाता है।
अन्य
(सं.) [वि.] 1. दूसरा; गैर 2. भिन्न 3. अतिरिक्त 4. बाहरी; पराया 5. अधिक।
अन्यच्च
(सं.) [अव्य.] 1. और भी 2. इसके सिवा; इसके अलावा।
अन्यतम
(सं.) [वि.] 1. जो अन्य सभी की तुलना में श्रेष्ठ हो; सर्वश्रेष्ठ 2. सबसे बढ़कर।
अन्यत्र
(सं.) [अव्य.] कहीं और; दूसरी जगह।
अन्यथा
(सं.) [अव्य.] नहीं तो; भिन्न स्थिति में।
अन्यपुरुष
(सं.) [सं-पु.] व्याकरण में वक्ता और श्रोता से भिन्न वह व्यक्ति या वस्तु जिसके विषय में कुछ कहा जाए, जैसे- वह, वे; (थर्ड परसन)।
अन्यपूर्वा
(सं.) [सं-स्त्री.] वह स्त्री जो पहले किसी और से ब्याही गई हो; पुनर्विवाह करने वाली स्त्री।
अन्यमनस्क
(सं.) [वि.] अनमना; जिसका चित्त कहीं और हो।
अन्यान्य
(सं.) [वि.] 1. अनेकानेक; बहुत सारे 2. दूसरे-दूसरे।
अन्याय
(सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा कार्य या आचरण जो न्यायसम्मत न हो; नाइनसाफ़ी 2. ज़ुल्म; अत्याचार 3. अनौचित्य।
अन्यायपूर्ण
(सं.) [वि.] अन्याय से युक्त; घोर अनुचित।
अन्यायपूर्वक
(सं.) [क्रि.वि.] अन्याय से; अन्याय करते हुए; ज़्यादती करते हुए।
अन्यायी
(सं.) [वि.] अन्याय करने वाला; अनाचारी प्रवृत्ति का।
अन्योक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी से या किसी के बारे में कही हुई बात जो साधर्म्य के कारण औरों पर भी घटित हो 2. अर्थालंकार का एक भेद जिससे यही आशय पुष्ट होता है।
अन्योन्य
(सं.) [क्रि.वि.] 1. परस्पर 2. एक-दूसरे पर। [वि.] 1. पारस्परिक 2. आपस का; आपसी। [सं-पु.] अर्थालंकार का एक भेद जहाँ दो वस्तुओं का कोई कार्य या गुण एक दूसरे
ही उपजा हुआ दर्शाया जाता है।
अन्योन्यक्रिया
(सं.) [सं-स्त्री.] वह एक ही क्रिया जो दो वस्तुओं द्वारा एक साथ संपन्न होती है और परस्पर अर्थात एक-दूसरे को कारण के रूप में वर्णित करती है।
अन्योन्याश्रित
(सं.) [वि.] एक-दूसरे पर अवलंबित या आश्रित; घनिष्ठ रूप से परस्पर संबद्ध।
अन्वय
(सं.) [सं-पु.] 1. दो वस्तुओं का परस्पर तालमेल 2. वाक्य में पदों का पारस्परिक संबंध 3. नियमानुसार पदों को यथास्थान रखना 3. न्यायशास्त्र के अनुसार हेतु और
साध्य का साहचर्य 4. कार्य-कारण संबंधों के आधार पर संगति बैठाना।
अन्वयदोष
(सं.) [सं-पु.] शब्द-दोष का एक भेद जहाँ काव्य के प्रत्येक चरण में अर्थ तो पूरा हो जाए किंतु विभिन्न अर्थों में कोई अन्विति न हो।
अन्वर्थ
(सं.) [वि.] 1. जो अर्थ का अनुगमन या अनुसरण करता हो 2. सार्थक 3. यथार्थ और स्पष्ट 4. अर्थानुरूप।
अन्वादिष्ट
(सं.) [वि.] जिसमें पहले के किसी नियम की ओर संकेत किया गया हो।
अन्वित
(सं.) [वि.] 1. जिसका अन्वय हुआ हो 2. मिला हुआ; युक्त 3. किसी के साथ जुड़ा हुआ या लगा हुआ।
अन्वितार्थ
(सं.) [सं-पु.] 1. अन्वय करने पर निकलने वाला अर्थ 2. अंदर छिपा हुआ अर्थ; गूढ़ आशय।
अन्विति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अन्वित होने का भाव या स्थिति 2. एकता; संगति।
अन्वीक्ष
(सं.) [सं-पु.] सूक्ष्मदर्शी यंत्र; (माइक्रोस्कोप)।
अन्वीक्षण
(सं.) [सं-पु.] 1. बारीकी से देखना; पर्यवेक्षण 2. अन्वेषण; खोज 3. मनन 4. विचार।
अन्वीक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] अन्वीक्षण; खोज; तलाश।
अन्वेषक
(सं.) [वि.] 1. अन्वेषण करने वाला; शोधकर्ता 2. अनुसंधानकर्ता; खोजबीन करके तथ्यों का पता लगाने वाला।
अन्वेषण
(सं.) [सं-पु.] 1. खोज; अनुसंधान 2. तथ्यों की निरंतर खोज और छानबीन 3. शोध; गवेषणा।
अन्वेषी
(सं.) [वि.] 1. अन्वेषण करने वाला 2. अन्वेषक।
अपंग
(सं.) [वि.] शरीर के किसी विकार के कारण जिसकी सामान्य गतिविधियाँ बाधित होती हों; अपाहिज; पंगु; लँगड़ा।
अपंजीकृत
(सं.) [वि.] 1. जिसका पंजीकरण न हुआ हो; जो खाता-बही में दर्ज न हुआ हो 2. जो सूचीबद्ध न हुआ हो; असूचीबद्ध।
अप
(सं.) [पूर्वप्रत्य.] एक प्रत्यय जो निषेध, हीनता, अपकर्ष या विकार, दूषण, विकृति, वैपरीत्य आदि का अर्थ प्रकट करता है, जैसे- मान और अपमान, हरण और अपहरण, व्यय
और अपव्यय आदि।
अपकरण
(सं.) [सं-पु.] 1. अपकार या ख़राबी करने की क्रिया या भाव 2. बुराई करना; निंदा करना 3. हानि या नुकसान करना।
अपकरुण
(सं.) [वि.] 1. जिसमें करुणा या दया न हो; निर्दय 2. करुणाहीन।
अपकर्तन
(सं.) [सं-पु.] काटकर टुकड़े-टुकड़े करने की क्रिया या भाव।
अपकर्ता
(सं.) [सं-पु.] 1. अपकार या हानि पहुँचाने वाला व्यक्ति 2. दुष्कर्म करने वाला; दुष्कर्मी 3. अपकारक।
अपकर्म
(सं.) [सं-पु.] 1. अनुचित या बुरा काम 2. निंदनीय कार्य; दुराचार; दुष्कर्म।
अपकर्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. अवनति; गिरावट 2. क्षय 3. अपमान 4. अपयश 5. हीनता।
अपकर्षक
(सं.) [वि.] 1. अपकर्ष करने वाला 2. जिससे अवनति होती हो 3. पतनकारक; अवनतिकारक 4. घटाने वाला; (डेरोगेटरी)।
अपकर्षण
(सं.) [सं-पु.] 1. अपकर्ष करने की क्रिया; नीचे की ओर खींचना या लाना 2. अवनति; गिरावट 3. हीनता 4. क्षय 5. अपमान 6. अपयश 7. ज़बरदस्ती छीनना या ऐंठना।
अपकार
(सं.) [सं-पु.] 1. अहित 2. उपकार का विलोम 3. अनिष्ट 4. अत्याचार; अनुचित आचरण या व्यवहार।
अपकारक
(सं.) [वि.] 1. अपकार करने वाला 2. अनिष्टकर्ता; हानि पहुँचाने वाला।
अपकारी
(सं.) [वि.] 1. अपकार या बुराई करने वाला 2. हानि पहुँचाने वाला 3. अपकारक।
अपकीर्ण
(सं.) [वि.] 1. बिखरा या छितराया हुआ 2. फैला हुआ 3. तोड़कर नष्ट किया हुआ।
अपकीर्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कीर्ति का विलोम 2. बदनामी; अपयश।
अपकृत
(सं.) [वि.] 1. जिसका अपकार किया गया हो 2. जिसका नुकसान किया गया हो। [सं-पु.] क्षति; नुकसान; हानि।
अपकृत्य
(सं.) [सं-पु.] 1. अनुचित या बुरा काम; दुष्कर्म 2. अपकार।
अपकृष्ट
(सं.) [वि.] 1. गिराया हुआ; जिसका अपकर्ष हुआ या किया गया हो 2. जिसका मान, मूल्य या महत्व कम हुआ हो 3. नीच; अधम 4. घृणित; बुरा।
अपकेंद्रिक
(सं.) [वि.] केंद्र से परिधि की ओर जाने वाला या अलग होने वाला।
अपकेंद्री
(सं.) [वि.] 1. जो केंद्र से दूर चला गया हो; केंद्र से बाहर निकलने की क्रिया वाला 2. केंद्र या मूल से विपरीत दिशा की ओर जाने की प्रवृत्ति वाला;
(सेंट्रीफ़्यूगल)।
अपक्रम
(सं.) [सं-पु.] 1. बिगड़ा या उलटा क्रम; विकृत क्रम 2. उचित या ठीक क्रम का अभाव 3. पीछे हटना; पलायन। [वि.] जिसका क्रम बिगड़ा हुआ हो।
अपक्रमण
(सं.) [सं-पु.] 1. अपक्रम करने की क्रिया या भाव 2. किसी स्थान से रुष्ट होकर उठ जाना; (वाक आउट)।
अपक्रिया
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दूषित या बुरी क्रिया या कर्म; दुष्कर्म 2. हानिकर व्यवहार 3. द्रोह 4. अहित।
अपक्व
(सं.) [वि.] 1. जो पका या पकाया न हो 2. कच्चा 3. जिसके पकने में अभी कुछ देर हो 4. जिसका अभी पूर्ण विकास न हुआ हो 5. अकुशल; (इमैच्योर)।
अपक्ष
(सं.) [वि.] 1. जो किसी पक्ष में न हो; निष्पक्ष 2. जो पक्षपात न करता हो।
अपक्षपात
(सं.) [सं-पु.] पक्षपात का अभाव; पक्षपातहीनता; निष्पक्षता।
अपक्षय
(सं.) [सं-पु.] 1. नाश; अवनति 2. छीजना; ह्रास 3. घटोतरी; कमी।
अपक्षरण
(सं.) [सं-पु.] मिट्टी आदि का टूट कर गिरना या अलग होना; क्षरण; (इरोज़न)।
अपक्षेपण
(सं.) [सं-पु.] 1. आक्षेप करने की क्रिया या भाव 2. अपक्षेप करना।
अपगत
(सं.) [वि.] 1. जो अपने मार्ग से इधर-उधर हो गया हो 2. दूर हटा हुआ; आँखों से ओझल 3. मरा हुआ; मृत 4. नष्ट।
अपगति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बुरी गति; दुर्गति; ख़राब स्थिति 2. अनुचित; बुरे या नीचे मार्ग पर जाना 3. दूर भागना; हटना 4. नाश; पतन।
अपगमन
(सं.) [सं-पु.] 1. नीचे या बुरे मार्ग की ओर जाना 2. भाग जाना 3. प्रस्थान 4. छिप जाना।
अपगा
(सं.) [सं-स्त्री.] नदी; सरिता।
अपघटन
(सं.) [सं-पु.] 1. कमी; ह्रास 2. विघटन; वियोजन; (डिकंपोज़ीशन)।
अपघर्षण
(सं.) [सं-पु.] घिसने से होने वाला क्षरण; पत्थर-चट्टान आदि का हवा-पानी की रगड़ से क्रमशः घिसना।
अपघात
(सं.) [सं-पु.] 1. अनुचित या बुरा आघात 2. किसी को मार डालना; हत्या; हिंसा 3. विश्वासघात 4. आत्मघात।
अपघातक
(सं.) [वि.] 1. अपघात करने वाला 2. अपघात संबंधी।
अपघाती
(सं.) [वि.] 1. अपघात करने वाला; अपघातक 2. हत्या या हिंसा करने वाला।
अपच
[सं-पु.] 1. अन्न या भोजन न पचने की अवस्था 2. भोजन न पचने का रोग; बदहज़मी; अजीर्ण; (इनडाइजेशन)।
अपचय
(सं.) [सं-पु.] 1. कमी; क्षति; हानि; घाटा होने की क्रिया या भाव 2. रियायत; कमी; छूट 3. व्यय 4. विफलता 5. नाश।
अपचयन
(सं.) [सं-पु.] (रसायन विज्ञान) ऐसी अभिक्रिया जिसमें हाइड्रोजन या किसी विद्युत धनात्मक तत्व का संयोग होता है अथवा ऑक्सीजन या किसी विद्युत ऋणात्मक तत्व का
वियोग होता है; ऐसी अभिक्रिया जिसमें ऋणात्मक संयोजकता की वृद्धि या धनात्मक संयोजकता में कमी होती है; (रिडक्शन)।
अपचरण
(सं.) [सं-पु.] 1. अपने अधिकार क्षेत्र या सीमा से निकलकर दूसरे के अधिकार क्षेत्र में जाना 2. अनादर; निंदा 3. अनिष्ट; बुराई 4. अपयश।
अपचायक
(सं.) [वि.] अपचयन करने वाला; घटाने वाला।
अपचार
(सं.) [सं-पु.] 1. दोष 2. अनुचित कर्म; निकृष्ट आचरण; दुराचार 3. कुपथ्य 4. अनिष्ट 5. अपयश 6. निंदा।
अपचारक
(सं.) [वि.] 1. अपचार करने वाला; वह जो बुरा या अनुचित काम करता हो 2. अधिकार विरुद्ध क्षेत्र या सीमा में प्रवेश करने वाला; (ट्रेसपासर)।
अपचारी
(सं.) [वि.] 1. अपचार करने वाला; अनुचित व्यवहार करने वाला 2. दुष्कर्मी 3. अविश्वासी।
अपचेता
(सं.) [वि.] 1. किसी का बुरा सोचने वाला 2. कंजूस।
अपच्छेद
(सं.) [सं-पु.] 1. काटकर अलग करना; पृथक करना 2. बाधा; विघ्न 3. हानि।
अपजात
(सं.) [वि.] 1. जिसमें अपने उत्पादक या उत्पन्नकर्ता के पूरे गुण या विशेषताएँ न आई हों 2. अपेक्षाकृत कम गुणोंवाला; (डीजेनेरेटेड)।
अपटी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. परदा; यवनिका 2. कपड़े की दीवार; कनात 3. आच्छादन; वस्त्र का आवरण।
अपटु
(सं.) [वि.] 1. जो पटु या निपुण न हो; अनिपुण 2. जो चतुर न हो 3. अकुशल।
अपठनीय
(सं.) [वि.] 1. जिसे पढ़ा न जा सके; दुरूह; दुर्बोध 2. जो पढ़ने योग्य न हो; अपाठ्य; अरोचक।
अपठित
(सं.) [वि.] 1. जो पहले पढ़ा न गया हो; पहली बार पढ़ने को मिला हुआ।
अपडेट
(इं.) [वि.] 1. अद्यतन; नवीनतम 2. अपने पूर्व संस्करण से बेहतर या उन्नत।
अपढ़
(सं.) [वि.] अशिक्षित; अनपढ़; बिना पढ़ा-लिखा।
अपण्य
(सं.) [वि.] 1. (वस्तु) जो बेची न जा सके 2. जिसे बेचना उचित न हो; जिसे बेचना निषिद्ध हो।
अपतंत्रक
(सं.) [सं-पु.] हाथ-पैर ऐंठने का एक रोग जो प्रायः स्त्रियों को होता है; वातोन्माद; (हिस्टीरिया)।
अपतर्पण
(सं.) [सं-पु.] 1. उपवास; व्रत; लंघन 2. तृप्ति का अभाव।
अपत्य
(सं.) [सं-पु.] संतान; औलाद।
अपत्र
(सं.) [वि.] 1. पत्तों से रहित 2. जिसके पर या पंख न हों।
अपथ
(सं.) [सं-पु.] 1. कुमार्ग; कुपथ; गलत या बुरी राह 2. रास्ते का अभाव। [वि.] 1. पथहीन 2. जहाँ अच्छे मार्ग न हों 3. जो चलने योग्य न हो।
अपथगामी
(सं.) [वि.] 1. कुमार्गी; पथभ्रष्ट; गलत रास्ते पर चलने वाला 2. चरित्रहीन।
अपथ्य
(सं.) [वि.] 1. जो पथ्य न हो; जो स्वास्थ्यवर्धक न हो 2. हानिकर; अहितकर 3. जो गुणकारी न हो।
अपद
(सं.) [वि.] 1. जिसके पद या पैर न हों; बिना पैर का 2. जो किसी ओहदे या पद पर न हो। [सं-पु.] 1. रेंगने वाला जंतु 2. अनुपयुक्त स्थान या पद।
अपदयुक्त
(सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) अर्थ दोष का एक भेद, जहाँ ऐसे अनुचित या अनावश्यक पद या वाक्य का प्रयोग हो जिससे कही हुई बात का मंडन होने के बजाय खंडन हो जाए।
अपदस्थ
(सं.) [वि.] पद से हटाया हुआ; बरख़ास्त; पदच्युत।
अपदान
(सं.) [सं-पु.] 1. उत्तम कार्य; पूर्ण रूप से संपन्न कार्य 2. शुद्ध या मर्यादित आचरण।
अपदार्थ
(सं.) [सं-पु.] 1. अनस्तित्व; अद्रव्य 2. नगण्यता; तुच्छता 3. तुच्छ चीज़। [वि.] 1. तुच्छ; नगण्य; महत्वहीन; हेय 2. जिसमें तथ्य या सार न हो।
अपदिष्ट
(सं.) [वि.] 1. बहाने से कहा हुआ 2. अपदेश के रूप में किया या कराया हुआ।
अपद्रव्य
(सं.) [सं-पु.] 1. बुरी; अनुचित वस्तु 2. अनुचित या निकृष्ट धन या द्रव्य।
अपधर्मिता
(सं.) [सं-स्त्री.] धर्म के प्रतिकूल या विरुद्ध आचरण।
अपध्वंस
(सं.) [सं-पु.] 1. अधःपतन; नाश 3. अपमान 4. हार 5. निंदा।
अपध्वस्त
(सं.) [वि.] 1. चूर-चूर किया हुआ; विनष्ट 2. अपमानित 3. निंदित।
अपनत्व
(सं.) [सं-पु.] अपनापन; आत्मीयता; स्वजन भावना।
अपनयन
(सं.) [सं-पु.] 1. हटाना; अलग करना 2. दूसरी जगह ले जाना 3. खंडन 4. ऋणशोधन 5. कम करना; घटाना 6. बहकाना; फुसलाना।
अपना
[सर्व.] 1. स्वयं का; निज का; आत्म संबंधी; स्वीय 2. आप; निज; (पर्सनल)। [सं-पु.] आत्मीय; स्वजन। [मु.] -अपना राग अलापना : अपने मतलब या
स्वार्थ की बात कहना। -उल्लू सीधा करना : अपना हित साधना; अपना काम निकालना। -ख़ून होना : अपना सगा संबंधी या भाई-बंधु होना। -घर समझना : अपने घर की तरह दूसरे के घर में अनौपचारिक रूप से रहना। -सा मुँह लेकर रह जाना : हारने या अपमानित होने के बाद
हताश होना। -सिर ओखली में देना : अपने को जान-बूझकर जोखिम में डालना। अपनी खिचड़ी अलग पकाना : अलग-थलग रहना; किसी के सुख-दुख
में भागीदार न होना। अपनी जान से हाथ धोना : मरना; जान देना। अपनी मौत मरना : स्वाभाविक ढंग से मरना। अपने गिरेबान में झाँकना : अपने दोषों को देखना। अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना : ऐसा काम करना जिससे अपना बहुत बड़ा अहित या
हानि हो। अपने पैरों पर खड़ा होना : समर्थ होना। अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना : अपनी बड़ाई स्वयं करना। अपने सिर लेना : जिम्मेदारी अपने ऊपर लेना।
अपनाना
[क्रि-स.] 1. अंगीकार करना; अपना बनाना; ग्रहण करना; स्वीकार कर लेना 2. गले लगाना 3. अपने अधिकार या वश में करना 4. किसी को अपनी शरण में लेना।
अपनापन
[सं-पु.] 1. आत्मीयता; घनिष्ठता 2. आपसी प्रेम-व्यवहार।
अपना पराया
[सं-पु.] 1. मित्र और शत्रु 2. आत्मीय व्यक्ति और अन्य व्यक्ति।
अपनापा
[सं-पु.] अपनापन।
अपनायत
[सं-स्त्री.] 1. अपना होने का भाव; अपनापन; आत्मीयता 2. स्नेह; सौहार्द; प्रेम।
अपनीत
(सं.) [वि.] 1. दूर किया या हटाया हुआ 2. एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाया हुआ 3. जिसे कोई भगा या हर ले गया हो।
अपनेता
(सं.) [वि.] 1. अपनयन करने वाला 2. किसी को हरने या भगाने वाला।
अपपात्र
(सं.) [सं-पु.] 1. अनुपयुक्त पात्र 2. बुरा पात्र; अपात्र; कुपात्र।
अपभाषण
(सं.) [सं-पु.] 1. अश्लील और गंदी बात 2. दुर्वचन; गाली-गलौज।
अपभाषा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनुचित या बुरी भाषा 2. अश्लील और गंदी भाषा।
अपभ्रंश
(सं.) [सं-पु.] 1. पतन; नीचे गिरना 2. बिगाड़; विकृति 3. तत्सम भाषा के शब्द का विकृत रूप 4. प्राकृत भाषाओं का परवर्ती रूप जिनसे उत्तर भारतीय आधुनिक
आर्यभाषाओं की उत्पत्ति मानी जाती है। [वि.] बिगड़ा हुआ; विकृत।
अपभ्रष्ट
(सं.) [वि.] 1. पतित; गिरा हुआ 2. विकृत; बिगड़ा हुआ 3. जो (शब्द) अपने तत्सम रूप से निकल कर विकृत रूप में प्रचलित हो।
अपमर्दन
(सं.) [सं-पु.] 1. बुरी तरह से रौंदना या कुचलना 2. बुरी तरह अपमानित करना।
अपमान
(सं.) [सं-पु.] 1. निरादर; बेइज़्ज़ती; तौहीन; मानभंग 2. तिरस्कार; दुत्कार; ज़िल्लत 3. अवमानना; (इंसल्ट)।
अपमानकारी
(सं.) [वि.] 1. जिससे अपमान हो; अपमानजनक 2. अपमान करने वाला।
अपमानजनक
(सं.) [वि.] जिससे अपमान का बोध होता हो; जिस कृत्य से किसी का अपमान होता हो; (इनसल्टिंग)।
अपमानित
(सं.) [वि.] 1. जिसका अपमान हुआ हो; निरादृत 2. तिरस्कृत; ज़लील; (इनसल्टेड)।
अपमानी
(सं.) [वि.] 1. अपमान करने वाला 2. तिरस्कार करने वाला; तिरस्कारी।
अपमार्ग
(सं.) [सं-पु.] कुमार्ग; कुपथ; बुरा मार्ग।
अपमार्गी
(सं.) [वि.] अनुचित मार्ग पर चलने वाला; कुमार्गी।
अपमार्जक
(सं.) [वि.] 1. शुद्धि, सफ़ाई या संशोधन करने वाला 2. रद्द करने वाला; मिटा देने वाला; उन्मूलनकर्ता।
अपमार्जन
(सं.) [सं-पु.] 1. शुद्धि; सफ़ाई या संशोधन करने की क्रिया या भाव 2. रद्द करने या मिटा देने की क्रिया या भाव; उन्मूलन।
अपमिश्रण
(सं.) [सं-पु.] किसी शुद्ध चीज़ में किसी ख़राब चीज़ की मिलावट; (अडल्टरेशन)।
अपमृत्यु
(सं.) [सं-पु.] 1. आकस्मिक या असामयिक मृत्यु; अकाल मौत या मृत्यु 2. किसी दुर्घटना आदि से होने वाली मृत्यु।
अपयश
(सं.) [सं-पु.] अपकीर्ति; बदनामी; रुसवाई।
अपयोग
(सं.) [सं-पु.] 1. अनिष्टकारी योग 2. अनुचित समय।
अपयोजन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी के धन या संपत्ति का अनुचित उपयोग करना 2. गलत जोड़ना; (मिसअप्रोप्रिएशन)।
अपरंपार
[वि.] 1. जिसका पारावार न हो; अपार 2. जिसका ओर-छोर न हो असीम 3. बहुत अधिक; बेहद।
अपर
(सं.) [वि.] 1. अन्य; दूसरा 2. निकृष्ट 3. पिछला 4. दूसरे का 5. दूरवर्ती 6. जिसकी बराबरी करने वाला या जिससे बढ़ कर कोई न हो।
अपरदन
(सं.) [सं-पु.] 1. क्षय; नाश 2. क्षीणता।
अपरदन चक्र
(सं.) [सं-पु.] विनाश चक्र; विनाश का दौर या सिलसिला।
अपर न्यायाधीश
(सं.) [सं-पु.] अतिरिक्त न्यायाधीश।
अपरव
(सं.) [सं-पु.] 1. झगड़ा; कलह 2. ज़मीन-जायदाद को लेकर होने वाला विवाद।
अपरस
(सं.) [वि.] 1. जिसे किसी ने छुआ न हो 2. अस्पृश्य 3. अनासक्त; अलिप्त।
अपरांत
(सं.) [सं-पु.] 1. पश्चिम का देश या प्रांत 2. पश्चिमी सीमांत।
अपरा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अध्यात्म विद्या को छोड़ कर शेष सारी विद्याएँ; पदार्थ विद्या; लौकिक विद्या 2. पश्चिम दिशा 3. ज्येष्ठ मास के कृष्णपक्ष की एकादशी।
अपराग
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रेम या राग का विरोधी भाव 2. शत्रुता; वैर 3. अरुचि 4. अपरक्ति।
अपराजित
(सं.) [वि.] जिसे पराजित न किया जा सकता हो; अजेय; अविजित; जो जीता न गया हो।
अपराजिता
(सं.) [वि.] जो जीती न गई हो; अजेय। [सं-स्त्री.] विष्णुक्रांता नामक लता।
अपराजेय
(सं.) [वि.] जिसकी पराजय न हो; जिसे पराजित न किया जा सके; अजेय।
अपराध
(सं.) [सं-पु.] 1. विधि विरुद्ध या दंड पाने योग्य काम; गुनाह; कानून विरोधी कार्य; जुर्म; (क्राइम) 2. दोष; कसूर 3. पाप; दुष्कर्म; अनैतिक कार्य; करतूत 4.
गलती।
अपराधजनक
(सं.) [वि.] अपराध को जन्म देने वाला; जिससे आपराधिक कार्यों को बढ़ावा मिलता हो।
अपराधबोध
(सं.) [सं-पु.] अपराध करने के बाद गलती का अहसास; गलती का अनुभव; अफ़सोस; पश्चाताप।
अपराधमुक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. जुर्म या अपराध से मुक्त हो जाना 2. अदालती अभियोग से बरी कर दिया जाना 3. पाप-निवारण।
अपराधलोक
(सं.) [सं-पु.] 1. अपराधकर्मियों की दुनिया 2. नशाखोरी; नशीले पदार्थों का अवैध व्यवसाय 3. जुआ या हत्या आदि जुर्म में लिप्त माफ़ियाओं का अंतर्जाल;
(अंडरवर्ल्ड)।
अपराधविज्ञान
(सं.) [सं-पु.] अपराध के कारणों का विवेचन-विश्लेषण करने और आपराधिक प्रवृत्तियों के उन्मूलन-नियंत्रण के संबंध में अध्ययन करने वाला विज्ञान; (क्रिमिनॉलॉजी)।
अपराधिनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपराध करने वाली स्त्री 2. अपराधी का स्त्रीलिंग रूप।
अपराधी
(सं.) [वि.] 1. जो अपराध करता हो; जिसने अपराध किया हो; जुर्म करने वाला; (क्रिमिनल) 2. दोषी; गुनाहगार 3. पापी।
अपरावर्तनीय
(सं.) [वि.] 1. जो किरणों के परावर्तन के योग्य न हो (सतह); पारभासी 2. जो लौटाया जाने लायक न हो।
अपरावर्ती
(सं.) [वि.] 1. किसी काम से पीछे न हटने वाला 2. वापस न लौटने वाला।
अपराह्न
(सं.) [सं-पु.] दोपहर के बाद का समय; तीसरा पहर।
अपरिकलित
(सं.) [वि.] 1. जिसका परिकलन या आकलन न किया जा सके; जो गिना न जा सके 2. {ला-अ.} अदृष्ट; अज्ञात।
अपरिगृहीत
(सं.) [वि.] 1. जिसका परिग्रहण न हुआ हो 2. जो अस्वीकृत हो गया हो 3. त्यक्त।
अपरिग्रह
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी से कुछ ग्रहण न करना 2. दान का अस्वीकार 3. त्याग 4. जीवन-निर्वाह के लिए न्यूनतम ज़रूरतों से ज़्यादा कुछ भी न लेना 5. योग-दर्शन में
बताए गए नियमों में से एक।
अपरिचय
(सं.) [सं-पु.] जानकारी न होना; परिचय का अभाव; अनजानापन; अजनबीपन।
अपरिचित
(सं.) [वि.] 1. जिसकी जानकारी न हो 2. जिससे परिचय न हो; अजनबी 4. जिसे जानकारी न हो; नावाकिफ़।
अपरिच्छन्न
(सं.) [वि.] 1. जो ढका न हो; आवरणहीन 2. व्यापक; असीम 3. मिला हुआ।
अपरिणामी
(सं.) [वि.] 1. जिसमें परिणाम या विकार न हो; परिणामरहित 2. एक रूप; एकरस।
अपरिणीत
(सं.) [वि.] जिसका विवाह न हुआ हो; अविवाहित।
अपरिपक्व
(सं.) [वि.] 1. जो परिपक्व न हो; अधकचरा 2. अनुभव में कच्चा 3. अकुशल।
अपरिमाण
(सं.) [वि.] जिसका परिमाण या आकलन माप से बाहर हो; अपरिमित। [सं-पु.] परिमाण का अभाव।
अपरिमार्जित
(सं.) [वि.] जिसका परिमार्जन न हुआ हो; जो मँजा न हो; गंदा।
अपरिमित
(सं.) [वि.] 1. बेहद; बेहिसाब; अत्यधिक 2. जिसकी कोई सीमा न हो।
अपरिमेय
(सं.) [वि.] 1. जिसका परिमाण जाना न जा सके 2. जिसकी नाप-जोख न हो सके 3. अकूत; बहुत ज़्यादा।
अपरिर्वतनीय
(सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई बदलाव न किया जा सके 2. अटल; दृढ़; जो बिलकुल लचीला न हो 3. जिसकी दूसरी वस्तु से अदला-बदली संभव न हो 4. जो सदा एक-सा रहता हो; नित्य।
अपरिवृत्त
(सं.) [वि.] 1. जो घिरा हुआ न हो; खुला (मैदान, खेत) 2. अपरिच्छन्न।
अपरिष्कार
(सं.) [सं-पु.] 1. परिष्कार या संस्कार का अभाव 2. भद्दापन; बेडौलपन; अनगढ़पन 3. गंदगी; मैला-कुचैलापन 4. उच्छृंखलता।
अपरिष्कृत
(सं.) [वि.] 1. जिसका संस्कार या परिष्करण न हुआ हो; असंस्कृत 2. जो ठीक या साफ़ न किया गया हो; गंदा 3. बेडौल; अनगढ़।
अपरिसर
(सं.) [वि.] 1. जो निकट न हो; दूर 2. अप्रशस्त 3. विस्तारहीन।
अपरिहार्य
(सं.) [वि.] 1. जिसका परिहार न हो सकता हो; अनिवार्य; जिसके बिना काम न चले 2. अवश्यंभावी 3. अत्याज्य।
अपरीक्षित
(सं.) [वि.] 1. जिसकी परीक्षा न हुई हो; जिसे जाँचा-परखा न गया हो 2. जो आजमाया न गया हो 3. अप्रमाणित।
अपरुष
(सं.) [वि.] 1. जिसमें परुषता या कठोरता न हो; सहृद्य 2. कोमल; मृदुल 3. क्रोध-रहित।
अपरूप
(सं.) [वि.] बदशक्ल; भद्दा; कुरूप।
अपरोक्ष
(सं.) [वि.] 1. जो परोक्ष न हो; प्रत्यक्ष 2. जो आसपास ही हो; दूर न हो 3. इंद्रियगोचर।
अपर्ण
(सं.) [वि.] पत्रविहीन; जिसमें पर्ण या पत्ते न हों।
अपर्णा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (पुराण) पार्वती जिन्होंने शिव के लिए तपस्या करते हुए पत्ते तक खाना छोड़ दिया था 2. दुर्गा।
अपर्याप्त
(सं.) [वि.] 1. जो पर्याप्त या पूरा न हो; जो पूरा न पड़ता हो; नाकाफ़ी 2. जो यथेष्ट न हो 3. अयोग्य 4. अधूरा।
अपर्याय
(सं.) [वि.] क्रमहीन; जिसमें या जिसका कोई क्रम न हो; बेतरतीब। [सं-पु.] क्रमहीनता; बेतरतीबी।
अपलक
(सं.) [वि.] जिसकी पलकें न गिरे; निर्निमेष। [क्रि.वि.] बिना पलक गिराए या झपकाए; एकटक।
अपलक्षण
(सं.) [सं-पु.] 1. दोष; कुलक्षण 2. अशुभ या बुरा लक्षण 3. (साहित्य) किसी चीज़ में बताया जाने वाला ऐसा लक्षण जिसमें अतिव्याप्ति या अव्याप्ति दोष हो।
अपलाप
(सं.) [सं-पु.] 1. व्यर्थ की बकवाद; बकबक 2. इधर-उधर की बातें कहना; बातें बनाना 3. बात का छिपाव; दुराव; टालमटोल करना।
अपवचन
(सं.) [सं-पु.] 1. निंदा 2. गाली; अपशब्द 3. कटूक्ति।
अपवरण
(सं.) [सं-पु.] परदा हटाना; अनावृत्त करना; आवरण दूर करना।
अपवर्ग
(सं.) [सं-पु.] 1. सब तरह के दुखों से छुटकारा 2. त्याग 3. दान 4. मोक्ष 5. कर्मफल; कार्यसिद्धि 6. विशेष नियम या अपवाद।
अपवर्जन
(सं.) [सं-पु.] 1. त्यागना; छोड़ना; मुक्त करना 2. कर्ज़ वगैरह चुकाना 3. दान।
अपवर्जित
(सं.) [वि.] 1. त्याग किया हुआ; छोड़ा हुआ 2. दिया हुआ।
अपवर्तक
(सं.) [सं-पु.] (गणित) वह राशियाँ जिनसे किसी बड़ी राशि को भाग देने पर शेष न बचता हो; सामान्य विभाजक; (फ़ैक्टर), जैसे- 2, 3, 4 और 6 सभी 12 के अपवर्तक हैं।
[वि.] अपवर्तन या अलग करने वाला।
अपवर्तन
(सं.) [सं-पु.] 1. परिवर्तन; पलटाव; अपने मूल स्थान की ओर लौटना; पीछे आना 2. किसी में से कुछ ले लेना या निकालना 3. अलग या दूर करना 4. ज़ब्त होना।
अपवर्तित
(सं.) [वि.] 1. परिवर्तित 2. पृथक किया हुआ 3. पीछे लौटा हुआ 2. ज़ब्त किया हुआ 3. अंदर की ओर घूमा या मुड़ा हुआ; पलटा हुआ।
अपवर्त्य
(सं.) [सं-पु.] (गणित) वह राशि जो किसी एक संख्या को दूसरी संख्या से गुणा करने पर प्राप्त होती है; गुणज; (मल्टिपल), जैसे- 8x8=64, अतः 8 का 64 अपवर्त्य है।
[वि.] जिसका अपवर्तन हो सकता है; (मल्टिपल)।
अपवहन
(सं.) [सं-पु.] किसी भेजी हुई वस्तु का अपने नियत जगह से इधर-उधर पहुँच जाने की क्रिया; भटकाव।
अपवहित
(सं.) [वि.] 1. जो भटक गया हो 2. हटाया हुआ 3. स्थानांतरित।
अपवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. सामान्य नियम से भिन्न या विरुद्ध कोई नियम या बात; वह नियम जो किसी विशेष या व्यापक नियम के विरुद्ध हो 2. असामान्यता; छूट।
अपवादक
(सं.) [वि.] 1. वह जो दूसरों की बदनामी या अपवाद करता हो 2. परनिंदक 3. जो कलंक लगाता हो 4. विरोधी।
अपवादस्वरूप
(सं.) [अव्य.] 1. सामान्य नियम या चलन के विरोध के रूप में 2. नियम-विरोधी उदाहरण सरीखा; अपवाद के रूप में; (एक्सेप्शनल)।
अपवादहीन
(सं.) [वि.] 1. जिसका कोई अपवाद न हो 2. पूरी तरह नियम-सम्मत 3. परंपरा या प्रथा-सम्मत।
अपवादिक
(सं.) [वि.] अपवाद संबंधी; सामान्य नियम के विपरीत अपवाद के रूप में होने वाला।
अपवादी
(सं.) [वि.] 1. निंदा या बदनामी करने वाला; निंदक 2. खंडन करने वाला 3. बाधक 4. आरोप लगाने वाला।
अपवारण
(सं.) [सं-पु.] 1. हटाना; दूर करना 2. व्यवधान 3. छिपाना।
अपवारित
(सं.) [वि.] दूर किया हुआ; अंतर्हित; छिपा हुआ।
अपवाहक
(सं.) [वि.] 1. अपवाहन करने वाला 2. बहा ले जाने वाला 3. स्थानांतरित करने वाला।
अपवित्र
(सं.) [वि.] 1. जो पवित्र न हो; अशुद्ध; दूषित 2. मलिन; गंदा।
अपवित्रता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपवित्र होने की अवस्था या भाव; मलिनता; गंदगी 2. अशुद्धि; नापाकीज़गी।
अपविद्ध
(सं.) [वि.] 1. त्यागा हुआ; छोड़ा हुआ; त्यक्त 2. निकृष्ट; नीच; छुद्र 3. बेधा हुआ।
अपविद्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. निषिद्ध विद्या 2. बुरी विद्या जिसका अध्ययन उचित न हो 3. माया; अविद्या।
अपवृत्त
(सं.) [वि.] 1. क्रम या स्थिति के हिसाब से विपरीत 2. अंदर की ओर घुमाया हुआ; मोड़ा हुआ 3. औंधा 4. समाप्त किया हुआ।
अपवृत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपवृत्त या विपरीत होने की अवस्था या भाव 2. समाप्ति; अंत।
अपव्यय
(सं.) [सं-पु.] 1. फ़िजूलख़र्ची; व्यर्थ का ख़र्चा 2. आवश्यकता से अधिक किया गया ख़र्च।
अपव्ययी
(सं.) [वि.] 1. फ़िजूलख़र्ची या अपव्यय करने वाला 2. व्यर्थ कामों में ख़र्च करने वाला।
अपशकुन
(सं.) [सं-पु.] किसी विशेष कार्य के आरंभ में दिखाई देने वाला अशुभ लक्षण या संकेत; अमंगल; अपशगुन।
अपशब्द
(सं.) [सं-पु.] 1. अशोभनीय, असाधु, या अशुद्ध शब्द; दुर्वचन 2. गाली-गलौज 3. बिगड़ा हुआ शब्द 4. निंदित शब्द।
अपशिष्ट
(सं.) [वि.] अशिष्ट; जिसमें शिष्टता न हो; अशालीन; अभद्र; असंस्कृत।
अपश्रुति
(सं.) [सं-स्त्री.] (व्याकरण) एक ही धातु से बने शब्दों में लक्षित वह विकार जो व्यंजनों के एक बने रहने पर भी स्वरों के बदलाव से उत्पन्न होता है, जैसे- बढ़ना
से बढ़ाव और बढ़िया।
अपसंचय
(सं.) [सं-पु.] जमाख़ोरी; कीमत बढ़ा कर बेचने के लिए माल का अनुचित भंडारण।
अपसंचयी
(सं.) [वि.] 1. अपसंचय करने वाला 2. वस्तुओं का अनुचित संचय करने वाला; जमाख़ोर।
अपसंस्कृति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऐसा आचार या पद्धति जो उच्च या श्रेष्ठ मूल्यों के विरुद्ध हो 2. अनुचित संस्कृति।
अपसरण
(सं.) [सं-पु.] 1. पीछे हटना; दूर होना 2. दायित्व या कार्य आदि को छोड़कर अलग होना; भाग जाना 3. अपने उचित मार्ग से इधर-उधर होना 4. निकल भागने का रास्ता 5.
दूर हटाया हुआ।
अपसर्जक
(सं.) [वि.] 1. छोड़ देने वाला; त्यक्ता 2. ज़िम्मेदारी से भागने वाला; (डिज़र्टर)।
अपसर्जन
(सं.) [सं-पु.] 1. त्यागना; छोड़ना 2. ज़िम्मेदारी से पलायन; अपने आश्रित को इस प्रकार त्यागना कि फिर उसकी चिंता न रहे, जैसे- पिता द्वारा शिशु का अपसर्जन।
अपसर्पण
(सं.) [सं-पु.] 1. पीछे हटना; खिसकना 2. जासूसी करना 3. लौटना 4. भागना; पलायन करना।
अपसव्य
(सं.) [वि.] 1. दाहिना; दाँया 2. विपरीत; उलटा 3. 'सव्य' का विलोम।
अपसारण
(सं.) [सं-पु.] 1. दूर करना 2. अंदर की तरफ़ से निकालकर बाहर करने की क्रिया; दूर हटाना 3. देश निकाला; (इक्सपल्शन)।
अपसारी
(सं.) [वि.] 1. अपसारण करने वाला; दूर करने या हटाने वाला 2. अलग-अलग; भिन्न-भिन्न 3. परस्पर विरुद्ध।
अपसृत
(सं.) [वि.] 1. जिसे किसी पद या स्थान से हटा दिया गया हो 2. जिसने अपना दायित्व, पद आदि छोड़ दिया हो 3. जिसे किसी ने छोड़ दिया हो; परित्यक्त।
अपसेट
(इं.) [वि.] 1. उदास; चिंतित 2. अस्त-व्यस्त; विकल; बेचैन 3. परेशान।
अपस्कर
(सं.) [सं-पु.] 1. गाड़ी का कोई हिस्सा, जैसे- पहिया, धुरा आदि 2. मल; विष्ठा।
अपस्तुति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. निंदा; आलोचना 2. शिकायत 3. भर्त्सना।
अपस्फीति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आर्थिक क्रियाकलापों में कमी जिससे वस्तुओं के दाम घटने, बेकारी बढ़ने तथा उत्पादन घटने लगता है 2. मुद्रास्फीति कम करने की क्रिया;
अवस्फीति; विस्फीति; (डिफ़्लेशन)।
अपस्मार
(सं.) [सं-पु.] 1. मिर्गी रोग 2. (काव्यशास्त्र) एक संचारी भाव।
अपस्वर
(सं.) [सं-पु.] बुरा या गलत स्वर; बेसुरी आवाज़; कर्णकटु स्वर।
अपह
(सं.) [वि.] नष्ट या नाश करने वाला; नाशक।
अपहत
(सं.) [वि.] 1. मारा हुआ; नष्ट किया हुआ; मृत 2. हटाया या दूर किया हुआ।
अपहनन
(सं.) [सं-पु.] 1. उत्तेजित भीड़ के माध्यम से किसी का हनन करना 2. अनुचित तरीके से मार डालने की क्रिया।
अपहरण
(सं.) [सं-पु.] 1. फिरौती आदि के लिए किसी को बंधक बनाने की क्रिया; (किडनैप) 2. बलपूर्वक छीन लेना या ले लेना 3. किसी को बलपूर्वक विवाह या बलात्कार की मंशा से
अपने पास रोके रखना या भगा ले जाना; (ऐब्डक्शन)।
अपहर्ता
(सं.) [वि.] 1. अपहरण करने वाला 2. बलपूर्वक छीनने वाला 3. फिरौती के लिए किसी को बंधक बनाने वाला 4. किसी स्त्री को बलात्कार करने या विवाह रचाने के विचार से
भगाकर ले जाने वाला (व्यक्ति); (ऐब्डक्टर)।
अपहसित
(सं.) [वि.] जिसका उपहास किया गया हो; जिसकी खिल्ली उड़ाई गई हो।
अपहस्त
(सं.) [सं-पु.] 1. दूर फेंकना 2. लूटना 3. चुराना।
अपहार
(सं.) [सं-पु.] 1. दूसरे की वस्तु छीनने की क्रिया; अपहरण 2. धोखा देकर किसी की संपत्ति का उपभोग करना 3. छिपाव; दुराव।
अपहास
(सं.) [सं-पु.] 1. उपहास; मज़ाक उड़ाना; चिढ़ाना 2. बेमौक़ा या अकारण हँसी।
अपहृत
(सं.) [वि.] 1. जिसका अपहरण किया गया हो 2. चुराया हुआ 3. छीना हुआ; लूटा हुआ।
अपह्नुति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपह्नव; छिपाव; गोपन; वस्तुस्थिति को छिपाने की क्रिया 2. (काव्यशास्त्र) अर्थालंकार का एक भेद जिसमें उपमेय का निषेध कर उपमान को स्थापित
किया जाता है।
अपाकरण
(सं.) [सं-पु.] 1. दूर करने, हटाने का भाव 2. देनदारी, ऋण आदि चुकता करना।
अपाकृत
(सं.) [वि.] 1. दूर किया हुआ; हटाया हुआ 2. ऋण आदि चुकाया हुआ; चुकता किया हुआ।
अपाच्य
(सं.) [वि.] 1. जो पचने योग्य न हो; जो हज़म होने लायक़ न हो 2. जो पकाया न जा सके।
अपाठ्य
(सं.) [वि.] 1. जो पढ़ने में न आए; जिसका पाठ संभव न हो 2. जो पढ़ने लायक न हो; जिसका पठन वर्जित हो।
अपात्र
(सं.) [वि.] 1. कुपात्र; निकम्मा 2. अयोग्य 3. मूर्ख; जाहिल 4. अनधिकारी। [सं-पु.] 1. कुपात्र 2. अयोग्य व्यक्ति।
अपात्रता
(सं.) [सं-स्त्री.] अपात्र होने की अवस्था या भाव; अयोग्यता; पात्रता का अभाव।
अपादान
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी चीज़ से कुछ निकालना या हटाना 2. अलगाव; दूर करना 3. व्याकरण में एक कारक।
अपान
(सं.) [सं-पु.] 1. पाँच प्राणों में से एक 2. गुदा के ऊपरी भाग की वायु जो मल-मूत्र निकालती है 3. गुदा मार्ग से बाहर निकलने वाली वायु; पाद; (फ़ार्ट)।
अपानन
(सं.) [सं-पु.] 1. साँस खींचना 2. मल-मूत्र का त्याग; स्राव।
अपान वायु
(सं.) [सं-स्त्री.] गुदा मार्ग से बाहर आने वाली वायु; पाद।
अपामार्ग
(सं.) [सं-पु.] 1. लटजीरा 2. एक रोगनाशक पौधा; चिचड़ा नामक पौधा।
अपाय
(सं.) [सं-पु.] 1. दूर या पीछे हटना; अपगमन 2. पार्थक्य; अलगाव 3. नीति के विरुद्ध आचरण 4. नाश; अंत 5. उत्पात; उपद्रव 6. लोप।
अपार
(सं.) [वि.] 1. जिसका पार न हो; अनंत; असीम 2. अथाह; बहुत अधिक; असंख्य; अतिशय। [सं-पु.] 1. समुद्र; सागर 2. नदी का सामने वाला किनारा 3. अपान से बचने पर एक
प्रकार का मानसिक संतोष।
अपारग
(सं.) [वि.] 1. जो पार न जा सकता हो 2. असमर्थ; अयोग्य।
अपारदर्शक
(सं.) [वि.] जिसके पार न देखा जा सकता हो; जो पारदर्शी न हो; धुँधला; (ओपेक)।
अपारदर्शिता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पारदर्शी न होने का गुण 2. {ला-अ.} पाक-साफ़ न होने का दोष; बेईमानी।
अपारदर्शी
(सं.) [वि.] 1. जिसके आर-पार न देखा जा सके; जो पारदर्शी न हो 2. {ला-अ.} जो अपने काम या आचरण में पारदर्शी या पाक-साफ़ न हो।
अपारिभाषिक
(सं.) [वि.] जो पारिभाषिक न हो।
अपार्टमेंट
(इं.) [सं-पु.] 1. कमरा; फ़्लैट 2. भवन; मकान।
अपार्थ
(सं.) [वि.] 1. दूषित अर्थ वाला 2. अर्थ से रहित या हीन 3. व्यर्थ; निरर्थक 4. जिसका कोई प्रभाव या फल न हो; निष्फल।
अपार्थिव
(सं.) [वि.] 1. जो पार्थिक या लौकिक न हो; अलौकिक; लोकोत्तर 2. अनश्वर।
अपावन
(सं.) [वि.] 1. जो पावन या पवित्र न हो; अपवित्र 2. मैला; गंदा।
अपावृत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पीछे हटा लेने या लौटा लेने की क्रिया 2. तिरस्कारपूर्ण अस्वीकृति।
अपासन
(सं.) [सं-पु.] 1. अपने सामने आई हुई प्रार्थना, कथन आदि की अस्वीकृति 2. नामंज़ूरी; (रिजेक्शन)।
अपासित
(सं.) [वि.] 1. जो माना न गया हो 2. अस्वीकृत; नामंज़ूर; (रिजेक्टेड)।
अपाहिज
[वि.] अपंग; विकलांग; पंगु।
अपिंडी
(सं.) [वि.] 1. पिंडरहित; अशरीरी 2. अमूर्त।
अपितु
(सं.) [अव्य.] 1. बल्कि 2. किंतु।
अपितृक
(सं.) [वि.] 1. जिसके पिता जीवित न हों; पितृहीन 2. अपैतृक; जो बपौती न हो।
अपिधान
(सं.) [सं-पु.] 1. ढकने की वस्तु; ढक्कन 2. ढकने की क्रिया या भाव; आवरण; आच्छादन 3. छिपाव।
अपिहित
(सं.) [वि.] आच्छादित; ढका हुआ; आवृत्त।
अपीड़न
(सं.) [सं-पु.] 1. पीड़ा न देना; उत्पीड़ित न करना 2. दया; अनुकंपा।
अपील
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. निवेदन; याचना; अर्ज़; दरख़्वास्त 2. छोटी अदालत के निर्णय के विरुद्ध पुनर्विचार के लिए उच्च अदालत में किया जाने वाला आवेदन; याचिका;
फ़रियाद 3. स्वीकृति, न्याय या सहायता आदि के लिए की जाने वाली सार्वजनिक प्रार्थना; गुहार 4. स्वीकार्य भाव, प्रभाव या धारणा।
अपीलकर्ता
(इं.+सं.) [सं-पु.] 1. अपील करने वाला; साग्रह अनुरोध करने वाला 2. किसी अदालती फ़ैसले को बदलवाने या उस पर पुनर्विचार करने के लिए दरख़्वास्त देने वाला;
फ़रियादी।
अपीलिंग
(इं) [वि.] 1. जो आकर्षक या मोहक हो 2. जो मन में प्रभाव छोड़े 3. जो संवेदना जगाए।
अपीलीय
(इं.) [वि.] 1. अपील संबंधी 2. जिसके विरुद्ध अपील की जा सके।
अपुण्य
(सं.) [वि.] 1. अपवित्र; अपावन 2. बुरा; कलुषित। [सं-पु.] पुण्य का अभाव; पाप।
अपुष्ट
(सं.) [वि.] 1. जिसका पोषण और रख-रखाव ठीक न हुआ हो 2. कमज़ोर; दुर्बल 3. मंद (स्वर) 4. जिसकी पुष्टि या तसदीक न हुई हो, जैसे- अपुष्ट समाचार 5. (काव्यशास्त्र)
एक अर्थ-दोष।
अपुष्टीकृत
(सं.) [वि.] 1. जो पुष्ट न किया गया हो; जिसका परीक्षण न किया गया हो 2. जिसका पोषण ठीक ढंग से न हुआ हो।
अपूज्य
(सं.) [वि.] अपूजनीय; जो पूजा या श्रद्धा का पात्र न हो; असम्माननीय।
अपूरित
(सं.) [वि.] 1. जो भरा न हो 2. जो अधिक या पूरा न हो।
अपूर्ण
(सं.) [वि.] 1. जो पूर्ण या पूरा न हो; नामुकम्मल 2. अधूरा 3. अधकचरा 4. न्यून; कम; रिक्त; खाली; (इनकंपलीट)।
अपूर्णता
(सं.) [सं-स्त्री.] अपूर्ण होने की अवस्था या भाव; पूरा न होने का भाव; अधूरापन; अधकचरापन।
अपूर्व
(सं.) [वि.] जैसा या जो पहले न हुआ हो; अनोखा; अद्भुत; अनूठा; बेजोड़; अद्वितीय; विलक्षण।
अपूर्वता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपूर्व होने की अवस्था; गुण या भाव 2. नवीनता 3. अनोखापन; विलक्षणता।
अपूर्वानुमेय
(सं.) [वि.] जिसका पूर्वानुमान न हो सके; जिसका पहले से अंदाज़ा न लगाया जा सके; अप्रत्याशित।
अपृक्त
(सं.) [वि.] 1. जिसका संपर्क या संबंध न हो; असंयुक्त; असंबद्ध 2. जिसमें कोई मिलावट न हो; विशुद्ध; खाँटी।
अपृथक
(सं.) [वि.] जो पृथक न हो; संयुक्त; मिला हुआ; मिश्रित।
अपृथकता
(सं.) [सं-स्त्री.] पृथक न होने का भाव; समानता; अभिन्नता।
अपेंडिसाइटिस
(इं.) [सं-पु.] आंत्रशोथ; आँत बढ़ने की बीमारी।
अपेक्षणीय
(सं.) [वि.] 1. अपेक्षा करने योग्य; उम्मीद करने लायक 2. वांछनीय; चाहा हुआ।
अपेक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आशा; उम्मीद 2. अभिलाषा; आकांक्षा; इच्छा; चाहत 3. भरोसा 4. आवश्यकता; ज़रूरत 5. कार्य-कारण का अन्योन्य संबंध। [क्रि.वि.] तुलना में।
अपेक्षाकृत
(सं.) [अव्य.] तुलना में; मुकाबले में।
अपेक्षाधिक
(सं.) [वि.] अपेक्षा से अधिक; उम्मीद से ज़्यादा।
अपेक्षित
(सं.) [वि.] 1. जिसकी अपेक्षा या आशा की गई हो; इच्छित; जिसे चाहा गया हो 2. प्रत्याशित; प्रतीक्षित।
अपेक्षी
(सं.) [वि.] अपेक्षा करने वाला; जिसे किसी से किसी बात की अपेक्षा हो; इच्छुक; प्रतीक्षारत।
अपेक्ष्य
(सं.) [वि.] जिसकी अपेक्षा करना उचित हो; अपेक्षित; चाहा हुआ; वांछनीय।
अपेय
(सं.) [वि.] 1. जिसे पीना ठीक न हो; जिसे पीना उचित न हो 2. न पीने योग्य; जो पिया न जा सकता हो।
अपैतृक
(सं.) [वि.] 1. जो पैतृक न हो 2. जो विरासत में न मिला हो।
अपोज़िट
(इं.) [वि.] 1. विरोधी; विलोम 2. प्रतिद्वंद्वी।
अपोज़िशन
(इं.) [सं-पु.] 1. विरोधी पक्ष; विरोधी दल; प्रतिपक्ष 2. विरोध।
अपोलो
(इं.) [सं-पु.] 1. एक ग्रीक देवता जो संगीत, काव्य और पुरुष सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है 2. अत्यंत सुंदर युवक।
अपोह
(सं.) [सं-पु.] 1. हटाना; दूर करना 2. ऊहापोह 3. तर्क द्वारा शंका-निवारण।
अपोहन
(सं.) [सं-पु.] 1. भ्रम का नष्ट हो जाना; शंका या संदेह का निराकरण 2. तर्क-वितर्क।
अपौतिक
(सं.) [वि.] 1. जिसमें सड़न न हुई हो 2. जिसमें अभी विषाक्त कीटाणुओं का प्रवेश न हुआ हो।
अपौरुष
(सं.) [सं-पु.] 1. पुरुषार्थहीनता; कापुरुषत्व 2. नपुंसकता 3. साहसहीनता; कायरता; भीरुता। [वि.] 1. अपुरुषोचित; अलौकिक; ईश्वरीय 2. कायर; भीरु 3. पुरुषार्थहीन।
अपौरुषेय
(सं.) [वि.] 1. जो पौरुषेय अर्थात मनुष्य द्वारा न बनाया गया हो 2. जो मनुष्य की शक्ति के बाहर हो 3. अमानुषिक; अलौकिक 4. ईश्वर या देवताओं का बनाया हुआ।
अपौष्टिक
(सं.) [वि.] जो पोषण या पुष्टिदायक न हो; अस्वास्थ्यकर; जिसमें पर्याप्त पौष्टिक तत्व न हों।
अप्रकट
(सं.) [वि.] 1. जो प्रकट न हो; गुप्त; छिपा हुआ 2. अप्रकाशित; प्रच्छन्न।
अप्रकटता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रकट न होने की अवस्था या भाव; गुप्त या गोपनीय रहने की स्थिति 2. प्रच्छन्नता 3. अस्पष्टता।
अप्रकाशनीय
(सं.) [वि.] 1. जो प्रकाशन के योग्य न हो 2. नैतिकता की दृष्टि से अवांछनीय (सूचना या जानकारी) 3. जो अंधेरे में ही रहने योग्य हो।
अप्रकाशित
(सं.) [वि.] 1. जिसका प्रकाशन न हुआ हो; जो छपा न हो 2. जो प्रकट न हुआ हो; छिपा हुआ; अव्यक्त 3. जिसमें उजाला न हो; अंधेरा।
अप्रकाश्य
(सं.) [वि.] 1. जो प्रकट या प्रकाशित करने के योग्य न हो; वर्जित 2. गोपनीय।
अप्रकृत
(सं.) [वि.] 1. जो प्रकृत अथवा स्वाभाविक न हो 2. जो अपने उचित मान से घटा या बढ़ा हुआ हो 3. जो अपने ठिकाने पर न हो 4. गढ़ा या बनाया हुआ; नकली 5. अप्रधान 6.
आकस्मिक।
अप्रकृतिस्थ
(सं.) [वि.] 1. जो सामान्य या प्राकृतिक स्थिति में न हो; असामान्य 2. अस्वस्थ 3. बेचैन; व्याकुल।
अप्रकृष्ट
(सं.) [वि.] बुरा; नीच।
अप्रखर
(सं.) [वि.] 1. जो प्रखर या तेज़ न हो; अतीक्ष्ण 2. अप्रगल्भ; जो चतुर न हो 3. सुस्त 4. कोमल।
अप्रगल्भ
(सं.) [वि.] 1. जो प्रगल्भ न हो 2. शीलवान; विनीत 3. शरमीला; लजीला 4. अपरिपक्व; अप्रौढ़ 5. सुस्त; उत्साहहीन।
अप्रगुण
(सं.) [वि.] 1. व्यस्त 2. व्याकुल।
अप्रचलन
(सं.) [सं-पु.] 1. चलन, व्यवहार या प्रयोग से बाहर होने की स्थिति; अप्रसिद्धि।
अप्रचलित
(सं.) [वि.] 1. जिसका चलन या व्यवहार न हो; जिसका प्रयोग न होता हो 2. जो मशहूर न हो 3. जो फ़ैशन के अनुरूप न हो।
अप्रच्छन्न
(सं.) [वि.] जो अप्रकट या छुपा हुआ न हो; अनावृत; खुला हुआ; स्पष्ट; उजागर।
अप्रज
(सं.) [वि.] 1. जिसे संतान न हो; निस्संतान; बाँझ 2. निर्जन; उजाड़; जहाँ कोई वास न करता हो 3. न जन्मा हुआ; अजात।
अप्रतिकर
(सं.) [वि.] 1. जो विश्वस्त हो; विश्वासपात्र 2. विश्रंभी।
अप्रतिबंध
(सं.) [सं-पु.] 1. जिसपर प्रतिबंध या रोक न लगी हो; प्रतिबंध रहित 2. स्वच्छंद; स्वतंत्र; उन्मुक्त 3. पूर्ण।
अप्रतिबद्ध
(सं.) [वि.] 1. जो प्रतिबद्ध न हो 2. जो उसूल का पक्का न हो; बेगैरत 3. गैरजिम्मेदार 4. जिसपर रोक-टोक न हो; मनमाना; स्वच्छंद।
अप्रतिभ
(सं.) [वि.] 1. जिसमें प्रतिभा न हो; प्रतिभाशून्य 2. उदास; चेष्टाहीन 3. सुस्त; मंद; स्फूर्तिरहित 4. निर्बुद्धि; मतिमंद।
अप्रतिम
(सं.) [वि.] 1. अनुपम; बेजोड़; अद्वितीय 2. जिसकी तुलना न की जा सके; जिसकी बराबरी का दूसरा न हो।
अप्रतिमान
(सं.) [सं-पु.] अप्रतिम।
अप्रतिरूप
(सं.) [सं-पु.] 1. जिसका कोई प्रतिरूप न हो; अनन्य; बेजोड़ रूप वाला; अद्वितीय 2. जो अनुरूप या सटीक न हो; अननुरूप।
अप्रतिरोधक
(सं.) [वि.] 1. जो प्रतिरोध न करे 2. जिसमें प्रतिरोधकता न हो 3. जो बदला न ले सकता हो 4. पलायनवादी।
अप्रतिष्ठा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रतिष्ठा या सम्मान का न होना; बेइज़्ज़ती; अनादर; अपमान 2. अमर्यादा 3. अपकीर्ति; अपयश।
अप्रतिहत
(सं.) [वि.] 1. बिना रुकावट; निर्विघ्न; जिसे कोई रोकने-टोकने वाला न हो; निर्बाध 2. जिसमें बाधा उपस्थित न हुई हो; अक्षुण्ण 3. जो हारा न हो; अपराजित।
अप्रतीति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रतीति का न होना; भान न होना 2. अस्पष्टता 3. अविश्वास 4. असमान।
अप्रतीयमान
(सं.) [वि.] 1. अनाभासी; जिसकी प्रतीति न हो 2. अनिश्चित।
अप्रत्यक्ष
(सं.) [वि.] 1. परोक्ष; जो प्रत्यक्ष न हो 2. जो दिखाई न दे; अगोचर; अदृश्य 3. गैरहाज़िर; गैरमौज़ूद; अनुपस्थित 4. अप्रकट; गुप्त।
अप्रत्याशित
(सं.) [वि.] 1. जिसकी पहले से आशा न की गई हो; अचानक घटित होने वाला 2. असंभावित।
अप्रदत्त
(सं.) [वि.] जो दिया न गया हो; जो प्रदान न किया गया हो।
अप्रदूषित
(सं.) [वि.] जो प्रदूषित न हो; स्वच्छ; निर्मल।
अप्रभावकारी
(सं.) [वि.] 1. प्रभाव या असर न डालने वाला; अप्रभावी; निष्प्रभावी 2. अप्रभावशाली; जिसका कोई रुतबा या शोहरत न हो; मामूली।
अप्रभावित
(सं.) [वि.] 1. जो किसी के प्रभाव या असर में न हो 2. स्वायत्त; स्वतंत्र।
अप्रभावी
(सं.) [वि.] अप्रभावकारी; निष्प्रभावी।
अप्रभुत्व
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रभुत्व या स्वामित्व का न होना; स्वामित्वविहीनता 2. असमर्थता; अयोग्यता।
अप्रमत्त
(सं.) [वि.] 1. जो प्रमत्त या पागल न हो 2. जागरूक; सावधान।
अप्रमाद
(सं.) [सं-पु.] प्रमादहीनता; जागरूकता; होशोहवास। [वि.] प्रमादरहित।
अप्रमित
(सं.) [वि.] 1. जो मापा न गया हो 2. जो सिद्ध या प्रमाणित न किया जा सके 3. अनंत; असीम।
अप्रमेय
(सं.) [सं-पु.] 1. जिसकी माप न हो सके 2. बेहद; बेहिसाब 3. अनंत; अपार; असीम 4. जो सिद्ध या प्रमाणित न किया जा सके।
अप्रमोद
(सं.) [सं-पु.] 1. आमोद-प्रमोद का अभाव; प्रसन्नता या मनोरंजन का न होना 2. कष्ट-निवारण की अक्षमता।
अप्रयुक्त
(सं.) [वि.] 1. जिसका प्रयोग न हुआ हो; जो काम में न लाया गया हो 2. अव्यवहृत; अप्रचलित।
अप्रवर्तक
(सं.) [वि.] 1. किसी काम में दूसरों को संलग्न करने में अक्षम; जिसमें नेतृत्व क्षमता न हो 2. निष्क्रिय; निरुत्साह 3. अविच्छिन्न।
अप्रवर्तनीय
(सं.) [वि.] प्रवर्तन न करने योग्य; ठानने या संकल्प करने में अयोग्य (कार्य); निहायत गैरज़रूरी।
अप्रवीण
(सं.) [वि.] 1. अपटु; जो पारंगत न हो; अकुशल 2. अक्षम; अयोग्य 3. जो निपुण न हो।
अप्रशंसनीय
(सं.) [वि.] 1. जो प्रशंसा के योग्य न हो; नाक़ाबिलेतारीफ़ 2. प्रशंसा या तारीफ़ की सीमा से ऊपर उठा हुआ; जिसके लिए तारीफ़ के लफ़्ज़ कम पड़ते हों।
अप्रशंसा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रशंसा का अभाव 2. अमान्यता; उदासीनता; उपेक्षा।
अप्रशिक्षित
(सं.) [वि.] 1. जिसे प्रशिक्षण न मिला हो 2. अनाड़ी।
अप्रसन्न
(सं.) [वि.] 1. जो प्रसन्न न हो; नाख़ुश; दुखी 2. रुष्ट; नाराज़।
अप्रसन्नता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. नाख़ुशी; नाराज़गी 2. विरक्ति।
अप्रसिद्ध
(सं.) [वि.] जो प्रसिद्ध या मशहूर न हो; जिसकी ख्याति न हो; जिसे कम लोग जानते हों।
अप्रस्तुत
(सं.) [वि.] 1. जो प्रस्तुत या सामने न हो; अनुपस्थित 2. जो वर्तमान से संबंधित न हो; असंबद्ध; अप्रासंगिक 3. गौण 4. जिसका वर्णन न किया गया हो 5. अनुद्यत।
अप्रस्तुत प्रशंसा
(सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) अर्थालंकार का एक भेद जिसमें प्रस्तुत के अर्थ में अप्रस्तुत का वर्णन किया जाता है।
अप्राकृत
(सं.) [वि.] 1. जो प्राकृत न हो 2. असाधारण 3. अस्वाभाविक।
अप्राकृतिक
(सं.) [वि.] 1. जो प्रकृति के अनुरूप न हो; अस्वाभाविक 2. अलौकिक 3. जिसका कार्य से सीधा संबंध न हो।
अप्राण
(सं.) [वि.] जिसमें प्राण या जीवनी शक्ति न हो; निर्जीव; निस्तेज; मृत; संज्ञाहीन।
अप्राप्त
(सं.) [वि.] 1. जो प्राप्त न हुआ हो; जो हासिल न हो 2. जिसे कोई ख़ास चीज़ प्राप्त न हुई हो, जैसे- अप्राप्तयौवना, अप्राप्तवय 3. जो मौज़ूद या उपलब्ध न हो 4.
दुर्लभ 5. अनागत 6. परोक्ष; अप्रस्तुत।
अप्राप्य
(सं.) [वि.] 1. (पुस्तक आदि) जो अब प्राप्त न हो; जिसकी मुद्रित प्रतियाँ समाप्त हो चुकी हों; (आउट ऑव प्रिंट) 2. जो प्राप्त करने योग्य न हो 3. जो न मिल सका
हो; बाकी।
अप्रामाणिक
(सं.) [वि.] 1. जो प्रमाण से सिद्ध न हो 2. जो मानने योग्य न हो 3. ऊट-पटाँग 4. असत्यापित 5. तथ्यहीन 6. जिसका कोई प्रमाण न हो।
अप्रामाण्य
(सं.) [वि.] अप्रामाणिक; जिसका कोई प्रमाण न हो।
अप्रायिक
(सं.) [वि.] जो प्रायिक न हो; जो प्रायः या बहुधा न होने वाला हो।
अप्रायोगिक
(सं.) [वि.] 1. जो प्रयोग से संबंधित न हो; जो प्रयोग के सिलसिले का न हो 2. जिसका प्रयोग न किया जा सके; जो प्रयोग से पुष्ट होने वाला न हो।
अप्रासंगिक
(सं.) [वि.] 1. जिसका मौज़ूदा प्रसंग से कोई नाता न हो; गैरमौज़ूँ 2. विषय से असंबद्ध; असंगत 3. अर्थहीन।
अप्रासंगिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रासंगिक न होने की स्थिति या भाव 2. असंबद्धता 3. क्रमविहीनता 4. प्रसंग-विरुद्ध या सिलसिला-बाहर होने की अवस्था।
अप्रिय
(सं.) [वि.] 1. जो प्रिय न हो 2. जिसकी चाह न हो 3. अरुचिकर; नापसंद 4. दुखद।
अप्रीति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्नेहाभाव 2. वैर-विरोध; शत्रुता; दुश्मनी 3. अरुचि 4. दुर्भाव।
अप्रीतिकर
(सं.) [वि.] 1. अरुचिकर 2. स्नेहरहित; प्रेमरहित 3. शत्रुतापूर्ण 4. दुर्भावनापूर्ण।
अप्रेंटिस
(इं.) [सं-पु.] प्रशिक्षु; नौसिखिया।
अप्रेंटिसशिप
(इं.) [सं-स्त्री.] प्रशिक्षण; प्रशिक्षुता; नौसिखियापन।
अप्रैल
(इं.) [सं-पु.] 1. अँग्रेज़ी वर्ष का चौथा महीना 2. वित्तीय वर्ष का पहला महीना।
अप्रोच
(इं.) [सं-पु.] 1. पहुँच 2. अभिगम; पास आना 3. संपर्क; संबंध।
अप्रौढ़
(सं.) [वि.] 1. अवयस्क; अपरिपक्व; कच्चा 2. अशक्त; कमज़ोर 3. अनुभवहीन 4. जो सुलझे हुए मस्तिष्क का न हो।
अप्रौढ़ता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अवयस्कता; अपरिपक्वता 2. अशक्तता 3. अनुभवहीनता।
अप्लीकेशन
(इं.) [सं-पु.] 1. आवेदन; प्रार्थना 2. आवेदनपत्र; प्रार्थनापत्र 3. क्रियान्वयन; लागू करना; अमल।
अप्वाइंटमेंट
(इं.) [सं-पु.] 1. नियुक्ति 2. मिलने के लिए दिया हुआ समय या अवसर।
अप्सरा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. परम सुंदरी स्त्री 2. परी 3. इंद्र की सभा में नाचने वाली देवांगना।
अफ़रा-तफ़री
(फ़ा) [अव्य.] 1. जल्दबाज़ी; भागदौड़; आपाधापी; बदहवासी 2. गड़बड़; गोलमाल।
अफराव
[सं-पु.] 1. अफरने या पेट फूलने की क्रिया, भाव या अवस्था 2. तृप्त होना; अघाना।
अफला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्त्री जिसके संतान उत्पन्न न होती हो; बाँझ 2. घृतकुमारी।
अफ़लातून
(अ.) [सं-पु.] 1. प्राचीन यूनान के एक मशहूर दार्शनिक, जिनका असली नाम 'प्लातोन' था, अफ़लातून शब्द प्लातोन का अरबीकृत रूप है, इंग्लिश में इसे 'प्लेटो' कहा जाता
है 2. {व्यं-अ} वह जो अपने को दूसरों से अधिक बुद्धिमान समझता हो।
अफलित
(सं.) [वि.] 1. फलहीन; परिणामशून्य; जिसका वांछित नतीजा न निकला हो 2. फलरहित (वृक्ष)।
अफ़वाह
(अ.) [सं-पु.] 1. उड़ाई हुई ख़बर; बाज़ारू ख़बर; अपुष्ट समाचार 2. मनगढ़ंत ख़बर 3. गप्प। [मु.] -गरम होना : निराधार बात की चारों ओर चर्चा
होना।
अफ़सर
(इं.) [सं-पु.] 1. अधिकारी; हाकिम; शासक; (ब्यूरोक्रेट) 2. मुसाहिब; ओहदेदार 3. मुखिया; सरदार।
अफ़सरशाही
(इं.+फ़ा) [सं-स्त्री.] 1. अधिकारी राज 2. अफ़सरी रुतबा; (ब्यूरोक्रेसी)।
अफ़साना
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. किस्सा; कहानी 2. दास्ताँ 3. कथा; उपन्यास 4. लंबा वृत्तांत।
अफ़सानानवीस
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. कहानी लेखक; क़िस्सागो 2. कथाकार; उपन्यासकार।
अफ़सानानिगार
(फ़ा.) [सं-पु.] अफ़सानानवीस; कहानीकार।
अफ़सोस
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. खेद; पछतावा; पश्चाताप 2. दुख; शोक; रंज।
अफ़सोसजनक
(फ़ा.+सं.) [वि.] 1. खेदजनक 2. दुखद।
अफ़ीम
(अ.) [सं-पु.] पोस्त के डंठलों से निकाला जाने वाला एक नशीला पदार्थ जो कड़ुवा और काले रंग का होता है; (ओपियम)।
अफ़ीमची
(अ.) [सं-पु.] 1. वह जिसे अफ़ीम खाने की लत हो 2. नशेड़ी।
अफ़ीमी
[वि.] अफ़ीम से बना हुआ; जिसमें अफ़ीम मिली हो।
अब
(सं.) [अव्य.] 1. इस समय; वर्तमान में 2. इस समय के बाद अर्थात निकट भविष्य में; आगे से 3. इस अवसर पर; इस स्थिति में 4. निर्दिष्ट तथ्यों या बातों को ध्यान में
रखते हुए।
अबंध
(सं.) [सं-पु.] 1. बंधनरहित; जो बँधा न हो; खुला हुआ 2. उन्मुक्त; स्वच्छंद 3. मनमानी करने वाला; निरंकुश।
अब तक
[अव्य.] अभी तक; इस समय तक; मौज़ूदा क्षण तक।
अबद्ध
(सं.) [वि.] 1. जो बँधा न हो या बाँधा न गया हो; बंधनरहित 2. मनमाना आचरण करने वाला 3. जिसका क्रम या सिलसिला दुरुस्त न हो 4. जिसने कोई वायदा न किया हो।
अबरस
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. चितकबरा 2. उक्त रंग का घोड़ा।
अबरा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. ओढ़ने या पहनने के दोहरे कपड़ों में ऊपर का कपड़ा या पल्ला; उपल्ला 2. उलझन; विकट समस्या।
अबरी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का धारीदार चिकना कागज़ 2. एक प्रकार का पीला पत्थर 3. एक प्रकार की लाख की रँगाई।
अबरी कागज़
[सं-पु.] यांत्रिक प्रणाली से लेप लगाकर एक तरफ़ से चिकना बनाया गया कागज़; विलेपित कागज़; (कोटेड पेपर)।
अबल
(सं.) [वि.] 1. जिसमें बल या ताक़त न हो; अशक्त; बलहीन 2. कमज़ोर; दुर्बल 3. पुंसत्वहीन; नपुंसक।
अबलक
(अ.) [वि.] 1. जिसमें दो रंग एक साथ दिखाई दें, जैसे- सफ़ेद-काला, लाल-पीला 2. अनेक रंगों से मिला हुआ; चितकबरा। [सं-पु.] ऐसा घोड़ा जिसके शरीर पर कुछ भाग लाल और
कुछ भाग काला हो।
अबला
(सं.) [वि.] जिसमें बल न हो; असहाय; कमज़ोर।
अबल्य
(सं.) [वि.] 1. अबलता; अशक्तता; निर्बलता; कमज़ोरी 2. अस्वस्थता।
अबादान
(अ.) [वि.] 1. आबाद; बसा हुआ 2. भरा-पूरा 3. संपन्न; समृद्ध।
अबाध
(सं.) [वि.] 1. निर्बाध; निरंतर; लगातार 2. बाधाहीन; जिसमें कोई बाधा या विघ्न न हो; निर्विघ्न 3. अपार; असीम 4. मनमाना; स्वच्छंद 5. पूर्ण; परम।
अबाधा
(सं.) [सं-स्त्री.] अबाध; बिना बाधा के।
अबाधित
(सं.) [वि.] 1. जिसमें बाधा या रुकावट न आई हो; बेरोकटोक चलने वाला 2. मनमाना; स्वच्छंद; निरंकुश।
अबाध्य
(सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई बाधा, अड़चन या रुकावट न हो 2. जिसे रोकने या जिसमें बाधा डालने की मनाही हो।
अबाबील
(अ.) [सं-स्त्री.] काले रंग की एक मशहूर चिड़िया जो प्रायः खंडहरों में अपने घोंसले बनाती है।
अबीर
(अ.) [सं-पु.] 1. अबरक का चूरा जो मुख्यतः गुलाबी रंग का होता है 2. बुक्का 3. उक्त चूरा जिसे लोग होली के अवसर पर एक-दूसरे को लगाते हैं।
अबुद्धि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बुद्धि का अभाव; बुद्धिहीनता 2. नासमझी 3. मूर्खता; अज्ञान।
अबूझ
(सं.) [वि.] 1. जिसे जानना-समझना दुरूह हो; समझ और अनुमान से परे 2. जिसे समझा न जा सके।
अबे
[अव्य.] किसी को छोटा या तुच्छ मान कर किया जाने वाला तिरस्कारपूर्ण संबोधन।
अबेध
(सं.) [वि.] 1. जिसे बेधा या छेदा न गया हो 2. जिसे बेधा या छेदा न जा सके।
अबेर
[सं-पु.] देर; विलंब।
अबोध
(सं.) [वि.] 1. नासमझ; अज्ञानी 2. मासूम; निश्छल 3. कच्ची उम्र का; अनुभवहीन।
अबोधता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अज्ञानता; नासमझी 2. बचपना; अनुभवहीनता 3. मासूमियत; निश्छलता।
अबोल
[सं-पु.] न बोला जाना; चुप्पी [वि.] 1. चुप; मौन 2. जिसके बारे में कुछ न कहा जा सके; अनिर्वचनीय।
अबोला
[सं-पु.] रंज से न बोलना; रूठने के बाद होने वाला मौन। [वि.] जो बोला या कहा न गया हो; न बोलने वाला।
अब्ज
(सं.) [सं-पु.] 1. जल से उत्पन्न वस्तु 2. कमल 3. शंख 4. कपूर 5. चंद्रमा 6. एक अरब की संख्या।
अब्जद
[सं-पु.] 1. अरबी वर्णमाला 2. अरबी वर्णमाला के पच्चीस वर्ण 3. अरबी में अक्षरों द्वारा अंक सूचित करने की प्रणाली।
अब्जा
[सं-स्त्री.] 1. लक्ष्मी 2. मोती वाली सीपी।
अब्द
(सं.) [सं-पु.] 1. वर्ष; साल 2. मेघ 3. नागरमोथा 4. आकाश 5. एक पर्वत 6. कपूर।
अब्दुल्ला
(अ.) [सं-पु.] अल्लाह का बंदा; अल्लाह का सेवक; अनुचर; गुलाम; दास।
अब्धि
(सं.) [सं-पु.] 1. समुद्र; सागर 2. ताल; सरोवर; झील।
अब्बा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. पिता 2. मुसलमानों में पिता के लिए प्रचलित संबोधन।
अब्बाजान
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. पिता या अब्बा 2. अब्बा के लिए संबोधन।
अब्बास
(अ.) [सं-पु.] 1. सिंह; शेर 2. गुलेअब्बास; गुलाबाँस; एक तरह का फूल तथा उसका पौधा।
अब्बासी
(अ.) [सं-पु.] 1. ख़ास तरह का लाल रंग 2. मिस्र में होने वाली ख़ास तरह की कपास। [वि.] लाल; नीला; काला रंग; (स्मोक ब्लू)।
अब्बू
(फ़ा.) [सं-पु.] अब्बा शब्द का बिगड़ा हुआ रूप।
अब्र
(फ़ा.) [सं-पु.] बादल; मेघ; घटा।
अभंग
(सं.) [वि.] 1. अखंडित; न टूटा हुआ; पूर्ण 2. न टूटने वाला 3. उसी रूप में जारी क्रम वाला; लगातार 4. अपराजित; जिसका दर्प भंग न हुआ हो।
अभंगपद
(सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) श्लेष अलंकार का एक भेद जिसमें पदों के वर्णों को इधर-उधर किए बिना दूसरा अर्थ निकाला जाता है।
अभंगी
(सं.) [वि.] 1. जो भंग न हुआ हो; जिसे भंग न किया जा सके 2. अखंडित; मुकम्मल; पूर्ण।
अभंगुर
(सं.) [वि.] 1. जो नष्ट न होने वाला हो; अनश्वर 2. स्थायी; स्थिर।
अभंजन
(सं.) [वि.] जिसे तोड़ा-फोड़ा न जा सके; अखंड; अटूट। [सं-पु.] 1. किसी पदार्थ का कई भागों में न टूटना 2. {ला-अ.} शांति।
अभंजनीय
(सं.) [वि.] 1. जिसे तोड़ा न जा सके; अटूट 2. जिसे नष्ट न किया जा सके; स्थायी; अखंड।
अभक्त
(सं.) [वि.] 1. जो अलग न किया गया हो 2. पूरा; मुकम्मल 3. जो भक्त न हो; श्रद्धाहीन 4. जो अनुयायी या अनुचर न हो।
अभक्ष्य
(सं.) [वि.] जो खाने के योग्य या उपयुक्त न हो; अखाद्य; अभोज्य; जो खाया न जा सकता हो।
अभग्न
(सं.) [वि.] कभी भग्न न होने वाला; कभी खंडित या निरस्त न होने वाला; पूरा; समूचा।
अभद्र
(सं.) [वि.] 1. अशिष्ट; असभ्य 2. अशोभन 3. अशुभ; अमंगल।
अभद्रता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अभद्र होने की अवस्था 2. बुरा आचरण; अशिष्टता।
अभय
(सं.) [वि.] भयरहित; निर्भय; निडर; निर्भीक। [सं-पु.] 1. भय का अभाव; निर्भयता; निडरता 2. परमात्मा 3. रक्षा का भरोसा।
अभयचारी
(सं.) [वि.] निर्भय होकर विचरण करने वाला; स्वच्छंद।
अभयदान
(सं.) [सं-पु.] भय से रक्षा का वचन देना; शरण देना; संरक्षण देना।
अभयपत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. वह पत्र या प्रमाणपत्र जो अभयदान सुनिश्चित करे 2. वह पत्र जिसे दिखा कर कोई व्यक्ति संकट की घड़ी में सुरक्षित और निरापद महसूस करे।
अभयपद
(सं.) [सं-पु.] मुक्ति; मोक्ष।
अभयपरिग्रह
(सं.) [सं-पु.] सुरक्षित वन संबंधी नियमों का उल्लंघन।
अभयप्रद
(सं.) [वि.] अभय प्रदान करने वाला; अभय देने वाला।
अभयमुद्रा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अभयदान की मुद्रा 2. एक तांत्रिक मुद्रा 3. हाथ उठाकर हथेली सामने करने की मुद्रा।
अभयवचन
(सं.) [सं-पु.] रक्षा करने का वचन या प्रतिज्ञा।
अभयवन
(सं.) [सं-पु.] 1. वह वन क्षेत्र जहाँ पशु-पक्षी तथा वृक्षों आदि को किसी भी प्रकार से हानि पहुँचाना निषिद्ध हो; अभयारण्य; रक्षित-संरक्षित वन 2. ऐसा वन जिसमें
यात्रियों को किसी प्रकार का भय न हो।
अभया
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (पुराण) दुर्गा का एक रूप, भगवती 2. हरीतकी नामक औषधि।
अभयारण्य
(सं.) [सं-पु.] पशुओं के लिए संरक्षित वन।
अभागा
(सं.) [वि.] भाग्यहीन; दुर्भाग्यशाली; बदकिस्मत।
अभागिन
(सं.) [वि.] बदनसीब; दुर्भाग्यशालिनी।
अभाग्य
(सं.) [सं-पु.] दुर्भाग्य; बदकिस्मती। [वि.] भाग्यहीन; दुखी।
अभाज्य
(सं.) [वि.] जिसे पूरा-पूरा विभाजित न किया जा सके; विषम (जैसे- 3, 7, 11 आदि)।
अभार
(सं.) [सं-पु.] भारहीन; हलका।
अभारतीय
(सं.) [वि.] जो भारतीय न हो; भारत से बाहर का।
अभाव
(सं.) [सं-पु.] 1. कमी; त्रुटि 2. अविद्यमानता; न होना 3. दुर्भाव 4. अस्तित्व में न होने की अवस्था का भाव।
अभावक
(सं.) [वि.] 1. भाव या सत्ता से रहित 2. अभाव से उत्पन्न; अभाव को सूचित करने वाला।
अभावग्रस्त
(सं.) [वि.] निर्धन; विपन्न; तंगहाल; फटेहाल।
अभावनीय
(सं.) [वि.] जिसकी भावना न की जा सके; अचिंतनीय।
अभाववाद
(सं.) [सं-पु.] ध्वनिविरोधी तीन संभाव्य मतों में से एक जिनका उल्लेख 'ध्वन्यालोक' में मिलता है।
अभावात्मक
(सं.) [वि.] 1. जो अभाव के रूप में हो 2. अभावसूचक; नकारात्मक।
अभाव्य
(सं.) [वि.] 1. न होने वाला; अभावी; अस्तित्वहीन 2. जिसकी भावना न की जा सके; जिसका ध्यान न किया जा सके।
अभाषित
(सं.) [वि.] 1. अकथित; अनुक्त; अनभिव्यक्त 2. अवर्णित; अनुल्लिखित।
अभाष्य
(सं.) [वि.] 1. जिसे कहा न जा सके; जिसे बताया न जा सके 2. जिसका भाष्य संभव न हो; जिसकी व्याख्या न हो सके; अव्याख्येय।
अभि
(सं.) [पूर्वप्रत्य.] एक प्रत्यय जो शब्दों में लगकर अर्थों में अग्रलिखित विशेषताएँ लाता है, 1. आगे या सामने की ओर, जैसे- अभिमुख 2. मात्रा या मान का आधिक्य,
जैसे- अभिमान 3. भली प्रकार से, जैसे- अभिभाषण; अभिव्यंजन 4. श्रेष्ठ या विशेष, जैसे- अभिनव आदि।
अभिकथन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी पक्ष या व्यक्ति द्वारा किसी पर लगाया गया ऐसा आरोप जो अभी तक साबित न हो पाया हो; अभियोग 2. दार्शनिक निरूपण में तथ्यों की प्रस्तुति।
अभिकथित
(सं.) [वि.] आरोपित; कथित; जिसपर अभियोग लगा हो।
अभिकरण
(सं.) [सं-पु.] किसी बड़ी संस्था के अधीनस्थ काम करने वाली कोई छोटी संस्था; (एजेंसी)।
अभिकर्ता
(सं.) [सं-पु.] किसी संस्था के प्रतिनिधि के रूप में काम करने वाला व्यक्ति; मुख़्तार; (एजेंट)।
अभिकर्ता पत्र
(सं.) [सं-पु.] वह पत्र जिसके अनुसार यह अनुमान लगाया जा सकता है कि कौन किसका अभिकर्ता नियत हुआ है; (पावर ऑव अटार्नी)।
अभिकर्तृत्व
(सं.) [सं-पु.] प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था (एजेंसी) या प्रतिनिधि व्यक्ति (एजेंट) का पेशा या काम; मुख़्तारनामा।
अभिकलन
(सं.) [सं-पु.] अनुभवों, बाह्य घटनाओं और निश्चित सिद्धांतों की मदद से किया जाने वाला परिकलन; संगणना; (कंप्यूटेशन)।
अभिकलित्र
(सं.) [सं-पु.] अभिकलन या संगणना करने वाली मशीन; (कंप्यूटर)।
अभिकल्प
(सं.) [सं-पु.] किसी यंत्र के कलपुर्जों को खोल कर परीक्षण करना और फिर उन्हें यथास्थान लगाना; (ओवरहॉलिंग; डिज़ाइन)।
अभिकल्पन
(सं.) [सं-पु.] अभिकल्प करने की क्रिया या भाव; (डिज़ाइनिंग)।
अभिकल्पना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऐसी कल्पना या कल्पित प्रारूप जो किसी तर्क का आधार बने; परिकल्पना 2. अभिकल्पन।
अभिक्रम
(सं.) [सं-पु.] 1. आगे की ओर बढ़ना; चरणबद्ध या क्रमिक विकास करना; आरंभ 2. प्रयत्न; उद्योग; प्रयत्नशील कदम 3. आक्रमण; चढ़ाई 4. आरोहण; आक्रमण।
अभिक्रमण
(सं.) [सं-पु.] अभिक्रम करना; आगे बढ़ना; किसी अभियान पर कूच करना।
अभिक्रांत
(सं.) [वि.] विस्थापित; स्थानांतरित; (डिसप्लेस्ड)।
अभिक्रांति
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी चीज़ को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करना; विस्थापन; (डिस्प्लेसमेंट)।
अभिक्रिया
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी क्रिया, स्थिति या प्रभाव के उत्तर में होने वाली क्रिया 2. (रसायनविज्ञान) दो या अधिक पदार्थों के बीच निश्चित दबाव और तापमान पर
होने वाली रासायनिक क्रिया।
अभिख्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. शोभा; कांति 2. कीर्ति; यश; प्रसिद्धि; ख्याति; नेक नामी 3. प्रज्ञा 4. ख्यात होने की अवस्था या भाव।
अभिख्यात
(सं.) [वि.] 1. प्रसिद्ध; मशहूर; विख्यात 2. यशस्वी।
अभिख्यान
(सं.) [सं-पु.] नाम; ख्याति; प्रसिद्धि; यश।
अभिगम
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी के पास जाना; पहुँच 2. प्रवेश।
अभिगमन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी के पास जाना 2. सहवास; संभोग।
अभिगम्यता
(सं.) [सं-स्त्री.] अभिगमन करने की क्रिया या आचरण।
अभिगामी
(सं.) [वि.] अभिगमन करने वाला; पास जाने वाला।
अभिगृहीत
(सं.) [वि.] 1. जिसे अपनाया गया हो; दत्तक 2. छाँटा या चुना हुआ 3. बलपूर्वक लिया हुआ; अपहृत 4. राज्य या शासन द्वारा कब्ज़ा किया हुआ; राज्य द्वारा लिया गया;
अधिगृहीत; (एडॉप्टेड)।
अभिग्रस्त
(सं.) [वि.] दुश्मन द्वारा पराजित या दबाया हुआ; आक्रांत।
अभिग्रहण
(सं.) [सं-पु.] 1. अपनाना 2. पसंद कर छाँटना 3. बलपूर्वक उठा लेना; अपहरण 4. शासन द्वारा कब्ज़ा; अधिग्रहण।
अभिघट
(सं.) [सं-पु.] घड़े की आकृति वाला एक पुराना बाजा।
अभिघात
(सं.) [सं-पु.] 1. चोट; प्रहार या मार 2. आघात; सदमा 3. दो चीज़ों में होने वाली टक्कर; रगड़ या घर्षण।
अभिचर
(सं.) [सं-पु.] नौकर; सेवक; अनुचर।
अभिचार
(सं.) [सं-पु.] 1. (अंधविश्वास) तंत्र द्वारा किए जाने वाले मारण, मोहन, उच्चाटन आदि क्रियाकलाप 2. झाड़-फूँक; टोना-टोटका।
अभिचारी
(सं.) [सं-पु.] अभिचार करने वाला; तांत्रिक; ओझा।
अभिजन
(सं.) [सं-पु.] 1. अभिजात जन; कुलीन या उच्चवर्गीय संभ्रांत लोग; (एलीट) 2. घर का मुखिया; बड़ा; बुज़ुर्ग 3. स्वजन; परिवार।
अभिजात
(सं.) [वि.] 1. कुलीन 2. रईस; उच्चवर्गीय 3. संभ्रांत; संस्कारी; शिष्ट 4. मनोहर; सुंदर 5. उपयुक्त; मान्य।
अभिजातकी
(सं.) [सं-पु.] 1. कुलीन लोगों का समूह 2. समाज का उच्च और धनी वर्ग।
अभिजाततंत्र
(सं.) [सं-पु.] कुलीन-तंत्र, वह शासन प्रणाली जिसमें शासन की बागडोर उच्चवर्ग के थोड़े से कुलीन लोगों के हाथ में होती है; (एरिस्टोक्रेसी; ऑलीगार्की)।
अभिजातवर्ग
(सं.) [सं-पु.] कुलीनों, अभिजनों का वर्ग या समुदाय।
अभिजात्य
(सं.) [वि.] 1. अच्छे कुल में उत्पन्न; कुलीन 2. समझदार; बुद्धिमान।
अभिजित
(सं.) [वि.] जिसे जीत लिया गया हो; विजित।
अभिजिति
(सं.) [सं-स्त्री.] युद्ध में शत्रु को जीतने की क्रिया या भाव; विजय; जीत।
अभिज्ञ
(सं.) [वि.] 1. जानकार; ज्ञाता 2. कुशल; दक्ष; निपुण।
अभिज्ञता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. जानकारी; ज्ञान 2. कुशलता; निपुणता।
अभिज्ञा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ज्ञान प्राप्त करना; जानना; परिचित होना 2. पहले-पहल होने वाला ज्ञान 3. याद; स्मृति।
अभिज्ञात
(सं.) [वि.] 1. जाना-पहचाना हुआ 2. समझा-बूझा हुआ 3. जिसकी पहचान या शिनाख़्त हुई हो।
अभिज्ञान
(सं.) [सं-पु.] 1. स्मृति; याद 2. पहचान; निशानी; शिनाख़्त; (आइडेंटीफ़िकेशन) 3. लक्षण 4. वह बात, वस्तु या निमित्त जिससे कोई पुराना प्रसंग फिर से याद आ जाए;
अनुस्मरण।
अभिज्ञानी
(सं.) [वि.] 1. अभिज्ञान करने वाला; जिसे किसी चीज़ का अभिज्ञान हो 2. शिनाख़्त करने वाला; पहचान करने वाला।
अभिज्ञापक
(सं.) [वि.] 1. उद्घोषक; सूचनादाता 2. अभिज्ञान या पहचान कराने वाला; (अनाउंसर)।
अभिज्ञापन
(सं.) [सं-पु.] 1. उद्घोषणा; सूचना देना; जानकारी देना; (अनाउंसमेंट) 2. परिचय या पहचान कराना, जैसे- किसी आविष्कार का अभिज्ञापन।
अभिज्ञेय
(सं.) [वि.] 1. जान-पहचान योग्य 2. स्मरण योग्य 3. जिसकी शिनाख़्त संभव हो।
अभिताप
(सं.) [सं-पु.] 1. मानसिक या शारीरिक जलन या ताप 2. पीड़ा 3. क्षोभ 4. भावावेश; व्याकुलता।
अभित्यक्त
(सं.) [वि.] छोड़ा हुआ; मुक्त किया हुआ; त्याग किया हुआ।
अभित्याग
(सं.) [सं-पु.] 1. कोई वस्तु या बात छोड़ने की क्रिया या भाव; त्याग 2. अपराध या अभियोग आदि से मुक्त करने की क्रिया या भाव; बरी करना।
अभित्रास
(सं.) [सं-पु.] 1. आपराधिक स्तर पर डराना-धमकाना 2. दबदबा कायम करना।
अभित्रासक
(सं.) [सं-पु.] अभित्रास करने वाला व्यक्ति; डराने-धमकाने वाला; गुंडा।
अभिदत्त
(सं.) [वि.] प्रदत्त; दिया हुआ; प्रदान किया हुआ।
अभिदत्त लेख
(सं.) [सं-पु.] किसी स्वतंत्र पत्रकार अथवा लेखक द्वारा पारिश्रमिक पर लिखा गया लेख।
अभिदर्शन
(सं.) [सं-पु.] 1. सामने आकर देखना 2. दिखना; दृश्यमान होना; प्रकट होना।
अभिदान
(सं.) [सं-पु.] कुछ देने की क्रिया; अनुदान; चंदा।
अभिदिशा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. इंगित 2. वह दिशा जिधर किसी कार्य की गति हो 3. वह दिशा जिधर मन अग्रसर हो।
अभिदिष्ट
(सं.) [वि.] 1. संदर्भित 2. जिसका निर्देश हुआ हो; (रेफ़र्ड)।
अभिदेश
(सं.) [सं-पु.] संकेत; निर्देश; इंगित; साक्षी; (रेफ़रेंस)।
अभिदेशक
(सं.) [सं-पु.] संकेत करने वाला; निर्देश देने वाला।
अभिदेश ग्रंथ
(सं.) [सं-पु.] ऐसा ग्रंथ जिसका उपयोग कभी-कभी किसी विशिष्ट विषय के बारे में सही जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है; संदर्भ ग्रंथ; (रेफ़रेंस बुक)।
अभिदेशना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कोई विधेयक या कोई प्रस्ताव प्रस्तुत करना 2. निर्देश करने वाला कार्य या सिद्धांत।
अभिद्रोह
(सं.) [सं-पु.] 1. बुराई; निंदा 2. निष्ठुरता 3. हानि 4. उत्पीड़न 5. गाली।
अभिधमन
(सं.) [सं-पु.] किसी प्रक्रिया से तेज़ हवा पहुँचाना; फूँकना; धौंकना।
अभिधर्म
(सं.) [सं-पु.] 1. श्रेष्ठ धर्म 2. ध्रुव सत्य का निरूपण करने वाला धर्म या मत 3. बौद्ध धर्म।
अभिधा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. शब्दों का सीधा अर्थ; स्पष्ट उक्ति 2. (काव्यशास्त्र) एक शब्दशक्ति जिससे प्रचलित और मुख्य अर्थ का ज्ञान होता है 3. नाम; उपाधि।
अभिधान
(सं.) [सं-पु.] 1. नाम; संज्ञा 2. कथन; उक्ति 3. उपाधि, जैसे- आचार्य, मंत्री, सचिव आदि; (डेजिगनेशन)।
अभिधार्थ
(सं.) [सं-पु.] वाच्यार्थ; सीधा शाब्दिक अर्थ।
अभिधावक
(सं.) [वि.] 1. धावा या आक्रमण करने वाला; आक्रामक 2. सदा गतिशील रहने वाला।
अभिधाशक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] मुख्य अर्थ, वाच्यार्थ या अभिधेयार्थ का बोध कराने वाली शब्दशक्ति।
अभिधेय
(सं.) [वि.] 1. जिसकी कोई अभिधा या कुछ नाम हो; नामवाला 2. प्रतिपाद्य; वाच्य 3. जिसका बोध नाम लेने से ही हो जाए।
अभिधेयार्थ
(सं.) [सं-पु.] मुख्यार्थ; वाच्यार्थ।
अभिनंदन
(सं.) [सं-पु.] 1. अभिवादन; प्रशस्ति; सराहना; कृतज्ञता-ज्ञापन और सम्मान के साथ अभिवादन 2. बधाई 3. प्रोत्साहन; आनंदित या प्रसन्न करना 4. स्वागत; सम्मान 5.
श्रद्धा प्रकट करना।
अभिनंदनग्रंथ
(सं.) [सं-पु.] किसी आदरणीय व्यक्ति की सेवाओं को स्मरणीय बनाने के उद्देश्य से सार्वजनिक रूप से भेंट किया जाने वाला ग्रंथ।
अभिनंदनपत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. अभिनंदन स्वरूप भेंट किया जाने वाला पत्र या कार्ड; प्रशस्तिपत्र; मानपत्र 2. श्रद्धापूर्वक लिखा हुआ वह पत्र जो स्मृति स्वरूप पूज्य, आदरणीय
व्यक्ति के लिए लिखा गया हो।
अभिनंदन समारोह
(सं.) [सं-पु.] किसी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने या किसी का सम्मान करने के लिए आयोजित समारोह।
अभिनंदनीय
(सं.) [वि.] 1. अभिनंदन करने योग्य 2. प्रशंसनीय; सम्मानीय।
अभिनंदित
(सं.) [वि.] जिसका अभिनंदन किया गया हो; प्रशंसित; सम्मानित।
अभिनति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. झुकाव; रुझान; प्रवृत्ति 2. पक्षपात 3. पूर्वग्रह।
अभिनय
(सं.) [सं-पु.] 1. कलाकारी; अदाकारी; नटकर्म; (ऐक्टिंग) 2. मनोभावों को व्यक्त करने के लिए आंगिक चेष्टाएँ और उनका कलात्मक प्रदर्शन; भावाभिव्यक्ति 3. अनुकरण 4.
नाटक में किसी पात्र की भूमिका अदा करना 5. स्वाँग। [मु.] -करना : कृत्रिम आचरण करना; किसी की सहानुभूति प्राप्त करने के लिए बीमारी आदि का
बहाना करना।
अभिनयकला
(सं.) [सं-स्त्री.] अभिनय करने की कला; फ़न या हुनर; अदाकारी; नटकर्म।
अभिनयचातुर्य
(सं.) [सं-पु.] अभिनय करने की चातुरी या कुशलता।
अभिनयशाला
(सं.) [सं-स्त्री.] अभिनय सिखाने का स्थान; नाट्यशाला; रंगशाला; रंगमंच; (थियेटर)।
अभिनयात्मक
(सं.) [वि.] 1. अभिनय के तौर पर किया गया; नाटकीय; स्वाँगपूर्ण 2. अभिनय से संबंधित।
अभिनव
(सं.) [वि.] 1. नया; नवीन; नूतन 2. आधुनिक ढंग का; नवरचित; ताज़ा।
अभिनवता
(सं.) [सं-स्त्री.] नूतनता; नव्यता; नवीनता; ताज़ापन।
अभिनवीकरण
(सं.) [सं-पु.] बिलकुल नया बना देना; किसी चीज़ को ताज़ातरीन कर देना।
अभिनायकत्व
(सं.) [सं-पु.] 1. अभिनेता होने का गुण या योग्यता 2. नायकत्व; नायक होने का गुण।
अभिनिर्णय
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी विवादास्पद विषय में निर्णायक का अंतिम निर्णय; (वर्डिक्ट) 2. किसी के दोषी या निर्दोष होने को लेकर अभिनिर्णायक या ज्यूरी का फ़ैसला;
(वर्डिक्ट ऑफ़ ज्यूरी)।
अभिनिर्णायक
(सं.) [सं-पु.] वे लोग जो जज के साथ बैठ कर किसी विवादास्पद मामले में अपना निर्णय या मत देते हैं; ज्यूरी।
अभिनिर्देश
(सं.) [सं-पु.] अभिदेश।
अभिनिर्धारण
(सं.) [सं-पु.] पहचान; शिनाख़्त; (आइडेंटिफ़िकेशन)।
अभिनिविष्ट
(सं.) [वि.] 1. जिसका या जिसमें अभिनिवेश हुआ हो 2. घुसा, धँसा या गड़ा हुआ 3. किसी काम में लगा हुआ; लीन; मग्न।
अभिनिवेश
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी ख़ास विषय में ध्यानस्थ होने की अवस्था 2. मनोयोग; तल्लीनता 3. तत्परता 4. दृढ़ संकल्प 5. गति; पैठ 6. मृत्यु के भय से होने वाला कष्ट या
क्लेश 7. योगशास्त्र में उल्लिखित पाँच क्लेशों में से एक।
अभिनिवेशित
(सं.) [वि.] 1. जिसका अभिनिवेश हुआ हो; अभिनिविष्ट 2. प्रविष्ट किया हुआ 3. डुबोया हुआ।
अभिनिष्पत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सिद्धि 2. समाप्ति; पूर्णता।
अभिनिष्पन्न
(सं.) [वि.] 1. सिद्ध 2. पूर्ण; संपन्न; समाप्त।
अभिनीत
(सं.) [वि.] जिसका अभिनय हुआ हो; खेला हुआ (नाटक)।
अभिनेता
(सं.) [सं-पु.] अभिनय करने वाला; मंचीय कलाकार; (ऐक्टर)।
अभिनेत्री
(सं.) [सं-स्त्री.] रंगमंच पर अभिनय करने वाली स्त्री; नटी; (ऐक्ट्रेस)।
अभिनेय
(सं.) [वि.] 1. अभिनय के योग्य; जिसका अभिनय किया जा सकता हो 2. अभिनय के लिए प्रदत्त भूमिका; (रोल)।
अभिन्न
(सं.) [वि.] 1. जो अलग न किया जा सके; जुड़ा हुआ 2. एक में मिला हुआ; संबद्ध; एकीकृत 3. आत्मीय; अंतरंग; अधिकाधिक निकट; घनिष्ठ।
अभिन्नता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अभिन्न या एक होने की अवस्था या भाव 2. एकरूपता 3. अंतरंगता; गहरी मित्रता 4. अटूटपन।
अभिन्नपद
(सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) श्लेष अलंकार का एक भेद जिसमें कोई पद भंग हुए बिना पूरे पद का श्लेष हो।
अभिन्नहृदय
(सं.) [वि.] एकदिल; एकजान; अत्यंत अंतरंग; जिनमें भावों-विचारों की समानता हो।
अभिन्यस्त
(सं.) [वि.] 1. जमा किया हुआ 2. डाला हुआ; किसी विभाग में रखा हुआ।
अभिन्यास
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी मद या विभाग में रखना; जमा करना 2. पूर्व योजना या परिकल्पना के आधार पर किया जाने वाला निर्माण 3. पत्र-पत्रिकाओं के पृष्ठ के स्वरूप को
निर्धारित करने की योजना 4. मकान, उद्यान आदि की निर्माण-परिकल्पना; (लेआउट)।
अभिन्यासकर्ता
(सं.) [सं-पु.] 1. विज्ञापनों, चित्रों तथा पाठ्य-सामग्री के पृष्ठ को सजाने की योजना बनाने वाला 2. निर्माण प्रारूप अथवा लेआउट तैयार करने वाला।
अभिपतन
(सं.) [सं-पु.] 1. पूर्ण पतन; पूरी तरह गिरना 2. {ला-अ.} आक्रमण; चढ़ाई; हमला 3. प्रस्थान; कूच।
अभिपत्र
(सं.) [सं-पु.] किसी गंभीर या गूढ़ विषय पर तैयार किया हुआ वह पत्र या आलेख जो विद्वानों के समक्ष विचारार्थ प्रस्तुत किया जाए; किसी संगोष्ठी में पढ़ा जाने वाला
पत्र; (पेपर)।
अभिपद
(सं.) [सं-पु.] 1. वह मत या विचार जो किसी विषय का पूरा या स्वतंत्र भाग हो 2. किसी विचार या मत को पूरी तरह समेटने वाला आलेख; (आर्टिकल)।
अभिपन्न
(सं.) [वि.] 1. संकटग्रस्त 2. भाग्यहीन; अभागा 3. पराजित; हताश 4. अपराधी; दोषी 5. फ़रार; भागा हुआ।
अभिपीड़न
(सं.) [सं-पु.] उत्पीड़न; बहुत अधिक कष्ट देना या पीड़ित करना।
अभिपुष्ट
(सं.) [वि.] 1. जिसका अभिपोषण या अनुसमर्थन हो चुका हो; (रैटिफ़ायड) 2. अच्छी तरह पुष्ट या पका हुआ।
अभिपुष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अच्छी तरह की जाने वाली पुष्टि; (कंफ़र्मेशन) 2. अभिपोषण; अनुसमर्थन 3. अच्छी तरह पुष्ट होने की अवस्था।
अभिपुष्प
(सं.) [सं-पु.] सुंदर फूल। [वि.] फूलों से ढका हुआ।
अभिपूर्ण
(सं.) [वि.] 1. अच्छी तरह भरा हुआ 2. पूरी तरह संतुष्ट।
अभिपूर्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अच्छी तरह पूरा करना 2. उत्तरदायित्व का पूर्ण परिपालन 3. क्रियान्वयन; (इंप्लीमेंटेशन)।
अभिपोषण
(सं.) [सं-पु.] 1. अच्छी तरह की जाने वाली पुष्टि; (कन्फ़र्मेशन) 2. आधिकारिक रूप से स्वीकरण या अनुसमर्थन 3. अच्छी तरह पालन-पोषण करना; (रैटिफ़िकेशन)।
अभिपोषणीय
(सं.) [वि.] 1. अभिपोषण करने योग्य; अभिपुष्टि या अनुसमर्थन करने योग्य 2. अच्छी तरह पालन-पोषण के लायक।
अभिपोषित
(सं.) [वि.] 1. जिसका अभिपोषण हुआ हो; अभिपुष्ट 2. अनुसमर्थित 3. अच्छी तरह पालित-पोषित।
अभिप्रणय
(सं.) [सं-पु.] 1. कृपा 2. प्रेम; अनुरक्ति।
अभिप्रणीत
(सं.) [वि.] अच्छी तरह से तैयार किया हुआ।
अभिप्रपन्न
(सं.) [वि.] प्राप्त; हासिल।
अभिप्रमाणन
(सं.) [सं-पु.] किसी आधिकारिक व्यक्ति या संस्था द्वारा किसी बात या दस्तावेज़ के उचित होने की पुष्टि करना; सत्यापन; (अटेस्टेशन)।
अभिप्रमाणित
(सं.) [वि.] जिसका अभिप्रमाणन हो चुका हो; सत्यापित; (अटेस्टेड)।
अभिप्राणन
(सं.) [सं-पु.] साँस बाहर निकालने की क्रिया।
अभिप्राय
(सं.) [सं-पु.] 1. अभिप्रेत; तात्पर्य; आशय; मतलब 2. उद्देश्य; प्रयोजन 3. मूल अर्थ 4. इरादा; (इनटेंशन; मोटिव) 5. कथानक रूढ़ि 6. इच्छा 7. राय 8. नीयत।
अभिप्रेत
(सं.) [वि.] 1. चाहा हुआ; इष्ट 2. इच्छित; अभिलषित; उद्दिष्ट 3. प्रिय; रुचिकर 4. स्वीकृत।
अभिप्रेरण
(सं.) [सं-पु.] किसी दिशा में लगाना; प्रवृत्त करना, प्रवृत्त होने के लिए बढ़ावा देना; (मोटिवेशन)।
अभिप्लव
(सं.) [सं-पु.] 1. उपद्रव; उत्पात 2. बाढ़ 3. कष्ट; बाधा।
अभिभव
(सं.) [सं-पु.] 1. पराजय; हार; तिरस्कार 2. अनहोनी; विलक्षण घटना 3. किसी को रोक लेना अथवा नियंत्रित कर किसी और दिशा में मोड़ना।
अभिभावक
(सं.) [सं-पु.] 1. संरक्षक; सरपरस्त; (गार्जियन) 2. देखरेख करने वाला 3. आश्रय देने वाला।
अभिभावकत्व
(सं.) [सं-पु.] अभिभावक का गुण, कर्म या आचरण।
अभिभावन
(सं.) [सं-पु.] अभिभव की अवस्था; अभिभव की क्रिया।
अभिभावित
(सं.) [वि.] 1. जिसका अभिभव हुआ हो; पराजित; हारा हुआ 2. दबाया हुआ; अधीनस्थ 3. तिरस्कृत; उपेक्षित।
अभिभावी
(सं.) [वि.] 1. अभिभावन करने वाला 2. पूरी ताकत से सक्रिय होकर नतीजे लाने वाला 3. प्रभावोत्पादक 4. उत्कृष्ट।
अभिभाषक
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी पक्ष से बोलने वाला; न्यायालय में बहस करने वाला 2. बहस या समर्थन करने वाला 3. शास्त्रार्थ करने वाला।
अभिभाषण
(सं.) [सं-पु.] विचार एवं विवेचनापरक भाषण; वक्तृता; व्याख्यान; उद्बोधन; (अड्रेस)।
अभिभू
(सं.) [वि.] 1. दूसरों से आगे बढ़ा हुआ 2. श्रेष्ठ; उत्कृष्ट; उत्तम।
अभिभूत
(सं.) [वि.] 1. मुग्ध; भावविभोर; विह्वल 2. वशीभूत; पराजित; पराभूत 3. अचैतन्य 4. विचलित 5. पीड़ित।
अभिमंडन
(सं.) [सं-पु.] 1. सजाना; भूषित करना 2. किसी मत आदि का समर्थन करना या पोषण करना।
अभिमंत्रण
(सं.) [सं-पु.] 1. मंत्र द्वारा संस्कारित या शुद्ध करने की क्रिया 2. आह्वान 3. जादू-टोना; टोटका।
अभिमंत्रित
(सं.) [वि.] 1. मंत्र द्वारा संस्कारित, शुद्ध किया हुआ 2. जिसका आह्वान किया गया हो।
अभिमत
(सं.) [सं-पु.] 1. राय; सुझाव 2. विचार; मत; सम्मति 3. इष्ट; मनचाही बात। [वि.] 1. वांछित; मनोनीत 2. सम्मत; अनुमत 3. राय के मुताबिक; मनचाहा।
अभिमन्यु
(सं.) [सं-पु.] (महाभारत) सुभद्रा के गर्भ से उत्पन्न अर्जुन का पुत्र जो कौरवों के द्वारा रचे गए चक्रव्यूह में मारा गया था।
अभिमर्दन
(सं.) [सं-पु.] 1. कुचलना; मसलना; रौंदना 2. पीसना; चूर-चूर करना 3. निचोड़ना 4. रगड़ना 5. {ला-अ.} कष्ट देना; सताना।
अभिमान
(सं.) [सं-पु.] 1. घमंड; अहंकार; मद; गुमान 2. नाज़; गर्व 3. आक्षेप।
अभिमानपूर्वक
(सं.) [क्रि.वि.] गर्व या फ़ख़्र के साथ, अभिमान करते हुए।
अभिमानरहित
(सं.) [वि.] 1. अपने मान-अभिमान की परवाह न करने वाला; अति विनम्र 2. अहंकाररहित; मद और घमंड से सर्वथा मुक्त।
अभिमानित
(सं.) [वि.] अभिमान से युक्त; अहंकारी।
अभिमानिनी
(सं.) [सं-स्त्री.] अभिमानी स्त्री।
अभिमानी
(सं.) [वि.] 1. जिसे अभिमान हो; अपने मान-अभिमान का विशेष ध्यान रखने वाला; स्वाभिमानी 2. अहंकारी; घमंडी; मगरूर।
अभिमुक्त
(सं.) [वि.] जो कर्तव्य या पद से मुक्त हो; अवकाशप्राप्त।
अभिमुख
(सं.) [सं-पु.] 1. सामने; सम्मुख; समक्ष; आगे 2. किसी की ओर मुँह किए हुए; उन्मुख।
अभिमुखता
(सं.) [सं-स्त्री.] अभिमुख होने की अवस्था; सम्मुख; उन्मुखता।
अभियंता
(सं.) [सं-पु.] यंत्रों आदि का निर्माण या सुधार करने वाला व्यक्ति; (इंजीनियर)।
अभियांत्रिक
(सं.) [वि.] अभियंत्रण या यंत्र निर्माण कला से संबंधित; यंत्रों की मरम्मत करने वाला।
अभियांत्रिकी
(सं.) [सं-स्त्री.] यंत्रों का निर्माण, सुधार तथा उपयोग करने का ज्ञान और कला सिखाने वाली विद्या; यांत्रिकी; (इंजीनियरिंग)।
अभियाचक
(सं.) [वि.] याचना करने वाला; माँगने वाला, अनुरोध या निवेदन करने वाला।
अभियाचन
(सं.) [सं-पु.] 1. अपनी ज़रूरत की चीज़ों या अधिकार को माँगना; माँग 2. प्रार्थना; अनुरोध; अभियाचना।
अभियाचित
(सं.) [वि.] 1. जिसकी माँग की गई हो 2. जिसके लिए प्रार्थना या अनुरोध किया गया हो।
अभियान
(सं.) [सं-पु.] 1. कहीं जाना या पहुँचना; प्रस्थान; कूच 2. उपक्रम; मुहिम; (मिशन) 3. चढ़ाई; आक्रमण; धावा 4. किसी कार्य सिद्धि के लिए योजनाबद्ध तरीके से किया
जाने वाला सतत प्रयास; (एक्सपीडीशन)। [मु.] -चलाना : आंदोलन प्रारंभ कर देना या छेड़ देना; किसी कार्य का बीड़ा उठाना।
अभियानिक
(सं.) [वि.] किसी अभियान या मुहिम से संबंधित; अभियान के रूप में होने वाला।
अभियानी
(सं.) [वि.] 1. अभियान या मुहिम चलाने वाला 2. अभियान या मुहिम पर चल पड़ने की फ़ितरत या मिज़ाज वाला 3. खोज यात्राएँ करने वाला।
अभियुक्त
(सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा व्यक्ति जिसपर अभियोग लगाया गया हो; आरोपित व्यक्ति; मुलज़िम 2. वह जो अपने आप को निरपराध सिद्ध करने के लिए प्रतिवादी हो। [वि.] 1. दोषी;
अपराधी 2. लगा हुआ; संयुक्त।
अभियुक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अभियुक्त होने की अवस्था या भाव 2. दोषारोपण।
अभियोक्ता
(सं.) [सं-पु.] अभियोग लगाने वाला व्यक्ति; अभियोगी; वादी; फ़रियादी।
अभियोग
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी पर लगाया गया आरोप; आक्षेप; दोषारोपण 2. न्यायालय में किसी के विरुद्ध आवेदन; नालिश; मुकदमा 3. चढ़ाई; आक्रमण।
अभियोगपत्र
(सं.) [सं-पु.] वह पत्र या कागज़ जिसमें अभियोग संबंधी विवरण लिखा हो; आरोपपत्र; (चार्जशीट)।
अभियोगाधीन
(सं.) [वि.] 1. अभियोग के अंतर्गत आने वाला (मुद्दा या मसला) 2. जिसपर अभियोग का मामला चल रहा हो।
अभियोगी
(सं.) [सं-पु.] अभियोग लगाने वाला व्यक्ति; अभियोक्ता; वादी; फ़रियादी। [वि.] 1. दोषारोपण करने वाला 2. आक्रमणकारी 3. मनोयोगपूर्वक लगा हुआ।
अभियोजक
(सं.) [सं-पु.] 1. अभियोग लगाने वाला; अभियोगी; अभियोक्ता; वादी 2. योजना बनाने वाला।
अभियोजन
(सं.) [सं-पु.] 1. अभियोग लगाना; मुकदमा चलाना 2. भली प्रकार जोड़ने या लगाने की क्रिया।
अभियोजनीय
(सं.) [वि.] 1. अभियोग लगाए जाने योग्य; जिसपर मुकदमा चलाया जा सके 2. अच्छी तरह जोड़े जाने लायक 3. योजना बनाने लायक।
अभियोज्य
(सं.) [वि.] जिसपर अभियोग लगाया या चलाया जा सकता हो; अभियोजनीय।
अभिरंजन
(सं.) [सं-पु.] 1. रंजन; मनोरंजन; आमोद-प्रमोद 2. अनुरक्त करना या होना 3. अच्छी तरह रँगने की क्रिया।
अभिरंजित
(सं.) [वि.] 1. जिसका रंजन या मनोरंजन हुआ हो 2. रीझा हुआ; अनुरक्त; अनुराग या प्रेम में डूबा हुआ।
अभिरक्षक
(सं.) [सं-पु.] 1. बचाव करने वाला; रक्षा करने वाला; रक्षक 2. संरक्षक; अभिभावक; देखभाल करने वाला; (कस्टोडियन; गार्जियन)।
अभिरक्षण
(सं.) [सं-पु.] 1. बचाव; रक्षा; सुरक्षा 2. संरक्षण; अभिभावकत्व 3. देखभाल करने का काम 4. रखवाली; पहरेदारी।
अभिरक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अच्छी तरह से की जाने वाली देखरेख या रक्षा; अभिरक्षण 2. किसी व्यक्ति या वस्तु की देखरेख करने या अधिकार में रखने की क्रिया; (कस्टडी)।
अभिरक्षित
(सं.) [वि.] 1. रक्षित; सुरक्षित 2. संरक्षित; जिसकी देखभाल की जाए 3. जिसकी रखवाली या पहरेदारी की जाए।
अभिरक्ष्य
(सं.) [वि.] 1. अभिरक्षा या अभिरक्षण के योग्य 2. जिसकी अभिरक्षा की जानी हो।
अभिरत
(सं.) [वि.] 1. किसी कार्य या बात में लगा हुआ 2. प्रसन्न 3. अनुरक्त 4. युक्त; सहित।
अभिराधन
(सं.) [वि.] 1. प्रसन्न करना 2. संतुष्ट करना।
अभिराम
(सं.) [वि.] 1. रमणीय; सुंदर; मनोहर 2. मोहक; प्रिय 3. सुखद; रुचिकर। [सं-पु.] प्रसन्नता; ख़ुशी।
अभिरामी
(सं.) [वि.] 1. सुंदरता और रमणीयता उत्पन्न करने वाला 2. रुचिकर बनाने वाला 3. आरामदायक।
अभिरुचि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. चाह; पसंद 2. झुकाव; रुझान 3. शौक 4. विशेष रुचि 5. यश, कीर्ति आदि की अभिलाषा।
अभिलक्षण
(सं.) [सं-पु.] 1. सुस्पष्ट तथा भेदकारी चिह्न 2. विशिष्टता सूचक चिह्न।
अभिलषित
(सं.) [वि.] जिसकी अभिलाषा की जाए; चाहा हुआ; वांछित।
अभिलाषा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. इच्छा; कामना; चाह; चाहत; हसरत; आकांक्षा 2. प्रिय से मिलने की इच्छा 3. लोभ; लालसा।
अभिलाषी
(सं.) [वि.] अभिलाषा करने या रखने वाला; इच्छुक; आकांक्षी।
अभिलिखित
(सं.) [वि.] 1. लिखा हुआ 2. खुदा या खोदा हुआ; उत्कीर्णित 3. अभिलेख के रूप में दर्ज; दस्तावेज़ी।
अभिलेख
(सं.) [सं-पु.] 1. महत्वपूर्ण लेख; दस्तावेज़ 2. ताम्रपत्र आदि पर खुदी हुई ऐतिहासिक महत्व की सामग्री; पुरालेख 3. किसी विषय, कार्रवाई आदि के बारे में नियमित
रूप से दर्ज किए जाने वाले तथ्य; (रिकॉर्ड) 4. न्यायालयों में मुकदमों, वादी-प्रतिवादी, गवाहों आदि के बयानों को फ़ैसलों के लिए सुरक्षित रखना।
अभिलेख-अधिकरण
(सं.) [सं-पु.] राज्य के प्रमुख अभिलेख विभाग का वह अधिकरण या न्यायालय जो अभिलेखों की लिपि अथवा अन्य भूलों को सुधारने का एकमात्र अधिकारी होता है।
अभिलेखक
(सं.) [सं-पु.] अभिलेखन करने वाला; अभिलेख तैयार करने वाला।
अभिलेखन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी विषय का पूरा विवरण सोद्देश्य लिखना या दर्ज़ करना; दस्तावेज़ीकरण; (रिकॉर्डिंग) 2. किसी चीज़ पर खोदने या उत्कीर्ण करने का कार्य।
अभिलेखपाल
(सं.) [सं-पु.] न्यायालय या किसी कार्यालय में अभिलेखों की देखभाल करने वाला कर्मचारी या अधिकारी; (रिकॉर्ड कीपर)।
अभिलेखागार
(सं.) [सं-पु.] 1. वह कक्ष या स्थान जहाँ सार्वजनिक अभिलेख संगृहीत किए जाते हैं 2. ऐतिहासिक आलेखों के संग्रह करने का स्थान; पुरालेखभवन; पुरालेखागार;
(आरकाइव)।
अभिलेखाध्यक्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. अभिलेखालय या अभिलेखागार का मुख्य अधिकारी 2. अभिलेख-अधिकरण का अध्यक्ष।
अभिलेखालय
(सं.) [सं-पु.] अभिलेख रखने का प्रमुख स्थान; अभिलेखागार।
अभिलेखित
(सं.) [वि.] अभिलिखित।
अभिलोपन
(सं.) [सं-पु.] 1. मिटाना; किसी लेख आदि को अथवा उनके किसी अंश को इस तरह काटना या मिटाना कि कुछ पढ़ने में न आए 2. ऐसे मिटाना कि कोई निशान बाकी न रह जाए।
अभिवंचन
(सं.) [सं-पु.] 1. वंचित या रहित करने की क्रिया 2. छल; ठगी।
अभिवंचित
(सं.) [वि.] 1. जो वंचित किया गया हो; अलग किया गया; रहित 2. छला गया; ठगा गया।
अभिवंदन
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रणाम; नमस्कार; बंदगी 2. प्रशंसा; स्तुति; स्तवन।
अभिवंदनीय
(सं.) [वि.] 1. प्रणम्य; बंदगी के योग्य 2. प्रशंसा या स्तुति के योग्य।
अभिवंदित
(सं.) [वि.] जिसका अभिवंदन किया गया हो; वंदित; प्रशंसित।
अभिवक्ता
(सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जो न्यायालय में किसी पक्ष की ओर से उसके विधिक अथवा व्यावहारिक पक्ष का समर्थन करे; वकील; अधिवक्ता।
अभिवचन
(सं.) [सं-पु.] 1. इकरार; प्रतिज्ञा 2. अदालत में वकील का कथन या पक्ष-प्रस्तुति 3. (दर्शन) तथ्य निरूपण; अभिकथन।
अभिवदन
(सं.) [सं-पु.] प्रणाम; नमस्कार; अभिवादन; स्तुति।
अभिवर्धन
(सं.) [सं-पु.] अभिवृद्धि करना; संवर्धन; विकसित रूप में लाना; बढ़ाना।
अभिवहन
(सं.) [सं-पु.] संवहन; ले जाने या ढोने की क्रिया।
अभिवांछित
(सं.) [वि.] अभिलषित; मन से चाहा हुआ; इच्छित।
अभिवादक
(सं.) [सं-पु.] 1. अभिवादन करने वाला 2. वंदना या स्तुति करने वाला।
अभिवादन
(सं.) [सं-पु.] 1. आदरपूर्वक किसी को किया जाने वाला प्रणाम या नमस्कार 2. श्रद्धापूर्वक किया जाने वाला नमन।
अभिवादी
(सं.) [वि.] अभिवादन करने वाला।
अभिवाद्य
(सं.) [वि.] 1. जो अभिवादन के योग्य हो 2. जिसका अभिवादन किया जाना हो।
अभिवास
(सं.) [सं-पु.] 1. आवरण 2. आच्छादन 3. ओढ़ने या ढकने का कपड़ा; चादर।
अभिविन्यस्त
(सं.) [वि.] अच्छी तरह सजाया-सँवारा हुआ; सुव्यवस्थित।
अभिविन्यास
(सं.) [सं-पु.] 1. सुव्यवस्थित करना; करीने से जमा कर रखना 2. साज-सँवार।
अभिवृत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मनःस्थिति 2. मनोवृत्ति; प्रवृत्ति 3. रुख; रुझान; रवैया।
अभिवृद्धि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. संवृद्धि; विकास 2. सफलता 3. अभ्युदय; उन्नति; बढ़ोतरी।
अभिवेचन
(सं.) [सं-पु.] नियंत्रण-निरीक्षण; काट-छाँट; आपत्तिजनक अंशों को निकालना; किसी समाचार के प्रकाशन पर पूर्णतः अथवा अंशतः प्रतिबंध।
अभिव्यंजक
(सं.) [वि.] अभिव्यंजन करने वाला; प्रकट करने वाला; बोधक; अभिव्यक्तिपूर्ण।
अभिव्यंजन
(सं.) [सं-पु.] विचारों एवं भावों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने की क्रिया का भाव; भाषिक संकेत या भाव।
अभिव्यंजनवादी
(सं.) [वि.] अभिव्यंजनवाद अथवा अभिव्यंजनावाद के सिद्धांत को मानने वाला।
अभिव्यंजना
(सं.) [सं-स्त्री.] अभिव्यक्ति; शब्दों-संकेतों के सूक्ष्म प्रयोग द्वारा भावों-विचारों की सुंदर अभिव्यक्ति; विचारों और भावों की अभिव्यक्ति; अभिव्यंजन।
अभिव्यंजनावाद
(सं.) [सं-पु.] साहित्य और कला के क्षेत्रों का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत जिसमें यथार्थ स्थितियों की तुलना में आंतरिक अनुभूतियों का चित्रण ही वांछनीय माना जाता
है; वह वाद जिसमें मनोगत भावों को यथार्थ रूप में व्यक्त करने को मुख्य उद्देश्य माना जाता है।
अभिव्यंजित
(सं.) [वि.] जिसका अभिव्यंजन किया गया हो; अभिव्यंजना के द्वारा प्रकट।
अभिव्यक्त
(सं.) [वि.] जिसकी अभिव्यक्ति की गई हो; अभिव्यंजित; कथित; वाचित; प्रकट किया हुआ।
अभिव्यक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अभिव्यक्त करने की क्रिया जिससे पूर्ण संप्रेषण हो सके; अभिव्यंजना; प्रकट या प्रकाशित करने की क्रिया; प्रकटीकरण; स्पष्टीकरण 2. परोक्ष
और सूक्ष्म कारणों का प्रत्यक्ष कार्य के रूप में सामने आना, जैसे- बीज से अंकुर का प्रस्फुटन।
अभिव्यक्तिवाद
(सं.) [सं-पु.] अभिव्यंजनावाद।
अभिव्यापक
(सं.) [वि.] 1. सब ओर फैला हुआ; व्यापक; सर्वव्याप्त; सर्वसमावेशी 2. अच्छी तरह व्याप्त होने या करने वाला।
अभिव्यापी
(सं.) [वि.] अभिव्यापक।
अभिव्याप्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अभिव्यापत होने की अवस्था या भाव; सर्वव्यापकता 2. सर्वसमावेश।
अभिशंका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आशंका; संदेह 2. चिंता 3. भय।
अभिशंसन
(सं.) [सं-पु.] 1. न्यायालय द्वारा या विधिक दृष्टि से अभियोग का पुष्ट होना; अभिशंसा 2. अभिशंसा करने की प्रक्रिया; (कनविक्शन)।
अभिशंसा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अभियोग या अपराध की पुष्टि 2. न्यायालय द्वारा अभियोग या अपराध सिद्ध होने की घोषणा।
अभिशंसित
(सं.) [वि.] जिसपर लगे अभियोग या आरोप की पुष्टि हो गई हो; जो अदालत द्वारा दोषी करार दे दिया गया हो; (कनविक्टिड)।
अभिशप्त
(सं.) [वि.] 1. किसी के शाप से प्रभावित; शापित 2. जिसपर मिथ्या दोष या आरोप लगाया गया हो।
अभिशस्त
(सं.) [वि.] 1. न्यायालय में जिसपर दोष सिद्ध हो गया हो; दोषसिद्ध; (कनविक्टेड) 2. अभिशप्त; कलंकित।
अभिशस्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अभिशाप; विपदा 2. अदालय या पंचायत में किसी व्यक्ति का अपराधी या दोषी सिद्ध किया जाना; बदनामी; दोषसिद्धि।
अभिशाप
(सं.) [सं-पु.] 1. श्राप या शाप 2. झूठा दोषारोपण; लांछन।
अभिशापग्रस्त
(सं.) [वि.] अभिशाप से ग्रस्त; अभिशप्त।
अभिशापन
(सं.) [सं-पु.] अभिशाप देने की क्रिया; कोसना; बद्दुआ।
अभिशापित
(सं.) [वि.] अभिशप्त।
अभिशासक
(सं.) [सं-पु.] 1. अच्छा शासक 2. अच्छी तरह शासन करने वाला अधिकारी।
अभिशासन
(सं.) [सं-पु.] 1. सुशासन; अच्छा शासन 2. बेहतर प्रबंध और पूरे नियंत्रण के साथ किया जाने वाला शासन।
अभिशासित
(सं.) [वि.] 1. जिसपर शासन किया जाए 2. जिसका अभिशासन हुआ हो; सुशासित।
अभिषंग
(सं.) [सं-पु.] 1. पूर्ण संबंध या मिलन 2. आलिंगन 3. समागम; संभोग।
अभिषंगी
(सं.) [सं-पु.] 1. अभिषंग करने वाला 2. जो किसी अनुचित या बुरे काम में साथ दे। [वि.] साथ लगा रहने वाला।
अभिषंजन
(सं.) [सं-पु.] अभिषंग।
अभिषद
(सं.) [सं-पु.] किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए विशिष्ट दलों या व्यक्तियों की संस्था जिनका उद्देश्य या हित समान हो; (सिंडिकेट; सीनेट)।
अभिषव
(सं.) [सं-पु.] 1. यज्ञादि के समय किया जाने वाला स्नान 2. यज्ञ 3. शराब चुआना; आसवन 4. ख़मीर 5. काँजी।
अभिषवण
(सं.) [सं-पु.] 1. यज्ञादि के समय का स्नान 2. सोमरस निचोड़ने का साधन 3. आसवन।
अभिषवणीय
(सं.) [वि.] 1. अभिषवण के योग्य 2. अभिषवण के लिए प्रस्तुत या प्रस्तावित।
अभिषावक
(सं.) [सं-पु.] 1. अभिषवण करने या कराने वाला 2. यज्ञ-अनुष्ठान के लिए सोमरस निचोड़ने वाला पुरोहित।
अभिषिक्त
(सं.) [वि.] 1. जिसका अभिषेक हुआ हो 2. राजपद पर नियुक्त; अधिकार प्राप्त 3. अनुष्ठानपूर्वक अभिमंत्रित 4. सींचा हुआ; सिंचित।
अभिषुत
(सं.) [वि.] 1. जो यज्ञ के लिए स्नान कर चुका हो 2. निचोड़ा हुआ।
अभिषेक
(सं.) [सं-पु.] 1. ऊपर से जल डालकर किया जाने वाला सिंचन; जल का छिड़काव 2. यज्ञ-अनुष्ठान के अंत में शांति के लिए किया जाने वाला स्नान 3. सिंहासनारोहण;
राज्याभिषेक; राज्यतिलक संस्कार 4. अभिषेक, प्रतिष्ठापन या पदारोहण में प्रयुक्त पवित्र जल।
अभिषेचन
(सं.) [सं-पु.] 1. अभिषेक करने की क्रिया या भाव; जल का छिड़काव 2. अभिषेक का आयोजन।
अभिषेचनीय
(सं.) [वि.] 1. अभिषेचन करने योग्य; अभिषेक का अधिकारी 2. राज्यारोहण का अधिकारी 3. अभिषेक से संबंधित।
अभिषेच्य
(सं.) [वि.] अभिषेचनीय।
अभिसंग
(सं.) [सं-पु.] अभिषंग।
अभिसंताप
(सं.) [सं-पु.] 1. युद्ध; संग्राम; संघर्ष 2. पीड़ा; मानसिक कष्ट।
अभिसंदेह
(सं.) [सं-पु.] विनिमय; परिवर्तन; अदला-बदली।
अभिसंध
(सं.) [सं-पु.] 1. धोखा देने वाला; वंचक 2. निंदक 3. ईर्ष्या करने वाला।
अभिसंधान
(सं.) [सं-पु.] 1. उद्देश्य 2. वचन; भाषण 3. लक्ष्य 4. लगन 5. संधि; समझौता 6. ठगी; धोखा।
अभिसंधि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कुचक्र या षडयंत्र के तहत किया गया गुप्त समझौता; मिलीभगत; कुटिल उद्देश्य 2. धोखा; वंचना।
अभिसंपात
(सं.) [सं-पु.] 1. संघर्ष; वितंडा; लड़ाई-झगड़ा 2. पतन 3. अभिशाप 4. क्रोध।
अभिसंयोग
(सं.) [सं-पु.] प्रगाढ़ संबंध; गहरा लगाव; घनिष्ठता।
अभिसक्त
(सं.) [वि.] दृढ़ता से जुड़ा हुआ; सटा या चिपका हुआ।
अभिसमय
(सं.) [सं-पु.] 1. परस्पर होने वाला किसी प्रकार का समझौता या निश्चय 2. दो से अधिक राष्ट्रों में आपस में राज्यों के लाभ के विषय पर लिया गया उचित निर्णय या
समझौता; परस्पर संबंध रखने वाले (डाक, तार आदि) विषयों के संबंध में किया गया विभिन्न राज्यों का समझौता; (कन्वेंशन) 3. दो राष्ट्रों में परस्पर हो रहे युद्ध को
स्थगित करने के उद्देश्य से किया गया समझौता जिसका पालन करना दोनों पक्षों के लिए आवश्यक होता है 4. पुराने समय से चली आ रही प्रथा या परिपाटी के मूल में होने
वाली वह सहमति जिसे मानक रूप में मानना सभी के लिए अनिवार्य हो, जैसे- कला, काव्य या संविधान संबंधी अभिसमय।
अभिसम्मत
(सं.) [वि.] 1. सम्मानित; प्रतिष्ठित 2. अनुमत; स्वीकृत।
अभिसर
(सं.) [सं-पु.] 1. सहचर; सखा 2. अनुचर; सेवक; दास 3. अनुयायी।
अभिसरण
(सं.) [सं-पु.] 1. आगे बढ़ना; आगे या पास जाना 2. अभिसार करना; प्रिय मिलन के लिए छुप कर जाना 3. सहारा 4. शरण।
अभिसरना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. जाना; पहुँचना; संचरण करना 2. किसी वांछित स्थान पर जाना 3. प्रिय, प्रेमी या प्रेमिका से मिलने के लिए संकेत स्थल की तरफ़ जाना।
अभिसर्ग
(सं.) [सं-पु.] 1. निर्माण; रचना; सृजन 2. सृष्टि।
अभिसाधक
(सं.) [सं-पु.] अभिकर्ता।
अभिसाधन
(सं.) [सं-पु.] अभिकरण।
अभिसामयिक
(सं.) [वि.] 1. अभिसमय या समझौते से संबंध रखने वाला 2. जो किसी प्रथा या परिपाटी के अनुसार हो; रूढ़; (कन्वेंशनल)।
अभिसार
(सं.) [सं-पु.] 1. अभिसरण 2. प्रिय से मिलने जाना 3. प्रिय-मिलन का संकेत-स्थल।
अभिसारिका
(सं.) [सं-स्त्री.] छुपकर प्रिय से मिलने के लिए निर्दिष्ट स्थान पर जाने वाली स्त्री।
अभिसारिणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अभिसारिका 2. साथ रहने वाली स्त्री; अनुचरी।
अभिसारी
(सं.) [वि.] 1. अभिसार के लिए जाने वाला 2. किसी बिंदु या स्थान की ओर बढ़ने वाला 3. जो कार्यसिद्ध करने में सहायक हो; साधक।
अभिसिंचित
(सं.) [वि.] 1. अच्छी तरह सींचा हुआ; अभिषिक्त 2. भावनात्मक स्तर पर पोषित।
अभिसूचक
(सं.) [वि.] अभिसूचना देने वाला।
अभिसूचन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी कार्य निष्पादन के लिए विशेष रूप से दी जाने वाली वाली सूचना या आदेश; (एडवाइस) 2. अधिसूचना।
अभिसूचना
(सं.) [सं-स्त्री.] विशेष रूप से दी जाने वाली सूचना; अधिसूचना।
अभिहत
(सं.) [वि.] 1. जिसका अभिघात हुआ हो; घायल; जो पीटा गया हो; आहत 2. जिसपर प्रहार किया गया हो; पराभूत 3. बाधित 4. गुणन किया हुआ; गुणित 5. आक्रांत।
अभिहति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रहार करने की क्रिया; निशाना लगाना 2. पिटाई करना; मारना 3. गुणन करने की क्रिया; गुणनफल।
अभिहरण
(सं.) [सं-पु.] 1. उठा लेना या छीन लेना 2. लूटना 3. दूर करना या हटाना; एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना।
अभिहर्ता
(सं.) [सं-पु.] 1. अभिहरण करने वाला; लुटेरा 2. अपनयन करने वाला।
अभिहार
(सं.) [सं-पु.] 1. उठाने, हटाने या चुराने की क्रिया या भाव 2. युद्ध की घोषणा 3. सज़ा; दंड।
अभिहित
(सं.) [वि.] 1. कहा हुआ; उल्लिखित 2. किसी विशिष्ट नाम से पुकारा जाने वाला; संबोधित 3. कहने भर का; नाम मात्र का।
अभिहितान्वयवाद
(सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) कुमारिलभट्ट द्वारा प्रवर्तित सिद्धांत जिसमें अभिधा द्वारा उपस्थित अर्थों के अन्वय संबंध को महत्वपूर्ण माना जाता है।
अभिहिति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अभिहित होने की अवस्था या भाव 2. उल्लेखनीयता 3. नाममात्र की सत्ता।
अभी
[क्रि.वि.] 1. तत्काल; इसी वक्त; इसी क्षण 2. अब भी 3. अब तक।
अभी-अभी
[क्रि.वि.] 1. तुरंत; शीघ्र; तत्काल; तत्क्षण 2. अब से ठीक पहले; हाल ही में।
अभीक
(सं.) [वि.] 1. प्रबल इच्छा रखने वाला; उत्सुक या इच्छुक 2. भयानक 3. निर्भीक; निडर 4. कामुक; कामातुर।
अभीति
(सं.) [सं-स्त्री.] डर या भय न होने की अवस्था या भाव; अभय; निडरता; निर्भीकता। [वि.] निडर; निर्भय; निर्भीक।
अभीप्सक
(सं.) [वि.] 1. अभीप्सा या इच्छा करने वाला 2. अभिलाषी; इच्छुक।
अभीप्सा
(सं.) [सं-स्त्री.] कामना; प्रबल इच्छा; तीव्र अभिलाषा।
अभीप्सित
(सं.) [वि.] जिसकी अभीप्सा की गई हो; जिसकी तीव्र अभिलाषा हो; इच्छित।
अभीप्सी
(सं.) [वि.] अभीप्सा करने वाला; तीव्र आकांक्षी; तीव्र अभिलाषी।
अभीष्ट
(सं.) [वि.] 1. चाहा हुआ; वांछित; अभिप्रेत; आशय के अनुकूल 2. रुचिकर; प्रिय; पसंद का। [सं-पु.] 1. मनोरथ 2. प्रिय व्यक्ति; प्रेमी 3. अभिलषित चीज़।
अभीष्टलाभ
(सं.) [सं-पु.] 1. अभीष्ट सिद्धि 2. इच्छित वस्तु की प्राप्ति।
अभीष्टसिद्धि
(सं.) [सं-स्त्री.] मनोकामना पूरी होना; इष्ट की प्राप्ति होना।
अभुक्त
(सं.) [वि.] 1. जो खाया न गया हो 2. जो प्रयोग या व्यवहार में न लाया गया हो।
अभूत
(सं.) [वि.] 1. जो अस्तित्व में न आया हो 2. जो हुआ न हो 3. विलक्षण; अपूर्व 4. वर्तमान।
अभूतपूर्व
(सं.) [वि.] 1. जो पहले कभी न हुआ हो 2. अद्भुत; अनोखा; विलक्षण।
अभूषित
(सं.) [वि.] 1. जिसे सजाया या भूषित न किया गया हो; अनलंकृत 2. जिसके पास भूषण या गहने न हों।
अभेद
(सं.) [सं-पु.] 1. भेद का अभाव; एकता; अभिन्नता 2. एकरूपता; समानता; अनुरूपता 3. (काव्यशास्त्र) रूपक अलंकार का एक भेद जिसमें उपमेय में उपमान का ज्यों-का-त्यों
आरोप किया जाता है। [वि.] 1. भेदरहित; अभिन्न 2. अविभाजित 3. अनुरूप; एकरूप; समान 4. जिसका रहस्य न जाना गया हो।
अभेदक
(सं.) [वि.] 1. भेद न करने वाला; भेद न मानने वाला 2. विभाजन न करने वाला; खंडित न करने वाला 3. न अलगाने वाला 4. न भेदने वाला।
अभेदनीय
(सं.) [वि.] 1. जो भेद करने योग्य न हो 2. जो भेदा न जा सके; अभेद्य 3. जो विभाजित न किया जा सके।
अभेदमूलक
(सं.) [वि.] 1. अभेद या एकता स्थापित करने वाला 2. समान भाव से रहने वाला।
अभेदरूपक
(सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) रूपकालंकार का एक भेद जिसमें उपमेय और उपमान की एकता दर्शायी जाती है।
अभेदवादी
(सं.) [वि.] जीवात्मा और परमात्मा में कोई भेद न मानने वाला; अद्वैतवादी।
अभेदात्मक
(सं.) [वि.] अभेद संबंधी; अभेदपरक; अभेदमूलक।
अभेद्य
(सं.) [वि.] 1. जिसे भेदा न जा सके; जिसे बेधा न जा सके 2. जो टूट न सके। [सं-पु.] हीरा।
अभेद्यता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अभेद्य, अबेध्य या अविभाज्य होने का गुण 2. भेदन, बेधन, छेदन या विभाजन की वर्जना 3. अटूटपन।
अभोग
(सं.) [वि.] 1. बिना भोगा हुआ; जिसे भोगा न गया हो 2. अछूता 3. जिसे भोगना उचित न हो।
अभोगी
(सं.) [वि.] 1. भोग या उपभोग न करने वाला 2. व्यवहार या प्रयोग में न लाने वाला 3. जो भोग न करे; विरक्त; उदासीन।
अभोग्य
(सं.) [वि.] 1. जो भोगने योग्य न हो 2. जिसका भोगना वर्जित हो।
अभोज्य
(सं.) [वि.] 1. जो खाने के उपयुक्त या योग्य न हो 2. जिसका खाना वर्जित हो।
अभ्यंग
(सं.) [सं-पु.] 1. लेपन; पोतना 2. मालिश।
अभ्यंजन
(सं.) [सं-पु.] 1. अंगों को सजाने-सँवारने का काम 2. अंगों को सजाने-सँवारने की सामग्री; प्रसाधन सामग्री 3. मालिश करने की क्रिया।
अभ्यंतर
(सं.) [वि.] 1. भीतरी; आंतरिक 2. जिसके साथ घनिष्ठ संबंध हो; अंतरंग; परिचित। [क्रि.वि.] भीतर; अंदर। [सं-पु.] 1. अंतःकरण 2. अंदर का भाग 3. बीच का भाग।
अभ्यंतरक
(सं.) [सं-पु.] घनिष्ठ या अंतरंग मित्र; करीबी दोस्त।
अभ्यक्त
(सं.) [वि.] 1. तेल आदि लगाया हुआ 2. जिसपर तेल आदि की मालिश की गई हो।
अभ्यधीन
(सं.) [वि.] 1. जो किसी नियम, प्रतिबंध आदि से बँधा हुआ हो 2. नियम आदि के अधीन।
अभ्यर्थन
(सं.) [सं-पु.] 1. निवेदन; प्रार्थना 2. किसी से अपना धन या वस्तु माँगना; (डिमांड)।
अभ्यर्थना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विनती; प्रार्थना; अनुरोध; दरख़्वास्त 2. स्वागत; अगवानी।
अभ्यर्थनीय
(सं.) [वि.] 1. अभ्यर्थना या प्रार्थना करने योग्य 2. आगे बढ़ कर लेने या स्वागत करने योग्य 3. याचना करने या माँगने योग्य 4. आवेदन करने योग्य।
अभ्यर्थी
(सं.) [सं-पु.] 1. अभ्यर्थन या प्रार्थना करने वाला 2. आवेदनकर्ता; उम्मीदवार; (कैंडीडेट)।
अभ्यर्पक
(सं.) [वि.] 1. अभ्यर्पण अथवा अपना अधिकार या स्वामित्व किसी को सौंपने या देने वाला 2. समर्पण करने वाला।
अभ्यर्पण
(सं.) [सं-पु.] 1. अपना अधिकार या स्वामित्व किसी को सौंपने या देने की क्रिया या भाव 2. समर्पण; (सरेंडर)।
अभ्यर्पित
(सं.) [वि.] (अधिकार या स्वामित्व) जो किसी को सौंपा या दिया गया हो; (असाइंड)।
अभ्यस्त
(सं.) [वि.] सतत अभ्यास के द्वारा किसी कार्य को करने में कुशल; दक्ष; निपुण; आदी; अच्छी तरह सीखा हुआ।
अभ्यस्तता
(सं.) [सं-स्त्री.] अभ्यस्त होना; आदी होना; दक्षता; निपुणता।
अभ्यागत
(सं.) [सं-पु.] 1. अतिथि; मेहमान 2. साधु-संन्यासी। [वि.] 1. सामने या निकट आया हुआ; पहुँचा हुआ 2. अतिथि के रूप में पधारा हुआ।
अभ्यागम
(सं.) [सं-पु.] 1. पास आना; सामने आना; अगवानी 2. मुकाबला; सामना 3. समीपता; पड़ोस।
अभ्यास
(सं.) [सं-पु.] 1. पारंगत या निपुण होने के लिए किसी काम को बार-बार करना; प्रशिक्षण; (प्रैक्टिस) 2. आदत 3. सैनिक अनुशासन का नियमित कार्य 4. (काव्यशास्त्र) एक
प्रकार का काव्यालंकार जिसमें किसी कठिन तथ्य को सिद्ध करने वाले कार्य का उल्लेख किया जाता है।
अभ्यासकला
(सं.) [सं-स्त्री.] अन्य विविध योगांगों के मेल से बनी योग की चार कलाओं में से एक; आसन और प्राणायाम का मेल।
अभ्यासयोग
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी विषय का बार-बार चिंतन और मनन करना 2. योग के अंतर्गत किसी आत्मा या देवता का बार-बार चिंतन या अभ्यास।
अभ्यासरत
(सं.) [वि.] 1. अभ्यास में लगा हुआ 2. अभ्यास करने में व्यस्त।
अभ्यासवश
(सं.) [क्रि.वि.] अभ्यास के कारण; आदतन।
अभ्यासिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी पाठ या पाठ्यक्रम के आधार पर तैयार प्रश्नोत्तरों का अभ्यास करने वाली पुस्तिका 2. अभ्यास-पुस्तिका; (कॉपी)।
अभ्यासी
(सं.) [सं-पु.] 1. अभ्यास करने वाला 2. रटने या याद करने वाला 3. साधक।
अभ्याहत
(सं.) [वि.] 1. जिसे आघात लगा हो; आहत; ताड़ित; घायल 2. बाधित।
अभ्याहार
(सं.) [सं-पु.] 1. समीप या पास लाने की क्रिया या भाव; निकट लाना 2. अपहरण; चोरी।
अभ्युत्थान
(सं.) [सं-पु.] 1. उत्थान, उदय, अभ्युदय 2. किसी के स्वागत के लिए उठ खड़ा होना 3. ऊँचे पद या सत्ता की प्राप्ति 4. बढ़त; उत्कर्ष; उन्नति; समृद्धि 5. सत्ता
परिवर्तन के लिए होने वाला विद्रोह।
अभ्युत्थित
(सं.) [वि.] 1. उठा हुआ 2. स्वागत में उठ खड़ा हुआ 3. उन्नत 4. उदित 5. विद्रोही।
अभ्युदय
(सं.) [सं-पु.] 1. उन्नति; उत्थान 2. उत्तरोत्तर वृद्धि या लाभ 3. आरंभ 4. कल्याण 5. मनोरथ की प्राप्ति या सिद्धि; इष्ट लाभ।
अभ्युन्नति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. उन्नति 2. वृद्धि।
अभ्युपगम
(सं.) [सं-पु.] 1. सामने आना; उपस्थित होना 2. स्वीकृत करना या स्वीकृति देना 3. तर्क में पहले कोई बात सिद्ध या असिद्ध मानकर तब उसकी सत्यता की जाँच करना और
उससे कोई परिणाम या निष्कर्ष निकालना।
अभ्रंकष
(सं.) [वि.] 1. बहुत ऊँचा 2. गगनचुंबी। [सं-पु.] 1. पहाड़ 2. हवा।
अभ्र
(सं.) [सं-पु.] 1. बादल 2. अभ्रक 3. सोना 4. कपूर 5. नागरमोथा।
अभ्रक
(सं.) [सं-पु.] एक खनिज पदार्थ।
अभ्रभेदी
(सं.) [वि.] अभ्र या आकाश को छूता हुआ प्रतीत होने वाला; गगनचुंबी; बहुत ऊँचा।
अभ्रांत
(सं.) [वि.] 1. जिसे किसी प्रकार की भ्रांति न हो 2. भ्रमरहित; भ्रांतिशून्य 3. स्थिर।
अमंगल
(सं.) [वि.] 1. जो मगंलकारक न हो; अशुभ 2. जो कल्याणकारी न हो; अकल्याणकर 3. भाग्यहीन। [सं-पु.] 1. अकल्याण 2. अनिष्ट; अनर्थ 3. दुर्भाग्य; दुख।
अमंगलकारी
(सं.) [वि.] 1. अकल्याणकारी 2. अनिष्टकारी; अनर्थकारी 3. दुर्भाग्यपूर्ण।
अमंत्र
(सं.) [वि.] 1. जो वैदिक मंत्रों का ज्ञाता न हो; जो वैदिक मंत्रों के उच्चारण का अधिकारी न हो 2. वैदिक मंत्रों की उपेक्षा करने वाला 3. ऐसी पूजा-अर्चना जिसमें
मंत्र की आवश्यकता न हो।
अमंद
(सं.) [वि.] 1. जो मंद, धीमा या सुस्त न हो 2. श्रेष्ठ; उत्तम 3. चुस्त; फ़ुरतीला 4. बुद्धिमान 5. प्रयत्नशील; उद्योगी।
अमचूर
[सं-पु.] 1. कच्चे आम के टुकड़ों को सुखाकर और पीसकर बनाया हुआ चूर्ण 2. उक्त चूर्ण दाल और सब्ज़ी आदि में डाला जाता है।
अमत
(सं.) [वि.] 1. जिसका अनुभव न हो सके; अननुभूत 2. अस्वीकृत; अमान्य। [सं-पु.] 1. अनुकूल मत का अभाव 2. असम्मति 3. मृत्यु 4. रोग।
अमत्त
(सं.) [वि.] 1. जो मत्त अथवा नशे में न हो 2. मद-रहित 3. जिसे घमंड या मद न हो।
अमत्सर
(सं.) [सं-पु.] मात्सर्य या ईर्ष्या का अभाव। [वि.] जो मात्सर्य या ईर्ष्या से रहित हो।
अमन
(अ.) [सं-पु.] शांति; सुकून; इतमीनान; सुख-चैन।
अमनचैन
(अ.) [सं-पु.] 1. शांति-सुकून की स्थिति 2. वैयक्तिक जीवन में सुख-शांति 3. बचाव; सुरक्षा।
अमनपसंद
(अ.+फ़ा.) [वि.] 1. शांतिप्रिय 2. चैन-सुकून की ज़िंदगी पसंद करने वाला।
अमनस्क
(सं.) [वि.] 1. अनमना; अचंचल 2. उदासीन 3. अन्यमनस्क।
अमनैक
(सं.) [सं-पु.] 1. नायक; सरदार 2. हकदार; अधिकारी 3. साहसी; ढीठ 4. वह जो मनमाने ढंग से काम करता हो।
अमर
(सं.) [वि.] 1. न मरने वाला; अविनाशी; सदा जीवित रहने वाला; शाश्वत; (इमॉर्टल) 2. चिरस्थायी।
अमरकंटक
(सं.) [सं-पु.] विंध्य पर्वतश्रेणी का एक भाग जहाँ से नर्मदा और सोन नदियाँ निकलती हैं।
अमरकोश
(सं.) [सं-पु.] विक्रमादित्य के दरबार के एक नवरत्न अमर सिंह का बनाया हुआ प्रसिद्ध कोश।
अमरज
(सं.) [सं-पु.] 1. अमर होने का भाव; अमरता 2. मृत्यु का न होना 3. खैर का वृक्ष। [वि.] अमर।
अमरतरु
(सं.) [सं-पु.] कल्पतरु; कल्पवृक्ष; वह (मिथकीय या कल्पित) वृक्ष जिसके नीचे पहुँचने पर सारी कामनाएँ पूरी हो जाती हैं।
अमरता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कभी भी मृत्यु न होने का भाव; चिरजीवन का भाव 2. देवत्व 3. आत्मा का शाश्वत अस्तित्व 4. स्थायित्व; अक्षुण्णता।
अमरत्व
(सं.) [सं-पु.] 1. अमरता; अमरणशीलता 2. देवत्व; देवभाव 3. शाश्वतता।
अमरपक्षी
(सं.) [सं-पु.] जलकर अपनी ही राख से फिर-फिर जी उठने वाली कल्पित मिथकीय चिड़िया; कुकनुस; (फिनिक्स)।
अमरपति
(सं.) [सं-पु.] देवों का राजा; इंद्र।
अमरपद
(सं.) [सं-पु.] 1. देवपद 2. मोक्ष; मुक्ति।
अमरबेल
(सं.) [सं-स्त्री.] आकाशबेल; पीली लता या बौर जिसमें जड़ और पत्तियाँ नहीं होती; आकाशबौर।
अमरलोक
(सं.) [सं-पु.] 1. देवलोक 2. स्वर्ग।
अमरवाणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दिव्यवाणी; ईश्वरीय वाणी 2. धर्मग्रंथों और महापुरुषों की सूक्तियाँ।
अमरस
[सं-पु.] 1. आम का रस 2. आम और दूध को मिला कर बनाया गया पेय; (मैंगोशेक)।
अमराई
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आम का बगीचा 2. उद्यान; सुरकानन।
अमरावती
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. इंद्रपुरी; स्वर्ग 2. महाराष्ट्र प्रांत का एक नगर।
अमरी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. देव की पत्नी 2. देवकन्या 3. एक प्रकार का वृक्ष।
अमरीका
(इं.) [सं-पु.] 1. पश्चिमी गोलार्ध का एकमात्र उपमहाद्वीप जो उत्तरी और दक्षिणी दो भागों में बँटा है 2. उत्तरी अमरीका का वह देश जो युनाइटेड स्टेट्स ऑव अमरीका
के नाम से जाना जाता है।
अमरीकी
(इं.) [वि.] अमरीका से संबंधित; अमरीका का। [सं-पु.] अमरीका का रहने वाला; अमरीकी नागरिक।
अमरू
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का बढ़िया रेशमी कपड़ा।
अमरूद
[सं-पु.] गोल तथा पीले रंग का एक मशहूर मीठा फल और उसका पेड़; अमृत फल।
अमरेश
(सं.) [सं-पु.] अमरपति; इंद्र।
अमरौली
(सं.) [सं-स्त्री.] हठयोगियों की अमरी नामक क्रिया।
अमर्त्य
(सं.) [वि.] 1. न मरने वाला; अमर 2. जो मर्त्य लोक का न हो; स्वर्गीय।
अमर्याद
(सं.) [वि.] 1. मर्यादारहित; सीमारहित 2. प्रतिष्ठारहित 3. नियम या व्यवस्था से बाहर 4. सीमा का उल्लंघन करने वाला।
अमर्यादा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सीमा या मर्यादा का उल्लंघन 2. सीमा या मर्यादा का अभाव 3. बेइज़्ज़ती 4. आचरणहीनता 5. अप्रतिष्ठा।
अमर्यादित
(सं.) [वि.] सीमा या मर्यादा से रहित।
अमर्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. क्रोध; कोप 2. अपने अपमान, तिरस्कार आदि से उत्पन्न क्षोभ 3. विरोधी या शत्रु का कोई अपकार न कर पाने से उत्पन्न द्वेष या दुख 4. असहिष्णुता
5. (काव्यशास्त्र) संचारी भावों में से एक भाव।
अमर्षी
(सं.) [वि.] 1. मन में अमर्ष रखने वाला; क्रोधी 2. जल्दी बुरा मानने वाला 3. असहनशील।
अमल1
(सं.) [वि.] निर्मल; शुद्ध; पवित्र; साफ़; स्वच्छ।
अमल2
(अ.) [सं-पु.] 1. कार्य रूप में होना प्रयोग व्यवहार 2. कार्य 3. आचरण 4. शासन 5. अधिकार 6. नशीली वस्तु। [मु.] -में आना : कार्यरूप में
परिवर्तित होना। -में होना : आज्ञा या आदेश का व्यवहार में आना।
अमलता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. निर्मलता; स्वच्छता 2. निष्कलंकता 3. पावनता; पवित्रता 4. उज्ज्वलता।
अमलतास
(सं.) [सं-पु.] एक वृक्ष जिसके फूल, फल और पत्तियाँ सभी दवा बनाने के काम आते हैं।
अमलतासी
[सं-पु.] एक प्रकार का हलका पीला रंग। [वि.] अमलतास के फूलों जैसा (रंग)।
अमलदस्तूर
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] रीति-रिवाज।
अमलबेत
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का वृक्ष जिसके फल अत्यंत खट्टे होते हैं।
अमला
(अ.) [सं-पु.] किसी दफ़्तर के कर्मचारियों और अधिकारियों का दल या समूह; (स्टाफ़)।
अमलारा
(अ.) [वि.] 1. अमल या नशा करने वाला 2. नशे में मस्त या चूर।
अमली
(अ.) [वि.] अमल में आने वाला; व्यावहारिक। [सं-पु.] अमल या नशा करने वाला व्यक्ति; नशेबाज़।
अमलोनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार की घास जिसका साग खाया जाता है 2. नोनी; नोनियाँ घास।
अमस
(सं.) [वि.] जिसे कुछ भी ज्ञान न हो; अज्ञानी।
अमहर
[सं-पु.] अमचूर; सूखी खटाई; आम की सूखी फाँकें।
अमा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अमावस्या 2. चंद्रमा की सोलहवीं कला 3. मकान; घर।
अमाँ
[अव्य.] एक प्रकार का संबोधन; ऐ मियाँ।
अमात्य
(सं.) [सं-पु.] 1. राजा का सहचर या साथी 2. प्राचीन हिंदू राज्य-व्यवस्था में राजा को सलाह देने वाला मंत्री।
अमात्र
(सं.) [वि.] 1. जिसकी कोई मात्रा न हो; मात्राविहीन 2. सीमारहित 3. निस्सीम।
अमान
(सं.) [वि.] 1. मानरहित; प्रतिष्ठारहित 2. जिसका मान या अंदाज़ न हो; बहुत; बेहद; अपरिमित 3. सीधा-सादा; गर्वरहित।
अमानक
[वि.] 1. जो मानक न हो 2. मानक स्तर से गिरा हुआ।
अमानत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. थाती; धरोहर 2. एक निश्चित समय के लिए कोई चीज़ किसी के पास रखना; उपनिधि 3. अमीन का कार्य।
अमानतदार
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] जिसके पास अमानत या धरोहर रखी गई हो।
अमानतनामा
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] किसी के पास कुछ अमानत रखने के समय उसके प्रमाण-स्वरूप लिखा जाने वाला पत्र।
अमानती
(अ.) [वि.] 1. अमानत संबंधी 2. अमानत के तौर पर रखी हुई।
अमानवीय
(सं.) [वि.] 1. जो मानवीय न हो; क्रूर; पशुवत 2. अलौकिक।
अमाना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. किसी चीज़ के अंदर पूरा-पूरा समाना 2. अँटना 3. इतराना 4. गर्व करना।
अमानिया
[सं-स्त्री.] एक प्रकार का पटसन।
अमानी1
[सं-स्त्री.] 1. दैनिक मज़दूरी पर होने वाला काम 2. मनमानी कार्रवाई; अंधेर।
अमानी2
(सं.) [वि.] निरभिमान; घमंडरहित। [सं-स्त्री.] भूमि जिसका प्रबंध सरकार द्वारा किया जाए; ख़ास।
अमानुष
(सं.) [वि.] 1. पशुवत आचरण करने वाला; क्रूर; पैशाचिक 2. अमानवीय (कृत्य)।
अमानुषता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मनुष्योचित गुणों का अभाव 2. अमानवीय व्यवहार।
अमानुषिक
(सं.) [वि.] 1. ऐसा आचरण जो मनुष्योचित न हो 2. पाशविक; जघन्य; घृणित; क्रूर 3. अमानुषी; मनुष्य-रहित; मनुष्यों से शून्य।
अमानुषिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अमानुषिक रुख, व्यवहार या आचरण 2. पाशविकता; जघन्यता; क्रूरता।
अमान्य
(सं.) [वि.] 1. जिसे मान्यता प्राप्त न हो; अमान्यीकृत 2. जो (बात या शर्त वगैरह) मानी न जा सके; अस्वीकार किया हुआ 3. जो आदर या मान के योग्य न हो।
अमान्यकरण
(सं.) [सं-पु.] न मानने की क्रिया या भाव।
अमापनीय
(सं.) [वि.] जो मापा न जा सके; अपरिमित।
अमार्ग
[सं-पु.] 1. कुमार्ग; अनुचित या निंदनीय मार्ग 2. अनुचित या निंदनीय आचरण; ख़राब चाल-चलन 3. पाप का रास्ता 4. ईश्वर-विमुख अथवा माया-मोह का रास्ता।
अमावट
[सं-स्त्री.] पके आम के रस का जमाया या सुखाया हुआ पापड़ या पट्टी; आमपापड़; आमबड़ी या आमरोटी।
अमावस
[सं-स्त्री.] अमावस्या।
अमावस्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कृष्णपक्ष की अंतिम तिथि जिसकी रात में चंद्रमा की एक भी कला दिखाई नहीं देती 2. (हठयोग) वह ध्यानावस्था जिसमें इड़ा (चंद्रमा) और पिंगला
(सूर्य) दोनों नाड़ियों का लय हो जाता है।
अमिट
(सं.) [वि.] 1. जो न मिटे; जो नष्ट न हो; स्थायी 2. अवश्यंभावी; जिसका होना निश्चित हो।
अमित
(सं.) [वि.] 1. अत्यधिक 2. बेहद; बेहिसाब; अपरिमित 3. जो मापा न जा सके 4. असंस्कृत 5. उपेक्षित 6. अज्ञात।
अमितवीर्य
(सं.) [वि.] अथाह ताकतवाला; अत्यंत बलशाली।
अमिता
(सं.) [सं-स्त्री.] अत्यंत बलशालिनी।
अमिताभ
(सं.) [वि.] असीम कांति या आभावाला; अत्यंत तेजस्वी। [सं-पु.] बुद्ध का एक नाम।
अमिति
(सं.) [सं-स्त्री.] अमित होने की अवस्था या भाव; असीमता; अनंतता।
अमित्राक्षर
(सं.) [सं-पु.] ऐसा छंद जिसमें मात्राओं की गणना विचारणीय नहीं होती।
अमिय
(सं.) [वि.] अमृत; सुधा।
अमियरस
(सं.) [सं-पु.] योगसाधना में सहस्रदल कमल के मध्य स्थित चंद्रबिंदु की प्रेरणा से होने वाला एक प्रकार का स्राव जिसे अमृत, सोमरस या रसायन भी कहा जाता है।
अमिया
[सं-स्त्री.] बतिया आम; टिकोरा।
अमिश्र
(सं.) [वि.] 1. जिसमें मिलावट न हो 2. शुद्ध 3. जो किसी के साथ मिला न हो।
अमीन
(अ.) [सं-पु.] माल-विभाग का वह कर्मचारी जो ज़मीन की पैमाइश और बँटवारे आदि का प्रबंध करता है। [वि.] 1. अमानत रखने वाला 2. विश्वसनीय; भरोसेमंद।
अमीनिधि
(सं.) [सं-पु.] 1. अमृत का समुद्र 2. चंद्रमा।
अमीनी
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. अमीन का काम; अमीन का पेशा 2. अमानतदारी 3. विश्वसनीयता।
अमीबा
(इं.) [सं-पु.] 1. एककोशिकीय जीव 2. मल-कीटाणु।
अमीर
(अ.) [वि.] 1. धनी; मालदार; दौलतमंद 2. उदार। [सं-पु.] सरदार; शासक।
अमीरज़ादा
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. बहुत बड़े अमीर या धनवान का बेटा 2. शाहज़ादा; राजकुमार 3. कुलीन।
अमीरी
(अ.) [सं-स्त्री.] अमीर होने की अवस्था या भाव; दौलतमंदी; धनाढ्यता; वैभवशालिता।
अमुक
(सं.) [वि.] 1. फलाँ (ऐसे किसी ख़ास व्यक्ति या वस्तु के लिए प्रयुक्त विशेषण, जिसका नाम न लिया जा रहा हो) 2. सम्मुख आया हुआ अपरिचित 3. काल्पनिक रूप से
उल्लिखित।
अमूमन
(अ.) [क्रि.वि.] 1. साधारणतः; आम तौर पर 2. प्रायः; बहुधा; अकसर।
अमूर्त
(सं.) [वि.] 1. जो मूर्त या साकार न हो; निराकार 2. देहरहित 3. निरवयव 4. अप्रत्यक्ष 5. वायवीय; हवाई 6. अस्पष्ट। [सं-पु.] 1. ईश्वर; परमात्मा 2. जीव 3. आत्मा
4. दिशा 5. आकाश 6. काल 7. वायु; (ऐब्सट्रैक्ट)।
अमूर्तवाद
(सं.) [सं-पु.] एक सिद्धांत जिसकी मान्यता है कि मूर्त पदार्थों की अभिव्यक्ति अमूर्त प्रतीकों के द्वारा की जानी चाहिए।
अमूर्तीकरण
(सं.) [सं-पु.] किसी विषयवस्तु को निराकार, वायवीय या अमूर्त बनाने की क्रिया; (ऐब्स्ट्रैक्शन)।
अमूल
(सं.) [वि.] 1. मूलरहित; जड़विहीन; निर्मूल 2. प्रमाणरहित; निराधार 3. अमौलिक। [सं-पु.] प्रकृति।
अमूलक
(सं.) [वि.] 1. जिसका कोई मूल या जड़ न हो; निर्मूल 2. जिसका कोई आधार न हो; निराधार 3. झूठ; मिथ्या।
अमूल्य
(सं.) [वि.] 1. जिसका मूल्य न हो; अनमोल 2. बहुमूल्य; मूल्यवान; बेशकीमती 3. श्रेष्ठ; उत्तम।
अमृत
(सं.) [सं-पु.] 1. वह दुर्लभ मिथकीय पेय जिसको पीने से अमरता प्राप्त होती है; सुधा; आबेहयात 2. सोमरस 3. घी 4. दूध 5. यज्ञशेष।
अमृतकर
(सं.) [सं-पु.] अमृत के समान किरणोंवाला अर्थात चंद्रमा।
अमृतगति
(सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) वर्णिक छंदों में समवृत्त का एक भेद जो नगण, जगण, नगण और गुरु के योग से बनता है।
अमृतत्व
(सं.) [सं-पु.] 1. अमर होने की अवस्था या भाव; अमरत्व; अमरता 2. मोक्ष।
अमृतधारा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (काव्यशास्त्र) एक वर्णवृत्त जिसके पहले चरण में बीस, दूसरे में बारह, तीसरे में सोलह और चौथे में आठ अक्षर होते हैं 2. एक औषधिविशेष।
अमृतध्वनि
(सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) छहदलीय मात्रिक विषमछंद जिसमें पहले दो दल दोहे के और बाकी के चार रोला के होते हैं।
अमृतबान
(सं.) [सं-पु.] 1. चीनी मिट्टी का ढक्कनदार बरतन जिसमें अचार-मुरब्बे आदि रखे जाते हैं; मर्तबान 2. एक प्रकार का केला।
अमृतमंथन
(सं.) [सं-पु.] समुद्रमंथन की मिथकीय परिघटना जिससे अन्य रत्नों के साथ अमृत की उत्पत्ति मानी जाती है।
अमृतमय
(सं.) [वि.] 1. मधुर; मीठा 2. सुस्वादु 3. भरपूर जीवनी-शक्ति वाला।
अमृतमयी
(सं.) [वि.] 1. मधुर; मीठा 2. सुस्वादु 3. भरपूर जीवनी-शक्ति वाला। [सं-स्त्री.] सुंदर और मधुर स्वभाव वाली स्त्री।
अमृतयोग
(सं.) [सं-पु.] फलित ज्योतिष का एक शुभ योग।
अमृतरस
(सं.) [सं-पु.] 1. सुधा; अमृत 2. परब्रह्म।
अमृतलोक
(सं.) [सं-पु.] स्वर्ग।
अमृतवाणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. शुभ वाणी 2. सुंदर वचन; सूक्ति 3. मधुर भाषा।
अमृतसार
(सं.) [सं-पु.] 1. मक्खन 2. घी 3. अंगूर।
अमृता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दूर्वा; दूब 2. गुर्च 3. आँवला 4. हरीतकी 5. पीपल 6. तुलसी 7. फिटकिरी 8. खरबूजा 9. इंद्रायण।
अमृष्ट
(सं.) [वि.] 1. बिना धुला या साफ़ किया हुआ 2. गंदा; मैला; अस्वच्छ।
अमेंडमेंट
(इं.) [सं-पु.] 1. सुधार; संशोधन 2. शुद्धता 3. किसी प्रस्ताव आदि में किया जाने वाला संशोधन।
अमेय
(सं.) [वि.] 1. निस्सीम; असीम 2. जो नापा न जा सके 3. अपरिमेय 4. जिसे जाना न जा सके; अज्ञेय।
अमेल
[वि.] 1. जिसका मेल न हो; बेमेल 2. असंबद्ध; असंगत।
अमेह
(सं.) [सं-पु.] एक रोग जिसमें पेशाब नहीं उतरता या रुक-रुक कर उतरता है।
अमैच्योर
(इं.) [वि.] शौकिया; गैरपेशेवर; अव्यावसायिक (कलाकर्मी), जैसे- अमैच्योर थियेटर। [सं-पु.] 1. किसी कला का प्रेमी; शौकीन 2. अप्रवीण; अनाड़ी; अदक्ष।
अमोक्ष
(सं.) [वि.] 1. अमुक्त; बंधनयुक्त 2. जो मुक्त न हुआ हो; जिसे मुक्ति न मिली हो। [सं-पु.] 1. बंधन 2. संसार से छुटकारा न मिलना।
अमोघ
(सं.) [वि.] 1. अचूक (औषधि या अस्त्र) 2. जो निष्फल न हो; जो निरर्थक या व्यर्थ न हो 3. सफल 4. लक्ष्यभेदी।
अमोघदर्शी
(सं.) [वि.] जिसकी दृष्टि कभी न चूकती हो; अचूक लक्ष्यदर्शी; गहरी अंतर्दृष्टिवाला; अमोघदृष्टि।
अमोघदृष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] गहरी अंतर्दृष्टि; अचूक लक्ष्यदर्शिता। [वि.] अमोघदर्शी
अमोचन
(सं.) [सं-पु.] छुटकारा न होने की क्रिया या भाव; ढीला न पड़ना। [वि.] 1. जिसका मोचन न हो सके 2. न छूट सकने वाला; ढीला न होने वाला।
अमोनिया
(इं.) [सं-स्त्री.] एक रंगहीन तेज़ गंध वाली गैस।
अमोल
(सं.) [वि.] 1. जिसका कोई मोल न हो; अनमोल 2. बहुमूल्य; मूल्यातीत।
अमोही
(सं.) [वि.] 1. निर्मोही; जिसे मोह न हो 2. विरक्त; उदासीन।
अमौलिक
(सं.) [वि.] 1. जो किसी की नकल हो 2. अनुकृत; रुपांतरित 3. निर्मूल 4. अयथार्थ 5. अन्य रचना के आधार पर या अनुवाद रूप में रचित।
अम्माँ
[सं-स्त्री.] माँ; माता।
अम्मी
[सं-स्त्री.] 1. अम्माँ 2. प्रायः मुस्लिम समुदाय में माँ के लिए प्रयुक्त संबोधन; अम्मीजान।
अम्ल
(सं.) [सं-पु.] 1. खटाई; खट्टापन 2. सिरका 3. तेज़ाब; (ऐसिड) 4. नीबू। [वि.] खट्टा; तुर्श।
अम्लक
(सं.) [सं-पु.] एक फल; बड़हल।
अम्लता
(सं.) [सं-स्त्री.] खट्टापन; खटाई; खटास; तुर्शी।
अम्लनिशा
(सं.) [सं-स्त्री.] शठी नामक पौधा।
अम्लपंचक
(सं.) [सं-पु.] पाँच मुख्य खट्टे फल (नीबू, खट्टा अनार, इमली, नारंगी और अमलबेत)।
अम्लपत्र
(सं.) [सं-पु.] अश्मंतक नामक पौधा।
अम्लपित्त
(सं.) [सं-पु.] एक रोग जिसमें आहार आमाशय में पहुँचकर अम्ल हो जाता है; (ऐसिडिटी)।
अम्लमेह
(सं.) [सं-पु.] मूत्र संबंधी एक बीमारी।
अम्लसार
(सं.) [सं-पु.] 1. नीबू 2. अमलबेत 3. काँजी 4. हिंताल।
अम्लान
(सं.) [वि.] 1. जो मलिन न हो; उदास न हो; कुम्हलाया या मुरझाया न हो 2. साफ़; स्वच्छ; निर्मल 3. पवित्र 4. दीप्त; उज्ज्वल; प्रकाशयुक्त 5. अमंद 6. स्वस्थ;
हराभरा; हरित।
अम्लीय
(सं.) [वि.] 1. अम्ल संबंधी; अम्लित; (ऐसीडिक) 2. अम्ल के गुणधर्म का 3. खट्टा; खटास भरा 4. तिक्त; तीक्ष्ण।
अम्हौरी
[सं-पु.] 1. गरमी में अधिक पसीना निकलने से शरीर पर निकलने वाली छोटी-छोटी फुंसियाँ; घमौरियाँ 2. पित्ती।
अय
(सं.) [सं-पु.] 1. लोहा 2. अग्नि 3. हथियार 4. सोना। [अव्य.] संबोधन के लिए प्रयुक्त शब्द; ऐ; हे।
अयथार्थ
(सं.) [वि.] 1. जो यथार्थ न हो; काल्पनिक; निराधार; तथ्यहीन 2. अवास्तविक 3. मिथ्या; असत्य 4. मायावी; छद्म; बेबुनियाद; ख़याली; वायवी 5. झूठा; कागज़ी।
अयन
(सं.) [सं-पु.] 1. मार्ग; रास्ता 2. गमन; गति; चाल; संचलन 3. आश्रय 4. आश्रम 5. घर; वास; स्थान 6. काल; समय 7. वर्ष का आधा भाग 8. सूर्य और चंद्रमा की उत्तर और
दक्षिण की ओर गति या प्रवृत्ति जिन्हें क्रमशः उत्तरायण और दक्षिणायण कहा जाता है 9. बारह राशियों के चक्र का आधा 10. राशि चक्र।
अयनकाल
(सं.) [सं-पु.] सूर्य के उत्तरायण या दक्षिणायन रहने का काल जो छह महीनों का होता है।
अयनांत
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी अयन या गति का अंत 2. (ज्योतिष) दो अयनों के बीच का संधिकाल; संक्रांति 3. अयन सीमा।
अयश
(सं.) [सं-पु.] 1. यश का अभाव; गुमनामी 2. अपयश; बदनामी 3. लांछन।
अयस
(सं.) [सं-पु.] 1. खनिज 2. इस्पात 3. धातु 4. लोहा।
अयस्क
(सं.) [सं-पु.] 1. बिना शुद्ध की हुई कच्ची धातु; (ओर) 2. वह शिलाखंड जिसमें अपरिष्कृत या कच्ची धातुएँ निकलती हैं 3. बिना साफ़ की हुई धातु।
अयाचक
(सं.) [वि.] 1. न माँगने वाला; याचना न करने वाला; जो किसी से याचना न करता हो; अयाची 2. जिसे किसी काम या बात की कामना रह गई हो; कुछ माँगने की ज़रूरत न रह गई
हो 3. संतुष्ट।
अयाचित
(सं.) [वि.] बिना माँगा हुआ; जिसके लिए याचना या प्रार्थना न की गई हो।
अयाल
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. सिंह और घोड़े की गरदन के बाल; शरीर रोम 2. केसर।
अयास
(सं.) [वि.] अनायास; बिना कोशिश के; स्वतः; अपने आप।
अयुक्त
(सं.) [वि.] 1. अनुचित; अयोग्य; गलत; तर्कहीन 2. अलग; असंयुक्त 3. असंबद्ध; अंडबंड 4. आपदाग्रस्त 5. अनमना।
अयुक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. युक्ति का अभाव; कुतर्क 2. गड़बड़ी; असंबद्धता; पार्थक्य 3. एकरूपता का अभाव 4. अप्रवृत्ति।
अयुक्तियुक्त
(सं.) [वि.] 1. जो युक्तियुक्त या तर्कपूर्ण न हो 2. अतर्कसंगत।
अयुग
(सं.) [वि.] 1. जो सम न हो; विषम; अलग 2. जो जोड़ा न गया हो; अकेला।
अयुग्म
(सं.) [सं-पु.] 1. जिसका कोई युग्म या जोड़ा न हो; अकेला 2. जो सम न हो; विषम।
अयुज
(सं.) [वि.] 1. जिसका कोई साथी या दोस्त न हो; अकेला; एकाकी 2. जो किसी के साथ जुड़ा, लगा या मिला न हो।
अयुत
(सं.) [वि.] 1. जो मिला हुआ न हो; अलग; पृथक 2. अक्षुब्ध।
अयुध्य
(सं.) [वि.] 1. जो युद्ध करने लायक या योग्य न हो 2. जिससे युद्ध न किया जा सकता हो।
अयोग
(सं.) [सं-पु.] 1. अलगाव; बिलगाव; वियोग 2. अयुक्तता; पार्थक्य 3. अनुपयुक्तता; अनौचित्य 4. अप्राप्ति 5. अक्षमता 6. संकट 7. कुयोग; दुर्योग 8. जिसका अर्थ
कठिनाई से बैठाया जा सके; कूट 9. हथौड़ा 10. (ज्योतिष) बुरे ग्रह-नक्षत्र आदि से युक्त समय।
अयोगात्मक
(सं.) [वि.] 1. आकृति के आधार पर भाषाओं का एक वर्ग 2. (भाषा) जिसमें विभक्तियाँ न हों।
अयोग्य
(सं.) [वि.] 1. जो योग्य न हो; नाकाबिल; अकुशल; अक्षम 2. अनुपयुक्त 3. निकम्मा; नालायक; अपात्र 4. अनधिकारी 5. अनुचित; नामुनासिब 6. बेकाम; बेकार; निखद।
अयोग्यता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अयोग्य होने की अवस्था या भाव 2. निकम्मापन 3. अपात्रता 4. अनौचित्य।
अयोजित
(सं.) [सं-पु.] 1. अनियोजित; जिसकी योजना न की गई हो 2. अनिश्चित; अप्रत्याशित 3. उद्देश्यहीन 4. क्रमहीन; अव्यवस्थित 5. बेतरतीब।
अयोध्या
(सं.) [सं-पु.] 1. पूर्वी उत्तरप्रदेश का एक प्राचीन शहर 2. अवधपुरी; कोशल; साकेत 3. (रामायण) सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी।
अयोनि
(सं.) [वि.] 1. जो योनि से उत्पन्न न हुआ हो; जो गर्भ से पैदा न हुआ हो; अजन्मा 2. नित्य। [सं-पु.] (पुराण) ब्रह्मा; शिव।
अयौक्तिक
(सं.) [वि.] असंगत; युक्तिविहीन।
अयौगिक
(सं.) [सं-पु.] 1. अनियमित रूप से व्युत्पन्न; रूढ़ 2. जिसका योग से संबंध न हो 3. जो यौगिक न हो; तत्व या मिश्रण (पदार्थ)।
अय्यार
[सं-पु.] ऐयार; जासूस; भेष बदल कर पता लगाने वाला; माया रचने वाला।
अय्याश
(अ.) [वि.] विलासी; लंपट; कामुक; व्यभिचारी।
अय्याशी
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. विलासिता; कामुकता; लंपटता 2. व्यभिचार; अश्लीलता।
अर
(सं.) [सं-पु.] 1. पहिए में लगने वाली आड़ी लकड़ी; आरी; (रेडियस) 2. तीली 3. कोना; कोण।
अरइल
[सं-पु.] एक प्रकार का वृक्ष।
अरई
(सं.) [सं-स्त्री.] बैल, भैंसा आदि हाँकने की लकड़ी की छड़ी जिसमें लोहे की नुकीली नोक लगी होती है।
अरक1
(सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. आक या मदार का पौधा।
अरक2
(अ.) [सं-पु.] 1. किसी पदार्थ का सत्व या सार जो भभके से खींचकर निकाला जाता है; अर्क 2. मद्य; आसव; ताड़ी 3. रस; इत्र 4. पसीना; स्वेद। [मु.] -निकालना : सार या तत्व निकालना; (व्यक्ति को) बेदम कर देना।
अरकाटी
[सं-पु.] गिरमिटिया कुलियों-मज़दूरों को भरती करने वाला व्यक्ति; ठेकेदार जो विदेशों में कुलियों-मज़दूरों को भेजने का काम करता हो।
अरकान
(अ.) [सं-पु.] 1. वह कर्मचारी जिसपर किसी कार्य का दारोमदार या पूरा दायित्व हो 2. स्तंभ 3. राज्य का प्रमुख अधिकारी; मंत्री 4. कारिंदा; गुमाश्ता 5. उर्दू
छंदों के मात्रा-रूप अक्षर 6. वैभव; संपत्ति।।
अरक्षित
(सं.) [वि.] जिसकी रक्षा न की जाती हो; असुरक्षित; असहाय।
अरगजा
[सं-पु.] केसर, चंदन तथा कपूर आदि को मिला कर बनाया जाने वाला एक सुगंधित लेप।
अरगज़ी
[वि.] 1. अरगज़ा से संबंधित 2. अरगज़ा की तरह का; अरगज़ा के समान रंग या सुगंधवाला।
अरघा
[सं-पु.] 1. अर्घ देने का एक लंबोतरा पात्र 2. अर्घपात्र की तरह की एक आकृति जिसमें शिवलिंग स्थापित किया जाता है; जलघरी; जलहरी 3. कुएँ की जगत पर पानी निकालने
के लिए बनी अर्घपात्र के आकार की नाली।
अरघान
(सं.) [सं-स्त्री.] ख़ुशबू; सुगंध; महक।
अरचित
(सं.) [वि.] 1. जो रचा न गया हो; जिसकी अभी रचना न हुई हो 2. अकल्पित; अगठित 3. अनिर्मित 4. प्राकृतिक; असृष्ट।
अरज़ी
(अ.) [सं-स्त्री.] प्रार्थना-पत्र; दरख़्वास्त।
अरजेंट
(इं.) [वि.] 1. अत्यावश्यक 2. जिसकी तत्काल और प्राथमिकता के साथ ज़रूरत हो।
अरणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आग जलाने वाली लकड़ी; अग्निकाष्ठ 2. पीपल 3. वैजयंती 4. सूर्य; अग्नि।
अरण्य
(सं.) [सं-पु.] 1. वन; जंगल 2. संन्यासियों का एक भेद 3. कायफल।
अरण्यक
(सं.) [सं-पु.] 1. वन; जंगल 2. जंगल का समाज; जंगल की सभा 3. एक पौधा।
अरण्यगान
(सं.) [सं-पु.] 1. एकांत वन में गाया जाने वाला गीत 2. सामवेद का वन में गाया जाने वाला गान 3. {ला-अ.} वह अच्छा काम जिसे देखने-सुनने-समझने वाला कोई न हो।
अरण्यचंद्रिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वन-प्रांतर की चाँदनी 2. ऐसा साज-शृंगार जिसे देखने-सराहने वाला कोई न हो।
अरण्यता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वन-प्रांतर सरीखा एकांत 2. निरापदता; निश्चिंतता; शांति।
अरण्यदमन
(सं.) [सं-पु.] दोन नामक एक जंगली पौधा।
अरण्यनिनाद
(सं.) [सं-पु.] 1. जंगल में होने वाला शोर 2. ऐसा शोरगुल या आपत्ति-प्रतिरोध की ऐसी आवाज़ जिसपर कोई ध्यान देने वाला न हो।
अरण्यपंडित
(सं.) [सं-पु.] ऐसा पंडित या विद्वान जिसके ज्ञान और विद्वत्ता को कोई सुनने-समझने या परखने वाला न हो।
अरण्यपति
(सं.) [सं-पु.] 1. जंगल का राजा 2. सिंह; अरण्यराज।
अरण्यप्रदेश
(सं.) [सं-पु.] वन क्षेत्र; जंगली इलाका।
अरण्ययान
(सं.) [सं-पु.] 1. जंगल की ओर प्रस्थान करना 2. वानप्रस्थ आश्रम में प्रवेश।
अरण्यराज
(सं.) [सं-पु.] सिंह; शेर।
अरण्यरोदन
(सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा रोदन जिसे कोई सुनने वाला न हो 2. {ला-अ.} ऐसा कथन या बात जिसपर कोई ध्यान न दे 3. निरर्थक प्रार्थना; एकांत में व्यथा निवेदन।
अरण्यवास
(सं.) [सं-पु.] 1. वनवास; वानप्रस्थ आश्रम 2. वन या जंगल में जाकर रहना।
अरण्यश्वान
(सं.) [सं-पु.] गीदड़; भेड़िया।
अरण्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वन में होने वाली औषधि 2. वन की देवी; अरण्यानी।
अरत
(सं.) [वि.] 1. विरत; उदासीन 2. विरक्त; अप्रवृत्त 3. अनासक्त 4. सुस्त 5. असंतुष्ट।
अरति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रति, अनुराग, प्रवृत्ति या वासना आदि का न होना 2. उदासीनता; विरक्ति; अरुचि 3. असंतोष 4. सुस्ती; आलस्य 5. व्यथा।
अरथी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बाँस या डंडों से बनाई गई वह आयताकार सीढ़ी या तख़्ती जिसपर शव को अंत्येष्टि क्रिया के लिए श्मशान ले जाया जाता है; टिकठी; शवयान 2.
अंतशय्या; रत्थी; रक्षी।
अरदावा
(सं.) [सं-पु.] 1. दला या कूटा हुआ अन्न 2. कुचला हुआ या नष्ट-भ्रष्ट रूप 3. भरता; चोखा।
अरदास
(फ़ा) [सं-स्त्री.] 1. प्रार्थना; पूजा; भगवान को भेंट 2. मंगल कामना 3. निवेदन के साथ भेंट; नज़र 4. नानकपंथियों के ख़ास व्यवहार का शब्द।
अरना
[सं-पु.] जंगली भैंसा; वन्य पशु।
अरब1
(सं.) [वि.] सौ करोड़ की सूचक (संख्या)।
अरब2
(अ.) [सं-पु.] 1. पश्चिमी एशिया का एक भूक्षेत्र जिसमें ईराक, कुवैत, मिस्र आदि कई देश स्थित हैं 2. उक्त क्षेत्र का निवासी।
अरबपति
(सं.) [सं-पु.] 1. जिसके पास अरबों की धनसंपत्ति हो 2. {ला-अ.} जो बहुत धनवान हो; धनकुबेर।
अरबराना
[क्रि-अ.] 1. व्याकुल होना; घबराना 2. चलने में लड़खड़ाना 3. तड़पना 4. प्रेममग्न या विह्वल होना।
अरबी
(अ.) [सं-स्त्री.] अरब देश की भाषा। [सं-पु.] 1. अरबी घोड़ा; इराकी 2. अरबी ऊँट; घोड़ा 3. अरबी बाजा; ताशा। [वि.] 1. अरब में उत्पन्न 2. अरब से संबंधित।
अरमान
(तु.) [सं-पु.] 1. इच्छा; लालसा; कामना 2. महत्वाकांक्षा 3. हौसला। [मु.] -कलना : मनोकामना या इच्छा की पूर्ति होना। -रह जाना : कामना या इच्छा अधूरी रह जाना।
अरराना
[क्रि-अ.] 1. अरर शब्द करते हुए टूटना या गिरना 2. घोर आवाज़ करना 3. अचानक गिरना; भहराना।
अरविंद
(सं.) [सं-पु.] 1. कमल 2. सारस पक्षी 3. ताँबा।
अरविंदाक्ष
(सं.) [वि.] कमल के समान आँखोंवाला। [सं-पु.] (पुराण) विष्णु का एक नाम।
अरवी
(सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का कंद जिसकी सब्ज़ी बनाते हैं; अरुई; घुइयाँ।
अरस
(सं.) [वि.] 1. जिसमें रस न हो; रसहीन 2. फीका; स्वादहीन।
अरसा
(अ.) [सं-पु.] 1. समय; काल 2. अवधि 3. लंबी अवधि 4. देर; विलंब 5. मैदान 6. शतरंज की बिसात।
अरसिक
(सं.) [वि.] 1. (काव्य, संगीत आदि कलाओं में) जिसे रस न मिलता हो; अरसज्ञ 2. नीरस; रूखे स्वभाववाला 3. प्रेम-रोमांस आदि में रुचि न लेने वाला 4. गंभीर।
अरस्तू
(ग्री.) [सं-पु.] यूनान का प्रसिद्ध दार्शनिक एवं विद्वान; (ऐरिस्टॉटल)।
अरहन
(सं.) [सं-पु.] वह आटा या बेसन जो सब्ज़ी आदि पकाते समय उसमें मिलाया जाता है, आलन।
अरहर
[सं-स्त्री.] प्रसिद्ध पौधा जिसके दानों से दाल बनती है; एक दलहन; तुअर।
अराजक
(सं.) [वि.] 1. शासक या शासनहीन (राज्य) 2. अव्यवस्था उत्पन्न करने वाला; (ऐनार्किस्ट)।
अराजकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अराजक होने की स्थिति या भाव 2. राजशून्यता; समाज में विधि, शासन या व्यवस्था न रह जाने की स्थिति; (ऐनार्की) 3. किसी देश में शासक या
राजा का न होना 4. उथल-पुथल; उपद्रवग्रस्तता; बदअमली 5. अनुशासनहीनता 6. अव्यवस्था; दुर्व्यवस्था; बदइंतज़ामी।
अराजकतावाद
(सं.) [सं-पु.] राज्यहीन समाज व्यवस्था का प्रतिपादन करने वाला सिद्धांत; (ऐनार्किज़म)।
अराजकतावादी
(सं.) [वि.] अराजकतावाद के सिद्धांत को मानने वाला; अराजकता का अनुयायी या समर्थक; (ऐनार्किस्ट)।
अराजनीतिक
(सं.) [वि.] जिसका संबंध राजनीति या राजनीतिक दलों से न हो; गैरराजनीतिक।
अराजपत्रित
(सं.) [वि.] जो राजपत्रित न हो; जो भारत सरकार के गजट में शामिल न हुआ हो।
अराड़
(सं.) [सं-पु.] 1. राशि; ढेर 2. वह स्थान जहाँ जलाने की लकड़ी बिकती हो; टाल।
अरारोट
(इं.) [सं-पु.] एक पौधा जिसके कंद से रोगियों के आहार के लिए पौष्टिक आटा बनता है; तीखुर; अरारूट।
अराल
(सं.) [सं-पु.] 1. सिर के बाल; केश 2. मतवाला या मस्त हाथी। [वि.] वक्र; कुटिल; टेढ़ा।
अरावली
(सं.) [सं-पु.] राजस्थान की एक पर्वत शृंखला; एक प्रसिद्ध पहाड़ी।
अरि
(सं.) [सं-पु.] 1. शत्रु; विरोधी; वैरी 2. शरीर के लिए अहितकर विकार।
अरिथमेटिक
(इं.) [सं-पु.] अंकगणित।
अरिदमन
(सं.) [वि.] 1. शत्रुओं का नाश करने वाला; शत्रुघ्न; अरिमर्दन 2. दूसरे राज्य को जीतने वाला।
अरिबेलस
[सं-पु.] प्राचीन यूनानी लोगों द्वारा तेल, मरहम आदि रखने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला वह अलंकृत पात्र जिसकी गरदन छोटी और उसके नीचे का भाग गोल होता था।
अरिमर्दन
(सं.) [वि.] शत्रुओं का मर्दन या नाश करने वाला; शत्रुघ्न; अरिदमन।
अरिराज
(सं.) [सं-पु.] अरि अर्थात शत्रुओं का राजा।
अरिल्ल
(सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) सोलह मात्राओं का एक छंद।
अरिष्ट
(सं.) [सं-पु.] 1. आपत्ति; विपत्ति 2. अशुभ या अमंगलकारी लक्षण 3. दुर्भाग्य 4. कष्ट 5. अनिष्ट ग्रह या ग्रहयोग 6. भूकंप आदि प्राकृतिक उत्पात 7. औषधियों के
मादक अर्क। [वि.] 1. अविनाशी 2. निरापद 3. अशुभ।
अरिष्टक
(सं.) [सं-पु.] रीठा; निर्मली।
अरिहा
(सं.) [वि.] शत्रु का नाश करने वाला; शत्रुनाशक। [सं-पु.] शत्रुघ्न।
अरी
[अव्य.] स्त्रियों के लिए संबोधनसूचक शब्द।
अरीत
[सं-स्त्री.] 1. रीति, नियम या परंपरा के विरुद्ध होने वाला आचरण 2. अनुचित या बुरा कार्य।
अरीतिक
(सं.) [वि.] 1. जो नियम, रीति आदि के अनुसार न हो 2. शिष्टाचार रहित; अनौपचारिक; (इनफॉरमल)।
अरुंतुद
(सं.) [वि.] 1. मर्म स्थान पर आघात करने वाला 2. मन को दुखाने वाला 3. जो घाव या कष्ट दे। [सं-पु.] वैरी; शत्रु; दुश्मन।
अरुंधती
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (पुराण) वशिष्ठ ऋषि की पत्नी 2. (पुराण) दक्ष की कन्या जो धर्म से ब्याही थी 3. सप्तर्षि मंडल के पास का एक छोटा तारा 4. जीभ।
अरुआ
[सं-पु.] 1. पान के आकार के बड़े-बड़े पत्तों वाला एक कंद जिसकी सब्ज़ी बनती है; कंदा 2. एक पेड़ जिसकी लकड़ी ढोल, तलवार की म्यान आदि बनाने के काम आती है 3. उल्लू;
घुग्घू।
अरुई
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का कंद जो सब्ज़ी के रूप में प्रयोग किया जाता है, अरवी 2. उक्त पौधे के बड़े-बड़े पत्ते जो सब्ज़ी के रूप में प्रयोग किए जाते
हैं।
अरुचि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनिच्छा; उपेक्षा 2. अश्रद्धा 3. विरक्ति; अराग 4. घृणा 5. नापसंदगी 6. मंदाग्नि रोग; भूख न लगने की अवस्था 7. जी मिचलाना।
अरुचिकर
(सं.) [वि.] 1. न रुचने वाला; जो पसंद न आए; अरोचक 2. अप्रिय; नापसंद 3. कुढ़न पैदा करने वाला।
अरुचिर
(सं.) [वि.] जो अच्छा न लगे, नापसंद।
अरुज
(सं.) [वि.] तंदरुस्त; निरोग। [सं-पु.] 1. अमलतास 2. केसर 3. सिंदूर।
अरुण
(सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. सूर्य का सारथी 3. उगते हुए सूर्य का रंग 4. सांध्य की लालिमा 5. माघ महीने का सूर्य 6. सिंदूर 7. गहरा लाल रंग 8. कुंकुम। [वि.] 1.
लाल 2. उषा या सिंदूर के रंग का।
अरुणाई
(सं.) [सं-स्त्री.] ललाई; लालिमा; लाली।
अरुणाग्रज
(सं.) [सं-पु.] गरुड़ नामक पक्षी।
अरुणात्मज
(सं.) [सं-पु.] अरुण के पुत्र- सुग्रीव, कर्ण, जटायु, यम, शनि आदि।
अरुणात्मजा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सूर्य की पुत्री; यमुना 2. ताप्ती नदी।
अरुणाभ
(सं.) [वि.] लालिमा लिए हुए; लाल रंग की आभा से युक्त।
अरुणाश्व
(सं.) [सं-पु.] मरुत; वायु।
अरुणित
(सं.) [वि.] 1. जिसे लाल किया गया हो; लाल रंग में रँगा हुआ 2. जिसमें लाली आ गई हो।
अरुणिमा
(सं.) [सं-स्त्री.] लालिमा; लाली; सुर्ख़ी।
अरुणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऊषा 2. लाल गाय।
अरुणोदक
(सं.) [सं-पु.] 1. जैन मत के अनुसार एक समुद्र जो पृथ्वी को आवेष्टित किए हुए है 2. लाल सागर।
अरुणोदय
(सं.) [सं-पु.] सूर्योदय के पहले का समय जब आसमान में लाली छा जाती है; उषाकाल; भोर; तड़का।
अरुवा
(सं.) [सं-पु.] दे. अरुआ।
अरुष
(सं.) [वि.] 1. अक्षत 2. चमकीला 3. अक्रुद्ध। [सं-पु.] 1. सूर्य 2. ज्वाला 3. (पुराण) अग्नि का लाल घोड़ा।
अरुषी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. उषा 2. ज्वाला 3. भृगु ऋषि की पत्नी।
अरूढ़
(सं.) [वि.] अप्रचलित; जो रूढ़ न हो।
अरूढ़िगत
(सं.) [वि.] जो पारंपरिक न हो; अपारंपरिक।
अरूढ़िवादी
(सं.) [सं-पु.] रूढ़ियों तथा रीतियों में विश्वास न करने वाला व्यक्ति; प्रगतिशील। [वि.] जो रूढ़ीवादी न हो।
अरूप
(सं.) [वि.] 1. आकृतिविहीन; निराकार 2. असमान 3. कुरूप; बदशक्ल। [सं-पु.] 1. बदशक्ल व्यक्ति 2. भद्दी शक्ल।
अरूपक
(सं.) [वि.] 1. जिसका कोई रूप या आकार न हो; आकृतहीन 2. अपार्थिव 3. रूपक अलंकार से रहित (शाब्दिक)।
अरूष
(सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. एक सर्प।
अरे
(सं.) [अव्य.] 1. आश्चर्य, दुख, क्षोभ आदि व्यक्त करने वाला उद्गार 2. विस्मयादि बोधक संबोधन।
अरेस्ट
(इं.) [सं-पु.] गिरफ़्तारी; पकड़, बंदीकरण।
अरोक
[वि.] 1. जिसे रोका न जा सके या जिसपर कोई नियंत्रण न हो; जो रुकता न हो 2. जिसे बाध्य न किया जा सके; अबाध्य 3. जिसमें छिद्र न हो 4. कांतिहीन; निष्प्रभ।
अरोग
(सं.) [वि.] 1. स्वस्थ; निरोग; जो बीमार न हो 2. जिसकी चिकित्सा की गई हो।
अरोगी
(सं.) [वि.] जो रोगी न हो; स्वस्थ; तंदुरुस्त।
अरोचक
(सं.) [वि.] 1. जो रोचक या दिलचस्प न हो 2. अरुचिकर; अरुचिर 3. जो चमकीला न हो 4. भूख मंद करने वाला। [सं-पु.] 1. अरुचि 2. अग्निमांद्य नाम का एक रोग।
अरोचकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रुचि या दिलचस्पी पैदा करने के गुण का अभाव 2. अप्रियता 3. अनाकर्षण।
अर्क1
(सं.) [सं-पु.] 1. ज्योति; प्रकाश 2. किरण 3. सूर्य 4. आक; मदार 5. अग्नि 6. आहार। [वि.] पूजा करने योग्य; पूजनीय।
अर्क2
(अ.) [सं-पु.] 1. रस 2. सत्व 3. पसीना।
अर्गल
(सं.) [सं-पु.] 1. अंदर से किवाड़ बंद करने का लकड़ी का डंडा; अगड़ी; किल्ला; चिटकनी; साँकला 2. अवरोध; रुकावट; रोक 3. लहर।
अर्गला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अगड़ी 2. सिटकिनी 3. हाथी बाँधने के काम आने वाली ज़ंजीर 4. अवरोध; रुकावट; रोक 5. दुर्गा सप्तशती में एक स्तोत्र।
अर्गलित
(सं.) [वि.] 1. अर्गल से बंद 2. जिसके आगे कोई अवरोध या रुकावट लगाई गई हो; अवरुद्ध।
अर्घ
(सं.) [सं-पु.] 1. पूजा के सोलह उपचारों में से एक 2. पूजा में चढ़ाई जाने वाली दूध-फल आदि सामग्री 3. शहद; मधु 4. हाथ धोने के लिए दिया गया जल 5. अश्व; घोड़ा 6.
दाम; मूल्य।
अर्घपतन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु का अर्घ (भाव या मूल्य) कम होना या घटना 2. भाव उतरना।
अर्घ्य
(सं.) [सं-पु.] 1. जल, फल-फूल आदि सामग्री जो पूजा में चढ़ाई जाती है 2. इस चढ़ावे का उपक्रम। [वि.] 1. पूजा में चढ़ाने योग्य 2. बहुमूल्य 3. पूजनीय।
अर्चक
(सं.) [वि.] 1. अर्चन करने वाला 2. पूजन करने वाला; पूजक।
अर्चन
(सं.) [सं-पु.] 1. पूजा; अर्चना 2. आदर; सत्कार।
अर्चना
(सं.) [सं-स्त्री.] उपासना; पूजन; वंदन; कीर्तन।
अर्चनीय
(सं.) [वि.] उपासना के योग्य; पूजनीय; वंदनीय।
अर्चा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पूजा; अर्चन 2. प्रतिमा या मूर्ति जिसकी पूजा की जाती हो।
अर्चि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अग्नि की शिखा 2. लौ; लपट 3. तेज; दीप्ति 4. सूर्योदय या सूर्यास्त के समय की किरणें।
अर्चित
(सं.) [वि.] जिसकी अर्चना की गई हो; सम्मानित; पूजित; वंदित।
अर्ज़
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. निवेदन; प्रार्थना; अपील; विनती 2. वस्त्र आदि की चौड़ाई।
अर्जक
(सं.) [सं-पु.] 1. कमाने वाला; अर्जित करने वाला 2. प्राप्त करने वाला; हासिल करने वाला।
अर्जन
(सं.) [सं-पु.] 1. कमाना 2. हासिल करना 3. संग्रह करना।
अर्जनीय
(सं.) [वि.] 1. जिसका अर्जन किया जाना हो 2. संग्रह या प्राप्त करने योग्य।
अर्जित
(सं.) [वि.] 1. अर्जन किया हुआ; कमाया हुआ 2. इकट्ठा किया हुआ; संचित; संगृहीत।
अर्ज़ी
(अ.) [सं-स्त्री.] प्रार्थनापत्र; दरख़्वास्त। [वि.] 1. पृथ्वी; भूमि या ज़मीन संबंधी 2. लौकिक।
अर्ज़ीदावा
(अ.) [सं-पु.] वह निवेदन-पत्र जो अदालत में दावा दायर करने के लिए दिया जाता है।
अर्ज़ीनवीस
(अ.+फ़ा) [सं-पु.] अर्ज़ी लिखने वाला; वह जो दूसरों के लिए अर्ज़ियाँ लिखता हो।
अर्जुन
(सं.) [सं-पु.] 1. पाँच पांडवपुत्रों में से एक जो महाभारत के युद्ध में पांडव पक्ष का नायक था 2. एक वृक्ष जिसकी छाल औषधि के रूप में काम आती है 3. स्वर्ण
धातु।
अर्जुनी
[सं-स्त्री.] 1. हिमालय से निकलने वाली एक नदी; करतोया 2. सफ़ेद गाय 3. (पुराण) वाणासुर की पुत्री जिसका विवाह कृष्ण के पोते अनिरुद्ध के साथ हुआ था।
अर्ण
(सं.) [सं-पु.] 1. अक्षर; वर्ण 2. जल; पानी 3. शोरगुल; हो-हल्ला 4. एक प्रकार का दंडक वृत्त 5. सागौन नामक वृक्ष।
अर्णव
(सं.) [सं-पु.] 1. समुद्र 2. अंतरिक्ष 3. सूर्य 4. इंद्र 5. रत्न; मणि 6. दंडक वृत्त का एक भेद। [वि.] उत्तेजित; विकल।
अर्तन
(सं.) [सं-पु.] 1. निंदा; बुराई 2. जुगुप्सा; घृणा। [वि.] 1. निंदा या बुराई करने वाला 2. खिन्न; उदास; शोकाकुल।
अर्तिका
(सं.) [सं-स्त्री.] बड़ी बहन।
अर्थ
(सं.) [सं-पु.] 1. अभिप्राय; मतलब; मानी 2. प्रयोजन 3. किसी बात या शब्द की व्याख्या 4. शब्द की शक्ति 5. इष्ट; काम 6. कारण; निमित्त; हेतु 7. मामला 8.
इंद्रियों के विषय- रूप, रस, गंध, शब्द और स्पर्श 9. चार पुरुषार्थों में से एक 10. धन; संपत्ति 11. उपयोग 12. लाभ 13. दिलचस्पी। [क्रि.वि.] 1. अर्थ की दृष्टि
से 2. वस्तुतः; सचमुच।
अर्थक
(सं.) [वि.] 1. अर्थ या धन से संबंधित 2. आर्थिक 3. अर्थ या धन उपार्जित या पैदा करने वाला 4. अर्थ या मतलब से संबंध रखने वाला।
अर्थकर
(सं.) [सं-पु.] जिसका कुछ अर्थ हो; सार्थक। [वि.] जिससे आमदनी हो, धन प्रदान करने वाला।
अर्थकाम
(सं.) [वि.] जिसे अर्थ या धन प्राप्त करने की लालसा रहती है; धनेच्छु; धनकाम; स्वार्थी।
अर्थगत
(सं.) [वि.] (शब्द के) अर्थ पर आश्रित।
अर्थगर्भ
(सं.) [वि.] 1. जिसमें विशिष्ट अर्थ निहित हो 2. गहरे अर्थवाला; अर्थपूर्ण।
अर्थगर्भित
(सं.) [वि.] 1. जिसमें एक या कई अर्थ हो सकते हों; अर्थपूर्ण 2. सारगर्भित; अर्थयुक्त 3. अभिव्यक्तिपूर्ण।
अर्थगृह
(सं.) [सं-पु.] ख़ज़ाना, कोषागार।
अर्थगौरव
(सं.) [सं-पु.] किसी वाक्य या रचना में अर्थ या आशय की गंभीरता और व्यापकता।
अर्थग्रहण
(सं.) [सं-पु.] 1. आशय, अभिप्राय या मतलब समझना; अर्थबोध; भावग्रहण 2. शब्दार्थ।
अर्थघ्न
(सं.) [वि.] 1. धन को नष्ट करने वाला 2. अपव्ययी।
अर्थचर
(सं.) [सं-पु.] 1. नौकर या कर्मचारी 2. अर्थ या धन पर केंद्रित।
अर्थचिंतन
(सं.) [सं-पु.] धनोपार्जन या आजीविका के बारे में किया जाने वाला सोच-विचार।
अर्थचिंता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धन या रुपए की चिंता 2. अर्थलिप्सा।
अर्थच्छवि
(सं.) [सं-स्त्री.] शब्द के अर्थ से निकलने या व्यक्त होने वाला भाव; विवक्षा, जैसे- दिवाकर और प्रभाकर का अर्थ है सूर्य, लेकिन अर्थच्छवियाँ भिन्न-भिन्न हैं,
दिवाकर का अर्थ है दिन करने वाला तथा प्रभाकर का अर्थ है प्रकाश करने वाला।
अर्थतंत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. सार्वजनिक राजस्व तथा उसके आय-व्यय की पद्धति 2. अर्थव्यवस्था।
अर्थतः
(सं.) [अव्य.] 1. अर्थात 2. अर्थ की दृष्टि से 3. वस्तुतः; सचमुच।
अर्थद
(सं.) [वि.] धन या रुपया देने वाला; धनप्रद; लाभप्रद। [सं-पु.] 1. कुबेर 2. धन देकर अध्ययन करने वाला छात्र।
अर्थदंड
(सं.) [सं-पु.] 1. अर्थ के रूप में दी जाने वाली सज़ा; जुरमाना 2. क्षतिपूर्ति के रूप में चुकाया जाने वाला धन 3. तावान; डाँड 4. हरजाना; (फ़ाइन)।
अर्थदान
(सं.) [सं-पु.] पुरस्कारस्वरूप दिया जाने वाला धन।
अर्थदूषण
(सं.) [सं-पु.] 1. अनुचित रूप से धन ख़र्च करना; अपव्यय 2. गलत तरीके से किसी का धन छीन लेना 3. दूसरे के धन को नष्ट करना 4. अर्थ में कमी निकालना।
अर्थदोष
(सं.) [सं-पु.] 1. अर्थ संबंधी दोष 2. (काव्यशास्त्र) वे दोष जिनका संबंध अर्थ से होता है, इसके प्रमुख भेद है- अपुष्ट, कष्टार्थ, पुनरुक्त, संदिग्ध, दुष्क्रम,
अपदयुक्त, अनवीकृत, नियमपरिवृत्त, अनुवाद, अयुक्त आदि।
अर्थध्वनि
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी शब्द या वाक्य से होने वाला अर्थ का बोध; व्यंजनार्थ।
अर्थनिरूपण
(सं.) [सं-पु.] अर्थ की व्याख्या; अर्थ को खोलना; मतलब समझाना।
अर्थपरंपरा
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी शब्द के अर्थों की परंपरा; परंपरा से प्राप्त अर्थों का विकासक्रम में भी अक्षुण्ण रहना।
अर्थपिशाच
(सं.) [सं-पु.] 1. धन संग्रह करने वाला व्यक्ति; लोभी 2. बहुत बड़ा कंजूस; धनलोलुप 3. सूदख़ोर।
अर्थपूर्ण
(सं.) [वि.] 1. सारगर्भित 2. गंभीर 3. महत्वपूर्ण 4. सार्थक; संपूर्ण एवं स्पष्ट अर्थवाला।
अर्थप्रकृति
(सं.) [सं-स्त्री.] नाटक में कथावस्तु के विकसित होने में मददगार तत्व। समग्र इतिवृत्त या कथावस्तु को पाँच स्थितियों में विभाजित किया किया जाता है- बीज,
बिंदु, पताका, प्रकरी और कार्य, इन्हें ही अर्थप्रकृतियाँ कहा जाता हैं।
अर्थप्रणाली
(सं.) [सं-स्त्री.] अर्थ से संबंधित विधि या कानून।
अर्थप्रधान
(सं.) [वि.] जिसमें अर्थ की प्रधानता हो।
अर्थप्रबंध
(सं.) [सं-पु.] किसी कार्य के लिए की जाने वाली रुपयों की व्यवस्था या प्रबंध; आय-व्यय; (फ़ाइनेंस)।
अर्थबंध
(सं.) [सं-पु.] 1. विशेष अवसर पर या विशेष कार्य के लिए होने वाली आर्थिक व्यवस्था 2. कोई आर्थिक समझौता 3. वाक्य, पाठ, श्लोक आदि की रचना।
अर्थबुद्धि
(सं.) [वि.] स्वार्थी; मतलबी।
अर्थभागी
(सं.) [वि.] जो अर्थ या संपत्ति में हिस्सेदार हो।
अर्थभेद
(सं.) [सं-पु.] (शब्दों में) अर्थ संबंधी अंतर।
अर्थभेदकारी
(सं.) [वि.] अर्थभेद उत्पन्न करने वाला।
अर्थमूलक
(सं.) [वि.] 1. अर्थ या दीवानी विभाग से संबंध रखने वाला 2. (शब्द) जो अर्थ पर केंद्रित हो।
अर्थयुक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] अर्थ या धन से युक्त होने की अवस्था या भाव; अर्थवान होना; लाभ।
अर्थलाभ
(सं.) [सं-पु.] अर्थ या धन के रूप में होने वाला लाभ; मुनाफ़ा।
अर्थलिप्सा
(सं.) [सं-स्त्री.] अर्थलोभ; अर्थलोलुपता; धन-संपत्ति का लालच।
अर्थलिप्सु
(सं.) [वि.] जिसे अर्थ या धन की लिप्सा या लालसा हो।
अर्थलोलुप
(सं.) [वि.] धन या अर्थ का लालची; धनलोलुप।
अर्थवक्रोक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अर्थ में चमत्कार 2. अर्थालंकार का एक भेद, जहाँ अर्थश्लेष सिर्फ़ अन्य अभिप्राय से कहे हुए वाक्य के अर्थ की कल्पना पर आधारित होता है,
वक्रोक्ति में चमत्कार शब्दशक्तिमूलक होता है, जबकि अर्थवक्रोक्ति में वह अर्थशक्तिमूलक होता है।
अर्थवत्ता
(सं.) [सं-स्त्री.] अर्थ की सत्ता; अर्थ की महत्ता।
अर्थवर्जित
(सं.) [वि.] जिसका कोई महत्व न हो; महत्वहीन।
अर्थवाची
(सं.) [वि.] अर्थ बताने वाला; सार्थक।
अर्थवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी उपदेश या बात की व्याख्या 2. अर्थ का प्रकटीकरण।
अर्थवान
(सं.) [वि.] 1. सारगर्भित 2. गंभीर 3. महत्वपूर्ण 4. सार्थक; संपूर्ण एवं स्पष्ट अर्थवाला 5. अर्थपूर्ण, उद्देश्यपूर्ण।
अर्थविकार
(सं.) [सं-पु.] शब्दों के अर्थ में उत्पन्न होने वाला परिवर्तन या दोष; भाव में होने वाला बदलाव।
अर्थविचार
(सं.) [सं-पु.] शब्द के अर्थ पर किया जाने वाला विचार।
अर्थवितंडा
(सं.) [सं-पु.] आर्थिक लाभ के लिए होने वाली व्यर्थ की बहस या बातचीत।
अर्थविद
(सं.) [वि.] तात्पर्य समझने वाला; अर्थ निकालने वाला।
अर्थविधान
(सं.) [सं-पु.] शब्दों के अर्थ लगाने, बनाने या विकसित करने का ढंग।
अर्थविधि
(सं.) [सं-स्त्री.] वह विधि या कानून जो राज्य की ओर से जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया हो; (सिविल लॉ)।
अर्थविवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. वह विवाद जो केवल अर्थ या धन से संबंधित हो 2. दीवानी मुकदमा।
अर्थविशेषज्ञ
(सं.) [वि.] 1. अर्थ या संपत्ति के विषय में अच्छी जानकारी रखने वाला 2. अर्थशास्त्री।
अर्थविस्तार
(सं.) [सं-पु.] अर्थ का समानधर्मा वस्तुओं पर लागू होना; अर्थ के नए आयाम खुलना।
अर्थव्यक्ति गुण
(सं.) [सं-पु.] अर्थ को व्यक्त या स्पष्ट करने का गुण।
अर्थव्याप्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] अर्थ का फैलाव; अर्थ की व्यापकता; अर्थ की समृद्धि।
अर्थशास्त्र
(सं.) [सं-पु.] 1. वह शास्त्र जिसमें अर्थ या धन की प्राप्ति, वितरण तथा विनिमय के सिद्धांतों का विवेचन हो; अर्थविज्ञान 2. पारंपरिक अर्थों में राजनीतिविज्ञान
और नीतिशास्त्र।
अर्थशास्त्री
(सं.) [सं-पु.] अर्थशास्त्र का ज्ञाता; अर्थशास्त्र का मर्मज्ञ।
अर्थशून्य
(सं.) [वि.] निरर्थक; बकवासपूर्ण।
अर्थश्लेष
(सं.) [सं-पु.] अर्थ में श्लेष; किसी शब्द का दोहरे-तिहरे अर्थ में प्रयोग।
अर्थसंकोच
(सं.) [सं-पु.] शब्दों के व्यापक अर्थ में कमी आना।
अर्थसंगति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अर्थ (आशय) का सटीकपन 2. किसी कविता या रचना में अर्थ का परिप्रेक्ष्य और प्रसंग से तालमेल।
अर्थसंपदा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धन-दौलत; रुपया-पैसा 2. खनिज पदार्थ; कच्चा माल 3. कोयला; पानी; लोहा।
अर्थसिद्धि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. उद्देश्य की सिद्धि; कार्यसिद्धि 2. सफलता।
अर्थसूचक
(सं.) [वि.] अर्थ को प्रकट करने वाला; अभिप्राय को स्पष्ट करने वाला।
अर्थसौंदर्य
(सं.) [सं-पु.] किसी रचना में मिलने वाला अर्थगत सौंदर्य।
अर्थहीन
(सं.) [वि.] 1. निरर्थक; बेकार; बेमतलब 2. सारहीन 3. असफल 4. निर्धन।
अर्थहीनता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अर्थहीन होने की अवस्था या भाव; निरर्थकता 2. सारहीनता 3. निर्धनता; विपन्नता।
अर्थांतर
(सं.) [सं-पु.] 1. दूसरा विषय; नवीन विषय 2. नई स्थिति 3. दूसरा मतलब; नया अर्थ।
अर्थांतरन्यास
(सं.) [सं-पु.] एक अलंकार जिसमें सामान्य से विशेष की और विशेष से सामान्य की अथवा इसी तरह कारण से कार्य की और कार्य से कारण का पुष्टि की जाती है।
अर्थागम
(सं.) [सं-पु.] आय; धनार्जन; आमदनी; धनागम।
अर्थात
(सं.) [अव्य.] 1. अर्थ यह है कि; तात्पर्य यह कि 2. अर्थतः 3. यानी; आशय; मतलब 4. दूसरे शब्दों में 5. वस्तुतः; फलतः 6. विवरणसूचक शब्द।
अर्थातिक्रम
(सं.) [सं-पु.] 1. हाथ में आई अच्छी चीज़ छोड़ देना 2. गलत अर्थ निकालना; अर्थ-विभ्रम।
अर्थाधिकरण
(सं.) [सं-पु.] अर्थ से संबंधित न्यायालय; दीवानी अदालत।
अर्थाधिकारी
(सं.) [सं-पु.] 1. कोष या खज़ाने की देख-रेख करने वाला अधिकारी; खजांची 2. आर्थिक विषयों का ज्ञाता; अर्थशास्त्री 3. अर्थमंत्री।
अर्थानर्थापद
(सं.) [सं-पु.] लाभ और हानि का एक साथ होने वाला भय।
अर्थानुबंध
(सं.) [सं-पु.] 1. पारस्परिक हित के विचार से होने वाला आर्थिक समझौता 2. किसी विशिष्ट काम या बात के लिए होने वाली आर्थिक व्यवस्था; अर्थबंध।
अर्थानुवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. (न्यायालय में) विधि विहित विषय का बार-बार यथावत कथन या अनुवचन 2. शब्दार्थ-आधारित अनुवाद; सतही या यांत्रिक अनुवाद।
अर्थानुसंधान
(सं.) [सं-पु.] शब्दों के अर्थों को खोजने और समझने का प्रयास करना।
अर्थान्वित
(सं.) [वि.] 1. (वाक्य या उक्ति) अर्थ या आशय से युक्त 2. महत्वपूर्ण; सार्थक 3. सारगर्भ 4. मार्मिक 5. धनी; जो धन-संपत्ति से युक्त हो।
अर्थापत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. परिणाम; फल 2. ऐसा प्रमाण जिसमें एक बात से दूसरी बात की सिद्धि होती है 3. अर्थालंकार का एक भेद जिसमें एक अर्थ द्वारा दूसरा स्वतः सिद्ध
हो जाए।
अर्थापदेश
(सं.) [सं-पु.] शब्दों के मूल अर्थ विलुप्त होने और नए अर्थ के समावेश होने की क्रिया।
अर्थापन
(सं.) [सं-पु.] किसी गूढ़ पद या वाक्य का अर्थ लगाना या बताना; यह कहना कि इसका यह अर्थ है।
अर्थाभाव
(सं.) [सं-पु.] 1. गरीबी; विपन्नता 2. आर्थिक संकट; अर्थ की कमी या अभाव।
अर्थार्थी
(सं.) [वि.] 1. धन की कामना रखने या उसे प्राप्त करने की कोशिश में लगा रहने वाला 2. मतलबी; स्वार्थी।
अर्थालंकार
(सं.) [सं-पु.] वह अलंकार जो शब्द नहीं बल्कि अर्थ में चमत्कार उत्पन्न करता हो।
अर्थिक
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रहरी 2. मध्यकाल में वह व्यक्ति जो राजा को सोने और उठने के समय की सूचना देता था। [वि.] किसी चीज़ की चाह रखने वाला।
अर्थित
(सं.) [वि.] 1. माँगा हुआ; चाहा हुआ 2. प्रार्थित 3. अर्थ लगाया हुआ।
अर्थी
(सं.) [सं-स्त्री.] शव को शवदाह गृह या श्मशान तक ले जाने के लिए बाँस या लकड़ी से बनायी गई आयताकार टिकठी। [सं-पु.] 1. धनवान 2. सेवक 3. वादी; मुद्दई। [वि.] 1.
याचक; इच्छा या चाह रखने वाला 2. गरज़मंद।
अर्थेतर
(सं.) [वि.] 1. आर्थिक मामलों से भिन्न संदर्भ का 2. सीधे-सामान्य अर्थ से इतर परिप्रेक्ष्य वाला।
अर्थोत्कर्ष
(सं.) [सं-पु.] अर्थ का किसी अच्छे प्रसंग में परिवर्तन या बदलाव; अर्थ का उत्कर्ष होना।
अर्थोद्घाटन
(सं.) [सं-पु.] अर्थ का उद्घाटन; अर्थ का प्रकाशन।
अर्थोपक्षेपक
(सं.) [सं-पु.] नाटक में रसहीन वस्तुओं की सिर्फ़ सूचना दी जाती है और ऐसी सूचना देना ही अर्थोपक्षेपक कहलाता है। इसके पाँच प्रकार हैं- विष्कंभ (विष्कंभक),
चूलिका, अंकास, अंकावतार और प्रवेशक।
अर्थोपचार
(सं.) [सं-पु.] वह उपचार या क्षतिपूर्ति जो अर्थ-न्यायालय या अर्थविधि के द्वारा प्राप्त हो।
अर्थोपार्जन
(सं.) [सं-पु.] 1. अर्थ या धन कमाने की क्रिया या भाव 2. रोज़गार।
अर्थ्य
(सं.) [वि.] 1. माँगने योग्य; चाहने योग्य 2. उपयुक्त; उचित 3. धनी 4. बुद्धिमान; चतुर।
अर्दन
(सं.) [सं-पु.] 1. पीड़न; दुख देना 2. दूर करना या हटाना 3. याचना; माँगना 4. वध; हत्या 5. चलने या गमन करने की क्रिया या भाव। [वि.] 1. पीड़ा या कष्ट देने वाला
2. नाश करने वाला 3. जो बेचैनी से घूमता या चलता है।
अर्दित
(सं.) [वि.] 1. जिसे पीड़ा पहुँचाई गई हो; पीड़ित 2. गया हुआ; गत 3. चाहा या माँगा हुआ; याचित। [सं-पु.] एक वात रोग।
अर्ध
(सं.) [वि.] 1. आधा; (हाफ़) 2. मध्य 3. तुल्य या सम (विभाग) 4. आंशिक। [सं-पु.] 1. भाग 2. आधा भाग।
अर्धउष्ण
(सं.) [सं-पु.] आधा गरम; कुनकुना।
अर्धक
(सं.) [वि.] 1. आधा 2. अधूरा।
अर्धकुशल
(सं.) [वि.] 1. आधी-अधूरी जानकारी या कौशलवाला; अनाड़ी 2. जो किसी काम का आधा जानकार हो।
अर्धकुसुमित
(सं.) [वि.] आधा खिला हुआ; अधखिला।
अर्धक्षमता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आधी-अधूरी क्षमता 2. न इधर न उधर।
अर्धगोलाकार
(सं.) [वि.] गोले के आधे आकार का; गोलार्ध जैसा।
अर्धग्रामीण
(सं.) [वि.] 1. जो आधा गँवई तथा आधा शहराती हो 2. ग्रामीण रहन-सहन और संस्कृति से काफ़ी हद तक मुक्त; शहरी जीवन से प्रभावित।
अर्धचंद्र
(सं.) [सं-पु.] 1. आधा चंद्रमा; अष्टमी का चाँद 2. अनुनासिक ध्वनि का चिह्न; चंद्रबिंदु 3. हिलाल 4. मोरपंख पर की आँख जो आधे चंद्रमा सरीखी दिखती है 5. नख-क्षत
6. अर्धचंद्राकार नोक वाला बाण 7. त्रिपुंड का एक प्रकार।
अर्धचंद्राकार
(सं.) [वि.] 1. आधे चंद्रमा के आकार का 2. धनुषाकार; नवचंद्राकार।
अर्धचालक
(सं.) [सं-पु.] (धातु या पदार्थ) जिनमें विशेष परिस्थितियों में ही विद्युत प्रवाह होता है; जो पूरी तरह सुचालक न हो; (सेमीकंडक्टर)।
अर्धचेतन
(सं.) [वि.] 1. आधे होश में; पूरी तरह चैतन्य नहीं 2. अवचेतन।
अर्धजन्मा
(सं.) [वि.] 1. आधा जन्मा हुआ 2. अर्धविकसित।
अर्धजागृत
(सं.) [वि.] आधा जागा हुआ; जो अलसाया हुआ हो।
अर्धजीवित
(सं.) [वि.] अधमरा; जिसमें आधी जान बची हो।
अर्धज्ञान
(सं.) [सं-पु.] 1. अधूरा ज्ञान; अल्पज्ञान 2. नामसझी।
अर्धदेव
(सं.) [सं-पु.] मनुष्यों और देवताओं में वह योनि या जीववर्ग जिसमें किन्नर, यक्ष, गंधर्व, वसु आदि आते हैं।
अर्धनगरीय
(सं.) [वि.] जो पूरी तरह नगरीय न हो पाया हो; कस्बाई; देहाती।
अर्धनग्न
(सं.) [वि.] 1. आधा नंगा; जो पूरे कपड़े न पहने हो 2. कम वस्त्रोंवाला।
अर्धनारीश्वर
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) स्त्री और पुरुष दोनों की शारीरिक विशेषताओं को संयुक्त रूप से दर्शाने वाली दैवी मूर्ति या शक्ति 2. शिव का एक रूप जिसमें उनके शरीर
के आधे भाग में पार्वती का रूप होता है।
अर्धनिमीलित
(सं.) [वि.] आधा बंद या आधा खुला; अधखिला।
अर्धप्रतिमा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. खंडित मूर्ति 2. अर्धछवि; जो पूरी तरह साकार न हुआ हो।
अर्धमागधी
(सं.) [सं-स्त्री.] प्राकृत का एक भेद, जिससे पूर्वी भाषाओं अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी आदि का विकास हुआ है।
अर्धमासिक पत्रिका
(सं.) [सं-स्त्री.] माह में दो बार निकलने वाली पत्रिका; पाक्षिक पत्रिका।
अर्धमूर्छित
(सं.) [वि.] आधा बेहोश; जो पूरी तरह मूर्छित या बेहोश न हो; अर्धचेतन; नीमबेहोश।
अर्धरात्रि
(सं.) [सं-स्त्री.] आधी रात; आधी रात का पहर।
अर्धवयस्क
(सं.) [वि.] अल्पवयस्क, किशोर।
अर्धवार्षिक
(सं.) [वि.] आधे साल का; आधे साल में होने वाला; छमाही।
अर्धविकसित
(सं.) [वि.] 1. जो पूरी तरह विकसित न हो; नामुकम्मल 2. विकासशील; विकसनशील 3. असामयिक; कच्चा 4. अपक्व; समय से पूर्व का; अप्रौढ़।
अर्धविक्षिप्त
(सं.) [वि.] आधा पागल।
अर्धविधिक
(सं.) [वि.] जो पूरी तरह विधि-सम्मत या कानून-सम्मत न हो।
अर्धविराम
(सं.) [सं-पु.] 1. वाक्य में होने वाला विराम; (सेमीकोलन) 2. थोड़ा-सा रुकना; ठिठकना।
अर्धविवृत
(सं.) [वि.] 1. आधा खुला 2. (स्वर) जिसका उच्चारण करते समय मुँह आधा खुला रहे, जैसे- 'ऐ' और 'औ'।
अर्धविस्मृत
(सं.) [वि.] आधा भूला हुआ; जो पूरी तरह याद न हो।
अर्धवृत्त
(सं.) [सं-पु.] 1. वृत्त या गोले का आधा भाग; (सेमीसर्किल) 2. मध्य बिंदु से समान अंतर पर खींची गई गोल रेखा का आधा भाग।
अर्धवृत्ताकार
(सं.) [वि.] आधे वृत्त या गोले के आकार का; गोलाई का आधा; (सेमीसर्कुलर)।
अर्धवृद्ध
(सं.) [वि.] युवावस्था और वृद्धावस्था के बीच का; अधेड़।
अर्धव्यास
(सं.) [सं-पु.] आधा व्यास; त्रिज्या।
अर्धशंका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आधा संदेह; कुछ शंका 2. असमंजस; दुविधा।
अर्धशताब्दी
(सं.) [सं-स्त्री.] आधी शताब्दी; अर्द्धशती; पचास वर्ष।
अर्धशब्द
(सं.) [वि.] जिसकी आवाज़ ज़ोर की नहीं बल्कि धीमी हो।
अर्धशासकीय
(सं.) [वि.] 1. सार्वजानिक एवं निजी क्षेत्र का संयुक्त (उद्यम) 2. अर्धसरकारी; (सेमीगवर्नमेंट)।
अर्धशास्त्रीय
(सं.) [वि.] जो पूरी तरह शास्त्रीय या शास्त्र-सम्मत न हो।
अर्धशिक्षित
(सं.) [वि.] जिसकी पढ़ाई अधूरी रह गई हो।
अर्धशेष
(सं.) [वि.] जिसका आधा ही शेष रहा गया हो; जिसका आधा बरबाद हो चुका हो।
अर्धसंवृत्त
(सं.) [वि.] 1. आधा बंद 2. (स्वर) जिसका उच्चारण करते समय मुँह आधा बंद रहे, जैसे- 'ऐ' और 'औ'।
अर्धसत्र
(सं.) [सं-पु.] विश्वविद्यालय में छह महीनों का पाठ्यक्रम या छह महीनों की अवधि; (सेमेस्टर)।
अर्धसम
(सं.) [वि.] जो आधे के बराबर हो। [सं-पु.] वह छंद या वृत्त जिसका पहला और तीसरा तथा दूसरा और चौथा चरण समान हो, जैसे- दोहा और सोरठा।
अर्धसमवृत्त
(सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) वह छंद या वृत्त जिसके पहले तथा तीसरे और दूसरे तथा चौथे चरणों में बराबर-बराबर मात्राएँ या वर्ण हों, जैसे- दोहा, सोरठा आदि।
अर्धसरकारी
(सं.) [वि.] अर्धशासकीय; (सेमीगवर्नमेंट)।
अर्धसाक्षर
(सं.) [वि.] अधूरा पढ़ा-लिखा; अर्द्धशिक्षित।
अर्धसीरी
(सं.) [सं-पु.] वह किसान जो परिश्रम के बदले आधी फ़सल लेता हो; बटाईदार।
अर्धसैनिक
(सं.) [वि.] सेना से इतर केंद्रीय नियंत्रण वाले बल; (पैरामिलिटरी)।
अर्धस्वर
उच्चारण के समय जिह्वा एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर सरकती है और वायुविवर को किंचित सँकरा कर देती है, जैसे- 'य्, व्'।
अर्धस्वायत्त
(सं.) [वि.] जिसके संचालन के कुछ नियम-कानून अपने हों कुछ सरकारी।
अर्धांग
(सं.) [सं-पु.] 1. शरीर का आधा अंग या भाग 2. शिव का एक नाम।
अर्धांगिनी
(सं.) [सं-स्त्री.] पत्नी; सहधर्मिणी; (वाइफ़)।
अर्धांगी
(सं.) [सं-पु.] 1. पक्षाघात का रोगी 2. शिव।
अर्धांश
(सं.) [वि.] 1. आधे का आधा; चौथाई 2. आधे-आधे।
अर्धांशी
(सं.) [वि.] जो आधे अंश या हिस्से का अधिकारी या पात्र हो।
अर्धाली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. छंद विशेषतः चौपाई का आधा भाग 2. चौपाई की एक पंक्ति में दो भाग होते हैं तथा प्रत्येक भाग अर्धाली कहलाता है।
अर्धावृत्त
(सं.) [वि.] 1. आधा घिरा हुआ 2. आधा ढका हुआ।
अर्धाशन
(सं.) [सं-पु.] आधा भोजन।
अर्धासन
(सं.) [सं-पु.] किसी का सम्मान करने के लिए उसे अपने आसन पर बैठाना या अपने आसन का आधा अंश उसे देना।
अर्धेंदु
(सं.) [सं-पु.] अर्धचंद्र।
अर्धोत्तोलित
(सं.) [वि.] जिसे आधा उठाया गया हो।
अर्धोत्थित
(सं.) [वि.] जो आधा उठा हो।
अर्धोदक
(सं.) [सं-पु.] आधे शरीर तक गहरा पानी।
अर्धोदय
(सं.) [सं-पु.] माघ की अमावस्या का रविवार के दिन पड़ने पर मनाया जाने वाला पर्व।
अर्धोन्मीलित
(सं.) [वि.] आधा खिला हुआ (फूल आदि)।
अर्पक
(सं.) [वि.] अर्पण करने वाला; नम्रतापूर्वक देने वाला; समर्पक।
अर्पण
(सं.) [सं-पु.] 1. देना; सौंपना; भेंट करना 2. दान; प्रदान; बलिदान 3. वापस करना 4. रखना 5. समर्पण।
अर्पित
(सं.) [वि.] 1. अर्पण किया हुआ; श्रद्धा के साथ अपने अभीष्ट को न्योछावर किया हुआ 2. दिया हुआ; प्रदत्त; चढ़ाया हुआ 3. उपहृत; समर्पित; हस्तांतरित।
अर्बन
(इं.) [वि.] शहरी; नगर के रूप में विकसित।
अर्बुद
(सं.) [सं-पु.] 1. एक रोग जिसमें शरीर पर इल्ले की भाँति मांस पिंड निकल आता है; बतौरी 2. दस करोड़ 3. आबू पहाड़; अरावली पर्वत 4. एक पुराणोक्त सर्प 5. एक दैत्य
जिसे इंद्र ने मारा था 6. दो माह का गर्भ 7. जैनियों का एक तीर्थस्थान।
अर्भ
(सं.) [सं-पु.] 1. शिशु; बच्चा 2. छात्र 3. कुशा 4. नेत्र बाला नामक औषधि 5. शिशिर ऋतु।
अर्भक
(सं.) [सं-पु.] 1. बच्चा 2. छौना 3. कुशा 4. मूर्ख आदमी। [वि.] दुबला-पतला; छरहरा; कृशोदर।
अर्यमा
(सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. बारह आदित्यों में से एक 3. पितरों का एक गण 4. मदार; आक।
अर्राटा
[सं-पु.] घोर शब्द; ज़ोर की आवाज़।
अर्राना
[क्रि-अ.] 1. चिल्लाना 2. घोर शब्द करना 3. अकड़ दिखाना 4. व्यर्थ की बातें करना।
अर्ल
(इं.) [सं-पु.] इंग्लैंड में सामंतों और बड़े ज़मीदारों को प्रदान की जाने वाली उपाधि।
अर्वट
(सं.) [सं-पु.] राख; भस्म।
अर्वा
(सं.) [सं-पु.] 1. अश्व; घोड़ा 2. चंद्रमा के दस घोड़ों में से एक 3. इंद्र।
अर्वाचीन
(सं.) [वि.] 1. आधुनिक; वर्तमान का; नया 2. इधर का; हाल का 3. 'प्राचीन' का विलोम।
अर्श
(सं.) [सं-पु.] बवासीर; गुदा का एक जटिल रोग।
अर्शहर
(सं.) [सं-पु.] अर्श या बवासीर के रोग में लाभ करने वाली औषधि।
अर्शी
(सं.) [वि.] बवासीर का मरीज़।
अर्ह
(सं.) [वि.] 1. सम्मान्य; पूजनीय 2. योग्य 3. उपयुक्त 4. अधिकारी; समर्थ। [सं-पु.] 1. औचित्य 2. उपयुक्तता 3. योग्यता 4. गति 5. इंद्र 6. विष्णु।
अर्हंत
(सं.) [वि.] योग्य; उपयुक्त। [सं-पु.] 1. शिव 2. बुद्ध 3. जिन।
अर्हण
(सं.) [सं-पु.] 1. सम्मान 2. पूजा।
अर्हणा
(सं.) [सं-स्त्री.] अर्हण।
अर्हणीय
(सं.) [वि.] सम्मान या पूजा के योग्य।
अर्हत
(सं.) [वि.] 1. प्रसिद्ध; विख्यात 2. प्रशंसित 3. पूज्य। [सं-पु.] 1. बुद्ध 2. तीर्थंकर 3. परमज्ञानी।
अर्हता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. योग्यता; पात्रता 2. किसी पद या ओहदे के लिए वांछित योग्यता।
अर्हन
(सं.) [सं-पु.] 1. पूजा; पूजन 2. देव; जिन।
अलंकरण
(सं.) [सं-पु.] 1. साज-शृंगार 2. सजावट 3. आभूषण; गहना।
अलंकार
(सं.) [सं-पु.] 1. सजावट 2. आभूषण 3. रचना में की जाने वाली विशिष्ट शब्द-योजना का चमत्कार, जैसे- उपमा, रूपक, अनुप्रास आदि; (फ़िगर ऑव स्पीच)।
अलंकारवाद
(सं.) [सं-पु.] अलंकार को काव्य का सर्वस्व मानने की प्रवृत्ति।
अलंकारशास्त्र
(सं.) [सं-पु.] अलंकार का विवेचन-वर्णन करने वाला शास्त्र; काव्यशास्त्र का वह अंग जिसमें अलंकार को आधार बनाया जाता है।
अलंकारशास्त्री
(सं.) [सं-पु.] अलंकार शास्त्र का ज्ञाता या आचार्य।
अलंकारिक
(सं.) [वि.] 1. अलंकारपूर्ण; चमत्कारपूर्ण; अलंकृत ढंग से कहा हुआ 2. बनावटी; कृत्रिम।
अलंकार्य
(सं.) [वि.] 1. अलंकृत किए जाने योग्य 2. जिसे अलंकृत किया जाना हो।
अलंकृत
(सं.) [वि.] 1. विभूषित 2. सम्मानित 3. सजाया-सँवारा हुआ।
अलंकृति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अलंकृत होने या सजने की अवस्था या भाव 2. सजावट।
अलंगट
[वि.] 1. अकेला 2. बेजोड़; निराला; न्यारा।
अलंघनीय
(सं.) [वि.] जिसे लाँघना उचित न हो; अलंघ्य।
अलंघ्य
(सं.) [वि.] 1. लाँघे न जाने योग्य; पार न किए जाने योग्य 2. लाँघने या पार करने से वर्जित 3. अटल।
अलंघ्यता
(सं.) [सं-स्त्री.] लाँघे या पार न किए जा सकने की अवस्था अथवा गुण-धर्म।
अलंपट
[वि.] जो लंपट या बदमाश न हो; शरीफ़।
अलंबरदार
(अ.) [सं-पु.] 1. ध्वजवाहक 2. मार्गदर्शक।
अलंबुषा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक अप्सरा का नाम 2. हठयोग में लिंग की नाड़ी 3. छुई-मुई; लजालू लता।
अल
(सं.) [सं-पु.] 1. विष 2. हरताल 3. बिच्छू का डंक।
अलक
(सं.) [सं-पु.] 1. सिर से लटकते बाल; ज़ुल्फ़ 2. घुँघराले बाल 3. सफ़ेद मदार 4. महावर।
अलकतरा
(अ.) [सं-पु.] पत्थर के कोयले को गला कर ख़ास रासायनिक क्रिया द्वारा तैयार एक तरल पदार्थ; डामर।
अलकनंदा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक नदी 2. आठ से दस वर्ष की कन्या।
अलकराशि
(सं.) [सं-स्त्री.] केशराशि; माथे पर लटकते घुँघराले बाल; ज़ुल्फ़।
अलकली
(इं.) [सं-स्त्री.] क्षार; खार।
अलका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कुबेरपुरी 2. आठ-दस वर्ष की कन्या।
अलकापुरी
(सं.) [सं-स्त्री.] पुराण कथाओं में वर्णित एक काल्पनिक नगर; कुबेरपुरी; कुबेर की नगरी।
अलकावलि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सँवारे हुए बालों की पंक्तियाँ 2. केशों का समूह; बालों की लटें 3. घुँघराले बाल।
अलकोहल
(इं.) [सं-पु.] मद्यसार; (स्पिरिट)।
अलक्तक
(सं.) [सं-पु.] 1. कुछ वृक्षों से निकलने वाला एक प्रकार का लाल रस 2. अलता; जिसे स्त्रियाँ पैरों में लगाती हैं 3. महावर।
अलक्षण
(सं.) [सं-पु.] 1. अपशकुन; अशुभ लक्षण 2. बुरा चिह्न 3. वह जिसमें बुरे लक्षण हो 4. अनुपयुक्त परिभाषा। [वि.] 1. अशुभ 2. चिह्ररहित।
अलक्षित
(सं.) [वि.] 1. जो लक्षित न हो; अदृष्ट 2. स्पष्ट न दिखने वाला; आँखों से ओझल 3. अज्ञात 4. गुप्त।
अलक्ष्य
(सं.) [वि.] 1. जिसे लक्ष्य न बनाया गया हो अथवा जिसपर ध्यान न दिया गया हो 2. जो ध्यान दिए जाने लायक न हो 3. जो चिह्नित न किया जा सके; चिह्नरहित 4. अदृश्य 5.
अज्ञेय।
अलख
(सं.) [वि.] 1. अलक्ष्य; जो दिखायी न पड़े; अदृश्य 2. अगोचर; इंद्रियातीत। [सं-पु.] 1. परमेश्वर 2. किसी अच्छे काम के लिए उत्प्रेरक अभियान 3. नाथपंथी जोगियों
के गीत जो भिक्षाटन के समय चिकारों पर गाए जाते हैं। [मु.] -जगाना : अलख पुकारकर ईश्वर को याद करना; भीख माँगना; जागरूकता फैलाना (किसी बात के
लिए)।
अलखधारी
(सं.) [सं-पु.] 1. अलख जगाते हुए भीख माँगने वाले साधु 2. गोरखनाथ के अनुयायी साधुओं का एक संप्रदाय; अलखिया।
अलख निरंजन
(सं.) [सं-पु.] ईश्वर; परमात्मा।
अलग
[वि.] 1. भिन्न; पृथक 2. जिसका किसी से लगाव न हो 3. जो किसी के साथ लगा न हो।
अलग-थलग
[वि.] 1. जुदा 2. दूर 3. तटस्थ 4. निस्संग 5. उदासीन; मतलब न रखने वाला 6. समूह या समुदाय से बहिष्कृत।
अलगनी
[सं-स्त्री.] कपड़ा आदि टाँगने, फैलाने-सुखाने की खूँटियों से बँधी रस्सी या डोरी; अरगनी।
अलगाऊ
[वि.] 1. अलग करने वाला 2. भेद या फूट डालने वाला।
अलगागुजारी
[सं-स्त्री.] अलग-अलग करने की अवस्था या भाव।
अलगाना
[क्रि-स.] 1. अलग करना 2. भेद या फूट डालना 3. ख़ास या विशिष्ट बनाना।
अलगाव
[सं-पु.] 1. पृथकत्व; अलग होने की क्रिया या अवस्था 2. दरार; भेद; फूट।
अलगाववाद
(सं.) [सं-पु.] 1. साम्राज्यशाही के टूटने और राष्ट्रों के स्वतंत्र होने की राजनीतिक प्रवृत्ति 2. राष्ट्रीय एकता के इतर क्षेत्रीय स्वायत्तता स्थापित करने की
राजनीतिक प्रवृत्ति; क्षेत्रवाद।
अलगाववादी
[सं-पु.] अलगाववाद या पृथकतावाद को मानने वाला; अलगाववाद की प्रवृत्तिवाला।
अलग़ोजा
(अ.) [सं-पु.] बच्चों का मुँह से हवा फूँककर बजाने का एक बाजा; एक प्रकार की बाँसुरी।
अलगौझा
[सं-पु.] अलगाव; बँटवारा; अलहदगी; संयुक्त परिवार से अलग हो जाना।
अलजेबरा
(इं.) [सं-पु.] बीजगणित।
अलज्ज
(सं.) [वि.] जिसे लज्जा या शर्म न हो; लज्जारहित; बेहया।
अलतई
[वि.] 1. अलते के रंग का 2. लाल 3. महावरी; लाखी।
अलता
(सं.) [सं-पु.] 1. लाल रंग जो स्त्रियाँ पैरों में लगाती हैं 2. महावर।
अलपाका
(इं.) [सं-पु.] 1. दक्षिण अमेरिका का एक जानवर जिसके बालों का ऊन बनता है 2. उक्त जानवर का ऊन और उस ऊन से बनने वाले वस्त्र।
अलफ़ा
(अ.) [सं-पु.] मुसलमानी फ़कीरों, साधुओं का बिना बाँह का एक प्रकार का पहनावा; अलफ़ी।
अलबत्ता
(अ.) [अव्य.] 1. यह बात और है कि 2. किंतु; परंतु; लेकिन 3. बेशक; निस्संदेह।
अलबी-तलबी
[सं-स्त्री.] 1. अत्यधिक क्लिष्ट अरबी-फ़ारसी आदि विदेशी भाषाओं के लिए कहा जाने वाला शब्द 2. अस्पष्ट बात 3. अत्यंत कठिन बोली।
अलबेला
[वि.] 1. अनूठा; अनोखा 2. बाँका 3. सुंदर; छैला 4. बना-ठना।
अलबेलापन
[सं-पु.] 1. अनूठापन; अनोखापन 2. बाँकापन 3. छैलापन 4. बने-ठने रहने की अदा।
अलब्ध
(सं.) [वि.] 1. जिसे प्राप्त न किया जा सके; अप्राप्त 2. जो मिला न हो।
अलब्धनिद्र
(सं.) [वि.] जिसे नींद न आती हो।
अलभ्य
(सं.) [वि.] 1. जिसे प्राप्त न किया जासके; अप्राप्य 2. बहुमूल्य 3. दुर्लभ 4. अनमोल 5. जो सहजता से प्राप्त न हो।
अलम1
(सं.) [अव्य.] 1. पर्याप्त; यथेष्ट 2. बस; इतना ही 3. सक्षम; योग्य।
अलम2
(अ.) [सं-पु.] 1. दुख; कष्ट 2. मानसिक व्यथा; पीड़ा।
अलमनाक
(अ.) [वि.] 1. दुख से भरा हुआ; दुखमय 2. अति दुखद।
अलमबरदार
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] ध्वजवाहक (विशेषतः सैनिक के संदर्भ में)।
अलमस्त
(फ़ा.) [वि.] 1. नशे में चूर; मदहोश 2. मस्त; मतवाला; मौजी 3. बेफ़िक्र।
अलमस्ती
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. अलमस्त होने की अवस्था या भाव 2. मतवालापन; मत्तता 3. लापरवाही।
अलमारी
(पुर्त.) [सं-स्त्री.] 1. वस्तुओं को रखने के लिए बनाया गया ख़ानेदार आधार 2. दीवार के सहारे रखा जाने वाला लकड़ी या किसी धातु का बना एक विशेष ख़ानेदार ढाँचा।
अलम्यूनियम
(इं.) [सं-पु.] हलका नीलापन लिए हुए एक प्रसिद्ध सफ़ेद धातु।
अलय
(सं.) [वि.] 1. बिना लय का; लयविहीन 2. जिसका लय न हुआ हो; अलीन। [सं-पु.] 1. लय का अभाव 2. नित्यता।
अलर्क
(सं.) [सं-पु.] 1. पागल कुत्ता 2. सफ़ेद मदार।
अललटप्पू
[वि.] अंडबंड; अटकलपच्चू; ऊलजलूल।
अलवाँती
(सं.) [सं-स्त्री.] प्रसूता; जच्चा।
अलवान
(अ.) [सं-पु.] एक प्रकार की ऊनी शाल।
अलविदा
(अ.) [क्रि.वि.] विदाई के समय कहा जाने वाला शब्द।
अलस
(सं.) [वि.] 1. आलसी 2. अलसाया हुआ; आलस से भरा हुआ; तंद्रिल 3. आलस्य उत्पन्न करने वाला 4. थका हुआ; क्लांत।
अलसाना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. आलस्य करना; कुछ करने की इच्छा न होना 2. सुस्ती और थकावट महसूस होना 3. आलस्यवश किसी काम को टालना।
अलसाया
(सं.) [वि.] सुस्ती भरा; आलस्य भरा।
अलसी
(सं.) [सं-स्त्री.] एक तिलहन; तीसी।
अलसेट
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अड़चन; अड़ंगा; बाधा 2. ढिलाई; टालमटोल; शिथिलता 3. व्यर्थ का झगड़ा या तकरार।
अलहदगी
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. अलहदा या जुदा होने का भाव; पार्थक्य 2. निरालापन; न्यारापन।
अलहदा
(अ.) [वि.] 1. अलग; जुदा 2. ख़ास; अद्वितीय।
अलाई
[सं-स्त्री.] घोड़ों की एक जाति।
अलाउंस
(इं.) [सं-पु.] भत्ता।
अलात
(सं.) [सं-पु.] 1. जलता हुआ कोयला 2. अंगारा 3. जलती हुई लकड़ी।
अलातचक्र
(सं.) [सं-पु.] 1. जलती हुई लकड़ी ज़ोर से घुमाने से बना हुआ मंडल 2. बनेठी।
अलान
[सं-पु.] 1. हाथी को बाँधने का सीकड़ या खूँटा 2. बेल या लता चढ़ाने के लिए लकड़ी 3. बेड़ी।
अलाप
(सं.) [सं-पु.] आलाप।
अलापना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. बोलना 2. बतियाना; बात करना 3. गाने में तान लेना या आलाप का प्रयोग करना।
अलाबू
[सं-पु.] 1. लौकी; कद्दू 2. तूँबा।
अलाभ
(सं.) [सं-पु.] 1. लाभ का अभाव 2. घाटा हानि।
अलाभकर
(सं.) [वि.] जिससे कोई लाभ या फ़ायदा न हो; अलाभदायी; अहितकारी।
अलामत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. चिह्न; निशानी; पहचान; लक्षण 2. गुणा-भाग आदि के चिह्न।
अलायबलाय
[सं-स्त्री.] अनिष्ट; अमंगलकारी; संकट या विपत्ति।
अलार्म
(इं.) [सं-पु.] 1. ख़तरे की सूचना 2. सचेत करने वाली सूचना 3. नियत समय पर जगाने के लिए घड़ी में की जाने वाली व्यवस्था।
अलार्म घड़ी
(इं.+हिं.) [सं-पु.] वह घ़ड़ी जो निर्धारित समय पर ध्वनि (धंटी बजा कर) उत्पन्न कर सचेत करती है या जगाती है।
अलार्मबेल
(इं.) [सं-स्त्री.] सूचना देने वाली घंटी; अलार्मघंटी।
अलाव
(फ़ा.) [सं-पु.] तापने के लिए लकड़ी, फूस आदि एकत्र कर जलाई गई आग; कौड़ा।
अलावा
(अ.) [अव्य.] अतिरिक्त; सिवा।
अलिंग
(सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई लिंग न हो 2. जिसमें लिंग का कोई सूचक चिह्न न हो 3. जिसकी कोई पहचान न बतलाई जा सके। [सं-पु.] व्याकरण में वह शब्द जो दोनों लिंगों
में समान रूप से व्यवहृत होता है, जैसे- हम; तुम; मित्र।
अलिंजर
(सं.) [सं-पु.] 1. पानी रखने का मिट्टी का पात्र; घड़ा 2. सुराही; झंझर।
अलिंद
(सं.) [सं-पु.] 1. भौंरा 2. दरवाज़े के सामने का चौतरा; चबूतरा 3. छज्जा 4. द्वार-कोष्ठ; पौर 5. एक प्राचीन जनपद का नाम।
अलि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. भौंरा 2. कोयल 3. कौआ 4. बिच्छू 5. मदिरा 6. वृश्चिक राशि।
अलिक
(सं.) [सं-पु.] माथा; ललाट।
अलिखित
(सं.) [वि.] 1. जो न लिखा गया हो; जो लिख कर दर्ज न किया गया हो 2. ज़बानी; अनौपचारिक 3. समझदारी के तहत चुपचाप कायम।
अलिप्त
(सं.) [वि.] 1. जो लिप्त न हो; लीन न हो; तत्पर न हो 2. असंलग्न 3. निर्दोष 4. जिसमें लाग-लपेट न हो 5. जो लिपा हुआ न हो; जिसमें लेप न लगा हो।
अलिफ़
(अ.) [सं-पु.] उर्दू वर्णमाला का पहला वर्ण।
अलिफ़लैला
(अ.) [सं-स्त्री.] हज़ार रातों तक चलने वाली दास्तान।
अलिवृति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. भौंरों की तरह जगह-जगह घूमकर रस लेने की आदत; हरजाईपन 2. घर-घर से पका हुआ भोजन माँगकर पेट भरना 3. मधुकरी।
अली1
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सखी; सहेली 2. पंक्ति; कतार।
अली2
(अ.) [सं-पु.] 1. मुहम्मद साहब के दामाद; इमाम हुसैन के पिता 2. मुसलमानों के चौथे खलीफ़ा।
अलीक
(सं.) [वि.] 1. बे-सिर पैर का 2. मिथ्या-झूठा 3. मर्यादा-रहित 4. अल्प; थोड़ा 5. सारहीन। [सं-पु.] अप्रतिष्ठा।
अलीन
[वि.] 1. जो किसी में लीन न हो 2. अलग; विरत 3. जो उपयुक्त या ठीक न हो 4. अनुचित।
अलील
(अ.) [वि.] 1. जिसे कोई रोग हुआ हो 2. रुग्ण; बीमार।
अलीह
(सं.) [वि.] 1. झूठ; मिथ्या 2. असंभव 3. अनुचित।
अलुक
(सं.) [सं-पु.] 1. व्याकरण में समास का एक भेद जिसमें पूर्वपद की विभक्ति का लोप नहीं होता 2. आलूबुखारा नामक फल।
अलुब्ध
(सं.) [वि.] 1. लोभरहित 2. अमोहित।
अलेख
(सं.) [सं-पु.] 1. अज्ञेय 2. अदृश्य 3. अनगिनत; बेहिसाब 4. दुर्बोध।
अलेखबद्ध
(सं.) [वि.] 1. अलिपिबद्ध 2. बिना दर्ज किया हुआ 3. अनाकलित।
अलेखी
(सं.) [वि.] 1. जिसका कोई लेखा या हिसाब न हो; बेहिसाब 2. बहुत अधिक 3. अन्यायी; अंधेर करने वाला 4. जो दिखाई न दे 5. जिसपर किसी का लक्ष्य या ध्यान न हो।
अलेल
[सं-पु.] 1. क्रीड़ा; कलोल 2. खेल।
अलेलह
[क्रि.वि.] 1. जितना चाहिए उससे अधिक 2. बहुत अधिक; प्रचुर।
अलैंगिक
(सं.) [वि.] जिसमें स्त्री या पुरुष में से किसी का लिंग अथवा चिह्न वर्तमान न हो; (असेक्सुअल)।
अलॉट
(इं.) [क्रि-स.] आवंटित करना; सौंपना; ज़िम्मेदारी देना।
अलॉटमेंट
(इं.) [सं-पु.] 1. आवंटन; बँटवारा 2. भाग 3. बाँटने की क्रिया 4. निर्धारित हिस्सा।
अलोकतांत्रिक
(सं.) [वि.] 1. लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ़; गैरलोकतांत्रिक; लोकतंत्र विरोधी 2. मनमानीपूर्ण।
अलोकनीय
(सं.) [वि.] 1. जो देखने योग्य न हो 2. अदृश्य।
अलोकप्रिय
(सं.) [वि.] 1. जनसामान्य में जिसकी कोई पैठ न हो 2. जो जनसामान्य के लिए प्रिय न हो 3. जिसे जनसामान्य नापसंद करता हो।
अलोकप्रियता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गैरमकबूलियत 2. बदनामी; अपयश।
अलोप
(सं.) [सं-पु.] एक पेड़ जो सदा हरा रहता है तथा जिसकी लकड़ी चिकनी और मज़बूत होती है।
अलोभी
(सं.) [वि.] जो लोभी या लालची न हो; अलोलुप।
अलोल
(सं.) [वि.] 1. जो हिलता-डुलता न हो 2. स्थिर।
अलौकिक
(सं.) [वि.] 1. जो इस लोक का न हो; लोकोत्तर 2. अद्भुत; अपूर्व 3. दिव्य; अनोखा 4. सर्वसुंदर; सर्वश्रेष्ठ 5. परलोक से संबंधित।
अलौकिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पारलौकिकता; लोकोत्तरता 2. दिव्यता 3. अपूर्वता 4. अनोखापन; अनूठापन 5. विरलता 6. असाधारणता।
अलौकिक शृंगार
(सं.) [सं-पु.] शृंगार का वह रूप जिसमें अनुराग का आलंबन कोई पार्थिव प्राणी न होकर भगवान, ईश्वर या कोई इष्टदेव होता है।
अलौह
(सं.) [वि.] 1. जो लोहे का न बना हो 2. जिसमें लोहे का अंश न हो; अलौहिक 3. जो मज़बूत इरादे वाला न हो; जो फ़ौलादी न हो।
अल्क
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का वृक्ष 2. अवयव; अंग।
अल्कोहल
(इं.) [सं-पु.] मद्यसार।
अल्टीमेटम
(इं.) [सं-पु.] अंतिम चेतावनी या सूचना; निश्चित अवधि में कार्य पूरा कर लेने की चेतावनी।
अल्ट्रावायलेट
(इं.) [वि.] 1. पराबैंगनी 2. पराबैंगनी किरणों का; पराबैंगनी किरणों के प्रयोग से संबंधित; जिसमें पराबैंगनी किरणों का प्रयोग हो।
अल्ट्रासाउंड
(इं.) [सं-पु.] 1. अतिसूक्ष्म ध्वनि तरंगों का उपयोग कर शरीर के अंदर के अंगों को देखने की पद्धति 2. श्रवणातीत या पराश्रव्य ध्वनि 3. श्रवणातीत ध्वनि तरंगें।
अल्प
(सं.) [वि.] 1. कम; थोड़ा 2. कुछ; किंचित 3. तुच्छ 4. मरणशील 5. कम उम्र का 6. विरल। [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) एक अलंकार जिसमें आधेय की तुलना में आधार की तुच्छता
दर्शाई जाती है।
अल्पक
(सं.) [वि.] 1. थोड़ा; न्यून; सूक्ष्म 2. छोटा; लघुकाय 3. कमतर।
अल्पकाल
(सं.) [सं-पु.] थोड़ा समय; छोटी अवधि।
अल्पकालिक
(सं.) [वि.] 1. थोड़े समय का; छोटी अवधि वाला 2. छोटी अवधि के लिए नियत।
अल्पकालिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अल्पकालिक या अल्पावधि होने की प्रकृति 2. अल्पकालिक होने की सीमा या बंदिश।
अल्पकालीन
(सं.) [वि.] अल्पकालिक।
अल्पजीवी
(सं.) [वि.] अल्पायुवाला; कम उम्रवाला।
अल्पज्ञ
(सं.) [वि.] 1. कम जानने वाला; कम ज्ञान रखने वाला 2. अबोध।
अल्पज्ञता
(सं.) [सं-स्त्री.] अल्पज्ञ होने की अवस्था या भाव।
अल्पज्ञात
(सं.) [वि.] 1. जिसे बहुत कम लोग जानते हों 2. जिसके बारे में बहुत कम जानकारी हो।
अल्पज्ञान
(सं.) [सं-पु.] 1. कम जानकारी; कम समझ 2. कम पढ़ाई-लिखाई; अर्धशिक्षा 3. अकुशलता।
अल्पतंत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा तंत्र या शासन जो समाज के थोड़े से लोगों द्वारा संचालित होता हो; लोकतंत्र का विपरीत शासन 2. कुलतंत्र या कुलीनतंत्र।
अल्पतः
(सं.) [क्रि.वि.] थोड़े से; थोड़े में।
अल्पतम
(सं.) [वि.] कम से कम; मात्रा, परिमाण आदि के विचार से न्यूनतम।
अल्पतर
(सं.) [वि.] पहले से थोड़ा और कम; कम से और कम।
अल्पता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अल्प या थोड़ा होने की दशा या भाव 2. कमी; न्यूनता 3. लघुता; छोटाई।
अल्पदृष्टि
(सं.) [वि.] 1. संकीर्ण या संकुचित दृष्टि वाला 2. अदूरदर्शी।
अल्पना
(सं.) [सं-स्त्री.] रंगोली।
अल्पपारदर्शक
(सं.) [वि.] जो कम पारदर्शक हो; जिसके आर-पार बहुत कम दिखता हो; पारभासी या पारभासक।
अल्पप्राण
जिन ध्वनियों के उच्चारण में श्वासवायु का वेग कम होता है, जैसे- हिंदी में 'क्, ग्, ङ्, च्, ज्, ञ्, ट्, ड्, ण्, त्, द्, न्, प् ब्, म्, र्, ल्, ड़्'।
अल्पबचत
(सं.) [सं-स्त्री.] कम बचत; बहुत थोड़ी बचत। [वि.] कम बचत वाला।
अल्पबुद्धि
(सं.) [वि.] कमअक्ल; मंदबुद्धि; अल्पमति।
अल्पभाषित
(सं.) [वि.] 1. कम कहा हुआ 2. कम समझाया गया; कम व्याख्यायित।
अल्पभाषी
(सं.) [वि.] कम बोलने वाला; मितभाषी।
अल्पमत
(सं.) [सं-पु.] 1. वह मत जिसके अनुयायी या समर्थक कम हों; थोड़े से लोगों का मत 2. अल्पसंख्यक पक्ष या समुदाय।
अल्पमात्रा
(सं.) [सं-स्त्री.] थोड़ी मात्रा; कम परिमाण।
अल्पवयस
(सं.) [वि.] कम उम्र वाला; अल्पायु।
अल्पवयस्क
(सं.) [वि.] 1. जिसकी अवस्था अभी कम या थोड़ी हो; थोड़ी उम्र का 2. जो अभी वयस्क न हुआ हो; अवयस्क।
अल्पवयस्कता
(सं.) [सं-स्त्री.] कम उम्री; वयस्कता से कम की अवस्था; नाबालिगपन; किशोरवयता।
अल्पविकसित
(सं.) [वि.] कम विकसित या प्रस्फुटित; अधखिला।
अल्पविराम
(सं.) [सं-पु.] 1. अर्थबोध के लिए किसी शब्द अथवा उक्ति के बाद थोड़ा ठहरना 2. अल्पविराम का चिह्न (,); (कॉमा)।
अल्पव्यय
(सं.) [सं-पु.] कम ख़र्च; थोड़े में काम चलाना।
अल्पव्ययी
(सं.) [वि.] 1. मितव्ययी; कमख़र्च 2. कंजूस; कृपण।
अल्पशः
(सं.) [क्रि.वि.] 1. थोड़-थोड़ा करके 2. क्रमशः 3. धीरे-धीरे।
अल्पसंख्यक
(सं.) [वि.] कम संख्या वाला; जो गिनती या संख्या में कम हो। [सं-पु.] कम जनसंख्या वाला समुदाय।
अल्पस्मृत
(सं.) [वि.] 1. जिसे कम याद किया जाए 2. जिसकी स्मृति धुँधली हों।
अल्पांग
(सं.) [वि.] 1. जिसमें किसी अंग या अवयव की कमी हो 2. खंडित; अपूर्ण।
अल्पाक्षरिक
(सं.) [वि.] जिसमें अक्षर कम हों।
अल्पाधिकार
(सं.) [सं-पु.] सीमित अधिकार; नियंत्रित अधिकार।
अल्पायु
(सं.) [वि.] अल्पजीवी; कम आयु वाला।
अल्पार्थक
(सं.) [सं-पु.] 1. वह अक्षर या शब्द जो किसी वस्तु के छोटे रूप का वाचक हो 2. अल्पक। [वि.] जो बहुत ही छोटा या अतिसूक्ष्म हो।
अल्पावकाश
(सं.) [सं-पु.] 1. थोड़े समय की छुट्टी 2. थोड़ी मोहलत 3. कम गुंजाइश।
अल्पावधि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कम समय की अवधि 2. थोड़ी अवधि।
अल्पाहार
(सं.) [सं-पु.] 1. नाश्ता 2. सामान्य से कम भोजन या आहार 3. छोटी ख़ुराक।
अल्पाहारी
(सं.) [वि.] जिसका आहार संयत या सीमित हो; जिसकी ख़ुराक कम हो।
अल्पित
(सं.) [वि.] 1. घटाया हुआ; कम किया हुआ 2. उपेक्षित।
अल्पिष्ठ
(सं.) [वि.] कम से कम या बहुत कम।
अल्पीकरण
(सं.) [सं-पु.] 1. कम करने की क्रिया या भाव; न्यूनीकरण 2. अधिकार या प्रतिष्ठा का घटना।
अल्पेतर
(सं.) [वि.] 1. अल्प से इतर यानी अधिक; बहुत 2. बड़ा 3. अनेक।
अल्ल
(अ.) [सं-पु.] वंश, कुल आदि का विशिष्ट नाम, कुलनाम या सरनेम जो लगातार पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलता रहता है। हिंदुओं में एक ही अल्ल में शादी करना वर्जित है।
अल्ल-बल्ल
[वि.] आएँ-बाएँ; बिलकुल निरर्थक; बकवासपूर्ण।
अल्लम गल्लम
[सं-पु.] 1. बकवास; अनाप-शनाप 2. निरर्थक; फालतू; बेकार।
अल्ला
[सं-पु.] दे. अल्लाह।
अल्लामा
(अ.) [वि.] बड़ा आलिम; ज्ञाता; बुद्धिमान या विद्वान; महापंडित; विवेकवान।
अल्लाह
(अ.) [सं-पु.] मुस्लिम समुदाय का आराध्य; ख़ुदा; ईश्वर। [मु.] -को प्यारा होना : मर जाना।
अल्लाहताला
[सं-पु.] अल्लाह जो सबसे बढ़कर है; परमेश्वर।
अल्सर
(इं.) [सं-पु.] व्रण; फोड़ा; नासूर।
अल्हड़
(सं.) [वि.] 1. लापरवाह; मनमौजी; मस्त 2. अनाड़ी 3. अनुभवहीन; दुनियादारी न जानने वाला 4. उद्धत 5. गँवार 6. सरल; भोला 7. अल्पवयस्क। [सं-पु.] बिना दाँत का और
खेत में न जोता जाने लायक बछड़ा।
अल्हड़पन
(सं.) [सं-पु.] 1. लड़कपन 2. मनमौजीपन 3. बालसुलभ मस्ती और लापरवाही 4. निश्छलता 5. दुनियादारी में कच्चापन 6. भोलापन; सरलता 7. गँवारपन 8. अनाड़ीपन।
अवंति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. भारत का एक प्राचीन नगर; आधुनिक उज्जैन 2. मालव जनपद।
अवंतिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. उज्जैन 2. उज्जैन की भाषा।
अव
(सं.) [पूर्वप्रत्य.] एक प्रत्यय जो शब्दों के पहले लगकर उनमें निश्चय, अनादर, कमी, उतार या निचाई, दोष या बुराई, व्याप्ति आदि भाव उत्पन्न करता है, जैसे-
अवगुण, अवरोहण, अवमूल्यन आदि।
अवकरण
(सं.) [सं-पु.] 1. कम करने या घटाने की क्रिया; घटाव 2. गणित में बाकी या शेष निकालने की क्रिया।
अवकर्त
(सं.) [सं-पु.] खंड; टुकड़ा।
अवकर्तन
(सं.) [सं-पु.] विभाजन करना; काटना।
अवकर्षण
(सं.) [सं-पु.] 1. ज़ोर से खींचना; नीचे लाना 2. हटाना; दूर करना; बाहर करना।
अवकलन
(सं.) [सं-पु.] 1. देखकर जानना या समझना 2. ग्रहण करना 3. इकट्ठा करके एक में मिलाना।
अवकलित
(सं.) [वि.] 1. ज्ञात 2. गृहीत 3. देखा हुआ 4. इकट्ठा करके मिलाया हुआ।
अवकल्पना
(सं.) [सं-स्त्री.] ऐसी कल्पना जिसका कोई आधार या प्रमाण न हो; आधार रहित अनुमान।
अवकाश
(सं.) [सं-पु.] 1. छुट्टी 2. फ़ुरसत।
अवकाशकालीन
(सं.) [वि.] छुट्टी के समय का; छुट्टी के समय से संबंधित।
अवकाशग्रहण
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी पद या कार्य से निवृत्त हो जाना; काम से अवकाश लेना 2. सेवानिवृत्त या रिटायर होना।
अवकाशप्राप्त
(सं.) [वि.] किसी पद, कार्यभार आदि से अवकाशग्रहण किया हुआ; (रिटायर्ड)।
अवकिरण
(सं.) [सं-पु.] बिखेरने, छितराने या फैलाने की क्रिया या भाव।
अवकीर्ण
(सं.) [वि.] 1. बिखेरा हुआ 2. ध्वस्त 3. फैलाया हुआ; विस्तीर्ण 4. चूर-चूर किया हुआ 5. जिसका ब्रह्मचर्य व्रत भंग हो गया हो।
अवकीर्णन
(सं.) [सं-पु.] 1. चारों ओर बिखेरना; छितराना या फैलाना 2. चूर या ध्वस्त करने की क्रिया।
अवकुंचन
(सं.) [सं-पु.] 1. सिकोड़ना 2. मोड़ना 3. समेटना; बटोरना।
अवकुंठन
(सं.) [सं-पु.] 1. ढकना; पाटना 2. परिवेष्टित करना 3. आकृष्ट करना।
अवकुत्सित
(सं.) [वि.] निंदित।
अवकृपा
(सं.) [सं-स्त्री.] कृपा का अभाव; कृपा-भाव का न रह जाना।
अवकृष्ट
(सं.) [वि.] 1. खींचकर नीचे लाया हुआ 2. हटाया या दूर किया हुआ; बहिष्कृत 3. जाति से निकाला हुआ; जातिच्युत 4. हीन; तुच्छ।
अवकेश
(सं.) [वि.] जिसके बाल नीचे लटके हुए हों।
अवकेशी
(सं.) [वि.] 1. अल्प या छोटे बालोंवाला 2. जिसमें फल न लगते हों (वृक्ष, लता)।
अवक्तव्य
(सं.) [वि.] 1. जो कहने योग्य न हो 2. अश्लील 3. अनुचित।
अवक्रंदन
(सं.) [सं-पु.] ज़ोर-ज़ोर से रोना या विलाप करना।
अवक्रम
(सं.) [सं-पु.] नीचे आना; गिराव।
अवक्रमण
(सं.) [सं-पु.] 1. नीचे जाना; अधोगमन 2. जैन तथा बौद्ध धर्म के अनुसार गर्भ में आना।
अवक्रय
(सं.) [सं-पु.] 1. मूल्य 2. भाड़ा 3. क्षतिपूर्ति 4. कर 5. महसूल।
अवक्रांत
(सं.) [वि.] 1. जिसके ऊपर कोई दूसरा हो; अधीनस्थ 2. अधोगत; पतित 3. जिसे किसी ने दबाकर पूरी तरह अपने अधिकार में कर लिया हो।
अवक्रीत
(सं.) [वि.] 1. माँगकर लिया हुआ; मँगनी का 2. उधार।
अवक्रोश
(सं.) [सं-पु.] 1. कोसना; दुर्वचन 2. कर्कश ध्वनि या शब्द 3. अभिशाप; शाप 4. निंदा; बुराई।
अवक्षय
(सं.) [सं-पु.] नाश; क्षय; बरबादी।
अवक्षयन
(सं.) [सं-पु.] नाश या क्षय करने की क्रिया।
अवक्षिप्त
(सं.) [वि.] 1. जिसका अवक्षेपन हुआ हो 2. नीचे गिराया हुआ 3. लांछित 4. निंदित।
अवक्षीण
(सं.) [वि.] बहुत कमज़ोर।
अवक्षेप
(सं.) [सं-पु.] 1. आरोप; लांछन 2. निंदा; बुराई 3. आक्षेप; आपत्ति 4. किसी विलयन या घोल में रासायनिक अभिक्रिया के फलस्वरूप बनने वाला पदार्थ।
अवक्षेपण
(सं.) [सं-पु.] 1. नीचे फेंकना या गिराना 2. पछाड़ना 3. निंदा करना 4. दुर्वचन बोलना 5. दोष या आरोप लगाना 6. पराभूत करना 7. प्रकाश की किरण का पानी, काँच आदि से
गुज़रते समय वक्र होना।
अवखात
(सं.) [सं-पु.] गहरा गड्ढा या खाई।
अवखाद
(सं.) [सं-पु.] 1. बुरा या निकृष्ट आहार 2. पशुचारा। [वि.] 1. बहुत अधिक निकृष्ट आहार करने वाला 2. नाश करने वाला।
अवगंड
(सं.) [सं-पु.] चेहरे पर होने वाली फुंसी या फुड़िया; मुँहासा।
अवगण
(सं.) [वि.] 1. जिसका कोई गण न हो 2. जो अपने मित्रों से अलग हो 3. अकेला; एकाकी।
अवगणन
(सं.) [सं-पु.] 1. गिनती करते समय किसी को छोड़ देना 2. उपेक्षा करना; अवहेलना; तिरस्कार 3. जानबूझकर किसी के महत्व, मान आदि की ओर ध्यान न देना या आवश्यकता से
कम ध्यान देना 4. तुच्छ समझना; कुछ न गिनना।
अवगणित
(सं.) [वि.] 1. जिसका अवगणन हुआ हो 2. अपमानित; उपेक्षित 3. जिसका महत्व या मान न आँका गया हो; अवज्ञात 4. निंदित 5. पराजित; पराभूत।
अवगत
(सं.) [वि.] 1. विदित; ज्ञात; मालूम; जानकारी में आया हुआ 2. नीचे आया हुआ या गिरा हुआ।
अवगति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वस्तुओं एवं विषयों की पूर्ण जानकारी जो मन या विवेक को होती है; अवगत होने की अवस्था या भाव 2. धारणा 3. बुद्धि; समझ 4. बुरी दशा या
अवस्था; कुगति; नीच गति 5. निश्चयात्मक ज्ञान।
अवगमन
(सं.) [सं-पु.] 1. विदित होने की क्रिया या भाव 2. जानना; समझना 3. अनुचित या बुरे मार्ग पर जाना 4. नीचे जाना; तह तक पहुँचना 5. अवगति होना 6. निश्चयात्मक
ज्ञान प्राप्त करना।
अवगाढ़
(सं.) [वि.] 1. गहरा जमा हुआ 2. भीतर छिपा या दबा हुआ; अंदर पैठा हुआ।
अवगाह
(सं.) [सं-पु.] 1. गहरा स्थान 2. डुबकी; डूब 3. जल में उतरकर स्नान करना 4. कठिनाई 5. थाह लेना 6. खोज; छानबीन। [वि.] 1. बहुत गहरा; अथाह 2. कठिन 3. गंभीर।
अवगाहन
(सं.) [सं-पु.] 1. डुबकी लगाना 2. चिंतन-मनन; मंथन 3. छानबीन 4. अन्वेषण।
अवगाहित
(सं.) [वि.] 1. जिसने स्नान किया हो 2. जिसमें नहाया जाए।
अवगाह्य
(सं.) [वि.] 1. जो स्नान करने के योग्य हो 2. गहराई में जाने वाला 3. चिंतन, मनन या विवेचन करने योग्य।
अवगीत
(सं.) [सं-पु.] 1. बेसुरा गान 2. निंदा। [वि.] 1. बेसुरा 2. निंदित।
अवगुंठन
(सं.) [सं-पु.] 1. घूँघट 2. परदा 3. बुरका 4. ढकना; घेरना; छिपाना 5. घूँघट निकालना।
अवगुंठिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. घूँघट 2. परदा 3. चिक 4. आवरण।
अवगुंठित
(सं.) [वि.] 1. छिपा या ढका हुआ 2. घूँघट निकाला हुआ।
अवगुंफन
(सं.) [सं-पु.] 1. गूथना; गुहना 2. ग्रंथन; बुनना।
अवगुण
(सं.) [सं-पु.] 1. बुरा या अनुचित गुण 2. दोष; ऐब 3. खोट; बुराई।
अवग्रह
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी कार्य को करते समय आने वाली बाधा या रुकावट 2. वर्षा का अभाव; वर्षाहीन होने की अवस्था या भाव 3. बाँध 4. (व्याकरण) संधियों का विच्छेद;
संधिविच्छेद।
अवग्रहण
(सं.) [सं-पु.] 1. रोकने या प्रतिरोध करने की क्रिया या भाव 2. बाधा 3. अपमान; अनादर।
अवघट
(सं.) [वि.] 1. विकट; दुर्गम; कठिन 2. जटिल।
अवघट्ट
(सं.) [सं-पु.] 1. माँद; गुफा 2. छोटे जानवरों का बिल।
अवघर्षण
(सं.) [सं-पु.] 1. रगड़ना, मलना या पीसना 2. छीलना 3. साफ़ करना; मार्जन करना।
अवघात
(सं.) [सं-पु.] 1. बुरी तरह मारना 2. आघात; प्रहार 3. अपमृत्यु; हत्या 4. धान आदि को कूटना।
अवघाती
(सं.) [सं-पु.] बुरी तरह मारने या हत्या करने वाला व्यक्ति।
अवघूर्णन
(सं.) [सं-पु.] 1. चक्कर देना; चक्कर खाना 2. लुढ़कना 3. बवंडर 4. हवा में लहराना।
अवघोटित
(सं.) [वि.] 1. चारों तरफ़ से ढका हुआ 2. अस्त-व्यस्त या उलट-पुलट किया हुआ।
अवघोषक
(सं.) [सं-पु.] 1. असत्य समाचार कहने वाला 2. जो अफ़वाहें फैलाए।
अवघोषणा
(सं.) [सं-स्त्री.] अनुचित या झूठी घोषणा।
अवचन
(सं.) [सं-पु.] 1. चुप्पी; मौन 2. बुरा वचन; निंदा; दुर्वचन। [वि.] गूँगा; मूक।
अवचनीय
(सं.) [वि.] 1. न कहने योग्य 2. अश्लील; अशिष्ट; अभद्र।
अवचय
(सं.) [सं-पु.] 1. चुनकर इकट्ठा करना; संग्रह; संकलन 2. फूल या फल तोड़कर इकट्ठा करना।
अवचित
(सं.) [वि.] 1. बटोरा हुआ 2. चुनकर इकट्ठा किया हुआ।
अवचेतन
(सं.) [वि.] जिसमें पूरी चेतना न हो; अर्धचेतन; आंशिक या थोड़ी चेतनावाला; (सबकॉन्शस)।
अवच्छिन्न
(सं.) [वि.] 1. जिसका किसी अवच्छेदक पदार्थ से अवच्छेद किया गया हो; अलग किया हुआ; पृथक 2. विशेषयुक्त; विशेषित 3. सीमित।
अवच्छेद
(सं.) [सं-पु.] 1. अलगाव; भेद 2. हद; सीमा 3. अवधारण; निश्चय; छानबीन 4. संगीत में मृदंग के बारह प्रबंधों में से एक 5. परिच्छेद; विभाग 6. किसी वस्तु का वह गुण
या धर्म जिससे अन्य पदार्थ पृथक प्रतीत हों 7. व्याप्ति।
अवच्छेदक
(सं.) [वि.] 1. अवच्छेद करने वाला 2. छेदने वाला 3. हद बाँधने वाला 4. निश्चय या निर्णय करने वाला।
अवच्छेदन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी हथियार से काटकर अलग करने की क्रिया 2. खंड करना; विभाजन 3. सीमा निर्धारित करना 4. किसी तरह अलग या पृथक करने की क्रिया।
अवजय
(सं.) [सं-स्त्री.] पराजय; हार।
अवजित
(सं.) [वि.] 1. हारा हुआ; पराजित 2. तिरस्कृत; अपमानित।
अवज्ञा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी के प्रति समुचित आदर या सम्मान का भाव न होना 2. आज्ञा या आदेश की अवहेलना करना 3. उल्लंघन करना 4. एक अलंकार जिसमें एक वस्तु के
गुण-दोष का दूसरी वस्तु पर प्रभाव न पड़ने का वर्णन होता है।
अवज्ञाकारी
(सं.) [वि.] अवज्ञा करने वाला; बात न मानने वाला; आज्ञा या आदेश का पालन न करने वाला।
अवज्ञान
(सं.) [सं-पु.] 1. अवज्ञा; अनादर 2. अपमान; तिरस्कार 3. आज्ञा का उल्लंघन।
अवज्ञेय
(सं.) [वि.] 1. अपमान के योग्य; तिरस्कार के योग्य 2. जिसका अपमान या तिरस्कार करना उचित हो।
अवट
(सं.) [सं-पु.] 1. गड्ढा 2. छिद्र; छेद 3. कुआँ 4. हाथी फँसाने का तृणाच्छादित गड्ढा 5. दाँत का गड्ढा 6. काँख आदि का गड्ढा 7. शरीर का निचला या कमज़ोर भाग 8.
जादूगर; बाज़ीगर।
अवटना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. किसी द्रव पदार्थ का आग पर खौलना, तपना 2. व्यर्थ घूमना। [क्रि-स.] मथना; आलोड़न करना।
अवटु
(सं.) [सं-पु.] 1. गड्ढा 2. कुआँ 3. माँद 4. गरदन का पिछला भाग 5. सिर के पिछले भाग के बाल।
अवडेर
[सं-पु.] 1. झमेला 2. किसी बात पर होने वाली कहा-सुनी या विवाद; झंझट-बखेड़ा 3. सुख-भोग में होने वाली बाधा; रंग में भंग।
अवढर
(सं.) [वि.] अकारण ही ख़ुश और अनुरक्त हो जाने वाला; मनमाने ढंग से उदारता बरतने वाला।
अवतंस
(सं.) [सं-पु.] 1. हार; माला 2. मुकुट 3. कर्णफूल 4. वलयाकार आभूषण, जैसे- बाली, माँग-टीका 5. श्रेष्ठ व्यक्ति 6. वर; दूल्हा।
अवतत
(सं.) [वि.] 1. फैलाया हुआ 2. जिसका विस्तार नीचे की ओर हो 3. विस्तृत।
अवतमस
(सं.) [सं-पु.] 1. हलका अंधकार 2. अंधकार; अस्पष्टता; गूढ़ता; दुर्बोधता।
अवतरण
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रादुर्भाव 2. जन्म 3. अवरोहण; नीचे उतरना 4. पार उतरना 5. घाट 6. सीढ़ी 7. अनुवाद; भाषांतर 8. देवताओं का पार्थिव शरीर में प्रकट होना 9.
उद्धृत अंश; उद्धरण।
अवतरण-चिह्न
(सं.) [सं-पु.] उद्धरित कथन को संकेत करने वाला चिह्न।
अवतरण छत्र
(सं.) [सं-पु.] वह छाता जिसका प्रयोग हवाईजहाज़ से उतरते समय किया जाता है; (पैराशूट)।
अवतरण पथ
(सं.) [सं-पु.] हवाईजहाज़ से उतरकर चलने का मार्ग।
अवतरण भूमि
(सं.) [सं-स्त्री.] हवाईजहाज़ के लैंड करने के बाद तथा उड़ान भरने से पहले चलने का रास्ता।
अवतरणिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ग्रंथ की प्रस्तावना; भूमिका 2. परिपाटी; रीति।
अवतरना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. प्रकट होना; उपजना 2. ऊपर से नीचे आना 3. शरीर धारण करना 4. अवतार लेना।
अवतरित
(सं.) [वि.] 1. अवतार के रूप में उत्पन्न 2. नीचे उतारा हुआ; नीचे उतरा हुआ 3. उद्धृत 4. अनूदित 5. पार पहुँचा हुआ 6. स्नात।
अवतल
(सं.) [वि.] दर्पण का एक प्रकार; नतोदर; (कॉनकेव)।
अवतापी
(सं.) [वि.] 1. जहाँ सूर्य का ताप अधिक होता हो 2. बहुत तपाने वाला 3. कष्ट या दुख पहुँचाने वाला।
अवतार
(सं.) [सं-पु.] 1. ऊपर से नीचे की ओर आना; उतरने की क्रिया या भाव 2. किसी दैवी शक्ति का पार्थिव रूप में जन्म 3. जन्म; शरीर-ग्रहण 4. विशिष्ट व्यक्ति।
अवतारण
(सं.) [सं-पु.] 1. अवतारणा; अनुकरण; उद्धरण रूप में ग्रहण करना 2. अनुवाद 3. भूमिका 4. उद्धरण 5. उतारना 6. नीचे उतारना 7. पार उतारना।
अवतारना
(सं.) [क्रि-स.] 1. उत्पन्न करना; रचना या बनाना 2. ऊपर से नीचे की ओर लाना; उतारना 3. पशुओं के गर्भ से बच्चा निकालना या उत्पन्न करना; जनना 4. जन्म देना।
अवतारवाद
(सं.) [सं-पु.] अवतारों की धार्मिक अवधारणा में विश्वास करने वाला सिद्धांत।
अवतारी
(सं.) [वि.] 1. अवतार ग्रहण करने वाला 2. अवतार या अवतार-ग्रहण से संबंधित 3. ईश्वर या किसी देवता के अवतार के रूप में जिसकी प्रसिद्धि हो 4. अवतार की तरह का
चमत्कारी अथवा प्रभाव रखने वाला।
अवतीर्ण
(सं.) [वि.] 1. उतरा हुआ; अवतरित 2. अनूदित 3. पार किया हुआ 4. स्नात 5. अवतार ग्रहण किया हुआ 6. उदाहृत; उद्धृत।
अवदमन
(सं.) [सं-पु.] अच्छी तरह दबाना; दमन करना।
अवदशा
(सं.) [सं-स्त्री.] गिरी हुई दशा; हीन हालात।
अवदाघ
(सं.) [सं-पु.] 1. ताप; गरमी 2. जलन 3. ग्रीष्म ऋतु।
अवदात
(सं.) [वि.] 1. शुभ्र; उज्ज्वल; श्वेत 2. शुद्ध; स्वच्छ; विमल; निर्मल 3. शुक्ल वर्ण का; गौर 4. पीत वर्ण का; पीला 5. खूबसूरत; सुंदर 6. उत्तम; पुण्यशील 7.
सच्चा; सत्य।
अवदान
(सं.) [सं-पु.] 1. योगदान; सहयोग 2. प्रशस्त कर्म 3. पराक्रम 4. उज्ज्वल कर्म 5. उत्सर्ग 6. खंड; विभाजन।
अवदान्य
(सं.) [वि.] 1. पराक्रमी; बली 2. कंजूस 3. नियम आदि का उलंघन करने वाला 4. संकीर्ण हृदयी।
अवदाब
(सं.) [सं-पु.] धँसाव।
अवदारक
(सं.) [वि.] 1. अवदारण करने वाला 2. जो खंडित या विभक्त करे। [सं-पु.] 1. मिट्टी खोदने की खंती या फरसा 2. चीरने-फाड़ने या तोड़ने-फोड़ने की कोई वस्तु।
अवदारण
(सं.) [सं-पु.] 1. तोड़ने-फोड़ने की क्रिया या भाव 2. चीरने-फाड़ने अथवा विदीर्ण करने का उपक्रम 3. विभाजन; अलगाव 4. नष्ट या बर्बाद कर देना।
अवदारित
(सं.) [वि.] 1. तोड़ा-फोड़ा हुआ 2. खंडित; विभक्त; अवदीर्ण 3. नष्ट-भ्रष्ट किया हुआ।
अवदाह
(सं.) [सं-पु.] 1. भीषण ताप; अत्यधिक गरमी 2. अधिक क्षेत्र में आग लगाना और उससे वस्तुओं को जलाना।
अवदीर्ण
(सं.) [वि.] 1. विभक्त; टूटा हुआ 2. घबराया हुआ 3. उदास 4. पिघला या घुला हुआ।
अवद्य
(सं.) [वि.] 1. अधम; पापी 2. गर्हित; निंद्य 3. त्याज्य 4. कुत्सित; निकृष्ट। [सं-पु.] 1. दोष 2. पाप 3. निंदा 4. लज्जा।
अवध
(सं.) [सं-पु.] 1. उत्तर प्रदेश का एक हिस्सा 2. कोशल 3. अयोध्या।
अवधर्मी
(सं.) [सं-पु.] वह जो धर्म का पालन न करता हो; वह जिसका आचरण धर्म या आदर्श विरुद्ध हो।
अवधा
(सं.) [सं-स्त्री.] (ज्यामिति) वृत का खंड या भाग।
अवधाता
(सं.) [सं-पु.] 1. अवधान करने वाला 2. किसी व्यक्ति या विचार का ध्यान रखने वाला।
अवधान
(सं.) [सं-पु.] 1. मन का योग; चित्त का लगाव; मनोयोग 2. चित की वृत्ति का निरोध करके उसे एक ओर लगाना; समाधि 3. ध्यान; सावधानी; चौकसी।
अवधानी
(सं.) [वि.] 1. ध्यान देने वाला 2. मनोयोग से भरा हुआ।
अवधायक
(सं.) [सं-पु.] किसी काम का कर्ता-धर्ता; (इंचार्ज)।
अवधारण
(सं.) [सं-पु.] 1. निश्चय करना 2. हद बाँधना; सीमांकन 3. मत या विचार बना लेना 4. शब्द विशेष पर ज़ोर देना।
अवधारणा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुविचारित धारणा या विचार 2. संकल्पना।
अवधारणीय
(सं.) [वि.] 1. निश्चय करने योग्य 2. विचारणीय।
अवधारना
(सं.) [क्रि-स.] धारण करना; ग्रहण करना। [क्रि-अ.] निश्चय करना; समझना।
अवधारित
(सं.) [वि.] निश्चित; निर्धारित।
अवधार्य
(सं.) [वि.] विचारणीय; अवधारणीय।
अवधाव
(सं.) [सं-पु.] बर्फ़, चट्टान आदि का विशाल समुदाय।
अवधावन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी को पकड़ने के लिए उसका पीछा करना 2. धोना; साफ़ करना।
अवधावित
(सं.) [वि.] 1. जिसका पीछा किया गया हो 2. धोया हुआ; साफ़ किया हुआ।
अवधि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. निर्धारित समय; नियत समय; मीयाद 2. सीमा; हद 3. अंतिम सीमा 4. समयांतराल 5. पड़ोस 6. गड्ढा। [अव्य.] तक।
अवधि बधित
(सं.) [वि.] जिसकी अवधि समाप्त हो चुकी हो।
अवधिमान
(सं.) [सं-पु.] समुद्र; सागर।
अवधी
(सं.) [सं-स्त्री.] अवध क्षेत्र की बोली या भाषा। [वि.] अवध से संबंध रखने वाला।
अवधीरण
(सं.) [सं-पु.] 1. तिरस्कारपूर्वक व्यवहार करना; बुरा बर्ताव करना 2. उपेक्षा करना।
अवधीरित
(सं.) [वि.] 1. तिरस्कृत; अपमानित; उपेक्षित 2. जिसके साथ बुरा बर्ताव किया गया हो।
अवधूत
(सं.) [सं-पु.] 1. संन्यासी 2. साधुओं का एक भेद। [वि.] 1. तिरस्कृत 2. अपमानित 3. आक्रांत 4. पराभूत 5. विरक्त।
अवधूतिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. संन्यासिनी 2. ख़ास तरह की साध्वी। [वि.] 1. तिरस्कृता; वंचिता 2. अपमानित 3. आक्रांत 4. पराभूत 5. विरक्त।
अवधूती
(सं.) [सं-स्त्री.] बाईं ओर की नाड़ी इड़ा; दाईं ओर की नाड़ी पिंगला और इन दोनों के बीच की नाड़ी सुषुम्ना कहलाती है। इस सुषुम्ना नाड़ी को ही अवधूती कहते हैं।
उद्बुद्ध कुंडलिनी इसी से होकर सहस्रार स्थित शिव तक पहुँचती है।
अवधूपित
(सं.) [वि.] 1. सुवासित 2. धूप आदि जलाकर उसके धुएँ से सुगंधित किया हुआ।
अवधूलन
(सं.) [सं-पु.] 1. धूल या चूर्ण की तरह चीज़ छिड़कना 2. घाव वगैरह पर चूर्ण या पावडर छिड़कना; (डस्टिंग)।
अवधेय
(सं.) [सं-पु.] 1. ध्यान 2. अभिधान; नाम। [वि.] 1. ध्यान देने योग्य 2. जानने योग्य 3. जिसका आदर या सम्मान किया जा सके 4. श्रद्धेय।
अवधेश
(सं.) [सं-पु.] 1. अवध का राजा या स्वामी 2. अवध के राजा; दशरथ।
अवध्य
(सं.) [वि.] 1. जिसे मारना उचित न हो 2. जिसे शास्त्रानुसार प्राणदंड न दिया जा सके 3. जो मारा न जा सके।
अवध्वंस
(सं.) [सं-पु.] 1. परित्याग 2. अनादर; अपमान या उपेक्षा 3. निंदा; बुराई 4. बुरी तरह नाश।
अवध्वस्त
(सं.) [वि.] 1. विनष्ट 2. निंदित 3. अपमानित; तिरस्कृत 4. दूर हटाया हुआ; परित्यक्त 5. छितराया हुआ 6. छिड़का हुआ।
अवन
(सं.) [सं-पु.] 1. रक्षण 2. ख़ुश करना 3. प्रसन्नता 4. प्रीति 5. संतोष 6. आकांक्षा।
अवनत
(सं.) [वि.] 1. नीचा; झुका हुआ; नत 2. गिरा हुआ; पतित; अधोगत 3. अस्त होता हुआ 4. नम्र; विनीत।
अवनति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सामान्य स्थिति से नीचे गिरना; गिरावट 2. झुकाव 3. अधःपतन 4. उतार 5. अस्त होता 6. दंडवत 7. विनम्रता।
अवनद्ध
(सं.) [सं-पु.] ढोल; मृदंग। [वि.] 1. निर्मित 2. जड़ा या बैठाया हुआ 3. ढका हुआ 4. बँधा हुआ।
अवनमन
(सं.) [सं-पु.] 1. नीचे की ओर झुकने की क्रिया 2. पैर पड़ना 3. गुण, महत्व आदि का घटना 4. ग्रह-नक्षत्र आदि का नीचे की ओर जाना 5. तल या स्तर का नीचे की ओर
झुकाव।
अवनयन
(सं.) [सं-पु.] नीचे की ओर लाना या गिराना।
अवनामक
(सं.) [वि.] 1. नीचे गिराने वाला 2. झुकाने वाला 3. हतोत्साहित करने वाला।
अवनायक
(सं.) [वि.] 1. अवनति करने वाला या गिराने वाला 2. जिसका पतन या नाश होने वाला हो 3. नीचे की ओर गिराने वाला या ले जाने वाला।
अवनाह
(सं.) [सं-पु.] 1. बाँधने या कसने की क्रिया 2. आवृत करना; ढकना 3. बंधन।
अवनि
(सं.) [सं-पु.] 1. धरती; धरणी; पृथ्वी 2. उँगली 3. एक प्रकार की लता।
अवनींद्र
(सं.) [सं-पु.] धरती का इंद्र; राजा।
अवनीश
(सं.) [सं-पु.] धरती का ईश या स्वामी; राजा।
अवनीश्वर
(सं.) [सं-पु.] दे. अवनीश।
अवनेजन
(सं.) [सं-पु.] 1. हाथ-पाँव धोने की क्रिया 2. हाथ-पाँव धोने का पानी 3. आचमन 4. पिंडदान की वेदी पर बिछाए हुए कुशों पर पानी छिड़कना।
अवपात
(सं.) [सं-पु.] 1. गिराव; पतन 2. गड्ढा 3. हाथियों को फँसाने के लिए बनाया गया गड्ढा; खाँड़ा 4. पक्षियों आदि का ऊपर से नीचे की ओर झपटना।
अवपातन
(सं.) [सं-पु.] नीचे फेंकने या गिराने की क्रिया या भाव।
अवपात्र
(सं.) [सं-पु.] अयोग्य या निकृष्ट पात्र।
अवपीड़न
(सं.) [सं-पु.] 1. यातना देने की क्रिया 2. किसी के साथ कष्टदायक व्यवहार।
अवप्रेरण
(सं.) [सं-पु.] 1. बुरे काम में सहायता देना 2. किसी को अपराध करने के लिए प्रोत्साहित करना 3. दुरुत्साहन।
अवबोध
(सं.) [सं-पु.] 1. बोध; ज्ञान 2. जागना; सचेतनता 3. विवेक 4. जताना।
अवबोधक
(सं.) [वि.] 1. जगाने वाला 2. जागरूक बनाने वाला। [सं-पु.] 1. सूर्य 2. शिक्षक 3. बंदी या चारण 4. चौकीदार 5. विचार।
अवबोधकीय कक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] अवबोधन के लिए आयोजित कक्षा या शिविर; (ट्यूटोरियल)।
अवबोधन
(सं.) [सं-पु.] 1. ज्ञान 2. बताना; जताना 3. जागरूक बनाना।
अवभंग
(सं.) [सं-पु.] 1. हराना; पराजित करना 2. नीचा दिखाना।
अवभास
(सं.) [सं-पु.] 1. केवल आभास के रूप में होने वाला मिथ्या ज्ञान 2. प्रतीति 3. चमक 4. झलक 5. दिखाई देना।
अवभासक
(सं.) [वि.] 1. प्रकाशक 2. प्रकाशमय। [सं-पु.] परब्रह्म।
अवभासित
(सं.) [वि.] 1. प्रतीत 2. प्रकाशित 3. प्रकट; लक्षित।
अवभृथ
(सं.) [सं-पु.] 1. यज्ञ की समाप्ति 2. यज्ञ की समाप्ति पर किया जाने वाला स्नान।
अवभ्रट
(सं.) [वि.] अवनाट; चपटी नाक वाला।
अवम
(सं.) [वि.] 1. अधम; नीच 2. पापी 3. अंतिम 4. घटता हुआ। [सं-पु.] 1. पाप 2. चांद्र और सौर दिन का अंतर 3. पितरों का एक वर्ग 4. रक्षक।
अवमंता
(सं.) [वि.] अपमान करने वाला।
अवमंदन
(सं.) [सं-पु.] 1. मंद या धीमा कराना 2. तीक्ष्णता आदि को कम करना।
अवमत
(सं.) [वि.] 1. अपमानित 2. तिरस्कृत 3. निंदित।
अवमति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अवज्ञा 2. तिरस्कार; अपमान 3. विरक्ति; अरुचि 4. अनुचित बुद्धि।
अवम तिथि
(सं.) [सं-स्त्री.] चंद्र मास की वह तिथि जिसका क्षय हो गया हो।
अवमर्दन
(सं.) [सं-पु.] 1. दमन 2. उत्पीड़न 3. कुचलना 4. मालिश करना।
अवमर्दित
(सं.) [वि.] 1. रौंदा या कुचला हुआ 2. मर्दन किया हुआ 3. नष्ट या बरबाद किया हुआ।
अवमर्श
(सं.) [सं-पु.] 1. स्पर्श 2. संपर्क; संबंध।
अवमर्शसंधि
(सं.) [सं-स्त्री.] रूपक की पाँच संधियों में से चौथी, जब क्रोध, व्यसन या लोभ से फल-प्राप्ति के बारे में पर्यालोचन होता है और गर्भ संधि के द्वारा बीज को
प्रकट कर दिया जाता है।
अवमर्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. आक्रमण 2. दूर करना 3. आलोचना 4. नाटक की पाँच संधियों (मुख, प्रतिमुख, गर्भ, अवमर्ष और निर्वहन) में से एक।
अवमर्षण
(सं.) [सं-पु.] 1. असहिष्णुता 2. हटाना; मिटाना 3. मान्य न करना।
अवमान
(सं.) [सं-पु.] 1. तिरस्कार; अपमान; अनादार 2. महत्व, मूल्य आदि को सही न आँकना।
अवमानन
(सं.) [सं-पु.] 1. अवमान या अपमान करना 2. तिरस्कार करना।
अवमानना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बात न मानने की क्रिया; आदेश का उल्लंघन 2. अपमान 3. तिरस्कार।
अवमानव
(सं.) [सं-पु.] नीच या निकृष्ट मनुष्य।
अवमानित
(सं.) [वि.] 1. जिसका अपमान किया गया हो 2. तिरस्कृत।
अवमानी
(सं.) [वि.] 1. अपमान या अवमान करने वाला 2. तिरस्कार करने वाला।
अवमान्य
(सं.) [वि.] 1. अपमान के योग्य 2. तिरस्कार योग्य।
अवमूल्य
(सं.) [सं-पु.] सामान्य से कम मूल्य।
अवमूल्यन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी के महत्व को कम करके आँकना 2. मुद्रा के मूल्य में गिरावट लाना; मुद्रा का विनिमय-मूल्य या सापेक्ष-मूल्य गिरा देना; (डिवैल्युएशन)।
अवमृदा
(सं.) [सं-स्त्री.] निचली मिट्टी।
अवमोचन
(सं.) [सं-पु.] 1. बंधन से मुक्त करना 2. छोड़ देना 3. ढीला करना।
अवयव
(सं.) [सं-पु.] 1. अंश; हिस्सा; भाग; अंग 2. अभिन्न अंग 3. शरीर का अंग।
अवयवी
(सं.) [सं-पु.] देह; शरीर। [वि.] 1. जिसके कई अवयव या अंग हो 2. कुल; समूचा।
अवयस्क
(सं.) [सं-पु.] जो वयस्क या बालिग न हो; नाबालिग।
अवयस्कता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वयस्क न होने की अवस्था या उम्र; नाबालिगपन 2. अनुभवहीनता; बात-व्यवहार में कच्चापन।
अवयान
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी को ख़ुश करने के लिए झुकना; तुष्टीकरण 2. प्रायश्चित।
अवर
(सं.) [वि.] 1. जो श्रेष्ठ न हो; कनिष्ठ; छोटा 2. कम; न्यून 3. निचला 4. बाद का; अनुवर्ती। [सं-पु.] 1. अतीत 2. हाथी के पीछे का हिस्सा। [क्रि.वि.] अन्य; दूसरा।
अवरत
(सं.) [वि.] 1. अलग 2. रुका हुआ 3. निवृत्त 4. विरामयुक्त। [सं-पु.] पानी का भँवर।
अवरति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विश्राम; ठहराव 2. निवृत्ति; छुटकारा 3. पृथकता।
अवर सदन
(सं.) [सं-पु.] संसद या विधानमंडल का एक सदन- लोकसभा, विधानसभा, प्रतिनिधिसभा आदि; (लोअर हाउस)।
अवरागार
(सं.) [सं-पु.] संसद या विधानमंडल का निम्नसदन; दूसरा सदन; अवर सदन; (लोअर हाउस)।
अवराधन
(सं.) [सं-पु.] आराधान; उपासना; पूजा; सेवा।
अवरार्ध
(सं.) [सं-पु.] पीछे या नीचे का आधा भाग। [वि.] उत्तरार्द्ध।
अवरावर
(सं.) [वि.] 1. सबसे ख़राब; निकृष्टतम 2. छोटे से छोटा।
अवरुद्ध
(सं.) [वि.] 1. बाधित; रोका हुआ या रुका हुआ 2. बंद; घिरा हुआ 3. प्रच्छन्न; गुप्त; छिपा हुआ या छिपाया हुआ 4. ढँका हुआ।
अवरूप
(सं.) [वि.] 1. विकृत रूपवाला 2. जिसका नाश या पतन हो गया हो।
अवरेब
(सं.) [सं-पु.] 1. वक्र गति; तिरछी चाल 2. कपड़े की तिरछी काट 3. व्यंग्य 4. बिगाड़; ख़राबी 5. झगड़ा; विवाद; खींचातानी 6. वक्रोक्ति।
अवरेबी
(सं.) [वि.] 1. तिरछी काट वाला; अवरेबदार 2. जिसमें पेच लगा या जड़ा हो; पेचदार; पेचवाला 3. व्यंग्यपूर्ण।
अवरोक्त
(सं.) [वि.] 1. अंत में उल्लिखित 2. जिसे बाद में कहा गया हो।
अवरोध
(सं.) [सं-पु.] 1. बाधा; रोक; अटकाव; अड़चन 2. घेरा 3. ढक्कन; आवरण 4. महल 5. अंतःपुर 6. बाड़ा 7. प्रहरी 8. (राजा के लिए) रानियों का समूह।
अवरोधक
(सं.) [सं-पु.] 1 अवरोध या बाधा उत्पन्न करने वाला; बाधक 2. रोकने वाला 3. घेरा डालने वाला।
अवरोधन
(सं.) [सं-पु.] 1. रोक; घेरा; बाधा 2. अंतःपुर; ज़नानख़ाना 3. किसी वस्तु का भीतरी भाग 4. निजी या व्यक्तिगत स्थान।
अवरोधित
(सं.) [वि.] 1. बाधित; अवरुद्ध 2. रोका हुआ; रुका हुआ 3. घिरा हुआ; बंद 4. प्रच्छन्न।
अवरोधी
(सं.) [वि.] अवरोध करने वाला; रोकने वाला; अवरोधक।
अवरोप
(सं.) [सं-पु.] 1. उन्मूलन; उन्मोचन 2. किसी आरोप या अभियोग से मुक्त करना या हटाना।
अवरोपण
(सं.) [सं-पु.] 1. उन्मूलन 2. नीचे उतारना; उखाड़ना या हटाना।
अवरोपित
(सं.) [वि.] 1. उखाड़ा या हटाया हुआ; उन्मूलित 2. जो अभियोग या आरोप से मुक्त किया गया हो।
अवरोह
(सं.) [सं-पु.] 1. उतार 2. अवनति; पतन 3. संगीत में स्वरों का उतार 4. अर्थालंकार का एक भेद जहाँ वस्तु के रूप-गुण का क्रमशः घटना दर्शाया जाए 5. बेल या लता का
वृक्ष के चारों ओर लिपटना।
अवरोहक
(सं.) [वि.] 1. नीचे की ओर आने या उतरने वाला 2. नीचे गिरने वाला। [सं-पु.] अश्वगंधा नामक वनस्पति।
अवरोहण
(सं.) [सं-पु.] 1. उतरने की क्रिया और सिलसिला 2. अवनति; पतन; गिरावट 3. नीचे की ओर आना।
अवरोही
(सं.) [वि.] उतरने वाला; नीचे आने वाला। [सं-पु.] 1. वटवृक्ष 2. ऊपर से नीचे आने वाला स्वर।
अवर्ग
(सं.) [सं-पु.] स्वर वर्ण। [वि.] जो किसी वर्ग में न हो या जिसका कोई वर्ग न हो; श्रेणीरहित।
अवर्गीकृत
(सं.) [वि.] जिसका वर्ग न बनाया गया हो; बिना वर्गीकरण का।
अवर्ण
(सं.) [वि.] 1. वर्ण-रंगहीन 2. वर्ण-धर्म-रहित 3. बदरंग 4. बुरा। [सं-पु.] निंदा; अपवाद।
अवर्णनीय
(सं.) [वि.] जिसका वर्णन या बखान न किया जा सके; अवर्ण्य। [सं-पु.] उपमान; जो वर्ण्य या उपमेय न हो।
अवर्णित
(सं.) [वि.] जिसका वर्णन न किया गया हो; जिसके बारे में बताया न गया हो।
अवर्ण्य
(सं.) [वि.] 1. जिसका वर्णन नहीं हो सकता हो; वर्णनातीत 2. जो उपमेय या वर्ण्य न हो; उपमान।
अवर्तन
(सं.) [सं-पु.] 1. जीविका या वृत्ति का न होना 2. अस्तित्व का मिट जाना। [वि.] जीविकाहीन।
अवर्तमान
(सं.) [सं-पु.] वर्तमान न होने की अवस्था। [वि.] 1. जो वर्तमान न हो 2. अनुपस्थित 3. अप्रस्तुत 4. भूत या भविष्य।
अवर्धमान
(सं.) [वि.] न बढ़ने वाला; जिसमें आगे बढ़ने के लक्षण न हों।
अवर्शीष
(सं.) [वि.] 1. जिसका सिर नीचे की ओर झुक गया हो 2. नतमस्तक 3. औंधा। [सं-पु.] एक प्रकार का नेत्र रोग।
अवर्ष
(सं.) [सं-पु.] वृष्टि का अभाव; वर्षा का न होना; अवग्रहण; अनावृष्टि; सूखा; अवर्षण।
अवर्षण
(सं.) [सं-पु.] वृष्टि का अभाव; वर्षा का न होना; अनावृष्टि; सूखा।
अवलंब
(सं.) [सं-पु.] 1. आश्रय; सहारा 2. भरोसा 3. शरण 4. पड़ाव 5. लंब (रैखिक)।
अवलंबन
(सं.) [सं-पु.] 1. सहारा 2. अवलंब; छड़ी 3. ओट 4. अंगीकार करना; अपनाना; ग्रहण।
अवलंबित
(सं.) [वि.] 1. आश्रित; सहारे पर स्थित; टिका हुआ 2. मुनहसिर 3. लटकाया हुआ 4. शीघ्र; सत्वर।
अवलंबी
(सं.) [वि.] अवलंबन करने वाला।
अवलग्न
(सं.) [वि.] 1. लगा हुआ 2. सटाकर रखा हुआ।
अवलि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पंक्ति; पाँति 2. समूह; झुंड 3. वह अन्न की डाँठ जो नवान्न करने के लिए खेत से पहले पहल काटी जाती है।
अवलिप्त
(सं.) [वि.] 1. लगाव रखने वाला 2. घमंडी 3. चुपड़ा हुआ।
अवली
(सं.) [सं-स्त्री.] दे. अवलि।
अवलीक
(सं.) [वि.] 1. पापरहित; निष्पाप 2. निर्दोष; दोषरहित।
अवलीढ
(सं.) [वि.] 1. चाटा हुआ 2. खाया हुआ।
अवलीला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. क्रीड़ा; खेल 2. तिरस्कार; अनादर।
अवलुंचन
(सं.) [सं-पु.] 1. उखाड़ना 2. काटना 3. खोलना 4. हटाना; नोचना।
अवलुंचित
(सं.) [वि.] 1. खुला हुआ 2. काटा हुआ 3. नोचा हुआ।
अवलुंठन
(सं.) [सं-पु.] 1. लोटना 2. लूटना; लूट।
अवलुंठित
(सं.) [वि.] 1. लुढ़का हुआ 2. जिसका सब कुछ लुट गया हो 3. लोटा हुआ।
अवलेखन
(सं.) [सं-पु.] 1. खुरचना; खोदना 2. लकीर खींचना 3. कंघी करना; बाल झाड़ना।
अवलेखनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह वस्तु जिससे कुछ अंकित किया जाए (कलम आदि) 2. कंघी 3. ब्रश।
अवलेप
(सं.) [सं-पु.] 1. उबटन; लेप 2. घमंड़; गर्व 3. आभूषण 4. मलहम 5. संग; मिलन; संबंध 6. आक्रमण; हिंसा 7. अपमान।
अवलेपक
(सं.) [वि.] 1. लेप लगाने वाला 2. अपने आप में किसी बात का झूठा अवलेप करने वाला।
अवलेपन
(सं.) [सं-पु.] 1. लगाना; पोतना 2. वह वस्तु जो लगाई जाए; लेप; उबटन 3. घमंड़; अभिमान; अहंकार 4. संबंध; लगाव।
अवलेह
(सं.) [सं-पु.] 1. लेई जो न अधिक गाढ़ी और न अधिक पतली हो और जिसे चाटा जाए; चटनी; माजून 2. औषधि जिसे चाटा जाए।
अवलेहन
(सं.) [सं-पु.] 1. चटनी 2. चाटने की क्रिया।
अवलोक
(सं.) [सं-पु.] दे. अवलोकन।
अवलोकक
(सं.) [वि.] 1. देखने की इच्छा रखने वाला 2. निरीक्षण करने वाला।
अवलोकन
(सं.) [सं-पु.] 1. ध्यानपूर्वक देखना 2. निरीक्षण 3. दृष्टि 4. दृष्टिपात 5. अनुसंधान।
अवलोकनीय
(सं.) [वि.] अवलोकन करने योग्य; देखने योग्य।
अवलोकित
(सं.) [वि.] 1. दृष्ट; देखा हुआ 2. जिसका निरीक्षण हुआ हो; जिसे गौर से देखा गया हो 3. जिसका अनुसंधान किया गया हो।
अवलोप
(सं.) [सं-पु.] 1. काटकर हटाना; नष्ट करना 2. आक्रमण करना 3. दाँत से काटना।
अवलोम
(सं.) [वि.] 1. अनुकूल 2. उपयुक्त।
अवश
(सं.) [वि.] 1. जो वश में न हो 2. किसी के दबाव में न आने वाला।
अवशंसा
(सं.) [सं-स्त्री.] दोषी या अपराधी ठहराने की क्रिया।
अवशिष्ट
(सं.) [वि.] 1. शेष; बचा हुआ; अवशेष 2. फ़ाज़िल; अतिरिक्त।
अवशेष
(सं.) [वि.] बचा हुआ; बाकी। [सं-पु.] शेष भाग।
अवशोषक
(सं.) [सं-पु.] 1. अवशोषण करने वाला 2. सोखने वाला; सोख्ता 3. अपने में समा लेने वाला; संविलयक।
अवशोषण
(सं.) [सं-पु.] 1. सोखना 2. अपने में समा लेना या समाहित कर लेना; संविलयन।
अवशोषित
(सं.) [वि.] 1. सोखा हुआ 2. समाया हुआ; समाहित; संविलयित।
अवश्यंभावी
(सं.) [वि.] 1. जिसका होना निश्चित हो; जिसके होने की पूरी संभावना हो 2. जो टले नहीं; अटल 3. जिसे टाला न जा सके; अनिवार्य।
अवश्य
(सं.) [अव्य.] 1. ज़रूर 2. निश्चित रूप से 3. बिना किसी अंतर के। [वि.] 1. अनिवार्य 2. जिसे वश में न किया जा सके।
अवश्यमेव
(सं.) [क्रि.वि.] 1. अवश्य ही; निश्चय ही 2. निश्चयपूर्वक 3. निस्संदेह; यकीनन।
अवष्टंभ
(सं.) [सं-पु.] 1. आश्रय; सहारा 2. खंभा 3. घमंड 4. बाधा 5. पक्षाघात 6. स्तब्धता 7. जड़ीभूत होना।
अवष्टब्ध
(सं.) [वि.] 1. जिसने कोई सहारा लिया हो; आश्रित 2. रोका हुआ; बाधित 3. रक्षित 4. निकटवर्ती 5. आवृत्त 6. पराभूत।
अवसंजन
(सं.) [सं-पु.] आलिंगन; गले लगाना।
अवसक्त
(सं.) [वि.] सटा या लगा हुआ; संलग्न; नत्थी।
अवसन्न
(सं.) [वि.] 1. दुखी; विषादग्रस्त 2. सुस्त; बेदम 3. उदास 4. खिन्न 5. निरुत्साह 6. हारा-थका 7. अपना काम करने में असमर्थ 8. समाप्त।
अवसर
(सं.) [सं-पु.] 1. मौका 2. समय; सुयोग 3. अवकाश 4. भूमिका 5. वत्सर 6. गुप्त परामर्श 7. वर्षा 8. अर्थालंकार का एक भेद। [मु.] -चूकना : मौका
हाथ से खो देना; मौके का फायदा न उठा पाना।
अवसरवश
(सं.) [क्रि.वि.] 1. इत्तफ़ाक से या संयोग से 2. मौके के मुताबिक।
अवसरवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. पाश्चात्य दार्शनिक मेलब्रांश तथा ज्यूलोक का सिद्धांत 2. अवसर के अनुरूप कार्य कर अपना मतलब साधने का सिद्धांत।
अवसरवादिता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मौके का फ़ायदा उठाने की प्रवृत्ति; मौकापरस्ती 2. अवसर के अनुकूल बरतने की प्रवृत्ति।
अवसरवादी
(सं.) [वि.] जो किसी नीति का अनुसरण न करके हर उपयुक्त अवसर का पूरा-पूरा फ़ायदा उठाने की कोशिश करे; मौकापरस्त।
अवसरानुकूल
(सं.) [वि.] अवसर के अनुकूल; अवसरोचित; मौके के मुताबिक।
अवसरोचित
(सं.) [वि.] अवसर के अनुकूल; मौके के मुताबिक।
अवसर्ग
(सं.) [सं-पु.] 1. मुक्ति; छोड़ देना; छुटकारा; स्वतंत्र करना 2. शिथिल करना 3. दंड में कमी करना 4. रोक न लगाना।
अवसर्जन
(सं.) [सं-पु.] 1. मुक्त या आज़ाद करना 2. छोड़ना; त्यागना।
अवसर्प
(सं.) [सं-पु.] जासूस; भेदिया।
अवसर्पण
(सं.) [सं-पु.] 1. नीचे उतरना 2. अधोगमन।
अवसर्पिणी
(सं.) [सं-स्त्री.] जैन मतानुसार उतार का समय जिसमें रूपादि का क्रमशः ह्रास होता है; विरोह; अवरोह; विवर्त्त।
अवसाद
(सं.) [सं-पु.] 1. सुस्ती; शिथिलता 2. उदासी 3. विषाद; अवसन्नता 4. खेद 5. नाश।
अवसादक
(सं.) [वि.] सुस्ती लाने वाला; अवसादकारक।
अवसादग्रस्त
(सं.) [वि.] अवसाद पीड़ित; अवसादित।
अवसादन
(सं.) [सं-पु.] 1. नाश 2. पतन 3. कार्य करने की अक्षमता 4. उत्पीड़न 5. समाप्त करना।
अवसादी
(सं.) [वि.] अवसाद से भरा हुआ; अवसादयुक्त।
अवसान
(सं.) [सं-पु.] 1. समाप्ति; अंत 2. मृत्यु 3. पतन 4. विराम 5. घोड़े आदि से उतरने का स्थान।
अवसानक
(सं.) [वि.] 1. जो समाप्त या नष्ट हो रहा हो 2. अंत या सीमा तक पहुँचने वाला।
अवसारण
(सं.) [सं-पु.] 1. हटाना 2. चलाना 3. जाने के लिए प्रवृत्त करना।
अवसिक्त
(सं.) [वि.] सिंचित; सींचा हुआ।
अवसित
(सं.) [वि.] न बसा हुआ। [सं-पु.] परिवर्तित।
अवसेचन
(सं.) [सं-पु.] 1. सींचना 2. सींचने के काम आने वाला पानी 3. छिड़कना 4. रग को काटकर या छेदकर रक्त निकालना 5. पसीना निकालने की क्रिया।
अवस्कर
(सं.) [सं-पु.] 1. मलमूत्र; विष्ठा 2. मलमूत्रेंद्रिय 3. गोबर 4. कूड़ा-करकट 5. वह स्थान जहाँ मलमूत्र आदि फेंका जाता है।
अवस्तार
(सं.) [सं-पु.] 1. परदा; यवनिका 2. चटाई 3. खेमे के चारों ओर की कपड़े की दीवार; कनात।
अवस्था
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. हालत; दशा 2. स्थिति 3. स्थिरता 4. उम्र; आयु 5. उम्र के मुताबिक देह आदि की अवस्था, जैसे- बचपन, जवानी, बुढ़ापा आदि 6. आकृति।
अवस्थांतर
(सं.) [सं-पु.] 1. भिन्न या बदली हुई अवस्था 2. दो या कई अवस्थाओं में पारस्परिक अंतर।
अवस्थान
(सं.) [सं-पु.] 1. ठहरना 2. रहना; वास करना 3. रहने-ठहरने का स्थान; घर 4. रहने-ठहरने की अवधि 5. रेलवे स्टेशन 6. मौका।
अवस्थापन
(सं.) [सं-पु.] 1. स्थापित करना 2. रखना 3. रखने या स्थापित करने का स्थान।
अवस्थित
(सं.) [वि.] 1. विद्यमान; मौजूद 2. दृढ़निश्चय।
अवस्थिति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ठहरे-टिके होने की स्थिति 2. ठहरे-टिके होने की अवधि या काल 3. अवस्थान 4. मौजूदगी; विद्यमानता।
अवस्थी
(सं.) [सं-पु.] ब्राह्मणों की एक उपजाति और उसकी उपाधि।
अवहट्ट
[सं-स्त्री.] प्राचीन अपभ्रंश का एक रूप।
अवहरण
(सं.) [सं-पु.] 1. चुरा लेना; लूट लेना 2. दूर हटाना 3. अन्यत्र ले जाना 4. युद्धविराम।
अवहस्त
(सं.) [सं-पु.] उलटा हाथ; पट हाथ; हथेली की पीठ वाला भाग।
अवहित्था
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह व्यभिचारी भाव जिसमें लज्जा, भय आदि भावों को छिपाने की कोशिश होती है 2. भावगोपन।
अवहेलना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. उपेक्षा 2. अनादर; अवमानना 3. आदेश का उल्लंघन; अवज्ञा 4. तिरस्कार।
अवहेलनीय
(सं.) [वि.] 1. उपेक्षा के योग्य; उपेक्षणीय 2. अनादरणीय; असम्मान्य 3. तिरस्कार के योग्य; तिरस्कार्य।
अवहेला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी की आज्ञा या बात न मानने की क्रिया या भाव; अवज्ञा; तिरस्कार 2. वह बात या कार्य जिससे किसी का मान या प्रतिष्ठा कम हो; अपमान;
अनादर; बेइज़्ज़ती।
अवहेलित
(सं.) [वि.] तिरस्कृत; अपमानित।
अवाँ
(सं.) [सं-पु.] मिट्टी के बरतन पकाने का भट्टा; आँवाँ।
अवांछनीय
(सं.) [वि.] 1. जो वांछित न हो; अपात्र 2. अनभिलषणीय 3. अप्रिय 4. अनपेक्षित।
अवांछनीय तत्व
[सं-पु.] जो आवश्यक न हो; अनपेक्षित तत्व।
अवांछित
(सं.) [वि.] 1. जिसे पसंद नहीं किया जाए; जिसकी इच्छा न की गई हो 2. अनामंत्रित; अनपेक्षित।
अवांतर
(सं.) [वि.] 1. बीच का; मध्य में होने वाला; अंतर्वर्ती 2. गौण 3. अंतर्गत।
अवांतर दिशा
(सं.) [सं-स्त्री.] दो दिशाओं के मध्य की दिशा; मध्यवर्ती दिशा।
अवांतर भेद
(सं.) [सं-पु.] किसी भेद के अंतर्गत आने वाले भेद या विभाग।
अवाई
[सं-स्त्री.] 1. किसी के कहीं से आकर पहुँचने की क्रिया या भाव; आगमन; आना; आवक 2. खेत की गहरी जुताई।
अवाक
(सं.) [वि.] 1. विस्मित; स्तब्ध; चकित 2. मौन; चुप। [क्रि.वि.] 1. नीचे 2. दक्षिण की ओर। [सं-पु.] ब्रह्म। [मु.] -रह जाना : चकित या
हक्का-बक्का हो जाना।
अवाचक
(सं.) [वि.] 1. उच्चारण या वाचन न करने वाला 2. न बताने वाला; न कहने वाला 3. अस्पष्ट।
अवाची
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दक्षिण दिशा 2. निम्न देश।
अवाच्य
(सं.) [सं-पु.] 1. निंदा या कलंक की बात 2. जो बात कहने योग्य न हो 3. अपशब्द। [वि.] जिससे बात करना उचित न हो।
अवाप्त
(सं.) [वि.] जो सुलभ या प्राप्त हो; लब्ध; अधिगत।
अवाप्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्राप्ति 2. भूमि या संपत्ति का मूल्य देकर अधिग्रहण; (ऐक्वीज़ीशन)
अवाप्य
(सं.) [वि.] 1. न काटने योग्य 2. प्राप्त या अर्जन करने योग्य; प्राप्य; अर्जनीय।
अवाम
(सं.) [सं-पु.] आमलोग; जनता।
अवामी
(सं.) [वि.] 1. अवाम का; अवाम से संबधित 2. प्रजा या जनता के लिए 3. सामान्य 4. सार्वजनिक।
अवायड
(इं.) [सं-पु.] उपेक्षा (करना); अवहेलना (करना)।
अवार
(सं.) [सं-पु.] 1. नदी या जलाशय का किनारा; तट; तीर 2. सिरेवाला पक्ष।
अवारजा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह बही जिसमें प्रत्येक असामी की जोत आदि का विवरण लिखा जाता है 2. जमाख़र्च की बही 3. वह बही जिसमें याददाश्त के लिए नोट किया जाए 4.
खतियौनी; संक्षिप्त लेखा।
अवारी1
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी वस्तु का वह भाग जहाँ उसकी लंबाई या चौड़ाई समाप्त होती है; किनारा; सिरा 2. वह स्थान जहाँ से कोई वस्तु मुड़ती है; मोड़ 3. विवर;
छेद।
अवारी2
(सं.) [सं-स्त्री.] घोड़े के मुँह में लगाया जाने वाला वह ढाँचा जिसके दोनों ओर रस्से या चमड़े के तस्मे बँधे रहते हैं; लगाम; बागडोर; रास।
अवार्ड
(इं.) [सं-पु.] 1. पुरस्कार; सम्मान 2. अधिनिर्णय।
अवास्तविक
(सं.) [वि.] 1. जो वास्तविक न हो; अयथार्थ 2. मिथ्या; झूठा।
अवि
(सं.) [सं-पु.] 1. रक्षक 2. स्वामी 3. सूर्य 4. दीवार; घेरा 5. कंबल 6. ऊन 7. बकरा। [सं-स्त्री.] 1. लज्जा 2. भेड़।
अविकच
(सं.) [वि.] जो खिला हुआ न हो या बिना खिला हुआ; अपुष्पित; अनखिला; अविकसित; बंद।
अविकल
(सं.) [वि.] 1. पूरा का पूरा; ज्यों का त्यों; जिसे घटाया-बढ़ाया न गया हो; बिना उलटफेर के 2. व्यवस्थित 3. जो बेचैन न हो; शांत।
अविकलता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. यथातथ्य और मूल रूप बरक़रार रखने का भाव 2. बेचैनी और व्याकुलता का अभाव; शांति 3. निश्चिंतता; इतमीनान।
अविकल्प
(सं.) [वि.] 1. जिसका कोई विकल्प न हो; विकल्परहित 2. अपरिवर्तनीय; मौलिक 3. निश्चित; नियत। [सं-पु.] विकल्प का अभाव।
अविकसित
(सं.) [वि.] 1. जो विकसित न हो; जो खिला न हो; अप्रस्फुटित 2. जिसका विकास न हुआ हो; पिछड़ा हुआ।
अविकार
(सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई विकार न उत्पन्न होता हो; विकाररहित 2. जिसके रूप-आकार में कोई परिवर्तन न होता हो; अपरिवर्तनीय। [सं-पु.] विकार का अभाव।
अविकारी
(सं.) [वि.] 1. दे. अविकार 2. अविकृत। [सं-पु.] ब्रह्म; ईश्वर।
अविकृत
(सं.) [वि.] 1. जो विकृत न हो; जिसका रूप बिगड़ा न हो 2. जिसके अंदर कोई विकृति या बुराई न आ पाई हो।
अविक्षिप्त
(सं.) [वि.] 1. जो पागल या विक्षिप्त न हो; संतुलित दिमाग़ वाला 2. जो घबराया हुआ न हो; शांत; धीर 3. जिसे क्षिप्त या फेंका न गया हो।
अविगत
(सं.) [वि.] 1. जो विगत न हो; जो जाना न जाए; अव्यतीत; अगत 2. अज्ञात; अनजान; अनजाना 3. जो नष्ट न हो; नित्य 4. ईश्वर 5. अज्ञेय; अविनाशी।
अविग्रह
(सं.) [वि.] 1. निराकार; अशरीरी 2. जिसका विग्रह न हो 3. अज्ञात 4. नित्यसमास (व्याकरण)।
अविचल
(सं.) [वि.] 1. जो विचलित न हो; अचल 2. स्थिर; अडिग 3. स्थिरचित्त।
अविचलता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अविचल होने की अवस्था या भाव 2. दृढ़ता; अटलता; अडिगपन 2. स्थिरचित्तता; निश्चिंतता 3. स्थिरता।
अविचलित
(सं.) [वि.] 1. जो विचलित न हो; अडिग; अटल 2. स्थिरचित; जो भटका न हो 3. अप्रभावित; दृढ़।
अविचार
(सं.) [सं-पु.] 1. विवेक का अभाव या सोचने समझने की शक्ति का अभाव; अविवेक; नासमझी 2. जिसमें विचार का अभाव हो; विचारहीनता। [वि.] अविवेकी; नासमझ।
अविचारित
(सं.) [वि.] 1. जिसपर विचार न किया गया हो; बिना सोचा समझा; अचिंतित; अचीता 2. बिना जाने या समझे किया हुआ।
अविचारी
(सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जिसमें बुद्धि न हो या कम हो; मूर्ख; बेवकूफ़ 2. अज्ञान; अविवेक। [वि.] 1. जो विवेकी न हो या जिसे भले-बुरे का ज्ञान न हो;
अविवेकी; नासमझ 2. उचित-अनुचित का ज्ञान न रखने वाला।
अविच्छिन्न
(सं.) [सं-पु.] 1. अटूट; अखंडित; अविभक्त 2. लगातार; निरंतर।
अविच्छिन्नता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अटूटपन; अविभाज्यता 2. अनवरत जारी रहने का भाव।
अविच्छेद
(सं.) [सं-पु.] जो विभक्त न हो। [वि.] बिना विराम के या बिना रुके या बिना क्रम-भंग के; लगातार; अनवरत।
अविच्छेद्य
(सं.) [वि.] 1. अटूट; अविभाज्य 2. जो विलगाने या अलग करने योग्य न हो।
अविच्युत
(सं.) [वि.] 1. जो अपने स्थान से भ्रष्ट न हुआ हो 2. नित्य; शाश्वत।
अविजित
(सं.) [वि.] जिसे जीता न गया हो; जो पराजित न किया जा सका हो; अपराजित।
अविजेय
(सं.) [वि.] जिसे जीता न जा सके; जिसपर विजय हासिल करना नामुमकिन हो; अजेय; अपराजेय।
अविजेयता
(सं.) [सं-स्त्री.] अविजेय होने की दशा या स्थिति; पराजित न होने की स्थिति; अजेयता; अपराजेयता।
अविज्ञ
(सं.) [वि.] जो प्रवीण न हो; अनाड़ी; अनजान।
अविज्ञात
(सं.) [वि.] 1. जिसे अच्छी तरह जाना न गया हो; अनजाना 2. अस्पष्ट; संदिग्ध।
अविज्ञापित
(सं.) [वि.] 1. जो सूचित न किया गया हो; जिसका ज्ञापन न हुआ हो 2. जो प्रचारित न हो; अप्रचारित।
अविज्ञेय
(सं.) [वि.] 1. जो पहचाना या जाना न जा सके 2. जिसे जानना उचित न हो।
अवित्त
(सं.) [वि.] 1. वित्तरहित; धनहीन; गरीब 2. अप्रसिद्ध; अविख्यात 3. अज्ञात; अपरिचित।
अवित्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वित्त या धन न होने की अवस्था या भाव; निर्धनता; गरीबी 2. अप्राप्ति 3. बुद्धिहीनता; मूर्खता। [वि.] 1. मूर्ख 2. जिसे प्राप्त न हुआ हो।
अविदग्ध
(सं.) [वि.] 1. जो अच्छी तरह पका न हो 2. जो पचा न हो 3. अशिक्षित 4. अनुभवहीन; नौसिखिया 5. अधकचरा 6. गँवार 7. अधजला 8. मूर्ख; पागल। [सं-पु.] भेड़ का दूध।
अविद्यमान
(सं.) [वि.] 1. जो विद्यमान या उपस्थित न हो; अनुपस्थित 2. असत; झूठ; मिथ्या 3. जिसका अस्तित्व स्थायी न हो।
अविद्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विद्या का अभाव; अज्ञान 2. विपरीत या मिथ्या ज्ञान 3. भ्रांति 4. माया 5. कर्मकांड 6. (सांख्य दर्शन) प्रकृति; जड़ पदार्थ।
अविधिक
(सं.) [सं-पु.] विधान या विधि का अभाव; अविधान; अविधि। [वि.] जो विधान या विधि के अनुसार ठीक न हो; विधिविरुद्ध; निषिद्ध।
अविधेय
(सं.) [वि.] 1. जो वैधानिक न हो; अवैधानिक 2. अकरणीय; अकर्तव्य।
अविनय
(सं.) [सं-पु.] 1. विनय या नम्रता का अभाव; अशिष्टता 2. ढिठाई; उद्दंडता 3. धृष्टता; गुस्ताख़ी 4. उजड्डपन 5. घमंड।
अविनश्वर
(सं.) [सं-पु.] धर्मग्रंथों द्वारा मान्य वह सर्वोच्च सत्ता जो सृष्टि की स्वामिनी है; ईश्वर; भगवान। [वि.] सदा रहने वाला; शाश्वत; नित्य; अविनाशी।
अविनाश
(सं.) [सं-पु.] 1. अक्षय रहने की स्थिति 2. नित्यता; शाश्वता।
अविनाशी
(सं.) [वि.] 1. नाशरहित; अक्षय 2. नित्य; शाश्वत। [सं-पु.] ईश्वर।
अविभाजित
(सं.) [वि.] 1. जिसे बाँटा न गया हो; जिसका विभाजन न किया गया हो 2. अखंड; मुकम्मिल; पूर्ण।
अविभाज्य
(सं.) [वि.] जो विभाजित न किया जा सके; जिसे बाँटा न जा सके। [सं-पु.] वह राशि जिसे किसी भाजक से भाग न दिया जा सके।
अविभाज्यता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विभाजित न हो सकने का गुण-धर्म; अविच्छेद्यता 2. किसी राशि की वह ख़ासियत जिसके चलते स्वयं के अतिरिक्त किसी अन्य भाजक से उसका भाग न हो
सके, जैसे- 3, 7, 11, 13 की संख्या।
अविरत
(सं.) [सं-पु.] विराम का अभाव; नैरंतर्य; निरंतरता। [वि.] 1. विरामरहित; निरंतर; लगातार 2. अनिवृत्त; लगा हुआ। [अव्य.] हमेशा; सदा।
अविरति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विराम का अभाव 2. आसक्ति; लीनता 3. अशांति 4. व्यभिचार 5. ऐसा आचरण जो धर्मशास्त्रों के अनुकूल न हो।
अविरल
(सं.) [वि.] 1. अविच्छिन्न; लगातार; अविरत 2. मिला या सटा हुआ 3. घना; सघन।
अविराम
(सं.) [क्रि.वि.] बिना रुके हुए; निरंतर; लगातार। [वि.] विरामहीन।
अविरोध
(सं.) [सं-पु.] 1. विरोध का अभाव 2. सामंजस्य।
अविलंब
(सं.) [क्रि.वि.] बिना विलंब के; तुरंत; शीघ्र; झटपट; फटाफट। [वि.] विलंबरहित। [सं-पु.] विलंब का अभाव।
अविलेय
(सं.) [वि.] 1. जो विलीन न किया जा सके 2. जो घुलाया न जा सके; अघुलनशील।
अविवाहित
(सं.) [वि.] जिसकी शादी न हुई हो; बिना ब्याहा; कुवाँरा।
अविवाहिता
(सं.) [सं-स्त्री.] वह स्त्री जिसका विवाह न हुआ हो; गैरशादीशुदा।
अविविक्त
(सं.) [वि.] 1. अविवेचित 2. विवेकरहित 3. सार्वजनिक 4. भेदरहित।
अविवेक
(सं.) [सं-पु.] 1. विवेक का अभाव; अविचार 2. अज्ञान; नादानी 3. अन्याय 4. (न्यायदर्शन) विशेष ज्ञान का अभाव 5. (सांख्यदर्शन) मिथ्याज्ञान।
अविवेकपूर्ण
(सं.) [वि.] 1. विवेकरहित; बिना विचारे किया गया 2. नासमझी से भरा; मूर्खतापूर्ण।
अविवेकी
(सं.) [वि.] विवेकहीन; जो विचारवान न हो; नासमझ।
अविश्रांत
(सं.) [वि.] 1. जो थकने वाला न हो 2. अविराम 3. जो क्षतिग्रस्त न हो। [क्रि.वि.] लगातार।
अविश्वसनीय
(सं.) [वि.] 1. जिसपर विश्वास या भरोसा न किया जा सके; गैरभरोसेमंद 2. आश्चर्य में डालने वाला; विस्मय पैदा करने वाला।
अविश्वसनीयता
(सं.) [सं-स्त्री.] विश्वसनीय या भरोसेमंद न होने का अवगुण या कमज़ोरी; विश्वास के लिए अपात्रता।
अविश्वस्त
(सं.) [वि.] 1. जिसपर विश्वास न किया जा सके या जिसपर विश्वास न हो 2. संदिग्ध।
अविश्वास
(सं.) [सं-पु.] 1. विश्वास न होने का भाव; बेएतिबारी 2. शंका; संदेह।
अविश्वास्य
(सं.) [वि.] अविश्वसनीय; विश्वास न करने योग्य; जो भरोसे के क़ाबिल न हो।
अविसर्गी
(सं.) [वि.] न हटने वाला; न छोड़ने वाला; लगातार बने रहने वाला (ज्वर आदि)।
अविस्मरणीय
(सं.) [वि.] 1. जो भूलने योग्य न हो 2. अमिट साख और सम्मान वाला (व्यक्ति) 3. अमिट छाप वाली (घटना-परिघटना)।
अविहित
(सं.) [सं-पु.] 1. जो विहित या उचित न हो; अनुचित 2. अकर्तव्य 3. निषिद्ध 4. शास्त्रविरुद्ध।
अवृत्त
(सं.) [वि.] 1. जिसे रोका न गया हो या जिसमें कोई रुकावट न हो 2. बिना चुना हुआ 3. अरक्षित 4. जो किसी के अधीन न हो।
अवृत्ति
(सं.) [वि.] 1. अस्तित्वहीन; स्थितिविहीन 2. आजीविकाविहीन। [सं-स्त्री.] 1. स्थिति का अभाव 2. जीविका का अभाव।
अवृथा
(सं.) [क्रि.वि.] 1. सफलतापूर्वक 2. व्यर्थ न होने का भाव। [वि.] जो व्यर्थ न हो।
अवृद्धिक
(सं.) [वि.] 1. बिना वृद्धि या ब्याज का (धन) 2. न बढ़ने वाला। [सं-पु.] मूल धन।
अवृष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] वर्षा का अभाव; अवर्षण; सूखा।
अवेक्षण
(सं.) [सं-पु.] 1. अवलोकन; देखना 2. निरीक्षण 3. जाँच-पड़ताल। [वि.] देखभाल करने वाला।
अवेक्षणीय
(सं.) [वि.] 1. दर्शन करने या देखने योग्य 2. जाँच के लायक; परीक्षा योग्य 3. जिसपर कानून के अनुरूप अधिकारियों का ध्यान देना आवश्यक हो।
अवेक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अधिकारी द्वारा उचित कार्रवाई करने के उद्देश्य से किसी अपराध या दोष की ओर ध्यान देने की क्रिया 2. अच्छी तरह जाँच करने के लिए देखने की
क्रिया 3. किसी चीज़ या कार्य की देख-रेख करते हुए उसे बनाए रखने और अच्छी तरह चलाए रखने की क्रिया या भाव।
अवेद्य
(सं.) [वि.] 1. जो जाना न जा सके; अज्ञेय 2. जो प्राप्त न हो सके; अलभ्य। [सं-पु.] बछड़ा।
अवेस्ता
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] पारसियों का मूल धर्मग्रंथ।
अवैज्ञानिक
(सं.) [वि.] 1. जो वैज्ञानिक न हो 2. अतार्किक; असंगत 3. सिर्फ़ परंपरा या धारणावश अपनाया हुआ।
अवैतनिक
(सं.) [वि.] 1. बिना वेतन के; वेतनहीन 2. मानद।
अवैदिक
(सं.) [वि.] 1. वेदविरुद्ध 2. जो वेदोक्त न हो।
अवैध
(सं.) [वि.] 1. विधिविरुद्ध; जो वैध न हो; गैरकानूनी 2. अनाधिकार; अनधिकृत 3. समाज या मानवताविरोधी।
अवैधता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विधिविरुद्धता 2. अनाधिकृति 3. मर्यादाविहीनता।
अवैधाचरण
(सं.) [सं-पु.] 1. विधिविरुद्ध आचरण 2. अमर्यादित व्यवहार।
अवैधानिक
(सं.) [वि.] विधिविरुद्ध; कानून के ख़िलाफ़।
अवैमत्य
(सं.) [सं-पु.] मतभेद का अभाव; ऐकमत्य। [वि.] 1. जिसमें वैमत्य या मतभेद न हों 2. सर्वसम्मत।
अवैयक्तिक
(सं.) [वि.] 1. जो व्यक्तिगत न हो 2. जो किसी का निजी न हो; सार्वजनिक; सामान्य।
अव्यक्त
(सं.) [वि.] 1. जो व्यक्त न हो; अकथित; अकह 2. अप्रकट; अदृश्य 3. अज्ञात 4. अज्ञेय 5. अनाविर्भूत 6. अनिश्चित। [सं-पु.] 1. ब्रह्म 2. आत्मा 3. शिव 4. विष्णु 5.
कामदेव 6. सूक्ष्म शरीर 7. मूल प्रकृति 8. अविद्या।
अव्यपेत यमक
(सं.) [सं-पु.] यमक अलंकार का एक भेद; जब यमक में आवृत्त होने वाले पद या वर्ण एक-दूसरे के समीप होते हैं।
अव्यय
(सं.) [वि.] 1. अविकारी; एकरस रहने वाला 2. आदि-अंत से रहित; अक्षय 3. नित्य; सदा-सर्वदा बने रहने वाला। [सं-पु.] 1. व्याकरण की एक कोटि 2. (पुराण) ब्रह्मा, शिव
एवं विष्णु।
अव्ययशील
(सं.) [वि.] 1. हमेशा एक-सा बना रहने वाला 2. नित्य; अक्षय।
अव्ययीभाव
(सं.) [सं-पु.] 1. समास का एक भेद, जहाँ पूर्वपद अव्यय होता है, जैसे- यथाशक्ति 2. व्यय का अभाव 3. व्यय या ख़र्च न करने का स्वभाव; कंजूसी।
अव्यर्थ
(सं.) [वि.] 1. न चूकने वाला; अचूक 2. जो लाभ, यश आदि की दृष्टि से ठीक हो या सही उपयोग में हो; सार्थक; सफल।
अव्यवस्था
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. व्यवस्था का अभाव; व्यवस्थाहीनता 2. बदइंतज़ामी 3. अनुशासनहीनता 4. अराजकता।
अव्यवस्थित
(सं.) [वि.] 1. व्यवस्थाविहीन; विशृंखल 2. असहज 3. जो ठीक क्रम से न हो; बेतरतीब।
अव्यवहार्य
(सं.) [वि.] 1. जो व्यवहार या काम में लाने योग्य न हो 2. जो व्यवहार में न लाया जा सके 3. पतित; जाति से बाहर किया हुआ।
अव्यवहृत
(सं.) [वि.] जो व्यवहार या अमल में न लाया गया हो।
अव्याख्य
(सं.) [वि.] व्याख्या के अयोग्य या जिसकी व्याख्या या स्पष्टीकरण न हो सकती हो।
अव्याख्येय
(सं.) [वि.] 1. जिसकी व्याख्या न की जा सके; जिसे स्पष्ट न किया जा सके 2. जो समझ में आने योग्य न हो।
अव्यापी
(सं.) [वि.] 1. जो सर्वत्र व्याप्त न हो 2. परिच्छिन्न; सीमित 3. जो सामान्य न हो; विशेष।
अव्याप्त
(सं.) [वि.] 1. जो सर्वत्र व्याप्त न हो 2. परिच्छिन्न।
अव्याप्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. व्याप्ति का न होना 2. अधूरी व्याप्ति 3. लक्षणों का लक्ष्य पर पूरी तरह घटित न होना।
अव्यावहारिक
(सं.) [वि.] 1. जो व्यावहारिक न हो 2. जो व्यवहार या अमल में लाने योग्य न हो 3. यथार्थ से जी चुराने वाला; आदर्शवादी 4. फ़ितूरी 5. पतित।
अव्यावहारिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अव्यवहार्यता; व्यवहार में न लाए जा सकने की स्थिति 2. व्यावहारिक न होने की प्रकृति या स्वभाव 3. फ़ितूरियत 4. आदर्शवादिता।
अव्याहत
(सं.) [वि.] 1. व्याघातरहित; अबाधित 2. जिसका भंजन न हुआ हो या जो टूटा हुआ न हो; अभंजित; अक्षत 3. जिसमें अवरोध न हो या बिना अवरोध का; अवरोधहीन; अकंटक।
अव्वल
(अ.) [वि.] 1. प्रथम; पहला 2. सर्वश्रेष्ठ; सर्वोत्तम 3. मुख्य; प्रधान।
अशक्त
(सं.) [वि.] 1. कमज़ोर; शक्तिविहीन 2. अक्षम; असमर्थ 3. अयोग्य।
अशक्तता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. असमर्थता 2. शक्तिहीनता; कमज़ोरी 3. अयोग्यता।
अशक्य
(सं.) [वि.] 1. जो सध न सके; असाध्य 2. जो हो न सके; असंभव 3. जो क़ाबू में न किया जा सके 4. अशक्त।
अशक्यता
(सं.) [सं-स्त्री.] क्षमताहीन या अक्षम होने की अवस्था या भाव; अक्षमता; असमर्थता।
अशन
(सं.) [सं-पु.] 1. भोजन 2. भोज्य पदार्थ 3. भक्षण 4. प्रवेश; व्याप्ति 5. पहुँच।
अशनि
(सं.) [सं-पु.] आकाश में सहसा क्षण भर के लिए दिखाई देने वाला वह प्रकाश जो बादलों में वातावरण की विद्युत शक्ति के संचार के कारण होता है; विद्युत; तड़ित;
वज्र; चपला।
अशनिपात
(सं.) [सं-पु.] आकाश में बिजली चमकने और बादल गरजने के बाद पृथ्वी पर बिजली का गिरना; वज्रपात; वज्राघात; विद्युत्पात; बिजली गिरना।
अशरण
(सं.) [वि.] जिसका कोई सहारा न हो; असहाय; निस्सहाय; बेसहारा।
अशरणशरण
(सं.) [सं-पु.] ईश्वर; भगवान। [वि.] अशरण को शरण देने वाला।
अशरफ़
(फ़ा.) [वि.] बहुत शरीफ़; उच्च; श्रेष्ठ।
अशरफ़ी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] सोने का सिक्का या मुहर।
अशांत
(सं.) [वि.] 1. जो शांत न हो; अस्थिर; बेचैन 2. असहज 3. क्षुब्ध 4. असंतुष्ट।
अशांति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अस्थिरता; बेचैनी 2. क्षोभ; खलबली 3. उद्विग्नता 4. असंतोष।
अशासकीय
(सं.) [वि.] 1. जो शासन या राज-काज से संबंधित न हो 2. गैरसरकारी।
अशास्त्रीय
(सं.) [वि.] जो शास्त्र या शास्त्रों के विचार से उचित न हो; शास्त्रविरुद्ध; अविहित।
अशिक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. शिक्षा का अभाव; अशिक्षित या अनपढ़ होने की स्थिति 2. गँवारपन।
अशिक्षित
(सं.) [वि.] अनपढ़; बिना पढ़ा-लिखा; जिसने शिक्षा न पाई हो।
अशित
(सं.) [वि.] जिसे पहले किसी ने खा लिया हो; जूठा; भुक्त; भक्षित।
अशिर
(सं.) [वि.] 1. सूर्य 2. अग्नि 3. वायु 4. हीरा 5. एक राक्षस।
अशिव
(सं.) [वि.] 1. अकल्याणकारी 2. अमंगलसूचक 3. डरावना। [सं-पु.] 1. अहित; अकल्याण 2. दुर्भाग्य 3. अमंगल।
अशिष्ट
(सं.) [वि.] 1. असभ्य 2. बेहूदा; उजड्ड 3. अविनीत 4. मगरूर; घमंडी।
अशिष्टता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अशिष्ट व्यवहार 2. असभ्यता; अभद्रता 3. अविनय; धृष्टता 4. उजड्डपन 5. मगरूरियत।
अशिष्टतापूर्वक
(सं.) [क्रि.वि.] 1. अभद्रतापूर्वक 2. धृष्टतापूर्वक 3. रुखाई से।
अशुचि
(सं.) [वि.] 1. नापाक; अपवित्र 2. मैला-कुचैला; गंदा 3. काला। [सं-स्त्री.] 1. अपवित्रता 2. अपकर्ष।
अशुचिता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपवित्रता 2. गंदगी; मैलापन 3. अपकर्ष 4. कालापन।
अशुद्ध
(सं.) [वि.] 1. अपवित्र; नापाक 2. मिलावटी 3. अशोधित 4. लिखते व पढ़ते समय उच्चारण व वर्तनी संबंधी होने वाली गलती या भूल।
अशुद्धता
(सं.) [सं-स्त्री.] दे. अशुद्धि।
अशुद्धि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अशुद्धता 2. गंदगी 3. वर्तनी व उच्चारण संबंधी भूल या गलती 4. मिलावट।
अशुभ
(सं.) [वि.] 1. अमंगलकारी 2. अकल्याणकारी 3. अनिष्टकारी 4. भाग्यहीन। [सं-पु.] 1. पाप 2. दुर्भाग्य 3. अमंगल 4. अनिष्ट।
अशुश्रूषा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. देखभाल, सेवा-टहल या परिचर्या में कमी 2. अभिभावक की अपेक्षाओं को पूरा न करने का अपराध।
अशेष
(सं.) [वि.] 1. अनंत 2. पूरा; समूचा; मुकम्मल 3. अपार 4. असंख्य।
अशोक
(सं.) [सं-पु.] 1. वर्ष भर हरा रहने वाला एक वृक्ष 2. कटुक 3. मौर्य वंश का एक प्रसिद्ध सम्राट। [वि.] शोकरहित।
अशोकचक्र
(सं.) [सं-पु.] अशोकस्तंभ के ऊपर का चक्र जो भारत संघ का राष्ट्रीय प्रतीक है।
अशोकस्तंभ
(सं.) [सं-पु.] सम्राट अशोक का राजकीय स्तंभ।
अशोधित
(सं.) [वि.] जिसका शोधन न किया गया हो; जो साफ़ न किया हुआ हो।
अशोध्य
(सं.) [वि.] 1. जिसका शोधन न हो सके; जो साफ़ न किया जा सके 2. जो (विषय) शोध करने लायक न हो।
अशोभन
(सं.) [वि.] 1. असुंदर 2. अभद्र 3. अरुचिकर; अप्रिय 4. न फबने वाला; न जमने वाला।
अशोभनीय
(सं.) [वि.] 1. जो शोभनीय न हो; असुंदर 2. अभद्र 3. भद्दा; गंदा; अनुचित; अवांछनीय; गर्हित।
अशौच
(सं.) [सं-पु.] 1. हिंदू धर्मानुसार अपवित्र होने की अवस्था या भाव; अपवित्रता; अपावनता 2. हिंदू धर्मशास्त्र के अनुसार परिवार में किसी के जन्म लेने या मृत्यु
होने पर परिवार वालों को लगने वाली अशुद्धि; सूतक 3. मलिन होने की अवस्था या भाव; मलिनता; गंदगी।
अश्म
(सं.) [सं-पु.] 1. लोहा 2. पत्थर 3. चकमक 4. पहाड़ 5. बादल।
अश्मज
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का काला रसीला खनिज पदार्थ जो नलों आदि के जोड़ों पर लगाया जाता है, ताकि जल न गिरे; (एस्फाल्ट) 2. काले रंग की एक धातु जिससे बरतन,
हथियार, यंत्र आदि बनते हैं; लोहा 3. पहाड़ों की चट्टानों से निकलने वाली एक प्रसिद्ध पौष्टिक काली औषधि; शिलाजीत; अगज।
अश्मन
(सं.) [सं-पु.] पत्थर हो जाने की क्रिया।
अश्ममूर्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] पत्थर से बने सिर और हाथ-पैर वाली प्रतिमा। यूनानी कला के इस मूर्ति प्रकार में ऊपरी तथा किनारे के भाग पत्थर के बने होते हैं और कबंध प्रायः
काष्ठ-निर्मित।
अश्मरी
(सं.) [सं-स्त्री.] एक रोग जिसमें गुर्दा, मूत्राशय आदि में पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़े बन या जम जाते हैं; पथरी।
अश्रद्धा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. श्रद्धा का अभाव 2. अविनय 3. अविश्वास; अनास्था।
अश्राव्य
(सं.) [वि.] जो सुनने योग्य न हो; जो सुना न जा सके। [सं-पु.] स्वगत कथन।
अश्रु
(सं.) [सं-पु.] आँसू।
अश्रुगैस
(सं.+इं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार की गैस जिससे आँखों से आँसू बहने लगते हैं और जिसका प्रयोग भीड़ को तितर-बितर करने के लिए किया जाता है; आँसू गैस।
अश्रुगोला
(सं.) [सं-पु.] आँसू गैस का गोला।
अश्रुत
(सं.) [वि.] 1. न सुना हुआ 2. अवैदिक।
अश्रुपात
(सं.) [सं-पु.] रोने की क्रिया; रुलाई; रोना; रुदन।
अश्रुपूर्ण
(सं.) [वि.] आँसुओं से भरा हुआ; आँसुओं से डबडबाया।
अश्लथ
(सं.) [वि.] 1. जो शिथिल, सुस्त या ढीला न हो; जो थका न हो 2. जो बिखरा हुआ न हो; चुस्त-दुरुस्त।
अश्लिष्ट
(सं.) [वि.] अश्लेष।
अश्लील
(सं.) [वि.] 1. जो नैतिक व सामाजिक आदर्शों से परे हो 2. जिसमें शील न हो; फूहड़; भद्दा; अमर्यादित; गंदा 3. घृणास्पद 4. लज्जाप्रद।
अश्लीलता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अश्लील होने की अवस्था या भाव 2. फूहड़पन; भद्दापन 3. नैतिक व सामाजिक शिष्टता से परे कोई कार्य 4. (भारतीय काव्यशास्त्र) एक काव्यदोष,
जिसके तीन भेद किए गए हैं- व्रीड़ाव्यंजक, जुगुप्साव्यंजक और अमंगलव्यंजक। यह शब्दगत और भावगत दोनों स्तरों पर होती है।
अश्लेष
(सं.) [वि.] 1. श्लेषरहित; जो बहुलार्थी न हो 2. असंयुक्त।
अश्व
(सं.) [सं-पु.] घोड़ा; तुरंग।
अश्वक
(सं.) [सं-पु.] 1. छोटा घोड़ा 2. भाड़े का टट्टू 3. एक सामन्य का घोड़ा।
अश्वतर
(सं.) [सं-पु.] 1. एक तरह का साँप 2. एक गंधर्व 3. गधे और घोड़ी के संयोग से उत्पन्न एक पशु; खच्चर।
अश्वत्थ
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रसिद्ध बड़ा वृक्ष जो हिंदुओं तथा बौद्धों में बहुत पवित्र माना जाता है; पीपल; क्षीरद्रुम; महाद्रुम 2. पीपल का गोदा 3. सूर्य का एक नाम
4. पीपल में फल आने का काल 5. अश्विनी नक्षत्र।
अश्वत्थामा
(सं.) [सं-पु.] (महाभारत) कौरव पक्ष का एक महारथी; द्रोणाचार्य का पुत्र।
अश्वमेध
(सं.) [सं-पु.] 1. वह यज्ञ जिसमें चक्रवर्ती सम्राट घोड़े के मस्तक पर जयपत्र बाँधकर भूमंडल भ्रमण के लिए छोड़ता था और घोड़े को रास्ते में रोकने वालों को युद्ध
में पराजित कर विश्वविजय करते हुए अंततः उस घोड़े को मार कर उसकी चरबी से हवन करता था 2. (संगीत) एक ख़ास तान जिसमें षड्ज स्वर नहीं होता।
अश्वशाला
(सं.) [सं-स्त्री.] घोड़ों के रहने का स्थान; अस्तबल; घुड़साल।
अश्वस्तन
(सं.) [वि.] 1. आज का; आज से संबंधित 2. अगले दिन की चिंता न करने वाला।
अश्वायुर्वेद
(सं.) [सं-पु.] वह शास्त्र जिसमें घोड़ों के रोगादि का वर्णन रहता है; शालिहोत्र।
अश्वारोह
(सं.) [वि.] जो घोड़े पर सवार हो; अश्वारूढ़। [सं-पु.] 1. घोड़े की सवारी करने वाला; घुड़सवार 2. घुड़सवारी।
अश्वारोहण
(सं.) [सं-पु.] घोड़े की सवारी करने की क्रिया; घुड़सवारी।
अश्वारोही
(सं.) [वि.] घुड़सवार।
अश्विन
(सं.) [सं-पु.] 1. वह माह जिसमें चंद्रमा अश्विनी नक्षत्र के निकट होता है; क्वार 2. अश्विनीकुमार द्वारा अधिष्ठापित यज्ञ 3. एक प्राचीन वैदिक देवता का नाम।
अश्विनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. घोड़ी 2. सूर्य की पत्नी प्रभा जिसने घोड़ी का रूप धारण किया था 3. सत्ताईस नक्षत्रों में से पहला नक्षत्र 4. एक सुगंधित वनस्पति; जटामासी।
अश्विनीकुमार
(सं.) [सं-पु.] सूर्य के दो पुत्र जो देवताओं के वैद्य माने जाते हैं; देवचिकित्सक; यमज।
अषाढ़
(सं.) [सं-पु.] दे. आषाढ़।
अष्ट
(सं.) [वि.] सात से एक अधिक या नौ से एक कम; आठ। [सं-पु.] आठ की संख्या।
अष्टक
(सं.) [सं-पु.] 1. आठ चीज़ों, वर्गों, अवधारणाओं, गुणों-अवगुणों आदि का समूह या योग 2. आठ अवगुणों का समूह- पिशुनता, साहस, द्रोह, ईर्ष्या, असूया, अर्थदूषण,
वाग्दंड और पारुष्य 3. आठ ऋषियों का एक गण 4. विश्वामित्र का एक पुत्र 5. आठ श्लोकों के समूह का एक काव्य-रूप।
अष्टकोणीय
(सं.) [वि.] आठ कोणों वाला; अठकोना; अठपहलू।
अष्टछाप
(सं.) [सं-पु.] गोसाईं विट्ठलनाथ द्वारा स्थापित आठ कवियों का दल, जिसमें शामिल हैं- सूरदास, कुंभनदास, परमानंददास, कृष्णदास, छीतस्वामी, गोविंदस्वामी,
चतुर्भुजदास और नंददास।
अष्टधातु
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आठ धातुएँ- सोना, चाँदी, सीसा, ताँबा, राँगा, जस्ता, लोहा और पारा 2. इन आठों धातुओं का मिश्रित धातुरूप।
अष्टपदी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आठ पदों वाला एक छंद 2. एक प्रकार का गीत 3. चमेली की एक किस्म 4. बेले का फूल और पौधा।
अष्टपाद
(सं.) [वि.] आठ पैरोंवाला। [सं-पु.] आठ पैरों वाला जंतु या कीट; शरभ; मकड़ा।
अष्टभुज
(सं.) [सं-पु.] आठ भुजाओं वाली आकृति या क्षेत्र। [वि.] आठ भुजाओं वाला।
अष्टभुजीय
(सं.) [वि.] अष्टभुजा वाला।
अष्टम
(सं.) [वि.] आठवाँ; क्रमिक रूप से आठवें स्थान वाला।
अष्टमी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. शुक्ल या कृष्ण पक्ष की आठवीं तिथि 2. क्षीरकाकोली; वनौषधि काकोली का एक भेद जो अष्टवर्ग के अंतर्गत है।
अष्टयाम
(सं.) [सं-पु.] हिंदी का एक निजी काव्य-रूप, जिसमें कथा-प्रबंध नहीं होता बल्कि उसमें अवतरित भगवान या नायक-नायिका की दैनंदिन चर्या का वर्णन होता है। आचार्य
शुक्ल ने इसे वर्णनात्मक प्रबंध कहा है।
अष्टवर्ग
(सं.) [सं-पु.] 1. आठ औषधियाँ 2. शुभाशुभ जानने का एक चक्र 3. नीतिशास्त्र के अनुसार राज्य के आठ अंग।
अष्टसखा
(सं.) [सं-पु.] कृष्ण की बाल एवं किशोर लीला के आठ आत्मीय संगी- कृष्ण, तोक, अर्जुन, ऋषभ, सुबल, श्रीदामा, विशाल और भोज।
अष्टसखी
(सं.) [सं-स्त्री.] राधा की आठ परम श्रेष्ठ सखियाँ- ललिता, विशाखा, चंपकलता, रंगदेवी, चित्रा, सुदेवी, तुंगविद्या, और इंदुलेखा। अंतिम चार के स्थान पर क्रमशः
सुमित्रा, सुंदरी, तुंगदेवी और इंदुरेखा नाम भी मिलते हैं।
अष्टसिद्धि
(सं.) [सं-स्त्री.] आठ प्रकार की सिद्धियाँ- अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व।
अष्टांग
(सं.) [सं-पु.] 1. शरीर के आठ अंग जिनसे साष्टांग प्रणाम किया जाता है- घुटना, हाथ, पाँव, छाती, सिर, वचन, दृष्टि और बुद्धि 2. अर्घ्य, जो इन आठ पदार्थों से
युक्त होता है- जल, दूध, घृत, मधु, दही, रक्त, चंदन, कनेर और कुशा।
अष्टांग मार्ग
(सं.) [सं-पु.] बुद्ध ने दुख-निवृत्ति के जिस आठ अंगों वाले मार्ग का उपदेश दिया- सम्यग्दृष्टि, सम्यक्संकल्प, सम्यग्वाक्, सम्यक्कर्म, सम्यगाजीव,
सम्यग्व्यायाम, सम्यक्स्मृति और सम्यक्समाधि।
अष्टांग योग
(सं.) [सं-पु.] योग-साधना के आठ अंग- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि।
अष्टाक्षर
(सं.) [वि.] आठ अक्षरोंवाला। [सं-पु.] 'ओम् नमो नारायणाय' का मंत्र।
अष्टाध्यायी
(सं.) [सं-पु.] पाणिनी द्वारा रचित एक प्रसिद्ध व्याकरण ग्रंथ। [वि.] आठ अध्यायोंवाला।
अष्टावक्र
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रसिद्ध ऋषि जिनके आठ अंग टेढ़े थे जो बहुत ही कुरूप थे 2. टेढ़े-मेढ़े अंगों वाला मनुष्य।
अष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सोलह वर्णों का एक वृत्त; सोलह मात्राओं का एक छंद 2. बीज।
अष्ठीला
(सं.) [सं-पु.] 1. नाभि के नीचे शोथ हो जाने वाला एक रोग, इसमें पुरस्थ ग्रंथि के बढ़ जाने से पेशाब में रुकावट होती है 2. गिरी 3. बीज 4. गुर्दे की बीमारी 5.
पत्थर की गोली।
असंकलित
(सं.) [वि.] जिसका संकलन न हुआ हो; बिखरा हुआ।
असंकुचित
(सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई संकोच न हो; जिसे घटाया या सिकोड़ा न गया हो 2. निर्द्वंद्व; दुविधारहित 3. असंकोची; जो दीन-हीन न हो।
असंकुल
(सं.) [वि.] 1. जहाँ भीड़-भाड़ न हो 2. खुला हुआ 3. चौड़ा 4. विस्तीर्ण।
असंक्रांत
(सं.) [वि.] 1. जिसका अन्यत्र संक्रमण न हुआ हो 2. जिसमें किसी और का संक्रमण न हुआ हो। [सं-पु.] अधिकमास; मलमास।
असंख्य
(सं.) [वि.] 1. जिसकी कोई संख्या न हो; अनगिनत 2. बेशुमार; बेहिसाब 3. काफ़ी तादाद वाला।
असंख्यक
(सं.) [वि.] असंख्य; अनगिनत।
असंगठित
(सं.) [वि.] 1. जो संगठित न हो 2. ढीला-ढाला 3. बिना तालमेल का; बेतरतीब।
असंगत
(सं.) [वि.] 1. अनुचित; अयुक्त; नामुनासिब 2. बेमेल; प्रसंगविरुद्ध; अप्रासंगिक 3. असंबद्ध; अलग।
असंगतता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. संगत न होने का भाव; अयुक्तता; अनौचित्य 2. अप्रासंगिकता 3. असंबद्धता।
असंगति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बेमेल होना 2. अनौचित्य 3. अर्थालंकार का एक भेद, जिसमें कार्य-कारण या देश-काल संबंधी असंगतियाँ मौजूद होती हैं।
असंतुलन
(सं.) [सं-पु.] 1. संतुलन का अभाव; संतुलन का न होना 2. अनुपातहीनता; बेमेलपन; बेडौलपन 3. अस्थिरता।
असंतुलित
(सं.) [वि.] 1. जिसमें संतुलन न हो; अस्थिर; लड़खड़ाया हुआ 2. जिसका ख़ुद पर नियंत्रण न हो 3. अनुपातहीन; बेडौल; बेमेल।
असंतुष्ट
(सं.) [वि.] 1. जो संतुष्ट न हो 2. रुष्ट; नाराज़; अप्रसन्न 3. क्षुब्ध।
असंतृप्त
(सं.) [वि.] 1. जो पूरी तरह तृप्त न हो 2. (ऐसा घोल या विलयन) जिसमें घुलाने की क्षमता अभी बाक़ी हो 3. असंतुष्ट।
असंतोष
(सं.) [सं-पु.] 1. नाख़ुशी; नाराज़गी; अप्रसन्नता 2. अतृप्ति 3. लोभ 4. बेसब्री।
असंतोषजनक
(सं.) [वि.] 1. असंतोष या विक्षोभ पैदा करने वाला 2. नाख़ुश या नाराज़ करने वाला 3. अधीर या बेसब्र बनाने वाला।
असंतोषपूर्वक
(सं.) [क्रि.वि.] असंतोष या नाख़ुशी के साथ; शिकवा-शिकायत करते हुए।
असंदिग्ध
(सं.) [वि.] 1. संदेहरहित; निर्विवाद; यकीनी; शक-शुबहा से परे 2. निश्चित; पक्का।
असंपूर्णता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. असंपूर्ण होने की अवस्था या भाव; अपूर्ण; असमाप्ति 2. अधूरापन।
असंपृक्त
(सं.) [वि.] 1. असंबद्ध; जो किसी के साथ मिला या जुड़ा न हो 2. अलग; पृथक 3. कोई सरोकार न रखने वाला; उदासीन।
असंप्रेषणीय
(सं.) [वि.] जिसे संप्रेषित न किया जा सके; जो संप्रेषण के योग्य न माना जाए।
असंबद्ध
(सं.) [वि.] 1. जो संबद्ध या जुड़ा हुआ न हो; पृथक 2. बेमेल; तारतम्यहीन 3. अप्रासंगिक; असंगत।
असंबद्धता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. असंबद्ध होने की अवस्था या भाव; जुड़ाव या लगाव का न होने की अवस्था 2. असंगति; अप्रासंगिकता 3. अलगाव; पृथकता 4. तारतम्यहीनता।
असंभव
(सं.) [वि.] जो संभव न हो; जो कभी घटित न हो सकता हो; नामुमकिन। [सं-पु.] 1. (काव्यशास्त्र) अर्थालंकार का एक भेद जिसमें यह दर्शाया जाता है कि जो बात हो गई
उसका होना असंभव था 2. असाधारण घटना 3. अनस्तित्व 4. असंभावना।
असंभवता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. असंभव या नामुमकिन होने की अवस्था या भाव 2. जिसके होने की संभावना न हो; असंभावना 3. अस्तित्वहीनता 4. असाधारणता।
असंभावना
(सं.) [सं-स्त्री.] संभावना का अभाव; हो सकने की आशा नहीं होना; असंभवता; अनहोनी।
असंभावित
(सं.) [वि.] जिसकी संभावना न हो; जिसकी उम्मीद या आशा न हो।
असंभावी
(सं.) [वि.] असंभावित।
असंभाव्य
(सं.) [वि.] 1. जो संभव न हो; असंभव; अनहोनी; असंभावित; नामुमकिन 2. जो घटित नहीं हो सकता हो।
असंयत
(सं.) [वि.] 1. संयमरहित 2. बंधनहीन; निरंकुश 3. अनियंत्रित; बेक़ाबू; उग्र 4. अव्यवस्थित।
असंयम
(सं.) [सं-पु.] चित्त की वासना को अनुचित या बुरे मार्गों पर जाने देने की क्रिया या भाव; संयम का अभाव; बदपरहेज़ी; मनमानी।
असंयुक्त
(सं.) [वि.] 1. जो मिला हुआ न हो; जो शामिल न हो; असम्मिलित; असमाविष्ट 2. जो जुड़ा हुआ न हो; असंबद्ध।
असंलक्ष्यक्रम ध्वनि
(सं.) [सं-स्त्री.] ध्वनि का एक भेद, जहाँ वाच्यार्थ से व्यंग्यार्थ की प्रतीति का कोई क्रम लक्षित नहीं होता।
असंवेदनशील
(सं.) [वि.] 1. जिसमें संवेदना या सहृदयता का अभाव हो 2. रूखे स्वभाववाला; सहानुभूतिहीन 3. गैरज़िम्मेदार; मामले की नज़ाकत या गंभीरता पर ध्यान न देने वाला।
असंवैधानिक
(सं.) [वि.] संविधान के प्रावधानों की अवहेलना करने वाला (काम या गतिविधियाँ); संविधानविरोधी; जो संविधानविहित न हो; गैरकानूनी।
असंश्लिष्ट
(सं.) [वि.] 1. जो संश्लिष्ट न हो; जो जोड़ा-मिलाया गया न हो 2. (काव्यशास्त्र) जिसमें कई अर्थों का संश्लेष न हो; असंयुक्त।
असंसदीय
(सं.) [वि.] जो संसद की गरिमा के अनुकूल न हो; (अनपार्लियामेंटरी)।
असंस्कृत
(सं.) [वि.] 1. जो परिष्कृत न हो; जिसका परिष्कार न किया गया हो; अपरिष्कृत; अमार्जित 2. जो सभ्य न हो; असभ्य; अशिष्ट; गँवार; संस्कारहीन।
असंस्थान
(सं.) [सं-पु.] 1. संबंध न होना; उत्तम स्थिति का न होना; अव्यवस्था 2. क्रमबद्धता का अभाव।
अस
[वि.] 1. ऐसा; इस प्रकार का 2. तुल्य; समान; इस जैसा।
असक्त
(सं.) [वि.] 1. आसक्तिरहित; अनासक्त; विरक्त; उदासीन; बेलगाव 2. शक्तिरहित; अशक्त; दुर्बल।
असगंध
(सं.) [सं-पु.] एक झाड़ी जिसकी जड़ दवा के काम में आती है; अश्वगंधा।
असगर
(अ.) [वि.] 1. बहुत छोटा 2. अत्यंत साधारण।
असत
(सं.) [वि.] 1. जिसका अस्तित्व न हो; जो मौजूद न हो; अविद्यमान 2. अनुचित; बुरा 3. मिथ्या। [सं-पु.] 1. अनस्तित्व 2. मिथ्यात्व; झूठ; असत्य 3. अनौचित्य 4. अहित।
असतत
(सं.) [वि.] 1. जिसमें सतता या निरंतरता का अभाव हो; अनियमित 2. {ला-अ.} परिवर्तनशील।
असत्य
(सं.) [वि.] 1. मिथ्या; झूठ 2. गलत। [सं-पु.] 1. गलत बात 2. झुठाई; मिथ्यात्व।
असद
(अ.) [सं-पु.] 1. सिंह; शेर 2. (ज्योतिष) सिंह राशि।
असन्निधि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. असन्नद्धता; तैयार न होने का भाव 2. अनुपस्थिति; दूर होने की स्थिति; वियोग; अभाव।
असफल
(सं. [वि.] जो सफल न हो; विफल; नाकामयाब।
असफलता
(सं.) [सं-स्त्री.] सफल न होने की अवस्था या भाव; विफलता; नाकामयाबी; पराजय; हार।
असबाब
(अ.) [सं-पु.] 1. सामान; सामग्री 2. चीज़; वस्तु 3. मुसाफ़िर के साथ का सामान।
असभ्य
(सं.) [वि.] 1. जिसमें सभ्यता न हो; अशिष्ट 2. गँवार 3. जंगली 4. सामाजिक अवस्था में पिछड़ा हुआ 5. सभा के अयोग्य।
असभ्यता
(सं.) [सं-स्त्री.] असभ्य होने की अवस्था या भाव; गँवारपन; अशिष्टता।
असम1
[सं-पु.] भारत के एक राज्य का नाम।
असम2
(सं.) [वि.] 1. जो सम या बराबर न हो; विषम 2. असदृश 3. बेजोड़; बेमेल 4. ऊँचा-नीचा; नाहमवार 5. असमतल।
असमंजस
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दुविधा; द्वंद्व; अनिश्चय; आगा-पीछा 2. कठिनाई; अड़चन 3. अनौचित्य।
असमता
(सं.) [सं-स्त्री.] असमानता; विषमता; असाम्य।
असमय
(सं.) [वि.] 1. जिसका उपयुक्त समय न हो 2. समय से पहले का। [सं-पु.] 1. कुसमय 2. अनुपयुक्त समय [क्रि.वि.] बेवक्त; बेमौके।
असमर्थ
(सं.) [वि.] 1. अक्षम; अशक्त; दुर्बल 2. अपेक्षित शक्ति या योग्यता न रखने वाला 3. अभीष्ट अर्थ या भाव न बताने वाला, जैसे- असमर्थ पद।
असमर्थता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. समर्थता का अभाव; अयोग्यता 2. अक्षमता; दुर्बलता 3. अयुक्तता; अनुपयुक्तता 4. अस्वीकार्यता।
असमान
(सं.) [वि.] 1. विषम; गैरबराबर 2. भेदभाव वाला 3. असदृश, असमरूप।
असमानता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. समान या बराबर न होने का भाव; गैरबराबरी 2. एक तरह के न होने का भाव; असादृश्य।
असमापिका
(सं.) [सं-स्त्री.] जिससे कार्य के असमाप्त रहने या जारी रहने की सूचना मिले, जैसे- जा कर; खा कर आदि क्रियाएँ।
असमाप्त
(सं.) [वि.] 1. जो समाप्त न हआ हो; जिसका अंत न हुआ हो; अशेष 2. जारी 3. बचा हुआ (भाग)।
असमिया
[सं-स्त्री.] असम की भाषा या लिपि। [सं-पु.] असम का निवासी। [वि.] 1. असम का; असम संबंधी 2. असम में उत्पन्न।
असमी
[वि.] 1. असम प्रांत का रहने वाला 2. असम संबंधी 3. असम की भाषा; असमिया।
असमीचीन
(सं.) [वि.] जो प्रासंगिक या समीचीन न हो; अनुचित; अयुक्त।
असम्मत
(सं.) [वि.] 1. मतभेद रखने वाला; विरुद्ध; असहमत 2. अस्वीकृत; नामंजूर 3. अनादृत। [सं-पु.] 1. विरोध करने वाला; विरोधी 2. शत्रु; दुश्मन।
असम्मति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी बात, कार्य आदि पर सहमत न होने की क्रिया या भाव 2. मतभेद; असहमति 3. अलग राय; अनुचित सम्मति 4. अस्वीकृति।
असम्मान
(सं.) [सं-पु.] निरादर; अनादर; अपमान।
असम्यक
(सं.) [वि.] अप्रासंगिक; अनुचित; बुरा; अपर्याप्त; जिसमें न्याय न हो; अनैतिक।
असर
(अ.) [सं-पु.] 1. प्रभाव; छाप 2. दबाव 3. फल 4. गुण; तासीर।
असरकारी
(अ.) [वि.] जिससे लाभ हो या जो लाभ देने वाला हो; गुणकारी।
असरदार
(अ.+फ़ा.) [वि.] 1. प्रभावशाली 2. छाप डालने वाला 3. गुणकारी।
असल1
(सं.) [सं-पु.] 1. लोहा 2. अस्त्र 3. अस्त्र चलाते वक्त पढ़ा जाने वाला एक मंत्र।
असल2
(अ.) [वि.] प्राकृतिक; वास्तविक; जो बनावटी या कृत्रिम न हो। [सं-पु.] 1. मूल; जड़ 2. आधार; बुनियाद 3. मूलधन।
असलह
(अ.) [सं-पु.] अस्त्र; हथियार।
असलहख़ाना
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] अस्त्र रखने का स्थान; शस्त्रागार।
असलहा
(अ.) [सं-पु.] अस्त्र-शस्त्र; हथियार।
असलियत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. असल होने की अवस्था या भाव; वास्तविकता; सच्चाई; खरापन 2. मौलिकता; यथार्थ; यथार्थता।
असली
(अ.) [वि.] 1. असल; मूल; मौलिक 2. वास्तविक 3. स्वाभाविक; प्राकृतिक 4. सच्चा; खरा 5. ख़ालिस। [मु.] -चेहरा दिखाई देना : वास्तविक रूप देखने में
आना।
असवर्णता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. समान वर्ण का न होना 2. सवर्ण न होना।
असह
(सं.) [वि.] 1. असहिष्णु; असहनशील 2. असह्य 3. अधीर। [सं-पु.] सीने का मध्य भाग।
असहज
(सं.) [वि.] 1. जो सहज न हो; असामान्य; अस्वाभाविक 2. विचलित 3. उद्वेलित; चिंतित।
असहजता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सहज न होने की अवस्था या भाव; असामान्यता; अस्वाभाविकता; अटपटापन 2. विचलन 3. उद्वेलन।
असहनीय
(सं.) [वि.] 1. सहन न कर पाने योग्य; असह्य 2. अत्यंत उग्र; विकट; प्रचंड।
असहमत
(सं.) [वि.] जो सहमत न हो; मतभेद रखने वाला; जिसकी राय न मिलती हो।
असहमति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रज़ामंदी न होने का भाव; नाइत्तफ़ाकी 2. राय न मिलना 3. असम्मति; आपत्ति।
असहयोग
(सं.) [सं-पु.] 1. सहयोग न करने का भाव 2. साथ न देना; साथ मिलकर काम न करना 3. सरकारी कानून या शासन में सहयोग न करना; राजद्रोह 4. गाँधी जी द्वारा चलाया गया
1921 का असहयोग आंदोलन।
असहयोगी
(सं.) [वि.] 1. सहयोग न करने वाला; मिलकर काम न करने वाला 2. विरोध करने वाला; काम में अड़ंगा डालने वाला 3. सत्ता का साथ न देने वाला।
असहाय
(सं.) [वि.] 1. जिसकी कोई सहायता करने वाला न हो; मजबूर 2. निराश्रय 3. अनाथ।
असहिष्णु
(सं.) [वि.] 1. असहनशील; बर्दाश्त न करने वाला 2. झगड़ालू 3. क्रोधी; गुस्सैल; चिड़चिड़ा।
असहिष्णुता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सहिष्णु न होने की अवस्था; असहनशीलता; बर्दाश्त न करना 2. चिड़चिड़ापन 3. झगड़ालू मिज़ाज 4. क्रोध; ग़ुस्सा 5. सख़्त विरोध।
असह्य
(सं.) [वि.] सहनशक्ति के बाहर; असहनीय; नागवार; बर्दाश्त के बाहर।
असांप्रदायिक
(सं.) [वि.] 1. जो किसी संप्रदाय विशेष से संबंधित न हो 2. विचार और आचरण में जो सांप्रदायिक विद्वेष की भावना से मुक्त हो।
असाइनमेंट
(इं.) [सं-पु.] किसी विशेष घटना या समाचार से संबंधित समाचार के संकलन हेतु संवाददाता को सौंपी गई जिम्मेदारी।
असाढ़
[सं-पु.] आषाढ़।
असाढ़ी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह फ़सल जो आषाढ़ में बोई जाए; खरीफ़ 2. आषाढ़ की पूर्णिमा। [वि.] आषाढ़ का।
असाधारण
(सं.) [वि.] 1. जो साधारण न हो; असामान्य; गैरमामूली 2. ख़ास; विशिष्ट 3. महान 4. उल्लेखनीय; अभूतपूर्व; दुर्लभ।
असाधारणीकरण
(सं.) [सं-पु.] असाधारण बनाने की क्रिया या भाव; विशिष्टीकरण।
असाधित
(सं.) [वि.] जो साधा न गया हो; जिसकी साधना नहीं की गई हो; असिद्ध।
असाधु
(सं.) [वि.] 1. असदाचारी 2. खल; दुष्ट 3. असंस्कृत; कुसंस्कारी 4. खोटा 5. अप्रामाणिक। [सं-पु.] बुरा आदमी।
असाध्य
(सं.) [वि.] 1. जो साधा न जा सके; जिसकी सिद्धि संभव न हो 2. जिसका निवारण या हल संभव न हो 3. दुष्कर; दुरूह 4. लाइलाज।
असाध्य साधन
(सं.) [सं-पु.] ऐसा कार्य करना जो सामान्यतः साध्य न हो।
असामंजस्य
(सं.) [सं-पु.] 1. सामंजस्य का अभाव; तालमेल न बिठा पाने की स्थिति 2. अनौचित्य 3. असंगति; प्रतिकूलता 4. बेमेलपन; एकरसता का अभाव।
असामयिक
(सं.) [वि.] 1. बेवक़्त; बेमौका; जो नियत समय पर न हो 2. समय की मौजूदा धारा के विरुद्ध; असमकालीन; असमय; अप्रासंगिक; गैरमौज़ूँ।
असामर्थ्य
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सामर्थ्यविहीनता; क्षमताविहीनता; अक्षमता 2. अयोग्यता; अपात्रता 3. अकुशलता।
असामाजिक
(सं.) [वि.] 1. जो सामाजिक क्रियाकलापों के प्रति उदासीन हो; जो मिलनसार न हो 2. जो सामाजिक व्यवस्था का विरोधी हो; तोड़-फोड़ करने वाला; अराजक 3. जिसका आचरण समाज
विरुद्ध हो; बदमाश; अपराधी।
असामाजिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सामाजिक आचार-व्यवहार का अभाव; अव्यावहारिकता 2. समाज से कटे रहने या समाज की सत्ता को कमतर मानने का भाव; वैयक्तिकता; व्यक्तिकेंद्रिकता
3. समाजविरोधी आचरण।
असामान्य
(सं.) [वि.] 1. जो सामान्य न हो; असाधारण; गैरमामूली 2. भिन्न; विचित्र; विक्षिप्त; (ऐबनॉर्मल)।
असामान्यता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सामान्य न होने की अवस्था; असाधारणता 2. विशिष्ट गुणों से युक्त होने की अवस्था।
असामान्यीकरण
(सं.) [सं-पु.] असामान्य करने की क्रिया; साधारणता या औसतपन से उबारने का काम; ख़ास या विशिष्ट बनाने की प्रक्रिया।
असामी
(अ.) [सं-पु.] 1. वह जिसने लगान पर जोतने के लिए ज़मींदार से खेत लिया हो; रैयत; काश्तकार 2. जिससे किसी प्रकार का लेन-देन हो 3. मुद्दलेह; देनदार।
असाम्य
(सं.) [सं-पु.] 1. गैरबराबरी; असमानता 2. अननुकूलता 3. अंतर; भिन्नता।
असार
(सं.) [वि.] 1. सारहीन; निस्सार; अर्थहीन; व्यर्थ 2. मिथ्या 3. माया सरीखा; मायावी।
असार्वजनिक
(सं.) [वि.] 1. जो सार्वजनिक न हो; समाज या शासन का जिसपर प्राधिकार न हो; निजी 2. जो सबके सामने उजागर न हो; गुप्त; प्रच्छन्न।
असावधान
(सं.) [वि.] 1. सावधानी न बरतने वाला; लापरवाह 2. जो सजग, सतर्क या चौकन्ना न हो; बेख़बर; गाफ़िल।
असावधानता
(सं.) [सं-स्त्री.] असावधान रहने की अवस्था या भाव; लापरवाही; बेपरवाही; गफ़लत; चित्तविक्षेप।
असावधानी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. असतर्कता; लापरवाही; चूक 2. गफ़लत; बेख़बरी।
असि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. खड्ग; तलवार 2. कृपाण; भुजाली।
असित
(सं.) [सं-पु.] 1. एक ऋषि 2. इक्ष्वाकु वंश के एक प्रसिद्ध राजा जो राम के पूर्वज थे एवं सगर के पिता थे 3. हठयोग और तंत्र के अनुसार शरीर की तीन प्रधान
नाड़ियों में से एक; सूर्यनाड़ी; पिंगला 4. शनि 5. काला या नीला रंग 6. धौ नामक पेड़ 7. कृष्ण पक्ष। [वि.] जो सित या श्वेत न हो।
असिता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. यमुना 2. नीली नामक पौधा। [वि.] 1. काली 2. बुरी 3. टेढ़ी; कुटिल।
असिद्धि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनिष्पत्ति 2. अप्राप्ति 3. कच्चापन 4. अपूर्णता।
असिधारा
(सं.) [सं-स्त्री.] तलवार की धार।
असिपत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. ईख 2. तलवार की म्यान।
असिस्टेंट
(इं.) [सं-पु.] 1. सहायक 2. सहायक कर्मचारी।
असी
(सं.) [सं-स्त्री.] एक नदी-विशेष जो काशी के दक्षिण में गंगा से मिलती है।
असीम
(सं.) [वि.] 1. जिसकी कोई सीमा न हो; असीमित; निस्सीम 2. अपार; अमित; बेहद 3. अनंत; परम 4. बेहिसाब।
असीमित
(सं.) [वि.] 1. जिसकी हद या सीमा न हो; असीम 2. अपरिमित; अनंत।
असुंदर
(सं.) [वि.] 1. कुरूप; भद्दा; जो सुंदर न हो 2. अप्रशस्त 3. अशोभन।
असु
(सं.) [सं-पु.] 1. मन; चित्त 2. प्राणवायु; प्राणशक्ति 3. विचार 4. पल का छठा भाग।
असुर
(सं.) [सं-पु.] 1. दानव; दैत्य; राक्षस 2. दुष्ट व्यक्ति; खल 3. असभ्य व्यक्ति। [वि.] दानवी; अत्याचारी।
असुरक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] जहाँ सुरक्षा न हो; सुरक्षा का अभाव।
असुरक्षित
(सं.) [वि.] 1. जिसकी कोई सुरक्षा न हो 2. अनारक्षित; असहाय 3. जोखिमपूर्ण; संकटग्रस्त 4. {ला-अ.} डरा हुआ; भयभीत।
असुराई
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. राक्षसपन 2. निर्दयता; क्रूरता।
असुरारि
(सं.) [सं-पु.] 1. विष्णु 2. देवता।
असुविधा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कठिनाई; परेशानी 2. सुविधाविहीनता; ज़हमत; दिक्कत।
असुविधाजनक
(सं.) [वि.] 1. जिसके लिए कोई सुविधा या सुभीता न हो 2. दिक्कततलब; परेशानी पैदा करने वाला 3. अड़चन या बाधा खड़ी करने वाला।
असूझ
(सं.) [वि.]. 1. अंधकारमय 2. जिसके आर-पार दिखाई न दे; अपार 3. विकट। [सं-स्त्री.] अदूरदर्शिता।
असूतिका
(सं.) [सं-स्त्री.] जो बच्चा जनने के काबिल न हो; वंध्या; बाँझ।
असूया
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. जलन; ईर्ष्या 2. रोष 3. एक संचारी भाव 4. दूसरे के गुणों में खोट निकालना 5. दूसरे की सुख-समृद्धि और ख़ूबियों को सहन न कर सकना।
असूर्यपश्या
(सं.) [वि.] 1. परदे में रहने वाली; परदानशीन 2. {ला-अ.} जिसने सूर्य को भी न देखा हो।
असूल
(अ.) [सं-पु.] उसूल।
असृक
(सं.) [सं-पु.] 1. रक्त; रुधिर; लोहू 2. केसर 3. मंगल ग्रह।
असेंबली
(इं.) [सं-स्त्री.] विधानसभा; सभा।
असेव्य
(सं.) [वि.] जिसका सेवन न किया जा सके; अनुपभोग्य; अनाहार्य।
असेसर
(इं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जो जज को फ़ौजदारी के मुकद्दमे में राय देने के लिए चुना जाता है; न्यायालय या अन्य संस्था को परामर्श देने वाला विशेषज्ञ; विधि
परामर्शदाता।
असेस्मेंट
(इं.) [सं-पु.] 1. कर आदि का निर्धारण 2. निर्धारित कर या मूल्य 3. मूल्यांकन; संपत्ति का मूल्यांकन।
असैनिक
(सं.) [सं-पु.] किसी देश का निवासी; नागरिक; देशवासी। [वि.] दीवानी न्यायालय से संबंधित।
असैन्यीकरण
(सं.) [सं-पु.] किसी स्थान या क्षेत्र विशेष से तैनात सैन्यबल को हटा लेना।
असोसिएशन
(इं.) [सं-पु.] लोगों का औपचारिक दल या संगठन; सभा; परिषद; गोष्ठी; समिति।
असौंध
(सं.) [सं-पु.] 1. गंध का अभाव 2. बदबू; दुर्गंध।
असौम्य
(सं.) [वि.] 1. असुंदर; कुरूप; भद्दा 2. अप्रिय; अशोभन।
अस्खलित
(सं.) [वि.] 1. जिसका स्खलन न हुआ हो 2. जो फिसलता या डगमगाता न हो; अच्युत; उचित मार्ग पर चलने वाला 3. उच्चारण आदि में गलती न करने वाला; शुद्ध।
अस्तंगत
(सं.) [वि.] 1. डूबा हुआ; जो अस्त हो चुका 2. नष्ट 3. लुप्त; विलीन 4. अदृष्ट; ओझल।
अस्त
(सं.) [वि.] 1. ओझल; अदृश्य 2. समाप्त 3. गत 4. डूबा हुआ 5. फेंका हुआ। [सं-पु.] 1. अंत; नाश 2. पतन; ह्रास 3. डूबना 4. वह जो ओझल या अदृश्य हो।
अस्तबल
(अ.) [सं-पु.] घोड़ों के रहने की जगह; तबेला; घुड़साल; अश्वशाला।
अस्तमन
(सं.) [सं-पु.] 1. समाप्ति; अंत होने की स्थिति 2. अस्त होने या डूबने की क्रिया या भाव; तिरोहण 3. बरबादी।
अस्तमित
(सं.) [वि.] छिपा हुआ; तिरोहित; डूबा हुआ।
अस्तर
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. सिले हुए कपड़ों, जूतों आदि की भीतरी तह 2. इत्र बनाने का माध्यम; वह द्रव जिसमें अन्य सुगंधित द्रवों का मिश्रण तैयार किया जाता है 3. चित्र
का आरंभिक प्रारूप तैयार करने का मसाला; नीचे का या आधारीय रंग।
अस्तरकारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दीवारों आदि पर पलस्तर करने की क्रिया 2. दीवारों पर चूने का लेप या सफ़ेदी करना।
अस्त-व्यस्त
(सं.) [वि.] इधर-उधर बिखरा हुआ; क्रमहीन; तितर-बितर; बेतरतीब; अव्यवस्थित।
अस्ताचल
(सं.) [सं-पु.] पश्चिम दिशा में स्थित वह कल्पित या मिथकीय पर्वत जिसके पीछे सूर्यास्त होना माना जाता है।
अस्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वर्तमान होने की अवस्था या भाव 2. सत्ता; विद्यमानता 3. 'नास्ति' का विलोम 4. (पुराण) जरासंध की पुत्री जिसका विवाह कंस से हुआ था।
अस्तित्व
(सं.) [सं-पु.] 1. वजूद; होने का भाव 2. हस्ती; हैसियत 3. सत्ता; विद्यमानता; मौजूदगी; उपस्थिति। [मु.] -मिटा देना : नामोनिशान मिटा देना; न
रहने देना; समाप्त कर देना।
अस्तित्ववाद
(सं.) [सं-पु.] साहित्य-कला आदि में व्यवहृत एक विशेष दार्शनिक सिद्धांत जो मनुष्य के अस्तित्व को आकस्मिक उपज मानता है, क्षण को महत्व देता है और मृत्यु,
संत्रास, कुंठा आदि के भीतर से ही उसके सही अर्थ की तलाश करता है।
अस्तित्वहीनता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अस्तित्वहीन होने की अवस्था या भाव; अविद्यमानता; नामौजूदगी; सत्ताविहीनता 2. हस्ती या हैसियत में नगण्य।
अस्तु
(सं.) [अव्य.] जो भी हो; ऐसा हो; ख़ैर।
अस्तुति
(सं.) [सं-स्त्री.] स्तुति या प्रशंसा न करना।
अस्तेय
(सं.) [सं-पु.] 1. चोरी न करने की क्रिया 2. योग के आठ अंगों में नियम नामक तीसरे अंग के अंतर्गत चोरी न करने का एक व्रत।
अस्तोदय
(सं.) [सं-पु.] 1. उदय और अस्त होने की क्रिया 2. {ला-अ.} उत्थान-पतन; भाग्यचक्र।
अस्त्र
(सं.) [सं-पु.] 1. हथियार 2. फेंक कर चलाने वाला हथियार 3. धनुष-बाण 4. नश्तर।
अस्त्रधारी
(सं.) [सं-पु.] अस्त्र धारण किया हुआ व्यक्ति; हथियारबंद; सैनिक। [वि.] जिसने अस्त्र धारण किया हो।
अस्त्रविद्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. हथियार चलाने या अस्त्र संचालन की विद्या 2. धनुर्विद्या।
अस्त्रवेद
(सं.) [सं-पु.] धनुर्वेद।
अस्त्र-शस्त्र
(सं.) [सं-पु.] 1. अस्त्र और शस्त्र दोनों 2. हरबा-हथियार।
अस्त्रशाला
(सं.) [सं-स्त्री.] अस्त्र रखने का स्थान; अस्त्रागार।
अस्त्रशिक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] हथियार चलाने की शिक्षा।
अस्त्रागार
(सं.) [सं-पु.] हथियार रखने का भंडार; अस्त्रशाला; अस्त्र-शस्त्रों का भंडार।
अस्त्रीकरण
(सं.) [सं-पु.] अस्त्र-शस्त्र से युक्त करने की क्रिया या भाव।
अस्थमा
(इं.) [सं-पु.] दमा की बीमारी।
अस्थानपदता
(सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का शब्द-दोष, जहाँ वाक्य में किसी पद का अपने उचित स्थान पर प्रयोग न होकर अन्यत्र होता है।
अस्थानांतरणीय
(सं.) [वि.] 1. जिसका स्थानांतरण न होता हो (पद); स्थायी 2. (वस्तु) जिसे एक जगह से दूसरी जगह हटाया न जा सके।
अस्थायित्व
(सं.) [सं-पु.] स्थिरता या टिकाऊपन का अभाव।
अस्थायी
(सं.) [वि.] 1. जो सदा या अधिक समय तक क़ायम रहने वाला न हो; परिवर्तनशील 2. क्षणिक 3. अस्थिर 4. थोड़े समय के लिए ही नियुक्त (व्यक्ति)।
अस्थि
(सं.) [सं-स्त्री.] हड्डी।
अस्थिचिकित्सा
(सं.) [सं-स्त्री.] हड्डियों के रोग का इलाज।
अस्थिपंजर
(सं.) [सं-पु.] हड्डियों का ढाँचा; कंकाल।
अस्थिभंग
(सं.) [सं-पु.] हड्डी का टूट जाना।
अस्थिर
(सं.) [वि.] 1. जो स्थिर न हो; डाँवाडोल; चंचल 2. अनिश्चित।
अस्थिरचित्त
(सं.) [वि.] 1. जिसका मन चंचल हो 2. डाँवाडोल मनःस्थिति वाला 3. असमंजस में पड़ा हुआ; दुविधाग्रस्त; संशयग्रस्त।
अस्थिरता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अस्थिर होने की अवस्था या भाव; परिवर्तनशीलता 2. अव्यवस्था; अराजकता।
अस्थिरमना
(सं.) [वि.] 1 अस्थिर चित्त वाला; ढुलमुल; डाँवाडोल; चंचल; दुविधाग्रस्त; अनिश्चय का शिकार 2. जो भरोसा करने लायक न हो।
अस्थिरोग
(सं.) [सं-पु.] हड्डियों की बीमारी।
अस्थिसंचय
(सं.) [सं-पु.] 1. शवदाह के बाद गंगा या किसी अन्य पवित्र मानी जाने वाली नदी में प्रवाहित करने के लिए हड्डियाँ या राख एकत्र करना। 2. हड्डियों का ढेर।
अस्थिसंरचना
(सं.) [सं-स्त्री.] हड्डियों की बनावट या ढाँचा।
अस्थूल
(सं.) [वि.] जो स्थूल या मोटा न हो; सूक्ष्म।
अस्थैर्य
(सं.) [सं-पु.] अस्थिरता; स्थिरता का अभाव।
अस्पताल
(इं.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ रोगियों का इलाज किया जाता है; चिकित्सालय।
अस्पष्ट
(सं.) [वि.] 1. जो साफ़ दिखाई न दे या समझ में न आए; धुँधला 2. उलझा हुआ; जटिल; दुरूह 3. गोलमोल; गड्डमड्ड।
अस्पृश्य
(सं.) [वि.] 1. अछूत; जो छूने या स्पर्श करने के योग्य न हो 2. जिसका स्पर्श संभव न हो।
अस्पृश्यता
(सं.) [सं-स्त्री.] छुआछूत; अछूतपन।
अस्पृष्ट
(सं.) [वि.] अछूता; जो छुआ न गया हो।
अस्पृह
(सं.) [वि.] 1. जिसे कोई कामना न हो; निष्काम 2. जिसे लोभ-लालच न हो; निर्लोभी।
अस्फुट
(सं.) [वि.] 1. अस्पष्ट 2. अप्रकट 3. जो खिला न हो।
अस्फुट व्यंग्य
(सं.) [सं-पु.] गुणीभूत व्यंग्य का एक भेद, जिसमें सहृदय जन भी व्यंग्यार्थ को आसानी से नहीं समझ पाते।
अस्मत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. निष्पाप और निष्कलुष बने रहने की स्थिति और प्रवृत्ति 2. स्त्री की इज़्ज़त 3. पतिव्रत; सतीत्व।
अस्मिता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपने होने का भाव; अहंभाव 2. हस्ती; हैसियत; अपनी सत्ता की पहचान (पहली बार अज्ञेय द्वारा 'आइडेंटिटी' के लिए हिंदी शब्द 'अस्मिता'
प्रयुक्त) 3. अहंता; अहंकार; अस्तित्व; विद्यमानता; मौजूदगी 4. (योगशास्त्र) पाँच प्रकार के क्लेशों में से एक।
अस्मितावादी
(सं.) [वि.] पृथक एवं विशिष्ट सत्ता संबंधी सिद्धांत को मानने वाला; अस्मितावाद का समर्थक।
अस्वच्छ
(सं.) [वि.] 1. जो स्वच्छ न हो; गंदा; दूषित 2. अपवित्र; प्रदूषित।
अस्वतंत्र
(सं.) [वि.] जो स्वतंत्र न हो; परतंत्र; परवश; पराधीन।
अस्वस्थ
(सं.) [वि.] 1. बीमार; रोगी 2. {ला-अ.} अनमना; असहज; अप्रकृतिस्थ जैसे- अस्वस्थ मानसिकता।
अस्वस्थता
(सं.) [सं-स्त्री.] रुग्ण या अस्वस्थ होने की अवस्था; आरोग्य का अभाव; अनारोग्यता; रोगग्रस्तता।
अस्वाधीन
(सं.) [वि.] जो स्वाधीन न हो; जो दूसरों के वश में हो; जिसपर स्वयं का नियंत्रण न हो।
अस्वाध्याय
(सं.) [सं-पु.] वेदों की आवृत्ति के अंदर पड़ने वाला अवकाश या व्यवधान। [वि.] 1. जिसने वेदों की आवृत्ति न की हो 2. जिसने वेदों की आवृत्ति शुरु न की हो।
अस्वाभाविक
(सं.) [वि.] 1. जो स्वाभाविक न हो; प्रकृति या स्वभाव के विरुद्ध 2. बनावटी; नकली।
अस्वामिक
(सं.) [वि.] जिसका कोई स्वामी न हो; लावारिस; बिना मालिक का।
अस्वामिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] ऐसी स्थिति जिसमें कोई वस्तु मिलने पर उसका कोई स्वामी दिखाई नहीं दे।
अस्वामी
(सं.) [वि.] 1. स्वामीहीन; स्वत्वहीन; जिसपर किसी का कोई अधिकार न हो 2. जिसपर किसी का दावा न हो।
अस्वास्थ्य
(सं.) [सं-पु.] 1. अस्वस्थ होने की स्थिति 2. रोग; बीमारी।
अस्वास्थ्यप्रद
(सं.) [वि.] स्वास्थ्य को हानि पहुँचाने वाला; बीमार करने वाला।
अस्वीकरण
(सं.) [सं-पु.] किसी वस्तु, बात आदि को स्वीकार न करने की क्रिया; अस्वीकार; इनकार।
अस्वीकार
(सं.) [सं-पु.] 1. अस्वीकृति; इनकार; न मानना 2. न लेना।
अस्वीकार्य
(सं.) [वि.] जो स्वीकार करने या ग्रहण करने योग्य न हो; अमान्य; अग्राह्य।
अस्वीकृत
(सं.) [वि.] अस्वीकार किया हुआ; नामंजूर; ठुकराया हुआ।
अस्वेद
(सं.) [सं-पु.] अस्वेदन।
अस्वेदन
(सं.) [सं-पु.] पसीने का न निकलना; पसीना का न निकलने की समस्या (रोग)।
अस्सलाम
(अ.) [सं-पु.] ख़ुदा आपको सलामत रखे- ऐसी दुआ; सलाम; नमस्कार; बंदगी।
अस्सी
[वि.] संख्या '80' का सूचक।
अहं
(सं.) [सर्व.] मैं। [सं-पु.] 1. स्वयं की सत्ता 2. औरों से भिन्न अपनी पृथक सत्ता का भान 3. अहंकार; घमंड; अहम्मन्यता।
अहंकार
(सं.) [सं-पु.] 1. गर्व; घमंड; अकड़ 2. सांख्य दर्शन का एक तत्व 3. (वेदांत) अंतःकरण की पाँच वृत्तियों में से एक।
अहंकारग्रस्त
(सं.) [वि.] अहम्मन्यता से भरा हुआ; घमंडी; अहंकारी।
अहंकारवश
(सं.) [क्रि.वि.] अहंकार के चलते; अहंकार के वशीभूत होकर।
अहंकारी
(सं.) [वि.] अहंकारग्रस्त; घमंडी; मगरूर; दंभी; अभिमानी।
अहंता
(सं.) [सं-स्त्री.] गर्व, घमंड या अहंकार की दशा या भावना; स्वयं को औरों से अधिक योग्य या बढ़कर समझने का भाव; अकड़।
अहंमन्य
(सं.) [वि.] स्वयं को अन्य से अधिक योग्य या बढ़कर समझने का भाव; घमंड; अकड़; अहंकृति।
अहंमन्यता
(सं.) [सं-स्त्री.] अहंमन्य होने की अवस्था; घमंड का भाव; अहंता।
अहंवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. स्वयं को दूसरों से श्रेष्ठ समझने की भावना; घमंडीपन 2. व्यक्ति के अहं को ही सर्वोपरि मानने वाला सिद्धांत।
अहंवादी
(सं.) [वि.] स्वयं को दूसरों से बदकर समझने वाला; अहंमन्य; घमंडी।
अहंस्फीत
(सं.) [वि.] अपने स्वर को बढ़ाना या मोटा करना; स्वर हलका ऊँचा करना।
अहत
(सं.) [वि.] 1. जो हत न हुआ हो; अनाहत; अक्षत 2. जो पीटा न गया हो 3. बिना धुला हुआ (कपड़ा); कोरा 4. स्वच्छ; बेदाग। [सं-पु.] पूर्णतः नया कपड़ा।
अहदनामा
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] इकरारनामा; प्रतिज्ञापत्र; शपथ-पत्र।
अहदी
(अ.) [वि.] 1. जिसमें तत्परता न हो; आलसी; काहिल; ढीला 2. जो कोई काम न करे। [सं-पु.] 1. वह सैनिक जिससे असाधारण मौके पर ही काम लिया जाए 2. अकबर की सेना की एक
श्रेणी 3. अकबरकालीन एक प्रकार के सिपाही जो ज़्यादा समय निठल्ले ही बैठे रहते थे।
अहम
(अ.) [वि.] महत्वपूर्ण; बहुत ज़रूरी; मुख्य; जिसका कुछ विशेष महत्व हो; जिसकी उपयोगिता आदि मान्य हो; मुख्य।
अहमक
(अ.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जिसमें बुद्धि न हो या कम हो; मूर्ख या बेवकूफ़ व्यक्ति। [वि.] जिसमें बुद्धि न हो या बहुत कम हो; नासमझ; नादान; अनाड़ी; मूर्ख;
बेअक्ल।
अहमकाना
(अ.) [वि.] मूर्खतापूर्ण; बेवकूफ़ी का।
अहमद
(अ.) [वि.] 1. काबिले-तारीफ़; बहुत अधिक प्रशंसनीय 2. पुरअज़ीज़। [सं-पु.] हज़रत मुहम्मद का नाम।
अहमदी
(अ.) [सं-पु.] 1. मुसलमान; हज़रत मुहम्मद का अनुयायी 2. मुसलमानों में एक संप्रदाय।
अहमियत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. महत्व 2. गंभीरता; वजनदारी।
अहम्मन्य
(सं.) [वि.] स्वयं को अन्य से अधिक योग्य या बढ़कर समझने वाला; घमंडी; अकड़वाला।
अहरणीय
(सं.) [वि.] 1. जो हटाया न जा सके; जिसका हरण न हो सके 2. स्थिर; दृढ़।
अहरना
(सं.) [क्रि-स.] लकड़ी को छील कर तथा रंदा मार कर सुडौल बनाना।
अहरा
[सं-पु.] 1. आग जलाने के लिए गोबर से बने उपले या कंडे 2. कंडे की आग 3. प्याऊ 4. लोगों के ठहरने की जगह।
अहरिमन
[सं-पु.] 1. पारसी जाति वालों में पाप और अंधकार का देवता 2. शैतान।
अहरी
[सं-स्त्री.] 1. हौज 2. गड्ढा 3. प्याऊ 4. चरही।
अहर्निश
(सं.) [क्रि.वि.] 1. हर एक पल; हर समय 2. लगातार; दिन-रात; आठों पहर 3. सदा; नित्य।
अहर्य
(सं.) [वि.] 1. पूजनीय; आदरणीय 2. प्रशंसनीय 3. योग्य 4. अधिकारी; पात्र।
अहर्षित
(सं.) [वि.] जो हर्षित न हो; अप्रसन्न; नाख़ुश।
अहल
(अ.) [सं-पु.] 1. व्यक्ति; आदमी 2. मालिक 3. परिवार के लोग। [वि.] 1. मुख्य 2. लायक; योग्य।
अहलकार
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. कचहरी या कार्यालय आदि का कर्मचारी; कारिंदा; कार्यकर्ता 2. राजकर्मचारी।
अहलकारी
(अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] अहलकार का काम; कारिंदागिरी।
अहसान
(अ.) [सं-पु.] 1. कृतज्ञता; निहोरा 2. भलाई या नेकी में किया गया उपकार 3. आभार।
अहसान-फ़रामोश
(अ.+फ़ा.) [वि.] कृतघ्न; नमकहराम; किए गए उपकार को न मानने वाला; अहसान न मानने वाला।
अहसानमंद
(अ.+फ़ा.) [वि.] 1. अपने पर किए गए उपकार या अहसान को मानने वाला 2. कृतज्ञ; आभारी।
अहसास
(अ.) [सं-पु.] 1. अनुभव; प्रतीति; संवेदन 2. ध्यान; ख़याल।
अहस्त
(सं.) [वि.] जिसका हाथ कट गया हो; बिना हाथवाला; हस्तरहित।
अहस्तक्षेप-नीति
(सं.) [सं-स्त्री.] देश के आर्थिक मामलों में राज्य को बिलकुल हस्तक्षेप न करने देने का अर्थशास्त्रीय सिद्धांत; निजीकरण की बाज़ार-नीति; (लैसा-फ़ेयर)।
अहस्तांतरकरणीय
(सं.) [वि.] जिसका मालिकाना न बदला जा सके; जिसके अधिकार का हस्तांतरण न किया जा सके; अहरणीय; (इनएलायइनेबल)।
अहस्तांतरणीय
(सं.) [वि.] जिसका हस्तांतरण संभव न हो; जो हस्तांतरित न किया जा सके; (नॉन-ट्रांसफ़रेबल)।
अहस्पति
(सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य; दिवसपति 2. मदार।
अहा
(सं.) [अव्य.] 1. हर्ष और विस्मय सूचक उद्गार 2. प्रसन्नता, आह्लाद आदि का सूचक शब्द।
अहाता
(अ.) [सं-पु.] 1. दीवार आदि से घिरा हुआ स्थान; घेरा; बाड़ा 2. रक्षा के लिए चारों ओर बनाई हुई दीवार; परकोटा; चारदीवारी।
अहार्य
(सं.) [वि.] 1. जिसका हरण न हो सके; जो चुराया न जा सके 2. जिसे चकमा देकर या धन आदि का लालच देकर वश में न किया जा सके 3. जो ढुलमुल न हो; दृढ़।
अहिंसक
(सं.) [वि.] 1. जो हिंसा न करता हो; जो हिंसा में विश्वास न करता हो 2. करुणामय; दयालु।
अहिंसा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी भी प्राणी को किसी भी प्रकार का शारीरिक या मानसिक कष्ट न देना 2. (योगशास्त्र) पाँच प्रकार के यमों में पहला 3. जैन तथा बौद्ध
धर्मों में आचार तथा धर्म संबंधी प्रमुख सिद्धांत।
अहिंसावादी
(सं.) [वि.] 1. अहिंसा में विश्वास करने वाला 2. मन-वचन-कर्म से किसी को दुख न पहुँचाने वाला।
अहिका
(सं.) [सं-स्त्री.] सेमल; शाल्मली; सेमल का वृक्ष।
अहित
(सं.) [सं-पु.] 1. बुराई; अपकार 2. हानि; क्षति; नुक़सान।
अहितकारी
(सं.) [वि.] हानि या नुकसान करने वाला; हानिकारक; अनिष्टकारी।
अहिनाथ
(सं.) [सं-पु.] सर्पराज; शेषनाग।
अहिपति
(सं.) [सं-पु.] 1. सर्पराज; वासुकि 2. कोई बड़ा साँप।
अहिफेन
(सं.) [सं-पु.] 1. साँप की लार; नागझाग; सर्पफेण 2. पोस्त के डोडे का गोंद जो कड़वा, मादक और विषाक्त होता है; अफ़ीम।
अहिम
(सं.) [वि.] जो ठंडा (हिम) न हो; गरम।
अहिमांशु
(सं.) [सं-पु.] जिसकी किरण शीतल न हो; सूर्य।
अहिमान
[सं-पु.] चाक का वह गड्ढा जिसके सहारे चाक कील पर रखा जाता है।
अहिल्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक मिथकीय चरित्र जो गौतम ऋषि की पत्नी थी और उन्हीं के शाप से पत्थर बन गई थी। [वि.] अहल्या; कठिनाई से जोती जाने वाली भूमि; वह भूमि
जिसमें हल न चल सके या जो जोती न जा सके।
अहिवर
[सं-पु.] (काव्यशास्त्र) दोहे का एक भेद जिसमें पाँच गुरु तथा अड़तीस लघु मात्राएँ होती हैं।
अहिवात
[सं-पु.] सुहाग; सधवा होने का भाव; सौभाग्यवती।
अहिवातिन
[सं-स्त्री.] अहिवाती; सुहागन; सधवा।
अहिवाती
[वि.] सधवा; सुहागन; सौभाग्यवती।
अहीक
(सं.) [सं-पु.] (बौद्ध धर्म) दस प्रकार के क्लेशों में से एक।
अहीन
(सं.) [सं-पु.] 1. वासुकि 2. बहुत बड़ा साँप 3. बहुत दिनों तक चलने वाला विशेष यज्ञ। [वि.] 1. समग्र; समूचा 2. लंबे समय तक टिकने वाला; अक्षुण्ण 3. जो हीन या
नीच न हो; श्रेष्ठ।
अहीर
(सं.) [सं-पु.] ग्वाला; आभीर; घोष; गोप।
अहीरिन
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ग्वालन; अहीर जाति की स्त्री 2. दूध-दही बेचने वाली स्त्री।
अहीरी
[सं-स्त्री.] 1. (संगीत) एक रागिनी; आभीरी 2. ग्वालिन। [वि.] अहीरों जैसा; अहीर संबंधी।
अहीश
(सं.) [सं-पु.] 1. लक्ष्मण 2. बलराम 3. सर्पराज।
अहुत
(सं.) [सं-पु.] वेदाध्ययन; ध्यान; स्तुति। [वि.] 1. जिसकी आहुति न की गई हो 2. जिसे नैवेद्य न मिला हो।
अहुरमज़्द
(पह.) [सं-पु.] पारसी मतानुसार धर्म, नेकी और प्रकाश का देवता।
अहेतु
(सं.) [सं-पु.] 1. अर्थालंकार का एक भेद, जहाँ कारणों के विद्यमान होने के बावजूद कार्य संपन्न नहीं होता 2. हेतु का अभाव। [वि.] हेतु रहित।
अहेतुक
(सं.) [वि.] अकारण; हेतुरहित।
अहेर
(सं.) [सं-पु.] आखेट; शिकार; मृगया।
अहेरिया
[सं-पु.] बहेलिया; शिकारी।
अहेरी
(सं.) [सं-पु.] आखेटक; शिकार करने वाला। [वि.] शिकारी।
अहोई
[सं-स्त्री.] 1. पुत्रवती स्त्रियों द्वारा अपने पुत्रों के सुख-स्वास्थ्य की कामना के लिए किया जाने वाला व्रत 2. यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी को किया
जाता है।
अहोक
[सं-पु.] असम राज्य की एक प्राचीन जाति।
अहोभाव
(सं.) [सं-पु.] आश्चर्य बोधक भाव।
अहोरात्र
(सं.) [क्रि.वि.] हर एक पल; हर समय; हमेशा; सदा; नित्य। [सं-पु.] दिन और रात।
अहोरा-बहोरा
[सं-पु.] शादी या गौने में दुल्हन का ससुराल जाकर उसी रोज़ वापस आना। [अव्य.] बार-बार।
अहोरिन
[सं-स्त्री.] एक प्रकार की चिड़िया।